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गुरुत्ल कामाारम द्राया प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका

NON PROFIT PUBLICATION

नलम्फय- 2013

FREE E CIRCULAR

गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका नलम्फय 2013 वॊऩादक

सिॊतन जोळी वॊऩका गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग

गुरुत्ल कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA

ई- जन्भ ऩत्रिका अत्माधुसनक ज्मोसतऴ ऩद्धसत द्राया उत्कृ द्श बत्रलष्मलाणी के वाथ १००+ ऩेज भं प्रस्तुत

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ऩत्रिका प्रस्तुसत

सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी पोटो ग्राफपक्व

सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक आटा शभाये भुख्म वशमोगी

स्लस्स्तक.ऎन.जोळी (स्लस्स्तक वोफ्टे क इस्न्डमा सर)

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फशॊ दी/ English भं भूल्म भाि 750/GURUTVA KARYALAY BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Email Us:- [email protected], [email protected]

अनुक्रभ धनतेयव वे जुडी ऩौयास्णक कथा

7

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु कयं यासळ भॊि का जऩ

62

श्री धनलॊतरय व्रत कथा

8

स्स्थय रक्ष्भी के सरए कयं इन वात दर ा वाभग्रीमं के उऩाम ु ब

66

रक्ष्भी प्रासद्ऱ के 151 वयर उऩाम

12

कजा वे शोना शं भुक्त तो कबी न रे भॊगर लाय को कजा

69

भॊि सवद्ध कारी शल्दी के त्रलसबन्न राब

22

रक्ष्भी-गणेळ के ऩूजन वे धन, वुख औय वौबाग्म की प्रासद्ऱ

71

धन तेयव ळुब भुशूता (1-नलम्फय-2013)

26

दीऩालरी वे जुडी रक्ष्भी कथा

73

27

जफ इन्र भाॊ रक्ष्भी को स्लगा रोक रे गए।

74

धन प्रासद्ऱ का अिूक उऩाम स्पफटक श्रीमॊि का ऩूजन

29

धन प्रासद्ऱ औय वुख वभृत्रद्ध के सरमे लास्तु सवद्धाॊत

75

वद्ऱ श्री का िभत्कायी प्रमोग

दे लउठनी एकादळी की ऩौयास्णक व्रत कथा

76

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न भॊि सवद्ध कलि

31 32

दीऩालरी को क्मं जराते शं दीऩ जाने धासभाक भशत्ल

78

इव दीऩालरी ऩय स्लमॊ सवद्ध कयं रक्ष्भी भॊि

35

धनिमोदळी ऩय मभ को कये दीऩदान शोगा अकारभृत्मु यषण ?

83

दीऩालरी ऩूजन का भशत्ल औय वॊऩूणा ळास्त्रोक्त रक्ष्भी ऩूजन

37 53

मभदीऩदान के ऩीछे छुऩा गूढ़ आध्मास्त्भक यशस्म

85

ळास्त्रोक्त त्रलधान वे दीऩालरी ऩूजन

86

57

दीऩालरी के फदन कैवे कयं फशीखाता तुरा ऩूजन?

88

59

रक्ष्भी प्रासद्ऱ का अभोघ वाधन दस्षणालता ळॊख

89

दीऩालरी ऩूजन भुशूता (3-नलम्फय-2013)

तीन दर ा वाभग्रीमं वे शोगा रक्ष्भी का सिस्थामी सनलाव ु ब िभत्कायी रक्ष्भी मॊि वे दयू शोगी आसथाक वभस्माएॊ धन लऴााने लारी वात दर ा रक्ष्भी वाधनाएॊ ु ब द्रादळ भशा मॊि

शभाये उत्ऩाद लाशन दघ ा ना नाळक भारुसत मॊि | श्री शनुभान मॊि ु ट

104

त्रलसबन्न दे लता एलॊ काभना ऩूसता मॊि वूसि

105

धन लृत्रद्ध फडब्फी

9 12

रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि

18

त्रलसबन्न दे ली एलॊ रक्ष्भी मॊि वूसि

106

दस्षणालसता ळॊख

21

भॊि सवद्ध रूराष

108

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री | भॊि सवद्ध भारा ु ब भॊि सवद्ध स्पफटक श्री मॊि

28 30

वला कामा सवत्रद्ध कलि

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि / कलि याभ यषा मॊि

109 110

36

जैन धभाके त्रलसळद्श मॊि

111

बाग्म रक्ष्भी फडब्फी

96

घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि

112

भॊि सवद्ध ऩायद प्रसतभा

81

अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि | याळी यत्न एलॊ उऩयत्न

भॊि सवद्ध गोभसत िक्र

भॊि सवद्ध वाभग्री

113 123

वला योगनाळक मॊि/

130

शभाये त्रलळेऴ मॊि

82 97

वलासवत्रद्धदामक भुफरका | 100 वे असधक जैन मॊि

98

भॊि सवद्ध कलि

132

क्मा आऩके फच्िे कुवॊगसत का सळकाय शं ?

99

YANTRA LIST

133

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि एलॊ ळसन तैसतवा मॊि

102

GEM STONE

135

नलयत्न जफित श्री मॊि

103

PHONE/ CHAT CONSULTATION

136

स्थामी औय अन्म रेख वॊऩादकीम

4

दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका

126

नलम्फय 2013 भासवक यासळ पर

114

फदन-यात के िौघफडमे

127

नलम्फय 2013 भासवक ऩॊिाॊग

118

फदन-यात फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक

128

नलम्फय 2013 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय

120

ग्रश िरन नलम्फय 2013

129

नलम्फय 2013-त्रलळेऴ मोग

126

शभाया उद्दे श्म

139

त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफशन जम गुरुदे ल दीऩालरी के फदन दे ली रक्ष्भी, गणेळ, वयस्लती, कुफेय आफद का ऩूजन कयने का त्रलधान शै । क्मोफक दे ली रक्ष्भी की उत्ऩत्ती दीऩालरी के फदन भानी जाती शं औय ळास्त्रोक्त लणा शं धन की दे ली रक्ष्भी शं औय धन के दे लता कुफेय शं , स्जनके प्रवन्न शोने वे भनुष्म को धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ शोता शं । भाॊ रक्ष्भी िॊिर शं । अथाात रक्ष्भी जी लश एक

जगश फटकती नशीॊ शै । फकव प्रकाय रक्ष्भी का आगभन आऩके घय भं शो औय स्जदॊ गी द्ु ख, दरयर, कद्शो वे छुट कय खुसळमं वे बय जाए उववे जुडे यशस्मो को बायतीम ऋत्रऴ भुसनमं ने खोज सनकारा शं । मश बी एक प्रभुख कायण शं की दीऩालरी का ऩला भनामा जाता शं औय रक्ष्भीजी का ऩूजन अिान फकमा जाता शं ।

फशन्द ू धभा ळास्त्रं भं लस्णात शं की धन फक दे ली रक्ष्भी शं जो धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्रदान कयती शं । रेफकन

त्रफना फुत्रद्ध के धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा व्मथा शं । इवके ऩीछे भुख्म कायण शं की बगलान श्री गणेळ वभस्त त्रलघ्ननं को टारने

लारे शं , दमा एलॊ कृ ऩा के भशावागय शं , एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩसत वफ प्रकाय वे मोग्म शं । वभस्त त्रलघ्नन फाधाओॊ को दयू कयने लारे गणेळ त्रलनामक शं । अत् फुत्रद्ध फक प्रासद्ऱ के सरमे फुत्रद्ध औय त्रललेक के असधऩसत दे लता गणेळ का ऩूजन कयने का त्रलधान शं । गणेळजी वभस्त सवत्रद्धमं को दे ने लारे दे लता भाना गमा शै । क्मोफक वभस्त सवत्रद्धमाॉ बगलान गणेळ भं लाव कयती शं । इव सरमे रक्ष्भीजी के वाथ भं श्री गणेळजी फक आयाधना आलश्मक शं । एवी ऩौयास्णक भान्मता शं फक धन तेयव के फदन धनलॊतयी नाभक दे लता अभृत करळ के वाथ वागय भॊथन वे उत्ऩन्न शुए थे। धनलॊतयी धन, स्लास्थम ल आमु के असधऩसत दे लता शं । धनलॊतयी को दे लं के लैध ल सिफकत्वक के रुऩ भं जाना जाता शं ।

धन तेयव के फदन िाॊदी के फतान-सवक्के खयीदना त्रलळेऴ ळुब शोता शं । क्मोफक ळास्त्रं भं धनलॊतयी दे ल को

िॊरभा के वभान भाना गमा शं । धन तेयव के धनलॊतयी के ऩूजन वे भानसवक ळास्न्त, भन भं वॊतोऴ एल स्लबाल भं वौम्मता का बाल आता शं । जो रोग असधक वे असधक धन एकि कयने फक काभना कयते शं उन्शं धनलॊतयी दे ल फक प्रसतफदन आयाधना कयनी िाफशए। धनतेयव ऩय ऩूजा कयने वे व्मत्रक्त भं वॊतोऴ, स्लास्थम, वुख ल धन फक त्रलळेऴ प्रासद्ऱ शोती शं । स्जन व्मत्रक्तमं

के उत्तभ स्लास्थम भं कभी तथा वेशत खयाफ शोने फक आळॊकाएॊ फनी यशती शं उन्शं त्रलळेऴ रुऩ वे इव ळुब फदन भं ऩूजा आयाधना कयनी िाफशए। धनतेयव भं खयीदायी ळुब भानी जाती शं । रक्ष्भी जी एलॊ गणेळ जी फक िाॊदी फक प्रसतभा-सवक्को को इव फदन खरयदना धन प्रासद्ऱ एलॊ आसथाक उन्नसत शे तु श्रेद्ष शोता शं । धनतेयव के फदन बगलान धनलन्तयी वभुर वे अभृत करळ रेकय प्रकट शुए थे, इवसरमे धनतेयव के फदन खाव तौय वे फतानं फक खयीदायी

फक जाती शं । इव फदन स्टीर के फतान, िाॊदी के फतान खयीदने वे प्राद्ऱ शोने लारे ळुब परो भं कई गुणा लृत्रद्ध शोने फक वॊबालना फढ़जाती शं । भाॊ रक्ष्भी फक कृ ऩा प्राद्ऱ कयने शे तु एलॊ उनका स्थामी सनलाव शो वके इव उद्दे श्म वे घय-दक ु ान-व्मलवासमक

कामाारम भं दीऩालरी के फदन रक्ष्भी ऩूजन शे तु फदन के वफवे ळुब भुशूता को सरमा जाता शं ।

दीऩालरी िौघ़फडमा भुशूता वभम को घय ल ऩरयलाय भं रक्ष्भी ऩूजन कयने के सरमे ळुब भाना जाता शं ।

श्रीभशारक्ष्भी ऩूजन एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कासताक कृ ष्ण अभालस्मा भं प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भं स्स्थय रग्न वभम भं कयना ळुब शोता शै रक्ष्भी ऩूजन, दीऩ प्रजलस्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भुशूता वभम शी

त्रलळेऴतमा ळुब भाना गमा शं । आज के बौसतक मुग भं शय व्मत्रक्त की िाश शोती शं की उवे असधक वे असधक धन-वॊऩत्रत्त एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ शो। शय व्मत्रक्त अऩनी धन-वॊऩत्रत्त को फदन दोगुनी यात िौगुनी यफ्ताय वे फढ़ाना िाशते शं , इवसरए व्मत्रक्त रक्ष्भी

प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न भॊि, मॊि एलॊ तॊि के प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भी कायक त्रलसबन्न वाभग्रीमं को अऩने घय, दक ु ान, ऑफपव आफद व्मलवामीक स्थान ऩय स्थात्रऩत कय उवका ऩूजन-अिान कयते शं ।

स्जन रोगं ने रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरए अऩने घय भं वुख वभृत्रद्ध कायक त्रलसबन्न दर ा वाभग्रीमाॊ जैवे श्रीमॊि, ु ब

दस्षणालसता ळॊख इत्माफद वाभग्री को अऩने घय भं ऩशरे वे स्थात्रऩत कय उवका सनमसभत ऩूजन-अिान कय यशे शो, उन्शं असधक राब की प्रासद्ऱ शे तु रक्ष्भी प्रासद्ऱ के अन्म वयर उऩामं को बी अऩने जीलन भं अलश्म आजभाना िाफशए अथला स्जन रोगं ने इन रक्ष्भी कायक दर ा लस्तुओॊ को अबी तक अऩने घय भं को स्थात्रऩत नशीॊ फकमा ु ब शं मा लश रोग इव वाभग्रीमं को स्थात्रऩत कयने भं अवभथा शं , उन रोगं को रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु मशाॊ फदमे गमे

