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गुरुत्व कामाारम द्वदया प्रस्तुत भाससक ई-ऩत्रिक

रत्‍नों‍कद‍ऄुभरत‍रह य‍ ऄंक‍ज्योवतष‍से‍जदने‍शरभ‍रत्न‍ रत्न‍कद‍पूणण‍प्रभदिी‍कदल‍?

ददसम्फय-2016

विशेषज्ञ‍की‍सलदह‍से‍ही‍करें ‍रत्न‍धदरण रत्न‍धदरण‍से‍विद्यद‍प्रदवि अजीविकद‍और‍रत्न‍धदरण‍

84‍प्रकदर‍के ‍रत्न‍और‍ईपरत्न‍

रत्न‍एिं‍रं गों‍द्वदरद‍रोग‍वनिदरण‍

फ़िरोजद‍एक‍विलक्षण‍रत्न

रत्न‍धदरण‍से‍ऄवभष्ट‍कदयणवसवि

रत्नो‍की‍ईत्पवि

रत्न‍द्वदरद‍रोग‍ईपचदर

NON PROFIT PUBLICATION

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गरु ु त्व ज्मोततष ऩत्रिका ददसम्फय-2016

सॊऩादक

च त ॊ न जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA

पोन

91+9338213418, 91+9238328785, ईभेर

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ऩत्रिका प्रस्ततु त

च त ॊ न जोशी,

स्वस्स्तक.ऎन.जोशी पोटो ग्राफपक्स

च त ॊ न जोशी, स्वस्स्तक आटा हभाये भख् ु म सहमोगी

स्वस्स्तक.ऎन.जोशी (स्वस्स्तक सोफ्टे क इस्डडमा सर)

गरु ु त्व ज्मोततष भाससक ई-ऩत्रिका भें रेखन हे तु फ्रीराॊस (स्वतॊि) रेखकों का स्वागत हैं...



गररुत्ि‍ ज्योवतष‍ मदवसक‍ इ-पविकद‍ में‍ अपके ‍द्वदरद‍वलखे‍ गये‍ मंि, यंि, तंि, ज्योवतष, फें गशरइ,

ऄंक‍ ज्योवतष, टैरों,

िद तर,

रे की‍ एिं‍ ऄन्य‍

अध्यदवत्मक‍ ज्ञदन‍ िधणक‍ लेख‍ को‍ प्रकदवशत‍ करने‍ हेतर‍ भेज‍ सकते‍ हैं। ऄवधक‍जदनकदरी‍हेतर‍संपकण ‍करें ।

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अनुक्रभ

रत्नों कद‍ऄुभरत‍रह य

7

नीलम

39

9

गोमेद

41

11 लहसरवनयद

43

15 फ़िरोजद‍एक‍विलक्षण‍रत्न

46

जन्म‍िदर‍से‍व्यवित्ि

22 रत्न‍एिं‍रं गों‍द्वदरद‍रोग‍वनिदरण

48

रत्न‍धदरण‍से‍ऄवभष्ट‍कदयणवसवि

23

रत्नो‍की‍ईत्पवि रत्न‍कद‍पूणण प्रभदिी‍कदल‍? 84 प्रकदर के रत्न और ईपरत्न

Ammonite Fossil is Over 100 Million Years old Stone!

51

विशेषज्ञ की सलदह से ही करें रत्न धदरण

24 ग्रह‍शदंवत‍हेतर‍करें ‍निग्रह‍एिं‍ददन

53

रत्नो कद नदमकरण

25 अजीविकद‍और‍रत्न‍धदरण

54

मदवणक्य

26 रत्न‍धदरण‍से‍विद्यद‍प्रदवि

56

मोती

28 सूयण‍रदवश‍से‍रत्न‍धदरण

57

मूंगद

31 ऄंक‍ज्योवतष‍से‍जदने‍शरभ‍रत्न

58

पन्नद

33 शदस्त्रोि‍विधदन‍से‍रत्न‍धदरण‍संबवं धत‍सरझदि

59

परखरदज

35 सही‍क्रम‍में‍जवित‍निरत्न‍हीं‍धदरण‍करें

60

हीरद

37 रत्न‍द्वदरद‍रोग‍ईपचदर

61

स्थामी औय अन्म रेख संपददकीय‍

4

दैवनक‍शरभ‍एिं‍ऄशरभ‍समय‍ज्ञदन‍तदवलकद

87

फ़दसम्बर 2016 मदवसक पंचदंग

72

फ़दन‍के ‍चौघवडये

88

फ़दसम्बर-2016 मदवसक व्रत-पिण-त्यौहदर

74

फ़दन फ़क होरद - सूयोदय से सूयदण त तक

89

फ़दसम्बर-2016 विशेष‍योग

87

ग्रह‍चलन‍फ़दसम्बर 2016‍

90

वप्रम आस्त्भम फॊध/ु फदहन जम गुरुदे व अज‍के ‍िैज्ञदवनक‍यरग‍में‍ रत्नों‍को‍धदरण‍करने‍ से‍ रत्नो‍मनरष्य‍पर‍पिने‍ िदल‍शरभ-ऄशरभ‍प्रभदि‍को‍िैज्ञदवनक‍भी‍ मदनते‍ हैं।‍ रत्न‍ शब्द‍ कद‍ऄथण‍ है‍ बेजोि‍ ि तर।‍ सदमदन्यतः‍ आसी‍ वलए‍हम‍ फ़कसी‍ विषय‍ि तर‍ यद‍व्यवि‍ को‍ ईनके ‍गरणों‍ के ‍ अधदर‍पर‍रत्न‍शब्द‍से‍संबोवधत‍फ़कयद‍जदतद‍हैं। िैज्ञदवनक‍द्रवष्टकोण‍से‍संपण ू ‍ण सौरमण्डल‍सूयण‍के ‍कदरण‍ऄव तत्ि‍में‍अयद‍हैं।‍आसवलये‍सभी‍ग्रह‍सूयण‍के ‍इदण-वगदण‍एक‍ वनवित‍गवत‍एिं‍ थदन‍पर‍पररक्रमद‍करते‍हैं।‍ िैफ़दक‍ज्योवतष‍के ‍प्रमरख‍ग्रंथो‍में‍सूयण‍को‍विशेष‍महत्ि‍फ़दयद‍गयद‍हैं।‍सूयण‍के ‍संबंध‍में‍सूयणदि े ‍को‍सदत‍घोडो‍के ‍रथ‍ पर‍विरदजमदन‍बतदयद‍गयद‍हैं।‍विद्वदनो‍के ‍मत‍से‍ सूयण‍ के ‍सदत‍घोडे‍ सूयण‍ की‍फ़करणों‍में‍ व थत‍सदत‍रं गो‍कद‍प्रवतवनवधत्ि‍ करते‍ हैं।‍आसी‍प्रदकदर‍सौरमण्डल‍में‍ व थत‍निग्रहों‍को‍सदत‍रं गो‍के ‍प्रतीक‍मदनद‍गयद‍हैं।‍ईन‍ग्रहो‍के ‍संबंवधत‍रं गो‍कद‍ प्रभदि‍ प्रकदश‍ के ‍ द्वदरद‍ पररिर्ततत‍ होकर‍ रत्नों‍ के ‍ मदध्यम‍ से‍ हमदरे ‍ शरीर‍ पर‍ पडतद‍ हैं।‍ रत्नों‍ में‍ प्रकदश‍ फ़करणो‍ को‍ ऄिशोवषत‍ करके ‍ ईसे‍ परदिर्ततत‍ करने‍ कद‍ प्रमरख‍ गरण‍ होतद‍ हैं।‍ जदनकदरो‍ की‍ मदने‍ तो‍ रत्नों‍ कद‍ सीधद‍ ऄसकर‍ ग्रहो‍ के ‍ िभदि‍एिं‍कदयणप्रणदली‍के ‍ऄनरशदर‍हमदरे ‍शरीर‍ओर‍व्यवित्ि‍पर‍पडतद‍हैं।‍मदनि‍शरीर‍पंचतत्िों‍एिं‍सदत‍चक्र‍से‍बनद‍ हैं।‍ईपयरि‍रत्नों‍के ‍धदरण‍करने‍से‍मदनि‍शरीर‍में‍पंचतत्िों‍ि‍सदतचक्रो‍को‍संतरलन‍करने‍के ‍वलये‍सहदयतद‍प्रदि‍होती‍हैं।‍ वजससे‍प्रकदर‍धदरणकतदण‍व्यवि‍के ‍व्यवित्ि‍में‍सरधदर‍अतद‍हैं।‍हर‍रत्न‍के रं गो कद‍ऄुभरत‍एिं‍चमत्कदररक‍प्रभदि‍होतद‍हैं‍ वज से‍हमदरे ‍मदनि‍शरीर‍से‍सभी‍प्रकदर‍के ‍रोग‍हेत‍र ईपयरि‍रत्न‍कद‍चरनदि‍कर‍लदभ‍प्रदि‍फ़कयद‍जदसकतद‍हैं।‍ ब्रह्दंड‍में‍व्यदि‍हर‍रं ग‍आंद्रधनरष‍के ‍सदत‍रं गों‍के ‍संयोग‍से‍संबंध‍रखतद‍हैं, हमदरे ‍ऊवष-मरवनयों‍ने‍हजदरों‍सदल‍ पहले‍खोज‍वलयद‍की‍आं द्रधनरष‍के ‍सदत‍रं ग‍सदत‍ग्रहों‍के ‍प्रतीक‍होते‍हैं, एिं‍आन‍रं गों‍कद‍संबंध‍ब्रह्दंड‍के ‍सदत‍ग्रहो‍से‍होतद‍ हैं‍जो‍मनरष्य‍पर‍ऄपनद‍वनवित‍प्रभदि‍हर‍क्षण‍डदलते‍हैं।‍आस‍बदत‍को‍अज‍कद‍ईन्नत‍एिं‍अधरवनक‍विज्ञदन‍भी‍आस‍ बदतकी‍पृवष्ट‍करतद‍हैं।‍ज्योवतष‍के ‍द्रवष्ट‍कोण‍से‍हर‍ग्रह‍कद‍ऄपनद‍ऄलग‍रं ग‍ि‍रत्न‍हैं।‍ हमदरे विद्वदन ऊवष-मरवनयों ने रत्नो के मदनि प्रभदि जीिन पर पिने िदले शरभ-ऄशरभ प्रभदि एिं रत्नो की ईपयोवगतद कद‍वि तृत ऄध्ययन कर जदन वलयद थद। ईन ऊवष-मरवनयों ने ऄपने योग बल एिं ऄवद्ववतय ऄध्ययन से प्रदि ज्ञदन को एकवित कर विवभन्न ग्रंथो एिं शदस्त्रो की रचनद की। हमदरे मदगणदशणन हेतर ईन ऊवष-मरवनयों ने ग्रंथो में रत्नों के विवभन्न ईप्योगीतद एिं प्रभदि कद वि तृत िणण भी फ़कयद। वजससे मनरष्य ऄपनी अिश्यिद के ऄनरशदर विवभन्न रत्नो के मदध्यम से ऄपने कदयण ईद्देश्य में सफलतद प्रदि कर सके । ज्योवतष विद्वदन एिं रत्न विशेषज्ञ के मत से रत्न घदरण करने से जीिन के विवभन्न क्षेिों में आवछित पररितणन फ़कयद जद सकतद हैं। क्योफ़क रत्न विज्ञदन एक प्रचीन विद्यद हैं। रत्नों के विषय में मवण मदलद ग्रन्थ में ईल्लेख हैं:-

मदवणक्यम् तरणेः सरजदत्यममलम् मरिदफलम् शीतगोमदणहय े य च विद्ररमो वनगफ़दतः सौम्य य गदरुत्मतम्। देिज्े य य च परष्परदगमसररदचदरूयणसय िज्रम् शनेनीलम् वनम्मणलमन्ययोि गफ़दते गोमेदिैदर्यू यणके॥ ऄथदणत:् ग्रहों के विपरीत होने पर ईन्हें शदन्त करने के वलए रत्न पहने जदते हैं। सूयण के विपरीत होने पर वनदोष मदवणक,

चन्द्र के विपरीत होने पर ईिम मोती, मंगल के वलए मूंगद, बधर के वलए पन्नद, बृह पवत के वलए परखरदज, शरक्रर के वलए हीरद, शवन को शदन्त करने के वलए नीलम, रदहु के वलए गोमेद एंि के तर के विपरीत होने पर लसरवनयद घदरण करनद चदवहए। (मवण मदलद) हमदरे ‍ ऊवष-मरवनयो‍कद‍कथन‍हैं‍ की‍प्रकृ वत‍ने‍ मदनरष्य‍के ‍विवभन्न‍विकदरो‍के ‍वनिदरण‍के ‍वलए‍कर दरत‍के ‍ऄवत‍ऄनमोल‍ ईपहदर‍के ‍रूप‍में‍ विविध‍प्रकदर‍के ‍रत्न‍प्रददन‍फ़कए‍हैं, जो‍हमें‍ भूवम‍(रत्नगभदण), समरद्र (रत्नदकर) अफ़द‍विविध‍स्त्रोतों‍से‍ प्रदि‍होते‍हैं। कौरटल्यजी‍कद‍कथन‍हैं:-

खवनः‍स्त्रोतः‍प्रकीणणकं‍च‍योनयः। ऄथदणत:् ये‍ रत्न‍हमदरे ‍ हर‍विकदर‍को‍दूर‍करने‍ में‍ सक्षम‍हैं।‍चदहे‍ विकदर‍भौवतक‍हो‍यद‍अध्यदवत्मक।‍फ़कसी‍रत्न‍विशेष‍के ‍ बदरे ‍में‍जदनने‍से‍पूिण‍मूल‍रत्नों‍को‍जदननद‍अिश्यक‍है।‍विद्वदनो‍ने‍मूल‍रत्नो‍फ़क‍संख्यद 21‍बतदइ‍हैं। महर्तष‍िदरदहवमवहर‍नें‍भदरतीय‍प्रदवचन‍ज्योवतष‍शदस्त्र‍के ‍प्रमरख‍ग्रंथो‍में‍बृहत्संवहतद‍की‍रचनद‍की‍वजसमें‍रत्नो‍के ‍ गरण-दोष‍कद‍वि तदर‍से‍िणणन‍हैं।‍विद्वदनो‍के ‍मतदनरशदर‍ऄभी‍तक‍हुए‍शोधद‍कदयण‍में‍ज्योवतष‍एिं‍रत्न‍शदस्त्र‍में‍रुवच‍रखने‍ िदले‍लोगो‍के ‍वलये‍बृहत्संवहतद‍ऄत्यंत‍महत्िपूणण‍एिं‍प्रदमदवणक‍शदस्त्र‍वसि‍हुिद‍हैं।‍ क्योफ़क‍महर्तष‍िदरदहवमवहर‍ने‍ वजन‍मरख्य‍रत्नों‍कद‍ईल्लेख‍फ़कयद‍हैं, ईससे‍ ज्ञदत‍होतद‍हैं‍ की‍अज‍हम‍वजन‍प्रमरख‍ रत्नो‍को‍जदनते‍ हैं‍ ईन‍रत्नो‍को‍पररदतन‍कदल‍से‍ यद‍ईससे‍ पूिण‍ से‍ यह‍रत्न‍ऄिश्य‍ईपलब्ध‍थे‍ एिं‍ ईन‍रत्नो‍को‍विवभन्न‍ ईद्देश्य‍के ‍वलये‍ प्रयोग‍में‍ वलयद‍जदतद‍थद।‍विद्वदनो‍के ‍ऄनरशदर‍ऄभी‍तक‍प्रदि‍हुिे‍ पररदतन‍शदस्त्र‍एिं‍ ग्रंथो‍में ‍ वजतने‍ रत्नो‍ कद‍िणणन‍वमलतद‍हैं‍ईस‍सब‍से‍ऄवधक‍संख्यद‍में‍रत्नो‍कद‍ईल्लेख‍बृहत्संवहतद‍में‍फ़कयद‍गयद‍हैं। रत्न‍विज्ञदन‍ऄवत‍विशदल‍एिं‍ऄनंत‍हैं‍ईसे‍फ़कसी‍फ़कतदब‍एिं‍पविकद‍में‍समदवहत‍कर‍पदनद‍ऄसंभि‍हैं।‍फ़फर‍भी‍हमने‍ अपको‍रत्न‍के ‍विषय‍में‍ऄवधक‍से‍ऄवधक‍विशेष‍जदनकदरी‍प्रदि‍हो‍यहह‍प्रयदस‍फ़कयद‍हैं। जदनकदर‍ज्योवतषी‍से‍ सलदह‍प्रदि‍कर‍ग्रहो‍के ‍ऄशरभ‍प्रभदि‍को‍कम‍करने‍ के ‍वलए‍रत्न‍धदरण‍करनद‍सरल‍एिं‍ ऄत्यदवधक‍ लदभ‍ प्रददन‍ करने‍ िदलद‍ श्रेष्ठ‍ ईपदय‍ वसि‍ हो‍ सकतद‍ हैं।‍ क्योफ़क‍ ईवचत‍ मदगण‍ दशणन‍ से‍ धदरण‍ फ़कयद‍ गयद‍ रत्न‍ शीघ्र‍ एिं‍ वनवित‍शरभ‍प्रभदि‍प्रददन‍करने‍में‍समथण‍हैं।‍‍ऄतः‍रत्न‍धदरण‍करने‍से‍पूिण‍फ़कसी‍कू शल‍विशेषज्ञ‍से‍परदमशण‍ऄिश्य‍कर‍ले। अपको‍ऄपने‍ कदयण‍ ईद्देश्य‍में‍ विवभन्न‍क्षेि‍में‍ वनवित‍सफलतद‍प्रदि‍हो‍आसी‍ईद्देश्य‍से‍ रत्न‍शवि‍विशेष‍ऄंक‍को‍अपके ‍ मदगणदशणन‍हेतर‍ईपलब्ध‍करिदयद‍गयद‍हैं।‍

आस‍ऄंक‍में‍रत्न‍से‍संबंवधत‍जदनकदरीयों‍के ‍विषय‍में‍सदधक‍एिं‍विद्वदन‍पदठको‍से‍ऄनररोध‍हैं, यफ़द‍दशदणये‍गए‍रत्न‍के ‍ लदभ, हदवन, ऄन्य‍मंि, श्‍लोक, यंि, सदधनद‍एिं‍ईपदयों‍के ‍लदभ, प्रभदि‍आत्यददी‍के ‍संकलन, प्रमदण‍पढ़ने, संपददन‍में, वडजदइन‍ में, टदइपींग‍ में, हप्रटटग‍ में, प्रकदशन‍ में‍ कोइ‍ िररट‍ रह‍ गइ‍ हो, तो‍ ईसे‍ ियं‍ सरधदर‍ लें‍ यद‍ फ़कसी‍ योग्य‍ ज्योवतषी, गररु‍यद‍विद्वदन‍से‍ सलदह‍विमशण‍ कर‍ले‍ ।‍क्योफ़क‍विद्वदन‍ज्योवतषी, गररुजनो‍एिं‍ सदधको‍के ‍वनजी‍ऄनरभि‍ विवभन्न‍रत्न, मंि, श्लोक, यंि, सदधनद, ईपदय‍के ‍प्रभदिों‍कद‍िणणन‍करने‍ में‍ भेद‍होने‍ पर‍‍कदमनद‍वसवि‍हेतर‍ फ़क‍जदने‍ िदले‍ईपदयों, पूजन‍विवध‍एिं‍ईसके ‍प्रभदिों‍में‍वभन्नतद‍संभि‍हैं।

आऩका जीवन सख ु भम, भॊगरभम हो ऩयभात्भा से मही प्राथना हैं…

च

हभायी शब ु काभनाएॊ आऩके साथ हैं…..

त ॊ न जोशी



6

ददसम्फय-2016

***** यत्न धायण कयने से सॊफॊचधत सू ना*****  पविकद में प्रकदवशत रत्न‍से संबंवधत‍सभी‍जदनकदरीयदं‍ गररुत्ि‍कदयदणलय‍के ऄवधकदरों के सदथ अरवक्षत हैं।  पविकद में प्रकदवशत िर्तणत‍रत्न‍के ‍प्रभदि‍को‍नदव तक/ऄविश्वदसर‍ व्यवि मदि पठन‍सदमग्री‍समझ सकते‍ हैं।  रत्न‍विज्ञदन‍ज्योवतष‍से‍संबंवधत‍होने‍के ‍कदरण‍भदरवतय‍ज्योवतष‍शदस्त्रों‍से‍प्रेररत‍होकर‍रत्नो‍के ‍प्रभदि‍ की‍जदनकदरी‍दी‍गइ‍हैं।‍  रत्नो‍के ‍प्रभदि‍से‍ संबंवधत‍विषयो‍फ़क‍सत्यतद‍ऄथिद‍प्रदमदवणकतद‍पर‍फ़कसी‍भी‍प्रकदर‍फ़क‍वजन्मेददरी‍ कदयदणलय‍यद‍संपददक‍की‍नहीं‍हैं।  रत्नो‍के ‍प्रभदि‍से‍ की‍प्रदमदवणकतद‍एिं‍ प्रभदि‍की‍वजन्मेददरी‍लेखक, कदयदणलय‍यद‍संपददक‍फ़क‍नहीं‍हैं‍ और‍ नद‍ हीं‍ प्रदमदवणकतद‍ एिं‍ प्रभदि‍ की‍ वजन्मेददरी‍ बदरे ‍ में‍ जदनकदरी‍ देने‍ हेतर‍ लेखक, कदयदणलय‍ यद‍ संपददक‍फ़कसी‍भी‍प्रकदर‍से‍बदध्य‍हैं।  रत्नो‍ से‍ संबंवधत‍ लेखो‍ में‍ पदठक‍ कद‍ ऄपनद‍ विश्वदस‍ होनद‍ न‍ होनद‍ ईनकी‍ आछिद‍ एिं‍ अिश्यक‍ पर‍ वनधदणररत‍हैं।‍फ़कसी‍भी‍व्यवि‍विशेष‍को‍फ़कसी‍भी‍प्रकदर‍से‍ आन‍विषयो‍में‍ विश्वदस‍करने‍ नद‍करने‍ कद‍ ऄंवतम‍वनणणय‍ ियं‍कद‍होगद।  रत्नों‍की‍जदनकदरी‍से‍संबंवधत‍पदठक‍द्वदरद‍फ़कसी‍भी‍प्रकदर‍फ़क‍अपिी‍ िीकदयण‍नहीं‍होगी।  रत्नों‍से‍ संबंवधत‍लेख‍हमदरे िषो के ऄनरभि एिं ऄनरशंधदन के अधदर पर फ़दए‍गए‍हैं।‍हम फ़कसी भी व्यवि विशेष द्वदरद प्रयोग फ़कये जदने िदले‍ रत्न, मंि- यंि यद ऄन्य प्रयोग यद ईपदयोकी वजन्मेददरी नहह लेते हैं। यह वजन्मेददरी‍रत्न, मंि-यंि यद ऄन्य प्रयोग यद ईपदयोको करने िदले व्यवि फ़क ियं की होगी। क्योफ़क‍आन‍विषयो‍में‍नैवतक‍मदनदंडों , सदमदवजक , कदनूनी वनयमों के वखलदफ कोइ‍व्यवि‍यफ़द‍नीजी‍ िदथण‍पूर्तत‍हेतर‍प्रयोग‍कतदण‍हैं‍ऄथिद प्रयोग के करने मे िररट होने पर प्रवतकू ल पररणदम संभि हैं।  रत्नो‍ से संबंवधत‍ जदनकदरी‍ को‍ मदन‍ ने‍ से‍ प्रदि‍ होने‍ िदले‍ लदभ, हदनी‍ फ़क‍ वजन्मेददरी‍ कदयदणलय‍ यद‍ संपददक‍फ़क‍नहीं‍हैं।  हमदरे द्वदरद पो ट फ़कये गये सभी‍मंि-यंि यद ईपदय हमने सैकडोबदर ियं पर एिं ऄन्य हमदरे बंधरगण पर प्रयोग फ़कये हैं वज से हमे हर प्रयोग यद मंि-यंि यद ईपदयो द्वदरद वनवित सफलतद प्रदि हुइ हैं।  रत्न‍धदरण‍करने‍से‍पूि‍ण फ़कसी‍जदनकदर‍ज्योवतषी‍रत्न‍विशेज्ञ‍की‍सलदह‍ऄिश्यलें। ऄवधक जदनकदरी हेतर अप कदयदणलय‍में संपकण कर सकते हैं। (सभी वििददो के वलये के िल भरिनेश्वर न्यदयदलय ही मदन्य होगद।)

ददसम्फय-2016

7

यत्नों का अद्भत ु यहस्म

च यत्नो

के

ऩड़ने

वारे

भानव शुब-अशुब

प्रबाव प्रबाव

जीवन एवॊ

यत्नो

त ॊ न जोशी

ऩय की

उऩमोचगता को हजायो वषा ऩूवा हभाये विद्वदन ऋवष-भुतनमों

ने अध्ममन कय जान सरमा था। उन ऋवष-भुतनमों ने अऩने मोग फर एवॊ ऄवद्ववतय अध्ममन से प्राप्त ऻान को

एकत्रित कय ववसबडन ग्रॊथो एवॊ शास्िो की य ना की। हभाये भागादशान हे तु उन ऋवष-भुतनमों ने ग्रॊथो भें यत्नों

के ववसबडन उप्मोगीता एवॊ प्रबाव का ववस्तत ृ वणा बी फकमा। स्जससे भनुष्म अऩनी आवश्मक्ता के अनुशाय ववसबडन यत्नो के भाध्मभ से अऩने कामा उद्देश्म भें सपरता प्राप्त कय सके। ज्मोततष विद्वदन एवॊ यत्न ववशेषऻ के भत से यत्न

हषािभ ् काम्मभोजस्मभ ् यत्नाबयिधायिभ ्॥

घायण कयने से जीवन के ववसबडन ऺेिों भें इस्छित

ग्रहदृष्ष्िहयभ ् ऩुष्ष्िकयभ ् द्ु खप्रिाशनभ ् ।

ऩरयवतान फकमा जा सकता हैं। क्मोफक यत्न ववऻान एक

ऩाऩदौबााग्मशभनभ ् यत्नाबयिधायिभ ्॥

प्र ीन विद्यद हैं। यत्नों के विषम भें भणि भारा ग्रन्थ भें उल्रेख हैं:-

भाणिक्मभ ् तयिे् सुजात्मभभरभ ्

भुक्तापरभ ् शीतगोभााहेमस्म च विद्रभ ु ो ननगददत् सौम्मस्म गारुत्भतभ ्।

दे िेज्मस्म च ऩुष्ऩयागभसुयाचारूमासम िज्रभ ् शनेनीरभ ् ननम्भारभन्ममोश्च गददते गोभेदिैदर्यू माके॥

अथाात ्: ग्रहों के ववऩयीत होने ऩय उडहें शाडत कयने के सरए यत्न ऩहने जाते हैं। सम ू ा के ववऩयीत होने ऩय तनदोष भाणणक,

डर के ववऩयीत होने ऩय उत्तभ भोती, भॊगर

अथाात ्:

यत्न

जड़ड़त

आबूषण

को

घायण

(भणि भारा) कयने

ऩय

सम्भान, मश, ददधाामु, धन, सुख औय धन भें ववृ ि होती है तथा सबी प्रकाय की इछिाओॊ की ऩूतता

होती है । ऐसा

कयने से ग्रह के ववऩयीत प्रबाव कभ होते हैं शयीय ऩुष्ठ होता है तथा द्ु ख, ऩाऩ एॊव दब ु ााग्म का नाश होता हैं।

यत्नेन शुबेन शुबभ ् बिनत नृऩािाभननष्तभशुबेन। मस्भादत् ऩयीक्ष्मं दै िं यत्नाश्रश्रतभ ् तज्ऻै॥ अथाात ्: शुब, स्वछि व उत्तभ श्रेणी के यत्न धायण कयने

के सरए भॊग ू ा, फधु के सरए ऩडना, फह ृ स्ऩतत के सरए

से याजाओॊ का बाग्म शुब तथा अतनष्ट कायक यत्न

सरए नीरभ, याहु के सरए गोभेद एॊव केतु के ववऩयीत होने ऩय रसुतनमा घायण कयना ादहए। (भणण भारा)

ऩय अवश्म ध्मान दे ना

ऩुखयाज, शुक्र के सरए हीया, शतन को शाडत कयने के

धन्मभ ् मश्स्मभामुष्मभ ् श्रीभद् व्मसनसूदनभ ्।

ऩहनने से अशुब बाग्म होता है । अत् यत्नों की गुणवत्ता ऩयखकय ही यत्न दे ना तनदहत होता है ।

ादहए दै वऻ को खूफ जाॉ -

ादहए, क्मोंफक यत्न भें बाग्म

ददसम्फय-2016

8

प्रकृतत ने भानुष्म के ववसबडन ववकायो के तनवायण के सरए कुदयत के अतत अनभोर उऩहाय के रूऩ भें ववववध

प्रकाय के यत्न प्रदान फकए हैं, जो हभें बूसभ (यत्नगबाा), सभुर (यत्नाकय) आदद ववववध स्िोतों से प्राप्त होते हैं। कौदिल्मजी का कथन हैं:-

खनन् स्रोत् प्रकीिाकं च मोनम्।

अथाात ्:मे यत्न हभाये हय ववकाय को दयू कयने भें सऺभ हैं।

ाहे ववकाय बौततक हो मा आध्मास्त्भक। फकसी यत्न

ववशेष के फाये भें जानने से ऩूवा भूर यत्नों को जानना

आवश्मक है । विद्वदनो ने भूर यत्नो फक सॊख्मा 21 फताई हैं। 1)

हीया (वज्र),

2)

नीरभ (इडरनीर),

3)

ऩुखयाज

4)

ऩडना (भयकत),

5)

भाणणक,

6)

(रुचधय यत्न, )

7)

वैदम ु ,ा रहसुतनमा,

8)

कटै रा,

9)

ववभरक ( भकीरा यत्न)

10)

याजभणण,

11)

स्पदटक,

12)

डरकाडतभणण,

13)

सौगस्डधक,

14)

गोभेद,

15)

शॊखभणण,

16)

भहानीर,

17)

ब्रह्भभणण,

18)

ज्मोततयस,

19)

सस्मक,

20)

भोती व

21)

प्रवार (भॉग ू ा)।

इन २१ यत्नो को बाग्म ववृ ि हे तु उत्तभ एवॊ धायण कयने मोग्म भाना गमा हैं।

साभान्मत् एसी भाडमता हैं की ऩथ् ृ वी से भूर रूऩ भें

प्राप्त होने वारे प्रभुख यत्न 21 ही हैं। रेफकन 21 भर ू यत्नों के अरावा इनके 21 उऩयत्न बी हैं। विद्वदनो के

भत से यत्नों की सॊख्मा 21 ही होने का कायण है। स्जस प्रकाय भनुष्म को दै दहक, दै ववक तथा बौततक रूऩ से तीन

तयह की व्माचधमाॉ िस्त कयती हैं उसी प्रकाय से इडहीॊ तीन प्रकाय की उऩरस्धधमाॉ होती हैं औय इॊगरा, वऩॊगरा औय सुषुम्ना इन तीन नाड़ड़मों से इनका उऩ ाय होता है ।

इसी प्रकाय एक-एक ग्रह से उत्ऩडन तीनों प्रकाय

की व्माचधमों एवॊ उऩरस्धधमों को आत्भसात ् मा ऩये कयने के सरए एक-एक ग्रह को तीन-तीन यत्न प्राप्त हैं। ध्मान यहे , ग्रह बी भूर रूऩ से भाि सात ही हैं।

सम ू ,ा डर, भॊगर, फध ु , गरु ु , शक्र ु एवॊ शतन औय याहु एवॊ केतु की अऩनी कोई स्वतडि सत्ता न होने से इनकी

गणना भर ू ग्रहों भें नहीॊ होती है । इडहें िामा ग्रह कहा

जाता है । इस प्रकाय एक-एक ग्रह के तीन-तीन यत्न के दहसाफ से सात ग्रहों के सरए 21 भर ू यत्न तनस्श् त हैं।

अस्त,ु मे भर ू यत्न स्जस रूऩ भें ऩथ् ृ वी से प्राप्त

होते हैं, उसके फाद इडहें ऩरयभास्जात कयके शि ु कयना ऩड़ता है तथा फाद भें इडहें तयाशा जाता है ।

***

गररुत्ि‍कदयदणलय‍में जन्म करं डली द्वदरद रत्न-रुद्रदक्ष-यंि-किच आत्यदफ़द परदमशण मदि RS:- 750 550*

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ददसम्फय-2016

9

यत्नो की उत्ऩस्त्त

च

त ॊ न जोशी

यत्नों का सॊसाय अतत फहुत प्रा ीन एवॊ अद्द्द्भत ु हैं। यत्नो की उत्ऩस्त्त के ववषम भें अनेको भाडमताएॊ एवॊ

दै त्मयाज फसर की कथा:

कथाएॊ हैं। वह ृ द सॊदहता, बावप्रकाश, अस्ग्न ऩुयाण, गरुड़

दै त्मयाज फसर से तीन ऩग बूसभ भाॉगी। ऩहरे ऩग भें ऩूया

ऩुयाण, यस यत्न सभुछ म, आमुवेद प्रकाश, दे वी बागवत, भहाबायत, ववष्णु धभोत्तय आदद गॊथो भें यत्नों का वणान फकमा गमा है ।

बगवान ववष्णु ने वाभन अवताय धायण कयके

ब्रह्भाॊड, दस ू ये ऩग भें ऩातार सदहत सभस्त ऩथ् ृ वी ऩय तीसये ऩग भें दै त्मयाज फसर ने वाभनजी को अऩना शयीय

अऩाण कय ददमा। बगवान ववष्णु का ऩैय फसर के शयीय

अस्ग्न ऩयु ाण:

एक फाय भहाफरी असुययाज वि ृ ासुय ने दे वरोक

ऩय आक्रभण कय ददमा। तफ बगवान श्री ववष्णु ने इडर को सुझाव ददमा की भहवषा दधीच

की हड्ड़डमों से वज्र

ऩय यखते ही फरी का शयीय यत्नो का फन गमा। उसके े़ े़ फाद भें दे वयाज इडर ने फसर के शयीय के टुकडे-टुकडे कय े़ ददए। फसर के शयीय के टुकडे सबी अॊगों से अरग-अरग यॊ ग-रूऩ व गुण के यत्न फन गए।

फपय बगवान सशव ने उन यत्नों को अऩने त्रिशूर

अस्ि फनामा जाए। दे वताओॊ की प्राथाना सुनकय भहाभुतन

ऩय स्थावऩत कयके फपय उन त्रिशूर ऩय नौ ग्रहों एवॊ फाहय

भहवषा दधीच

ऩय

दधीच

ने अऩना शयीय दे वताओॊ को बेट स्वरुऩ दे ददमा। की हड्ड़डमों से इडर दे व ने वज्र फनाकय

यासशमों का प्रबुत्व स्थावऩत फकमा। इसके फाद उडहेँ ऩथ् ृ वी ाय ददशाऑ ॊ भें चगया ददमा। परस्वरूऩ ऩथ् ृ वी ऩय

फपय इसी वज्र से दे वताओॊ ने वि ृ ासयु का वध

ववसबडन यत्नों के बॊडाय उत्ऩडन हो गएॊ। कुि विद्वदनो के

की अस्स्थमों के, जो अस्स्थमों के अॊश ऩथ् ृ वी ऩय

का प्रादब ु ााव हुआ। तो कुि विद्वदनो का भत हैं की याजा फसर शयीय के टुकडों से 84 प्रकाय के यत्नों का प्रादब ु ााव

फकमा। इडर द्वदरद अस्ि (वज्र) के तनभााण के सभम दधीच

चगये थे उनसे यत्नों की खानें फन गईं। कुि विद्वदनो के भत से उस अस्स्थमों के अॊश ऩथ् ृ वी ऩय चगयने से हीये की खाने फन गईं। इस सरए हीया सफसे अचधक कठोय कोई

भत से याजा फसर शयीय के टुकडों से 21 प्रकाय के यत्नों

हुआ था।  जहाॉ फसर का यक्त चगया वहाॉ भाणणक्म की उत्ऩस्त्त

ऩदाथा हैं।

सभर ु भॊथन की कथा :

ऩुयाण के अनुशाय दे वताओॊ औय याऺसों ने जफ

सभुर भॊथन फकमा तफ अभत ृ करश प्रकट हुआ तो असुय उस अभत ृ को रेकय बाग गए। दे वताओॊ ने उनका ऩीिा फकमा औय दे वता व याऺसों भें िीना-झऩटी हुई स्जस भें अभत ृ की कुि फूॊदें िरक कय ऩथ् ृ वी ऩय चगयीॊ। काराॊतय

भें अभत ृ की मे फूॊदें सभट्टी भें सभरकय यत्नों भें ऩरयवततात हो गएॊ।



हुई। जहाॉ फसर का भन, दाॊत चगया वहाॉ भोतत की उत्ऩस्त्त



हुई। जहाॉ फसर की अॊतड़ड़मों चगयी वहाॉ भूॊगे की उत्ऩस्त्त

 

हुई। जहाॉ फसर का वऩत्त चगया वहाॉ ऩडना की उत्ऩस्त्त हुई। जहाॉ फसर का भाॊस चगया वहाॉ ऩुखयाज की उत्ऩस्त्त



हुई। जहाॉ फसर का हड्ड़डमाॊ चगयी वहाॉ हीये की उत्ऩस्त्त



हुई। जहाॉ फसर का नेि चगयी वहाॉ तनरभ की उत्ऩस्त्त हुई।

ददसम्फय-2016

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आ ामा वयाहसभदहय ने अऩने ग्रॊथ वह ृ द्द्सॊदहता भें

21 यत्नों की उत्ऩस्त्त का कायक दै त्मयाज फसर को भाना हैं। उसके ऩश् ात दे वताओॊ के कल्माण के सरए अऩनी अस्स्थमाॊ दान कय दे ने वारे भहवषा दधी ी की हड्ड़डमों से बी अनेक यत्नों की उत्ऩस्त्त हुई।

जफ वहॊ साभाडम ऩत्थयो से अरग कुि ववशेष प्रकाय के तत्व मुक्त होता हैं तफ वहॊ एक ववशेष यत्न कहराता हैं।

हय यत्न की एक ववशेषताएॊ होती हैं जो उसे अडम यत्न से अरग कयता हैं।

उक्त कथा को सत्म भानना आज आज के आधतु नक मग ु भें कदठन हो जाता हैं। आजकी आधतु नक शैऺणणक ऩितत से सशऺा ग्रहण कय

वैऻातनक भत से कोई ऩत्थय यत्न तफ कहराता हैं

क ू े विद्वदन व

जानकायो की भाने तो मह सॊबॊव ही नही हैं, क्मोकी की कैसे फकसी के शयीय के सबडन दहस्से जैसे खन से ू

भाणणक्म, दाॊत से भोतत, आॊत से भूॊगा, वऩत्त से ऩडना आदद फन सकता हैं?

भोतत का तनभाण तो सभुर भें एक ववशेष प्रकाय

के जीव द्वदरद होता हैं।

वैऻातनक भत हैं की ऩथ् ृ वी के गबा भें अस्ग्न के

प्रबाव से ऩदाथा के ववसबडन तत्व यासामतनक प्रफक्रमा

द्वदरद यत्न फन जाते हैं। मही कायण हैं की हय यत्न

ववशेष प्रकाय के ववसबडन यासामतनक मौचगक भेर से फनता हैं। फकसी एक यासामतनक तत्व से यत्न नहीॊ फन सकता। स्थान की सबडनता से ववववध यासामतनक तत्वों के सॊमोग की सबडनता के कायण ही यत्नों के यॊ ग, रूऩ, कठोयता व

भक भें अॊतय होता हैं।

गणेश रक्ष्भी मॊि

भूॊगा बी एक प्रकायका जैववक यत्न हैं जो सभुर

भें एक ववशेष प्रकाय के कीड़े होते हैं जो अऩने सरए घय

फनाते हैं, उसी को भूॊगा कहा जाता हैं। इस के अरावा

प्राम् अडम सबी यत्न खतनज यत्न हैं जो ऩथ् ृ वी के गबा से प्राप्त होते हैं।

मदह कायण हैं की उक्त कथा को सत्म भानना कदठन हैं। क्मोफक उसे सत्म भानने हे तु आज हभाये ऩास ऩमााप्त ऩुयावे व जानकायीमों का अबाव हैं। उक्त कथाओॊ को ऩयु ाणों भें उल्रेणखत कथा मा जानकायी के सरमे ऩढीॊ व भानी जा सकती हैं रेफकन वास्तववकता जोडना भुस्श्कर हो सकता हैं। क्मोफक आज का सभम वैऻातनक ससिाॊतो एवॊ तथ्मो ऩय आधायीत हो गमा हैं। आज ववऻान भें हय ददन नमे-नमे शोध कामा एवॊ प्रमोग होते हैं। स्जसका ऩरयणाभ मह हैं की आज हय ऩीरा ददखने वारा यत्न ऩुखयाज नहीॊ होता। हय ऩीरा ददखने वारे यत्न जैसे ऩुखयाज, सुनहरा, टोऩाज़ आदद भें अॊतय कयने भें सभथा हैं।

प्राण-प्रततस्ष्ठत गणेश रक्ष्भी मॊि को अऩने घयदक ू न स्थान, गल्रा मा ु ान-ओफपस-पैक्टयी भें ऩज अरभायी भें स्थावऩत कयने व्माऩाय भें ववशेष राब

प्राप्त होता हैं। मॊि के प्रबाव से बाग्म भें उडनतत, भान-प्रततष्ठा एवॊ व्माऩय भें ववृ ि होती हैं एवॊ आचथाक स्स्थभें सुधाय होता हैं। गणेश रक्ष्भी मॊि को स्थावऩत

कयने से बगवान गणेश औय दे वी रक्ष्भी का सॊमुक्त आशीवााद प्राप्त होता हैं।

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ददसम्फय-2016

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यत्न का ऩूणा प्रबावी कार ?

 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी आऩने अऩने जीवन भें कबी महॊ भहसूस फकमा हैं,

की जो यत्न आऩने धायण फकमा हैं, उसका प्रबाव एक तनस्श् त सभम अवचध तक ही ऩूणा यहता हैं। उस सभम

सीभा के ऩूणा होते ही धीये -धीये उस यत्न का प्रबाव कुि

प्रबावो से सम्भुणखन होता हैं। स्जस कायण से उस व्मस्क्तका यत्नों ऩय से ववश्वास कभ हो जाता हैं मा टूट जाता हैं।

यत्नो के ववषम भें विद्वदन ज्मोततषो का बी मह

कभ हो जाता हैं मा यत्न का प्रबाव धायण कयने के

ससिाॊत यहा हैं। फकसी बी व्मस्क्त का ऩहना मा इस्तेभार

होता! मह एक साभाडम तनमभ हैं, शामद आऩने अनुबव

से मह साभने आमा हैं की फकसी व्मस्क्त का ऩहना यत्न

हैं।

स्थान ऩय अशब ु एवॊ ववऩयीत ऩयीणाभ दे ता हैं।

सभम स्जतना अनुबव हो यहाथा उतना अनुबव नहीॊ न फकमा हो रेकीन मह ऩूणा अनुबूत व शास्िोक्त ससिाॊत क्मा आऩ ने कबी अनब ु व फकमा हैं, फक आऩने

जो यत्न आऩने ऩहना हैं, वह उछ

कोटी का होने ऩय बी

अऩना प्रबाव नहीॊ ददखा यहा मा आऩ की अऩेऺा से कभ ददखा यहा हैं मा आऩ को शब ु पर की जगा ऩय अशब ु एवॊ नकायात्भक प्रबाव ददख यहा हैं। आऩने यत्न स्जस

फकमा गमा यत्न नहीॊ ऩहन ना उछ

ादहमे। क्मोफक अनुबवो

कोटी का होकय बी प्रबाव नहीॊ ददखाता मा राब के

कुि ज्मोततष अऩनी दक ु ान

राने के सरमे एवॊ कभ

सभम भें ज्मादा से ज्मादा भन ु ापा कभाने के सरमे रोगो भें भ्रभ ऩैदा कय यहैं हैं की तनम्न कोटी को यत्न मा उऩयत्न प्रबाव नहीॊ दे ते। केवर उछ

कोटी का यत्न ही

स्थान से खयीदा हैं वह आऩने नमा यत्न हैं इस धायणा

आऩको काभ कये गा/मा भें जो यत्न दे यहा हुॊ वो यत्न ही सही हैं मा आऩको मही यत्न काभ कयें गा औय कोई यत्न

से खयीदा हैं रेफकन वह आऩकी गरत धायण हैं। कई

काभ नहीॊ कयें गा इस प्रकाय की च कनी- ऩ ु ड़ी फाते फना

जौहयी एक ही यत्न को फाय-फाय रगाताय एक ग्राहक से दस ू ये ग्राहक को फे ते हैं।

के रोगो को भ्रभीत एवॊ गरत भाग्रदशान दे यहे हैं। महाॊ हभ स्ऩष्ट कयना

ाहते हैं की यत्न ऐक

एक व्मस्क्त ने धायण फकमा हुवा यत्न कुि सभम के ऩश् मात उस के खयीद भूरम से कुि धन याशी

ववऻान हैं, मे फकसी व्मस्क्त ववशेष के दे ने ऩय ही काभ कये गा एसा कोई ससिाॊत नहीॊ हैं। आऩ कही से बी दोष

काटकय फदरी कयके नमा दे ते हैं मा ऩैसे दे कय ऩुयाने

यहीत यत्न खयीद कय धायण कय सकते हैं। अगय आऩ

यत्न खयीदते हैं। इस तयहा कबी-कबी यत्न ववक्रेता राखो

यत्न खयीद ने भें असभथा हो तो त्रफना फकसी ऩये शानी के

रूऩमे के भुल्म का यत्न हजायो भें /मा हजायो के भुल्म का

ऩूणा ववश्वास से उऩयत्न बी धायण कय सकते हैं एवॊ शुब

यत्न कुि सौ रूऩमो भें खयीद के उस यत्न को वाऩस

पर प्राप्त कय सकते हैं।

राखो एवॊ हजायो भें फे ते हैं।

मदद आऩ को सॊदेह हैं की कोई यत्न आऩके सरमे

इस तयह फे े हुए भार को फाय-फाय रगाताय फे ते यहते हैं। स्जससे यत्न का प्रबाव कभ होता रा

अनुकूर होगा मा नहीॊ एसी स्स्थसर भें आऩ भहॊ गे यत्न

जाता हैं, औय व्मस्क्त

मा उऩयत्न धायण कये स्जस्से आऩ को ऩता

ववशेष यत्न के शुब एवॊ अनुकुर

प्रबावो से वॊच त यह जाता हैं मा कबी-कबी प्रततकूर

खयीद कय धायण कय ने के फजाम कभ भूल्म वारे यत्न रे की यत्न

आऩ को शुब पर दे ता हैं मा अशुब पर प्रदान कयता हैं।

ददसम्फय-2016

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आऩके भागादशान हे तु यत्नो की ऩण ू ा प्रबावी होने की सभम अवचध दशाामी जा यही हैं। यत्न एवॊ उऩयत्न

उत्तभ कोदट

तनम्न कोदट

भाणणक्म

4 वषा 4 भाह

2 वषा 2 भाह

ताभडा] सम ा ाॊत भणण ू क

1 वषा

&

भोतत

2 वषा 2 भाह

1 वषा 1 भाह

1 वषा

-

3 वषा 3 भाह

1 वषा 7 भाह

3 वषा 3 भाह

1 वषा 7 भाह

ऩडना के उऩयत्न

1 वषा

&

ऩख ु याज

4 वषा 4 भाह

2 वषा 2 भाह

सन ु हरा

1 वषा 1 भाह

&

हीया

7 वषा 7 भाह

3 वषा 10 भाह

जयकन

1 वषा 6 भाह

&

तनरभ

5 वषा 5 भाह

2 वषा 8 भाह

तनरभ के उऩयत्न

1 वषा

गोभेद

3 वषा 3 भाह

1 वषा 7 भाह

रहसतु नमा

3 वषा 3 भाह

1 वषा 7 भाह

ॊरकाॊत भणण भॊग ू ा ऩडना

उक्त सभम अवचध के ऩश् मात यत्न को फरद दे ना

कयवा कय

त ै डम मक् ु त कयवा रेना

ादहए मा फकसी जानकाय से ऩन ू ् शोधन

ादहए। मह एक अनब ु त ू ससद्द्वाॊत हैं की यत्न का प्रबाव तनधाारयत

सभम अवचधतक ही सससभत यहता हैं एवॊ फकसी के द्वदरद व्मवहाय मा धायण फकमा गमा यत्न दस ू ये

व्मस्क्त के धायण कयने से उच त राब प्राप्त नहीॊ होता अवऩतु प्रततकूर ऩरयणाभ प्राप्त होते दे खे गए हैं। ऩयॊ तु इस भत से कुि ज्मोततष के जानकाय व यत्न ववक्रेता का भत सबडन हैं।

ददसम्फय-2016

13

विद्यद प्रदवि‍हेतर‍सर िती‍किच‍और‍यंि आज के आधतु नक मग भें ु

आवश्मकताओॊ भें से

एक

सशऺा प्रास्प्त जीवन की भहत्वऩण ू ा

है । दहडद ू धभा भें

विद्यद की अचधष्ठािी दे वी

सयस्वती को भाना जाता हैं। इस सरए दे वी सयस्वती की ऩज ा ा ू ा-अ न से कृऩा प्राप्त कयने से फवु ि कुशाग्र एवॊ तीव्र होती है । आज के सवु वकससत सभाज भें

ायों ओय फदरते ऩरयवेश एवॊ

आधतु नकता की दौड भें नमे-नमे खोज एवॊ सॊशोधन के आधायो ऩय

फछ ो के फौचधक स्तय ऩय अछिे ववकास हे तु ववसबडन ऩयीऺा, प्रततमोचगता एवॊ प्रततस्ऩधााएॊ होती यहती हैं, स्जस भें फछ े का

फवु िभान होना अतत आवश्मक हो जाता हैं। अडमथा फछ ा

ऩयीऺा, प्रततमोचगता एवॊ प्रततस्ऩधाा भें ऩीिड जाता हैं, स्जससे

आजके ऩढे -सरखे आधतु नक फवु ि से सस ु ॊऩडन रोग फछ े को भख ू ा अथवा फवु िहीन मा अल्ऩफवु ि सभझते हैं। एसे फछ ो को हीन

बावना से दे खने रोगो को हभने दे खा हैं, आऩने बी कई सैकडो फाय अवश्म दे खा होगा?

ऐसे फछ ो की फवु ि को कुशाग्र एवॊ तीव्र हो, फछ ो की

फौविक ऺभता औय स्भयण शस्क्त का ववकास हो इस सरए

सयस्वती कव

अत्मॊत राबदामक हो सकता हैं।

सयस्वती कव

को

दे वी सयस्वती के ऩयॊ भ दर ा तेजस्वी ू ब

भॊिो द्वदरद ऩण ू ा भॊिससि औय ऩण ू ा

त ै डममक् ु त फकमा जाता हैं। स्जस्से

जो फछ े भॊि जऩ अथवा ऩज ा ा नहीॊ कय सकते वह ववशेष राब ू ा-अ न

प्राप्त कय सके औय जो फछ े ऩज ा ा कयते हैं, उडहें दे वी सयस्वती ू ा-अ न

सयस्वती कव

सयस्वती कव

की कृऩा शीघ्र प्राप्त हो इस सरमे सयस्वती कव

अत्मॊत राबदामक होता हैं।

औय मॊि के ववषम भें अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

: भल् ू म: 550 औय 460

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सयस्वती मॊि :भल् ू म : 370 से 1450 तक

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ददसम्फय-2016

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दस महद विद्यद पूजन यंि Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra

दस महद विद्यद पूजन यंि को देिी दस महद विद्यद की शवियों से यरि ऄत्यंत प्रभदिशदली और दरलणभ यंि मदनद गयद हैं। आस यंि के मदध्यम से सदधक के पररिदर पर दसो महदविद्यदओं कद अवशिदणद प्रदि होतद हैं। दस महद विद्यद यंि के वनयवमत पूजन-दशणन से मनरष्य की सभी मनोकदमनदओं की पूर्तत होती हैं। दस महद विद्यद यंि सदधक की सम त आछिदओं को पूणण करने में समथण हैं। दस महद विद्यद यंि मनरष्य को शविसंपन्न एिं भूवमिदन बनदने में समथण हैं। दस महद विद्यद यंि के श्रिदपूिणक पूजन से शीघ्र देिी कृ पद प्रदि होती हैं और सदधक को दस महद विद्यद देिीयों की कृ पद से संसदर की सम त वसवियों की प्रदवि संभि हैं। देिी दस महद विद्यद की कृ पद से सदधक को धमण, ऄथण, कदम ि् मोक्ष चतरर्तिध पररुषदथों की प्रदवि हो सकती हैं। दस महद विद्यद यंि में मदाँ दरगदण के दस ऄितदरों कद अशीिदणद समदवहत हैं, आस वलए दस महद विद्यद यंि को के पूजन एिं दशणन मदि से व्यवि ऄपने जीिन को वनरं तर ऄवधक से ऄवधक सदथणक एिं सफल बनदने में समथण हो सकतद हैं। देिी के अवशिदणद से व्यवि को ज्ञदन, सरख, धनसंपदद, ऐश्वयण, रूप-सौंदयण की प्रदवि संभि हैं। व्यवि को िदद-वििदद में शिरओं पर विजय की प्रदवि होती हैं। दश महदविद्यद को शदस्त्रों में अद्यद भगिती के दस भेद कहे गये हैं, जो क्रमशः (1) कदली, (2) तदरद, (3) षोडशी, (4) भरिनेश्वरी, (5) भैरिी, (6) विन्नम तद, (7) धूमदिती, (8) बगलद, (9) मदतंगी एिं (10) कमदवत्मकद। आस सभी देिी िरुपों को, सवम्मवलत रुप में दशमहदविद्यद के नदम से जदनद जदतद हैं। भल् ू म:- Rs.2350 से 12500 तक उप्रधि >> Shop Online

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84 प्रकाय के यत्न औय उऩयत्न

च

त ॊ न जोशी

1. मदवणक्य (Ruby): मदवणक्य सूयण कद रत्न है। मदवणक्य

नीलम धदरण करने से नेि रोग, फ़दमदग की गमी, पदगलपन,

एक बहुमूल्य रत्न है। प्रदयः मदवणक्य रंग में यह गरलदबी ि

ज्िर, ऄजीणण, ईपदंश, खदंसी, वहचकी, मरंह से खून अनद,

लदल होतद है। औषधीय रूप से मदवणक्य में िदत, वऺपि, कफ

ईल्टी अफ़द रोगो में लदभप्रदि होतद हैं।

जवनत रोग को शदंत करने की शवि होती हैं। मदवणक्य क्षय

5. लहसरवनयद (Cat's Eye): यह के तर कद रत्न है। लहसरवनयद

रोग, बदन ददण, ईदर शूल, पक्षदघदत, चक्षर रोग, हर्तनयद,

दो प्रकदर के होते हैं। क्वदटणज लहसरवनयद(Quartz cat's eye)

कब्ज अफ़द रोग को दूर करतद हैं। आसके ऄलदिद मदवणक्य रििधणक, िदयरनदशक और ईदर रोग में लदभकदरी होतद हैं। मदवणक्य नेि ज्योवत को बढ़दने िदलद हैं तथद ऄवि, कफ, िदयर तथद वपि दोष कद शमन करतद है। मदवणक्य की भ म के सेिन से अयर की िृवि होती हैं। मदवणक्य की भ म शरीर में ईत्पन्न होने िदली ईष्णतद और जलन को दूर करती हैं। पौरदवणक मदन्यतद हैं की मदवणक्य घदि और विष प्रभदि अफ़द से सररक्षद में ईपयरि है। 2. हीरद (Diamond): हीरद शरक्र कद रत्न है। हीरद एक बहुमूल्य रत्न है। यह सफे द, हलकद पीलद, हलकद लदल, गरलदबी तथद हलके कदले रं ग कद होतद है। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से हीरद धदरण करने से विषैले जीि-जंतरओं कद भय नहीं रहतद। िृि व्यवि के हीरद धदरण करने से ईनके बल एिं सदहस में िृवि होती हैं। िंश-िृवि हेतर हीरद धदरण करनद ऄत्यंत लदभददयक होतद हैं। हीरद धदरण करनद शरक्र जवनत रोगों में ऄत्यंत लदभददयक मदनद जदतद है। 3. पन्नद (Emerald): पन्नद बरध कद रत्न है। आसकद रंग हरद होतद है। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से पन्नद धदरण करने से शदरीररक बल एिं सौदयण में िृवि होती हैं। पन्नद बरखदर, सवन्नपदत, ईल्टी, विष, बिदसीर, दमद, वमरगी, पदगलपन, अंिशोथ आत्यदफ़द रोगो में ऄवत

ओर क्रदयसोबेरील लहसरवनयद (Chrysoberyl Cat's Eye) आसकद रंग प्रदयः सरनहरी, पीलद, कदलद, सफे द, हरद, धूम्रिणण होतद हैं। वजस लहसरवनये में वबल्ली की अाँख जैसद सूत फ़दखलदइ पितद हो िह रत्न श्रेष्ठ होतद हैं। प्रदयः ईिम सूत िदले क्रदयसोबेरील लहसरवनयद ऄवधक मूल्यिदन होते हैं। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से िैदय ू ण रत्न धदरण करने से यह िदयर-गोलद तथद वपि जन्य रोगों कद नदशक होतद हैं। नेि रोग, मधरमेह, ईपदंश में लदभददयक होतद हैं। लहसरवनयद धदरण करने से पदंडररोग में शरीर कद पीलदपन शीघ्र कम होने लगतद हैं। पदचन शवि को बढदने में भी िैदय ू ण रत्न लदभकदरी हैं। 6. मोती (Pearl): मोती चंद्रमद कद रत्न है। मोती सफे द, कदलद, नीलद, पीलद, बैंगनी, हलकद गरलदबी तथद संतरंगी (आं द्रधनरषी) आत्यदफ़द रंग के होते हैं। ज्योवतषीय मदन्यतद के ऄनरसदर वजन लोगों कद मन ऄशदंत रहतद हैं और वजनको ऄवधक क्रोध अतद है ईन्हें मोती धदरण करने से विशेष लदभ प्रदि होते हैं। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से मोती विवभन्न रोगों को नदश करने में भी सहदयक होतद हैं। ज्िर में मोती धदरण करनद लदभप्रद रहतद हैं। मोती वमरगी, ईन्मदद, पथरी, अंिशोथ, ऄल्सर एिं पेट एिं अफ़द

लदभददयक हैं। पथरी, मूि रोग अफ़द में पन्नद की भ म

बीमदररयों में लदभददयी होतद हैं। यह हृदय गवत को वनयंिण करने में सहदयक होतद हैं।

लदभददयक होती हैं।

7. मूंगद (Coral): यह मंगल कद रत्न है। मूंगद मरख्यत लदल,

4. नीलम (Blue Saphire): नीलम शवन कद रत्न है। आसकद

हसदूरी, गेरूअ, सफे द, कदलद अफ़द वमलते-जरलते रंग में पदयद

रंग नीलद, बैंगनी एिं हलके असमदनी रंग कद भी होतद हैं।

जदतद हैं। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से

पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से शवन रत्न

पीवलयद, वमरगी ि हृदय रोग में भी मूंगे की भ म कद सेिन

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लदभकदरी रहतद हैं। बिदसीर में मूंगद ऄत्यंत लदभददयक होतद हैं। जदनकदरो के मतदनरशदर यफ़द पररदनद बिदसीर हो तो लगभग एक मदस हर फ़दन रदिी में मूंगे को पदनी में रदत भर डू बद कर रखदें ईस पदनी को सरबह पीने से बिदसीर जि से समदि हो जदतद हैं। मूंगे की भ म कद सेिन शदरीररक बल में िृवि करतद हैं। ईदर संबन्धी रोगों में भी आसकद सेिन लदभददयक होतद हैं। मूंगे को रदत में जल में डू बद कर रखकर सरबह आस जल को अंखों में लगदने से नेि ज्योवत तेज होती हैं। 8.परखरदज (Yellow Sapphire): यह देि गररु (बृह पवत) कद रत्न है। परखरदज रत्न को विद्वदन ग्रंथकदरो नें सभी रत्नों कद रदजद हैं। परखरदज पीले, सिे द, गरलदबी, हरद, के सररयद और नीले रंगों कद होतद हैं। एसी मदन्यतद हैं की फू लो के वजतने कर दरती रंग होते हैं, परखरदज भी ईतने ही रंग में पदयद जदतद हैं। पीले रंग कद परखरदज सिणश्रेष्ठ मदनद जदतद है। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से परखरदज पीवलयद,

होती हैं। गोमेद धदरण करने से पदचन शवि में सरधदर होतद हैं। 10. फ़िरोजद (Firoza / Turquoise): यह नीलम कद ईपरत्न है। फ़िरोजद असमदनी, रंग कद कर ि हरदपन वलए होतद है। वनशदपररी / इरदनी फ़फरोजद श्रेष्ठ होतद है। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से फ़िरोजद संक्रमण, उाँचद रिचदप, ऄ थम, ददाँत और मराँह की सम यद एिं सूयण के विफ़करण से रक्षद होती है। शरदब की लत िर डदने के वलए फ़क्र टल वचफ़कत्सकों द्वदरद फ़िरोजद की वसफदररश की जदती है। 11. लदलिी (Lalri): लदल, गरलदबी, कत्थइ रंग कद होतद हैं। यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। 12. जबरजद्द (Zabarjadd or Peridot): यह तोते जैसे हलके /गहरे हरे रंग कद होतद है। पौरदवणक मदन्यतद के

वतल्ली, पदंडू रोग, खदंसी, दन्त रोग, ऄल्सर, सवन्नपदत, मरख

ऄनरशदर औषधीय रूप से वमरगी रोग में लदभप्रद होतद हैं। यह बरध रत्न पन्नद कद ईपरत्न है।

की दरगणन्ध, बिदसीर, मन्ददवि, वपि-ज्िरदफ़द अफ़द कइ प्रकदर

13. ओपल यद ईपल (Opal): ओपल प्रदयः सभी रंगों में प्रदि

के रोगों के इलदज के वलए प्रयोग फ़कयद जदतद रहद हैं। गररु ग्रह को जीिनददतद मदनद गयद हैं। गररु िसद एिं ग्रंवथयों से सीधद

है। आस पर सब रंगों कद ऄसर पितद है। ओपल को शरक्र कद ईपरत्न हैं। कर ि पौरदवणक जदनकदरों ने ओपल को चंद्र कद ईपरत्न भी मदनद है। यह एक नरम पत्थर है।

संबंध रखतद है। आस वलये गलद रोग, सीने कद ददण, श्वदस रोग, िदयर विकदर, टीबी, हृदय रोग में परखरदज धदरण करने से लदभप्रद होतद है। पीले रं ग कद परखरदज मोटदपे को वनयंवित करने के वलए ईिम रत्न हैं एिं वजस व्यवि कद िद ्य दरबणल रहतद हों, ईन्हें ऄपनी सेहत में सरधदर के वलए परखरदज धदरण करनद भी लदभप्रद होतद हैं। परखरदज धदरण करने से रिचदप वनयंवित रहतद हैं।

14. तररमली (Tourmaline): तररमली विवभन्न रंग के रत्न प्रदि होते हैं। यह एक नरम पत्थर है। तररमली शरक्र कद ईपरत्न हैं। लेफ़कन आसके विवभन्न रंग के ऄनरशदर शरक्र के सदथ ऄन्य ग्रहों के संयोजन में भी धदरण करने की सलदह दी जदती हैं। हरद = शरक्र + बरध, पीलद = शरक्र + बृह पवत, नीलद = शरक्र + शवन, ब्रदईन (कत्थइ) = शरक्र + रदह, गरलदबी = शरक्र + सूयण

9. गोमेद (Gomed): यह रदहु कद रत्न है। गोमेद कद रंग

और मंगल ग्रह, सफे द = शरक्र + चंद्रमद (चंद्र)

शहद जैसद होतद है। शदस्त्रोि मत से गोमेद कद रंग गदय के मूि के रंग के समदन होने से आसे गोमेद कहद जदतद है। पौरदवणक मदन्यतद के ऄनरशदर औषधीय रूप से गोमेद धदरण

15. नरम यद नमण (Naram or Spinel Ruby): यह सूयण

करने से हृदय, चमण, नेि, वतल्ली, बिदसीर, पदंडररोग,

16. सरनहलद यद सरनैहलद (Sunehla or Golden Topaz /

रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। यह रत्न लदल जदणपन तथद श्यदमलतद वलए होतद है।

नकसीर, ज्िर, पैरों कद ददण एिं मदनवसक रोगों कद शमन

Citrine): यह गररु रत्न परखरदज कद ईपरत्न है। सरनहलद प्रदयः

होतद हैं। गोमेद धदरण करने से भ्रम जवनत रोगों कद नदश होतद हैं। गोमेद धदरण करने से ऄभक्ष्य खदद्य पददथो के

सरनहरी, हल्कद / गहरद पीलद होतद है। यह परखरदज कद

सेिन, नशद, बररी अदत, परस्त्री/परपररुष में असवि कम

ईपरत्न है।

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17. कटैलद यद कटहलद (Katela or Amethyst): यह शवन

पीली वमट्टी गहरे रंग की विशेष प्रकदर की रेखदएं बनी होती

रत्न नीलम कद ईपरत्न हैं। बैंगनी रंग कद यद नीले रंग कद होतद है। कम मूल्य के ऄवधकतर कटैलद दररंगे होते हैं। एक रंग कद कटैलद ईिम मदनद जदतद हैं।

हैं । प्रदयः मररयम बिदसीर / पदआल्स के रोगी हेतर लदभप्रद

18. संगवसतदरद यद वसतदरद (Gold Stone / Sitara) यह

धदरण करे तो, प्रसि के समय ददण कम होतद है !

ज्यदददतर गेरुअ रंग, भूरे रंग कद होतद है तथद ईसके चदरों

23. हसदरररयद / हसदूरी (Sinduriya): यह गरलदबी रंग कद

तरफ िणण / रजत कणों के समदन चमकीले िीटों होते हैं

कर ि सफे दी वलए होतद है। यह मंगल के रत्न मूंगे कद ईपरत्न है।

वजससे यह खरब चमकतद है। मदनवसक हतदशद और वनरदशद को दूरकरने में सहदयक मदनद जदतद हैं। 19. फरटक (Crystal or Rock Crystal):

फरटक रत्न

मदनद गयद हैं। संगेमररयम शदंवत के वलए भी धदरण फ़कयद जदतद हैं। ऄन्य मदन्यतद के ऄनरसदर यफ़द गभणिती मवहलद

24. कदकद नीली (Lolite /Kakanili): नीलद ि कदलद वमवश्रत िणण कद मरलदयम, हल्कद, पदनीददर, पदरदशी रत्न है।

प्रदयः पदरदशी ि रंगहीन चमकीलद होतद हैं लेफ़कन यह हल्के

यह शवन रत्न नीलम कद ईपरत्न है।

पीले, गरलदबी, मटमैले अफ़द रंग में भी पदयद जदतद हैं।

25. धरनेलद / धरनहलद (Dhunela or Smoky Quartz):

फरटक शरक्र कद ईपरत्न मदनद जदतद हैं।

धरएं के समदन रंग कद यह रत्न पदरदशी, नमण और चमकीलद

20. गौदंतद / गोदंती (Goudanta / Moon Stone):

होतद है। यह शवन रत्न नीलम कद ईपरत्न है।

गौदंतद गदय के ददंत के समदन श्वेत रंग लेफ़कन थोिद जदणपन वलए होतद है। आसमें सूत भी पिते हैं। यह के तर कद ईपरत्न है।

26. बेरुज यद बैरूज (Beruj or Aquamarine): आसकद

यह चमकहीन शरष्क, नरम रत्न हैं जो शीघ्र खरदब होतद हैं। 21. तदमिद (Tamra or Garnet): लदल, गरलदबी रंग में कदले रंग की लदली वलए होतद है। यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। तदमिद यह चमकहीन ऄधणपदरदशी यद ऄपदरदशी शरष्क, नरम रत्न हैं जो शीघ्र खरदब होतद हैं। 22.

संगेमररयम

/

मदहेमररयम

(Sang-e-Maryam

/Mahemariyam/ Jasper): यह दोरंगी रत्न होतद है।

हलकद हरद, पीलद, नीलद, असमदनी अदी रंग कद होतद है। यह शवन रत्न नीलम कद ईपरत्न है। 27. मरगज (Margajor Jade): यह बरध के रत्न पन्ने कद ईपरत्न है। यह प्रदय हरे रं ग कद होतद है, लेफ़कन नीलद, श्वेत अफ़द रंगों में भी पदयद जदतद हैं। मरगज में रंगों के गदढ़े/हल्के िींटे होते हैं। यह नमण फीकी चमक िदलद रत्न हैं। 28. बदंसी/ बदंशी (Banshi): यह बरध के रत्न पन्ने कद ईपरत्न है। बदंसी हलके हरे रंग कद चमकीलद नरम पत्थर होतद है।

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29. वपतौवनयद (Pitoniya / Bloodstone) यह बरध के रत्न पन्ने कद ईपरत्न है। यह हरे रंग कद पत्थर होतद है, आसकी

सरलेमदनी को शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न मदनद जदतद है। 35. अलेमदनी (Onyx): अलेमदनी भी सरलेमदनी की जदवत

सतह पर लदल रंग के िींटे होते हैं।

कद रत्न है। आसकद रंग हल्कद भूरद होतद है, वजस पर भूरे रंग

30. मकनदतीस (Magnetic or Load stone): प्रदयः

की धदररयदं होती है।

मकनदतीस कदले रंग कद चमकददर पत्थर है, आसे चरंबक भी

36. जजेमदनी (Onyx): जजेमदनी यह भी सरलेमदनी की

कहते हैं। यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। मकनदतीस

जदवत कद होतद है, आसकद रंग भूरद यद पीलद होतद है। आस पर

ब्लड प्रेशर को वनयंवित करने में विशेष लदभ देतद है,

हल्के रंग की धदररयदं फ़दखलदइ पिती है।

मकनदतीस लोहे को ऄपनी तरफ खींचतद है एिं चरम्बक की

37. सदिोर (Savour): यह बरध के रत्न पन्ने कद ईपरत्न है।

तरह कदयण करतद है|

यह हरे रंग कद होतद है। आस पर भूरे रंग की धदररयदं

31. लूधयद (Ludhya): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। मजीठ के समदन लदल रंग कद होतद है।

फ़दखलदइ पिती है। 38. तररसदिद (Tursava): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न

32. रोमनी (Romni): यह सूयण रत्न मदवणक्य तथद मंगल के

है। आसके गरलदबी रंग की धदररयदं यद िींटे होते है। यह बहुत

रत्न मूंगे कद ईपरत्न है। यह गहरे लदल रंग कद श्यदमिणीय होतद है।

चमकीलद फ़कन्तर नरम पत्थर होतद है। 39. अबरी /ऄबरी (Saphire): यह शवन के रत्न नीलम कद

33. दरिेनजफ यद दरिेनज्फ : कच्चे धदन के समदन होतद है।

ईपरत्न है। यह कदले रंग कद पत्थर होतद है। प्रदयः अबरी की सतह पर कदलद एिं पीलद रंग ऄब्रिदलद होतद है। कम मूल्य कद यह संगमरमर जैसद प्रतीत होतद है।

34. सरलेमदनी (Onyx): सरलेमदनी प्रदयः कदले रंग कद पत्थर होतद है। कर ि सरलेमदनी पर सफे द रंग की धदररयदं होती है।

द्वददश महद यंि यंि को ऄवत प्रदवचन एिं दरलणभ यंिो के संकलन से हमदरे िषो के ऄनरसंधदन द्वदरद बनदयद गयद हैं।  सहस्त्रदक्षी लक्ष्मी अबि यंि  परम दरलणभ िशीकरण यंि,  अकव मक धन प्रदवि यंि  भदग्योदय यंि  पूणण पौरुष प्रदवि कदमदेि यंि  मनोिदंवित कदयण वसवि यंि  रोग वनिृवि यंि  रदज्य बदधद वनिृवि यंि  सदधनद वसवि यंि  गृह थ सरख यंि  शिर दमन यंि  शीघ्र वििदह संपन्न गौरी ऄनंग यंि ईपरोि सभी यंिो को द्वददश महद यंि के रुप में शदस्त्रोि विवध-विधदन से मंि वसि पूणण प्रदणप्रवतवष्ठत एिं चैतन्य यरि फ़कये जदते हैं। वजसे थदपीत कर वबनद फ़कसी पूजद ऄचणनद-विवध विधदन विशेष लदभ प्रदि कर सकते हैं। भल् ू म: Rs.2350 से Rs.10900 >> Shop Online | Order Now

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40. लदजितण (Lapis Lazuli): यह शवन के रत्न नीलम कद

48. कसौटी (Black Stone): यह शवन के रत्न नीलम कद

ईपरत्न है। यह नीले रंग कद नरम पत्थर होतद है। लदजितण की सतह पर कर दरती रुप से चमकीले रजत और सरिणण रंग के

ईपरत्न है। यह कदले रंग कद पत्थर को सोने की परीक्षद के वलए ईपयोग में अतद है।

िींटे / चकते होते हैं। यह शवन कद ईपरत्न है। सरिणण रंग के

49. ददरचनद (Darchana): यह पत्थरददर चने के समदन

िींटे िदले लदजितण ईिम मदने जदते हैं।

फ़दखलदइ पितद है। कत्थइ रंग पर नीले, पीले और धूवमल

41. कू दरत (Kudrat): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है।

िींटे होते हैं।

यह कदले रंग कद नरम पत्थर होतद है। ईसकी सतह पर सफे द

50. हकीक यद कलबहदर (Haqeak): यह जल से प्रदि होतद

और पीले रंग के िींटे / चकते होते है।

है। कलबहदर कद रंग कर ि पीलदपन वलए / हकीक कद रंग कर ि

42. ऄहिद (Ahwa): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है।

हरदपन वलये होतद है ।

आसकद रंग गरलदबी होतद है। आस पर िोटे-बडें वमश्रीत रंग के

51. हदलन (Halan): यह चंद्र रत्न मोती कद ईपरत्न है। यह

िींटे / चकते होते है।

सफे द / यह गरलदबी रंग कद होतद है। जब हदलन को वहलदते

43. वचिी (Chitti): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है।

हैं, तो आसकद रंग वहलतद नजर अतद है।

कदले रंग कद होतद है। सफे द यद सरनहरी धदररयदं होती हैं।

52. सीजरी / सजरी / शजर (Seizri): यह चंद्र रत्न मोती

44. संगसन (White Jade): यह सफे द ि हल्कद ऄंगूरी रंग 45. लदरू (Laru): लदरू को यह मकरदने / मदबणल पत्थर की

कद ईपरत्न है। यह विवभन्न रंगों कद होतद है। आस पर िृक्ष अकृ वत नजर अती है। िदमी ग्रहों के रंगदनरसदर यह हकीक धदरण करने की सलदह दी जदती है।

श्रेणी कद ईपरत्न है।

53. मरबेनजफ (Pearl Stone): यह चंद्र रत्न मोती कद

46. ददनद फ़फरंग (Kidney Stone): यह बरध के रत्न पन्ने कद

ईपरत्न है। आसमें बदल के समदन रंगददर रेखद होती है और आसकद रंग सफे द होतद है।ेे

कद होतद है।

ईपरत्न है। आसकद रंग हल्कद/गहरद हरद होतद है। आस पर गरदे के समदन अकृ वत बनी होती है। पौरदवणक मदन्यतद के

54. ऄंबर यद कहरुिद (Amber): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद

ऄनरशदर फ़कडनी/ गरदे से सम्बवन्धत रोगों में यह लदभ देतद है|

ईपरत्न है। यह लदल यद हल्कद पीले रंग कद होतद है।

47. मदरिर (Marbel): यह मंगल के रत्न मूंगे कद ईपरत्न है।

55. झरनद (Jhrana): यह चंद्र रत्न मोती कद ईपरत्न है। यह

यह विवभन्न रंग में पदयद जदतद हैं लेफ़कन मरख्यतः आस कद रंग

मटमैले रंग कद होतद है। आसमें पदनी में देने से यह झि जदतद

बदंस जैसे रंग कद, लदल तथद सफे द होतद है।

है।

बाग्म रक्ष्भी ददधफी सुख-शास्डत-सभवृ ि की प्रास्प्त के सरमे बाग्म रक्ष्भी ददधफी :- स्जस्से धन प्रस्प्त, वववाह मोग, व्माऩाय ववृ ि, वशीकयण, कोटा क ये ी के कामा, बूतप्रेत फाधा, भायण, सम्भोहन, तास्डिक

फाधा, शिु बम, ोय बम जेसी अनेक ऩये शातनमो से यऺा होतत है औय घय भे सुख सभवृ ि

फक प्रास्प्त होतत है , बाग्म रक्ष्भी ददधफी भे रघु श्री फ़र, हस्तजोडी (हाथा जोडी), ससमाय

ससडगी, त्रफस्ल्र नार, शॊख, कारी-सफ़ेद-रार गुॊजा, इडर जार, भाम जार, ऩातार तुभडी जेसी अनेक दर ा साभग्री होती है । ु ब

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ददसम्फय-2016

20

56. संगबसरी (Sangbasri): यह शवन कद ईपरत्न है। यह

ईपरत्न है। यह कदले रंग कद वचकनद पत्थर है।

अाँखों के वलए सररमद बनदने के ईपयोग में लदयद जदतद है।

67. हकीक/ऄकीक (Haqeek or Agate): यह विवभन्न रंगों

57. ददतलद /कदंसलद (Yellow Stone): यह चंद्र रत्न मोती

में ईपलब्ध होतद है। वहन्दर संप्रददय में आसे लक्ष्मीकदरक हकीक के रुप में धदरण एिं पूजन फ़कयद जदतद हैं। मरव लम संप्रददय के लोग भदग्यशदली रत्न के तौर पर पहनते हैं। िदमी ग्रहों के रंगदनरसदर यह हकीक धदरण करने की सलदह दी जदती है।

कद ईपरत्न है। पीलदपन वलए पररदने शंख के समदन रंग िदलद होतद है। ददतलद दंत रोग में ईपयोगी है। 58. मखिद (Black Spider): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। रंग हल्कद कदलद, ईपर मकिी कद जदलद के अकृ वत होती हैं। 59. संगीयद (Sangia): यह चंद्र रत्न मोती कद ईपरत्न है। रंग में शंख के समदन सफे द होतद है। 60. गूदिी (Goodri): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। यह कइ तरह की, कइ रंग की होती है लेफ़कन पीले रंग की ऄवधकतद होती है। आसे फकीर लोग पहनते हैं। 61. कदंसलद /कदमलद(Green Stone): यह बरध रत्न पन्नद कद ईपरत्न है। आसकद रंग हल्कद हरद तथद कर ि सफे दी वलए होतद है। 62. वसफरी (Sifti): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग असमदनी एिं कर ि हरदपन वलए होतद है। 63. हरीद (Hareed): यह रदहु के रत्न गोमेद कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद तथद भूरदपन वलए होतद है। हरीद िजन में भदरी होतद है। 64. हिदस (Hawas): यह बरध रत्न पन्नद कद ईपरत्न है। हिदस कद रंग हरद ि कर ि सरनहरी अभदयरि होतद है। 65. सींगली (Smoky Ruby): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। लदल रंग कद कर ि श्यदम अभद यरि होतद है। 66. ठे डी/ढेडी (Black Stone): यह शवन के रत्न नीलम कद

68. गौरी (White Stone): यह विवभन्न रंगों में ईपलब्ध होतद है, लेफ़कन आस पर विवभन्न की धदररयदं होती हैं। 69. सीयद (Seya Black): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद होतद है। 70. सोमदक / सीमदक (Somak / Seemak): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। सोमदक लदल रंग कद हल्कद पीलदपन वलए होतद है। आस पर गरलदबी रंग के िींटे होते हैं। 71. मूसद (Moosa): यह चंद्र रत्न मोती कद ईपरत्न है। आसकद रंग सफे द मटमेल होतद है। 72. पनघन (Panghan): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग थोिद कदलदपन वलए एिं कर ि हरद होतद है। 73. ऄमलीयद (Amliya): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है। आसकद रंग थोिद कदलदपन वलए कर ि गरलदबी होतद है। आसके 74. डू र (Black Haessonite): यह रदहु के रत्न गोमेद कद ईपरत्न है। कत्थे के रंग कद होतद है। 75. वलवलयर (Lilyer or Black Saphire): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद एिं ईपर सफे द िींटे होते हैं। 76. खदरद (Khara): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद एिं कर ि हरदपन भी वलए होतद है।

भॊि ससि दर ा साभग्री ु ब हत्था जोडी- Rs- 730

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77. पदरद जहर / येजहर (Mercury): यह बरध रत्न पन्नद कद

आस रत्न को धदरण करने से रदिी ज्िर में लदभप्रद है।

ईपरत्न है। आसकद रंग हल्कद सफे द होतद है। मदन्यतद हैं की पदरद जहर को घदि पर लगदने से घदि ठीक हो जदतद है।

81. सोहन मक्खी (Sihan Makkhi): आसकद रंग सफे द

78. सीर खिी / सेलखिी: (Gypsum): सदधदरण भदषद में

रत्न भी कहते हैं।

आसे सेलखिी भी कहते हैं। आसकद रंग वमट्टी के समदन होतद है।

82. हजरते उद (Hajrate Uda): यह शवन के रत्न नीलम

79. जहर मोहरद (Jahar Mohara): यह बरध रत्न पन्नद कद ईपरत्न है। आसकद रंग हरद होतद है वलके न कर ि सफे दी यरि होतद हैं। मदन्यतद हैं की जहर मोहरद के ितणन में विष भी ऄपनद कर प्रभदि खो देतद है। यह पने कद ईपरत्न है। एसद वमथक हैं की जहर मोहरद धदरण करने िदले को सपण कटदने कद भय नहीं होतद। 80. रिदत (Ravaat): यह सूयण रत्न मदवणक्य कद ईपरत्न है।

वमट्टी जैसद होतद है। यह मूि रोग में लदभकदरी है, आसे औषध

कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद होतद है, यह औषवध बनदने में कदम अतद है। 83. सररमद (Surma): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद होतद है। आसे अाँखों में लगदयद जदतद है। 84. पदरस (Paras): यह शवन के रत्न नीलम कद ईपरत्न है। आसकद रंग कदलद होतद है। पौरदवणक मदन्यतद है, फ़क आसके िू ने मदि से लोहद भी सोनद बन जदतद है।

यह दो रंगों में ईपलब्ध है, लदल एिं नीलद। मदन्यतद हैं की

***

भॊि ससि स्पदटक श्री मॊि "श्री मॊि" सफसे भहत्वऩूणा एवॊ शस्क्तशारी मॊि है । "श्री मॊि" को मॊि याज कहा जाता है क्मोफक मह

अत्मडत शब ु फ़रदमी मॊि है । जो न केवर दस ू ये मडिो से अचधक से अचधक राब दे ने भे सभथा है एवॊ सॊसाय

के हय व्मस्क्त के सरए पामदे भॊद सात्रफत होता है । ऩूणा प्राण-प्रततस्ष्ठत एवॊ ऩूणा ैतडम मक् ु त "श्री मॊि" स्जस व्मस्क्त के घय भे होता है उसके सरमे "श्री मॊि" अत्मडत फ़रदामी ससि होता है उसके दशान भाि से अन-

चगनत राब एवॊ सुख की प्रास्प्त होतत है । "श्री मॊि" भे सभाई ऄवद्वतीय एवॊ अरश्म शस्क्त भनुष्म की सभस्त शुब इछिाओॊ को ऩूया कयने भे सभथा होतत है । स्जस्से उसका जीवन से हताशा औय तनयाशा दयू होकय वह भनुष्म असफ़रता से सफ़रता फक औय तनयडतय गतत कयने रगता है एवॊ उसे जीवन भे सभस्त

बौततक सुखो फक प्रास्प्त होतत है । "श्री मॊि" भनुष्म जीवन भें उत्ऩडन होने वारी सभस्मा-फाधा एवॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय सकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे सभथा है । "श्री मॊि" की स्थाऩन से घय

मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने से वास्तु दोष म वास्तु से सम्फस्डधत ऩये शातन भे डमुनता आतत है व सुख-सभवृ ि, शाॊतत एवॊ ऐश्वमा फक प्रस्प्त होती है ।

गरु ु त्ि कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ से 2250 Gram (2.25Kg) तक फक साइज भे उप्रधध है

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ददसम्फय-2016

जडभ वाय से व्मस्क्तत्व

च

त ॊ न जोशी

ज्मोततष शास्ि के अनुशाय सप्ताह के सबी वाय का व्मस्क्त के जीवन ऩय गहया प्रबाव ऩड़ता हैं. व्मस्क्त का जडभ स्जस वाय

भें हुवा हो उस वाय के प्रबाव से व्मस्क्त का व्मवहाय औय रयि प्रबाववत होता हैं.

यवििाय :

यवववाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त सूमा के प्रबाव के कायन तेजस्वी, तुय, गुणवान, उत्साही, दानी, रेफकन थोडा गवा

यखने वार औय वऩत्त प्रकृतत का होता हैं। स्वबाव भें अत्माचधक क्रोध बया होता है . मदद केसी से झगडे की स्स्थतत ऩैदा हो जाए तो उसभें अऩनी ऩूयी ताकत झोकने से ऩीिे नहीॊ हटते हैं.