अनुबूत उऩामो को अऩनाकय जीलन भं सनस्द्ळत रुऩ वे वुख-वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ कयने का प्रमाव कयना िाफशए एलॊ इन उऩामं वे राब की प्रासद्ऱ शोने ऩय त्रलसबन्न दर ा लस्तुओॊ को प्राद्ऱ कय अऩने घय भं अलश्म स्थात्रऩत कय ु ब उवना सनमसभत ऩूजन-अिान कयना िाफशए। दीऩालरी के ळुब भुशूता भं धन प्रासद्ऱ के त्रलळेऴ उऩामं को प्रायॊ ब कय सनस्द्ळत रुऩ वे अऩने जीलन भं धन-लैबल, वुख-वभृत्रद्ध का आगभन फकमा जा वकता शं ।

इव अॊक भं ऩाठको के भागायळन शे तु रक्ष्भी प्रासद्ऱ के वयर उऩामं को 3 बागं भं फदमा गमा शं , जो क्रभळ: दीऩलरी ऩय कयं धन प्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ उऩाम, दै सनक जीलन भं अऩनामे रक्ष्भी प्रासद्ऱ के वयर उऩाम औय दरयरता सनलायण शे तु त्रलळेऴ उऩाम शं । दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामं को आलश्मक्ता अनुवाय अन्म ळुब भुशूता एलॊ अलवयं ऩय फकमा जा

वकता शं । त्रलद्रानं का अनुबल शं की इन दीऩालरी ऩला ऩय फकमे जाने लारे धन प्रासद्ऱ के उऩामं को दीऩालरी ऩय कयने वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं ।

इव अॊक भं प्रकासळत दीऩोत्वली त्रलळेऴ वे वॊफॊसधत जानकायीमं के त्रलऴम भं वाधक एलॊ त्रलद्रान ऩाठको वे अनुयोध शं , मफद दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामं के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन, प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भं, फडजाईन भं, टाईऩीॊग भं, त्रप्रॊफटॊ ग भं, प्रकाळन भं कोई िुफट यश गई शो, तो उवे स्लमॊ वुधाय

रं मा फकवी मोग्म ज्मोसतऴी, गुरु मा त्रलद्रान वे वराश त्रलभळा कय रे । क्मोफक त्रलद्रान ज्मोसतऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के सनजी अनुबल त्रलसबन्न भॊि, द्ऴोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालं का लणान कयने भं बेद शोने ऩय रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु की जाने लारी ऩूजन त्रलसध एलॊ उवके प्रबालं भं सबन्नता वॊबल शं ।

आऩका जीलन वुखभम, भॊगरभम शो भाॊ रक्ष्भी की कृ ऩा आऩके ऩरयलाय ऩय फनी यशे । भाॊ भशारक्ष्भी वे मशी प्राथना शं …

सिॊतन जोळी

6

नलम्फय 2013

***** दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत वूिना *****  ऩत्रिका भं प्रकासळत दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक भं रक्ष्भी प्रासद्ऱ वे वॊफॊसधत रेख गुरुत्ल कामाारम के असधकायं के वाथ शी आयस्षत शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक भं लस्णात रेखं को नास्स्तक/अत्रलद्वावु व्मत्रक्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक का त्रलऴम आध्मात्भ वे वॊफॊसधत शोने के कायण इवे बायसतम धभा ळास्त्रं वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत फकमा शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभास्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय की स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत वबी जानकायीकी प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल की स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शं औय ना शीॊ प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल की स्जन्भेदायी के फाये भं जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळध ॊ ान के आधाय ऩय फदए गमे शं । शभ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे, भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफशॊ रेते शं । मश स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रक्त फक स्लमॊ फक शोगी।  क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शे तु प्रमोग कताा शं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।  दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक वे वॊफॊसधत जानकायी को भाननने वे प्राद्ऱ शोने लारे राब, राब की शानी मा शानी की स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शं ।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी दीऩोत्वली त्रलळेऴाॊक की जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे शं स्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कलि, भॊिमॊि मा उऩामो द्राया सनस्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं । असधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भं वॊऩका कय वकते शं ।

(वबी त्रललादो केसरमे केलर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)

नलम्फय 2013

7

धनतेयव वे जुडी ऩौयास्णक कथा

 सिॊतन जोळी बायत भं धनतेयव ऩला वे वॊफॊसघत रोकत्रप्रम कथा प्रिसरत शै । ऩुयाने जभाने भं एक याजा फशभ शुए। उनके

मशाॊ ऩुि शुआ, तो उवकी जन्भ-कुॊडरी फनलाई गई।

कायण वाॊऩ दव ू या यास्ता खोजने रगा औय यं गते शुए उव

जगश ऩशुॊि गमा, जशाॊ वोने तथा िाॊदी के सवक्के यखे शुए थे। डवने का भौका न सभरता दे ख, त्रलऴधय बी लशीॊ कुॊडरी

ज्मोसतत्रऴमं ने कुॊडरी का त्रलद्ऴेऴण कय के कशा फक

रगाकय फैठ गमा औय याजकुभायी के गाने वुनने रगा।

याजकुभाय अऩनी ळादी के िौथे फदन वाॊऩ के काटने वे

इवी फीि वूमा दे ल ने दस्तक दी, मानी वुफश शो गई। मभ

भय जाएगा। इव ऩय याजा सिॊसतत यशने रगे। याजकुभाय

दे लता लाऩव जा िुके थे। इव तयश याजकुभायी ने अऩनी

औय वभझदाय याजकुभायी वे कय दी गई। याजकुभायी भाॊ

मश घटना स्जव फदन घटी थी, लश धनतेयव का फदन था,

की उम्र 16 वार की शुई, तो उवकी ळादी एक वुॊदय, वुळीर रक्ष्भी की ऩयभ बक्त थीॊ। याजकुभायी को बी अऩने ऩसत

ऩसत को भौत के ऩॊजे भं ऩशुॊिने वे ऩशरे शी छुिा सरमा। इवसरए इव फदन को 'मभदीऩदान' बी कशते शं ।

ऩय आने लारी त्रलऩत्रत्त के त्रलऴम भं ऩता िर गमा।

इव फदन ऩूयी यात घय के फाशय दीऩ जराकय यखते

याजकुभायी कापी दृढ़ इच्छाळत्रक्त लारी थीॊ। उवने

शं ताफक भृत्मु के दे लता मभयाज को घय भं प्रलेळ कयने वे

िौथे फदन का इॊ तजाय ऩूयी तैमायी के वाथ फकमा। स्जव

योका जा वके।

यास्ते वे वाॊऩ के आने की आळॊका थी, लशाॊ वोने-िाॊदी के

त्रलष्णु का धनलॊतरय अलताय

सवक्के औय शीये -जलाशयात आफद त्रफछा फदए गए। ऩूये घय

धनतेयव वे वॊफॊसधत रोगं के फीि एक औय कथा बी

को योळनी वे जगभगा फदमा गमा। कोई बी कोना खारी

प्रिसरत शं । जफ वुय औय अवुय सभरकय वागय भॊथन कय

नशीॊ छोिा गमा अथाात वाॊऩ के कभये भं आने के सरए

यशे थे, तो कई फशुभूल्म िीजं की प्रासद्ऱ शुई। इनभं वफवे

कोई यास्ता अॊधेया नशीॊ छोिा गमा। इतना शी नशीॊ,

अशभ था अभृत। मश अभृत करळ धनलॊतरय के शाथं भं

याजकुभायी ने अऩने ऩसत को जगाए यखने के सरए उवे

था। धनलॊतरय को मूॊ तो दे लताओॊ का लैद्य कशते शं , ऩय

ऩशरे कशानी वुनाई औय फपय गीत गाने रगी।

उनभं बगलान त्रलष्णु का अॊळ बी भौजूद था। धनतेयव के

इवी दौयान जफ भृत्मु के दे लता मभयाज ने वाॊऩ का रूऩ धायण कयके कभये भं प्रलेळ कयने की कोसळळ की,

फदन धनलॊतरय की उत्ऩत्रत्त शोने के कायण शभ धनतेयव भनाते शं ।

तो योळनी की लजश वे उनकी आॊखं िुसॊ धमा गईं। इव

***

अद्श रक्ष्भी कलि अद्श रक्ष्भी कलि को धायण कयने वे व्मत्रक्त ऩय वदा भाॊ भशा रक्ष्भी की कृ ऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शं । स्जस्वे भाॊ Asht Vinayak Kawac h, As htavi nayak Kavach, Ashta Vi nayak

रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का स्लत् अळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।

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नलम्फय 2013

8

श्री धनलॊतरय व्रत कथा  प्रथभ अध्माम

श्री नायद जी फोरे-शे दे लं के दे ल जगन्नाथ बक्तं

वनकाफदक भुसनमं ने वूत जी वे कशा-शे वूत भशाभुने! आऩने बगलान ् धनलॊतरय की ऩूजा-त्रलसध का त्रलस्ताय ऩूलक ा लणान फकमा, फकन्तु इवे वुनने ऩय बी शभं तृसद्ऱ नशीॊ शुई। अत् श्री धनलॊतरय का भाशात्म्म असधक त्रलस्ताय वे फताइए।

भुसनश्रेद्ष वुत जी ने कशा-शे भुसनमं! आऩ ऩाऩत्रलनासळनी कथा को वुसनए। इव कथा को वुनने वे वबी योगं का नाळ शोता शं : रोगं के कल्माण की इच्छा वे

ऩामा। फकवी को ज्लय ने सगयामा शं , तो फकवी को

याज

मक्ष्भा

असतवाय,

ने

द्वाव,

ऩाण्डु योगाफद

वे

धय

दफामा।

कोई

खाॉवी,वॊग्रशणी

औय

ऩीफित

शं ।

कोई

मुक्त

वस्न्नऩात

योग

औय

प्रकाय रोग अनेक योगं वे ग्रस्त

योगं वे द्ु खी दे खा। मश दे खकय

औय द्ु खी शं । उन्शं दे खकय भुझे

नायद जी सिस्न्तत शुए औय लशाॉ

फिा द्ु ख शुआ औय फायम्फाय भंने

वे स्लगा जा ऩशुॉिे। स्लगा भं इन्र

सिन्ता की। भंने वोिा फक मे

आफद दे लता बी योगी शो यशे थे।

रोग

मश दे खकय नायद जी की सिन्ता

कैवे

नीयोग

शंगे

औय

प्रवन्न शंगे ? इवी सिन्ता वे

औय फढ़ गई। सिन्ता कयते शुए ले

भन भं व्माकुर शोकय भं आऩकी

लैकुण्ठ भं ऩशुॉिे।

ळयण भं आमा शूॉ।

लैकुण्ठ भं नायद जी ने ळॊख

शे

िक्र अभृत करळ धायी औय अबम शस्त धनलॊतरय त्रलष्णु को दे खा। श्री दे ली

उनकी ियण वेला कय यशी थी। ऐवे भशात्भा धनलॊतरय रुऩी श्री त्रलष्णु को नायद जी ने बत्रक्त ऩूलक ा प्रणाभ फकमा औय शाथ जोिकय उनकी स्तुसत कयने रगे।

फकमा औय लशाॉ के सनलावी जनं को नाना योगं वे द्ु खी

प्रभेशाफद योगं वे घेये गमे शं । इव

उन्शंने वबी रोगं को त्रलत्रलध

नीरा

शे बगलन ् भंने ऩृथ्ली आफद वबी रोकं भं ऩमाटन

वे

ऩृथ्ली का भ्रभण कय यशे थे। लशाॉ

औय

तत्ऩय आऩ भुझे ळयणागत जानकय वन्तुद्श कीस्जए।

शं । कोई पोिे , सगल्टी, प्रेग आफद

वभुर द्रीऩ ऩलात वफशत वम्ऩूणा

(ऩृथ्ली)

ऩय दमा कयने लारे दीनफन्धु दमावागय जगत ् की यषा भं

लातयोगं वे ऩीफित

एक वभम नायद जी वबी

(रक्ष्भी), बू

सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी

त्रलद्वात्भन ्

ळयणागत

बूम्माफद रोकं की आऩ यषा कीस्जमे। िैरोक्म भं आऩके असतरयक्त इनका कोई यषक नशीॊ शं । बगलान ् श्री त्रलष्णु नायद जी के उक्त

लिनं को वुनकय गम्बीय लाणी वे फोरे -शे भुने आऩ बम न कीस्जमे। भं ‘आफद धनलॊतरय’ इन्र वे आमुलद े प्राद्ऱ कय ऩुन् अलताय रेकय वबी रोकं को

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नीयोग करुॉ गा। भं कासताक भाव, कृ ष्ण ऩष, िमोदळी,

तुभने रोकोऩकाय की इच्छा वे ऩूछा शं । अतएल तुभवे

गुरुलाय, शस्त नषि के वभम अलताय रेकय ‘आमुलद े ’ का

‘ऩाऩनासळनी, योगनासळनी कथा’ कशता शूॉ।

उद्धाय करुॉ गा। इवभं वन्दे श न कयो।

धनगुद्ऱ याजा के सनसभत्त कासताक कृ ष्ण िमोदळी गुरुलाय शस्त नषि के वभम भं यात्रि के प्रथभ प्रशय भं गुद्ऱ धन के वभान ‘धनलॊतरय’ नाभ वे अलतीणा शोता शूॉ।