सोभिाय:

सोभवाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त

र ॊ के प्रबाव के कायन फुविभान, प्रकृतत स्वबाव से शाॊत, अऩनी भधुय वाणी से अडम

रोगो को अऩनी औय सयरता से भोदहत कय रेते है । व्मस्क्त स्स्थय स्वबाव वारे, सुख एवॊ द:ु ख फकसी बी स्स्थतत भें सभान यहने वारे हैं।

भंगरिाय:

भॊगरवाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त भॊगर के प्रबाव के कायन जदटर स्वबाव वारा, दस ू यो के कामा भे आसानी से नुक्श

तनकारने वार, मुि प्रेभी, ऩयाक्रभी, अऩनी फातो ऩय कामभ यहने वारे, कबी कबी दहॊसक प्रवस्ृ त्त यखने वारे एवॊ अऩने ऩरयवाय का नाभ योशन कयने वारे होते हैं।

फध ु िाय:

फुधवाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त फुध के प्रबाव के कायन सभठा फोरने वारे, विद्यद अध्ममन भे रूच यखने वारे, ऻानी, रेखन, सम्ऩस्त्तवान होते हैं, फुधवाय के ददन जडभ रेने वारे रोग व्मस्क्त रोग जल्दी से ववश्वास नहीॊ कते हैं.

गरु ु िाय (फह ृ स्ऩनतिाय):

गरु ु वाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त गरु ु के प्रबाव के कायन विद्यद,धनवान , ऻानी, वववेकशीर, उत्तभ सराहकाय होते हैं।

व्मस्क्त दस ू यो को उऩदे श दे ने भे सदै व अग्रणणम ये हते हैं, एवॊ रोगो से भान सम्भान प्राप्त कय फहोत सायी प्रससवि प्रास्प्त कयना ाहते हैं।

शक्र ु िाय:

शुक्रवाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त शुक्र के प्रबाव के कायन स्वबाव ॊ र, बौततक सुखों भें सरप्त यहने वारे, तका-ववतका भे होसशमाय, धनवान एवॊ तीक्ष्ण फुवि के स्वाभी होते हैं। ईश्वय भे आस्था कभ ही होती हैं, मदी होतो नही के फयाफय होती हैं।

शननिाय: शतनवाय के ददन जडभ रेने वारा व्मस्क्त शतन के प्रबाव के कायन कठोय स्वबाव के, ऩयाक्रभी एवॊ ऩरयश्रभी, द:ु ख सेहने की गजफ की शस्क्त यखने वारे, डमामी एवॊ गॊबीय स्वबाव के होते हैं। सेवा कय नाभ व प्रससवि प्राप्त कयने वारे होते हैं।

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यत्न धायण से असबष्ट कामाससवि

च

त ॊ न जोशी

ग्रहों के अतनष्ट प्रबाव को दयू कयने के सरए

यत्न धायण फकमा जाता हैं, उस ग्रह का फर प्राप्त

हभाये दे श भें यत्न धायण कयने की प्रणारी प्रा ीन कार

कयना। यत्न का कायक ग्रह (सॊफॊचधत ग्रह) उस व्मस्क्त

से प्र सरत है । आ ामा वायाहसभदहय ने फह ृ त्सॊदहता भें यत्नों

की जडभ कॊु डरी से इस यत्न को धायण कयने से फर

विद्वदनो के भत से यत्न धायण कयने के ऩीिे

यस्श्भ उस यत्न भें होती हैं एवॊ धायण कयने से व्मस्क्त के

वैऻातनक यहस्म तिऩा हैं। प्राम् आजके आधतु नक मग ु भें

शयीय भें प्रवेश कयती हैं। औय ग्रह से प्राप्त ऩीडा एवॊ

सौयभॊडर की यस्श्भमों का प्रबाव यत्नो के यॊ ग, रुऩ,

योगों से फ ने हे तु फकस ग्रह का यत्न धायण

तथा उनके गण ु -दोष का ववस्ताय से वणान फकमा हैं।

सबी रोग इस फात से बरी-बाॊतत ऩरयच त हैं की आकाय, प्रकाय एवॊ उसके गण ु ो को तनयॊ तय प्रबाववत कयता यहता हैं।

इसी कायण एक सभान गुण वारी यस्श्भमों के

प्राप्त कय रेता हैं। यत्न धायण द्वदरद सॊफॊचधत ग्रह फक

कष्टों भें कभी होने रगती हैं। कयना

ादहए इस ववषम भें विद्वदनो का भत हैं की योगों

से भुस्क्त हे तु रग्नेश अथाात रग्न के स्वाभी का ग्रह का यत्न धायण कयना उच त होता हैं। रग्नेश का यत्न

कायक ग्रह के प्रबाव ववृ ि हे तु व्मस्क्त को उसी प्रकाय की

व्मस्क्त के शयीय भें प्रततयोधक ऺभता भें ववृ ि कयता हैं

प्राप्त फकए जाते हैं। मदद प्रततकूर प्रबाव के व्मस्क्त को

औय जल्द स्वस्थ कयने हे तु भदद कयता हैं एवॊ बववष्म

कयवामा जाए, तो वह यत्न व्मस्क्त के सरए अशुब

हे तु व्मस्क्त को अऩने रग्नेश का यत्न अवश्म ऩहनना

यस्श्भ से उत्ऩडन यत्न धायण कयवा कय शुब ऩरयणाभ ववऩयीत प्रबावशारी यस्श्भमों भें

उत्ऩडन यत्न धायण

ऩरयणाभ दे ता हैं।

भें योग से फ ाता हैं। अत् योगों के आग्रभण से फ ने

ादहए। क्मोफक प्रततयोधक ऺभता उत्तभ स्वास्थ्म का

मदह कायण हैं यत्न धायण कयने से ऩूवा जडभ

रऺण हैं।

ादहए।

जडभ कॊु डरी भें वताभान सभम भें स्जस ग्रह की भहादशा

कॊु डरी भें ग्रहो के अनुकूर एवॊ प्रततकूर प्रबाव को जाॊ रेना

स्जससे योग से व्मस्क्त को कभ से कभ हातन कयता हैं

क्मोफक यत्नों को धायण कयने के सरए

कुि ववशेष ससिाॊत होते हैं। स्जसका ववस्तत ृ वणान हभाये

विद्वदन ऋवष-भुतनमों ने ग्रॊथो एवॊ शास्िों भें फकमा हैं। यत्न धायण का भुख्म ससिाॊत हैं की स्जस ग्रह से सॊफॊचधत

कारसऩा शाॊतत कव

कुि ज्मोततष विद्वदनो के भत से व्मस्क्त की

मा अॊतयदशा

र यही हो, मा जो ग्रह प्रततकूर हो उसका

यत्न धायण कयना

ादहए। ऎसा कयने से ग्रह के अतनष्ट

प्रबाव भें कभी आती हैं औय योग शाॊत होने रगते हैं।

ग्रह शाॊतत हे तु ववशेष भॊि ससि कव 2800

भाॊगसरक मोग तनवायण कव

शतन साड़ेसाती औय ढ़ै मा कष्ट तनवायण कव

1900

नवग्रह शाॊतत

910

श्रावऩत मोग तनवायण कव

1900

550

ससि शतन कव

550

ॊडार मोग तनवायण कव

ससि सम ू ा कव

1450

550

ससि याहु कव

550

ग्रहण मोग तनवायण कव

1450

ससि भॊगर कव ससि फुध कव

1250

550

ससि गुरु कव

550

ससि शुक्र कव

550

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ददसम्फय-2016

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ववशेषऻ की सराह से ही कयें यत्न धायण

 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी जानकायो की भाने तो अऩने व्मस्क्तत्व भें तनखाय

विद्वदनो के अनुशाय अष्टे श (अष्टभ बाव के स्वाभी

औय जीवन भें सपरता के सरए व्मस्क्त को रग्नेश औय

ग्रह) का यत्न धायण नहीॊ कयना

त्रिकोणेश अथाात ऩॊ भेश औय नवभेश के यत्न धायण

कयते सभम मह सावधानी अवश्म यखे।

कयने

1) भेष रग्न वारे जातक का भॊगर अष्टभेश होता है ,

ादहए। उनकी भाने तो रग्नेश, ऩॊ भेश एवॊ

नवभेश के यत्न धायण कयने से बाग्मोदम तीव्र गतत से

ादहए। यत्न धायण

तो उडहें भूॊगा धायण नहीॊ कयना

ादहए।

होता हैं, रेफकन इस ववषम भें भतबेद हैं कुि ज्मोततष

2) वष ृ रग्न वारे जातक का गुरु अष्टभेश होता है , तो

हो, मा त्रिकोणेश हो, तो उनके यत्न धायण नहीॊ कयने

3) सभथन ु रग्न वारे जातक का शतन अष्टभेश होता है ,

का भत है फक मदद रग्नेश नी

यासश स्स्थत भें स्स्थत

ादहए।

उडहें ऩीरा ऩुखयाज धायण नहीॊ कयना तो उडहें नीरभ धायण नहीॊ कयना

कुि ज्मोततषी विद्वदनो ने अऩने अध्ममन भें ऩामा

हैं की मदद रग्नेश, ऩॊ भेश एवॊ नवभेश नी

का हो,

तफबी उसका यत्न राबकायी ससि होता हैं। भहवषा वयाहसभदहय एवॊ अडम प्रा ीन आ ामों ने

ादहए।

ादहए।

4) कका रग्न वारे जातक का शतन अष्टभेश होता है , तो उडहें नीरभ धायण नहीॊ कयना

ादहए।

5) ससॊह रग्न वारे जातक का गरु ु अष्टभेश होता है , तो उडहें ऩीरा ऩख ु याज धायण नहीॊ कयना

ादहए।

अऩने ग्रॊथो भें उल्रेख फकमा हैं की मदद जडभ कॊु डरी भें

6) कडमा रग्न वारे जातक का भॊगर अष्टभेश होता है ,

याज मोग फनाने वारे ग्रह का यत्न राबकायी होता हैं।

7) तुरा रग्न वारे जातक का शुक्र अष्टभेश होता है , तो

ऩॊ

भहाऩरु ु ष, याजमोग फन यहा हो, तो जडभ कॊु डरी भें

तो उडहें भॊग ू ा धायण नहीॊ कयना उडहें हीया धायण नहीॊ कयना

ज्मोनतष भें ऩंच भहा ऩुरुषमोग 1). रू क मोग

4). भारव्म मोग

2). बर मोग

5). षष मोग

3). हॊ स मोग मह तो सबी ज्मोततषी जानते हैं फक मदद गुरु,

ादहए।

ादहए।

8) वस्ृ श् क रग्न वारे जातक का फुध अष्टभेश होता है , तो उडहें

ऩडना धायण नहीॊ कयना

9) धनु रग्न वारे जातक का

ादहए।

र ॊ अष्टभेश होता है , तो

उडहें भोतत धायण नहीॊ कयना

ादहए।

शुक्र, फुध, भॊगर, मा शतन जडभ रग्न से केंर भें

10) भकय रग्न वारे जातक का सूमा अष्टभेश होता है ,

बर, गुरु से हॊ स, शुक्र से भारव्म एवॊ शतन से शश ऩॊ

11) कॊु ब रग्न वारे जातक का फुध अष्टभेश होता है , तो

यत्न राबकायी ससि होगा। मदद फकसी की जडभऩत्रिका भें

12) भीन रग्न वारे जातक का शुक्र अष्टभेश होता है ,

स्वग्रही, मा उछ

का हो, तो भॊगर से रू क, फुध से

भहाऩुरुष याजमोग फनते है । अत् याजमोगकायी ग्रह का उऩमक् ुा त ऩॊ

भहाऩुरुष याजमोग हो, तो उक्त ग्रह की

भहादशा भें उसका यत्न धायण कयना

तो उडहें भाणणक धायण नहीॊ कयना उडहें

ऩडना धायण नहीॊ कयना

तो उडहें हीया धायण नहीॊ कयना

ादहए।

ादहए।

ादहए।

ादहएॊ, जैस,े भॊगर

भहवषामों ने अऩनी खोज भें ऩामा है फक स्जस यत्न का

से रू क मोग भें भूॊगा, फुध से बर मोग भें हया ऩडना,

यॊ ग स्जतना गहया होगा वह उतना ही राबकायी होगा।

भें सपेद हीया, शतन से शश मोग भें नीरभ।

यखे।

गुरु से हॊ स मोग भें ऩीरा ऩुखयाज, शक्र ु े़ से भारव्म मोग

अत् धायण कयने से ऩूवा इस फात का अवश्म ध्मान

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यत्नो का नाभकयण

 ववजम ठाकुय भहवषा वायाहसभदहय नें बायतीम प्राच न ज्मोततष शास्ि के प्रभुख ग्रॊथो भें फह ृ त्सॊदहता की य ना की स्जसभें यत्नो के गुणदोष का ववस्ताय से वणान हैं। विद्वदनो के भतानुशाय अबी तक हुए शोधा कामा भें ज्मोततष एवॊ यत्न शास्ि भें रुच यखने वारे रोगो के सरमे फह ृ त्सॊदहता अत्मॊत भहत्वऩूणा एवॊ प्राभाणणक शास्ि ससि हुवा हैं। क्मोफक भहवषा वायाहसभदहय ने स्जन भुख्म यत्नों का उल्रेख फकमा हैं , उससे ऻात होता हैं की आज हभ स्जन प्रभुख यत्नो को जानते हैं उन यत्नो को ऩुयातन कार से मा उससे ऩूवा से मह यत्न अवश्म उऩरधध थे एवॊ उन यत्नो को ववसबडन उद्देश्म के सरमे प्रमोग भें सरमा जाता था। विद्वदनो के अनुशाय अबी तक प्राप्त हुवे ऩुयातन शास्ि एवॊ ग्रॊथो भें स्जतने यत्नो का वणान सभरता हैं उस सफ से अचधक सॊख्मा भें यत्नो का उल्रेख फह ृ त्सॊदहता भें फकमा गमा हैं।

फह ृ त्सॊदहता भें स्जन स्जन यत्नो का वणान फकमा गमा हैं। उन यत्नो को सुख, सभवृ ि, वैबव एवॊ सॊऩडनता का सू क भानागमा हैं।

फह ु हैं:ृ त्सॊदहता भें वणणात यत्नों की तासरका महा प्रस्तत 1)

वज्र

7)

सौगस्डधक

13)

2)

ऩद्मयाज

8)

इडरनीर

14)

3)

ववभरक

9)

रुचधय

4)

भयकत

10)

5)

वैदम ू ा

6)

स्पदटक

भुक्ता

19)

भहानीर

सम्मक

20)

ज्मोततयस

15)

शॊख

21)

ब्रह्भभणण

याजभणण

16)

22)

प्रवार

11)

गोभेद

ककेटक

17)

12)

ऩुष्ऩयाग

18)

ऩुरक

शसशकाडत

फह ृ त्सॊदहता के अरावा अडम कई ग्रडथो भें यत्नो का उल्रेख प्राप्त होता हैं।

भहवषा वायाहसभदहय‍द्वदरद प्राप्त जानकायी को आधाय फनाकय काराॊतय भें अडम विद्वदनो भें अऩनी रुच

यत्नों की औय

अग्रस्त की होगी औय शोध अध्ममन के ऩश् मात उसे सरखा होगा। स्जस कायण सभम के साथ-साथ यत्नो की उऩमोचगता, सौंदमा, गुण, औषधीम प्रबाव, दर ा ता आदद से रोग ऩरयच त होने रगे। ु ब

ऩुयातन कार भें यत्न भूल्मवान होने के कायण साभाडम वगा रोगो की अऩेऺा केवर सॊऩडन रोग ही यत्नो का व्मवहाय कय ऩाते थे। रेफकन सभम फदरा औय आज के आधतु नक दौय भें कुदयतत यत्नो के साथ-साथ कृत्रिभ यत्न बी साभानम

वगा के रोगो के सरमे उप्रधध होने रगे हैं, आज बी फहुभूल्म एवॊ फकभती यत्नो की भाॊग दतु नमा बय भें सभम के साथ भें फढती जा यही हैं।

यत्न एवॊ उऩयत्न हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरधध हैं। ज्मोततष कामा से जुडे

फॊध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जुडे रोगो के सरमे ववशेष भल् ू म ऩय यत्न व अडम साभग्रीमा व

अडम सवु वधाएॊ उऩरधध हैं। GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785

े़

ददसम्फय-2016

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भाणणक्म

च सूमा का यत्न भाणणक्म सूमा ग्रह के शुब परों की



प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं।



जाना जात है ।



भाणणक्म ववसबडन बाषाओ भे तनम्न सरणखत नाभो से

दहन्दी भे :-

वसुयत्न, सोगोधक, स्िोण्रत्न, यत्ननामक, रक्ष्भी ऩुष्ऩ, अयफी भे :- रार फदऩशकतन रेदिन भे :- रुफी, नसा, की

आबा

होती

औय नीरे यॊ ग की आबा वारे बी ऩामे जाते हैं। भाणणक्म खतनज यत्नो भें से एक यत्न हैं। यक्त के सभान रार यॊ ग की आबा त्रफखेयने वारा फभाा भाणणक्म की भाॊग सफसे अचधक होती हैं। अरगअरग स्थानों से प्राप्त भाणणक्म के यॊ गों भें सबडनता



जानकायो के भत से फभाा भें भाणणक्म की खदानें सफसे ऩयु ातन हैं। अबी तक प्राप्त भाणणक्म भें सफसे उत्तभ भाणणक्म फभाा से ही प्राप्त हुए हैं। मदह कायण हैं की फभाा के भाणणक्म की कीभत औय भाॊग अॊतयास्ष्िम फाजायो भें सफसे अचधक होती है ।

भाणणक्म के राब: भाणणक्म धायण कयने से व्मस्क्त का भन प्रसडन यहाता हैं एवॊ उत्साह औय उभॊग भें ववृ ि होती हैं।

कुि ववद्द्वानो के भत से भाणणक्म प्रेभ फढाने वारा

भाना

गमा

भाणणक्म

धायण

से

आचथाक

स्स्थतत

भें

होता

हैं

सुधाय

औय

स्तोि

से

भाणणक्म धायण कयने व्मस्क्त की सभाज भें भानसम्भन एवॊ प्रततस्ष्ठत भें तनयॊ तय ववृ ि होती हैं।



भाणणक्म जहय के प्रबाव को कभ कयता हैं एवॊ जहयीरी वस्तु ऩास होने ऩय इसक यॊ ग पीका ददखने रगता हैं।



ऩस्श् सभ दे शों भें ऎसी भाडमता हैं की भाणणक्म ववष को दयू कयता हैं, भाणणक्म भहाभायी जैसे प्रेग आदद

होती हैं।

यत्न भानते हैं।

भुस्क्त

धन प्राप्त होता हैं।

भाणणक्म अतत भूल्मवान एवॊ उत्तभ होता हैं। फाजाय भें



से

सॊतान

ववसबडन

हैं।

भाणणक्म रार यॊ ग के अरावा अडम यॊ ग गुराफी, कारा



आदद शुर फाधाओॊ

हैं। कयने

यॊ ग

बूत-प्रेत

भाणणक्म उत्तभ



फ़ायसी भे :- माकूत,

रार

भाणणक्म

सुख की प्रास्प्त हे तु

सस्कृत भे :- ऩद्मयाग भणण, भाणणक्मभ, सोणभर, कुयववॊद,

भें

भाणणक्म तनयाशा औय उदासीनता को दयू कयता हैं। ददराता हैं।

स्ु डन, भाणणक्म, रार भणण,

भाणणक्म

त ॊ न जोशी

से यऺा कयता हैं। 

भाणणक्म धायण कयने से व्मस्क्त के दख को दयू ु कयता हैं।



भन भें नकायात्भक वव ायों को आने से योकता हैं।



एसा भाना जाता हैं की मदद फकसी व्मस्क्त ने भाणणक्म धायण फकमा हो, तो उस ऩय ववऩस्त्त आने ऩय, उसका यॊ ग फदर जाता हैं (पीका हो जाता हैं) अथाात भाणणक्म ववऩस्त्तमों के आने से ऩूवा सॊकेत

दे ता हैं औय सॊकट टर जाने ऩय ऩुन: भाणणक्म की आबा ऩूवव ा त हो जाती हैं।

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भाडमता: 

4. स्जस भाणणक्म का यॊ ग धऐ ु ॊ के सभान हो ऐसे

त्रफखेयता है वह सवोत्तभ होता हैं। 

उछ

कोदट के भाणणक्म की ऩह ान है फक भाणणक्म

को दध ू भें फाय-फाय डुफोने से दध ू भे भाणणक्म की आबा ददखने रगती हैं। 

अॊधेये कभये

भें

5. कारे यॊ ग का भाणणक्म धन नाश औय अऩमश दे ने वारा होता हैं। 6. स्जस भाणणक्म भें दोष हो ऐसे भाणणक्म को धायण कयने

प्रकाय

के

योग,

व्माचध

औय

आकस्स्भक दघ ा नाओॊ की सम्बावना अचधक यहती हैं। ु ट

भाणणक्म को मदद सफ़ेद भोततमों के फी

योग औय भाणणक्म:

यखे तो

ऩयख रेना 

भाणणक्म औय आध्मात्भ:



यॊ ग च फकत्सा का भूर आधाय हैं की यॊ गों की यस्श्भमाॊ



रृदम औय यत्न: सम ू ा व्मम का प्रतततनचध है । यत्नों भें वह



फर दे ने के सरए भाणणक्म धायण कयना



का पर भें ववृ ि हो जाती है । घनीबूत होती हैं।

भाणणक्म का प्रतततनचध है । इससरए व्मस्क्त को सूमा को ादहए। भाणणक्म

रृदम के सबी प्रकाय के कष्टों अथवा योगों को दयू कयता हैं। भाणणक्म की वऩष्टी औय बस्भ दोनों औषचध के रूऩ भें उऩमोग भें आते हैं। 1. स्जस भाणणक्म भें दो यॊ गों आबा हो उसे धायण कयने से वऩता को कष्ट प्राप्त होता हैं। अत: दो यॊ गों से ादहए

2. स्जस भाणणक्म भें भकड़ी के सभान जारे नजय आते हो इस प्रकाय के भाणणक्म को धायण कयने से धायणकताा कई प्रकाय के कष्टों से ऩीड़ड़त हो जाता है 3. गाम के दध ू के सभान यॊ ग वारे भाणणक्म को धायण कयने से धन का नाश होता हैं औय ह्रदम भें उिववग्नता यहती है

भाणणक्म यक्तवधाक, वामन ु ाशक औय उदय योग भें भाणणक्म नेि ज्मोतत को फढ़ाने वारा हैं तथा अस्ग्न, कप, वामु तथा वऩत्त दोष का शभन कयता है ।

भाणणक्म के बस्भ के सेवन से आमु की ववृ ि होती हैं।

भाणणक्म भें वात, वऩत्त, कप जतनत योग को शाॊत े़ कयने की शस्क्त होती हैं।

भाणणक्म ऺम योग, फदन ददा , उदय शूर,

ऺु योग,

कधज आदद योग को दयू कयता हैं। 

भाणणक्म की बस्भ शयीय भें उत्ऩडन होने वारी उष्णता औय जरन को दयू कयती हैं।

फह ृ त्सॊदहता के अरावा आमुवेद के प्रससि ग्रॊथ बाव

भाणणक्म के दोष

मक् ु त भाणणक्म धायण नहीॊ कयना

ादहए।

राबकायी होता हैं।

भाणणक्म ऩहन कय सूमा उऩासना कयने से सूमा ऩूजा



ववसबडन

अत: भाणणक्म धायण कयने से ऩहरे इसके दोषों को

भोती भाणणक्म के यॊ ग के हो जाते हैं। 

से

भाणणक्म को कभार की करी ऩय यखे तो करी तयु ॊ त ही णखर उठती हैं।



औय सॊकटो का साभना कयना ऩड़ता हैं।

यखने ऩय मह सूमा के सभान

प्रकाशभान होता हैं। 

भाणणक्म को धायण कयने से ववसबडन प्रकाय काष्ट

जो भाणणक्म सूमा की फकयण ऩड़ने से रार यॊ ग

प्रकाश, आमुवेद प्रकाश एवॊ यस यत्न सभुछ म के अनुसाय भाणणक्म कसैरे स्वाद का औय भीठा यस प्रधान यत्न हैं।

Ruby (Old Berma) Ruby 2.25" Rs. 46000 Ruby 3.25" Rs. 75000 Ruby 4.25" Rs. 125000 Ruby 5.25" Rs. 280000 Ruby 6.25" Rs. 525000 ** All Weight In Rati

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ददसम्फय-2016

28

भोती

च र ॊ का यत्न भोती

र ॊ ग्रह के शुब परों की

प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। भोती को

र ॊ यत्न

भाना गमा है ।

त ॊ न जोशी

फडी सशरा/ ऩत्थय ऩय जरीम स्थानों भें अऩने आऩको च ऩकाता हैं। घोंघा जर भें एक फषा भें दो ऋतु भें जडभ रेते हैं। जानकायो की भाने तो जो घोंघा फडी

भोती ववसबडन बाषाओ भे तनम्न सरणखत नाभो से जाना

सशरा का सहाया प्राप्त कय रेते हैं वहीॊ घोंघा इस मोग्म

जात है ।

होता हैं की वह भोतत फना सकते हैं। घोंघा भाॊस के दो आवयण के अॊदय होता हैं स्जसे

दहन्दी भे :- भोती, भुक्ता

सस्कृत भे :- भुक्ता, सौम्मा, नीयज, तायका, शसशयत्न, भौस्क्तक, ताया, स्वप्नसाय, इडदयु त्न, भुक्तापर, शूसरज, शोस्क्तक, शसशवप्रम, जीवयत्न, त्रफडदप ु र, यसाईबव, सौफकतक, भूवाारयद आदद।

शुस्क्तभणण,

फ़ायसी भे :- भुखारयद, अयफी भे :- भुखारयद,

रेदिन भे :- भागोरयटा अंग्रेजी :- ऩरा

भोती की उत्ऩस्त्त प्राम् भोती स्वेत यॊ ग का ही होता हैं। स्वेत यॊ ग के अरावा गर ु ाफी, रार, ऩीरे, नीरे, कारे, हये आदद यॊ गो भें बी ऩामे जाते हैं।

भोती एक जैववक यत्न होता है । क्मोफक भोती का तनभााण बी सभुर भें सीऩ/तिऩ भें होता है । सभुर भें एक ववशेष प्रकाय का जीव होता हैं स्जसे घोंघा (भूसेर) नाभ से जाना जाता हैं। मह घोंघा सीऩ के अॊदय अऩना घय

फनाकय यहता है। भोती के ववषम भें एसी भाडमता है की जफ

र ॊ भा स्वातत नऺि भें होता हैं तफ ऩानी की टऩकने

वारी फूॊद जफ घोंघे के खर ु े हुए भुॊह भें ऩड़ती है तफ भोती का जडभ होता है । रेफकन एसा फहोत कभ होत हैं। ज्मादातय भोती ये त के कण मा कोई िोटे जीव से फनते हैं। वैऻातनक भत से घोंघा के शयीय ऩय घागे के सभान अॊग होते हैं। स्जसकी भदद से वह अऩने आऩको

भेण्टर कहा जाता हैं। मह भेण्टर सूक्ष्भ ित्तों से ढॊ का होता हैं, स्जसभें एक ववशेष प्रकाय के कठोय ऩदाथों के सभश्रण को तनकारने की ऺभता होती हैं। मह सभश्रण जभा होते-होते धीये -धीये सीऩ का रुऩ रे रेता हैं। मह सीवऩमाॊ हय घोंघे को ढॊ ककय यखती हैं औय उसकी यऺा कयती हैं। घोंघा अऩनी आवश्मक्ता के अनश ु ाय जरुयत ऩडने ऩय सीऩ को खोरकय अऩना बोजन प्राप्त कयके सीऩ को ऩन ु ् फॊध कय रेता हैं। प्राम् सीऩ भें

ाय ऩते होती हैं। मह

ायों ऩते

फहोत धीये -धीये फनती हैं एवॊ ववसबडन ऩयतों से ऩडते हुए प्रकाश की यस्श्भसे भोती भें सुॊदयता आती हैं। घोंघा उक्त फक्रमाओॊ से अऩने सरमे सीऩ भें घय

फना रेता हैं। जफ कोई सबडन ऩदाथा जैसे ये त के कण मा फकडा, घोंघे के शयीय से रग जाता हैं तो घोंघा इस कण से भुस्क्त ऩाने के सरमे ऩूणा कोसशश कयता हैं औय कबी सपर तो कबी असपर होता हैं। जफ घोंघा असपरता

प्राप्त कयता हैं, तफ घोंघा उस कण को सीऩ भें भौजुद ऩदाथो से उसे ढॊ कने की कोसशश कयता हैं औय उस ऩय ऩयत दय ऩयत

ढाता हैं। स्जस ऩदाथा से सीऩ फनती हैं

उसी ऩदाथा को वह उस कण ऩय

ढाता हैं। सभम के

साथ मह ऩयते भोतत का ऩूणा रुऩ धायण कय रेता हैं।

भोती का आकाय सबडन-सबडन होते हैं। भोती गोर, अण्डाकाय, नासऩतत आदद अतनमसभत आकाय के होता हैं। घोंघा ने फनामे सीऩ मा भेण्टर के त्रफ

भें जफ कोई

च ऩकने वारा कीडा पस कय िे द कय दे ता हैं तफ जो

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भोती फनते हैं वह सीऩ से च ऩक जाते हैं। उन भोतीमों



को सीऩ से काटकय तनकार ना ऩडता हैं। इस तयह प्राप्त होने वारे भोती

कयते हैं उस ऩय दे वी रक्ष्भी प्रसडन यहती हैं औय उसे

ऩटे एवॊ अतनमसभत आकाय के होते हैं।

स्जडहें त्रफल्स्टय ऩरा कहा जाता हैं। गोर भोती से उनका भूल्म कभ होता हैं।

ऐसी भाडमता है , फक जो व्मस्क्त शुि भोती धायण धन का अबाव नहीॊ होता।



भोती

दाम्ऩत्म

सम्फडध

भें

राबदामक होता हैं।

सुधाय

राने

भें

बी

भाडमता के अनुशाय भोती ववशेष रुऩ से अऩने

 धन प्रास्प्त के सरए ऩीरे यॊ ग की आबा वारा भोती

अण्डाकाय अथवा टे ढ़ा-भेढ़ा जैसा बी फनता हैं, वह उसी

 फौविक ऺभता भें ववृ ि के सरए रार यॊ ग की आबा

अडम यत्नों की बाॊतत इसकी कदटॊग तथा ऩॉसरस

 भान-सम्भान एवॊ प्रससवि के सरमे सपेद यॊ ग की आबा

प्राकृततक रूऩ भें प्राप्त होता है। भोती घोंघे भें गोर,

धायण कयना राबदामक होता हैं।

रूऩ भें उऩरधध होता हैं।

वारा भोती धायण कयना राबदामक होता हैं।

आदद नहीॊ की जाती हैं। भोती को भारा भें वऩयोने के

वारा भोती धायण कयना राबदामक होता हैं।

सरए इनभें तिर ही फकमे जाते हैं।

 ईश्वयीम कृऩा प्रास्प्त के सरए नीरे यॊ ग की आबा वारा

रेफकन आज सभम के साथ आधतु नक उऩकयणो

एवॊ नवीनतभ तकतनको की भदद से भोती को ऩॉसरस अवश्म फकमा जाता हैं। मदद फकसी भोती का आकाय गोर व अॊडाकय मा टे ढ़ा-भेढ़ा होने के उऩयाॊत उसका कोई एक

भोती धायण कयना राबदामक होता हैं।

भाडमता: 

नक ु ीरे भोती भें सॊबव नहीॊ होती कुि ही भोतीमों भें

भोती को असरी सभझा जाता है . 

है . सुफह भोती को दे खा जाता है . भोती ऩय इस उऩाम

भोती के राब:

का कोई प्रबाव नहीॊ ऩडा हों औय भोती अॊखड हों तो

विद्वदन ज्मोततषीम के अनुसाय स्जन रोगों का भन अशाॊत यहता हैं औय स्जनको अचधक क्रोध आता है

भोती को असरी सभझा जाता है . 

उडहें भोती धायण कयने से ववशेष राब प्राप्त होते हैं। 

भोती भान की एकाग्रता फढ़ाता हैं एवॊ भानससक शाॊतत भोती धायण कयने से व्मस्क्त को भान-प्रततष्ठा एवॊ भोती योगों को नाश कयने भें बी सहामक होता हैं।



ज्वय भें भोती धायण कयना राबप्रद यहता हैं।



मह रृदम गतत को तनमॊिण कयने भें सहामक होता हैं।



भोती आॊिशोथ, अल्सय एवॊ ऩेट एवॊ आदद फीभारयमों भें राबदामी होता हैं।

यू ा हो जाता है .

भोती ऩय कोई प्रबाव नहीॊ ऩड यहा हों तो मह भोती असरी होता है 

धन, ऎश्वमा एवॊ वैबव की प्रास्प्त होती हैं। 

भोती को अनाज के बूसे से जोय से यगडा जाता है . भोती के नकरी होने ऩय उसका

प्रदान कयने भे सहामक होता हैं। 

सभट्टी के फयतन भें गौभूि डारकय उसभें भोती यखा जाता है . यातबय भोती को इसी फयतन भें यखा जाता

सॊबव हो ऩाती हैं। 

के चगरास भें ऩानी डार कय उसभें भोती यखा

जाता है . अगय इस ऩानी से फकयण तनकर यही हों तो

दहस्सा नक ु ीरा हो तो उसे काटकय ऩॉसरस कय उसकी उऩयी ऩयतो को हटा ददमा जाता हैं। मह फक्रमा सबी

काॊ

इस उऩाम के अडतगात भोती को शि ु गाढे घी भें

कुि दे य के सरमे यखा जाता है . अगय भोती असरी होने ऩय घी के वऩघरने की सॊबावनाएॊ फनती हैं।

भोती के दोष  

मदद भोती टूटा हुआ हो, तो एसा भोती ऩहनने से भन भें ॊ रता व्माकुरता व कष्ट फक ववृ ि होती हैं। मदद भोती भें

भक न हो तो उस भोती को धायण

कयने से तनधानता आती हैं।

ददसम्फय-2016

30



मदद भोती भें गड्ढा हो, तो एसा भोती स्वास्थम एवॊ धन



सम्ऩदा को हातन ऩहुॉ ाने वारा होता हैं। 

मदद भोती

ों

के जैसा आकाय हो मा उस ऩय दाग-

धायण कयने से फर व फुवि की हातन होती हैं। 

धधफे हो, तो एसा भोती धायण कयने से ऩुि से सॊफॊचधत मदद भोती

कयने वारा होता हैं।

ऩटा हो तो, वह भोती सुख सौबाग्म का



मदद भोती ऩय िोटे कारे दाग तो, एसा भोती धायण



नाश कयने वारा व च त ॊ ा फढाने वारा होता हैं। 



मदद भोती ऩय ये खाएॊ हो तो, एसा भोती धायण कयने से

मदद भोती ऩय कारे यॊ ग की आबा मुक्त हो तो, एसा भोती धायण कयने से अऩमश फक प्रास्प्त होती हैं।



मदद भोती तीन कोने वारा हो तो, एसा भोती धायण

मश एवॊ ऐश्वमा की हातन होती हैं।

कयने से फर एवॊ फुवि का नाश होता हैं औय नऩुॊसकता

मदद भोती के

की ववृ ि होती हैं।

ायों तयप गोर ये खा हो तो, एसा भोती

धायण कयने से बमवधाक तथा स्वास्थम व रृदम को हातन



ऩहुॉ ाने वारा होता हैं। 

मदद भोती की सतह पटी हुई हो हो तो, एसा भोती धायण कयने से नाना प्रकाय के कष्ट होते हैं।

कयने से स्वास्थम फक हातन होती हैं। 

मदद भोती ऩय िारा के सभान धधफे उबये हो तो, एसा भोती धायण कयने से धन-सम्ऩदा व सौबाग्म का नष्ट

कष्ट होता हैं। 

मदद भोती ददखने भें रॊफा मा फेडौर हो तो, एसा भोती

मदद भोयी ताम्र वणा का हो तो, एसा भोती धायण कयने से बाई-फहन व ऩरयवाय का नाश होता हैं।

मदद भोती ऩय रहयदाय ये खाएॊ ददखाई दे ती हो तो, एसा



भोती धायण कयने से भन भें ईवद्वितद व धन फक हातन होती हैं।

मदद भोती

ाय कोणों से मुक्त हो तो, एसा भोती धायण

कयने से ऩत्नी का नाश होता हैं। 

मदद भोती यक्त वणा का हो तो, एसा भोती धायण कयने से ायों तयप से ववऩदा आन ऩड़ती हैं।

फकतने ददनों भें प्रबाव ददखाते हैं यत्न ? ज्मोततषी भाडमता के अनस ु ाय स्जस प्रकाय हय यत्न का यॊ ग सबडन होता हैं उसी प्रकाय उसके प्रबाव बी

एक दस ू ये से सबडन होता हैं । मदद कोई यत्न शीघ्र अऩना प्रबाव ददखाता हैं तो कोई भॊद गतत से थोड़ा ववरॊफ से अऩना प्रबाव ददखाता हैं। विद्वदनों ने अऩने अनब ु वों से ऩामा हैं की कौन सा यत्न शीघ्र व कौन सा ववरॊफ से अऩना प्रबाव ददखाता हैं।  भाणणक्म 28 ददनों भें

 नीरभ 4 ददनों भें

 भॊग ू ा 18 ददनों भें

 गोभेद 30 ददनों भें

 भोती 2 ददनों भें

 ऩडना 5 ददनों भें

 ऩख ु याज 12 ददनों भें

 हीया 24 ददनों भें

 रहसतु नमा 30 ददनों भें

यत्नों का प्रबाव यत्न की गण ु वत्ता ऩय बी तनबाय कयता हैं। साधायणत् उत्तभ गण ु वत्ता का

यत्न शीघ्र प्रबाव ददखाता हैं तो भध्मभ मा उस्से कभ गण ु वत्ता का यत्न ववरॊफ से प्रबावी होता हैं।

ददसम्फय-2016

31

भूॊगा

च भॊगर का यत्न भूॊगा भॊगर ग्रह के शुब परों की

त ॊ न जोशी

के सरमे आता हैं औय उसे ववसबडन आकाय औय साईज़

प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं।

भें काटा जाता है ।

भूॊगे को ववसबडन बाषाओ भे तनम्न सरणखत नाभो से

होता हैं औय सभुर भें भूॊगा स्जतनी गहयाई ऩय प्राप्त

भूॊगे को भॊगर का यत्न भाना गमा है । जाना जात है ।

सभुर भें कभ गहयाई ऩय प्राप्त भूॊगे का यॊ ग गहया

होता है , उसका यॊ ग उतना ही पीका होता जाता हैं।

जानकायो के भतानुशाय बूभध्मसागय के आस-ऩास

दहन्दी भे :- भूॊगा

सस्कृत भे :- ववरभ ू , रारभणण, प्रवार, यत्नाॊग, अॊगायक

भणण, बौभ यत्नक, अम्बोददऩल्रव आदद नाभ से जाना जाता हैं।

फ़ायसी भे :- सभयजान, सभयॊ गा, सभयॊ ग, भयजाॊ अंग्रेजी :- कोयर, ये ड कोयर

के द्द्वीऩों एवॊ दे श अल्जीरयमा, ट्मूनीददमा, कायडीतनमा, सससरी, ईयान, दहॊद भहासागय, स्ऩेन, इटरी तथा जाऩान भें प्राप्त होता है । इटरी से प्राप्त भॊग ू ा गहये रार यॊ ग का होता है

स्जसे इटै सरमन भॊग ू ा कहा जाता है । सवोत्तभ भॊग ू ा जाऩान का होता है स्जसे जाऩानी भॊग ू े के कहाॊ जाता हैं।

भूॊगा भुख्मत रार, ससॊदयू ी, गेरूआ, सपेद, कारा

आदद सभरते-जुरते यॊ ग भें ऩामा जाता हैं। भग ूॊ ा यत्न

भॊग ू ा से राब:



हैं। इस कायण मह धायणकताा की धैमा शस्क्त भें ववृ ि

भकदाय व कोणदाय होता हैं। भूॊगे का वजन औसत से

अचधक होता हैं। भूॊगा एक जैववक यत्न होता है ।

कयता हैं। 

भूॊगा

शिओ ु ॊ

ऩय

ववजम

प्रास्प्त

के

सरए

ववशेष

राबदामक होता हैं।

भॊग ू े का जडभ: भूॊगा सभुर से सभरने वारा यत्न हैं। मह जैववक

यत्न हैं जो सभुर भें एक ववशेष प्रकाय के कीड़े होते हैं

जो अऩने सरए घय फनाते हैं। जो भूॊगे का ऩौधा मा फैर के नाभ से जाना जाता हैं, स्जसे भॊग ू ा

ट्टाने बी कहते

हैं। भॊग ू े का ऩौधा केवर शाखाओॊ से मक् ु त होता हैं, स्जस भें ऩत्ते नहीॊ होते।

भॊग ू े का एक ऩौधा अॊदाजन एक-दो पुट ऊॊ ा औय

रगबग एक इॊ

एक उत्तभ भूॊगे भें ववरक्ष्ण शस्क्तमाॊ सभादहत होती

भोटा होता है । कुि दर ा भॊग ु ब ू े कबी-

कबी इस्से अचधक उ ाई औय

ौडाई भें प्राप्त होते हैं।

यासामतनक सॊय ना से भॊग ू ा कैस्ल्समभ काफोनेट

का एक घटक होता हैं। भूॊगे का ऩौधा जफ ऩरयऩक्व हो जाता हैं, तफ उसे सभुर से तनकारकय फाजाय भें कटाई



स्वप्न बम, फूयी नज़य ये यऺा, बूत-प्रेत आदद का बम नहीॊ होता हैं।



स्जन फछ ों को फाय-फाय नज़य रगती हों उनके गरें भें िोटा 2-3 यत्ती का भग ूॊ ा गरे भें ऩहनाना



ादहए।

भूॊगा धायण कयने से यक्त की शुवि औय यक्त की ववृ ि होती हैं।

 

रृदम योगों भें भूॊगा राबदामक होता हैं।

भूॊगे की भारा को जाऩ कयने के सरमे बी प्रमोग फकमा जाता है .



भूॊगा धायण कयने से साहस औय वीयता का सॊ ाय होता हैं।



भॊग ू े का सीधा प्रबाव भनष्ु म के भाॊस एवॊ यक्त ऩय ऩड़ता हैं।

ददसम्फय-2016

32



मह शयीय के यक्त से ववशेष प्रकाय के ववटासभन



फनाता हैं। 

फनी यहती है, पैरती नहीॊ हैं।

विद्वदनो के अनुसाय सुहाचगन स्स्िमों के भूॊगा धायण



रोक भाडमताओॊ के अनुसाय भूॊगा धायणकताा ऩय मदद



फदरजाता हैं, एवॊ योग शाॊत होने ऩय भूॊगा ऩुन्



कयने से अखॊड सौबाग्म प्राप्त होता हैं। 

योग से ऩीड़डत हो तो भूॊगा धायण कयने से मह योग 

 

योकने भें ववशेष राबकायी होता हैं।



भूॊगा फहुभूल्म औषधी के रुऩ भें बी प्रमोग फकमा जाता हैं।



भूॊगे को यात भें जर भें डूफा कय यखकय सुफह इस

अत्मॊत

राबदामक

होता

हैं।

जानकायो के भतानुशाय मदद ऩुयाना फवासीय हो तो रगबग एक भास हय ददन यािी भें भूॊगे को ऩानी भें

यात बय डूफा कय यखदें उस ऩानी को सुफह ऩीने से

के

सभान

यॊ ग



यक्त जभ जाता है ।

से

ोयी-रूट आदद भें धन नाश



दो मा दो से अचधक यॊ ग का भूॊगा धायण कयना धनसॊऩस्त्त के सरए हानी कायक होता हैं।

भूॊगा Munga (Red Coral)

** All Weight In Rati ायों ओय

कयने

पटा हुवा भूॊगा धायण कयने से स्वास्थ्म सॊफॊचधत सभस्माएॊ होने रगती हैं।

भूॊगा अडम यत्नों की अऩेऺा च कना होता है तथा असरी भूॊगे को यक्त भें यखने से उसके

धायण



भाडमता: हाथ भें रेने ऩय फपसरता है ।

भूॊगा

स्जस भूॊगे का एक कोना कटा हो एसा भूॊगा सॊतान के

फवासीय जड़ से सभाप्त हो जाता हैं।



का

सरए हातनकायक होता हैं।

ऩीसरमा, सभयगी व रृदम योग भें बी भूॊगे की बस्भ भूॊगा

याख

होता हैं। 

भें

मदद भूॊगे भें सपेद िीॊडे मा धधफे हो तो धन का नाश

आकस्स्भक धन हानी,

उदय सॊफडधी योगों भें बी इसका सेवन राबदामक

फवासीय

मदद भॊग ू े भें कारे िीॊडे मा धधफे हो तो धायण कताा

कयने वारा होता हैं।

भूॊगेकी बस्भ का सेवन शायीरयक फरभें ववृ ि कयता हैं।

का सेवन राबकायी यहता हैं। 

प्राण घातक होता हैं।



जर को आॊखों भें रगाने से नेि ज्मोतत तेज होती हैं। 

मदद भॊग ू े भें गड्ढा हो तो वह जीवन साथी के सरमे

का स्वास्थ्म ऺीण होता हैं।

होता हैं। 

भॊग ू े के दोष 

योग औय भॊग ू ा: 

असरी भूॊगा आग भें डारने से जर जाता है । औय उसभें से फार जरने के सभान गॊध आती है ।

को दयू कयने वारा हैं। भूॊगा व्मस्क्त की फौविक

ऺभता भें ववृ ि कयने वारा हैं। भूॊगा यक्त स्राव को

कारे भूॊगे ऩय हाडड्रोक्रोरयक एससड का कोई प्रबाव नहीॊ होता।

वास्तववक यॊ ग का हो जाता हैं।

फौि धभा के विद्वदनो के भत से मदद कोई भानससक

असरी भूॊगे ऩय हाडड्रोक्रोरयक एससड डारने से उसकी सतह ऩय झाग उठने रगते हैं।

कोई योग का सॊकट आने वारा हो तो भूॊगे का यॊ ग



असरी भूॊगे ऩय ऩानी की फूॊद यखने से फूॊद भूॊगे ऩय

Munga-5.25"Rs. 2350 Munga-6.25"Rs. 2800 Munga-7.25"Rs. 3700 Munga-8.25"Rs. 4600 Munga-9.25"Rs. 5500 Munga-10.25"Rs.6400

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ददसम्फय-2016

33

ऩडना

च फुध का यत्न ऩडना फुध ग्रह के शुब परों की

ऩन्ना भुख्मत् ऩांच यं गों भें ऩामा जाता है

ऩडना को फुध का यत्न भाना गमा है । ऩडना फुध

2. हये ऩानी के यॊ ग के सभान यॊ ग का

प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं।

1. भमूयऩॊख के यॊ ग के सभान यॊ ग का

ग्रह का प्रतततनचध यत्न भाना जाता है

3. सयसों के ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का

इसे ववसबडन नाभों से ऩुकाया जाता है -

4. हल्का शेडडूर ऩुष्ऩ के सभान यॊ ग का 5. तोते के ऩॊख के सभान हये यॊ ग का

दहन्दी भे :- ऩडना सस्कृत भे :- ऩडना, भयकत, ऩाच , गुरुत्भत, हरयतभणण,

गरुडाॊफकत गयतारय, सौऩणणा, गरुड़ोदग ू ाांणा आदद नाभ से जाना जाता हैं। फ़ायसी भे :-

ऩडना धायण कयने से राब:  

जभई ु द, जभयन, यत्न

को

अतत

ऩडने के फने चगरासों शयाफ ऩीने से शयाफ का नशा

प्रा ीन

के ऩत्थय भें से एक ववसशष्ठ जातत का ऩत्थय होता हैं।

उत्तभ गुणो वारा ऩडना हयी भखभरी घास के सभान

अतत सुडदय हये यॊ ग का होता हैं। ऩडना गहये हये यॊ ग से रेकय हल्के हये यॊ ग का होता हैं। जानकायो की भाने तो

ऩडना ऩीरे व गुराफी यॊ ग का बी ऩामा जाता हैं। रेफकन गहये हयें यॊ ग के ऩडन सवाश्रेष्ठ होते हैं।

कई गुना फढ़ जाता हैं। 

ऩडना धायण कयने से नेियोग एवॊ ज्वयनाशक होता हैं।



ऩडना सस्डनऩात, दभा, पोडे आदद व्माचधमों को को दयू कयता हैं।

 

(अभेरयका),

ब्राजीर,

योडेसशमा(अफ्रीका), सभस्र, सेडडेवान(अफ्रीका), भेडागास्कय आदद स्थानों से प्राप्त होता हैं। कोरस्म्फमा के ऩडना की भाॊग आज फाजायो भें सवााचधक हैं। ऩडना ऩायदशॉ औय अऩायदशॉ दोनों तयह के होते है । कभ भूल्म के ऩायदशॉ ऩडना यत्न भें प्राम् फादर

जैसा ये शा मा हल्का-सा जारा होता हैं, दोष यदहत ऩडना कभ ही प्राप्त होते हैं इस सरमे दोष यदहत ऩडना का भूल्म अॊतयास्ष्ित फाजायो भें अचधक होता हैं।

ऩडना धायण कयने से व्मस्क्त का

ॊ र च त्त शाॊत

व सॊमसभत हो जाता हैं। स्जससे व्मस्क्त को भानससक शाॊतत प्राप्त होती हैं औय व्मस्क्त का भन एकाग्र हो

अराव अडमस्थानो से प्राप्त होता हैं। ववदे शों भें ऩडना कोरस्म्फमा

ऩडना धायण कताा के शयीय भें फर एवॊ वीमा की ववृ ि कयता हैं।

ऩडना बायत भें अचधकतय अजभेय व उदमऩुय के ऩाफकस्तान,

इस सरमे ऩयू ातन कार भें याजा-भहायाजा ऩडने के फने

चगरासों भें शयाफ ऩीमा कयते थे एसी भाडमता हैं की

फहुप्र सरत व भल् ू मवान भाना जाता हैं। ऩडना भर ू रुऩ से फैरूज जातत

रुस,

ऩडने का ववशेष गण हैं की वह धायण कताा भें ु उत्तेजना एवॊ भादक बाव ऩैदा कयता हैं।

अंग्रेजी :- एभयाल्ड ऩडना

त ॊ न जोशी

जाता है । 

ऩडना काभ, क्रोध आदद ववकायों को शाॊत कय व्मस्क्त को असीभ सुख शास्डत प्रदान कयता हैं।



विद्यद अध्ममन से जुड़े व्मस्क्त को भन की उत्तभ एकाग्रता एवॊ कुशाग्र फुवि की प्रास्प्त हे तु ऩडना अवश्म धायण कयना

ादहए।

याशश यत्न एिं उऩयत्न धायि कयने हे तु संऩका कयें ।

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ददसम्फय-2016

34

भाडमता: 



ऩडना की औय दे खने से आॉखों को शीतरता भहसूस होती हैं।



असरी ऩडने को रकड़ी ऩय यगड़ने से इसकी





नाश कयने वारा होता हैं। 

इसभें बॊगुयता होने के कायण मह जोय से ठोकय



ऩडना को सम ू ा की योशनी भे दे खने से हये यॊ ग की िामा तनकरती है |



काॊ

के चगरास भें ऩानी बय कय ऩडना को इस

चगरास भें डार दे ने से ऩानी से हये यॊ ग की फकयणे स्पूयीत होती हैं।

योग औय ऩडना: 

ऩडना धायण कयने से शायीरयक फर एवॊ सौदमा भें ववृ ि होती हैं।



ऩडना फुखाय, उल्टी, ववष, फवासीय इत्मादद योगो भें अतत राबदामक हैं।



ऩथयी, भूि योग आदद भें ऩडना की बस्भ राबदामक होती हैं।

विद्वदनो के भत से ऩडना भें ववशेष कय तनम्न दोष ऩाए जाते हैं, अत् दोष-मक् ु त ऩडना कबी बी धायण नहीॊ कयना

ादहए। दोष मक् ु त ऩडना धायण कयने से

राब के स्थान ऩय हातन हो सकती हैं। 

स्जस ऩडने का यॊ ग सोने के सभान हो मा उसका भख ु ऩीरे यॊ ग का हो, तो इस प्रकाय के ऩडना को धायण कयने से सबी प्रकाय से हातनकायक ससि होता हैं।



स्जस ऩडने भें यक्त वणा के रार िीॊटे हो ऎसा ऩडना धायण कयने से सुख-सम्ऩतत को नष्ट हो जाती हैं।



जो ऩडना दे खने भें सुडन सा उदास मा

भकहीन हो, उल्टा दे खने से

भकहीन ददखाई दे ता हों, ऎसा

ऩडना धायण कयने से धनहातन होती हैं।  

स्जस ऩडने भें िोटी-िोटी टूटी हुई धारयमों ददखे, ऎसा ऩडना धायण कयने से वॊशववृ ि हे तु हातन कयता हैं। स्जस ऩडने भें गड्ढा हो, ऎसा ऩडना धायण कयने से आकस्स्भक दघ ा ना होने की सॊबावना को फढाता हैं। ु ट्



स्जस ऩडने भें कारे धधफे ददखाई दे ते हों, ऎसा ऩडना धायण कयना स्िी के सरए हातनकायक होता हैं।



स्जस ऩडने सीधी ये खा ददखाई दे ते हों, ऎसा ऩडना धायण कयना धन का कयने वारा होता हैं।



स्जस ऩडने को दे ख ने से वह खयु दया ददखाई दे ता हो मा उसका यॊ ग पटा-पटा सा ददखाई दे ता हो, ऎसा ऩना धायण कयने से हातन होती हैं।

भॊि ससि ऩडना गणेश

ऩन्ना के दोष 

स्जस ऩडने भें जार जैसी ये खाओॊ का सभूह हो ऎसा ऩडना धायण कयना स्वास्थ्म के सरए हातन होता हैं।

रगने ऩय मा चगयने से टूट सकता है । 

स्जस ऩडने भें दो से असशक यॊ ग हो, एसा ऩडना धायण कयने से व्मस्क्त के फर, वीमा औय फुवि का

असरी ऩडने ऩय ऩानी की फूॊद यखने से फूॊद ऩडना ऩय फनी यहती है, पैरती नहीॊ हैं।



कयने से सॊतान ऩऺ के सरए हातनकायक होता हैं।

भक

भें ववृ ि होती है ।

स्जस ऩडने भें ऩीरे यॊ ग के िीॊटे हो ऎसा ऩडना धायण

शहद के यॊ ग के सभान यॊ ग वारा ऩडना धायण कयना भाता-वऩता के सरए हातनकायक होता हैं।

बगवान श्री गणेश फवु ि औय सशऺा के कायक ग्रह

फध ु के अचधऩतत दे वता हैं। ऩडना गणेश फध ु के

सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ नकायात्भक

प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩडन गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें ववृ ि भें ववृ ि होती हैं। फछ ो फक ऩढाई हे तु बी

ववशेष पर प्रद हैं ऩडना गणेश इस के प्रबाव से फछ े फक फवु ि कूशाग्र होकय उसके आत्भववश्वास भें बी ववशेष ववृ ि होती

हैं। भानससक अशाॊतत को कभ कयने भें भदद कयता हैं, व्मस्क्त

द्वदरद अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती प्रदान कयती हैं, व्मस्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती हैं। स्जगय, पेपड़े, जीब,

भस्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्मादद योग भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं। Rs.550 से Rs.8200 तक

ददसम्फय-2016

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ऩुखयाज

च फह ृ स्ऩतत (गुरु) का यत्न ऩुखयाज गुरु ग्रह के शुब

परों की प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। ऩुखयाज को

गुरु का यत्न भाना गमा है । ऩुखयाज एक फहुभल् ू म यत्न हैं।

सस्कृत भे :- ऩुष्ऩयाज, गुरुयत्न, गुरु वल्रब, ऩुष्ऩयाग,

ऩीतभणण, ऩीतयक्त भणण, वा स्ऩतत-वल्रब आदद नाभ से जाना जाता हैं।

शीध्र प्राप्त होता हैं एवॊ ऩूणा वैवादहक सुख प्राप्त होता हैं।

फह ु सॊतान कायक भाना गमा है , अत् ृ स्ऩतत को ऩि ऩख ु याज धायण कयने ऩि ु सॊतान की प्रास्प्त होती हैं।



धभा-कभा व आध्मास्त्भक उडनतत हे तु ऩख ु याज धायण कयना अत्मॊत राबदामक होता हैं।



प्रास्प्त स्थान:

ऩख ु याज

धायण

कयने

से

बत ू -प्रेत

आदद

आसयु ी

ऩुखयाज को धायण कयने से वाणी सम्फडधी दोष दयू होते हैं एवॊ गरे की ऩीड़ा से याहत सभरती हैं।

जानकायो के भत से ऩुखयाज का प्रास्प्त स्थान आसाभ,

अडम

दे शो

भें

फभाा,



सीरोन,



औय

सीने का ददा , श्वास योग, वामु ववकाय, टीफी, रृदम

विद्वदनो के भत से उत्तभ ऩुखयाज धायण कयने

योग भें ऩुखयाज धायण कयने से राबप्रद होता है । 

ददधाामु, भान-सम्भान, फुवि-फर की ववृ ि होती हैं एवॊ

कय रगाने से ववष का प्रबाव उतय जाता हैं।

ऩख ु याज ऩाॉ

यॊ गों भें ऩामा जाता है - हल्दी यॊ ग भें ,

केशय/केशरयमा, नीफू के तिरके के यॊ ग का, स्वणा के यॊ ग

दौरत-शोहयत प्राप्त होती हैं व्मस्क्त की प्रततष्ठा तनयॊ तय कीड़े ने काटा हो, उस स्थान ऩय असरी ऩख ु याज तघस

गुरु ग्रह को जीवनदाता भाना गमा हैं। गुरु वसा एवॊ ग्रॊचथमों से सीधा सॊफॊध यखता है । इस सरमे गरा योग,

वजनदाय ऩुखयाज दर ा भाना जाता हैं। ु ब

फढती हैं। ऩौयाणणक भाडमताके अनश ु ाय मदद फकसी ववषैरे

अथाात कडमा की

शादी जल्दी हो जाती हैं। 

वारे को भनससक शास्डत, धन की प्रास्प्त, स्वास्थ्म राब,

फवासीय,

विद्वदन ज्मोततषीमों के भतानुसाय मदद फकसी कडमा

अशुब मोगो का अॊत हो जाता हैं

ऩुखयाज बी उतने ही यॊ ग भें ऩामा जाता हैं। ऩीरे यॊ ग का ऩायदशाक

दग ा ध, ु ड

धायण कयाने से वववाह भें फाधा उत्ऩडन कयने वारे

हैं। एसी भाडमता हैं की पूरो के स्जतने यॊ ग होते हैं,

स्वछि,

की

की शादी भें ववघ्न-फाधा आ यही हो उसे ऩुखयाज

का याजा हैं। ऩुखयाज ऩीरे, सफ़ेद औय नीरे यॊ गों का होता

आबामुक्त

भुख

ईराज के सरए प्रमोग फकमा जाता यहा हैं।

ऩुखयाज यत्न को विद्वदन ग्रॊथकायो नें सबी यत्नों

ऩुखयाज सवाश्रेष्ठ भाना जाता है ।

सस्डनऩात,

भडदास्ग्न, वऩत्त-ज्वयादद आदद कई प्रकाय के योगों के

प्राप्त होते हैं। अॊतयास्ष्िम फाजायों भें सीरोन व फभाा के ऩुखयाज की भाॊग सफसे अचधक भानी जाती हैं।

ऩुखयाज ऩीसरमा, ततल्री, ऩाॊडू योग, खाॊसी, दडत योग, अल्सय,

तुफकास्तान, ईयान, ब्राज़ीर, मूयार आदद दे शो से ऩुखयाज

स्वणाभम

ऩुखयाज धायण कयने से कडमाओॊ को वैवादहक सुख

फाधाओॊ का तनवायण होता हैं।

अंग्रेजी :- सेपामय

भें





फ़ायसी भे :- माकूत

बायत

ऩख ु याज के राब



दहन्दी भे :- ऩुखयाज

त ॊ न जोशी

का तथा सपेद-ऩीरी झाॉई वारा। 

गरू ु का यत्न ऩख ु याज हैं। ऩीरे यॊ ग का ऩख ु याज भोटाऩे को

तनमॊत्रित कयने के सरए उत्तभ यत्न हैं एवॊ स्जस व्मस्क्त

ददसम्फय-2016

36

का स्वास्थ्म दफ ा यहता हों, उडहें अऩनी सेहत भें सुधाय ु र

के सरए ऩुखयाज धायण कयना बी राबप्रद होता हैं। ऩुखयाज धायण कयने से यक्त ाऩ तनमॊत्रित यहता हैं।

भाडमता:

ऩख ु याज के दोष: 

शस्िधात, 

उत्तभ ऩुखयाज वहॊ हैं जो स्ऩशा कयन से च कना रगे,

ऩुखयाज को





स्जस ऩख ु याज भें कारे यॊ ग के िीॊटे मा धधफे हो एसे नक् ु शानदाम ससि होता हैं।



स्जस ऩुखयाज भें खड्डा ददखाई दे ता हो, एसे ऩुखयाज को धायण कयने से धन-सॊऩस्त्त को नष्ट कयने वारा होता हैं।



स्जस ऩुखयाज भें जारे ददखाई दे ता हो, एसे ऩुखयाज को धायण कयने से सॊतान सुख के सरए हातनकायक

फढा े़ हुवा ददखाई हो एसा ऩख ु याज श्रेष्ठ होता हैं।

भाना जाता हैं। 

स्जस ऩुखयाज भें दो यॊ ग हो वह योग ववृ ि कयने वारा भाना गमा हैं।

ननष्प्रबं ककाशं रूऺं ऩीतं श्माभं नतोन्नतभ ् ।

कवऩशं कवऩरं ऩाण्डु ऩुष्ऩयागं ऩरयत्मजेत ् ।। यस-४.२५ ।।

स्जस ऩख ु याज भें रार यॊ ग के िीॊटे मा धधफे हो एसे

ऩख ु याज को धायण कयने से गह ृ स्थजीवन के सरमे

आकाय भें फडा े़ (अथाात: स्थर ू ) हो, ऩयत यदहत (अथाात:

सभ) हो, िूने भें भर ु ामभ हो, णखरे हुए ऩीरे कस्ण्डय के पूर के सभान आबा हो, कसौटी ऩय तघसने से यॊ ग औय

भकयदहत उसे धायण

ऩख ु याज को धायण कयने से धनधाडम नाशक होता हैं।

(यसयत्नसभुछ म अध्माम-४.२४)

गुरु) हो, दे खने भें स्स्नग्ध हो, दाग-धधफे यदहत स्वछि हो,

स्जस ऩुखयाज सुडन हो अथाात हातनकायक होता हैं।



अथाात: जो ऩुखयाज हाथ ऩय यखने से वजनी (अथाात:

ीय- सीधी धायी मा रकीय ददखे

कयने से धायण कयने वारे के स्वास्थ्म के सरए

भक पीकी न ऩड़े तो सभझे ऩख ु याज

ऩुष्ऩयागं गुरु स्िच्छं ष्स्नग्धं स्थूरं सभं भृदु । कणिाकाय प्रसूनाबं भसि ृ ं शुबभष्िधा॥

स्जस ऩुखयाज भें

उत्ऩडन कयवाता हैं।

ौफीस घडटे कछ े दध ू भें डूफाॊ कय यखने के

फाद मदद उसकी असरी हैं।

भक से मुक्त हो।

ोट आदद की आशॊकाओॊ को फढाता हैं।

एसे ऩुखयाज को धायण कयने से फॊध-ु फाॉधवों से ववयोध

जो हाथ भें रेने ऩय उसका वजन कुि बायी रगे, जो ऩायदशॉ हो, जो प्राकृततक

दचु धमे यॊ ग का ऩुखयाज धायण कयने से शयीय ऩय



दोषमुक्त ऩुखयाज राब के स्थान ऩय हातन कायता हैं।

ज्मोततष एवॊ यत्न सॊफॊचधत ववशेष ऩयाभशा ज्मोतत ववऻान, अॊक ज्मोततष, वास्तु एवॊ आध्मास्त्भक ऻान सें सॊफॊचधत ववषमों भें हभाये अनुबवों के साथ ज्मोततष से जड ु े नमे-नमे सॊशोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी सभस्मा के सयर सभाधान प्राप्त कय सकते हैं। गरु ु त्ि कामाारम संऩका : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785

ददसम्फय-2016

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हीया

च शुक्र का यत्न हीया शुक्र ग्रह के शुब परों की



प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। हीये को शुक्र का यत्न

अशुब टोने-टोटके इत्मादद का प्रबाव नहीॊ होता हैं। 

दहन्दी भे :- हीया

सुख साधनो की प्रास्प्त होती हैं।

अबेद्द्म, कुसरष, विद्यरत, अका सबदयु आदद नाभो से जाना



फ़ायसी भे :-



जाता हैं।

अल्भास

वॊश-ववृ ि हे तु हीया धायण कयना अत्मॊत राबदामक होता हैं।

हीया अडम यत्नो की अऩेऺा सफसे कठोय यत्न हैं। हीये को अडम फकसी यत्न से खयों ा नहीॊ जा सकता। जानकायो के अनश ु ाय हीया स्जतना

जानकायो की भाने तो हीये भें वशीकयण कयने की अद्द्द्भत ु शस्क्त सभादहतहोती हैं।

अंग्रेजी :- डामभण्ड  

भकीरा औय कठोय

होता हैं उतना श्रेष्ठ भाना जाता हैं। का होता हैं।

प्रास्प्त स्थान: जफ कोमरा ऩथ् ृ वी के गबा भें हजायो-राखों वषों

दफा यहता हैं उसभें कुि एक ववशेष प्रफक्रमा के उऩयाॊत वह कोमरा फेशकीभती यत्न हीये का स्वरुऩ धायण कय रेता हैं।

हीये के राब जानकायो के भत से हीया का प्रास्प्त स्थान भख् ु म रूऩ

से बायत, दक्षऺण अफ्रीका, अॊगोरा, नाभीत्रफमा, रूस इत्मादद दे शो से प्राप्त होते हैं।

हीया धायण कयने से वैवादहक सख ु भें ववृ ि होती हैं।

हीया धायण कयने से धन-धाडम, मश-कीतता भें ववृ ि होती हैं।



हीया भख् ु मत: सपेद, ऩीरा , रार, गर ु ाफी औय कारे यॊ ग



हीया धायण कयने से व्मस्क्त को सुख, सौबाग्म, ऐश्वमा, भान-सम्भान, आदद सभस्त प्रकाय के बौततक

सस्कृत भे :- हीयक, वज्र, बागवा-वप्रम, भणणवय, ऩवव,



कुि विद्वदनो का भत हैं की हीया धायण कयने से बूत-प्रेत आदद ऩीड़ाएॊ शाॊत होती हैं एवॊ व्मस्क्त ऩय

भाना गमा है । हीया एक फहुभूल्म यत्न हैं।



त ॊ न जोशी

हीया धायण कयना शक्र जतनत योगों भें अत्मॊत ु राबदामक होता हैं।



हीया धायण कयने से स्िी-ऩुरुष दोनों के व्मस्क्तत्व भें तनखाय आता हैं।

स्वास्थ्म: हीया धायण कयने से दफ ा ता दयू होती हैं। हीया धायण ु र

कयने से नॊऩुसकता, वीमा ववकाय, वामु प्रकोऩ, भडदास्ग्न, प्रभेह दोष, रृदम योग, श्वेत प्रदय, ववषैरा व्रण, भानससक कभजोयी इत्मादद योग भें राब प्राप्त होता हैं। हीया धायण कयने से वीमा दोष, शीघ्र ऩतन औय जनन अॊगों इत्मादी योगों का नाशक हैं।

दफ ा ता ु र

भहवषा शुक्राचामा के भतानुशाय:

न धायमेत ् ऩुर काभानायी िज्रभ कदाचन्।

ऩौयाणणक भाडमता के अनुशाय हीया धायण कयने से

अथाात: जो स्िीमाॊ ऩुि सॊतान की काभना कयती उडहें

वि ृ व्मस्क्त के हीया धायण कयने से उनके फर एवॊ

इस ववषम भें विद्वदनो के भत भें सबडनता हैं।

ववषैरे जीव-जॊतुओॊ का बम नहीॊ यहता।

हीया नहीॊ ऩहनना

ादहए।

साहस भें ववृ ि होती हैं।

कुि विद्वदनो का भत शक्र ु ा ामा जी के ऩऺभें हैं तो कुि

विद्वदन‍ ज्मोततषी के भतानश ु ाय मदद तनमभानस ु ाय कोई

ददसम्फय-2016

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स्िी त्रिकोण आकाय का हीया धायण कयती हैं उडहें ऩुि यत्न की प्रास्प्त होती हैं।

अशुब हीया धायण कयने से ववऩरयत ऩरयणाभ

प्राप्त होते हैं इस ववषम भें विद्वदनो का भतानुशाय:

धायिात ् तच्च ऩाऩा रक्ष्भी विनाशनभ।्

दोष:  

स्जस हीये का यॊ ग धध ुॉ रा, धए ु ॊ के सभान गॊदा हो तो

एसे हीये को धायण कयने से वाहन एवॊ ऩशुधन हे तु घातक होता हैं। 

"स्िजनविबिजीवितऺमं जनमनत िज्रभननष्िरऺिभ।्

भक न हो तो एसे हीये को धायण

कयने से धन का नाश होता हैं।

अथाात: अशुब हीया के धायण से रक्ष्भी का ववनाश होता है ।

स्जस हीये भें

स्जस हीये का यॊ ग रार आबामुक्त हो उसे धायण कयने से आचथाक सभस्माएॊ ऩये शान कयती हैं।

स्जस हीये भें गड्ढा हो एसे हीये को धायण कयने से

अशननविशबमारयनाशनं शुबभुऩबोगकयं च बूबत ् ृ ाभ।"



हातन, वैबव का नाश, जीवन हातन, प्राण नाश आदद



ऩीरे यॊ ग का हीया धायण कयने से वॊश का नाश होता हैं।



स्जस हीये भें कटा हुवा बाग मा धाय हो, एसे हीये को धायण कयने से ोय बम होता हैं।



स्जस हीये भें अडम यॊ ग के त्रफॊद ु मा िीॊटे हो, उस हीये

अथाात: अशुब व दोषमोक्त हीया धायण ने से फाडधवों की बमॊकय ऩरयणाभ होते हैं।

उत्तभ गण ु ो से मक् ु त हीया व्मस्क्त को वज्रऩात,

ववषबम, शिब ु म का नाश कयने वारा व भत्ृ मु बम को दयू कयने वारा होता हैं।

शास्ि कायो नें हीये के

स्वास्थ्म सॊफॊचधत सभस्माएॊ उत्ऩडन होती हैं।

को धायण कयने से भत्ृ मु बम होता हैं। 

ाय गुण भाने हैं।

स्जस हीये भें आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ हो, एसे हीये को धायण कयने से भानससक शाॊतत बॊग होती हैं।

 श्वेत यॊ ग का हीया सास्त्वक होता हैं।



 रार यॊ ग का हीया तभोगण ु ी होता हैं।

स्जस हीये भें कौएॊ के ऩॊजे के सभान च ह्न हो, उस हीये को धायण कयने से सबी प्रकाय से प्रततकूर होता हैं।

 ऩीरे यॊ ग का हीया यजोगुणी होता हैं।

 तथा कारे यॊ ग का हीया शूरगुणी होता है ।

भाडमता: 

उत्तभ हीये को गभा ऩानी, गभा दध ू , मा तेर भें डारा जाए तो वह उसको शीघ्र ठॊ डा कय दे ता हैं।



शि ु हीये ऩय फकसी बी ऩदाथा से खयों

का च ह्न

नहीॊ फना सकते। 

मदद हीये को धऩ ू भें यख ददमा जामे तो उसभे से इडरधनष ु जैसी फकयणे ददखाई दे ती हैं।



हीया अॊधेये भें

भकता हैं।



हीया धायण कयने से मुि भें शस्िघात से यऺा होती हैं।



हीया धायण कयने से ज्वय के ताऩ को बी दयू कय दे ता है ।

भल् ू म:- Rs.640, 910, 1180 >> Shop Online

ददसम्फय-2016

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नीरभ

च शतन का यत्न नीरभ शतन ग्रह के शुब परों की



प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। नीरभ को शतन का

प्रास्प्त होती हैं। 

दहन्दी भे :- नीरभ, नीर भणण,



फ़ायसी भे :-



नाभो से जाना जाता हैं।

अनैततक व ऩाऩ कभो भें सरप्त व्मस्क्तमों को नीरभ ववऩयीत पर प्रदान कयता हैं।

रेदिन भे :- सेपामयस



अंग्रेजी :- धरू सैपामय

भन एवॊ आत्भा की प्रसडनता हे तु नीरभ धायण कयना भददगाय ससि होता हैं।

वैददक ज्मोततष शास्ि भें शतन की भहादशा मा



अॊतयदशा भें शतन के अशुब प्रबावो को दयू कयने के सरए एवॊ शतन ग्रह के कोऩ को शाॊत कयने के सरए जानकाय

ज्मोततषी की सराह से नीरभ धायण कयना एक उत्तभ उऩाम भाना जाता हैं।

नीरभ धायण कयने से श्वास, खाॊसी औय वऩत्त से सॊफॊचधत योगों को शाॊत कयता हैं।

भाडमता: 

गाम के दध ू भें नीरभ डार ददमा जाम तो दध ू का यॊ ग नीरा हो जाता है ।

प्रास्प्त स्थान: बायत भें कश्भीय से प्राप्त होने वारे नीरभ



नीरभ का



प्रास्प्त स्थान भुख्म रूऩ से श्रीरॊका, फभाा, थाईरैंड, आस्िे सरमा, डमू साउथ वेल्स, अभेरयका, मयू ोऩ, रुस आदद

मदद नीरभ को धऩ ू भें यखा जाम तो इससे नीरे यॊ ग की तीव्र फकयणें तनकरती ददखाई दे ती हैं।



कोटी के फहुभूल्मवान

एसी भाडमता हैं की नीरभ को ववषैरे साॊऩ के साथ यखने से साॊऩ भय जाता हैं।



नीरभ के राब तनरभ धायण कयने से व्मस्क्त को योग, दोष, दख ु -

के चगरास भें ऩानी बयकय उसभें नीरभ यत्न

स्ऩष्ट तनकरती हुई ददखाई दे ती हैं।

जाते हैं, क्मोंफक इस नीरभ का यॊ ग भोय की गदा न के यॊ ग के सभान नीरा होता हैं। इस के अरावा

काॊ

डार ददमा जाम तो ऩानी से नीरे यॊ ग की आबा

सवाश्रेष्ठ भाने जाते हैं। जो भमूय नीरभ के नाभ से जाने

दारयरम से भुक्त कयदे ता हैं।

प्रेभ भें सपरता हे तु नीरभ बाग्मवान यत्न भाना जाता हैं।

अयफी भे :- माकूत-अर-असीय



रयि

जागत ृ नहीॊ होते।

यत्न, नीरोऩान, शोरय यत्न, इडरनीर, तण ृ ाशाही आदद

नीरभ श्रीरॊका के भाने जाते हैं।

भाडमता के अनुशाय नीरभ धायण कयने से

स्वछि यहता हैं धायण कयता भें अनैततकता के गुण

सस्कृत भे :- नीर, भहानीर, शतनयत्न, शतन वप्रम, नीर

नीरभ प्राप्त होते हैं। रेफकन उछ

तनरभ धायण कयने से व्मस्क्त को धन-धाडम, सुखसॊऩस्त्त, फुवि, फर, मश, आम,ु सॊऩस्त्त-सॊततत की

यत्न भाना गमा है ।

माकूत, कफद ू

त ॊ न जोशी

नीरभ धायण कयने से बूत-प्रेत आदद आसुयी फाधाओॊ से िुटकाया सभरता हैं।



नीरभ धायण कयने से व्मस्क्त बववष्मवाणी कयने भें सभथा हो सकता हैं।

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दष्ु ट एवॊ कुकभा भें सरप्त व्मस्क्त मदद श्रेष्ठ गुणो



वारा नीरभ बी धायण कयता हैं तो उस नीरभ की

नीरभ धायण कयना जीवन भें द्ु खो से सम्भुखीन

भक फपकी हो जाती हैं। 

कुि विद्वदनो का भत हैं की ववष प्रबाव को कभ कयने भें नीरभ को कापी असयकायक होता हैं।

ोट मा घाव होने ऩय यक्त प्रवाह योकने भें नीरभ



सहामक होता हैं।  

कयवाता हैं। 

नीरभ यत्न धायण कयने से भुख की काॊतत तथा नेिों





ोयी, योग मा अडम नक् ु शानकायी प्रबाव

ददखाई दे तो नीरभ को तुयॊत उताय दे ना 

सॊतान के सरमे हातनकायक होता हैं। 

धायण कयना राबदामक होता हैं। 

नीरभ धायण कयने से व्मस्क्त भें धैमा व साहस की

स्जस नीरभ का यॊ ग दध ू मा हो, एसा नीरभ धायण कयना धन-सॊऩस्त्त का नाश कयने वारा होता हैं।



ादहए।

क्रूय कभा कयने वारे व्मस्क्तमों को हभेशाॊ नीरभ

स्जस नीरभ भें रार यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा नीरभ धायण कयना व्मस्क्त के स्वास्थ्म, सुख व

आ जाम मा नेि योग हो जामे अथवा कोई आकस्स्भक दघ ा ना, बम, ु ट

स्जस नीरभ भें स्वेत यॊ ग की ये खा हो, एसा नीरभ मोग फनाता हैं।

नीरभ धायण कयने के ऩश् ात यात भें फयु े -बमावह स्वप्न ददखाई दें अथवा स्वमॊ की भुखाकृतत भें अॊतय

ीय मा आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ

धायण कयने से अस्ि-शस्ि के आघात से भत्ृ मु के

की ज्मोतत भें ववृ ि होती हैं। 

स्जस नीरभ भें

हो, एसे नीरभ को धायण कयने से दरयरता आती हैं।

नीरभ यत्न धायण कयने से उसके शुब-अशुब प्रबाव कुि ही घॊटों के बीतय प्रकट कय दे ता हैं।

स्जस नीरभ भें अडम यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा

स्जस नीरभ भें गड्ढा हो एसे नीरभ को धायण कयने से शिु से कष्ट प्राप्त होता हैं।



स्जस नीरभ भें जार के सभान ये खाएॊ हो एसा नीरभ योग शोक भें ववृ ि कयने वारा होता हैं।

ववृ ि होती हैं। 

नीरभ ऩहनने से व्मस्क्त की कामा ऺभता फढ़ती हैं व

धायणकताा को अऩनी भेहनतका ऩण ू ा पर प्राप्त होता हैं।

योग औय नीरभ: नीरभ धायण कयने से नेि योग, ददभाग की गभॉ, ऩागरऩन, ज्वय, अजीणा, उऩदॊ श, खाॊसी, दह की, भुॊह से खन ू आना, उल्टी आदद योगो भें राबप्राप्त होता हैं।

दोष: 

स्जस नीरभ भें दों से अचधक यॊ ग हो, एसा नीरभ धायण कयना ऩत्नी के सरमे नुक्शानकायी होता हैं।



स्जस नीरभ की

भक पीकी हो, एसा नीरभ धायण

कयने से आस्त्भम फॊध/ु फाॊधवो का होता हैं।

भल् ू म:- Rs.1100 to 10900 >> Shop Online

ददसम्फय-2016

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गोभेद

च याहु का यत्न गोभेद याहु ग्रह के शुब परों की प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। गोभेद को याहु का यत्न भाना गमा है ।



त ॊ न जोशी

गोभेद धायण कयने से अबक्ष्म खाद्द्म ऩदाथो के सेवन कयने की आदत से िुटकाया सभरता हैं।



गोभेद धायण कयने से

वववाह फाधाएॊ दयू होती हैं एवॊ

शीघ्र शादी के मोग फनते हैं। दहन्दी भे:- गोभेद, गोभेद भणण,



सस्कृत भे:- स्वय बान,ु ऩीत यत्न, याहु यत्न, गोभेद, गौभेदक, िणवय, ताऩोभणण, वऩॊग स्पदटक आदद नाभो से

मदद सॊतान प्रास्प्त भें ववरम्फ हो यहा हो तो गोभेद धायण कयने से शीघ्र सॊतान प्रास्प्त के मोग फनते हैं।



जाना जाता हैं।

गोभेद भें रोहे का अॊश अचधक होने से गोभेद को फ ॊु क खीॊ ता हैं।

अयफी भे:- हजाय मभनी



रेदिन भे:- जायगून

गोभेद धायण कयने से रृदम,

एवॊ भानससक योगों का शभन होता हैं।

अंग्रेजी:- है सोनाईट, ससनोभडस्टोन,जेसुडथ आदद नाभ से



गोभेद का यॊ ग शहद जैसा होता है। शास्िोक्त भत



जाना जाता हैं।

गोभेद धायण कयने से नज़य दोष, बूत-प्रेत, जाद-ू टोने आदद से सुयऺा प्रदान कयता हैं।

से गोभेद का यॊ ग गाम के भूि के यॊ ग के सभान होने से

एक श्रेष्ठ गोभेद भें अद्द्द्भत ु शस्क्तमाॊ सभाई होती हैं

स्जससे व्मस्क्त के जीवन की ववसबडन ऩये शातनमों को

इसे गोभेद कहा जाता है ।

दयू कय सकता हैं।

प्रास्प्त स्थान:

भाडमता:

श्रीरॊका, बायत, थाईदे श, कॊफोड़डमा, भैडागास्कय।

 

गोभेद धायण कयने से भ्रभ जतनत योगों का नाश होता हैं।



गोभेद धायण कयने व्मस्क्त की तनणाम रेने की शस्क्त 

गोभेद धायण कयने से शिु ऩऺ ऩयास्ि होता हैं। गोभेद

धायण

कयने

से

नशा,

फुयी

आदत,

जो रोग प्राम् अस्वस्थ्म यहते हैं कोई ना कोई राब सभरता हैं।



गोभेद धायण कयने से ऩा न सम्फडधी योग, त्व ा योग, ऺम योग तथा कप-वऩत्त को बी मह सॊतसु रत

गोभेद धायण कयने से ऩा न शस्क्त भें सुधाय होता हैं।

भकीरा एवॊ सुडदय ददखता

त्रफभायी रगी यहती हैं उडहें गोभेद ऩहनने से स्वास्थ्म

ऩयस्िी/ऩयऩरु ु ष भें आसस्क्त कभ होती हैं। 

श्रेष्ठ शुि गोभेद च कना, हैं।

ववजम प्राप्त होती हैं। 

भक से ऩह ाना

गोभेद यत्न को जफ तेज योशनी भें दे खने भें उसका यॊ ग गोभूि जैसा ददखता हैं।



प्रफर होती हैं। 

असरी गोभेद को उसके यॊ ग एवॊ जा सकता हैं।

गोभेद के राब 

भा, नेि, ऩैयों का ददा

यखता हैं। 

गोभेद धायण कयने से व्मस्क्त को भान-सम्भान एवॊ धन की प्रास्प्त होती हैं।

ददसम्फय-2016

42

दोष: 



स्जस गोभेद भें

रगता हो, एसा गोभेद धायण कयने से कामा उद्देश्म

ीय मा आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ हो,

की ऩतू ता भें ववरम्फ होता हैं।

एसे गोभेद को धायण कयने से यक्त ववकाय होता हैं। 



स्जस गोभेद भें ऩयते ददखाई दे ती हो, एसे गोभेद को



स्जस गोभेद अडम यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा

हैं। 

स्जस गोभेद भें गड्ढा हो एसे गोभेद को धायण कयने से वाहन एवॊ ऩशध ु न का नाश होता हैं।

स्जस गोभेद भें कारे यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा



स्जस गोभेद का यॊ ग यक्त के सभान रार हो, एसा

गोभेद धायण कयना स्री के सरमे हातनकायक होता हैं।

गोभेद धायण कयने से ववसबडन प्रकाय के योग उत्ऩडन

स्जस गोभेद की

होते हैं।

भक पीकी हो, एसा गोभेद धायण

कयने से रकवा ग्रस्त होने की सॊबावना फनाता हैं। 

भक ददखाई दे ती

हो, एसा गोभेद धायण कयने से धन का नाश होता

फनाता हैं।



स्जस गोभेद भें अफयक के सभान

धायण कयने से ऩशध ु न की हातन होती हैं। गोभेद को धायण कयने से आकस्स्भक भत्ृ मु के मोग 

स्जस गोभेद को स्ऩशा कयने ऩ वह रुखा व खयु दया



स्जस गोभेद भें सपेद यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा

स्जस गोभेद भें रार यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा

गोभेद धायण कयने से योग-शोक भें ववृ ि कयने वारा

गोभेद धायण कयना सॊतान के सरमे हातनकायक होता

होता हैं।

हैं।

*** दग ु ाा फीसा मॊि

D

शास्िोक्त भत के अनश ु ाय दग ु ाा फीसा मॊि दब ु ााग्म को दयू कय व्मस्क्त के सोमे हुवे बाग्म को जगाने urg Bisa Yantra

वारा भाना गमा हैं। दग ु ाा फीसा मॊि द्वदरद व्मस्क्त को जीवन भें धन से सॊफॊचधत सॊस्माओॊ भें राब प्राप्त होता हैं। जो व्मस्क्त आचथाक सभस्मासे ऩये शान हों, वह व्मस्क्त मदद नवयािों भें प्राण

प्रततस्ष्ठत फकमा गमा दग ु ाा फीसा मॊि को स्थास्प्त कय रेता हैं, तो उसकी धन, योजगाय एवॊ व्मवसाम