फद्रतीम अध्माम: बगलान ् त्रलष्णु के उक्त लिनं को वुनकय नायद

भुसन असत प्रवन्न शुए औय शऴा वे फोरे-शे बगलन ् आऩ ‘धनलॊतरय ऩूजा’ की त्रलसध फताइए। ‘धनलॊतरय ऩूजा भं कौन वा ध्मान मा त्रलधान फकमा जाए ? उवका सनमभ क्मा शं ? उवका पर क्मा शं ? फकव वभम, फकवने उव ऩूजा को फकमा शं ? ऩूजा भं क्मा क्मा िीजं िाफशए ? शे दे ल दे लेद्वय रोकं ऩय अनुग्रश कयने की इच्छा वे कृ ऩा ऩूलक ा मश वफ भुझे फताइए। श्री बगलान ् ने कशा- शे भुने

अतएल लश फदन वॊवाय भं ‘धनिमोदळी’ (धनतेयव) नाभ वे प्रसवद्ध शोगा। मश सतसथ वबी काभनाओॊ को दे ने लारी शं । नायद जी ने ऩूछा- शे बगलन ् कृ ऩमा त्रलस्ताय ऩूलक ा फताइए फक फि फागी धनगुद्ऱ कशाॉ शुआ औय आऩके दळान की प्रासद्ऱ के सरए उवने कौनवा व्रत फकमा था औय शे दमावागय नायामण उवने आऩका ऩूजन क्मं फकमा था? श्री बगलान ् ने कशा- ऩशरे अलन्तीऩुय (उज्जैन) भं

द्रादळ भशा मॊि मॊि को असत प्रासिन एलॊ दर ा मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान द्राया फनामा गमा शं । ु ब

 ऩयभ दर ा लळीकयण मॊि, ु ब

 वशस्त्राषी रक्ष्भी आफद्ध मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि

 भनोलाॊसछत कामा सवत्रद्ध मॊि

 ऩूणा ऩौरुऴ प्रासद्ऱ काभदे ल मॊि

 याज्म फाधा सनलृत्रत्त मॊि

 योग सनलृत्रत्त मॊि

 गृशस्थ वुख मॊि

 वाधना सवत्रद्ध मॊि

 ळीघ्र त्रललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 ळिु दभन मॊि

उऩयोक्त वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ िैतन्म मुक्त फकमे जाते शं । स्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩूजा अिाना-त्रलसध त्रलधान त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

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‘धनगुद्ऱ’ नाभक याजा धभाभागा वे प्रजा का ऩारन कयने लारा शुआ था। लश वबी रोगं का प्माया, उदायसित्त था। उवे षमयोग शो गमा। उववे लश फदन-यात ऩीफित शोने रगा। ऩीिा की सनलृत्रत्त के सरए उवने जऩ, शोभ, नाना प्रकाय की औऴसधमाॉ की, ऩयन्तु नीयोग न शुआ। तफ लश स्खन्न शोकय त्रलराऩ कयने रगा। याजा

की

स्त्री

त्रिरोक

भं

प्रसवद्ध, ऩसतव्रता,

वदािारयणी थी। उवने बी ऩसत के भॊगर की आकाॊषा वे

बगलान ् धनलॊतरय का ध्मान कये । सनम्न भन्ि ऩढ़कय व्रत का प्रायम्ब कये :

करयष्मासभ व्रतॊ दे ल त्लद् बक्तस्त्लत ् ऩयामण्। सश्रमॊ दे फश जमॊ दे फश, आयोग्मॊ दे फश भे प्रबो अथाात ् शे दे ल भं आऩका बक्त शूॉ, आऩ भं सित्त रगाकय आऩका व्रत करुॉ गा। आऩ भुझे रक्ष्भी दीस्जए, त्रलजम दीस्जए, आयोग्म दीस्जए। दे ल

धनलॊतरय

वे

उक्त

प्राथाना

कय,

उनकी

अनेक सनमभ, उऩलाव आफद फकए, ऩय इववे बी याजा

ऴोडळोऩिाय वे ऩूजा कये । ऩूजा कयने के फाद तेयश धागं

नीयोग न शुआ औय अन्त भं लश स्त्री बी अतीवाय योग वे

का वूि रेकय तेयश गाॉठ लारा ‘दोयक’ फनाए। इव ‘दोयक’

योसगणी शो गई। शे भुने उव याजा वे उव ऩसतव्रता स्त्री के

की बत्रक्तऩूलक ा ऩूजा कये औय सनम्न भन्ि ऩढ़कय ऩुरुऴं के

ऩाॉि ऩुि शुए। ले क्रभळ् आभलात, प्रीशा, कुद्ष, खाॉवी औय

दाफशने शाथ भं तथा स्स्त्रमं के फाॉएॉ शाथ भं फाॉधे:

द्वाव वे ऩीफित शुए। उनको बी योग वे छुटकाया न सभरा। याजा औय यानी अऩने ऩुिं को योगाता दे खकय अत्मन्त द्ु खी शुए।

स्त्री-ऩुिं को योग के वागय वे भुक्त कयाने की

इच्छा वे सिस्न्तत याजा घोय लन को िरा गमा। लन भं याजा ने भशाभुसन ‘बयद्राज’ को फैठे दे खा। याजा ने उन्शं बत्रक्तऩूलक ा

प्रणाभ

फकमा

औय

अऩना

द्ु ख

फतामा।

धन्लन्तये भशाबाग जयायोगसनलायक।

दोयरुऩेण भाॊ ऩाफश, वकुटु म्फॊ दमासनधे॥ आसधव्मासधजया भृत्मु बमादस्भादशसनाळभ ्। ऩीड्मभानॊ दे लदे ल यष भाॊ ळयणागतभ ्॥

अथाात ्-शे धन्लन्तये शे भशाबाग आऩ जया (फुढाऩा) औय

योग के सभटाने लारे शं । इवसरए शे दमासनधे आऩ इव वूिरुऩ वे वकुटु म्फ भेयी यषा कीस्जमे। भं फदन-यात आसध

भशाभुसन बयद्राज वे याजा ने योग-कद्श सनलायण शे तु उऩाम

(भानसवक द्ु ख) औय व्मासध (योग), जया (फुढाऩा) तथा

ऩूछा।

भृत्मु के बम वे िस्त शो यशा शूॉ। शे दे ल-दे ल

बयद्राज भुसन ने कशा-शे याजन ् तुम्शाया लृत्तान्त

भंने जान सरमा। तुभ असत ळीघ्र भशात्रलष्णु धनलॊतरय की ळयण भं जाओ। भनुष्म उनके दळान भाि वे घोय दस् ु तय योगं वे भुक्त शो जाता शं । याजा ने बयद्राज भुसन वे उक्त

फात वुनकय उनवे ऩूछा-शे भशात्भन ् आऩ कृ ऩा कय उनकी आयाधना त्रलसध भुझे बरी-बाॉसत फताइए। ऋत्रऴ बयद्राज ने

कशा-शे भशाबाग याजन ् उव त्रलसध को भं कशता शूॉ, वालधान सित्त वे वुसनए। कासताक कृ ष्ण िमोदळी के ळुब फदन, प्रात् कार उठकय ळौि-भुख भाजान आफद वे सनलृत्त शोकय स्नान कये । ळुद्ध लस्त्र आफद धायण कय गुरु वे प्राद्ऱ उऩदे ळानुवाय

ळयण भं

आए शुए भेयी अफ आऩ यषा कयं । वूि फन्धन के फाद

‘दे ल दे ल धनलॊतरय’ को बत्रक्त ऩूलक ा ‘अघ्नमा’ सनलेदन कये । अघ्नमा प्रदान कयने का भन्ि इव प्रकाय शं :

जातो रोक फशताथााम, आमुलद े ासबलृद्धमे। जया भयण नाळाम, भानलानाॊ फशताम ि॥ दद्श ु ानाॊ सनधनामाम, जात्त धन्लन्तये प्रबो। गृशाणाघ्नमं भमा दत्तॊ, दे ल दे ल कृ ऩा कय॥ अथाात ्- शे दे ल दे ल, दमा कायी धनलॊतरय! आऩ रोकाऩकाय के सरए, आमुलद े की असबलृत्रद्ध के सनसभत्त, भनुष्मं के फशत तथा जया भयण का नाळ कयने के सरए अलतरयत

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शुए शं । भं आऩको अघ्नमा प्रदान कयता शूॉ। इवे स्लीकाय

भं कुटु म्फ वफशत जन्भ भृत्मु जया आफद योगं वे ऩीफित

अघ्नमा प्रदान कयने के फाद ब्राह्मण को फामन दान

बगलान ् धनलॊतरय ने मश स्तुसत वुनकय भेघ

कीस्जए।

कये । फामन दान के सरए गेशूॉ के आटे भं दध ू , घी डारकय ऩकाए। ऩकने ऩय ळक्कय डारे। केवय, कऩूय, इरामिी, रंग, जात्रलिी डारकय इव सवद्ध नैलेद्य को बगलान ् को अत्रऩत ा कये । आधा प्रवाद लेदस ब्राह्मण को अत्रऩात कये औय आधा स्त्री ऩुिाफद वफशत स्लमॊ प्रवाद स्लरुऩ ग्रशण कये । शे याजन ् इव त्रलसध वे व्रत कयने वे वाषात ्

शूॉ।

गजान के वभान गम्बीय लाणी वे भुस्कुयाते शुए कशा-शे

भशा याज ठीक शं , ठीक शं , भं तुम्शायी स्तुसत वे प्रवन्न शूॉ। अफ शभवे लय भाॉग रो। याजा फोरे-शे दे ल मफद आऩ प्रवन्न शं , तो वफवे ऩशरे स्त्री ऩुिं वफशत भुझे आयोग्म दीस्जए। मश प्राथाना वुनकय बगलान ् ने कशा-याजन ् तुभने

धनलॊतरय स्लमॊ प्रकट शोकय तुम्शाया अबीद्श सवद्ध कयं गे।

जो प्राथाना की शं , लश ऩूणा शोगी। इवके असतरयक्त बी भं

इतनी कथा वुनाकय बयद्राज भुसन ने त्रलश्राभ सरमा।

लय दे ता शूॉ। उवे वालधान शोकय वुनो :

तृतीम अध्माम: वूत जी फोरे-शे भुसन लयं याजा धनगुद्ऱ ने भुसन की आसा ऩाकय उनके कशे अनुवाय तेयश लऴा ऩमान्त बत्रक्त ऩूलक ा व्रत फकमा।

तुभने स्जव प्रकाय मश व्रत फकमा शं । इवी तयश

जो व्रत कयं गे, उनको आयोग्म प्रदान कय भं उन्शं अऩनी स्स्थय बत्रक्त दॉ ग ू ा। वूत

जी

फोरे-बगलान ् धनलॊतरय

मश

कशकय

एक फदन व्रत वभासद्ऱ के अलवय ऩय वाषात ्

अन्तधाान शो गए औय याजा धनगुद्ऱ अऩनी ऩुयी भं रौट

धनलॊतरय प्रकट शुए। याजा ने वाद्शाॊग प्रणाभ कय उनकी

गमा। याजा सनत्म स्त्री-ऩुिं वफशत अभृत ऩास्ण धनलॊतरय

स्तुसत की। बत्रक्त ऩूलक ा की गई स्तुसत स्लीकाय कय

की स्तुसत कयने रगा। उवने ऩृथ्ली रोक भं नाना प्रकाय

बगलान ् धनलॊतरय ने कशा-शे याजन ् अफ तुभ डयो भत,

के वुख बोगे औय अन्त भं बगलान ् धनलॊतरय की कृ ऩा वे

तुम्शाया भॊगर शोगा। तुभ शभवे लय भाॉगो। याजा ने मश

भोष ऩद प्राद्ऱ फकमा। इव प्रकाय भंने तुभ रोगं को

वुनकय उन्शं ऩुन्वाद्शाॊग प्रणाभ फकमा औय उनकी स्तुसत की:

बगलान ् धनलॊतरय की जन्भोत्वल कथा वुनाई। इवके

धन्लन्तये नभस्तुभ्मॊ, नभो ब्रह्माण्ड नामक। वुयावुयायासधताॊघ्रे, नभो लेदैक गोिय । आमुलद े स्लरुऩाम, नभस्ते जगदात्भने॥१॥ प्रऩन्नॊ ऩाफश दे लेळ जगदानन्द दामक।

दमा सनधे भशा दे ल िाफश भाभऩयासधनभ ्। जन्भ भृत्मु जयायोगै्, ऩीफितॊ वकुटु स्म्फनभ ्॥२॥ अथाात ्- शे धन्लन्तये ब्रह्माण्ड नामक आऩको नभस्काय! आमुलद े स्लरुऩ जगत ् के अन्तमााभी आऩको नभस्काय। शे जगत ् के वुखदामी दे ल दे ल दमा वागय, भशा दे ल आऩ भुझ ळयणागत अऩयाधी की यषा कयं ।