से सॊफॊधी सबी सभस्मों का शीघ्र ही अॊत होने रगता हैं। नवयाि के ददनो भें प्राण प्रततस्ष्ठत दग ु ाा फीसा मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपस-पैक्टयी भें स्थावऩत कयने से ववशेष राब प्राप्त होता हैं, व्मस्क्त

शीघ्र ही अऩने व्माऩाय भें ववृ ि एवॊ अऩनी आचथाक स्स्थती भें सध ु ाय होता दे खेंगे। सॊऩण ू ा प्राण प्रततस्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा

त ै डम दग ु ाा फीसा मॊि को

ववशेष राब प्राप्त होता हैं।

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ददसम्फय-2016

43

रहसुतनमा

च केतु का यत्न रहसुतनमा केतु ग्रह के शुब परों



की प्रास्प्त हे तु धायण फकमा जाता हैं। रहसुतनमा को केतु का यत्न भाना गमा है ।

त ॊ न जोशी

रहसुतनमा धायण कयने से द्ु ख दरयरता, आचध-व्माचध का अॊत होता हैं।



रहसतु नमा धायण कयने से धायण कताा को बत ू -प्रेत आदद फाधाएॊ ऩीड़ा नहीॊ कयती हैं।

दहन्दी भे :- रहसतु नमा



वामज, अम्रयोह, याष्टुक, भेघखयाॊकुय, फारसम ू ा आदद नाभो



अयफी भे :- एन अरदहय



सस्कृत भे :- ववदयु ाज, वैदम ू ,ा केतु यत्न, ववडाराऺ,

रहसतु नमा धायण कयने से नेि योग भें राबदामक होता हैं।

से जाना जाता हैं।

रहसतु नमा धायण कयने से ऩाॊडुयोग भें शयीय का ऩीराऩन शीघ्र कभ होने रगता हैं।

अंग्रेजी :- केटस आई

प्रसव के सभम गबावती स्िी के प्रसव ऩीड़ा भें फारों भें रहसुतनमा फाॊधने से प्रसव शीध्र हो जाता हैं।

वैदम ू ा यत्न की उऩयी सतह ऩय सपेद यॊ ग का सूि



ऩय दहरती हुई प्रतीत होती है । साभाडमत् वैदम ू ा को दे खने से मह त्रफल्री की आॊख के सभान ददखाई दे ता हैं



इस सरमे इसे अॊग्रजी केटस आई कहाॊ जाता हैं।



प्रास्प्त स्थान:

रहसुतनमा धायण कयने से ऩाऩों का नाश होता हैं।



रहसुतनमा धायण कयने से फुयी नजय से फ ाता हैं।

रहसुतनमा भुख्मत् बायत, श्रीरॊका, ब्राजीर, अभेरयका,



रहसतु नमा धायण कयने से यक्त से सम्फॊचधत योग व

मा धायी ददखाई दे ती हैं। मह धायी वैदम ू ा को दहराने-डुराने

मुयार,

श्रीरॊका से प्राप्त होने वारे रहसुतनमा की अॊतयास्ष्िम फाजायो भें अचधक भाॊग यहती है ।

रहसतु नमा के राब 

वैदम ू ा यत्न धायण कयने से मह वामु-गोरा तथा वऩत्त जडम योगों का नाशक होता हैं।



स्जन व्मस्क्तमों को सयकायी कामों भें फाधाएॊ आयही हो उडहें वैदम ू ा यत्न धायण कयने से कामा भें सपरता प्राप्त होती हैं।



आदद योगो भें ववशेष राब प्राप्त होता हैं।

वैदम ा ना आदद ू ा यत्न धायण कयने से आकस्स्भक दध ु ट से यऺा होती हैं।

रहसुतनमा धायण कयने से उसका शुब-अशुब ऩरयणाभ शीघ्र ददखाता हैं।

ीन तथा फभाा भें प्राप्त होता है । सवाश्रेष्ठ

रहसुतनमा बायत भें उड़ीसा से प्राप्त होते है । उड़ीसा व

रहसुतनमा धायण कयने से श्वाॊस योग, डमूभोतनमा

दोष दयू होते हैं। 

रहसुतनमा धायण कयने से पोड़े-पुॊदी आदद नहीॊ होते।

भाडमता: 

उत्तभ गुणो वारे रहसुतनमा भें अचधक

भकीराऩन

तथा च कनाहट होती हैं। 

रहसुतनमा वजन भें साभाडम से ज्मादा वजनदाय प्रतीत होता हैं।



रहसुतनमा की उऩयी सतह ऩय सपेद यॊ ग का सूत के सभान धायी होती हैं।



रहसुतनमा को कऩड़े ऩय यगड़ने से इसकी ववृ ि होती हैं।

भक भें

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दोष: 



वैदम ू ा धायण कयने से आमु क्षऺण कयने वारा होता हैं।

स्जस वैदम ू ा भें अडम यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसे



वैदम ू ा को धायण कयने से योगकायक होता हैं। 

स्जस वैदम ू ा भें



ीय मा आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ हो,



स्जस वैदम ू ा अफयक जैसी आबा ददखाई दे ती हो, एसे स्जस वैदम ू ा भें

रुकावटे ऩैदा कयता हैं।

भक न हों दे खने भें उसकी आबा





वैदम ू ा धायण कयने से शिु बम उत्ऩडन होता हैं।

स्जस वैदम ू ा भें ददखने वारा सत ू मा धारयमा उफड़खाफड़ मा टूटी हुई ददखाई दे ती हो, एसा वैदम ू ा धायण कयने से नेि योग होता हैं।

स्जस वैदम ू ा भें रार यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, उसे धायण कयने से याजबम, कायावास जाने के मोग फनाता हैं।

गोभती हैं। गोभती

से अचधक सूत मा धारयमा ददखाई

हैं।

जो वैदम ू ा खॊड़डत अथाात टूटा-पूटा हो, िे द हो, एसा

 गोभती

स्जस वैदम ू ा भें ऩाॊ

दे ती हो, एसा वैदम ू ा धायण कयने से अतनष्टकायी होता

धन का नाश होता हैं।



स्जस वैदम ू ा भें शहद के यॊ ग जैसे िीॊटे मा धधफे ददखाई दे ते हो, एसा वैदम ू ा धायण कयने से याजकीम कामो भें

पीकी नजय आती हों, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से 

स्जस वैदम ू ा भें ज्वारा ददखाई दे ती हो, एसे वैदम ू ा को धायण कयने से ऩत्नी को हातन होती हैं।

वैदम ू ा को धायण कयना वस्जात भाना गमा हैं। 

ीय मा आडी, ततयिी, खडी ये खाएॊ हो,

हैं।

एसे वैदम ू ा को धायण कयना ऺततकायक होता हैं। 

स्जस वैदम ू ा भें

एसे वैदम ू ा को धायण कयने से शिु ऩऺ से हातन होती

स्जस वैदम ू ा भें गड्ढा हो एसे वैदम ू ा को धायण कयने से स्वास्थ्म के सरए हाफककायक होता हैं।



स्जस वैदम ू ा भें सपेद यॊ ग के िीटे मा धधफे हो, एसा

क्र क्र को धायण कयना बाग्मोदमकायी भाना गमा

क्रको, दे वी भहारक्ष्भी के प्रततक के रुऩ भें ऩज ू न-

धायण स्जमा जाता हैं।

 मह भाना जाता है फक गोभती

क्र को धायण कयने से

भनष्ु म के धन, वैबव एवॊ सभवृ ि भें ववृ ि होती हैं। दे वी रक्ष्भी का आसशवााद प्राप्त होता हैं।

 घय, दक ु ानें, कामाारम आदद जगह के भख् ु म द्वदर गोभतत

क्र को रटका ने से सख ु , शाॊतत औय सभवृ ि प्राप्त होती हैं।

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कनकधाया मॊि आज के मुग भें हय व्मस्क्त अततशीघ्र सभि ृ फनना

ाहता हैं। धन प्रास्प्त हे तु प्राण-प्रततस्ष्ठत कनकधाया मॊि

के साभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने से ववशेष राब प्राप्त होता हैं। इस कनकधाया मॊि फक ऩज ू ा अ न ा ा कयने से ऋण औय दरयरता से शीघ्र भुस्क्त सभरती हैं।

व्माऩाय भें उडनतत होती हैं, फेयोजगाय को

योजगाय प्रास्प्त होती हैं।

श्री आदद शॊकया ामा द्वदरद‍ कनकधाया स्तोि फक य ना कुि इस प्रकाय फक हैं, स्जसके श्रवण एवॊ ऩठन कयने से आस-ऩास के वामभ ु ॊडर भें ववशेष अरौफकक ददव्म उजाा उत्ऩडन होती हैं। दठक उसी प्रकाय से कनकधाया

मॊि अत्मॊत दर ा मॊिो भें से एक मॊि हैं स्जसे भाॊ रक्ष्भी फक प्रास्प्त हे तु अ ूक प्रबावा शारी भाना गमा हैं। ु ब कनकधाया मॊि को विद्वदनो ने स्वमॊससि तथा सबी प्रकाय के ऐश्वमा प्रदान कयने भें सभथा भाना हैं। जगद्द्गरु ु शॊकया ामा ने दरयर ब्राह्भण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ से स्वणा वषाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ शॊकय ददस्ग्वजम भें सभरता हैं।

कनकधाया भॊि:- ॐ वॊ श्रीॊ वॊ ऐॊ ह्रीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्वाहा' भल् ू म: Rs.550 से Rs.8200 तक >> Shop Online

रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि

श्रीमॊि को सभस्त प्रकाय के श्रीमॊिों भें सवाश्रेष्ठ भाना गमा है औय कुफेय मॊि को दे वताओॊ भें धन के दे वता कुफेय जी का सफसे प्रबावशारी मॊि भाना जाता हैं इस मॊि के ऩूजन से अऺम धन कोष की प्रास्प्त होती हैं

औय भनुष्म के सरए नवीन आम के स्रोत फनते हैं। प्रततददन रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि का ऩूजन एवॊ

दशान कयने से व्मस्क्त को जीवन भें धन औय ऐश्वमा की कबी बी कभी नहीॊ होती है । विद्वदनों ने अऩने अनब ु वों भें ऩामा हैं की जो भनष्ु म अऩने गह ु -सभवृ ि, व्माऩाय भें ृ स्थ जीवन भें धन, वैबव, ऐश्वमा, सख

सपरता, ववदे श राब, याजनीतत भें सपरता, नौकयी भें ऩदौस्डडत आदद की काभना यखता हैं तो उसके सरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि सवाश्रेष मॊि हैं। भनष्ु म को रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि के ऩूजन से जीवन के सबी ऺेि भें सुख-सभवृ ि एवॊ सौबाग्म की प्राप्त होने रगती है । मदद फकसी व्मस्क्त को व्माऩाय भें मदद

व्माऩाय भें ऩूणा ऩरयश्रभ एवॊ रगने से कामा कयने ऩय बी अचधक राब की प्रास्प्त नहीॊ हो यही हो, व्माऩाय भॊदा

र यहा हो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय हातन हो यही हो तो उसे रक्ष्भीकुफेय धन आकषाण मॊि को

अवश्म अऩने व्मवसामीक स्थान ऩय स्थावऩत कयना

ादहए। स्जससे व्माऩाय भें फाय-फाय होने वारे घाटे मा

नुकसान से शीघ्र ही राब प्राप्त होने के मोग फनने रगते हैं।

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फफ़योजा एक ववरऺण यत्न

च फफ़योजा शधद अॊदाज से 16 वीॊ सदी के आसऩास फ्रें



फफ़योजा उऩमोगकताा के अॊदय सभग्र भानससक स्स्थतत

नीरे यॊ ग का ऩत्थय (pierre turquin) से प्राप्त हुवा होगा मा, इस के नाभ भे फहोत साये सहस्म है ! नकरी फफ़योजा

को फढ़ाने भे, सकायात्भक सो , सॊऩण ा ा, अॊतऻाान, ू त फवु ि, भानससक

के अस्स्तत्व रागू होने से असरी फफ़योजा का भहत्व कभ 

गुणवत्ता औय प्रबाव अछिा हो उस का उल्रेख फकमा

जायहा है । ईयान के भा’डन (Ma'dan) से ४५-५० फकभी तनशाऩयु ी के नाभ से जाना जता है । तनशाऩयु ी सफसे

अछिा होता है इस्का यॊ ग एवॊ प्रबाव फाकी जगाओ से प्राप्त से उत्तभ होता है । दक्षऺण ऑस्िे सरमा. भें सॊमुक्त

याज्म

अभयीका,

ीन, इॊग्रैंड,

फेस्ल्जमभ औय बी फहोत सायी जगाहो से प्राप्त होता है । प्राकृततक सुॊदय फफ़योजा फ़ामदे भॊद है ।

100% प्राकृततक

(खनन/खादान के भाध्मभ से प्राप्त)

यत्न

ऩत्थय

है ।

फफ़योजा के राब 



ज्मदा स्ऩस्ट सव ु क्ता फनने भे भदद कयता है ।

ऩहरू

मह

है , फक प्रत्मेक

ऩहनने वारा के ऩरयवाय को भुसीफत से फ ामा है

, नफ़यत को नष्ट

कयता है औय प्माय फढ़ाता है । 

इस यत्न की अदृश्म स्िोतों से आने वारी ऊजाा आऩ के सरए उप्मोगी हो सकती है ।



फफ़योजा के यॊ ग भे फदराव होता यहता है ।



मदद मह गहये नीरे यॊ ग का हो तो मह अछिा शगुन है ।



मदद मह गहये हये यॊ ग का हो तो मह भाध्मभ है।



ऩयडतु अगय मह ऩीरा हो जाता है मह एक फुया शगुन है ।



फफ़योजा को दोस्ती के सरमे एक अछिा सॊकेत भाना जाता है अगय फकसी अडम व्मस्क्त के द्वदरद उऩहाय भे प्राप्त हो।



आवश्मक है , वहा व्मस्क्त की फात भे एक प्रकाय के गण ु उत्ऩडन कयती है जो उसे दस ू यो से अरग औय

आभ

ववशेष रूऩ से ऩतत औय ऩत्नी फी

फफ़योजा को एक आध्मास्त्भक रूऩ भें सहामता हे तु फकसी बी स्स्थतत भें , जहाॊ स्ऩस्ट फात कयने की

सफसे

सम्भान कयते है ।

प्रमोग फकमा जाता है । 

का

सॊस्कृतत औय हय धभा भे फफ़योजा के राब का

उत्तय ऩस्श् भ भें नेइशाफयु (तनशाऩयु ) स्जसे बायत भे

एक

आत्भ

फफ़योजा के सरमे कहा जाता ह। इस यत्न का राब

इस्तेभार

का उल्रेख वाणणस्ज्मक के सरए उत्तभ होता है ।, स्जसकी

मह

औय

है , इसे दतु नमा भे सबी उम्र औय सफ धभा के रोगो भे

फफ़योजा के प्रास्प्त स्थान फहोत साये है । स्जनभें से कुि ही

भूर

स्स्थयता

सबी यासश के रोगो द्वदरद उऩमोग फकमा जा सकता

प्रास्प्त स्थान:

भेस्क्सको,

अचधक

ववकास कय उसको जानने के सरए अग्रणी फनाता है ।

हो गमा है , फफ़योजा को कई नाभों से जाना जाता है ,

ब्राजीर,

खर ु े वव ाय, प्माय औय

तन:स्वाथा सॊफॊध के प्रवाह को सऺभ कयने के सरए,

बाषा के तुकी (Turquois) से प्राप्त हुवा था मा गहये

खननज सभह ू : भयकत सभह ू .

व्मस्क्त को दोस्तों के फी

त ॊ न जोशी

अगय इभे धागे के सभान ये खा ददखाई दे ती है , मह शित ु ा उत्ऩडन होने का सॊकेत है ।



मह बी अवववादहत रड़फकमों को ऩेहनाने से उनके वववाह शीघ्र होता है ।

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राब:

मह



सरमे, इसकी सतह को दे खे असरी फक सतह खद ु ा यी

ीन भे व्माऩक रूऩ से पेंग शुई औय फक्रस्टर

औय सभतर मा सऩाट नहीॊ होती, एवॊ नकरी फफ़योजा

च फकत्सा भें इस्तेभार फकमा है । 

शयाफ की रत िुडाने के सरए फक्रस्टर च फकत्सकों

द्वदरद फफ़योजा की ससपारयश की जाती है । 



की सतह सभतर मा सऩाट होती है ।

च फकत्सा अस्वीकृतत

सॊक्रभण,ऊॉ ा यक्त ाऩ, अस्थभ, दाॉत औय भॉह ु की



मह ज्मादातय फाज़य भे त्रफकने वारे फफ़योजा जेसे



सभस्मा एवॊ सूमा के ववफकयण से यऺा होती है ।

एक असरी मा नकरी फफ़योजा को ऩह ान ने के

ऊऩय उल्रेख फफ़योजा सफ वणान के बायतीम औय ीनी ऩौयाणणक कथाओॊ के अनुसाय हैं।

ऩत्थय के हीसरॊग राब के सरमे अऩने च फकत्सक मा

अडम स्वास्थ्म दे खबार ऩेशव े य से सराह रे एक

ऩत्थय असरी नहीॊ होते।

ववकल्ऩ के रूऩ भें इस्तेभार नहीॊ कयना

ादहए।

.

भॊि ससि दर ा साभग्री ु ब

भॊि ससि भारा

हत्था जोडी- Rs- 550, 730, 1450, 1900, 2800

स्पदटक भारा- Rs- 190, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

ससमाय ससॊगी- Rs- 1050, 1450, 1900, 2800

सपेद

त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450

यक्त (रार)

कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

भोती भारा- Rs- 280, 460, 730, 1250, 1450 & Above

दक्षऺणावतॉ शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900

ववधुत भारा - Rs- 100, 190

भोतत शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900

ऩुि जीवा भारा - Rs- 280, 460

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

कभर गट्टे की भारा - Rs- 210, 280

इडर जार- Rs- 251, 551, 751

हल्दी भारा - Rs- 150, 280

धन ववृ ि हकीक सेट Rs-251(कारी हल्दी के साथ Rs-550)

तर ु सी भारा - Rs- 100, 190, 280, 370

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

ऩीरी कौड़ड़माॊ: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 190 280, 460, 730

हकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 190 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-111

ऩायद भारा Rs- 730, 1050, 1900, 2800 & Above

कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

वैजमॊती भारा Rs- 100,190

गोभती

क्र Small & Medium 11 नॊग-75, 101, 151, 201,

रुराऺ भारा: 100, 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

गोभती

क्र Very Rare Big Size : 1 नॊग- 51 से 550

भूल्म भें अॊतय िोटे से फड़े आकाय के कायण हैं।

(अतत दर ा फड़े आकाय भें 5 ग्राभ से 11 ग्राभ भें उऩरधध) ु ब

ॊदन भारा - Rs- 280, 460, 640 ॊदन - Rs- 100, 190, 280

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ददसम्फय-2016

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रत्न‍एिं‍रं गों‍द्वदरद‍रोग‍वनिदरण

च

त ॊ न जोशी

हय यत्न के यॊ गो का अद्भत ु एवॊ भत्कारयक प्रबाव होता हैं स्जस्से हभाये भानव शयीय से सबी प्रकाय के योग

का ददखता हैं। वास्तव भें हय यॊ ग जो हभे ददखाइ दे ता हैं

हे तु उऩमुक्त यत्न का

स्जसे हभ - स्वेत-कारा-रार-हया-ऩीरा-बूया इत्मादद सबी

जासकता हैं।

न ु ाव कय राब प्राप्त फकमा

ब्रह्भाॊड भें व्माप्त हय यॊ ग इॊरधनुष के सात यॊ गों

के सॊमोग से सॊफॊध यखता हैं , हभाये ऋवष-भुतनमों ने

इन यॊ गो को वप्रज्भ भें दे खने ऩय वह अरग यॊ ग

जो हभे रस्ष्ट गो य होते हैं वह यॊ ग वास्तव भें अरग यॊ ग का होता हैं! जेसे फादर का यॊ ग दे खने भें हल्का बूया मा हल्का

हजायों सार ऩहरे सरखददमा था फक इॊरधनुष के सात यॊ ग

नीरा प्रततत होता है , रेफकन मदद इन फादर को वप्रज्भ

ब्रह्भाॊड के सात ग्रहो से होता हैं जो भनष्ु म ऩय अऩना

वारा फादर असर भें नायॊ गी यॊ ग का होता हैं। सम ू ा की

सात ग्रहों के प्रतीक होते हैं , एवॊ इन यॊ गों का सॊफॊध

तनस्श् त प्रबाव हय ऺण डारते हैं। इस फात को आज का उडनत एवॊ आधतु नक ववऻान बी इस फातकी ऩस्ृ ष्ट कयता

के भाध्मभ से दे खा जाए तो कारा मा हल्का बयू ा ददखने

योशनी दे ख ने भें सपेद मा सन ु हयी ददखती हैं रेफकन वप्रज्भ से दे खने से इसभें सात यॊ ग ददखाइ दे ते हैं।

हैं। ज्मोततष के रस्ष्ट कोण से हय ग्रह का अऩना अरग

कोइ बी व्मस्क्त यॊ गों के बेद को सभज कय कौन

यॊ ग व यत्न हैं। हभाये सरमे अऩने जीवन को योग भक् ु त

सा यॊ ग शयीय के फकस दहस्से ऩय अऩना प्रबाववत यखता

यखने हे तु इन सातो यॊ गो का तनस्श् त सॊतर ु न यखना

अतत आवश्मक होता हैं। एवॊ मदद मह सॊतुरन त्रफगड जामे तो व्मस्क्त को तयह-तयह के योग होना प्रायॊ ब हो जाता हैं

एवॊ उन यॊ गो को सॊतुसरत कयने हे तु यत्नों को भाध्मभ

फनाकय उसे कामभ यखकय हभ कुि फीभारयमों भें राब प्राप्त कय सकते हैं।

हैं, कौन यॊ ग फकस फीभायी को ऩैदा कय सकता हैं ,

सात यं गो कक जानकायी इस प्रकाय हैं।  सूमा ग्रह के भुख्म यत्न भाणणक्म (रुफी) से रार यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।



र ॊ ग्रह के भुख्म यत्न भोतत से केसयी मा नायॊ गी

यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

 भॊगर ग्रह के भुख्म यत्न भूॊगे से ऩीरे यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

 फुध ग्रह के भुख्म यत्न ऩडना से हये यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

 फहृ स्ऩती (गुरु) ग्रह के भुख्म यत्न ऩीरे ऩुखयाज से नीरे यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

 शक्र ु ग्रह के भख् ु म यत्न हीये से हल्के

नीरे(आसभानी) यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

 शतन ग्रह के भख् ु म यत्न तनरभ से जाभन ु ी यॊ ग फक यस्श्भ प्राप्त होती हैं।

ददसम्फय-2016

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अफ इन यं गो के ऩंचबूत तत्ि ऩथ् ृ िी, जर, अष्ग्न, िामु

औय आकाश के फाये भें जाने औय उन्हें सभझ कय उनका प्रमोग कय विशेष राब प्राप्त कय सके।

 जर तत्व:- केसयी मा नायॊ गी एॊव आसभानी यॊ ग का सॊ ारन कयता हैं।

 अस्ग्न तत्व:- रार एवॊ ऩीरे यॊ ग का सॊ ारन कयता हैं।

 वामु तत्व:- जाभुनी यॊ ग का सॊ ारन कयता हैं।  आकाश तत्व:- नीरे यॊ ग का सॊ ारन कयता हैं।  ऩथ्ृ वी तत्व:- हये यॊ ग का सॊ ारन कयता हैं।

को खश ु फू औय फदफू जेसी सूॊघने फक शस्क्त के साथ भें सॊफॊध होता हैं। यॊ गोका

भनुष्म के शयीय भे उत्ऩन्न होने िारे त्ररदोष बी इसी प्रकाय सात यं गों के कायि ऩैदा होते हैं।  

हैं। 

भें सफसे ठॊ डा होता है । इसी सरए हभे फकसी ऩेड़ मा हये यॊ ग के िऩये के नी े होने से हभे कभ गयभी रगती हैं। 

वारी 

हैं।

हैं। कान को दे ख ने ऩय कान की नरी नीरे यॊ ग फक ही 

क्मोफक जन शयीय भें गयभी एवॊ ठॊ डी का सॊतर ु न खयाफ होजाता हैं तबी शयीयभे त्रिदोष उत्ऩडन होते हैं

हभाये आस-ऩास के भाहोर भे इन यॊ गों के होने से

स्जसे हभ ववस्तान भें वामु, वऩत्त औय कप के नाभ

ही हभ अऩने अॊगों द्वदरद स्ऩशा, सॊघ ू ने, स्वाद, दृस्ष्ट औय

से जानते हैं।

आवाज का आबास प्राप्त कयते हैं। इसी वजह से हभ 

वाम,ु वऩत्त औय कप फक उत्ऩस्त्त से हय िोटी फडी त्रफभायी उत्ऩडन होना शरु ु होजाती हैं

नहीॊ रे सकते। ऐसा इससरए होता हैं क्मोफक खश ु फू औय

ाहे वह भासभरी

शदॊ खासीॊ होमा फडे से फडा कैंसय इत्मादद हो।

फदफू को केवर नाक ग्रहन कय स्कती हैं क्मोफक वह हये

कयती हैं, फाकी को नहीॊ कय सकती। इसी सरमे हये यॊ ग

इस सरमे भानव शयीय को गयभ-ठॊ डा यख कय औय कय ददमा जामे तो व्मस्क्त सदै व तनयोग यह सकता

दे खने से केसयी मा नायॊ गी से प्रबाववत होती ददखाइ दे ती

यॊ ग से प्रबाववत हैं एवॊ वह केवर हये यॊ ग को ही ग्रहण

द्दय फक त्रफक्री जोयो ऩय हैं।

सही यॊ गों की ऩेह ान कय भानव शयीय भें प्रवादहत

नाक को दे खने से नाक हये प्रबाववत होती हैं। जीब को

नाक से केवर सॊघ ू सकते हैं, दे ख नहीॊ सकते मा स्वाद

शामद इसी अनुसॊधान के से आजकर प्रस्स्टक के

हयें यॊ गके िऩये मा प्रास्स्टक प्रेट (ग्रीन इपेक्ट)

भानव शयीय फक गयभी ऩीरे एवॊ आसभानी यॊ ग से

ददखाई दे ती हैं।

ऩथ् ृ वी तत्व हये यॊ ग से उतऩडन होता हैं। ऩथ् ृ वी तत्व का प्रतततनचधत्व कयने वारा हया यॊ ग फाफक सफ यॊ गो

स्ऩश:- जाभुनी यॊ ग

प्रबाववत होती हैं। त्व ा जाभुनी यॊ ग से प्रबाववत होती हैं।

वऩत्त अस्ग्न तत्व के रार यॊ ग से उतऩडन होता हैं। कप जर तत्व के केसयी मा नायॊ गी से उतऩडन होता

श्वसन:- हया यॊ ग

स्वाद:- केसयी मा नायॊ गी

आमव े भें वामु दोष वामु तत्व नीरे औय जाभन ु द ु ी यॊ ग से उतऩडन होती हैं।

आॊख :- रार यॊ ग

ध्वतन:- नीरे यॊ ग

न ु ाव कय व्मस्क्त तनस्श् त राबा उठा सकते हैं

इस भे कोइ दो याइ नहीॊ हो सकती।

भानि शयीय के साथ यं गो के बेद को जनते हैं। इन सफके बेदो को वप्रज्भ द्वदरद अनस ु ंधान कय जानागमा हैं ।

इसी प्रकाय सही योग का अनुसॊधान कय सही



हभाये शयीय भें जफ गभॉ मा ठॊ डी की अचधकता मा कभी हो जाती है तो ववऩयीत यॊ गो मा यत्नो के

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भाध्मभों द्वदरद यॊ गों के सॊतुरन से इसे ठीक फकमा

के फयाफय आता हैं मह प्रबाव तो आऩने सहज भें ही

क्मोफक यॊ ग हभें प्राप्त होते हैं यत्नों से। हय एक यत्न

हैं।

जाता हैं। 

भें योग ठीक कयने की ववरऺण ऺभता होती है । शयीय भें जफ योग ऩैदा होते हैं तो वह यॊ ग को रेकय औय मह कभी ऩूयी कयते हैं यत्न। 

सददमों से आमुवेद भें यत्नों का उऩमोग बस्भ के रूऩ भें फकमा जाता यहा हैं ज्मोततष भें योगों को ग्रहो से

जोड कय उसे शाॊत कयने हे तु यत्न धायण कय प्रमोग फकमा जाता हैं। 

इसी सरमे मह सायी फक्रमाए भहज यॊ गों का सॊतुरन शयीय भें कयने से ही सॊऩडन होती है ।



ज्मादातय रोगो को गयभी भें कारा कऩड़ा ऩहनने से अचधक गयभी भहसस होती हैं औय सपेद कऩड़ा ू ऩहनने से ठॊ डक भहसस ू होती हैं आऩने बी अऩने

जीवन भें कबी ना कबी मह जरुय भहसुश फकमा होगा फक फकसी यॊ ग ववशेष के कऩडे मा अडम साभग्री से आऩको राबा हो यहा हैं मा नक् ु शान हो यहा हैं। 

फकसी ववशेष यॊ ग के कऩडे ऩहनेते दह आऩको ज्मादा गस् ु सा आजाता हैं तो कबी फकसी यॊ ग के कऩडे ऩहने

भहसूस फकमा होगा।।मह सफ खेर यॊ गो फक भाम का

नोि: उऩयोक्त सबी जानकायी हभाये तनजी एवॊ हभाये

द्वदरद फकमे गमे प्रमोगो एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय ददगई हैं।

कृप्मा फकसी बी प्रकाय के प्रमोग मा यॊ ग मा यत्न का न ु ाव कयने से ऩूवा ववशेषऻ फक सराह अवश्म रे।

मदद कोइ व्मस्क्त ववशेषऻ फक सराह नही रेकय उऩयोक्त जानकायी के प्रमोग कयता हैं तो उसके रबा मा हानी उसकी स्वमॊ फक स्जडभेदायी होगी। इस्से के सरमे कामाारम के सदस्म मा सॊस्थऩक स्जडभेदाय नहीॊ होंगे। हभ उऩमोक्त राब का दावा नहीॊ कय यहे मह भहज एक जानकायी प्रदान कये ने हे तु इस धरोग ऩय उऩरधध कयाइ हैं।

यॊ गोका प्रबाव तनस्श् त हैं इसभे कोइ दो याम नहीॊ फकडतु यत्न एवॊ यॊ गो का

न ु ाव अडम उसफक गुणवत्ता एवॊ

सपाई ऩय तनबाय हैं अवऩतु ववशेषऻ फक सराह अवश्म रे धडमवाद।

***

होने ऩय आऩको गुस्सा फहोत कभ भािा भें मा नहीॊ

नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि शास्ि व न के अनस ु ाय शि ु सव ु णा मा यजत भें तनसभात श्री मॊि के

ायों औय मदद नवयत्न जड़वा ने ऩय

मह नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनस्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के

रूऩ भें धायण कयने से व्मस्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रास्प्त होती हैं। व्मस्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशब ु दशा का धायण कयने वारे व्मस्क्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं। गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं

एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफद ॊ ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस सरमे इसे सफसे तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई

औषचध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रास्प्त के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस प्रकाय के नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि गुरूत्व कामाारम द्वदरद शब ु भुहूता भें प्राण प्रततस्ष्ठत

कयके

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हैं।

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Ammonite fossil that is over 100 million years old Stone!

Wonder of Nature WHAT IS AMMONITE? Ammonite fossil is over 100 million years old Stone!, Just think of the energy an ammonite holds! For Feng Shui purposes the colourful Ammolite has more power, here is a simple and clear ammonite definition to help you understand the difference between Ammolite and ammonite. "Ammolite is derived from the ammonite fossil. Just the right combination of heat and pressure created this geological phenomenon. It has been buried for the past 71 million years absorbing a substantial amount of both the Earth’s and the universe’s positive cosmic energy. It radiates this energy in every colour of the visible spectrum." Benefit Its Belief that it’s Remove Negative energy and increase Positive Energy in place wherever kept. its Belief that fossils support longevity, memory. Also Belief that having Natural energized, high quality ammonites on display in certain areas of the house will enhance the vitality, harmony, prosperity, and overall well-being of all the occupants and visitors to the house. Everybody can benefit from owning or being in physical proximity to high quality ammonites, with or without the study of Feng Shui.

Many Feng Shui masters believe that ammonites contain the absorbed knowledge of the universe. Stored in the spiral inner whorls of the animal, Plasmic energy radiates out in a centrifical motion for the benefit of those in the vicinity. This cosmic energy will enhance health, wealth and enlightenment. Ammonite may enhance the flow of Qi or life force energy throughout the body and may reduce the body's toxicity. A continuous harmonious balance of natures five elements (fire, earth, metal, water, and wood) is evident within the naturally occurring vibrating colours embodied by the ammonite. This rainbow of energy may benefit people who place or locate the stone within a home or office environment, especially when they are placed upon the heart of the home or business. Strength and power radiate from the shell. It is believed by some that the shell has the ability to transpose negative energy into positive. Please Note That : We are Not Claim Age of this Ammonite Fossil, We are not Claim benefit of product, Buyer Bought and use product as their requirement.

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भॊि ससि ऩडना गणेश बगवान श्री गणेश फवु ि औय सशऺा के कायक ग्रह फध ु के अचधऩतत

दे वता हैं। ऩडना गणेश फुध के सकायात्भक प्रबाव को फठाता हैं एवॊ

वास्तु उऩाम हे तु सवाश्रेष्ठ

नकायात्भक प्रबाव को कभ कयता हैं।. ऩडन गणेश के प्रबाव से व्माऩाय औय धन भें ववृ ि

भें ववृ ि होती हैं। फछ ो फक ऩढाई हे तु बी ववशेष पर प्रद हैं ऩडना गणेश इस के प्रबाव से फछ े फक फुवि कूशाग्र होकय उसके आत्भववश्वास भें बी ववशेष ववृ ि होती हैं। भानससक अशाॊतत को कभ कयने भें भदद कयता हैं, व्मस्क्त द्वदरद अवशोवषत हयी ववफकयण शाॊती प्रदान

कयती हैं, व्मस्क्त के शायीय के तॊि को तनमॊत्रित कयती हैं। स्जगय, पेपड़े, जीब, भस्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्मादद योग भें सहामक होते हैं। कीभती ऩत्थय भयगज के फने होते हैं।

Rs.550 से Rs.8200 तक >> Order Now

भॊि ससि भॊगर गणेश भूॊगा गणेश को ववध्नेश्वय औय ससवि ववनामक के रूऩ भें जाना जाता हैं। इस सरमे भूॊगा गणेश ऩूजन के सरए अत्मॊत राबकायी हैं। गणेश जो ववध्न नाश एवॊ शीघ्र पर फक प्रास्प्त हे तु ववशेष राबदामी हैं।

भूॊगा गणेश घय एवॊ व्मवसाम भें ऩूजन हे तु स्थावऩत कयने से गणेशजी का आशीवााद शीघ्र प्राप्त होता हैं। क्मोफक रार यॊ ग औय रार भॊग ू े को ऩववि भाना गमा हैं। रार भॊग ू ा शायीरयक औय

भानससक शस्क्तमों का ववकास कयने हे तु ववशेष सहामक हैं। दहॊसक प्रवस्ृ त्त औय गुस्से को तनमॊत्रित कयने हे तु बी भूॊगा

गणेश फक ऩूजा राब प्रद हैं। एसी रोकभाडमता हैं फक भॊगर गणेश को स्थावऩत कयने से बगवान गणेश फक कृऩा शस्क्त ोयी, रूट, आग, अकस्भात से ववशेष सुयऺा प्राप्त होती हैं, स्जस्से घय भें मा दक ु ान भें उडनती एवॊ सुयऺा हे तु भूॊगा गणेश

स्थावऩत फकमा जासकता हैं।

प्राण प्रततस्ष्ठत भूॊगा गणेश फक स्थाऩना से बाग्मोदम, शयीय भें खून की कभी, गबाऩात से फ ाव, फुखाय,

े क,

ऩागरऩन, सूजन औय घाव, मौन शस्क्त भें ववृ ि, शिु ववजम, तॊि भॊि के दष्ु ट प्रबा, बूत-प्रेत बम, वाहन दघ ा नाओॊ, ु ट हभरा,

ोय, तूपान, आग, त्रफजरी से फ ाव होता हैं। एवॊ जडभ कॊु डरी भें भॊगर ग्रह के ऩीड़ड़त होने ऩय सभरने वारे

हातनकय प्रबावों से भुस्क्त सभरती हैं।

जो व्मस्क्त उऩयोक्त राब प्राप्त कयना ाहते हैं उनके सरमे भॊि ससि भॊग ू ा गणेश अत्मचधक पामदे भॊद हैं।

भूॊगा गणेश फक तनमसभत रूऩ से ऩूजा कयने से मह अत्मचधक प्रबावशारी होता हैं एवॊ इसके शुब प्रबाव से सुख सौबाग्म फक प्रास्प्त होकय जीवन के साये सॊकटो का स्वत् तनवायण होजाता हैं। Rs.550 से Rs.8200 तक >> Order Now

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ग्रह शाॊतत हे तु कयें नवग्रह एवॊ दान

च कॊु डरी (जातक/ जडभ ऩिी) भें मदद कोई ग्रह

कभजोय है मा अशब ु बाव का स्वाभी हो एवॊ अडम बाव को दे ख कय अऩना अशुब प्रबाव दे यहा हो तो उस ग्रह को शाॊत कयना आवश्मक होता हैं स्जस्से ग्रह अऩना प्रततकूर प्रबाव के स्थान ऩय अनुकूर प्रबाव प्रदान कयें ।

फकसी बी ग्रह के प्रबाव को अनुकूर फनाने का

सयर उऩाम हैं उस ग्रह से सॊफॊचधक वस्तु ववशेष का जर प्रवाह मा दान कयना, स्जस्से ग्रह के अशुब प्रबाव को कभ फकमा जासके।

त ॊ न जोशी

ग्रह:- फह ु ) (िाय:- गरु ु िाय)\ ृ स्ऩनत (गरु फह ृ स्ऩतत ग्रह फक शाॊतत हे तु ऩुखयाज,

ने की दार, हल्दी,

ऩीरा कऩड़ा, गड़ ु , केसय, ऩीरा पूर, घी औय सोने की वस्तुओॊ का दान कयने से शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं ग्रह:- शुक्र (िाय:- शुक्रिाय) शुक्र ग्रह फक शाॊतत हे तु श्वेत यत्न, ाॉदी, ावर, दध ू , सपेद कऩड़ा, घी, सपेद पूर, धऩ ू , अगयफत्ती, इि, सपेद

ॊदन दान

कयने से शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं

ग्रह:- सूमा (िाय:- यवििाय)

सूमा ग्रह फक शाॊतत हे तु गेहूॉ, ताॉफा, घी, गुड़, भाणणक्म, रार

ग्रह:- शनन (िाय:- शननिाय)

कयने से शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं

रोहा, मथा सॊबव दक्षऺणा, तेर, कारा ऩुष्ऩ, कारे ततर,

कऩड़ा, भसूयकी दार, कनेय मा कभर के पूर, गौ दान ग्रह:- चंद्र (िाय:- सोभिाय)

र ॊ ग्रह फक शाॊतत हे तु भोती,

शतन ग्रह फक शाॊतत हे तु तनरभ, कारा कऩड़ा, साफत ु उड़द, भड़ा, कारे कॊफर का दान कयने से शब ु पर फक प्रास्प्त

ाॉदी,

ावर,

ीनी, जर से

होती हैं

बया हुवा करश, सपेद कऩड़ा, दही, शॊख, सपेद पूर, साॉड आदद का दान कयने से शब ु पर फक प्रास्प्त होती हैं

ग्रह:- याहु (िाय:- शननिाय)

ग्रह:- भंगर (िाय:- भंगरिाय)

कॊफर, साफूत सयसों (याई), ऊनी कऩड़ा, कारे ततर व तेर

भॊगर ग्रह फक शाॊतत हेतु भूॊगा, भसूय, घी, गुड़, रार कऩड़ा, यक्त

द ॊ न, गेहूॉ, केसय, ताॉफा, रार पूर का दान कयने से

शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं ग्रह:- फुध (िाय:- फुधिाय)

फुध ग्रह फक शाॊतत हे तु हये ऩडना, भॉग ू , घी, हया कऩड़ा,

ाॉदी, पूर, काॉसे का फतान, कऩूय का दान कयने से शुब

याहु ग्रह फक शाॊतत हे तु कारा एवॊ गोभेद, नीरा कऩड़ा, का दान कयने से शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं ग्रह:- केतु (िाय:- भंगरिाय) केतु फक शाॊतत हे तु सात प्रकाय के वैदम ू ,ा अनाज, काजर, झॊडा, ऊनी कऩड़ा, ततर आदद का दान कयने से शुब पर फक प्रास्प्त होती हैं

पर फक प्रास्प्त होती हैं

नोट:- * कृप्मा दान अऩनी श्रिा एवॊ ऺभता के अनुसाय एक मा अचधक वस्तुओॊ का कय सकते हैं। * दान ग्रहों के तम वाय के अनश ु ाय दह कयें । * फकसी गयीफ मा जरुयतभॊद व्मस्क्त को दान कयना ददखावा कयने हे तु दान कयने से ऩण् ु म कभ हो जाता हैं।

ादहए। * अऩने द्वदरद दान का फखान मा

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आजीववका औय यत्न धायण

 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी व्मवसाम औय नौकयी भें सपरता रग्न औय रग्नेश ऩय ववशेष रुऩ से तनबाय होती हैं। अत् रग्नेश के अनुसाय यत्न धायण कयने से व्मवसाम औय नौकयी भें सपरता प्राप्त होती हैं।

रग्न कॊु डरी भें दशभ बाव कभा का बाव होता हैं।

मदद कभेश तनफार अथवा दवू षत स्स्थतत भें हो, तो उसका

यत्न धायण कयने से वह शुब पर प्राप्त होने रगता हैं। एसी स्स्थतत भें कभेश से सॊफॊचधत यत्न धायण कयना ादहए। आधतु नक मग ु भें व्मवसाम औय नौकयी सशऺा एवॊ

प्रततमोचगता ऩयीऺाओॊ ऩय आधारयत होता हैं। सशऺा एवॊ

प्रततमोचगता ऩयीऺा ऩॊ भ बाव का ऩय तनबाय होती हैं। ऩॊ भेष तनफार होनेसे सशऺा एवॊ कैरयमय भें फाधाएॊ आती हैं। अत् कैरयमय भें सपरता के सरए ऩॊ भेश का यत्न धायण कयना

ादहए।

व्मस्क्त स्जस ऺेि भें कैरयमय फनाना

ाहता हैं

उसकी प्रकृतत के आधाय ऩय बीॊ यत्न धायण फकमें जा सकतें हैं। व्मस्क्त का कैरयमय स्जस ग्रह के कायत्व भें