वुनने वे वबी ऩाऩं का नाळ शोता शं ।

श्री मॊि

गुरुत्ल कामाारम भं ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त "श्री मॊि" 21 ग्राभ वे रेकय 2250 ग्राभ वाईज़ भं उऩरब्ध शं । श्रीमॊि के वॊफॊध भं असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं । >>Order Now

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रक्ष्भी प्रासद्ऱ के 151 वयर उऩाम  आज के बौसतक मुग भं शय व्मत्रक्त की िाश शोती शं की उवे असधक वे असधक धन-वॊऩत्रत्त एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ शो। शय व्मत्रक्त अऩनी धन-वॊऩत्रत्त को फदन दोगुनी यात िौगुनी यफ्ताय वे फढ़ाना िाशते शं , इवसरए व्मत्रक्त रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न भॊि, मॊि एलॊ तॊि के प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भी कायक त्रलसबन्न वाभग्रीमं को अऩने घय, दक ु ान, ऑफपव आफद व्मलवामीक स्थान ऩय स्थात्रऩत कय उवका ऩूजन-अिान कयते शं । स्जन रोगं ने रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरए अऩने घय भं वुख वभृत्रद्ध कायक त्रलसबन्न दर ा ु ब वाभग्रीमाॊ जैवे श्रीमॊि, दस्षणालसता ळॊख इत्माफद वाभग्री को अऩने घय भं ऩशरे वे स्थात्रऩत कय उवका सनमसभत ऩूजन-अिान कय यशे शो, उन्शं असधक राब की प्रासद्ऱ शे तु रक्ष्भी प्रासद्ऱ के अन्म वयर उऩामं को बी अऩने जीलन भं अलश्म आजभाना िाफशए अथला स्जन रोगं ने इन रक्ष्भी कायक

दर ा लस्तुओॊ को अबी तक अऩने घय भं ु ब

को स्थात्रऩत नशीॊ फकमा शं मा लश रोग इव वाभग्रीमं को स्थात्रऩत कयने भं अवभथा शं , उन रोगं को रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु मशाॊ फदमे गमे अनुबूत उऩामो को अऩनाकय जीलन भं सनस्द्ळत रुऩ वे वुख-वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ कयने का प्रमाव कयना िाफशए एलॊ इन उऩामं वे राब की प्रासद्ऱ शोने ऩय त्रलसबन्न दर ा लस्तुओॊ को प्राद्ऱ कय अऩने घय ु ब

सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी

भं अलश्म स्थात्रऩत कय उवना सनमसभत ऩूजन-अिान कयना िाफशए। दीऩालरी के ळुब भुशूता भं धन प्रासद्ऱ के त्रलळेऴ उऩामं को प्रायॊ ब कय सनस्द्ळत रुऩ वे अऩने जीलन भं धन-लैबल, वुख-वभृत्रद्ध का आगभन फकमा जा वकता शं । ऩाठको के भागायळन शे तु रक्ष्भी प्रासद्ऱ के वयर उऩामं को 3 बागं भं फदमा गमा शं , जो क्रभळ: दीऩलरी ऩय कयं धन प्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ उऩाम, दै सनक जीलन भं अऩनामे रक्ष्भी प्रासद्ऱ के वयर उऩाम औय दरयरता सनलायण शे तु त्रलळेऴ उऩाम शं । दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामं को आलश्मक्ता अनुवाय अन्म ळुब भुशूता एलॊ अलवयं ऩय फकमा जा

वकता शं । त्रलद्रानं का अनुबल शं की इन दीऩालरी ऩला ऩय फकमे जाने लारे धन प्रासद्ऱ के उऩामं को दीऩालरी ऩय कयने वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं ।

दीऩलरी ऩय कयं धन प्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ उऩाम दीऩलरी ऩय कयं धन प्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ उऩाम भं फदमे गमं

वबी

उऩामं

त्रलळेऴ

रुऩ

वे

अषम

तृतीमा,

धनिमोदळी, दीऩालरी आफद त्रलळेऴ भुशूता कयना िाफशए।

1. दीऩालरी ऩूजन के फाद ळॊख ध्लसन वे दरयरता दयू शोकय रक्ष्भी का सनलाव शोता शं ।

धन लृत्रद्ध फडब्फी धन लृत्रद्ध फडब्फी को अऩनी अरभायी, कैळ फोक्व, ऩूजा स्थान भं यखने वे धन लृत्रद्ध शोती शं स्जवभं कारी शल्दी, रार- ऩीरा-वपेद रक्ष्भी कायक शकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3 वपेद कौडी, गोभती िक्र, वपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊ र जार, भामा जार, इत्मादी दर ा लस्तुओॊ को ळुब भशुता भं तेजस्ली ु ब भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता शं ।

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नलम्फय 2013

13

2. दीऩालरी ऩूजन भं असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन

7. दीऩालरी ऩूजन भं भाॊ रक्ष्भी को ऩूजा भं 11

कय उवे धायण कयने वे धायण कताा की आसथाक

असबभॊत्रित ऩीरी कौफिमाॊ अऩाण कयं , दव ू ये फदन

स्स्थती भं वुधाय शोने रगता शं ।

कौफिमं को रार कऩिे भं फाॊधकय अऩने गल्रे मा

3. दीऩालरी ऩूजन भं असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन

सतजोयी भं यखने वे धन की लृत्रद्ध शोने रगती शै ।

कय उवे उवे अऩने गल्रे (कैळ फॉक्व), सतजोयी

8. दीऩालरी के फदन प्रात् फकवी बी रक्ष्भी भॊफदय मा

भनी ऩवा भं यखने वे धन वॊिम शोने रगता शं

रक्ष्भी नायामण भॊफदय भं भाॊ रक्ष्भी को रार यॊ ग

एलॊ धन की लृत्रद्ध शोती शं ।

की िुनयी मा लस्त्र िढ़ाने वे आसथाक स्स्थती प्रफर

4. धन-वॊऩत्रत्त की प्रासद्ऱ शे तु अऩने व्मलवामीक स्थान मा घय की ऩूजा स्थान भं गणेळ रक्ष्भी मॊि अलश्म स्थात्रऩत कयं ।

शो जाती शं एलॊ धन की कभी नशीॊ यशती। 9. दीऩालरी के फदन ऩूजन भं रक्ष्भी भॊि का जऩ कभर गट्टे वे कये एलॊ भाॊ रक्ष्भी को कभर का

5. धनतेयव के फदन ऩीवे िालर का घोर ल शल्दी,

पूर िढ़ाने वे भाॊ रक्ष्भी की त्रलळेऴ कृ ऩा शोती शं ।

केवय को सभराकय उवके घोर वे घय भं भुख्म

10. दीऩालरी के फदन भाॊ रक्ष्भी को वपेद सभद्षान का

द्राय ऩय ॐ सरखने वे सनमसभत धन का आगभन

बोग रगाकय उवे गयीफं को फाॊटने वे ऩुयाने कजा

शोता शं । इव प्रमोग को ऩुन् अगरे लऴा धनतेयव

वे जल्द याशत सभरती शं ।

के फदन इव प्रमोग को ऩुन् दोशयामे। 6. अऩाय धन-वॊऩत्रत्त की काभना यखने लारे व्मत्रक्त को श्रीमॊि, गणेळ रक्ष्भी मॊि, कनकधाया मॊि औय

11. दीऩालरी के फदन इभरी के ऩेि की टशनी का टु किा अऩने गल्रे मा सतजोयी भं यखने वे धन वॊिम शोता शै ।

कुफेय मॊि का ऩूजन अलश्म कयना िाफशए। त्रलद्रानं

12. दीऩालरी के फदन वामॊकार वूमाास्त वे कुछ ऩर

का अनुबल शं की इन मॊि को ऩूजन कयने लारा

ऩूला फयगद की जटा भं एक गाॊठ फाॊध दे ने वे

भनुष्म को कबी धन का अबाल नशीॊ शोता।

आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फनते शं , धन प्रासद्ऱ

नलयत्न जफित श्री मॊि ळास्त्र लिन के अनुवाय ळुद्ध वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नलयत्न जिला ने ऩय मश नलयत्न जफित श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त को एवा आबाव शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं । नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय

को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत

कयके फनालाए जाते शं ।

Rs: 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 वे असधक >> Order Now

नलम्फय 2013

14

के फाद उव फाॊसध शुई गाॊठ को खोर दे ना िाफशए।

आसथाक वॊकटं का सनलायण शो जाता शं ।

13. दीऩालरी के फदन दोऩशय के वभम ऩीऩर की जि

17. दीऩालरी के फदन प्रात्कार भाॊ भशारक्ष्भी को

भं दध ू , घी औय सभश्री (िीनी) सभराकय िारने वे

तुरवी के ऩत्तो वे फनी भारा अत्रऩत ा कयने वे धन

त्रलळेऴ रुऩ वे धन राब का मोग फनता शं ।

की लृत्रद्ध शोती शं ।

14. दीऩालरी के अगरे फदन सभट्टी के दीऩक भं भीठे

18. दीऩालरी के फदन कारी शल्दी को ‘ॐ ऐॊ ह्रीॊ क्रीॊ

तेर का दीमा भुख्म द्राय ऩय यखने वे घय भं

िाभुॊडामै त्रलच्िै।’ भॊि का 108 फाय जाऩ कयके

सनयॊ तय वुख वभृत्रद्ध फढ़ती यशे गी।

कारी शल्दी को ऩरयलाय के वबी वदस्मं के सवय

15. दीऩालरी के फदन वॊध्मा वभम भं ऩीऩर के ऩेि

ऩय वे घुभाकय घय वे फाशय दस्षण फदळा भं पंक

के नीिे वात दीऩक प्रज्लसरत कयके ऩीऩर के

दं , इव प्रमोग वे धन की लृत्रद्ध शोती शं एलॊ ळिु

लष की वात फाय ऩरयक्रभा कयने वे आसथाक

द्राया उत्ऩन्न ऩीिाएॊ बी ळाॊत शो जाती शं ।

वॊकटं का सनलायण शो जाता शं ।

19. दीऩालरी की वॊध्मा को ऩीऩर के ऩेि के नीिे एक

16. दीऩालरी के फदन सभट्टी के फतान भं ळशद बय

वाफूत वुऩायी ल एक ताफं का सवक्का यख कय

कय उवे उऩय वे ढॊ क कय फकवी वुनवान त्रलयान

उवे ऩय शल्दी एलॊ कुभकुभ रगा कय यख दं ।

स्थान भं गाढ़ दं । इव प्रमोग वे वबी प्रकाय के

यत्रललाय को उवी ऩेि के ऩीऩर का एक अखॊफडत

कनकधाया मॊि आज के बौसतक मुग भं शय व्मत्रक्त असतळीघ्र वभृद्ध फनना िाशता शं । कनकधाया मॊि फक ऩूजा अिाना कयने वे व्मत्रक्त के जन्भं जन्भ के ऋण औय दरयरता वे ळीघ्र भुत्रक्त सभरती शं । मॊि के प्रबाल वे व्माऩाय भं उन्नसत शोती शं , फेयोजगाय को योजगाय प्रासद्ऱ शोती शं । कनकधाया मॊि अत्मॊत दर ा मॊिो भं वे एक मॊि शं स्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ ु ब शे तु अिूक प्रबाला ळारी भाना गमा शं । कनकधाया मॊि को त्रलद्रानो ने स्लमॊसवद्ध तथा वबी प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं वभथा भाना शं । आज के मुग भं शय व्मत्रक्त असतळीघ्र वभृद्ध फनना िाशता शं । धन प्रासद्ऱ शे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत कनकधाया मॊि के वाभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । इव कनकधाया मॊि फक ऩूजा अिाना कयने वे ऋण औय दरयरता वे ळीघ्र भुत्रक्त सभरती शं ।

व्माऩाय भं उन्नसत शोती शं , फेयोजगाय को

योजगाय प्रासद्ऱ शोती शं । जैवे श्री आफद ळॊकयािामा द्राया कनकधाया स्तोि फक यिना कुछ इव प्रकाय की गई शं , फक स्जवके श्रलण एलॊ ऩठन कयने वे आव-ऩाव के लामुभॊडर भं त्रलळेऴ अरौफकक फदव्म उजाा उत्ऩन्न शोती शं । फठक उवी प्रकाय वे कनकधाया मॊि अत्मॊत दर ा मॊिो भं वे एक मॊि शं स्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ शे तु अिूक प्रबाला ु ब ळारी भाना गमा शं । कनकधाया मॊि को त्रलद्रानो ने स्लमॊसवद्ध तथा वबी प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं वभथा भाना शं । जगद्गरु ु ळॊकयािामा ने दरयर ब्राह्मण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ वे स्लणा लऴाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ ळॊकय फदस्ग्लजम भं सभरता शं । कनकधाया भॊि:- ॐ लॊ श्रीॊ लॊ ऐॊ ह्रीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्लाशा'