आता हैं उस ग्रह सें सॊफॊचधत यत्न बी धायण फकमा जाता हैं।

ऩसु रस, सेना, साहसी कामा, हचथमाय, प्राऩटॊ डीरय, सजान, अस्स्थ

याग

ववशेषऻ,

ववद्द्मत ु ,

पामय

सववासेज,

इॊजीतनमरयॊग, सभनयर एॊड भेटल्स, यसामन, वन ववबाग, वकीर, भाॊस व्मवसाम इत्मादद भें कामा कयने वारोकों भॊग ू ा धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं। ऩन्ना्-

सशऺक, ब्रॉकसा, सॊऩादक, प्रकाशक, रेखक, भुरक, वक्ता, गणणतऻ,

फीभा एजेंट, फैंक,

नगय

तनगभ

कभा ायी,

दक ु ानदाय, सॊदेषा वाहक, जादग ू य, डॉक्टय (श्वास, तव् ा

योग ववशेषऻ ) सशऺक इत्मादद भें कामा कयने वारोकों ऩडना धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं। ऩख ु याज्वक्ता, डमामाधीश, ऩुजायी, विद्वदन, ज्माततषी, दाशातनक, सभतनस्टय, सशऺा,

रै यटी, उदय योग ववशेषऻ, इत्मादद

कामा कयने वारोकों ऩुखयाज धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं। हीया्सौंदमा

प्रसाधन,

करा,

असबनेता,

फपल्भ,

भनोयॊ जन,

ज्वैरयी, सॊगीत, सुगॊचधत रव्म, पूर, वववाह से सॊफॊचधत

भाणिक्म्सयकायी कभा ायी, उछ ाचधकायी, डमामाधीश, याजनेता, औषचध, ऩैतक ृ व्मवसाम, डॉक्टय (नेि, गरा, भस्स्तष्क, रृदम एवॊ यक्त से सॊफॊचधत) याजकीम कामो के ठे केदाय, जौहयी आदद व्माऩाय कयने वारोकों भाणणक्म धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं।

कामा,

ववराससता

की

वस्तुएॊ,

ये स्टोये डट्स,

होटर,

ड़डजाइतनॊग से सॊफॊचधत व्माऩाय कयने वारोकों हीया धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं। नीरभ्इॊजीतनमरयॊग, सववास, कृवष, सपाई, ऩेिोसरमभ, खतनज, अरूच ऩूणा कामा, रौह से सॊफॊचधत कामा, ऩत्थय, ठे केदाय,

भेती्भनोच फकत्सक, डॉक्टय (उदय, पेपड़े, िाती एवॊ स्िी योग ववशेषऻ ) दक ु ानदाय, मािा, नाववक, एमय होस्टे स, हॉकय, बोजन साभग्री, इत्मादद के कामा

भूंगा्-

कयने वारोकों भोती

धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं।

डॉक्टय (दॊ त योग, कैंसय, अवयोध से सॊफॊचधत फीभारयमाॊ, अस्स्थयोग ववशेषऻ ) सॊफॊचधत व्माऩाय कयने वारोकों हीया धायण कयने से सपरता प्राप्त होती हैं।

***

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ददसम्फय-2016

श्री गणेश मॊि गणेश मॊि सवा प्रकाय की ऋवि-ससवि प्रदाता एवॊ सबी प्रकाय की उऩरस्धधमों दे ने भें सभथा है , क्मोकी श्री गणेश मॊि के ऩूजन का पर बी बगवान गणऩतत के ऩूजन के सभान भाना जाता हैं। हय भनुष्म को को जीवन भें सुख-सभवृ ि की प्रास्प्त एवॊ तनमसभत जीवन भें प्राप्त होने वारे ववसबडन कष्ट, फाधा-ववघ्नों को नास के सरए श्री गणेश मॊि को अऩने ऩूजा स्थान भें अवश्म स्थावऩत कयना

ादहए। श्रीगणऩत्मथवाशीषा भें वणणात हैं ॐकाय का ही व्मक्त स्वरूऩ श्री गणेश

हैं। इसी सरए सबी प्रकाय के शुब भाॊगसरक कामों औय दे वता-प्रततष्ठाऩनाओॊ भें बगवान गणऩतत का प्रथभ ऩूजन फकमा जाता हैं। स्जस प्रकाय से प्रत्मेक भॊि फक शस्क्त को फढाने के सरमे भॊि के आगें ॐ (ओभ ्)

आवश्म रगा होता हैं।

उसी प्रकाय प्रत्मेक शुब भाॊगसरक कामों के सरमे बगवान ् गणऩतत की ऩूजा एवॊ स्भयण अतनवामा भाना गमा हैं। इस ऩौयाणणक भत को सबी शास्ि एवॊ वैददक धभा, सम्प्रदामों ने गणेश जी के ऩूजन हे तु इस प्रा ीन ऩयम्ऩया को एक भत से स्वीकाय फकमा हैं।

श्री गणेश मॊि के ऩूजन से व्मस्क्त को फुवि, विद्यद, वववेक का ववकास होता हैं औय योग, व्माचध एवॊ सभस्त ववध्नफाधाओॊ का स्वत् नाश होता है । श्री गणेशजी की कृऩा प्राप्त होने से व्मस्क्त के भस्ु श्कर से भस्ु श्कर कामा बी आसान हो जाते हैं।

स्जन रोगो को व्मवसाम-नौकयी भें ववऩयीत ऩरयणाभ प्राप्त हो यहे हों, ऩारयवारयक तनाव, आचथाक तॊगी, योगों से ऩीड़ा हो यही हो एवॊ व्मस्क्त को अथक भेहनत कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, तनयाशा प्राप्त हो यही हो, तो एसे व्मस्क्तमो की सभस्मा के तनवायण हे तु कयने का ववधान शास्िों भें फतामा हैं।

तथ ा ा ु ॉ के ददन मा फुधवाय के ददन श्री गणेशजी की ववशेष ऩज ू ा-अ न

स्जसके पर से व्मस्क्त की फकस्भत फदर जाती हैं औय उसे जीवन भें सुख, सभवृ ि एवॊ ऐश्वमा की प्रास्प्त होती हैं। स्जस प्रकाय श्री गणेश जी का ऩूजन अरग-अरग उद्देश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु फकमा जाता हैं, उसी प्रकाय श्री गणेश मॊि का ऩूजन बी अरग-अरग उद्देश्म एवॊ काभनाऩूतता हे तु अरग-अरग फकमा जाता सकता हैं।

श्री गणेश मॊि के तनमसभत ऩूजन से भनुष्म को जीवन भें सबी प्रकाय की ऋवि-ससवि व धन-सम्ऩस्त्त की प्रास्प्त

हे तु श्री गणेश मॊि अत्मॊत राबदामक हैं। श्री गणेश मॊि के ऩूजन से व्मस्क्त की साभास्जक ऩद-प्रततष्ठा औय कीतता ायों औय पैरने रगती हैं।

 विद्वदनों का अनुबव हैं की फकसी बी शुब कामा को प्रायॊ ऩ कयने से ऩूवा मा शुबकामा हे तु घय से फाहय जाने से ऩूवा गणऩतत मॊि का ऩूजन एवॊ दशान कयना शुब परदामक यहता हैं। जीवन से सभस्त ववघ्न दयू होकय धन, आध्मास्त्भक

त े ना के ववकास एवॊ आत्भफर की प्रास्प्त के सरए भनुष्म को गणेश मॊि का ऩूजन कयना

गणऩतत मॊि को फकसी बी भाह की गणेश

ादहए।

तुथॉ मा फुधवाय को प्रात: कार अऩने घय, ओफपस, व्मवसामीक स्थर

ऩय ऩूजा स्थर ऩय स्थावऩत कयना शुब यहता हैं।

गरु ु त्ि कामाारम भें उऩरब्द्ध अन्म : रक्ष्भी गणेश मॊि | गणेश मॊि | गणेश मॊि (सॊऩण ू ा फीज भॊि सदहत) | गणेश ससि मॊि | एकाऺय गणऩतत मॊि | हरयरा गणेश मॊि बी उऩरधध हैं। अचधक जानकायी आऩ हभायी वेफ साइट ऩय प्राप्त कय सकते हैं।

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56

ददसम्फय-2016

रत्न‍धदरण‍से‍विद्यद‍प्रदवि

च

त ॊ न जोशी

यफ़द‍जन्म‍करं डली‍में‍ईच्च‍वशक्षद‍कद‍योग‍हो, ककतर‍विद्यदध्ययन‍के ‍समय‍ऄशरभ‍ग्रह‍की‍दशद‍के ‍कदरण‍रुकदिटे‍ अने‍कद‍योग‍हो‍यद‍विवभन्न‍प्रकदर‍की‍सम यदओं‍के ‍कदरण‍रुकदिटे‍अरही‍हो, तो‍संबंवधत‍ग्रह‍की‍शदंवत‍हेतर‍ ग्रह‍से‍संबंवधत‍रत्न‍को‍धदरण‍करनद‍एिं‍ग्रह‍के ‍यंि‍को‍ऄपने‍घर‍में‍ थदवपत‍करनद‍लदभददयक‍होतद‍हैं।‍ जदनकदर‍ज्योवतषी‍से‍सलदह‍प्रदि‍कर‍ग्रहो‍के ‍ऄशरभ‍प्रभदि‍को‍कम‍करने‍के ‍वलए‍रत्न‍धदरण‍करनद‍ सरल‍एिं‍ऄत्यदवधक‍लदभ‍प्रददन‍करने‍िदलद‍श्रेष्ठ‍ईपदय‍वसि‍हो‍सकतद‍हैं।‍क्योफ़क‍ईवचत‍मदगण‍दशणन‍से‍ धदरण‍फ़कयद‍गयद‍रत्न‍शीघ्र‍एिं‍वनवित‍शरभ‍प्रभदि‍प्रददन‍करने‍में‍समथण‍हैं।‍‍  लि‍के ‍ऄनरशदर‍रत्न‍धदरण‍से‍विद्यद‍प्रदवि  मेष‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍मदवणक्य‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  िृष‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍पन्नद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  वमथरन‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍हीरद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  ककण ‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍मूंगद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  हसह‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍पीलद‍परखरदज‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  कन्यद‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍नीलम‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  तरलद‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍नीलम‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  िृविक‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍पीलद‍परखरदज‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  धनर‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍मूंगद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  धनर‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍हीरद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  करं भ‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍पन्नद‍धदरण‍करनद‍चदवहये।  मीन‍लि‍िदले‍जदतक‍को‍विद्यद‍प्रदवि‍हेतर‍मोती‍धदरण‍करनद‍चदवहये। ईवचत‍मदगणदशणन‍से‍धदरण‍फ़कयद‍गयद‍ग्रह‍रत्न‍विद्यद‍लदभ‍हेतर‍विशेष‍लदभप्रद‍होतद‍हैं।

ऩढाई से सॊफॊचधत सभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भें अनावश्मक रूऩ से फाधा-ववघ्न मा रुकावटे हो यही हैं? फछ ो को अऩने ऩूणा

ऩरयश्रभ एवॊ भेहनत का उच त पर नहीॊ सभर यहा? अऩने रडके-रडकी की कॊु डरी का ववस्तत ृ अध्ममन अवश्म कयवारे औय उनके विद्यद‍ अध्ममन भें आनेवारी रुकावट एवॊ दोषो के कायण एवॊ उन दोषों के तनवायण के उऩामो के फाय भें ववस्ताय से जनकायी प्राप्त कयें ।

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ददसम्फय-2016

57

सूमा यासश से यत्न

 आरोक शभाा ऩश् मात भत से प्रबाववत अनेक व्मस्क्त अऩनी सूमा यासश के आधाय ऩय यासश का तनणाम कयते हैं। रेफकन

बायतीम ज्मोततष शास्ि भें

र ॊ यासश व नाभ यासश को अचधक भहत्व ददमा गमा हैं। ऩश् मात भतसे यासश का तनणाम

कयके उससे सॊफॊचधत यत्न धायण कयने ऩय अचधक भहत्व दे ते हैं। इस सरमे ऩश् मात भत को प्रधानता दे ने वारे व्मस्क्तमों के सरए रग्न, ग्रह की स्स्थती, दशा, भहादशा इत्मादद की शुब-अशुब स्स्थती को दे खना उनके सरए अतनवामा

नहीॊ हैं। वहॊ रोग केवर सूमा यासश के आधाय ऩय यत्न धायण कयने का तनणाम कय ते हैं। आऩ सबी ऩाठको के भागादशान हे तु ऩश् मात भत से सूमा यासश के आधाय ऩय यत्न धायण कयने का तनणाम कयते हैं उसकी तासरका प्रस्तुत हैं।

जन्भनतश्रथ

सम ू ा याशश

संफंश्रधत यत्न

भेष

भूॊगा

15 भई से 14 जून तक

वष ृ

हीया

ऩडना, तनरभ

15 जून से 14 जुराई तक

सभथन ु

ऩडन

भाणणक्म, हीया, तनरभ

15 जुराई से 14 अगस्त तक

कका

भोतत

भाणणक्म, भॊग ू ा, ऩख ु याज

15 अगस्त से 14 शसतम्फय तक

ससॊह

भाणणक्म

भोतत, भूॊगा, ऩुखयाज

15 शसतम्फय से 14 निम्फय तक

कडमा

ऩडन

भाणणक्म, हीया, तनरभ

15 निम्फय से 14 निम्फय तक

तुरा

हीया

ऩडना, तनरभ

15 निम्फय से 14 ददसम्फय तक

वस्ृ श् क

भूॊगा

भाणणक्म, भोतत, ऩुखयाज

15 ददसम्फय से 14 जनियी तक

धनु

ऩीरा ऩुखयाज

भाणणक्म, भोतत, भूॊगा

15 जनियी से 14 पयियी तक

भकय

तनरभ

ऩडना, हीया,

15 पयियी से 14 भाचा तक

कॊु ब

तनरभ,

ऩडना, हीया,

15 भाचा से 14 अप्रेर तक

भीन

ऩीरा ऩख ु याज,

भाणणक्म, भोतत, भॊग ू ा

15 अप्रेर से 14 भई तक

शब ु यत्न

भाणणक्म, भोतत, ऩुखयाज

ओनेक्स जो व्मस्क्त ऩडना धायण कयने भे असभथा हो उडहें फुध ग्रह के उऩयत्न ओनेक्स को धायण कयना उछ

ादहए।

सशऺा प्रास्प्त हे तु औय स्भयण शस्क्त के ववकास हे तु ओनेक्स यत्न की अॊगूठी को दामें हाथ की सफसे िोटी

उॊ गरी मा रॉकेट फनवा कय गरे भें धायण कयें । ओनेक्स यत्न धायण कयने से विद्यद-फुवि की प्रास्प्त हो होकय स्भयण शस्क्त का ववकास होता हैं। भूल्म: 190 से 550 तक GURUTVA KARYALAY: Call Us - 9338213418, 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

ददसम्फय-2016

58

अॊक ज्मोततष से जाने शुब यत्न

 आरोक शभाा जन्भ नतश्रथ

भंर ू ांक

स्िाभी ग्रह

1, 10, 19, 28

1

सम ू ा

2, 11, 20, 29

2

ॊर

3, 12, 21, 30

3

4, 13, 22, 31

शब ु यत्न

अन्म शब ु यत्न

भाणणक्म

भोतत, भॊग ू ा, ऩख ु याज

भोती

भाणणक्म, भॊग ू ा, ऩख ु याज

गुरू

ऩख ु याज

भाणणक्म, भोतत, भॊग ू ा

4

याहु

गोभेद

हीया, तनरभ, रहसतु नमा

5, 14, 23

5

फध ु

ऩडना

भाणणक्म, हीया, तनरभ

6, 15, 24

6

शक्र ु

हीया

ऩडना, तनरभ

7, 16, 25

7

केतु

रहसतु नमा

हीया, तनरभ, गोभेद

8, 17, 26

8

शतन

नीरभ

ऩडना, हीया,

9, 18, 27

9

भॊगर

भॊग ू ा

भाणणक्म, भोतत, ऩख ु याज

दक्षऺिािनता शंख आकाय रंफाई भें 1" to 1.5" ईं

सुऩय पाईन स्ऩेशर आकाय रंफाई भें 180 230 280 4" to 4.5" ईं 280 370 460 5" to 5.5" ईं

2" to 2.5" ईं

370

460

3" to 3.5" ईं

460

550

0.5" ईं

पाईन

पाईन

640 6" to 6.5" ईं 820 7" to 7.5" ईं

सुऩय पाईन स्ऩेशर 730 910 1050 1050

1250

1450

1250

1450

1900

1550

1850

2100

हभाये महाॊ फड़े आकाय के फकभती व भहॊ गे शॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी सभाने की ऺभता वारे होते हैं। आऩके अनरु ु ध ऩय उऩरधध कयाएॊ जा सकते हैं।

 स्ऩेशर गुणवत्ता वारा दक्षऺणावतता शॊख ऩूयी तयह से सपेद यॊ ग का होता हैं।  सऩ ु य पाईन गण ु वत्ता वारा दक्षऺणावतता शॊख पीके सपेद यॊ ग का होता हैं।  पाईन गुणवत्ता वारा दक्षऺणावतता शॊख दों यॊ ग का होता हैं।

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ददसम्फय-2016

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शास्िोक्त ववधान से यत्न धायण सॊफॊचधत सुझाव

 ववजम ठाकुय ग्रह

यत्न

धातु

वजन

अॊगुरी

ददन

सभम

1

सम ू ा

भाणणक्म

सोना

5.25 यत्ती

अनासभका

यवववाय

सम ू ोदम

2

ॊर

भोती

ाॊदी

7.25 यत्ती

कतनस्ष्ठका

सोभवाय

ॊरोदम

3

भॊगर

भॊग ू ा

सोना

8 यत्ती

अनासभका

भॊगरवाय

सम ू ोदम

4

फध ु

ऩडना

सोना

5.25 यत्ती

कतनस्ष्ठका

फध ु वाय

सफ ु ह 9 फजे

5

गुरू

ऩख ु याज

ाॊदी

4-10 यत्ती

तजानी

गुरुवाय

सामॊ 4-6 फजे

6

शक्र ु

हीया

ाॊदी

1 कैये ट

अनासभका

शक्र ु वाय

प्रात्

7

शतन

नीरभ

ाॊदी

4-10 यत्ती

भध्मभा

शतनवाय

सामॊकार

8

याहू

गोभेद

ऩॊ धातु

5.25 यत्ती

भध्मभा

फध ु वाय

सामॊ

9

केतु

रहसतु नमा

ऩॊ धातु

5.25 यत्ती

भध्मभा

शतनवाय

प्रात्

 क्मा आऩके फछ े कुसॊगती के सशकाय हैं?  क्मा आऩके फछ े आऩका कहना नहीॊ भान यहे हैं?  क्मा आऩके फछ े घय भें अशाॊतत ऩैदा कय यहे हैं? घय ऩरयवाय भें शाॊतत एवॊ फछ े को कुसॊगती से िुडाने हे तु फछ े के नाभ से गुरुत्व कामाारत द्वदरद शास्िोक्त ववचधववधान से भॊि ससि प्राण-प्रततस्ष्ठत ऩूणा

त ै डम मुक्त वशीकयण कव

एवॊ एस.एन.ड़डधफी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें

स्थावऩत कय अल्ऩ ऩूजा, ववचध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि ससि वशीकयण कव

एवॊ एस.एन.ड़डधफी फनवाना

ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected], Visit Us: www.gurutvakaryalay.com

ददसम्फय-2016

60

सही क्रभ भें जड़ड़त नवयत्न हीॊ धायण कयें

 स्वस्स्तक.ऎन.जोशी ग्रहो के अशब ु प्रबाव को कभ कयने के सरए ववसबडन यत्न धायण कयवाएॊ जाते हैं।

ऋषी-भुतनमो ने ग्रहो के इस क्रभ का

रेफकन एकाचधक अशुब ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने के सरए नवयत्न जड़ड़त अॊगूठी, ऩैडडेडट, इत्मादद आबष ू ण धायण कयने की सराह दी जाती हैं। रेफकन नवयत्न धायण कयने से ऩूवा मह सुतनस्श् त कय रे की जो नवयत्न आऩ फनवाने जा यहे हैं मा फनामा हुवा हैं तो उसे दे ख रे की उसका क्रभ सुतनस्श् त हो। क्मोकी विद्वदनो के भत से नवयत्नों की अॊगूठी मा ऩैडडेडट भें जड़ड़त यत्नो को जोड़ने का एक ही तनस्श् त क्रभ तनधाारयत है । नवयत्न को तनधाारयत क्रभ भें जड़वाने का मह रन ऩूयातन कार से हैं। इसके

ऩीिे

भूल्म

यहस्म

इसके ऩीिे एसी भाडमता हैं की हभाये विद्वदन‍

ग्रहो

के

वास्तु के अनुशाय हय ग्रह की एक ददशा व स्थान सतु नस्श् त हैं। वास्तु भें सूमा को ब्रह्भ स्थान,

था। इन नवयत्नो के साथ मदद कोई मॊि ववशेष जैसे श्री मॊि, फगरा भुखी मॊि, ऩॊदयीमा मॊि, फीसा मॊि आदद जड़ड़त फकमा जामे तो ग्रहो के क्रभ भें फदरव आजाता हैं।

ससपा नवयत्न धायण कयने ऩय

उसे जड़ड़त कयने का क्रभ आऩ के भागादशान के सरए महाॊ प्रस्तत ु हैं। केतु

गुरु(फह ृ स्ऩतत)

फुध

रहसुतनमा

ऩीरा ऩुखयाज

ऩडन

शतन

सूमा

तनरभ

भाणणक्म

याहु

भॊगर

गोभेद

भूॊगा

सरमे

ज्मोततष व वास्तु भें तनधाारयत की गई ददशा हैं।

र ॊ को

अस्ग्नकोण, भॊगर को दक्षऺण ददशा, फुध को ईशान कोण, फह ृ स्ऩतत को उत्तय ददशा, शुक्र को ऩूवा ददशा, शतन को ऩस्श् तभ ददशा, याहु के सरए नौऋत्म कोण औय केतु के सरए वामव्म कोण तनधाारयत फकमा गमा हैं। इसी क्रभ भें नवयत्न को जड़वाने का ववधान हैं।

रन फकमा

शुक्र हीया र ॊ भोती

नवयत्न की अॉगठ ू ी मा रटकन(ऩेडडडट) जड़ड़त कयने का क्रभ उक्त हैं।

हभायें महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न उच त भल् ू म ऩय उऩरधध हैं सॊऩका कयें ।

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रत्न‍द्वदरद‍रोग‍ईपचदर

च

त ॊ न जोशी, स्वस्स्तक.ऎन.जोशी

HINDI

ENGLISH

STONE

1. हल्की रत िूडाने के सरमे

Addiction (Mild)

Amethyst, White Agate

2. बायी रत िूडाने के सरमे

Addiction (Strong)

Blue Sapphire

3. एरजॉ से सहामता के सरमे

Allergies

Aquamarine

4. खन ू की कभी दयू के सरमे

Aneamic (Blood Deficiency)

Magnetit

5. ऩथयी दयू के सरमे

Appendicitis

Citrine

6. गदठमा/सूजन सॊफॊचधत योग भें सहामक

Arthritis

7. हातन/घाटा/अचधक ख ा भें सहामक

Attention Deficit

Golden Tiger’s Eye, Green Emrald Black Agate

8. भुिाशम सॊफॊचधत योग भें सहामक

Bladder

Bloodstone

9. यक्त स्िाव के सरमे(भदहरा के सरमे नहीॊ)

Bleeding(Not4female)

Heliotrope

10. यक्त

Blood Pressure (High- Low)

Aventurine

11. यक्त शुि कयने भें सहामक

Blood Purification

Bloodstone

12. अस्स्थ बॊग भें सहामक

Bone (Joining Cracks)

Pearl,Calcite

13. अस्स्थ भज्जा की सूजन भें सहामक

Bone Marrow Inflammed

Crystal, Clear Quartz

14. अस्स्थ सॊफॊचधत ऩये शानी भें सहामक

Bone Problems

Fluorite,Calcite

15. भस्स्तष्क सॊफॊचधत योग भें सहामक

Brain

Blue Sapphire

16. भानससक थकान/तनाव दयू कयने के सरमे

Brain Fatigue

Amazonite

17. कैंसक भें सहामक

Cancer

Cat’s Eye

18. केडरीम तॊत्रिका तॊि भें सहामक

Central Nervous System

Alexandrite, Aventurine

19. प्रसव कष्ट दयू कयने के सरमे

Childbirth(Ease)

20. जीवाणु सॊक्रभण दयू के सरमे

Colon Infections

Golden Topaz,Pearl,Apricot Agate Green Agate,Amber

21. भधभ ु ेह भें सहामक

Diabetes

22. भाहवायी/ऋतुस्िाव सॊफॊचधत ऩये शानी दयू

Dysmenorrhoea

White Coral, White Sapphire Turquoise

23. कान सॊफॊचधत ऩये शानी दयू के सरमे

Ear Infections

Blue Agate

24. रसीका ग्रॊचथ की ववृ ि योक ने भें सहामक

Enlarged Glands

Aquamarine

ाऩ के सरमे (उछ

औय कभ)

ददसम्फय-2016

62

25. नेि/आॊखॉ सॊफॊचधत योग भें सहामक

Eye Disease

Opal, Amethyst

26. प्रजनन सॊफॊचधत योग भें सहामक

Fertility

Moonstone,Rose Quartz

27. फुखाय दयू कयने के सरमे (अम्रता के साथ)

Fever(With Acidity)-

Red Coral

28. सदॊ- फुखाय दयू कयने के सरमे (ठॊ ड के साथ)

Fever(With Cold)-

Pearl

29. अहॊ काय/गैस दयू कयने के सरमे

Flatulence

Emerald,Red Coral,Pearl

30. ऩानी/रव्म सॊफॊचधत योग दयू कयने के सरमे

Fluid Retention

Aquamarine

31. चगल्ट/ग्रॊचथ योग ववकाय दयू कयने के सरमे

Glandular Disorders

Lapiz

32. स्िी योग सॊफॊचधत ऩये शानी भें सहामक

Gynaec Problems

Red Agate, Red Jasper

33. फार सॊफॊचधत ऩये शानी दयू कयने के सरमे

Hair

Marble Or Granite

34. हाभोन असॊतर ु न भें सहामक

Harmone Imbalance

Topaz,Amber

35. रृदम योग (हरका) भें सहामक

Heart Disorders (Mild)

Emerald

36. रृदम योग (बायी) भें सहामक

Heart Disorders (Strong)

Blue Sapphire

37. ज्मादा गुस्सा दयू कयने के सरम (फछ ो के सरमे)

Hyperactive Child

38. ज्मादा गुस्सा/सॊवेदनशीरता दयू कयने के सरमे

Hypersensitivity

Green Emrald, Green Agate, Jade, Moonstone,Amazonite

39. नऩुॊसकता/शुक्राणु सॊफॊचधत ऩये षानी दयू कयने

Impotency

Daimond, Zircon, Shiv Lingam Stone

40. अऩ /फद हजभी दयू कयने के सरमे

Indigestion

Red Coral, Agate

41. अतनरा दयू कयने के सरमे

Insomnia

Agate(Any),Tourmaline

42. कधज की अतनमसभतता सॊफॊचधत ऩये शानी के सरमे

Irregular Stools

Green Agate

43. गुदाा सॊक्रभण दयू कयने के सरमे

Kidney Infections

44. गुदे की ऩथयी दयू कयने के सरमे (तोडने/बॊग

Kidney Stone (To Crack&Dissolve)

Red Agate,Amazonite,Amethyst Garnet, Malachite

के सरमे

कयने के सरमे) 45. यक्त कैंसय दयू कयने के सरमे

Leukaemia

Alexandrite

46. सुस्त स्जगय के भें सहामक

Liver Sluggish

47. पेपडो भें ववकाय दयू कयने के सरमे

Lung Disorders

48. स्भयण शस्क्त भें सहामक

Memory

49. यजोतनवस्ृ त्त भें सहामक

Menopause

Red Coral, Amazonite, Amethyst Green Emrald, Jade, Amber Emerald, Gomes, Peridot, Jade Citrine

ददसम्फय-2016

63

50. भाससक धभा सॊफॊचधत ऩये शानी भें सहामक

Menstrual Pains

51. नाखन ू सॊफॊचधत ऩये शानी दयू कयने के सरमे

Nails

Green Emrald, Jade, Amazonite Gomed

52. वातशूर/वातयोग दयू कयने के सरमे

Neuralgia

Aquamarine

53. स्नामु ववकाय दयू कयने के सरमे

Neurological Disorders

Gomed, Black Hawk’s Eye

54. नकसीय/नाक से खन ू तनकरना दयू कयने के सरमे

Nose Bleed

Red Agate, Carnelian,

55. अस्स्थ योग भें सहामक

Osteoporosis

56. ऩऺाघात/रकवा भें सहामक

Paralysis

Green Emrald, Jade, Aventurine. Blue Sapphire

57. फवासीय सॊफॊचधत ऩये शानी दयू कयने के सरमे

Piles

Mariam

58. गदठमा योगभें सहामक (ऩयू ाना मा रॊफे सभम का) Rhuematism (Chronic)

Amazonite

59. गदठमा योग भें सहामक

Rhuematsm

Red Coral

60. मौन ऊजाा

Sexual Energy

Agate Botswana

61. त्व ा सॊफॊचधत योग दयू कयने के सरमे

Skin

Diamond, Amethyst

62. वा ा/वाणी ववकाय दयू कयने के सरमे

Speech Disorders

Blue Lace Agate.

63. फछ ो के भसूडों से सॊफॊचधत योग भें सहामक

Teething(Babies)

Amber, Citrine

64. गरे का कैंसय

Throat

65. थाईयोड भें सहामक

Thyroid

66. दाॊत के ददा भें सहामक

Toothache

Citrine, Amber,Blue Lace Agate Citrine, Amber,Amethyst, Aquamarine Aquamarine

67. भुिाशम सॊफॊचधत योग दयू कयने के सरमे

Urinary Tract Infection

Bloodstone

68. जयामु ववकाय दयू कयने के सरमे

Uterian Disorders

Mother Of Pearl

69. वजन फढ़ाने के सरमे सहामक

Weight(To Increase)

Citrine, Amber

70. वनज घटाने के सरमे सहामक

Weight(To Loose)

Ruby

फढ़ाने भें सहामक

नोट:- ऊऩय दशााइ गई यत्न एवॊ योग तनदान की तासरका जानकायी के उद्देश्म से ददगई हैं। कोई बी यत्न ऩत्थय धायण कयने से कूशर यत्न ववशेऻ, ज्मोततष औय च फकत्सक से ऩयाभशा रेना आवश्मक हैं। यत्न धायण कयने से ऩूवा उसकी गण ु वत्ता की जाॉ

कयें एवॊ उस यत्न के सॊऩूणा शब ु -

अशुब प्रबाव के फाये भें जानकायी प्राप्त कयने के फाद ही यत्न धायण कयने का तनणाम कयें ।

योग तनवायण के सरए यत्न ऩत्थय धायण कयने से यत्न के अछिे मा फुये प्रबाव से होने वारे राबहानी के सरए ऩत्रिका सॊऩादक, रेख व गरु ु त्व कामाारम ऩरयवाय स्जम्भेदाय नहीॊ हैं।

ददसम्फय-2016

64

भॊि ससि दर ा साभग्री ु ब

भॊि ससि भारा

हत्था जोडी- Rs- 730, 1450, 2800, 3700, 7300, 8200

स्पदटक भारा- Rs- 190, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

ससमाय ससॊगी- Rs- 1050, 1900, 5500

सपेद

त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450

यक्त (रार)

कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

भोती भारा- Rs- 280, 460, 730, 1250, 1450 & Above

दक्षऺणावतॉ शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900

ववधुत भारा - Rs- 100, 190

भोतत शॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900

ऩुि जीवा भारा - Rs- 280, 460

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

कभर गट्टे की भारा - Rs- 210, 280

इडर जार- Rs- 251, 551, 751

हल्दी भारा - Rs- 150, 280

धन ववृ ि हकीक सेट Rs-251(कारी हल्दी के साथ Rs-550)

तर ु सी भारा - Rs- 100, 190, 280, 370

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नवयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

ऩीरी कौड़ड़माॊ: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

नवयॊ गी हकीक भारा Rs- 190 280, 460, 730

हकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

हकीक भारा (सात यॊ ग) Rs- 190 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

नाग केशय: 11 ग्राभ, Rs-111

ऩायद भारा Rs- 730, 1050, 1900, 2800 & Above

कारी हल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

वैजमॊती भारा Rs- 100,190

गोभती

क्र Small & Medium 11 नॊग-75, 101, 151, 201,

रुराऺ भारा: 100, 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

गोभती

क्र Very Rare Big Size : 1 नॊग- 51 से 550

भूल्म भें अॊतय िोटे से फड़े आकाय के कायण हैं।

(अतत दर ा फड़े आकाय भें 5 ग्राभ से 11 ग्राभ भें उऩरधध) ु ब

ॊदन भारा - Rs- 280, 460, 640 ॊदन - Rs- 100, 190, 280

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श्री हनुभान मॊि शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय हनभ ु ान जी को बगवान सम ू द ु ान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनभ ु ान को सबी शास्ि का ऩण ू ा ऻान दॉ ग ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि विद्यद भें इडहें भहायत हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय

कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानश ु ाय हनभ ु ान मॊि की आयाधना से ऩरु ु षों की ववसबडन फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि

भें अद्भत ू ाा, नऩॊस ु कता इत्मादद ु शस्क्त सभादहत होने के कायण व्मस्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भि अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मडत राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩष्ु ट कयता हैं। श्री हनभ ु ान मॊि व्मस्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बत ू -प्रेत, द्यूत फक्रमा, ववषबम, ोय बम, याज्म बम, भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्मादद से

सॊकटो से यऺा कयता हैं औय ससवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं। श्री हनभ ु ान मॊि के ववषम भें अचधक जानकायी के सरमे

गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें ।

भूल्म Rs- 730 से 10900 तक >> Shop Online | Order Now

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ददसम्फय-2016

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ददसम्फय-2016

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सवा कामा ससवि कव स्जस व्मस्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उसे भनोवाॊतित सपरतामे एवॊ

फकमे गमे कामा भें ससवि (राब) धायण कयना

ादहमे।

प्राप्त नहीॊ होती, उस व्मस्क्त को सवा कामा ससवि कव

किच के प्रभख राब: सवा कामा ससवि कव ु

अवश्म

के द्वदरद सख सभवृ ि औय नि ग्रहों के ु

नकायात्भक प्रबाव को शाॊत कय धायण कयता व्मस्क्त के जीवन से सवा प्रकाय के द:ु ख-दारयर का नाश हो कय सख ु -सौबाग्म एवॊ उडनतत प्रास्प्त होकय जीवन भे ससब प्रकाय के शब ु कामा ससि होते हैं। स्जसे धायण कयने से व्मस्क्त मदद व्मवसाम कयता होतो कायोफाय भे ववृ ि होतत हैं औय मदद नौकयी कयता होतो उसभे उडनतत होती हैं।  सवा कामा ससवि कव

के साथ भें सिाजन िशीकयि कव

 सवा कामा ससवि कव

के साथ भें अष्ि रक्ष्भी कव

की फात का दस ू ये व्मस्क्तओ ऩय प्रबाव फना यहता हैं।

के सभरे होने की वजह से धायण कताा

के सभरे होने की वजह से व्मस्क्त ऩय सदा

भाॊ भहा रक्ष्भी की कृऩा एवॊ आशीवााद फना यहता हैं। स्जस्से भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)- आदद

रक्ष्भी, (२)- धाडम रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)- गज रक्ष्भी, (५)- सॊतान रक्ष्भी, (६)- ववजम रक्ष्भी, (७)- विद्यद रक्ष्भी औय (८)- धन रक्ष्भी इन सबी रुऩो का अशीवााद प्राप्त होता हैं।  सवा कामा ससवि कव

के साथ भें तंर यऺा कव

के सभरे होने की वजह से ताॊत्रिक फाधाए दयू

होती हैं, साथ ही नकायात्भक शस्क्तमो का कोइ कुप्रबाव धायण कताा व्मस्क्त ऩय नहीॊ होता। इस कव

के प्रबाव से इषाा-द्वेष यखने वारे व्मस्क्तओ द्द्वाया होने वारे दष्ु ट प्रबावो से यऺा होती हैं।

 सवा कामा ससवि कव

के साथ भें शरु विजम कव

के सभरे होने की वजह से शिु से सॊफॊचधत

सभस्त ऩये शातनओ से स्वत् ही िुटकाया सभर जाता हैं। कव का

ाहकय कुि नही त्रफगाड़ सकते।

अडम कव

के फाये भे अचधक जानकायी के सरमे कामाारम भें सॊऩका कये :

फकसी व्मस्क्त ववशेष को सवा कामा ससवि कव

सयु क्षऺत हैं।

के प्रबाव से शिु धायण कताा व्मस्क्त

दे ने नही दे ना का अॊततभ तनणाम हभाये ऩास >> Shop Online | Order Now

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ददसम्फय-2016

67

भॊि ससि ऩायद प्रततभा ऩायद श्री मॊि

21 Gram से 5.250 Kg तक

ऩायद रक्ष्भी गणेश

100 Gram

ऩायद रक्ष्भी नायामण

ऩायद रक्ष्भी नायामण

121 Gram

100 Gram

उऩरधध ऩायद सशवसरॊग

ऩायद सशवसरॊग+नॊदद

21 Gram से 5.250 Kg तक

101 Gram से 5.250 Kg

उऩरधध

तक उऩरधध

ऩायद दग ु ाा

82 Gram ऩायद हनुभान 2

100 Gram

ऩायद सशवजी

ऩायद कारी

75 Gram

37 Gram

ऩायद दग ु ाा

ऩायद सयस्वती

ऩायद सयस्वती

100 Gram

50 Gram

225 Gram

ऩायद हनुभान 3

125 Gram

ऩायद हनुभान 1

100 Gram

ऩायद कुफेय

100 Gram

हभायें महाॊ सबी प्रकाय की भॊि ससि ऩायद प्रततभाएॊ, सशवसरॊग, वऩयासभड, भारा एवॊ गदु टका शि ु ऩायद भें उऩरधध हैं।

त्रफना भॊि ससि की हुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरधध हैं। े़ ज्मोततष, यत्न व्मवसाम, ऩज ू ा-ऩाठ इत्मादद ऺेि से जड ु े फॊध/ु फहन के सरमे हभायें ववशेष मॊि, कव , यत्न, रुराऺ व अडम दर ु ब साभग्रीमों ऩय ववशेष सत्रु फधाएॊ उऩरधध हैं। अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

ददसम्फय-2016

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भॊि ससि गोभतत क्र

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ददसम्फय-2016

69

हभाये ववशेष मॊि व्माऩाय िवृ ध मंर: हभाये अनुबवों के अनुसाय मह मॊि व्माऩाय ववृ ि एवॊ ऩरयवाय भें सुख सभवृ ि हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

बशू भराब मंर: बूसभ, बवन, खेती से सॊफॊचधत व्मवसाम से जुड़े रोगों के सरए बूसभराब मॊि ववशेष राबकायी ससि हुवा हैं।

तंर यऺा मंर: फकसी शिु द्वदरद फकमे गमे भॊि-तॊि आदद के प्रबाव को दयू कयने एवॊ बत ू , प्रेत नज़य आदद फयु ी शस्क्तमों से यऺा हे तु ववशेष प्रबावशारी हैं।

आकष्स्भक धन प्राष्प्त मंर: अऩने नाभ के अनुसाय ही भनष्ु म को आकस्स्भक धन प्रास्प्त हे तु परप्रद हैं इस मॊि के ऩूजन से साधक को अप्रत्मासशत धन राब प्राप्त होता हैं।

ाहे वह धन राब व्मवसाम से हो, नौकयी से हो, धन-

सॊऩस्त्त इत्मादद फकसी बी भाध्मभ से मह राब प्राप्त हो सकता हैं। हभाये वषों के अनुसॊधान एवॊ अनुबवों से हभने आकस्स्भक धन प्रास्प्त मॊि से शेमय िे ड़डॊग, सोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद सॊफॊचधत ऺेि से जुडे रोगो को ववशेष रुऩ से आकस्स्भक धन राब प्राप्त होते दे खा हैं। आकस्स्भक धन प्रास्प्त मॊि से ववसबडन स्रोत से धनराब बी सभर सकता हैं।

ऩदौन्ननत मंर: ऩदौडनतत मॊि नौकयी ऩैसा रोगो के सरए राबप्रद हैं। स्जन रोगों को अत्माचधक ऩरयश्रभ एवॊ श्रेष्ठ कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उडनतत अथाात प्रभोशन नहीॊ सभर यहा हो उनके सरए मह ववशेष राबप्रद हो सकता हैं।

यत्नेश्ियी मंर: यत्नेश्वयी मॊि हीये -जवाहयात, यत्न ऩत्थय, सोना- ाॊदी, ज्वैरयी से सॊफॊचधत व्मवसाम से जडु े रोगों के सरए अचधक प्रबावी हैं। शेय फाजाय भें सोने- ाॊदी जैसी फहुभूल्म धातुओॊ भें तनवेश कयने वारे रोगों के सरए बी ववशेष राबदाम हैं।

बशू भ प्राष्प्त मंर: जो रोग खेती, व्मवसाम मा तनवास स्थान हे तु उत्तभ बसू भ आदद प्राप्त कयना

ाहते हैं, रेफकन

उस कामा भें कोई ना कोई अड़ न मा फाधा-ववघ्न आते यहते हो स्जस कायण कामा ऩण ू ा नहीॊ हो यहा हो, तो उनके सरए बूसभ प्रास्प्त मॊि उत्तभ परप्रद हो सकता हैं।

गह ु ान, ओफपस, पैक्टयी आदद के सरए बवन प्राप्त कयना ृ प्राष्प्त मंर: जो रोग स्वमॊ का घय, दक

ाहते हैं। मथाथा

प्रमासो के उऩयाॊत बी उनकी असबराषा ऩण ू ा नहीॊ हो ऩायही हो उनके सरए गह ृ प्रास्प्त मॊि ववशेष उऩमोगी ससि हो सकता हैं।

कैरास धन यऺा मंर: कैरास धन यऺा मॊि धन ववृ ि एवॊ सुख सभवृ ि हे तु ववशेष परदाम हैं। आचथाक राब एवॊ सख ा रक्ष्भी मॊि ु सभवृ ि हे तु 19 दर ु ब

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ववसबडन रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भहारक्ष्भमै फीज मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (भॊि यदहत)

भहारक्ष्भी फीसा मॊि

वैबव रक्ष्भी मॊि (भहान

श्री मॊि (सॊऩूणा भॊि सदहत)

रक्ष्भी दामक ससि फीसा मॊि

श्री श्री मॊि

श्री मॊि (फीसा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीसा मॊि

अॊकात्भक फीसा मॊि

श्री मॊि श्री सक् ू त मॊि

रक्ष्भी फीसा मॊि

ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩज ू न मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम)

रक्ष्भी गणेश मॊि

ससवि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि)

(रसरता भहात्रिऩयु सड ु दमै श्री भहारक्ष्भमैं श्रीभहामॊि)