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नलम्फय 2013

15

ऩत्ता राकय अऩने कामा स्थर ऩय गद्दी के नीिे मा गद्दी के ऩाव यख ने वे सनयॊ तय व्माऩाय भं लृत्रद्ध शोती शं । 20. ऩौयास्णक कथाओॊ के अनुवाय भाॊ भशारक्ष्भी वभुर की ऩुिी शं , वभुर वे उत्ऩन्न दस्षणालतॉ ळॊख, भोती ळॊख एलॊ गोभती िक्र इत्माफद वभुर वे प्राद्ऱ शोने लारी वाभग्रीमाॊ रक्ष्भी के वशोदय शं , अत् रक्ष्भी ऩूजन के वभम इन वाभग्रीमं को घय भं स्थात्रऩत कयने वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं । 21. धन शानी वे फिाल के सरए अऩने गल्रे भं मा सतजोयी भं रक्ष्भी भॊि का 108 फाय जऩ कयके शुले कारी गुॊजा के 7 मा 11 दाने डार दं । इव प्रमोग वे व्मलवामीक शानी दयू शो जामेगी औय राब की स्स्थती फनने रगेगी। 22. धन शानी वे फिाल के सरए दीऩालरी की यात को एक भुठ्ठी कारे सतर ऩरयलाय के वदस्मं के सवय ऩय वे 7 फाय उताय कय घय वे ऩस्द्ळभ फदळा भं पंक ने वे आसथाक शानी वे यषा शोती औय धन राब प्राद्ऱ शोता शं ।

दै सनक जीलन भं अऩनामे रक्ष्भी प्रासद्ऱ के वयर उऩाम दै सनक जीलन भं अऩनामे रक्ष्भी प्रासद्ऱ भं फदमे गमं वबी उऩाम त्रलळेऴ प्रबालळारी एलॊ अनुबूत शं इन उऩामं को वाधायण वे वाधायण व्मत्रक्त बी अऩने दै सनक जीलन भं अऩना कय सनस्द्ळत रुऩ वे धन लैबल एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ कय वकते शं , इव भं जया बी वॊदेश नशीॊ शं । 1. प्रात् उठते शी शस्तदळान (प्रात् कय दळानभ ्) कय दोनं शथेसरमं को 2-3 फाय भुॊश ऩय पेयना िाफशमे।

2. जफ बी फकवी कामा वे फाशय सनकरे तो घय ऩय आते वभम कुछ ना कुछ वाथ रेकय शी आए खारी शाथ

नशीॊ आए िाशे ऩेड का ऩत्ता-अखफाय मा जीलन जरुयत फक लस्तुएॊ रेकय आमं। (वूमाास्त के फाद भं ऩेड के ऩत्ते तोडना शानी कायक शोता शं ।) 3. धन मा व्माऩाय वे वॊफॊधीत रेन-दे न के खाते ऩय मा ऩि व्मलशाय कयते वभम शल्दी मा केळय रगामं। 4. गल्रे भं, ऩैवे के रेन-दे न वे वॊफॊसधत, िैक फुकऩावफुक, ऩूॊजी सनलेळ वे वॊफॊसधत कागजात इत्माफद श्री मॊि के वाथ भं यखं।

5. प्रसतफदन बोजन के सरए फनी ऩशरी योटी गाम को स्खरामे। 6. ळुक्रलाय को वपेद लस्तुओॊ का दान कयने वे धन मोग फनता शं । 7. प्रात : कार नाळता कयने वे ऩूला झाडू अलश्म रगामे। 8. यात को झूठे फतान, किया इत्माफद यवोई भं नशीॊ यखे। 9. प्रसतफदन वॊध्मा वभम घय ऩय ऩूजा सनमत वभम ऩय कये । 10. सनमसभत रुऩ वे ळसनलाय के फदन घय फक वाफ़-वपाई कयं । 11. रुऩमा ऩैवा धन को थूक रगाकय सगनने वे दरयरता आती शं । 12. फुधलाय को धन का वॊिम कयं । फंक भं धन जभा कयलाते वभम रक्ष्भी भॊि जऩा कये । 13. घय भं फकवी बी दे ली दे लता फक एक वे ज्मादा तस्लीय, भूसता ऩूजा ऩय स्थान नशीॊ यखे। 14. जरुयत भॊद व्मत्रक्त, गरयफो को मथावत्रक्त भदद कय उन्शं दान इत्माफद वभम-वभम ऩय दे ते यशं । 15. ऩुयानी, यद्दी बॊगाय इत्माफद ळसनलाय के फदन घय वे फाशय सनकार दे नी िाफशमे औय जो ऩैवा सभरे उववे घय के सरए स्स्टर के फयतन खरयदना असधक राबप्रद शोता शं । मफद फतान का भूल्म असधक शो तो उव भं अरग वे ऩैवे जोड कय खयीदे जा वकते शं 16. ळसनलाय के फदन कारे यॊ ग फक लस्तु, स्टीर, रोशा इत्माफद उऩशाय भं नशीॊ रेनी िाफशमे।

नलम्फय 2013

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17. फकवी कमा के सरमे जाते वभम खारी ऩेट कबी बी घय वे ना सनकरे। कामा भं फाधा त्रलघ्नन आते शं , अवपरता प्राद्ऱ शोती शं । काटने िाफशमे। रक्ष्भी

25. प्रसत वोभलाय के फदन अळोक लृष के अखॊफडत ऩत्ते राकय ळुद्ध जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडे वे

18. भॊगरलाय, गुरुलाय, ळसनलाय को फार-नाखून नशीॊ 19. स्स्थय

स्थान ऩय यखने वे धनराब शोता शं ।

ऩोछकय दक ु ान भं मा व्मलवामीक स्थर ऩय भार वाभान यखने फक जगश ऩय यखने वे व्माऩय भं लृत्रद्ध

फक

काभना

शे तु

रुऩमा-ऩैवा-शीये

जलाशयात ऩीरा कऩडा त्रफछाकय मा ऩीरे कऩडे भं

शोती शं । 26. प्रसत फुधलाय के फदन अळोक लृष के अखॊफडत ऩत्ते

रऩेटकय यखं।

राकय ळुद्ध जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडे वे

मािा अलश्म कयं । ऩरयलाय के वाथ फकवी दे ली भंफदय

यखने वे धन फृत्रद्ध शोती शं ।

20. लऴा भं कभ वे कभ एक फाय ऩरयलाय के वाथ तीथा भफशने भं कभ वे कभ एक फाय भं अलश्म जामे।

ऩोछकय अरभायी, गल्रे भं मा धन यखने के फक्वे भं

27. अळोक के भूर की जि का एक टु किा ऩूजा घय भं

21. वूमोदम के वभम मफद घय की छत ऩय कारे सतर त्रफखेयने वे घय भं वुख वभृत्रद्ध शोती शं ।

यखने औय योजाना धूऩ-दीऩ वे ऩूजन कयने वे धन फक कभी नशीॊ शोती।

22. अळोक का ऩेि रगाकय उवको वीॊिने वे धन भं लृत्रद्ध शोती शं ।

28. सतजोयी के रॉकय भं शभेळा दो फॉक्व यखं। एक भं योजाना कुछ रूऩमे यख कय फॊद कय दं , उवभं वे

23. वुफश भुख्म दयलाजे के फाशय वे झाडू वे वपाई कयके

रूऩमे नशीॊ सनकारं मा अत्मासधक आलश्मकता शोने

थोडा ऩानी सछिक ने वे घय भं धन फक लृत्रद्ध शोती शं ।

ऩय सनकारे। दव ू ये फॉक्व भं वे काभ के रेन-दे न के

24. प्रसत

वोभलाय,

फुधलाय,

ळुक्रलाय

अळोक

लृष

के

अखॊफडत ऩत्ते घयभं राकय ळुद्ध जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडे वे ऩोछकय घय भं मा व्मलवामीक

सरए रूऩए सनकारं।

29. प्रसतफदन आभदनी का करेक्ळन दव ू ये फदन स्लमॊ के

खिे के सरमे मा फकवी व्माऩायी को िुकाने शे तु

श्री भशारक्ष्भी मॊि धन फक दे ली रक्ष्भी शं जो भनुष्म को धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्रदान कयती शं । अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीलन द्ु ख, दरयरता, योग, अबालं वे ऩीफडत शोता शं , औय अथा(धन) वे मुक्त भनुष्म जीलन भं वभस्त वुख-वुत्रलधाएॊ

बोगता शं । श्री भशारक्ष्भी मॊि के ऩूजन वे भनुष्म की जन्भं जन्भ की दरयरता का नाळ शोकय, धन प्रासद्ऱ के प्रफर मोग फनने रगते शं , उवे धन-धान्म औय रक्ष्भी की लृत्रद्ध शोती शं । श्री भशारक्ष्भी मॊि के सनमसभत ऩूजन एलॊ दळान वे धन की प्रासद्ऱ शोती शै औय मॊि जी सनमसभत उऩावना वे दे ली रक्ष्भी का स्थाई सनलाव शोता शै । श्री भशारक्ष्भी मॊि भनुष्म फक वबी बौसतक काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐद्वमा प्रदान कयने भं वभथा शं । अषम तृतीमा, धनतेयव, दीलालरी, गुरु ऩुष्माभृत मोग यत्रलऩुष्म इत्माफद ळुब भुशूता भं मॊि की स्थाऩना एलॊ ऩूजन का त्रलळेऴ भशत्ल शं ।

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सनकारे। आभदनी मा करेक्ळन को कभ वे कभ 24 घॊटे के फाद शी खिा के सरमे सनकारने वे अत्मासधक धन राब शोता शं । 30. जो रोग नौकयी रयते शं लश बी अऩना ऩैवा फंक भं आने के मा घय भं राने के 24 घॊटे के फाद शी खिा के सरमे सनकारने वे अत्मासधक धन राब शोता शं ।

11. गुरु का फदमा गमे भॊि के त्माग कयने वे व्मत्रक्त दरयर शो जाता शं । 12. गुरु वे कऩट ल सभि वे िोयी कयने वे दरयरता आती शं । 13. कऩिे के आवन ऩय फैठ कय ऩूजा-ऩाठ भॊि जऩ अनुद्षान इत्माफद कयने वे दरयरता आती शं । 14. ऩत्थय एलॊ सभट्टी के फतानं भं बोजन कयने वे

दरयरता सनलायण शे तु त्रलळेऴ उऩाम दरयरता सनलायण को बी दो बाग भं फाॊटा गमा शं एक भं दरयरता आने के कायण औय दव ू ये बाग भं दरयरता भुक्त के वयर उऩाम फदमे गमे शं ।

क्मं आती शं दरयरता ? 1. प्रसतफदन दे य उठने वे दरयरता आती शं । 2. घय का वाया किया झाडू रगाकय एक कोने भं वभेट कय यखने वे आती शं । किये को घय वे फाशय पेक दं । 3. वॊध्मा वभम घयभं दीऩक नशीॊ जराने वे दरयरता आती शं । 4. गुरुलाय के फदन फार-दाढीॊ(शजाभत) काटने वे सनधानता आती शं । 5. दीऩ वे अगयफत्ती जराने वे दरयरता आती शं । (अगयफत्ती अरग भासिव वे जरामे) 6. गुरुलाय के फदन बोजन भं भाॊवाशाय खाने वे दरयरता आती शं । 7. गुरुलाय के फदन धोफी को कऩिे धोने के सरमे दे ने वे दरयरता आती शं । 8. गुरुलाय के फदन ऩीरी सभट्टी वे फार धोने वे सनधानता आती शं । 9. वूमाास्त शोने के फाद घय भं झािू रगाने वे घय भं दरयरता आती शं । 10. अद्धा लत्त ृ ाकय (अधा गोराकाय) बूखड ॊ मा बलन के स्लासभत्ल वे दरयरता प्राद्ऱ शोती शं ।

सनधानता आती शं ।

15. बोजन औय दध ू को त्रफना ढके यखने वे सनधानता आती शं ।

16. घय भं वुफश झाडू -फुशायी कयके वाप नशीॊ कयने वे सनधानता आती शं । 17. इस्न्रमं को वॊमभ भं नशीॊ यख कय ऩयस्त्री एलॊ ऩयधन फक काभना कयने वे सनधानता आती शं । 18. इद्वय भं श्रद्धा नशीॊ यखने वे व्मत्रक्त दरयर शो जाता शं । 19. फदन भं अकायण वोने वे घय भं दरयरता आती शं । 20. योग वे ऩीफडत व्मत्रक्तमं को वाॊत्लना दे ने के फजाम उऩशाव कयने वे सनधानता आती शं । 21. जया-जया फात भं स्खन्न शोने लारे जया-जया फात भं अऩने लिनं वे भुकय ने लारे व्मत्रक्त दरयर शो जाता शं । 22. छर-कऩट औय स्लाथा का आश्रम रेकय, दव ू यं के ळोऴण का आश्रम रेकय धन प्राद्ऱ कयने वे सनधानता आती शं । उवके ऩाव धन आ वकता शै ऩयन्तु उवके ऩाव धन भशारक्ष्भी नशीॊ आ वकती। 23. जूठे भुॉश यशने वे दरयरता आती शं । 24. भैरे-कुिैरे-पेटे शुए कऩिे ऩशनने वे सनधानता आती शं ।

25. दीन-द्ु स्खमं को वताने वे सनधानता आती शं ।

26. भाता-त्रऩता के आसळलााद नशीॊ रेने वे सनधानता आती शं । 27. धभा, ळास्त्र औय वॊतं फक सनॊदा कयने वे व्मत्रक्त दरयर शो जाता शं ।

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28. घी को जूठे शाथ वे छूने वे सनधानता आती शं ।

39. स्भळान फक सिता के अॊगाये , अस्स्थ, बस्भ, गाम,

29. जूठा शाथ सवय ऩय रगाने वे सनधानता आती शं ।

कऩाव(रुई), ऩूज्म एलॊ गुरु जन, ब्राह्मण को ऩैय

30. जूठे भुॉश ळुब लस्तुओॊ का स्ऩळा कयने वे दरयरता

रगाने वे सनधानता आती शं ।

आती शं । 31. भॊगरलाय को ऋण रेने वे दरयरता आती शं । 32. ऩाऩकभा भं यत यशने वे सनधानता आती शं । 33. कठोय-कडक लिनो का प्रमोग कयने वे सनधानता

40. अऩने एक ऩैय को दव ू ये ऩैयवे घीवने वे दफाने वे सनधानता आती शं ।

41. स्जव जर भं नाखून मा फार सगये शं उव जर का वेलन मा स्ऩळा कयने वे सनधानता आती शं ।

आती शं ।

42. ितुदाळी एलॊ अभालस्मा के फदन ळायीरयक वुख

भानने वे सनधानता आती शं ।

43. त्रफना लस्त्र के वोने वे सनधानता आती शं ।

34. फडे -फुजुगो का अनादय कयने वे उनकी फात नशीॊ 35. जो स्त्री-ऩुरुऴ अऩने ऩसत-ऩत्नी को दफाकय यखने फक इच्छा यखने वे सनधानता आती शं । 36. लावी पूक का उऩमोग कयने वे सनधानता आती शं ।

बोगने वे सनधानता आती शं ।

44. किया सनकारते लक्त उडने लारी धुक का स्ऩळा ळयीय को शोने वे दरयरता आती शं । (झाडू रगाते लक्त वालधानी फयते जेवे धूर का स्ऩळा आऩके ळयीय को नशं)

37. दग ं मुक्त स्थान ऩय असधक रोगो के वाथ भं ु ध

45. फैठे-फैठे

38. पटा-टू टा आवन का उऩमोग कयने वे सनधानता

46. अऩने ळयीय ऩय त्रफना लजश वे फजाने (ढोर जेवे)

वोने वे सनधानता आती शं । आती शं ।

खुयळी-टे फर-ऩरॊग

इत्माफद

ऩय

त्रफना

लजश वे फजाने (ढोर जेवे) वे सनधानता आती शं । वे सनधानता आती शं ।

रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि श्रीमॊि को वभस्त प्रकाय के श्रीमॊिं भं वलाश्रद्ष े भाना गमा शै औय कुफेय मॊि को दे लताओॊ भं धन के दे लता कुफेय जी का वफवे प्रबालळारी मॊि भाना जाता शं इव मॊि के ऩूजन वे अषम धन कोऴ की प्रासद्ऱ शोती शं औय भनुष्म के सरए नलीन आम के स्रोत फनते शं । प्रसतफदन रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि का ऩूजन एलॊ दळान कयने वे व्मत्रक्त को जीलन भं धन औय ऐद्वमा की कबी बी कभी नशीॊ शोती शै । त्रलद्रानं ने अऩने अनुबलं भं ऩामा शं की जो भनुष्म अऩने गृशस्थ जीलन भं धन, लैबल, ऐद्वमा, वुख-वभृत्रद्ध, व्माऩाय भं वपरता, त्रलदे ळ राब, याजनीसत भं वपरता,

नौकयी भं ऩदौस्न्न्त आफद की काभना यखता शं तो उवके सरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि वलाश्रऴ े मॊि शं ।

भनुष्म को रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि के ऩूजन वे जीलन के वबी षेि भं वुख-वभृत्रद्ध एलॊ वौबाग्म की प्राद्ऱ शोने रगती शै । मफद फकवी व्मत्रक्त को व्माऩाय भं मफद व्माऩाय भं ऩूणा ऩरयश्रभ एलॊ रगने वे कामा कयने ऩय बी असधक राब की प्रासद्ऱ नशीॊ शो यशी शो, व्माऩाय भॊदा िर यशा शो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय शासन शो यशी शो तो उवे रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि को अलश्म अऩने व्मलवामीक स्थान ऩय स्थात्रऩत कयना िाफशए। स्जववे व्माऩाय भं फाय-फाय शोने लारे घाटे मा नुकवान वे ळीघ्र शी राब प्राद्ऱ शोने के मोग फनने रगते शं । >> Order Now

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नलम्फय 2013

19

47. स्नान कयने वे उऩयाॊत ळयीय ऩय तेर रगाने वे सनधानता आती शं । (स्नान वे ऩूला तेर रगारे)

63. बोजन के फाद तुयॊत दातुन कयने वे दरयरता आती शं ।

48. अऩने ऩैय फक एडी का भस्तक ऩय स्ऩळा कयने वे सनधानता आती शं ।

64. अन्म का झुठा अन्न खाने वे दरयरता आती शं । 65. अऩने इद्श का त्माग कय अन्म के इद्श भं आस्था

49. अॊधेये कभये भं वोने वे सनधानता आती शं । (कभये भं थोडी वे योळनी जरुय यखे)

यखने वे दरयरता आती शं । 66. ऩय स्त्री-ऩुरुऴ फक वेला कय के अऩने ऩरयलाय के

50. यािी कार भे धायण कयने लारे लस्त्र फदन भं

रोगो को कद्श दे ने वे दरयरता आती शं ।

धायण कयने वे सनधानता आती शं ।( यात भं एलॊ

67. ऩरयश्रभ-ऩुरुऴाथा वे स्खन्न शोने लारे व्मत्रक्त फक

फदन के यात भं एलॊ यात के फदन भं कबी नशीॊ

68. अमोग्म भनुष्म को दान दे न मा वशामता कयने वे

फदन भं धायण कयने लारे कऩडे अरग-अरग यखं। ऩशने)

वशामता कयने वे दरयरता आती शं । दरयरता आती शं ।

51. लावी एलॊ ळुष्क बोजन खाने वे दरयरता आती शं ।

69. प्रसतऩदा को गृशायम्ब कयने वे दरयरता आती शं ।

52. ळुक्रलाय एलॊ अभालस्मा के फदन तेर-गॊध-रव्म को

70. घय का द्राय आध्भात (पूरा शुआ) शोनेऩय दरयरता

ळयीय ऩय रागने वे दरयरता आती शं ।

आती शं ।

53. अऩने फाएॊ शाथ वे भाता का स्ऩळ कयने वे दरयरता आती शं । ( मफद स्ऩळा कये तो दोनो शाथो वे कयं केलर फाएॊ शाथ वे स्ऩळा न कयं ।) वे सनधानता आती शं ।

नैऋत्म नीिी बूसभ शोने वे दरयरता आती शं । 73. भुख्म द्रायके वाभने दीलाय मा फालिी शोनेवे

55. वूमाास्त का दळान कयने वे सनधानता आती शं ।

दरयरता शोती शै ।

56. ऩयस्त्री-ऩयऩुरुऴ को नग्न अलस्था भं दे खने वे सनधानता आती शं ।

74. नर वे ऩानी टऩकते यशने वे दरयरता आती शं , ऩानी का अऩव्मम शोने वे लरुण दे ल का श्राऩ

57. ऩय धन,स्त्री, वॊऩत्रत्त फक इच्छा कयने वे दरयरता आती शं ।

रगता शं । 75. वॊध्मा वभम बोजन औय ऩढ़ने वे धन नाळ शोता

58. नाखून, काटे , खून, सभट्टी, कोमरा मा ऩानी वे ऩय

वाभने) द्राय शोने वे दरयरता आती शं । 72. बलन भं ईळान, आग्नेम ल ऩस्द्ळभभं ऊॉिी औय

54. अऩत्रलि अलस्था भं वूम-ा िॊर-तायं का दळान कयने

बूसभ

71. भुख्म द्रायके ऊऩय द्राय औय द्रायके वाभने (आभने-

अनालश्मक

रेखन-सििण

कयने

वे

दरयरता आती शं । 59. स्लमॊ भारा गूॊथ(भारा फना) कय स्लमॊ धायण कयने वे दरयरता आती शं । 60. स्लमॊ िॊदन घीव कय स्लमॊ रगाने वे दरयरता आती शं । (फकवी औय वे घीवलाकय रगामे) 61. ब्राह्मण फक सनन्दा कयने वे दरयरता आती शं । 62. फेठे-फेठे मा वोते शुए दोनो ऩैयो को त्रफना लजश फशराने-निाने वे दरयरता आती शं ।

शं । 76. दे ली-दे लताओॊ ऩय िढ़ामे गमे पूर मा शाय के वूखने ऩय बी घय भं यकखने वे दरयरता आती शं । ( पूर-शाय शो फकवी प्रास्टीक फैग भं बयकय यख दं फपय उवे एक-दो भाश भं फाय इकठ्ठे फशते जर भं त्रलवस्जात कयदं ।) 77. टू टा-पूटा पनॉिय, फतान, काॊि, पटे शुए कऩिे यखने वे दरयरता आती शं ।

नलम्फय 2013

20

78. घय फक फदलायो ऩय, पळा ऩय ऩेन, ऩंसवर,िाक

सभराकय) वे स्नान कयने वे दरयरता वे भुत्रक्त

इत्माफद वे सरखना-सििकायी कयने वे दरयरता आती शं ।

दरयरता सनलायण के वयर उऩाम

सभरती शं । 11. कनकधाया स्तोि के ऩाठ के ऩठन एलॊ श्रलण वे दरयरता वे भुत्रक्त सभरती शं । 12. कनकधाया मॊि को दरयरता का नाळ कयने शे तु याभफाण भाना जाता शं इव सरमे कनकधाया मॊि

1. प्रसतफदन प्रात: जल्दी उठ कय इद्श आयाधना कयने

फक आयाधना कयने वे दरयरता वे भुत्रक्त सभरती

वे दरयरता दयू शोती शं ।

2. गुरुलाय के फदन घय भं गाम के गोफय का रेऩन

शं ।

आफद कयने वे दरयरता दयू शोती शं ।

13. दग ु ाा फीळा मॊि के ऩूजन वे बी दरयरता का नाळ

दरयरता दयू शोती शं ।

14. भाश फक दोनं वॊकट ितुथॉ के सनमसभत व्रत वे

शोती शं ।

15. रक्ष्भी गणेळ मॊि के ऩूजन वे दरयरता का नाळ

3. गुरुलाय के फदन ऩीरी लस्तु का बोजन कयने वे 4. दान-ऩुण्म इत्माफद कभा कयते यशने वे दरयरता दयू 5. प्राण-प्रसतत्रद्षत वात भुखी रुराष धायण कयने वे दरयरता वे भुत्रक्त सभरती शं । 6. घय भं प्राण-प्रसतत्रद्षत प्राण-प्रसतत्रद्षत दस्षणालतॉ ळॊख फक घयभं स्थाऩना वे रक्ष्भी का स्थामी लाव शोता शं , ळिुओॊ वे यषा शोती शै , योग, कण, असानता एलॊ दरयरता वे ळीघ्र भुत्रक्त सभरती शं । 7. घय भं प्राण-प्रसतत्रद्षत त्रलष्णु ळॊख (द्वेत यॊ ग का ळॊख) स्थात्रऩत कयने वे एलॊ सनत्म ऩूजन कयने वे दरयरता दयू शोती शं ।

8. श्री वूक्त का ऩठन कयने वे बी दरयरता वे भुत्रक्त

शोता शं ।

दरयरता का नाळ शोता शं । शोता शं ।

16. श्रीमॊि के ऩूजन वे दरयरता का नाळ शोकय बौसतक वुख, ळाॊसत ल वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं । 17. ऩायद श्री मॊि मा सळलसरॊग का ऩूजन दरयरता वे भुत्रक्त फदराता शं । 18. रक्ष्भी मॊि मा अद्श रक्ष्भी मॊि के ऩूजन वे दरयरता का नाळ शोता शै । 19. याभामण फक सनम्न िौऩाइ का ऩाठ कयने वे दरयरता का नाळ शोता शं । िौऩाइ