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ददसम्फय-2016

70

सवाससविदामक भुदरका

इस भदु रका भें भॊग ू े को शब ु भह ु ू ता भें त्रिधातु (सव ु णा+यजत+ताॊफें) भें जड़वा कय उसे शास्िोक्त ववचधववधान से ववसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वदरद सवाससविदामक फनाने हे तु प्राण-प्रततस्ष्ठत एवॊ ऩण ू ा

त ै डम मक् ु त

फकमा जाता हैं। इस भदु रका को फकसी बी वगा के व्मस्क्त हाथ की फकसी बी उॊ गरी भें धायण कय सकते हैं। महॊ भदु रका कबी फकसी बी स्स्थती भें अऩववि नहीॊ होती। इस सरए कबी भदु रका को

उतायने की आवश्मक्ता नहीॊ हैं। इसे धायण कयने से व्मस्क्त की सभस्माओॊ का सभाधान होने रगता

हैं। धायणकताा को जीवन भें सपरता प्रास्प्त एवॊ उडनतत के नमे भागा प्रसस्त होते यहते हैं औय जीवन भें सबी प्रकाय की ससविमाॊ बी शीध्र प्राप्त होती हैं।

भल् ू म भार- 6400/- >> Shop Online | Order Now

(नोि: इस भुदरका को धायण कयने से भॊगर ग्रह का कोई फुया प्रबाव साधक ऩय नहीॊ होता हैं।)

सिाशसवधदामक भदु द्रका के विषम भें अश्रधक जानकायी के शरमे हे तु सम्ऩका कयें ।

ऩतत-ऩत्नी भें करह तनवायण हे तु मदद ऩरयवायों भें सख ु -सवु वधा के सभस्त साधान होते हुए बी िोटी-िोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे करह होता यहता हैं, तो घय के स्जतने सदस्म हो उन सफके नाभ से गरु ु त्व कामाारत द्वदरद शास्िोक्त ववचध-ववधान से भॊि ससि प्राणप्रततस्ष्ठत ऩूणा

त ै डम मुक्त वशीकयण कव

एवॊ गह ृ करह नाशक ड़डधफी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें त्रफना फकसी

ऩूजा, ववचध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। मदद आऩ भॊि ससि ऩतत वशीकयण मा ऩत्नी वशीकयण एवॊ गह ृ करह नाशक ड़डधफी फनवाना

ाहते हैं, तो सॊऩका आऩ कय सकते हैं।

100 से अचधक जैन मॊि हभाये महाॊ जैन धभा के सबी प्रभुख, दर ा एवॊ शीघ्र प्रबावशारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब ससरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे उऩरधध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, ससरवय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । इसके

अरावा आऩकी आवश्मकता अनस ु ाय आऩके द्वदरद प्राप्त (च ि, मॊि, ड़ड़ज़ाईन) के अनरु ु ऩ मॊि बी

फनवाए जाते है. गुरुत्व कामाारम द्वदरद‍ उऩरधध कयामे गमे सबी मॊि अखॊड़डत एवॊ 22 गेज शि ु कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट

शि ु ससरवय ( ाॊदी) एवॊ 22 केये ट गोल्ड (सोने) भे फनवाए जाते है । मॊि के

ववषम भे अचधक जानकायी के सरमे हे तु सम्ऩका कयें ।

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ददसम्फय-2016

71

द्वददश महद यंि यंि को ऄवत प्रदवचन एिं दरलणभ यंिो के संकलन से हमदरे िषो के ऄनरसंधदन द्वदरद बनदयद गयद हैं।  सहस्त्रदक्षी लक्ष्मी अबि यंि  परम दरलणभ िशीकरण यंि,  अकव मक धन प्रदवि यंि

 भदग्योदय यंि  मनोिदंवित कदयण वसवि यंि  रदज्य बदधद वनिृवि यंि  गृह थ सरख यंि  शीघ्र वििदह संपन्न गौरी ऄनंग यंि

 पूणण पौरुष प्रदवि कदमदेि यंि  रोग वनिृवि यंि  सदधनद वसवि यंि  शिर दमन यंि

ईपरोि सभी यंिो को द्वददश महद यंि के रुप में शदस्त्रोि विवध-विधदन से मंि‍ वसि‍ पूणण‍ प्रदणप्रवतवष्ठत‍ एिं‍ चैतन्य‍ यरि‍ फ़कये‍ जदते‍ हैं।‍ वजसे‍ थदपीत‍ कर‍ वबनद‍ फ़कसी‍ पूजद‍ ऄचणनद-विवध‍ विधदन‍विशेष‍लदभ‍प्रदि‍कर‍सकते‍हैं।

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द्वदरद शास्िोक्त ववचध-ववधान से भॊि ससि प्राण-प्रततस्ष्ठत ऩण ू ा

ैतडम मक् ु त वशीकयण कव

एवॊ एस.एन.ड़डधफी फनवारे एवॊ उसे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩूजा, ववचध-ववधान से आऩ ववशेष राब प्राप्त कय सकते हैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि ससि वशीकयण कव एस.एन.ड़डधफी फनवाना

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ाहते हैं, तो सॊऩका इस कय सकते हैं।

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ददसम्फय-2016

72

ददसम्फय-2016 भाससक ऩॊ ाॊग दद िाय 1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

14

15

भाह

ऩऺ

नतश्रथ

सभाष्प्त

नऺर

सभाष्प्त

मोग

सभाष्प्त कयि सभाष्प्त

चंद्र याशश

सभाष्प्त

गरु ु

भागाशीषा शक् ु र

वद्वतीयद

22:09:42

भर ू

29:05:01

शर ू

30:04:04

फारव

09:08:46

धनु

-

शक्र ु

भागाशीषा शक् ु र

तत ृ ीमा

23:57:21

ऩव ू ााषाढ़

31:17:02

गॊड

30:16:06

तैततर

11:05:47

धनु

-

शतन भागाशीषा शक् ु र

तथ ु ॉ

25:24:21

ऩव ू ााषाढ़

07:16:51

ववृ ि

30:10:17

वणणज 12:43:06

धनु

13:47:00

भागाशीषा शक् ु र

ऩॊ भी

26:26:02

उत्तयाषाढ़

09:07:17

ध्रव ु

29:45:44

फव

13:58:51

भकय

-

सोभ भागाशीषा शक् ु र

षष्ठी

26:56:47

श्रवण

10:32:25

व्माघात

28:54:55

कौरव

14:46:28

भकय

23:03:00

भॊगर भागाशीषा शक् ु र

सप्तभी

26:50:57

धतनष्ठा

11:24:42

हषाण

27:36:54

गय

14:58:27

कॊु ब

-

यवव

फध ु

भागाशीषा शक् ु र

अष्टभी

26:05:45

शतसबषा

11:41:22

वज्र

25:47:56

ववस्ष्ट

14:33:52

कॊु ब

29:27:00

गरु ु

भागाशीषा शक् ु र

नवभी

24:37:24

ऩव ू ााबारऩद

11:16:46

ससवि

23:25:12

फारव

13:26:09

भीन

-

शक्र ु

भागाशीषा शक् ु र

दशभी

22:28:43

उत्तयाबारऩद

10:11:51

व्मततऩात

20:29:40

तैततर

11:38:06

भीन

-

शतन भागाशीषा शक् ु र

एकादशी

19:44:25

ये वतत

08:29:25

वरयमान

17:05:58

वणणज 09:10:40

भीन

08:29:00

यवव

भागाशीषा शक् ु र

द्वददशी

16:31:58

बयणी

27:33:50

ऩरयग्रह

13:16:58

फारव

16:31:58

भेष

-

सोभ भागाशीषा शक् ु र

िमोदशी

12:58:53

कृततका

24:39:11

सशव

09:11:04

तैततर

12:58:53

भेष

08:51:00

09:16:24

योदहणण

21:40:46

साध्म

24:38:54

वणणज 09:16:24

वष ृ

-

भॊगर भागाशीषा शक् ु र

तद ु ा शी-

ऩणू णाभा

फध ु

ऩौष

कृष्ण

प्रततऩदा

26:08:36

भग ृ सशया

18:50:47

शब ु

20:31:06

फारव

15:48:54

वष ृ

08:14:00

गरु ु

ऩौष

कृष्ण

वद्वतीयद

23:04:32

आरा

16:23:17

शक् ु र

16:40:09

तैततर

12:32:39

सभथुन

-

ददसम्फय-2016

73

16

17

18

19

20

21

22

23

24

25

26

27

28

29

30

31

शक्र ु

ऩौष

कृष्ण

तत ृ ीमा

20:36:04

ऩन ु वासु

14:25:45

ब्रह्भ

13:15:27

शतन

ऩौष

कृष्ण

तथ ु ॉ

18:51:39

ऩष्ु म

13:09:28

इडर

10:24:28

फव

यवव

ऩौष

कृष्ण

ऩॊ भी

17:56:55

आश्रेषा

12:40:58

वैधतृ त

08:10:58

तैततर

सोभ

ऩौष

कृष्ण

षष्ठी

17:55:35

भघा

13:03:05

प्रीतत

29:46:13

भॊगर

ऩौष

कृष्ण

सप्तभी

18:44:52

ऩव ू ाापाल्गन ु ी

14:15:48

फध ु

ऩौष

कृष्ण

अष्टभी

20:18:12

गरु ु

ऩौष

कृष्ण

नवभी

22:25:15

हस्त

शक्र ु

ऩौष

कृष्ण

दशभी

24:54:47

शतन

ऩौष

कृष्ण

एकादशी

यवव

ऩौष

कृष्ण

सोभ

ऩौष

भॊगर

उत्तयापाल्गन ु ी 16:12:34

आमष्ु भान 29:30:48

वणणज 09:45:27

सभथुन

08:51:00

07:37:35

कका

-

17:56:55

कका

12:40:00

वणणज 17:55:35

ससॊह

-

फव

18:44:52

ससॊह

20:41:00

सौबाग्म

29:45:23

फारव

07:26:38

कडमा

-

18:43:04

शोबन

30:22:27

तैततर

09:18:42

कडमा

-

च िा

21:35:06

अततगॊड

31:12:36

वणणज 11:37:55

कडमा

08:07:00

27:32:45

स्वाती

24:36:30

अततगॊड

07:13:03

फव

14:14:00

तर ु ा

-

द्वददशी

30:06:56

ववशाखा

27:36:56

सक ु भाा

08:06:56

कौरव

16:50:59

तर ु ा

20:53:00

कृष्ण

िमोदशी

32:30:47

अनयु ाधा

30:27:02

धतृ त

08:57:02

गय

19:20:28

वस्ृ श् क

-

ऩौष

कृष्ण

िमोदशी

08:31:10

जेष्ठा

33:02:06

शर ू

09:38:40

वणणज 08:31:10 वस्ृ श् क

-

फध ु

ऩौष

कृष्ण

तद ु ा शी

10:37:09

जेष्ठा

09:01:32

गॊड

10:07:09

शकुतन 10:37:09 वस्ृ श् क 09:02:00

गरु ु

ऩौष

कृष्ण अभावस्मा 12:23:26

भर ू

11:17:49

ववृ ि

10:21:34

नाग

12:23:26

धनु

-

शक्र ु

ऩौष

शक् ु र

प्रततऩदा

13:49:04

ऩव ू ााषाढ़

13:12:30

ध्रुव

10:20:00

फव

13:49:04

धनु

19:39:00

शतन

ऩौष

शक् ु र

वद्वतीयद

14:52:10

उत्तयाषाढ़

14:48:25

व्माघात

10:01:33

कौरव

14:52:10

भकय

-

ददसम्फय-2016

74

ददसम्फय-2016 भाससक व्रत-ऩवा-त्मौहाय दद

िाय

भाह

1

गरु ु

भागाशीषा

शक् ु र

वद्वतीयद

22:09:42

-

2

शक्र ु

भागाशीषा

शक् ु र

तत ृ ीमा

23:57:21

-

3

शतन

भागाशीषा

शक् ु र

तथ ु ॉ

25:24:21

वैनामकी श्री गणेश

4

यवव

भागाशीषा

शक् ु र

ऩॊ भी

26:26:02

ऩॊ भी व्रत।

5

सोभ

भागाशीषा

शक् ु र

षष्ठी

26:56:47

6

भॊगर

भागाशीषा

शक् ु र

सप्तभी

26:50:57

नयससॊह भेहता जमडती।

7

फध ु

भागाशीषा

शक् ु र

अष्टभी

26:05:45

श्री दग ु ााष्टभी व्रत। फुधाष्टभी ऩवा।

8

गरु ु

भागाशीषा

शक् ु र

नवभी

24:37:24

कल्ऩादद नवभी।

9

शक्र ु

भागाशीषा

शक् ु र

दशभी

22:28:43

-

10

शतन

भागाशीषा

शक् ु र

एकादशी

19:44:25

भोऺदा एकादशी व्रत। वैकुण्ठ एकादशी। श्रीभद्भगवद्द्गीता जमॊती।

11

यवव

भागाशीषा

शक् ु र

द्वददशी

16:31:58

अखण्ड द्वददशी। प्रदोष व्रत। अनॊग िमोदशी व्रत।

12

सोभ

भागाशीषा

शक् ु र

िमोदशी

12:58:53

वऩशा

13

14

भॊगर

फध ु

भागाशीषा

ऩौष

ऩऺ

शक् ु र

कृष्ण

नतश्रथ

तद ु ा शी-

ऩणू णाभा

प्रततऩदा

सभाष्प्त

प्रभुख व्रत-त्मोहाय

तुथॉ व्रत।

स्कडद षष्ठी व्रत सॊध्माकार। षष्ठी व्रत।

भौनी एकादशी (जैन)।

भो न

तद ु ा शी। कऩदॊश्वय दशान ऩज ू न।

स्नान-दान व्रतादद हे तु उत्तभ ऩणू णाभा। श्री ववद्द्मा जमडती। 09:16:24

दत्तािेम जमडती। फत्तीसी ऩणू णाभा। भागाशीषा भास के व्रत-मभ आदद तनमभ ऩूण।ा ऩूणणाभा ततचथ ऺम

26:08:36

ऩौष भास कृष्ण ऩऺायम्ब। ऩौष भासीम व्रत-मभ-तनमभ प्रायम्ब। सम ू ा की धनु सॊक्रास्डत

15

गरु ु

ऩौष

कृष्ण

वद्वतीयद

म्ऩा षष्ठी व्रत। श्री अडनऩूणाा

23:04:32

डर दशान। सॊक्रास्डत का साभाडम

ऩण् ु मकार दोऩहय 02:33 से सम ू ाास्त तक। दीऩ वस्ि, दान हे तु उत्तभ। गोदावयी स्नान उत्तभ। धनु (खय) भास आयम्ब। सौय / ऩौष भास आयम्ब।

16

शक्र ु

ऩौष

कृष्ण

तत ृ ीमा

20:36:04

-

17

शतन

ऩौष

कृष्ण

तथ ु ॉ

18:51:39

सॊकष्टी श्री गणेश

तथ ु ॉ व्रत ( डरोदम या.08:55 ऩय)।

ददसम्फय-2016

75

18

यवव

ऩौष

कृष्ण

ऩॊ भी

17:56:55

-

19

सोभ

ऩौष

कृष्ण

षष्ठी

17:55:35

-

20

भॊगर

ऩौष

कृष्ण

सप्तभी

18:44:52

-

21

फध ु

ऩौष

कृष्ण

अष्टभी

20:18:12

22

गरु ु

ऩौष

कृष्ण

नवभी

22:25:15

-

23

शक्र ु

ऩौष

कृष्ण

दशभी

24:54:47

ऩौष दशभी। ऩाश्वानाथ जमडती (जैन)।

24

शतन

ऩौष

कृष्ण

एकादशी

27:32:45

सपरा एकादशी व्रत।

25

यवव

ऩौष

कृष्ण

द्वददशी

30:06:56

सुरूऩ द्वददशी व्रत।

26

सोभ

ऩौष

कृष्ण

िमोदशी

32:30:47

प्रदोष व्रत।

27

भॊगर

ऩौष

कृष्ण

िमोदशी

08:31:10

भाससक सशवयात्रि व्रत। िमोदशी ततचथ ववृ ि।

28

फध ु

ऩौष

कृष्ण

तद ु ा शी

10:37:09

श्राि की अभावस्मा।

29

गरु ु

ऩौष

कृष्ण

अभावस्मा

12:23:26

30

शक्र ु

ऩौष

शक् ु र

प्रततऩदा

13:49:04

ऩौष भास शक् ु र ऩऺ आयम्ब।

31

शतन

ऩौष

शक् ु र

वद्वतीयद

14:52:10

-

फुधाष्टभी ऩवा। सूमा सामन भकय यासश भें सॊध्मा 04:10 ऩय। सूमा सामन उत्तयामण। सामन सशसशय ऋतु प्रायम्ब।

स्नान-दानाद (ओड़डसा)।

हे तु

उत्तभ

अभावस्मा।

फकुरा

अभावस्मा

डर दशान

द्वददश महद यंि यंि को ऄवत प्रदवचन एिं दरलणभ यंिो के संकलन से हमदरे िषो के ऄनरसंधदन द्वदरद बनदयद गयद हैं।  परम दरलणभ िशीकरण यंि,     

भदग्योदय यंि मनोिदंवित कदयण वसवि यंि रदज्य बदधद वनिृवि यंि गृह थ सरख यंि शीघ्र वििदह संपन्न गौरी ऄनंग यंि

     

सहस्त्रदक्षी लक्ष्मी अबि यंि अकव मक धन प्रदवि यंि पूणण पौरुष प्रदवि कदमदेि यंि रोग वनिृवि यंि सदधनद वसवि यंि शिर दमन यंि

ईपरोि सभी यंिो को द्वददश महद यंि के रुप में शदस्त्रोि विवध-विधदन से मंि वसि पूणण प्रदणप्रवतवष्ठत एिं चैतन्य यरि फ़कये जदते हैं। वजसे थदपीत कर वबनद फ़कसी पूजद ऄचणनद-विवध विधदन विशेष लदभ प्रदि कर सकते हैं।

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ददसम्फय-2016

76

सॊऩूणा प्राणप्रततस्ष्ठत 22 गेज शुि स्टीर भें तनसभात अखॊड़डत

ऩुरुषाकाय शनन मंर

ऩरु ु षाकाय शतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबावशारी फनाने हे तु शतन की कायक धातु शि ु स्टीर(रोहे ) भें फनामा गमा हैं। स्जस के प्रबाव से साधक को तत्कार राब प्राप्त होता हैं। मदद

जडभ कॊु डरी भें शतन प्रततकूर होने ऩय व्मस्क्त को अनेक कामों भें असपरता प्राप्त होती है , कबी व्मवसाम भें घटा, नौकयी भें ऩये शानी, वाहन दघ ा ना, गहृ क्रेश आदद ऩये शानीमाॊ फढ़ती ु ट

जाती है ऐसी स्स्थततमों भें प्राणप्रततस्ष्ठत ग्रह ऩीड़ा तनवायक शतन मॊि की अऩने को व्मऩाय े़ स्थान मा घय भें स्थाऩना कयने से अनेक राब सभरते हैं। मदद शतन की ढै मा मा साढ़े साती का सभम हो तो इसे अवश्म ऩूजना

ादहए। शतनमॊि के ऩूजन भाि से व्मस्क्त को भत्ृ मु, कजा,

कोटा केश, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे सभम के सबी प्रकाय के योग से ऩये शान व्मस्क्त

के सरमे शतन मॊि अचधक राबकायी होगा। नौकयी ऩेशा आदद के रोगों को ऩदौडनतत बी शतन

द्वदरद ही सभरती है अत् मह मॊि अतत उऩमोगी मॊि है स्जसके द्वदरद शीघ्र ही राब ऩामा जा सकता है ।

भल् ू म: 1050 से 8200 >> Shop Online

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शतन तैततसा मॊि

शतनग्रह से सॊफॊचधत ऩीडा के तनवायण हे तु ववशेष राबकायी मॊि।

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77

ददसम्फय-2016

नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि

शास्ि व न के अनुसाय शुि सुवणा मा यजत भें तनसभात श्री मॊि के

ायों औय मदद

नवयत्न जड़वा ने ऩय मह नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि कहराता हैं। सबी यत्नो को उसके तनस्श् त स्थान ऩय जड़ कय रॉकेट के रूऩ भें धायण कयने से व्मस्क्त को अनॊत एश्वमा एवॊ रक्ष्भी की प्रास्प्त होती हैं। व्मस्क्त को एसा आबास होता हैं जैसे भाॊ रक्ष्भी उसके साथ हैं। नवग्रह को श्री मॊि के साथ रगाने से ग्रहों की अशब ु दशा का धायणकयने वारे व्मस्क्त ऩय प्रबाव नहीॊ होता हैं।

गरे भें होने के कायण मॊि ऩववि यहता हैं एवॊ स्नान कयते सभम इस मॊि ऩय स्ऩशा कय जो जर त्रफॊद ु शयीय को रगते हैं, वह गॊगा जर के सभान ऩववि होता हैं। इस सरमे इसे सफसे

तेजस्वी एवॊ परदातम कहजाता हैं। जैसे अभत ृ से उत्तभ कोई औषचध नहीॊ, उसी प्रकाय रक्ष्भी प्रास्प्त के सरमे श्री मॊि से उत्तभ कोई मॊि सॊसाय भें नहीॊ हैं एसा शास्िोक्त व न हैं। इस

प्रकाय के नवयत्न जड़ड़त श्री मॊि गरू ु त्व कामाारम द्वदरद शब ु भह ु ू ता भें प्राण प्रततस्ष्ठत कयके फनावाए जाते हैं। Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 से 10,900 तक

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अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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78

ददसम्फय-2016

भॊि ससि वाहन दघ ा ना नाशक भारुतत मॊि ु ट

ऩौयाणणक ग्रॊथो भें उल्रेख हैं की भहाबायत के मि ु के सभम अजन ुा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्वज एवॊ

भारुतत मडि रगा हुआ था। इसी मॊि के प्रबाव के कायण सॊऩण ू ा मि ु के दौयान हज़ायों-राखों प्रकाय के आग्नेम अस्िशस्िों का प्रहाय होने के फाद बी अजन ुा का यथ जया बी ऺततग्रस्त नहीॊ हुआ। बगवान श्री कृष्ण भारुतत मॊि के इस अद्भत ा नाग्रस्त कैसे हो ु ट ु यहस्म को जानते थे फक स्जस यथ मा वाहन की यऺा स्वमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते हों, वह दघ

सकता हैं। वह यथ मा वाहन तो वामव े ा। ु ेग से, तनफााचधत रुऩ से अऩने रक्ष्म ऩय ववजम ऩतका रहयाता हुआ ऩहुॊ ग इसी सरमे श्री कृष्ण नें अजुन ा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयवामा था। स्जन रोगों के स्कूटय, काय, फस, िक इत्मादद वाहन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त हो यहे हो!, अनावश्मक वाहन को ु ट

नुऺान हो यहा हों! उडहें हानी एवॊ दघ ा ना से यऺा के उद्देश्म से अऩने वाहन ऩय भॊि ससि श्री भारुतत मॊि अवश्म ु ट रगाना

ादहए। जो रोग िाडस्ऩोदटां ग (ऩरयवहन) के व्मवसाम से जुडे हैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने वाहन भें अवश्म

स्थावऩत कयना

ादहए, क्मोफक, इसी व्मवसाम से जुडे सैकडों रोगों का अनुबव यहा हैं की श्री भारुतत मॊि को स्थावऩत

कयने से उनके वाहन अचधक ददन तक अनावश्मक ख ो से एवॊ दघ ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहे हैं। हभाया स्वमॊका एवॊ अडम ु ट

विद्वदनो‍ का अनुबव यहा हैं, की स्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने वाहन ऩय रगामा हैं, उन रोगों के वाहन फडी से फडी दघ ा नाओॊ से सुयक्षऺत यहते हैं। उनके वाहनो को कोई ववशेष नुक्शान इत्मादद नहीॊ होता हैं औय नाहीॊ अनावश्मक ु ट रुऩ से उसभें खयाफी आतत हैं।

िास्तु प्रमोग भें भारुनत मंर: मह भारुतत नॊदन श्री हनुभान जी का मॊि है । मदद कोई जभीन त्रफक नहीॊ यही हो, मा उस

ऩय कोई वाद-वववाद हो, तो इछिा के अनुरूऩ वहॉ जभीन उच त भूल्म ऩय त्रफक जामे इस सरमे इस भारुतत मॊि का प्रमोग फकमा जा सकता हैं। इस भारुतत मॊि के प्रमोग से जभीन शीघ्र त्रफक जाएगी मा वववादभुक्त हो जाएगी। इस सरमे मह मॊि दोहयी शस्क्त से मुक्त है ।

भारुतत मॊि के ववषम भें अचधक जानकायी के सरमे गुरुत्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भल् ू म Rs- 255 से 10900 तक

श्री हनुभान मॊि

शास्िों भें उल्रेख हैं की श्री हनभ ा े व ने ब्रह्भा जी के आदे श ऩय ु ान जी को बगवान सम ू द

हनुभान जी को अऩने तेज का सौवाॉ बाग प्रदान कयते हुए आशीवााद प्रदान फकमा था, फक भैं हनुभान को सबी शास्ि का ऩूणा ऻान दॉ ग ू ा। स्जससे मह तीनोरोक भें सवा श्रेष्ठ वक्ता होंगे तथा शास्ि विद्यद भें इडहें भहायत हाससर होगी औय इनके सभन फरशारी औय कोई नहीॊ होगा। जानकायो ने भतानुसाय हनभ ु ान मॊि की आयाधना से ऩरु ु षों की ववसबडन

फीभारयमों दयू होती हैं, इस मॊि भें अद्भत ु शस्क्त सभादहत होने के कायण व्मस्क्त की स्वप्न दोष, धातु योग, यक्त दोष, वीमा दोष, भि ू ाा, नऩॊस ु कता इत्मादद अनेक प्रकाय के दोषो को दयू कयने भें अत्मडत राबकायी हैं। अथाात मह मॊि ऩौरुष को ऩष्ु ट कयता हैं। श्री हनभ ु ान मॊि व्मस्क्त को सॊकट, वाद-वववाद, बत ू -प्रेत, द्यूत फक्रमा, ववषबम,

ोय बम, याज्म बम,

भायण, सम्भोहन स्तॊबन इत्मादद से सॊकटो से यऺा कयता हैं औय ससवि प्रदान कयने भें सऺभ हैं।

श्री हनभ ु ान मॊि के ववषम भें अचधक जानकायी के सरमे गरु ु त्व कामाारम भें सॊऩका कयें । भल् ू म Rs- 730 से 10900 तक

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79

ददसम्फय-2016

विशबन्न दे िताओं के मंर गणेश‍यंि गणेश‍यंि‍(संपूणण‍बीज‍मंि‍सवहत) गणेश‍वसि‍यंि एकदक्षर‍गणपवत‍यंि

महदमृत्यरंजय‍यंि रदम‍रक्षद‍यंि‍रदज महदमृत्यरंजय‍किच‍यंि रदम‍यंि‍ महदमृत्यरंजय‍पूजन‍यंि द्वददशदक्षर‍विष्णर‍मंि‍पूजन‍यंि महदमृत्यरंजय‍यरि‍वशि‍खप्पर‍मदहद‍वशि‍ विष्णर‍बीसद‍यंि यंि हररद्रद‍गणेश‍यंि वशि‍पंचदक्षरी‍यंि गरुड‍पूजन‍यंि कर बेर‍यंि वशि‍यंि हचतदमणी‍यंि‍रदज श्री‍द्वददशदक्षरी‍रुद्र‍पूजन‍यंि ऄवद्वतीय‍सिणकदम्य‍वसवि‍वशि‍यंि हचतदमणी‍यंि दिदिय‍यंि नृहसह‍पूजन‍यंि िणदणकषणणद‍भैरि‍यंि दि‍यंि पंचदेि‍यंि हनरमदन‍पूजन‍यंि अपदरिदरण‍बटरक‍भैरि‍यंि संतदन‍गोपदल‍यंि हनरमदन‍यंि बटरक‍यंि श्री‍कृ ष्ण‍ऄष्टदक्षरी‍मंि‍पूजन‍यंि संकट‍मोचन‍यंि व्यंकटेश‍यंि कृ ष्ण‍बीसद‍यंि िीर‍सदधन‍पूजन‍यंि कदतणिीयदणजरणन‍पूजन‍यंि सिण‍कदम‍प्रद‍भैरि‍यंि दवक्षणदमूर्तत‍ध्यदनम्‍यंि मनोकदमनद‍पूर्तत‍एिं‍कष्ट‍वनिदरण‍हेत‍र विशेष‍यंि व्यदपदर‍िृवि‍कदरक‍यंि ऄमृत‍तत्ि‍संजीिनी‍कदयद‍कल्प‍यंि िय‍तदपोंसे‍मरवि‍ददतद‍बीसद‍यंि व्यदपदर‍िृवि‍यंि‍‍ विजयरदज‍पंचदशी‍यंि मधरमेह‍वनिदरक‍यंि व्यदपदर‍िधणक‍यंि विद्यदयश‍विभूवत‍रदज‍सम्मदन‍प्रद‍वसि‍ ज्िर‍वनिदरण‍यंि बीसद‍यंि व्यदपदरोन्नवत‍कदरी‍वसि‍यंि सम्मदन‍ददयक‍यंि रोग‍कष्ट‍दररद्रतद‍नदशक‍यंि‍ भदग्य‍िधणक‍यंि सरख‍शदंवत‍ददयक‍यंि रोग‍वनिदरक‍यंि‍ िव तक‍यंि बदलद‍यंि तनदि‍मरि‍बीसद‍यंि सिण‍कदयण‍बीसद‍यंि बदलद‍रक्षद‍यंि विद्यरत‍मदनस‍यंि कदयण‍वसवि‍यंि गभण‍ तम्भन‍यंि गृह‍कलह‍नदशक‍यंि सरख‍समृवि‍यंि परि‍प्रदवि‍यंि कलेश‍हरण‍बविसद‍यंि सिण‍ररवि‍वसवि‍प्रद‍यंि प्रसूतद‍भय‍नदशक‍यंि िशीकरण‍यंि सिण‍सरख‍ददयक‍पैंसरठयद‍यंि प्रसि-कष्टनदशक‍पंचदशी‍यंि‍ मोवहवन‍िशीकरण‍यंि ऊवि‍वसवि‍ददतद‍यंि शदंवत‍गोपदल‍यंि कणण‍वपशदचनी‍िशीकरण‍यंि सिण‍वसवि‍यंि विशूल‍बीशद‍यंि िदतदणली‍ तम्भन‍यंि सदबर‍वसवि‍यंि पंचदशी‍यंि‍(बीसद‍यंि‍यरि‍चदरों‍प्रकदरके ) िद तर‍यंि शदबरी‍यंि बेकदरी‍वनिदरण‍यंि श्री‍मत् य‍यंि वसिदश्रम‍यंि षोडशी‍यंि िदहन‍दरघणटनद‍नदशक‍यंि ज्योवतष‍तंि‍ज्ञदन‍विज्ञदन‍प्रद‍वसि‍बीसद‍ ऄडसरठयद‍यंि प्रेत-बदधद‍नदशक‍यंि‍ यंि ब्रह्दण्ड‍सदबर‍वसवि‍यंि ऄ सीयद‍यंि भूतददी‍व्यदवधहरण‍यंि कर ण्डवलनी‍वसवि‍यंि ऊवि‍कदरक‍यंि कष्ट‍वनिदरक‍वसवि‍बीसद‍यंि क्रदवन्त‍और‍श्रीिधणक‍चौंतीसद‍यंि मन‍िदंवित‍कन्यद‍प्रदवि‍यंि भय‍नदशक‍यंि श्री‍क्षेम‍कल्यदणी‍वसवि‍महद‍यंि वििदहकर‍यंि िप्न‍भय‍वनिदरक‍यंि ज्ञदन‍ददतद‍महद‍यंि लि‍विघ्न‍वनिदरक‍यंि कर दृवष्ट‍नदशक‍यंि कदयद‍कल्प‍यंि लि‍योग‍यंि श्री‍शिर‍परदभि‍यंि दीधदणयर‍ऄमृत‍तत्ि‍संजीिनी‍यंि दररद्रतद‍विनदशक‍यंि शिर‍दमनदणणि‍पूजन‍यंि

ददसम्फय-2016

80

भॊि ससि ववशेष दै वी मॊि सचू अद्य‍शवि‍दरगदण‍बीसद‍यंि‍(ऄंबदजी‍बीसद‍यंि)

सर िती‍यंि

महदन‍शवि‍दरगदण‍यंि‍(ऄंबदजी‍यंि)

सिसती‍महदयंि(संपूणण‍बीज‍मंि‍सवहत)

नि‍दरगदण‍यंि

कदली‍यंि

निदणण‍यंि‍(चदमरंडद‍यंि)‍

श्मशदन‍कदली‍पूजन‍यंि

निदणण‍बीसद‍यंि

दवक्षण‍कदली‍पूजन‍यंि

चदमरंडद‍बीसद‍यंि‍(‍निग्रह‍यरि)

संकट‍मोवचनी‍कदवलकद‍वसवि‍यंि

विशूल‍बीसद‍यंि

खोवडयदर‍यंि‍

बगलद‍मरखी‍यंि‍

खोवडयदर‍बीसद‍यंि‍

बगलद‍मरखी‍पूजन‍यंि‍

ऄन्नपूणदण‍पूजद‍यंि

रदज‍रदजेश्वरी‍िदंिद‍कल्पलतद‍यंि

एकदंक्षी‍श्रीफल‍यंि

भॊि ससि ववशेष रक्ष्भी मॊि सचू श्री‍यंि‍(लक्ष्मी‍यंि)

महदलक्ष्मयै‍बीज‍यंि

श्री‍यंि‍(मंि‍रवहत)

महदलक्ष्मी‍बीसद‍यंि

श्री‍यंि‍(संपूणण‍मंि‍सवहत)

लक्ष्मी‍ददयक‍वसि‍बीसद‍यंि

श्री‍यंि‍(बीसद‍यंि)

लक्ष्मी‍ददतद‍बीसद‍यंि

श्री‍यंि‍श्री‍सूि‍यंि

लक्ष्मी‍गणेश‍यंि

श्री‍यंि‍(कर मण‍पृष्ठीय)

ज्येष्ठद‍लक्ष्मी‍मंि‍पूजन‍यंि

लक्ष्मी‍बीसद‍यंि

कनक‍धदरद‍यंि‍

श्री‍श्री‍यंि (श्रीश्री‍लवलतद‍महदविपरर‍सरन्दयै‍श्री‍महदलक्ष्मयैं‍श्री‍महदयंि)

िैभि‍लक्ष्मी‍यंि‍(महदन‍वसवि‍ददयक‍श्री‍महदलक्ष्मी‍यंि)

ऄंकदत्मक‍बीसद‍यंि ताम्र ऩर ऩय सि ु िा ऩोरीस (Gold Plated)

ताम्र ऩर ऩय यजत ऩोरीस (Silver Plated)

ताम्र ऩर ऩय (Copper)

साईज 1” X 1”

भूल्म 460

साईज 1” X 1”

भूल्म 370

साईज 1” X 1”

भूल्म 255

2” X 2”

820

2” X 2”

640

2” X 2”

460

3” X 3”

1650

3” X 3”

1050

3” X 3”

730

4” X 4”

2350

4” X 4”

1450

4” X 4”

1050

6” X 6”

3700

6” X 6”

2800

6” X 6”

1900

9” X 9”

7300

9” X 9”

4600

9” X 9”

3250

12” X12”

12700

12” X12”

9100

12” X12”

7300

मॊि के ववषम भें अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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ददसम्फय-2016

81

यासश यत्न भेष यासश:

भग ूॊ ा

Red Coral (Special)

वष ृ ब यासश:

हीया

Diamond (Special)

सभथन ु यासश:

कका यासश:

ससॊह यासश:

कडमा यासश:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩडना

(Special)

भोती

5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450

10 cent Rs. 4100 20 cent Rs. 8200 30 cent Rs. 12500

5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500

5.25" 6.25" 7.25"

Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450

8.25" Rs. 1800

40 cent Rs. 18500

8.25" Rs. 19000

8.25"

Rs. 1900

9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800

50 cent Rs. 23500

9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

9.25" Rs. 2300 10.25" Rs. 2800

भाणेक

2.25" 3.25" 4.25" 5.25"

Rs. Rs. Rs. Rs.

ऩडना

(Special)

46000 75000 125000 280000

5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500

6.25" Rs. 525000

9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

8.25" Rs. 19000

** All Weight In Rati

All Diamond are Full White Colour.

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

तुरा यासश:

वस्ृ श् क यासश:

धनु यासश:

कॊु ब यासश:

भीन यासश:

हीया

भग ूॊ ा

ऩख ु याज

भकय यासश:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

All Diamond are Full White Colour.

5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati

ऩख ु याज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

* उऩमोक्त वजन औय भल् ू म से अचधक औय कभ वजन औय भल् ू म के यत्न एवॊ उऩयत्न बी हभाये महा व्माऩायी भल् ू म ऩय उप्रधध हैं।

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ददसम्फय-2016

82

भॊि ससि रूराऺ Rudraksh List एकभुखी रूराऺ (नेऩार)

Rate In Indian Rupee

Rudraksh List

Rate In Indian Rupee

730 to 3700 नौ भुखी रूराऺ (नेऩार)

1900 to 4600

दो भुखी रूराऺ (नेऩार)

55 to 280 दस भुखी रूराऺ (नेऩार)

2350 to 5500

तीन भख ु ी रूराऺ (नेऩार)

55 to 280 ग्मायह भख ु ी रूराऺ (नेऩार)

2800 to 5500

ाय भुखी रूराऺ (नेऩार)

55 to 190 फायह भुखी रूराऺ (नेऩार)

3700 to 7300

ऩॊ भुखी रूराऺ (नेऩार)

55 to 370 तेयह भुखी रूराऺ (नेऩार)

-

िह भुखी रूराऺ (नेऩार)

55 to 190

सात भुखी रूराऺ (नेऩार) आठ भख ु ी रूराऺ (नेऩार)

ौदह भुखी रूराऺ (नेऩार)

-

460 to 730 गौयीशॊकय रूराऺ (नेऩार)

-

1900 to 460 गणेश रुराऺ (नेऩार)

730 to 1450

* भूल्म भें अॊतय रुराऺ के आकाय औय गुणवत्ता के अनुसाय अरग-अरग होते हैं। उऩयोक्त भूल्म िोटे से फड़े आकाय के अनुरुऩ दशाामे गमे हैं। कबी-कबी सॊबाववत हैं की िोटे आकाय के उत्तभ गण ु वत्ता वारे रुराऺ अचधक भूल्म भें प्राप्त हो सकते हैं।

विशेष सच ू ना: फाजाय की स्स्थतत के अनुसाय, रूराऺ भल् ू म, ददन-फ-ददन फदरते यहते है , स्जस कायण हभायी भूल्म सू ी भें बी

फाजाय की स्स्थतत के अनुसाय ऩरयवतान होते यहते हैं, कृप्मा रुराऺ के सरए अऩना

बुगतान बेजने से ऩहरे रुराऺ के नमी भूल्म सू ी हे तु हभ से सॊऩका कयें ।

रुराऺ के ववषम भें अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें ।

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भॊि ससि दर ा साभग्री ु ब हत्था जोडी- Rs- 730

घोडे की नार- Rs.351

भामा जार- Rs- 251

त्रफल्री नार- Rs- 370

भोतत शॊख-Rs- 550 से 1450

धन ववृ ि हकीक सेट Rs-251

ससमाय ससॊगी- Rs- 1050

दक्षऺणावतॉ शॊख-Rs-550-2100

इडर जार- Rs- 251

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ददसम्फय-2016

83

श्रीकृष्ण फीसा मॊि

फकसी बी व्मस्क्त का जीवन तफ आसान फन जाता हैं जफ उसके वश भें हों। जफ कोई व्मस्क्त का आकषाण दस ु यो के उऩय एक

ायों औय का भाहोर उसके अनुरुऩ उसके

म् ु फकीम प्रबाव डारता हैं, तफ

रोग उसकी सहामता

एवॊ सेवा हे तु तत्ऩय होते है औय उसके प्राम् सबी कामा त्रफना अचधक कष्ट व ऩये शानी से सॊऩडन हो जाते हैं। आज के बौततकता वादद मग ु भें हय व्मस्क्त के सरमे दस ू यो को अऩनी औय खी ने हे तु एक प्रबावशासर यखना अतत आवश्मक हो जाता हैं। आऩका आकषाण औय व्मस्क्तत्व आऩके

फ ॊु कत्व को कामभ

ायो ओय से रोगों को आकवषात कये इस

सरमे सयर उऩाम हैं, श्रीकृष्ि फीसा मंर। क्मोफक बगवान श्री कृष्ण एक अरौफकव एवॊ ददवम

फ ॊु कीम व्मस्क्तत्व के

धनी थे। इसी कायण से श्रीकृष्ि फीसा मंर के ऩूजन एवॊ दशान से आकषाक व्मस्क्तत्व प्राप्त होता हैं।

श्रीकृष्ि फीसा मंर के साथ व्मस्क्तको दृढ़ इछिा शस्क्त एवॊ उजाा प्राप्त होती हैं, स्जस्से व्मस्क्त हभेशा एक

बीड भें हभेशा आकषाण का केंर यहता हैं।

मदद फकसी व्मस्क्त को अऩनी प्रततबा व आत्भववश्वास के स्तय भें ववृ ि, अऩने सभिो व ऩरयवायजनो के त्रफ

भें रयश्तो भें सुधाय कयने की ईछिा

होती हैं उनके सरमे श्रीकृष्ि फीसा मंर का ऩूजन एक सयर व सुरब भाध्मभ सात्रफत हो सकता हैं।

श्रीकृष्ि फीसा मंर ऩय अॊफकत शस्क्तशारी ववशेष ये खाएॊ, फीज भॊि एवॊ

अॊको से व्मस्क्त को अद्भत ु आॊतरयक शस्क्तमाॊ प्राप्त होती हैं जो व्मस्क्त को सफसे आगे एवॊ सबी ऺेिो भें अग्रणणम फनाने भें सहामक ससि होती हैं।

श्रीकृष्ि फीसा मंर के ऩूजन व तनमसभत दशान के भाध्मभ से बगवान

श्रीकृष्ण का आशीवााद प्राप्त कय सभाज भें स्वमॊ का ऄवद्वतीय स्थान स्थावऩत कयें ।

श्रीकृष्ि फीसा मंर अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का सॊ ाय कयता हैं, जो

एक प्राकृस्त्त भाध्मभ से व्मस्क्त के बीतय सद्दबावना, सभवृ ि, सपरता, उत्तभ स्वास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक शस्क्तशारी भाध्मभ हैं! 