असतसथ ऩूज्म त्रप्रमतभ ऩुयारय के।

सभरती शं । 9. श्री वूक्त फक ऋिाओॊ का श्रलण मा ऩठन कयके

काभद धन दारयद दलारयके ॥

सनमसभत शलन कयने वे त्रलसबन्न कद्श दयू शोकय

20. फृशस्ऩसत ग्रश का यत्न वुनेरा धायण कयने वे

शोने वे द्ु ख, दरयरता, योग, कद्श, कजा वे स्लत्

21. श्री मॊि जफित नलयत्न धायण कयने वे वे दरयरता

10. भान्मता शं फक दीऩालरी के फदन जर भं तथा

22. दरयरता सनलायण शे तु आत्भा भं अिर श्रद्धा शो,

ऐद्वमा प्रासद्ऱ शोती शं । रक्ष्भी जी फक कृ ऩा प्राद्ऱ भुत्रक्त सभरती शं ।

तेर भं रक्ष्भी का लाव शोता शं । इव सरमे दीऩालरी के फदन ळयीय ऩय तेर फक भासरळ कयके जर (गॊगा स्नान मा जर भं गॊगाजर जर

दरयरता दयू शोती शं । का नाळ शोता शं ।

तो दरयर भनुष्म बी धनलान शो जाते शं । 23. कल्ऩलृष मॊि के ऩूजन वे दरयरता का नाळ शोता शं ।

नलम्फय 2013

21

24. प्रदोऴ व्रत कयने वे ळसन वे ऩीफडत वभस्माए कभ शोती शं एलॊ दरयरता का नाळ शोता शं ।

गणेळ जी फक दोनो ऩीठ एक फश स्थान ऩय सभरती शं।)

25. आॊगन भं तुरवी का ऩौधा रगा कय उवका ऩूजन वे दरयरता दयू शोती शं ।

26. ऩीऩर लृष की सनत्म तीन फाय ऩरयक्रभा कयने औय जर िढाने ऩय दरयरता का नाळ शोता शं । 27. सभद्षान अकेरे नशीॊ खाकय ऩरयलाय एलॊ सभि लगा

31. फुधलाय के फदन वपेद कऩिे का झॊडा फना के ऩीऩर के लृष ऩय रगाने वे सनधानता दयू शोती शं ।

32. रक्ष्भी जी के वभष घी का दीऩक रगाने वे सनधानता दयू शोती शं ।

33. प्रसत ळुक्रलाय के फदन अळोक लृष के 13 अखॊफडत

भं फाॊट कय खाने वे दरयरता का नाळ शोता शं ।

ऩत्ते राकय ळुद्ध जर मा गॊगाजर वे धोकय रार

का सनलायण शोता शं ।

वे तोयण फनाकय घय के भुख्म द्राय ऩय रगाने वे

28. ऩीऩर के फने सळलसरॊग का ऩूजन कयने वे दरयरता 29. सळल ऩॊिाषयी भॊि (ॐ नभ् सळलाम) का जऩ कयने लारे को दरयरता नशी आती शं ।

कऩडे वे ऩोछकय इन 13 ऩत्तो का भौरी (कराला) दरयरता एलॊ ळिु वे भुत्रक्त सभरती शं । नोट: जैवे आत्भफर भं श्रद्धा उत्ऩन्न शोते फश कामय

30. घय के भुख्म द्राय के उऩय अॊदय फक ओय गणेळ

व्मत्रक्त बी ळूयलीय शो जाते शं , प्रभादी एलॊ आरवी व्मत्रक्त

प्रसतभा मा सिि रगाने वे घय वे दरयरता दयू

बी उद्यभी शो जाते शं , भूखा व्मत्रक्त बी त्रलद्रान शो जाते शं ,

शोकय ऩून् प्रलळ नशीॊ कयती। ( घय के फाशय

योगी व्मत्रक्त बी सनयोग शो जाते शं , उवी प्रकाय वे उसित

रगाने वे दरयरता आसत शं । मफद फशाय रगाना शो

कभा कयने वे दरयर व्मत्रक्त बी धनलान शो जाते शं ।

तो इव प्रकाय रगामे जेवे अॊदय फाशाय दोनो ओय

***

दस्षणालसता ळॊख आकाय रॊफाई भं 1" to 1.5" ईंि

वुऩय पाईन स्ऩेळर आकाय रॊफाई भं 180 230 280 4" to 4.5" ईंि 280 370 460 5" to 5.5" ईंि

2" to 2.5" ईंि

370

460

3" to 3.5" ईंि

460

550

0.5" ईंि

पाईन

पाईन

640 6" to 6.5" ईंि 820 7" to 7.5" ईंि

वुऩय पाईन स्ऩेळर 730 910 1050 1050

1250

1450

1250

1450

1900

1550

1850

2100

शभाये मशाॊ फिे आकाय के फकभती ल भशॊ गे ळॊख जो आधा रीटय ऩानी औय 1 रीटय ऩानी वभाने की षभता लारे शोते शं । आऩके अनुरुध ऩय उऩरब्ध कयाएॊ जा वकते शं ।

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नलम्फय 2013

22

भॊि सवद्ध कारी शल्दी के त्रलसबन्न राब  त्रलद्रानं का कथन शं की ईद्वय की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु एलॊ लाॊसछत कामा भं सवत्रद्ध की प्रासद्ऱ एलॊ भनोकाभना ऩूसता

आध्मास्त्भक ल

सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी

औऴसध

के

रुऩ

भं

बी

शोता

शं ।

आध्मास्त्भक षेि भं शल्दी के प्रमोगो वे धन प्रासद्ऱ वॊबल शं !

शे तु भॊि, मॊि औय तॊि के

फशन्द ू वॊस्कृ सत भं शल्दी

अनेक उऩामो का लणान फशन्दॊ ू

को अत्मॊत ळुब एलॊ गुणकायी

आज के बौसतक मुग

का प्रमोग बोजन ल औऴसध के

भं शय कामा अथा (धन) के

अराला भाॊगसरत कामा, दे ली-

उऩय

दे लताओॊ

धभाग्रॊथं भं सभरता शं ।

प्रत्मष

मा

अप्रत्मष

भाना जाता शं इव सरए शल्दी

के

ऩूजन-अिान

रुऩवे सनबाय शोता शं इव सरमे

इत्माफद भं त्रलळेऴ रुऩ वे प्रमोग

प्रत्मेक व्मत्रक्त फक मशी इच्छा

फकमा

शोती शं फक उवके ऩाव बी

रोगं ने शल्दी केलर ऩीरे यॊ ग

इतना धन शो फक लश अऩने

की

जीलन

बौसतक

ऩीरी शल्दी का प्रमोग शय घयं

वुखो को बोग ने भं वभथा

भं भवारं के रुऩ भं प्रमोग

शं। शय व्मत्रक्त की िाश शोती

शोता शी शं , इव सरए ऩीरी

शं की उवकी धन-वॊऩत्रत्त फदन

शल्दी फाजायं भं आवानी वे

दोगुनी यात िौगुनी फढती यशं !

उऩरब्ध शो जाती शं ।

भं

वभस्त

फशन्द ू धभा भं धन औय

जाता शी

शं ।

दे खी

असधकतय

शोगी।

क्मोफक

रेफकन शल्दी कारे यॊ ग

ऐद्वमा की दे ली भाॊ भशारक्ष्भी

की बी प्राद्ऱ शोती शं । कारी

शं जो धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा

शल्दी को तॊि ळास्त्रं भं असधक

प्रदान कयती शं । इव सरए भाॉ

दर ा औय दे लीम गुणं वे मुक्त ु ब

भशारक्ष्भी की प्रवन्नता एलॊ

भाना

गमा

शं ।

कारी

शल्दी

कृ ऩा वे धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा

औऴसधम गुणं वे बयऩूय शोती

ळास्त्र भं फतामे गमे शं ।

प्रमोगो के अराला औऴसध के

की प्रासद्ऱ के वयर उऩाम तॊि बायतीम

ऩयॊ ऩया

भं

शल्दी का त्रलळेऴ भशत्ल फतामा गमा

शं ,

शल्दी

सनभााण इत्माफद भं बी त्रलळेऴ रुऩ वे फकमा जाता शं ।

उऩमोग

तॊि त्रलद्या के जानकाय

प्राम् वबी व्मत्रक्त के जीलन भं

भानते शं की धन प्रासद्ऱ शे तु

बोजन

कारी

के

का

शं , इवसरए इव का प्रमोग तॊि

अराला

असधक्तय

शल्दी

एक

अद्भत ु

िभत्कायी प्रबालं वे मुक्त शोती शं , उनका भानना शं की

नलम्फय 2013

23

कारी शल्दी के त्रलसध-त्रलधान वे ऩूजन वे व्मत्रक्त अवीभ

 कारी शल्दी की ऩोटरी को को अऩने गल्रे (कैळ

धन-वॊऩत्रत्त एलॊ ऐद्वमा प्राद्ऱ कयने भं वभथा शो वकता शं ।

फॉक्व), सतजोयी आफद भं बी यख वकते शं ।

शल्दी को शरयरा बी कशा जाता शै । तॊि त्रलद्या के

त्रलद्रानं का अनुबल शं की कारी शल्दी के ऩूजन

जानकायं का तो मशाॊ तक भानना शं की अवरी कारी

वे धन वे वॊफॊसधत वभस्माएॊ दयू शोती शै , योजगाय

शल्दी प्राद्ऱ शोना वौबाग्म की फात शं । स्जव घय भं कारी

भं लृत्रद्ध शोती शं ।

शल्दी का ऩूजन शोता शो लश घय भं सनलाव कताा

 कारी शल्दी के प्रबाल वे नकायात्भक उजाा को दयू

वौबाग्मळारी शोते शं । ऐवी धासभाक

फकमा जा वकता शै ।

की अषम तृतीमा,

 फकवी ळुब भुशूता भं कारी शल्दी को सवॊदयू भं

त्रिऩुष्कय मोग, फद्रऩुष्कय मोग, कामा सवत्रद्ध मोग, अभृत

सवक्के के वाथ फाॊधय सतजोयी मा गल्रे भं यखने

सवत्रद्ध मोग आफद फकवी ळुब भुशूता भं कारी शल्दी को

वे धन की लृत्रद्ध शोने रगती शै ।

धनिमोदळी,

भान्मता शं

दीऩालरी,

ग्रशण,

गुरु

ऩुष्माभृत

मोग,

यखकय धूऩ-दीऩ वे ऩूजन कय रार कऩिे भं एक

अऩने ऩूजा स्थान भं स्थात्रऩत कय उवका सनमसभत ऩूजन कयने वे कारी शल्दी का िभत्कायी प्रबाल आद्ळमाजन रुऩ वे असत ळीघ्र प्राद्ऱ शोता शं ।

प्रफर धन की इच्छा यखने लारे व्मत्रक्त को भॊि सवद्ध 11 गोभती िक्र, 11 ऩीरी कौफडय़ाॊ औय कारी शल्दी

धन प्रासद्ऱ प्रमोग

के 11 टु किं को दीऩालरी मा धनिमोदळी आफद ळुब

 कारी शल्दी को अऩने ऩूजन स्थान भं रक्ष्भी नायामण की प्रसतभा मा सिि के ऩाव स्थात्रऩत कय उवका त्रलसधलत ऩूजन कयं ।  त्रलद्रानं का अनुबल शं की कारी शल्दी को घय भं स्थात्रऩत कय ऩूजन कयने वे घय भं सनयॊ तय वुखळाॊसत की लृत्रद्ध शोने रगती शै ।  तॊि ळास्त्र के जानकायं का कथन शं की कारी शल्दी के सनमसभत ऩूजन वे व्मत्रक्त को कबी ऩैवा की कभी नशीॊ शोती।  कारी

शल्दी

प्रफर धन प्रासद्ऱ प्रमोग

की

गाॊठ

को

िाॊदी,

स्टीर

मा

प्रास्स्टक की फडब्फी भं यख कय प्रसत-फदन दे लीदे लता के वाथ धूऩ-दीऩ वे ऩूजन कयं ।  कारी शल्दी की गाॊठ को वोने मा िाॊदी के सवक्के

अलवय ऩय ऩूजन के वभम भाॊ रक्ष्भी की प्रसतभा मा सिि के वाथ स्थात्रऩत कय त्रलसधलत ऩूजन कयने वे ळीघ्र त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं । ऩूजन के ऩद्ळमात गोभती िक्र, कौफड औय शल्दी के टु किं को ऩीरे कऩिे भं फाॊध कय ऩोटरी फना कय अऩनी सतजोयी मा गल्रे भं यखरं। सनमसभत मथा वॊबल रक्ष्भी भॊि का जऩ कयते यशं । इव त्रलसध वे ऩूजन कयने वे धन वॊफॊसधत रुकालट ळीघ्र दयू

शोने रगती शं औय ऩरयलाय भं सनयॊ तय धन, वुख, वभृत्रद्ध भं लृत्रद्ध शोती शं ।

मफद व्मलवाम भं सनयन्तय राब के स्थान ऩय घाटा शो यशा शो तो बी मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद शोता शं ।