श्रीकृष्ि फीसा मंर के ऩूजन से व्मस्क्त के साभास्जक भान-सम्भान व ऩद-प्रततष्ठा भें ववृ ि होती हैं।



विद्वदनो के भतानस ु ाय श्रीकृष्ि फीसा मंर के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंदरत कयने से व्मस्क्त फक

ेतना शस्क्त जाग्रत होकय शीघ्र उछ

स्तय को

प्राप्तहोती हैं। 

जो ऩरु ु षों औय भदहरा अऩने साथी ऩय अऩना प्रबाव डारना औय उडहें अऩनी औय आकवषात कयना

फीसा मंर उत्तभ उऩाम ससि हो सकता हैं। 

ाहते हैं

ाहते हैं। उनके सरमे श्रीकृष्ि

श्रीकृष्ण फीसा कव श्रीकृष्ण

फीसा

कव

को

केवर

ववशेष शुब भुहुता भें तनभााण फकमा जाता हैं। कव को विद्वदन कभाकाॊडी ब्राहभणों द्वदरद शब ु भह ु ु ता भें शास्िोक्त ववचध-ववधान से ववसशष्ट तेजस्वी

भॊिो

द्वदरद

प्रततस्ष्ठत ऩण ू ा

ससि

प्राण-

त ै डम मक् ु त कयके

तनभााण फकमा जाता हैं। स्जस के

पर स्वरुऩ धायण कयता व्मस्क्त को शीघ्र ऩूणा राब प्राप्त होता हैं। कव

को गरे भें धायण कयने से

वहॊ अत्मॊत प्रबाव शारी होता हैं। गरे

भें

धायण

कयने

से

कव

हभेशा रृदम के ऩास यहता हैं स्जस्से व्मस्क्त ऩय उसका राब अतत तीव्र एवॊ शीघ्र ऻात होने रगता हैं। भूरम भार: 1900 >> Shop Now

ऩतत-ऩत्नी भें आऩसी प्रभ की ववृ ि औय सख ु ी दाम्ऩत्म जीवन के सरमे श्रीकृष्ि फीसा मंर राबदामी होता हैं।

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ददसम्फय-2016

84

जैन धभाके ववसशष्ट मॊिो की सू ी

श्री

ौफीस तीथांकयका भहान प्रबाववत

श्री

ोफीस तीथांकय मॊि

भत्कायी मॊि

श्री एकाऺी नारयमेय मॊि सवातो बर मॊि

कल्ऩवऺ ृ मॊि

सवा सॊऩस्त्तकय मॊि

च त ॊ ाभणी ऩाश्वानाथ मॊि

सवाकामा-सवा भनोकाभना ससविअ मॊि (१३० सवातोबर मॊि)

च त ॊ ाभणी मॊि (ऩैंसदठमा मॊि)

ऋवष भॊडर मॊि

च त ॊ ाभणी

जगदवल्रब कय मॊि

श्री

क्र मॊि

क्रेश्वयी मॊि

ऋवि ससवि भनोकाभना भान सम्भान प्रास्प्त मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय मॊि

ऋवि ससवि सभवृ ि दामक श्री भहारक्ष्भी मॊि

श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससवि भहामॊि

(अनब ु व ससि सॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि)

ववषभ ववष तनग्रह कय मॊि

श्री ऩद्मावती मॊि

ऺुरो ऩरव तननााशन मॊि

श्री ऩद्मावती फीसा मॊि

फह ृ छ क्र मॊि

श्री ऩाश्वाऩद्मावती ह्रींकाय मॊि

वॊध्मा शधदाऩह मॊि

ऩद्मावती व्माऩाय ववृ ि मॊि

भत ृ वत्सा दोष तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रह ऩीडा तनवायण मॊि

श्री ऩाश्वानाथ प्रबक ु ा मॊि

रधुदेव कुर मॊि

भणणबर मॊि

उवसग्गहयॊ मॊि

श्री मॊि

श्री ऩॊ

श्री रक्ष्भी प्रास्प्त औय व्माऩाय वधाक मॊि

ह्रीॊकाय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

वधाभान विद्यद ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रास्प्त मॊि

विद्यद‍मॊि

भहाववजम मॊि

सौबाग्मकय मॊि

ववजमयाज मॊि

डाफकनी, शाफकनी, बम तनवायक मॊि

ववजम ऩतका मॊि

बत ू ादद तनग्रह कय मॊि

श्री धयणेडर ऩद्मावती मॊि

काॊक वॊध्मादोष तनवायण मॊि

बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ से ४४ तक)

नवगाथात्भक उवसग्गहयॊ स्तोिका ववसशष्ट मॊि

ववजम मॊि

भॊगर भहाश्रत ृ स्कॊध मॊि

ज्वय तनग्रह कय मॊि

ससि क्र भहामॊि

शाफकनी तनग्रह कय मॊि

दक्षऺण भख ु ाम शॊख मॊि

आऩस्त्त तनवायण मॊि

दक्षऺण भख ु ाम मॊि

शिभ ु ख ु स्तॊबन मॊि

मंर के विषम भें अश्रधक जानकायी हे तु संऩका कयें ।

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ददसम्फय-2016

85

घॊटाकणा भहावीय सवा ससवि भहामॊि को स्थाऩीत

कयने से साधक की सवा भनोकाभनाएॊ ऩण ू ा होती हैं। सवा प्रकाय के योग बत ू -प्रेत आदद उऩरव से यऺण होता हैं।

जहयीरे औय दहॊसक प्राणीॊ से सॊफचॊ धत बम दयू होते हैं। अस्ग्न बम,

ोयबम आदद दयू होते हैं।

दष्ु ट व असयु ी शस्क्तमों से उत्ऩडन होने वारे बम

से मॊि के प्रबाव से दयू हो जाते हैं।

मॊि के ऩज ू न से साधक को धन, सख ु , सभवृ ि,

ऎश्वमा, सॊतस्त्त-सॊऩस्त्त आदद की प्रास्प्त होती हैं। साधक की सबी प्रकाय की सास्त्वक इछिाओॊ की ऩतू ता होती हैं।

मदद फकसी ऩरयवाय मा ऩरयवाय के सदस्मो ऩय

वशीकयण,

भायण,

उछ ाटन

इत्मादद

जाद-ू टोने

वारे

प्रमोग फकमे गमें होतो इस मॊि के प्रबाव से स्वत् नष्ट हो जाते हैं औय बववष्म भें मदद कोई प्रमोग कयता हैं तो यऺण होता हैं।

कुि जानकायो के श्री घॊटाकणा भहावीय ऩतका

मॊि से जुडे अद्द्द्भत ु व यहे हैं। मदद घय भें श्री ु अनब घॊटाकणा भहावीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा हैं औय मदद कोई इषाा, रोब, भोह मा शित ु ावश मदद अनचु त कभा

कयके फकसी बी उद्देश्म से साधक को ऩये शान कयने का प्रमास कयता हैं तो मॊि के प्रबाव से सॊऩण ू ा

ऩरयवाय का यऺण तो होता ही हैं, कबी-कबी शिु के द्वदरद फकमा गमा अनचु त कभा शिु ऩय ही उऩय उरट वाय होते दे खा हैं। भल् ू म:- Rs. 1650 से Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध

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ददसम्फय-2016

86

अभोघ भहाभत्ृ मुॊजम कव

ऄमोद्य्‍ भहाभत्ृ मॊज ु म कव

व उल्रेणखत अडम साभग्रीमों को शास्िोक्त ववचध-ववधान से विद्वदन

ब्राह्भणो द्वदरद‍ सिा राख भहाभत्ृ मंज ु म भंर जऩ एवॊ दशाॊश हवन द्वदरद तनसभात फकमा जाता हैं इस सरए कव

अत्मॊत प्रबावशारी होता हैं।

अभोद्द्म ् भहाभत्ृ मॊज ु म कव कव

फनवाने हे त:ु

अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

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ऄमोद्य् महदमृत्यरंजय किच दक्षऺणा भाि: 10900

याशी यत्न एवॊ उऩयत्न ववशेष मॊि हभायें महाॊ सबी प्रकाय के मॊि सोने- ाॊददताम्फे भें आऩकी आवश्मक्ता के अनस ु ाय फकसी बी बाषा/धभा के मॊिो को आऩकी

आवश्मक ड़डजाईन के अनुसाय २२ गेज सबी साईज एवॊ भल् ू म व क्वासरदट के

असरी नवयत्न एवॊ उऩयत्न बी उऩरधध हैं।

शुि ताम्फे भें अखॊड़डत फनाने की ववशेष सवु वधाएॊ उऩरधध हैं।

हभाये महाॊ सबी प्रकाय के यत्न एवॊ उऩयत्न व्माऩायी भल् ू म ऩय उऩरधध हैं। ज्मोततष कामा से जड ु े फध/ु फहन व यत्न व्मवसाम से जड ु े रोगो के सरमे ववशेष भल् ू म ऩय यत्न व अडम साभग्रीमा व अडम सवु वधाएॊ उऩरधध हैं।

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े़

ददसम्फय-2016

87

ददसम्फय 2016 -ववशेष मोग कामा शसवध मोग 04

प्रात: 06:32 से ददन 09:07 तक

16

प्रात: 06:40 से दोऩहय 02:25 तक

05

प्रात: 06:33 से ददन 10:32 तक

21

दोऩहय 04:12 से दे य यात्रि 06:42 तक

09

दोऩहय 10:12 से दे य यात्रि 06:35 तक

24

प्रात: 06:44 से यात्रि 12:37 तक

12

यात्रि 12:39 से दे य यात्रि 06:37 तक

26

प्रात: 06:45 से दे य यात्रि 06:27 तक

14

प्रात: 06:39 से सामॊ 06:52 तक

31

दोऩहय 02:48 से दे य यात्रि 06:47 तक

15

ददन 04:23 से दे य यात्रि 06:39 तक त्ररऩुष्कय मोग (तीनगुना पर दामक )

20

ददन 02:15 से सामॊ 06:44 तक

25

प्रात: 06:44 से दे य यात्रि 03:37 तक

24

यात्रि 12:37 से दे य यात्रि 06:44 तक

31

प्रात: 06:47 से दोऩहय 02:48 तक

वद्वपरष्कर‍योग (दौ गुना पर दामक )

06

प्रात: 06:33 से दोऩहय 11:25 तक

विघ्नकायक बद्रा 03

दोऩहय 12:44 से दे य यात्रि 01:25 तक

16

प्रात: 09:45 से यात्रि 08:36 तक

07

सूमोदम से दोऩहय 02:33 तक

19

सामॊ 05:55 से दे य यात्रि 06:20 तक

10

प्रात: 09:11 से सामॊ 07:45 तक

23

दोऩहय 11:38 से यात्रि 12:55 तक

13

ददन 09:17 से सामॊ 07:27 तक

27

प्रात: 08:30 से यात्रि 09:34 तक

मोग पर :

 कामा ससवि मोग भे फकमे गमे शुब कामा भे तनस्श् त सपरता प्राप्त होती हैं, एसा शास्िोक्त व न हैं।  वद्वपरष्कर मोग भें फकमे गमे शुब कामो का राब दोगुना होता हैं। एसा शास्िोक्त व न हैं।

 त्रिऩुष्कय मोग भें फकमे गमे शुब कामो का राब तीन गुना होता हैं। एसा शास्िोक्त व न हैं।  शास्िोंक्त भत से ववघ्नकायक बरा मोग भें शुब कामा कयना वस्जात हैं।

दै तनक शुब एवॊ अशब ु सभम ऻान तासरका गसु रक कार (शब ु )

मभ कार (अशब ु ) सभम अवचध

याहु कार (अशब ु ) सभम अवचध

यवववाय

03:00 से 04:30

12:00 से 01:30

04:30 से 06:00

सोभवाय

01:30 से 03:00

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

भॊगरवाय

12:00 से 01:30

09:00 से 10:30

03:00 से 04:30

फुधवाय

10:30 से 12:00

07:30 से 09:00

12:00 से 01:30

गुरुवाय

09:00 से 10:30

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

शुक्रवाय

07:30 से 09:00

03:00 से 04:30

10:30 से 12:00

शतनवाय

06:00 से 07:30

01:30 से 03:00

09:00 से 10:30

वाय

सभम अवचध

ददसम्फय-2016

88

ददन के

ौघड़डमे

सभम

रवििदर सोमिदर

मंगलिदर बरधिदर गररुिदर शरक्रिदर

शवनिदर

06:00 से 07:30

ईद्वेग चल लदभ ऄमृत कदल शरभ रोग ईद्वेग

रोग ईद्वेग चल लदभ ऄमृत कदल शरभ रोग

कदल शरभ रोग ईद्वेग चल लदभ ऄमृत कदल

07:30 से 09:00 09:00 से 10:30 10:30 से 12:00 12:00 से 01:30 01:30 से 03:00 03:00 से 04:30 04:30 से 06:00

ऄमृत कदल शरभ रोग ईद्वेग चल लदभ ऄमृत

यात के

लदभ ऄमृत कदल शरभ रोग ईद्वेग चल लदभ

शरभ रोग ईद्वेग चल लदभ ऄमृत कदल शरभ

चल लदभ ऄमृत कदल शरभ रोग ईद्वेग चल

ौघड़डमे

सभम

रवििदर सोमिदर मंगलिदर

बरधिदर गररुिदर शरक्रिदर

शवनिदर

06:00 से 07:30

शरभ ऄमृत चल रोग कदल लदभ ईद्वेग शरभ

ईद्वेग शरभ ऄमृत चल रोग कदल लदभ ईद्वेग

लदभ ईद्वेग शरभ ऄमृत चल रोग कदल लदभ

07:30 से 09:00 09:00 से 10:30 10:30 से 12:00 12:00 से 01:30 01:30 से 03:00 03:00 से 04:30 04:30 से 06:00

चल रोग कदल लदभ ईद्वेग शरभ ऄमृत चल

कदल लदभ ईद्वेग शरभ ऄमृत चल रोग कदल

ऄमृत चल रोग कदल लदभ ईद्वेग शरभ ऄमृत

रोग कदल लदभ ईद्वेग शरभ ऄमृत चल रोग

शास्िोक्त भत के अनुशाय मदद फकसी बी कामा का प्रायॊ ब शुब भुहूता मा शुब सभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें सपरता

प्राप्त होने फक सॊबावना ज्मादा प्रफर हो जाती हैं। इस सरमे दै तनक शुब सभम नोि: प्राम् ददन औय यात्रि के

ौघड़ड़मे फक चगनती क्रभश् सूमोदम औय सूमाास्त से फक जाती हैं। प्रत्मेक ौघड़ड़मे फक अवचध 1

घॊटा 30‍सभतनट अथाात डेढ़ घॊटा होती हैं। सभम के अनस ु ाय भध्मभ औय अशब ु हैं।

ौघड़ड़मे को शब ु ाशब ु तीन बागों भें फाॊटा जाता हैं, जो क्रभश् शब ु ,

* हय कामा के सरमे शब ु /अभत ृ /राब का

ौघड़डमे के स्वाभी ग्रह शुब

ौघड़डमा

ौघड़डमा स्वाभी ग्रह

शुब

गुरु

राब

फुध

अभत ृ

र ॊ भा

भध्मभ

ौघड़डमा

ौघड़डमा स्वाभी ग्रह य

ौघड़ड़मा दे खकय प्राप्त फकमा जा सकता हैं।

शुक्र

अशुब ौघड़ड़मा ौघड़डमा

उद्द्फेग कार योग

स्वाभी ग्रह सूमा

शतन भॊगर

ौघड़ड़मा उत्तभ भाना जाता हैं।

* हय कामा के सरमे का

र/कार/योग/ईद्वेग

ौघड़ड़मा उच त नहीॊ भाना जाता।

ददसम्फय-2016

89

ददन फक होया - सम ू ोदम से सूमाास्त तक

वाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ

यवववाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊर

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गरु ु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

गरु ु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शतन

गुरु

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतन

गुरु

भॊगर

शतन

गुरु

सोभवाय भॊगरवाय

ॊर

भॊगर

फध ु वाय

फध ु

शक्र ु वाय

शक्र ु

गुरुवाय

शतनवाय यवववाय सोभवाय

शतन ॊर

गरु ु

शतन

गुरु

भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

गरु ु

भॊगर

सम ू ा

गुरु

भॊगर

शतन

गुरु

फध ु

सम ू ा ॊर

भॊगरवाय

शतन

फध ु

फध ु वाय

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु वाय

भॊगर

सम ू ा

शक्र ु

शतनवाय

ॊर

फध ु

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

ॊर

शक्र ु

फध ु

ॊर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

शक्र ु

फध ु

ॊर

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

भॊगर सम ू ा

शक्र ु

फध ु

गुरु भॊगर सम ू ा

शक्र ु

शतन

गुरु भॊगर

ॊर

ॊर

शतन ॊर

फध ु

यात फक होया – सूमाास्त से सूमोदम तक

शक्र ु

गुरुवाय

भॊगर सम ू ा

ॊर

ॊर

शतन

शतन ॊर

फध ु

शतन

गरु भॊगर ु

शतन ॊर

सम ू ा ॊर

गुरु

भॊगर

शतन

गुरु

10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ भॊगर

शतन

गुरु

भॊगर

शतन

गुरु

ॊर

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

फध ु

सम ू ा

शक्र ु

भॊगर फध ु

ॊर

शतन

गरु ु

शक्र ु

ॊर

ॊर

ॊर

शतन ॊर

फध ु

सम ू ा ॊर

गरु ु

शतन सम ू ा ॊर

भॊगर

होया भुहूता को कामा ससवि के सरए ऩूणा परदामक एवॊ अ क ू भाना जाता हैं, ददन-यात के २४ घॊटों भें शुब-अशुब सभम को सभम से ऩूवा ऻात कय अऩने कामा ससवि के सरए प्रमोग कयना

ादहमे।

विद्वदनो‍के ‍मत‍से‍आवछित‍कदयण वसवि‍के ‍वलए‍ग्रह‍से‍संबवं धत‍होरद‍कद‍चरनदि‍करने‍से‍विशेष लदभ‍प्रदि‍होतद‍ हैं।  सम ू ा फक होया सयकायी कामो के सरमे उत्तभ होती हैं। 

र ॊ भा फक होया सबी कामों के सरमे उत्तभ होती हैं।

 भॊगर फक होया कोटा -क ये ी के कामों के सरमे उत्तभ होती हैं।  फध ु फक होया विद्यद-फवु ि अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ होती हैं।

 गरु ु फक होया धासभाक कामा एवॊ वववाह के सरमे उत्तभ होती हैं।  शक्र ु फक होया मािा के सरमे उत्तभ होती हैं।

 शतन फक होया धन-रव्म सॊफॊचधत कामा के सरमे उत्तभ होती हैं।

ददसम्फय-2016

90

ग्रह Day 1

Sun

Mon

Ma

07:15:07

08:01:27

09:22:03

2

07:16:08

08:13:32

3

07:17:09

4

Me

रन ददसम्फय-2016

Jup

Ven

Sat

Rah

Ket

Ua

Nep

Plu

08:03:16

05:22:43

08:28:10

C 07:23:38

R 04:13:37

R 10:13:37 R 11:26:48

10:15:10

08:21:51

09:22:48

08:04:40

05:22:53

08:29:21

C 07:23:45

R 04:13:24

R 10:13:24 R 11:26:46

10:15:11

08:21:53

08:25:45

09:23:33

08:06:03

05:23:03

09:00:31

C 07:23:52

R 04:13:14

R 10:13:14 R 11:26:45

10:15:11

08:21:54

07:18:10

09:08:07

09:24:18

08:07:25

05:23:13

09:01:41

C 07:23:59

R 04:13:07

R 10:13:07 R 11:26:44

10:15:12

08:21:56

5

07:19:11

09:20:40

09:25:03

08:08:45

05:23:23

09:02:51

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सवा योगनाशक मॊि/कव भनुष्म अऩने जीवन के ववसबडन सभम ऩय फकसी ना फकसी साध्म मा असाध्म योग से ग्रस्त होता हैं। उच त उऩ ाय से ज्मादातय साध्म योगो से तो भुस्क्त सभर जाती हैं, रेफकन कबी-कबी साध्म योग होकय बी असाध्म होजाते हैं, मा कोइ असाध्म योग से ग्रससत होजाते हैं। हजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय बी अचधक राब प्राप्त नहीॊ हो ऩाता। डॉक्टय द्वदरद ददजाने वारी दवाईमा अल्ऩ सभम के सरमे कायगय सात्रफत होती हैं, एसी स्स्थती भें राब प्रास्प्त के सरमे व्मस्क्त एक डॉक्टय से दस ू ये डॉक्टय के

क्कय रगाने को फाध्म हो जाता हैं।

बायतीम ऋषीमोने अऩने मोग साधना के प्रताऩ से योग शाॊतत हे तु ववसबडन आमुवेय औषधो के

अततरयक्त मॊि, भॊि एवॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानव जीवन को राब प्रदान कयने का साथाक प्रमास हजायो वषा ऩव ू ा फकमा था। फवु िजीवो के भत से जो व्मस्क्त जीवनबय अऩनी ददन माा ऩय तनमभ, सॊमभ यख कय आहाय ग्रहण कयता हैं, एसे व्मस्क्त को ववसबडन योग से ग्रससत होने की सॊबावना कभ होती हैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एसे व्मस्क्त बी बमॊकय योग से ग्रस्त होते ददख जाते हैं। क्मोफक सभग्र सॊसाय कार के अधीन हैं। एवॊ भत्ृ मु तनस्श् त हैं स्जसे ववधाता के अरावा औय कोई टार नहीॊ सकता, रेफकन योग होने फक स्स्थती भें व्मस्क्त योग दयू कयने का प्रमास तो अवश्म कय सकता हैं। इस सरमे मंर भंर एिं तंर के कुशर जानकाय से मोग्म भागादशान रेकय व्मस्क्त योगो से भुस्क्त ऩाने का मा उसके प्रबावो को कभ कयने का प्रमास बी अवश्म कय सकता हैं।

ज्मोनतष विद्यद के कुशर जानकय बी कार ऩरु ु षकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यहस्म को

उजागय कय सकते हैं। ज्मोततष शास्ि के भाध्मभ से योग के भूरको ऩकडने भे सहमोग सभरता हैं, जहा आधुतनक च फकत्सा शास्ि अऺभ होजाता हैं वहा ज्मोततष शास्ि द्वदरद‍ योग के भूर(जड़) को ऩकड कय उसका तनदान कयना राबदामक एवॊ उऩामोगी ससि होता हैं। हय व्मस्क्त भें रार यॊ गकी कोसशकाए ऩाइ जाती हैं, स्जसका तनमभीत ववकास क्रभ फि तयीके से होता यहता हैं। जफ इन कोसशकाओ के क्रभ भें ऩरयवतान होता है मा ववखॊड़डन होता हैं तफ व्मस्क्त के शयीय भें स्वास्थ्म सॊफॊधी ववकायो उत्ऩडन होते हैं। एवॊ इन कोसशकाओ का सॊफॊध नव ग्रहो के साथ होता हैं। स्जस्से योगो के होने के कायण व्मस्क्त के जडभाॊग से दशा-भहादशा एवॊ ग्रहो फक गो य स्स्थती से प्राप्त होता हैं। सवा योग तनवायण कव

एवॊ भहाभत्ृ मॊुजम मॊि के भाध्मभ से व्मस्क्त के जडभाॊग भें स्स्थत कभजोय एवॊ

ऩीड़डत ग्रहो के अशुब प्रबाव को कभ कयने का कामा सयरता ऩूवक ा फकमा जासकता हैं। जेसे हय व्मस्क्त को ब्रह्भाॊड फक उजाा एवॊ ऩथ् ृ वी का गुरुत्वाकषाण फर प्रबावीत कताा हैं दठक उसी प्रकाय कव

एवॊ मॊि के भाध्मभ

से ब्रह्भाॊड फक उजाा के सकायात्भक प्रबाव से व्मस्क्त को सकायात्भक उजाा प्राप्त होती हैं स्जस्से योग के प्रबाव को कभ कय योग भक् ु त कयने हे तु सहामता सभरती हैं। योग तनवायण हे तु भहाभत्ृ मुॊजम भॊि एवॊ मॊि का फडा भहत्व हैं। स्जस्से दहडद ू सॊस्कृतत का प्राम् हय

व्मस्क्त भहाभत्ृ मुॊजम भॊि से ऩरयच त हैं।

ददसम्फय-2016

92 किच के राब :

 एसा शास्िोक्त व न हैं स्जस घय भें भहाभत्ृ मुॊजम मॊि स्थावऩत होता हैं वहा तनवास कताा हो नाना प्रकाय फक आचध-व्माचध-उऩाचध से यऺा होती हैं।

 ऩूणा प्राण प्रततस्ष्ठत एवॊ ऩूणा

ैतडम मुक्त सवा योग तनवायण कव

फकसी बी उम्र एवॊ जातत धभा के रोग

ाहे स्िी हो मा ऩुरुष धायण कय सकते हैं।

 जडभाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रहो फक प्रततकूरता से योग उतऩडन होते हैं।

 कुि योग सॊक्रभण से होते हैं एवॊ कुि योग खान-ऩान फक अतनमसभतता औय अशुितासे उत्ऩडन होते हैं। कव

एवॊ मॊि द्वदरद एसे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्वास्थ्म राब औय शायीरयक यऺण

प्राप्त कयने हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि सवा उऩमोगी होता हैं।

 आज के बौततकता वादी आधतु नक मग ु भे अनेक एसे योग होते हैं, स्जसका उऩ ाय ओऩये शन औय दवासे बी

कदठन हो जाता हैं। कुि योग एसे होते हैं स्जसे फताने भें रोग दह फक ाते हैं शयभ अनुबव कयते हैं एसे योगो को योकने हे तु एवॊ उसके उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

एवॊ मॊि राबादातम ससि होता हैं।

 प्रत्मेक व्मस्क्त फक जेसे-जेसे आमु फढती हैं वैसे-वसै उसके शयीय फक ऊजाा कभ होती जाती हैं। स्जसके साथ अनेक प्रकाय के ववकाय ऩैदा होने रगते हैं एसी स्स्थती भें उऩ ाय हे तु सवायोगनाशक कव

एवॊ मॊि

परप्रद होता हैं।

 स्जस घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक दह नऺिभे जडभ रेते हैं, तफ उसकी भाता के सरमे अचधक कष्टदामक स्स्थती होती हैं। उऩ ाय हे तु भहाभत्ृ मुॊजम मॊि परप्रद होता हैं।

 स्जस व्मस्क्त का जडभ ऩरयचध मोगभे होता हैं उडहे होने वारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एवॊ होने वारे योग, च त ॊ ा भें उऩ ाय हे तु सवा योगनाशक कव

नोि:- ऩूणा प्राण प्रततस्ष्ठत एवॊ ऩूणा

एवॊ मॊि शब ु परप्रद होता हैं।

ैतडम मुक्त सवा योग तनवायण कव

एवॊ मॊि के फाये भें अचधक जानकायी

हे तु सॊऩका कयें । >> Shop Online .

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भंर शसध किच

भॊि ससि कव को ववशेष प्रमोजन भें उऩमोग के सरए औय शीघ्र प्रबाव शारी फनाने के सरए तेजस्वी भॊिो द्वदरद शुब भहूता भें शुब ददन को तैमाय फकमे जाते है । अरग-अरग कव तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयह के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता है ।

 क्मों न ु े भॊि ससि कव ?  उऩमोग भें आसान कोई प्रततफडध नहीॊ  कोई ववशेष तनतत-तनमभ नहीॊ  कोई फुया प्रबाव नहीॊ

भंर शसध किच सश्रू च

अभोघ भहाभत्ृ मॊज ु म कव याज याजेश्वयी कव

10900

श्रावऩत मोग तनवायण कव

1900

तॊि यऺा

730

11000

* सवा जन वशीकयण

1450

शिु ववजम

730

सवा कामा ससवि कव

4600

ससवि ववनामक कव

1450

वववाह फाधा तनवायण

730

श्री घॊटाकणा भहावीय सवा ससविप्रद कव

6400

सकर सम्भान प्रास्प्त कव

1450

730

सकर ससवि प्रद गामिी कव

6400

1450

सवा योग तनवायण

730

दस भहा विद्यद कव

आकषाण ववृ ि कव

व्माऩय ववृ ि

6400

वशीकयण नाशक कव

1450

730

नवदग ु ाा शस्क्त कव

6400

प्रीतत नाशक कव

योजगाय ववृ ि

1450

भस्स्तष्क ऩस्ृ ष्ट वधाक

640

यसामन ससवि कव

6400

ॊडार मोग तनवायण कव

1450

ऩॊ दे व शस्क्त कव

6400

ग्रहण मोग तनवायण कव

1450

ववयोध नाशक

640

सुवणा रक्ष्भी कव

4600

अष्ट रक्ष्भी

1250

ववघ्न फाधा तनवायण

550

4600

भाॊगसरक मोग तनवायण कव

1250

नज़य यऺा

550

3250

सॊतान प्रास्प्त

1250

योजगाय प्रास्प्त

550

कारसऩा शाॊतत कव

2800

1050

2800

कामा ससवि

दब ु ााग्म नाशक

460

इष्ट ससवि कव

स्ऩे- व्माऩय ववृ ि

1050

* वशीकयण (2-3 व्मस्क्तके सरए)

ऩयदे श गभन औय राब प्रास्प्त कव

2350

आकस्स्भक धन प्रास्प्त

1050

* ऩत्नी वशीकयण

स्वणााकषाण बैयव कव *ववरऺण सकर याज वशीकयण कव

श्रीदग ु ाा फीसा कव

काभना ऩूतता

640

1050 640

1900

स्वस्स्तक फीसा कव

1050

* ऩतत वशीकयण

640

अष्ट ववनामक कव

1900

हॊ स फीसा कव

1050

सयस्वती (कऺा +10 के सरए)

550

ववष्णु फीसा कव

1900

स्वप्न बम तनवायण कव

1050

सयस्वती (कऺा 10 तकके सरए)

460

याभबर फीसा कव

1900

नवग्रह शाॊतत

910

* वशीकयण ( 1 व्मस्क्त के सरए)

640

कुफेय फीसा कव

1900

बूसभ राब

910

ससि सूमा कव

550

गरुड फीसा कव

1900

काभ दे व

910

ससि

ससॊह फीसा कव

1900

ऩदों उडनतत

910

ससि भॊगर कव

550

नवााण फीसा कव

1900

910

ससि फुध कव

550

सॊकट भोच नी कासरका ससवि कव

ऋण भुस्क्त

1900

याभ यऺा कव

1900

हनभ ु ान कव

1900

बैयव यऺा कव

1900

सुदशान फीसा कव भहा सुदशान कव त्रिशूर फीसा कव धन प्रास्प्त

शतन साड़ेसाती औय ढ़ै मा कष्ट तनवायण कव

910 910 910 820 1900

ॊर कव

ससि गुरु कव

ससि शुक्र कव

ससि शतन कव ससि याहु कव ससि केतु कव

550

550 550 550 550 550

उऩयोक्त कव के अरावा अडम सभस्मा ववशेष के सभाधान हे तु एवॊ उद्देश्म ऩतू ता हे तु कव का तनभााण फकमा जाता हैं। कव के ववषम भें अचधक जानकायी हे तु सॊऩका कयें । *कव

भाि शब ु कामा मा उद्देश्म के सरमे

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GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET VYAPAR VRUDDHI YANTRA BHOOMI LABHA YANTRA TANTRA RAKSHA YANTRA AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA PADOUNNATI YANTRA RATNE SHWARI YANTRA BHUMI PRAPTI YANTRA GRUH PRAPTI YANTRA KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

For all Family Troubles For Business Development For Farming Benefits For Protection Evil Sprite For Unexpected Wealth Benefits For Getting Promotion For Benefits of Gems & Jewellery For Land Obtained For Ready Made House -

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) BHAGYA VARDHAK YANTRA BHAY NASHAK YANTRA CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA DARIDRA VINASHAK YANTRA DHANDA POOJAN YANTRA DHANDA YAKSHANI YANTRA GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) GARBHA STAMBHAN YANTRA GAYATRI BISHA YANTRA HANUMAN YANTRA JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA KALPVRUKSHA YANTRA KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) KANAK DHARA YANTRA KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA KARYA SHIDDHI YANTRA  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA KUBER YANTRA LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA LAKSHAMI GANESH YANTRA MAHA MRUTYUNJAY YANTRA MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

Blessing of Durga Win over Enemies Blessing of Bagala Mukhi For Good Luck For Fear Ending Blessing of Chamunda & Navgraha Blessing of Chhinnamasta For Poverty Ending For Good Wealth For Good Wealth Blessing of Lord Ganesh For Pregnancy Protection Blessing of Gayatri Blessing of Lord Hanuman For Fewer Ending For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali For Fullfill your all Ambition Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga Blessing of Maha Lakshami For Successes in work For Successes in all work Blessing of Lord Krishna Blessing of Kuber (Good wealth) For Obstaele Of marriage Blessing of Lakshami & Ganesh For Good Health Blessing of Shiva For Fullfill your all Ambition For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga

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YANTRA LIST

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

ददसम्फय-2016

EFFECTS

NAVGRAHA SHANTI YANTRA NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA  SURYA YANTRA  CHANDRA YANTRA  MANGAL YANTRA  BUDHA YANTRA  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)  SUKRA YANTRA  SHANI YANTRA (COPER & STEEL)  RAHU YANTRA  KETU YANTRA PITRU DOSH NIVARAN YANTRA PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA RAM YANTRA RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA SANKAT MOCHAN YANTRA SANTAN GOPAL YANTRA SANTAN PRAPTI YANTRA SARASWATI YANTRA SHIV YANTRA

For good effect of 9 Planets For good effect of 9 Planets Good effect of Sun Good effect of Moon Good effect of Mars Good effect of Mercury Good effect of Jyupiter Good effect of Venus Good effect of Saturn Good effect of Rahu Good effect of Ketu For Ancestor Fault Ending For Pregnancy Pain Ending For Benefits of State & Central Gov Blessing of Ram Blessing of Riddhi-Siddhi For Disease- Pain- Poverty Ending For Trouble Ending Blessing Lorg Krishana For child acquisition For child acquisition Blessing of Sawaswati (For Study & Education) Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & 65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth 66 For Bad Dreams Ending 67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Vehicle Accident Ending 68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All 69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes For Bulding Defect Ending 70 VASTU YANTRA For Education- Fame- state Award Winning 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan) 72 Attraction For office Purpose 73 VASI KARAN YANTRA Attraction For Female  MOHINI VASI KARAN YANTRA 74 Attraction For Husband  PATI VASI KARAN YANTRA 75 Attraction For Wife  PATNI VASI KARAN YANTRA 76 Attraction For Marriage Purpose  VIVAH VASHI KARAN YANTRA 77 Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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ददसम्फय-2016

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Gemstone Price List NAME OF GEM STONE

GENERAL

Emerald (ऩडना) Yellow Sapphire (ऩख ु याज) Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (सफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) Ruby (भाणणक) Ruby Berma (फभाा भाणणक) Speenal (नयभ भाणणक/रारडी) Pearl (भोतत) Red Coral (4 यतत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यतत से उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (सफ़ेद भॊग ू ा) Cat’s Eye (रहसतु नमा) Cat’s Eye Orissa (उड़डसा रहसुतनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (ससरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (सुनहरा) Real Topaz (उड़डसा ऩख याज/टोऩज) ु Blue Topaz (नीरा िोऩज) White Topaz (सफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (सुमक ा ाडत भणण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्स) Real Onyx (ओनेक्स) Lapis (राजवात) Moon Stone ( डरकाडत भणण) Rock Crystal (स्फ़दटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयग ) Sun Stone (सन ससताया) Diamond (.05 to .20 Cent )

(हीया)

MEDIUM FINE

FINE

SUPER FINE

200.00 550.00 550.00 550.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 75.00 120.00 20.00 25.00 460.00 15.00 300.00 350.00 210.00 50.00 15.00 15.00 60.00 60.00 60.00 20.00 30.00 30.00 120.00 45.00 15.00 09.00 60.00 15.00 12.00 09.00 09.00 03.00 12.00 12.00 50.00

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 10000.00 600.00 60.00 90.00 150.00 28.00 45.00 640.00 27.00 410.00 450.00 320.00 120.00 30.00 30.00 120.00 90.00 90.00 30.00 45.00 45.00 140.00 75.00 30.00 12.00 90.00 25.00 21.00 12.00 11.00 05.00 19.00 19.00 100.00

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 200.00 500.00 370.00 730.00 2000.00 41000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 12.00 180.00 190.00 280.00 42.00 51.00 90.00 120.00 1050.00 2800.00 60.00 90.00 640.00 1800.00 550.00 640.00 410.00 550.00 230.00 390.00 45.00 60.00 45.00 60.00 280.00 460.00 120.00 280.00 120.00 240.00 45.00 60.00 90.00 120.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 15.00 19.00 120.00 190.00 30.00 45.00 30.00 45.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00 200.00 370.00

(Per Cent )

(Per Cent )

(PerCent )

(Per Cent)

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 55000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 280.00 & above 550.00 & above 90.00 & above 190.00 & above 5500.00 & above 120.00 & above 2800.00 & above 910.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 90.00 & above 90.00 & above 640.00 & above 460.00 & above 410.00& above 120.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 25.00 & above 280.00 & above 55.00 & above 100.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above 460.00 & above (Per Cent )

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Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus

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ददसम्फय-2016

सू ना  ऩत्रिका भें प्रकासशत सबी रेख ऩत्रिका के अचधकायों के साथ ही आयक्षऺत हैं।  रेख प्रकासशत होना का भतरफ मह कतई नहीॊ फक कामाारम मा सॊऩादक बी इन वव ायो से सहभत हों।  नास्स्तक/ अववश्वासु व्मस्क्त भाि ऩठन साभग्री सभझ सकते हैं।  ऩत्रिका भें प्रकासशत फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख महाॊ फकसी बी व्मस्क्त ववशेष मा फकसी बी स्थान मा घटना से कोई सॊफॊध नहीॊ हैं।

 प्रकासशत रेख ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्त,ु भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत होने के कायण मदद फकसी के रेख, फकसी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकसी के वास्तववक जीवन से भेर होता हैं तो मह भाि एक सॊमोग हैं।  प्रकासशत सबी रेख बायततम आध्मास्त्भक शास्िों से प्रेरयत होकय सरमे जाते हैं। इस कायण इन ववषमो फक सत्मता अथवा प्राभाणणकता ऩय फकसी बी प्रकाय फक स्जडभेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं।  अडम रेखको द्वदरद प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभाणणकता एवॊ प्रबाव फक स्जडभेदायी कामाारम मा सॊऩादक फक नहीॊ हैं। औय नाहीॊ रेखक के ऩते दठकाने के फाये भें जानकायी दे ने हे तु कामाारम मा सॊऩादक फकसी बी प्रकाय से फाध्म हैं।

 ज्मोततष, अॊक ज्मोततष, वास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक ऻान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना

ववश्वास होना आवश्मक हैं। फकसी बी व्मस्क्त ववशेष को फकसी बी प्रकाय से इन ववषमो भें ववश्वास कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्वमॊ का होगा।

 ऩाठक द्वदरद फकसी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्वीकामा नहीॊ होगी।  हभाये द्वदरद ऩोस्ट फकमे गमे सबी रेख हभाये वषो के अनुबव एवॊ अनुशॊधान के आधाय ऩय सरखे होते हैं। हभ

फकसी बी व्मस्क्त ववशेष द्वदरद प्रमोग फकमे जाने वारे भॊि- मॊि मा अडम प्रमोग मा उऩामोकी स्जडभेदायी नदहॊ रेते हैं।

 मह स्जडभेदायी भॊि-मॊि मा अडम प्रमोग मा उऩामोको कयने वारे व्मस्क्त फक स्वमॊ फक होगी। क्मोफक इन ववषमो भें नैततक भानदॊ डों, साभास्जक, कानन ू ी तनमभों के णखराप कोई व्मस्क्त मदद नीजी स्वाथा ऩतू ता हे तु प्रमोग कताा हैं अथवा प्रमोग के कयने भे िदु ट होने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ सॊबव हैं।

 हभाये द्वदरद ऩोस्ट फकमे गमे सबी भॊि-मॊि मा उऩाम हभने सैकडोफाय स्वमॊ ऩय एवॊ अडम हभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे हैं स्जस्से हभे हय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वदरद तनस्श् त सपरता प्राप्त हुई हैं।

 ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक दह रेखका ऩून् प्रकाशन कयने का अचधकाय यखता हैं। ऩाठकों को एक रेख के ऩून् प्रकाशन से राब प्राप्त हो सकता हैं।

 अचधक जानकायी हे तु आऩ कामाारम भें सॊऩका कय सकते हैं। (सबी वििादो केशरमे केिर बुिनेश्िय न्मामारम ही भान्म होगा।)

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ददसम्फय-2016

FREE E CIRCULAR

गुरुत्व ज्मोततष ऩत्रिका ददसम्फय-2016 सॊऩादक

च त ॊ न जोशी सॊऩका गुरुत्व ज्मोततष ववबाग

गुरुत्व कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन

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ददसम्फय-2016

हभाया उद्देश्म वप्रम आस्त्भम फॊध/ु फदहन जम गरु ु दे व जहाॉ आधुतनक ववऻान सभाप्त हो जाता हैं। वहाॊ आध्मास्त्भक ऻान प्रायॊ ब हो

जाता हैं, बौततकता का आवयण ओढे व्मस्क्त जीवन भें हताशा औय तनयाशा भें फॊध जाता

हैं, औय उसे अऩने जीवन भें गततशीर होने के सरए भागा प्राप्त नहीॊ हो ऩाता क्मोफक बावनाए दह बवसागय हैं, स्जसभे भनुष्म की सपरता औय असपरता तनदहत हैं। उसे

ऩाने औय सभजने का साथाक प्रमास ही श्रेष्ठकय सपरता हैं। सपरता को प्राप्त कयना आऩ का बाग्म ही नहीॊ अचधकाय हैं। ईसी सरमे हभायी शब ु काभना सदै व आऩ के साथ

हैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एवॊ अनक ा भॊि ु ू रता हे तु मॊि, ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न औय दर ु ब शस्क्त से ऩूणा प्राण-प्रततस्ष्ठत च ज वस्तु का हभें शा प्रमोग कये जो १००% परदामक

हो। ईसी सरमे हभाया उद्देश्म महीॊ हे की शास्िोक्त ववचध-ववधान से ववसशष्ट तेजस्वी भॊिो द्वदरद ससि प्राण-प्रततस्ष्ठत ऩण ू ा ैतडम मक् ु त सबी प्रकाय के मडि- कव एवॊ शब ु परदामी ग्रह यत्न एवॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩहो ाने का हैं।

सूमा की फकयणे उस घय भें प्रवेश कयाऩाती हैं। जीस घय के णखड़की दयवाजे खुरे हों। GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785

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DEC 2016

ददसम्फय-2016

GURUTVA JYOTISH DEC-2016.pdf

Ammonite Fossil is Over 100 Million Years. old Stone! 51. विशेषज्ञ की सलदह सेही करेंरत्न धदरण 24 ग्रह‍शदंवत‍हेतर‍करें‍निग्रह‍एिं‍ददन 53.

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नवयत्न जफड़त श्री मॊि 94 सूिना 117. Page 3 of 120. GURUTVA JYOTISH SEP-2014.pdf. GURUTVA JYOTISH SEP-2014.pdf. Open. Extract.