के वाथ रार लस्त्र भं फाॊधकय ऩोटरी फना कय

कामा सवत्रद्ध प्रमोग

उवे अन्म दे ल प्रसतभाओॊ के वाथ ऩूजा कयने वे

 कारी शल्दी के टु किे ऩय भौरी रगाकय गूगर औय

त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शै । (वोने मा िाॊदी के सवक्के न शो तो रुऩमे-ऩैवे के नमे सवक्के के वाथ यखा जा वकता शं )

रोफान के धूऩ वे ळोधन कयके अऩने ऩूजा स्थान भं यखदं , फकवी भशत्लऩूणा कामा ऩय जाते वभम उवे शभंळा अऩनी जेफ के उऩयी फशस्वे भं मा फैग भं यखं,

नलम्फय 2013

24

इव प्रमोग वे कामा त्रफना फकवी फाधा त्रलध्न के ऩूणा शोने की वॊबालनाएॊ प्रफर शो जाती शं ।  फकवी नमे कामा मा भशत्लऩूणा कामा के सरए जाते वभम कारी शल्दी को िॊदन की तयश घीव कय उवका सतरक रगाकय जाने वे कामा भं वपरता प्राद्ऱ शोने की वॊबालना प्रफर शो जाती शं । त्रलद्रानं का अनुबल शं की नौकयी व्मलवाम वे जुिे रोगं के सरए मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद सवद्ध शोता शं ।

ताॊत्रिक प्रबाल सनलायण प्रमोग मफद फकवी व्मत्रक्त ऩय टोने-टोटके आफद ताॊत्रिक प्रबाल शो तो उवे कारी शल्दी के छोिे टु किे को छे द कयके धागा भं त्रऩयोकय मा फकवी तात्रलज भं बय कय धायण कयलामा जामे तो ळीघ्र शी अळुब प्रबालं वे भुत्रक्त

स्लास्थ्म लधाक प्रमोग मफद कोई व्मत्रक्त शभंळा त्रफभाय मा अस्लस्थ यशता शो, तो फकवी बी गुरूलाय वे मश प्रमोग प्रायॊ ब कय के तीन गुरुलाय तक प्रमोग कयं । गेशूॊ के आटे के दो ऩेिे

फनाकय उवभं थोडी गीरी िीने की दार, थोिा गुि औय थोिी वी त्रऩवी शुइ कारी शल्दी को दफाकय योगी व्मत्रक्त के

उऩय

वे

वात

फाय

घिी

की

फदळा

(दस्षणालता/Clockwise) भं उताय कय गाम को स्खरा दं । मश उऩाम रगाताय तीन गुरूलाय कयने वे त्रलळेऴ राब फदखने रगता शं ।

नजय यषा प्रमोग  मफद फकवी को नजय रग गमी शै , तो कारे कऩिे भं

सभर वकती शं । कुछ त्रलद्रानं का अनुबल शं की कारी

कारी शल्दी को फाॊधकय वात फाय नज़य रगे व्मत्रक्त

शल्दी को नलग्रश भॊि वे असबभॊत्रित कय धायण कयने वे

मा

ग्रश जसनत ऩीिाएॊ दयू शोती शं ।

आकऴाण प्रमोग त्रलद्रानं का भत शं की कारी शल्दी को तॊि ळास्त्र भं लळीकयण भं अत्मॊत राब प्रद जिी फूटी भाना जाता शै । तॊि त्रलद्या के जानकायं का भानना शं की कारी शल्दी भं अद्भत ु आकऴाण ळत्रक्त शोने के कायण लळीकयण आफद भं बी कारी शल्दी का प्रमोग त्रलळेऴ राबप्रद शोता शं ।

प्रसतफदन कारी शल्दी का सतरक रगाने वे वबी प्रकाय के इस्च्छत भनुष्मं का आकऴाण शो वकता शं । कारी शल्दी का सतरक एक अत्मॊत वयर तॊिोक्त प्रमोग शै । त्रलळेऴ नोट: आकऴाण मा लळीकयण शे तु कारी शल्दी का प्रमोग कयने वे ऩूला कारी शल्दी को फकवी मोग्म जानकाय त्रलद्रान वे लळीकयण भॊि वे असबभॊत्रित एलॊ भॊि सवद्ध अलश्म कयलारं। * आकऴाण प्रमोग केलर ळुब उद्दे श्म शे तु राबप्रद शोता शं , अनैसतक कामा मा उद्दे श्म शे तु फकमा गमा आकऴाण प्रमोग सनस्द्ळत रुऩ वे अत्मासधक शानी कायक सवद्ध शोता शं ।

फच्िे

के

उऩय

वे

घिी

की

फदळा

(दस्षणालता/Clockwise) भं उताय कय फशते शुमे जर भं प्रलाफशत कय दं मा फकवी त्रलयान जगश भं पैक दं ।

 मफद फकवी के कामा मा व्मलवामीक स्थान ऩय फायफाय फकवी की नज़य रग गई शो तो कारी शल्दी को कारे कऩिे भं फाॊधकय दोनं शाथं वे ऩूये कामा स्थर के सबतय वात फाय घूभाकय फशते शुमे जर भं प्रलाफशत कय दं मा फकवी त्रलयान जगश भं पैक दं ।

 नज़य यषा के सरए कारी शल्दी ऩय भौरी रऩेट कय ऩीरे कऩिे भं फाॊधकय अऩने व्मलवामीक स्थान के भुख्म द्राय ऩय रटका दं । इव प्रमोग वे नज़य वे यषा शोगी एलॊ धन की लृत्रद्ध बी शोती यशे गी।

ग्रश ळाॊसत प्रमोग मफद फकवी व्मत्रक्त की जन्भ कुॊडरी भं गुरू औय ळसन दोनो ऩीफित शो, तो ग्रश ळाॊसत शे तु फकवी ळुक्रऩष के प्रथभ गुरूलाय वे सनमसभत रूऩ वे कारी शल्दी को िॊदन की तयश घीव कय सतरक रगाने वे मश प्रमोग दोनं ऩीफित ग्रश ळुब पर प्रदान कयते शं ।

नलम्फय 2013

25

धन वॊिम शे तु प्रमोग कुछ रोगं की आभदनी उत्तभ शोने के उऩयाॊत बी धन वॊिम नशीॊ कय ऩाते। उन्शं फकवी बी ळुक्रऩष के प्रथभ ळुक्रलाय को एक िाॊदी की फडब्फी भं कारी शल्दी, नागकेळय ल रार यॊ ग का सवन्दयू को वाथ भं सभराकय भाॊ रक्ष्भी की प्रसतभा मा सिि के ियणं वे स्ऩळा कयला कय धन यखने के स्थान ऩय यख दं । इव प्रमोग के प्रबाल वे धन वॊिम शोने रगता शं ।

*िाॊदी

की फडब्फी उऩरब्ध न शो तो स्टीर मा प्रास्स्टक

की फडब्फी का प्रमोग कयं । फडब्फी को स्थात्रऩत कयने शे तु ळुक्रऩष के प्रथभ ळुक्रलाय के अराला अषम तृतीमा, धनिमोदळी, दीऩालरी का भुशूता बी ळुब शोता शं ।)

भळीनं को खयाफी वे फिाने शे तु प्रमोग मफद व्मलवाम मा उद्योग भं भळीनं भं फाय-फाय खयाफी शोती यशती शं, तो कारीशल्दी को िॊदन की तयश केळय ल गॊगा जर सभराकय घीव कय ळुक्रऩष के प्रथभ फुधलाय को भळीन ऩय स्लास्स्तक फना दं । इव प्रमोग वे वे भळीन फाय-फाय खयाफ नशीॊ शोती।

भाॊ रक्ष्भी की कृ ऩा प्रासद्ऱ शे तु प्रमोग दीऩालरी के फदन कारी शल्दी औय एक िाॊदी का सवक्का ऩीरे लस्त्रं भं रऩेट कय उवे धन यखने के स्थान ऩय यख दं । इव प्रमोग को अगरी फदऩालरी ऩय ऩुन् इवी प्रकाय कयं इव प्रमोग वे लऴा बय भाॊ रक्ष्भी की कृ ऩा फनी यशती शै ।

अवरी नकरी की ऩयख मश कारी शल्दी का यॊ ग जफ मश शयी शोती शं तफ

अॊदय वे शल्के नीरे यॊ ग की शोती शं लश वुख ने ऩय अॊदय

वे गशये कत्थई मा कारे यॊग की शो जाती शं । रेफकन अवरी

कारी शल्दी ऩूणत ा ् काजर के वभान कारी नशीॊ शोती, फाजायं भं एकदभ काजर के वभान कारी शल्दी सभर जाती शं , स्जवे कारे यॊ ग की स्माशी मा यॊ ग आफद वे यॊ ग भं डू फा कय तैमाय फकमा जाता शं । इव प्रकाय की शल्दी को प्राम् तेर भं सबगो कय कुभकुभ सवॊदयू आफद वे रेऩ

कय फेिा जाता शं स्जववे उवकी नकरी शोने की फात वाधयण व्मत्रक्त को आवानी वे नशीॊ िरती। रेफकन इव भं कऩूय वे सभरती झुरती वुगन्ध नशीॊ शोती।

अवरी कारी शल्दी की वुगन्ध कऩूय वे सभरती-

झुरती शोती शं मशी अवरी कारी शल्दी की ऩशिान शं । अवरी कारी शल्दी अॊदय वे शी गशये यॊ ग की मा कारे यॊ ग की शोती शं उऩय वे नशीॊ उवका उऩय का फशस्वा अदयख के उऩयी फशस्वे के वभान कत्थई यॊ ग वे सभरता झुरता शोता शं । तॊि त्रलद्या के जानकायं का भत शं की फकवी बी तॊि प्रमोग को कयने ऩय उववे प्राद्ऱ शोने लारे पर केलर प्रमोग कताा के आत्भत्रलद्वाव औय श्रद्धा ऩय शी सनबाय कयते शं । तॊि प्रमोग भं फकवी बी प्रकाय की ळॊका अथला वॊदेश शोने ऩय तॊि के प्रमोग नशीॊ कयने िाफशए। ळॊका ल वॊदेश बाल वे फकमे गमे प्रमोगं का पर नगण्म मा प्राद्ऱ नशीॊ शोता शं । ऩाठको के भागादळान शे तु उऩय कारी शल्दी के अवरी ल नकरीॊ सिि उऩय फदमे गमे शं ।

.

भॊि कारी शल्दी 11 नॊग वाफूत कारी शल्दी लजन 18 ग्राभ भाि रु.730/11 नॊग वाफूत कारी शल्दी लजन 27 ग्राभ भाि रु.910/शभायं मशाॊ कारी शल्दी की गाॊठ एलॊ टु किे प्रसत नॊग लज़न 3 ग्राभ वे 21 ग्राभ तक उऩरब्ध 550, 730, 910, 1050, 1250, 1450,

रु. 370, 460,

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नलम्फय 2013

26

धन तेयव ळुब भुशूता (1-नलम्फय-2013)

 सिॊतन जोळी एवी ऩौयास्णक भान्मता शं फक धन तेयव के फदन धनलॊतयी नाभक दे लता अभृत करळ के वाथ वागय भॊथन वे

उत्ऩन्न शुए थे। धनलॊतयी धन, स्लास्थम ल आमु के असधऩसत दे लता शं । धनलॊतयी को दे लं के लैध ल सिफकत्वक के रुऩ भं जाना जाता शं ।

धन तेयव के फदन िाॊदी के फतान-सवक्के खयीदना त्रलळेऴ ळुब शोता शं । क्मोफक ळास्त्रं भं धनलॊतयी दे ल को िॊरभा के

वभान भाना गमा शं । धन तेयव के धनलॊतयी के ऩूजन वे भानसवक ळास्न्त, भन भं वॊतोऴ एल स्लबाल भं वौम्मता का बाल आता शं । जो रोग असधक वे असधक धन एकि कयने फक काभना कयते शं उन्शं धनलॊतयी दे ल फक प्रसतफदन आयाधना कयनी

िाफशए। धनतेयव ऩय ऩूजा कयने वे व्मत्रक्त भं वॊतोऴ, स्लास्थम, वुख ल धन फक त्रलळेऴ प्रासद्ऱ शोती शं । स्जन व्मत्रक्तमं के उत्तभ स्लास्थम भं कभी तथा वेशत खयाफ शोने फक आळॊकाएॊ फनी यशती शं उन्शं त्रलळेऴ रुऩ वे इव ळुब फदन भं ऩूजा आयाधना

कयनी िाफशए। धनतेयव भं खयीदायी ळुब भानी जाती शं । रक्ष्भी जी एलॊ गणेळ जी फक िाॊदी फक प्रसतभा-सवक्को को इव फदन खरयदना धन प्रासद्ऱ एलॊ आसथाक उन्नसत शे तु श्रेद्ष शोता शं । धनतेयव के फदन बगलान धनलन्तयी वभुर वे अभृत करळ रेकय

प्रकट शुए थे, इवसरमे धनतेयव के फदन खाव तौय वे फतानं फक खयीदायी फक जाती शं । इव फदन स्टीर के फतान, िाॊदी के फतान खयीदने वे प्राद्ऱ शोने लारे ळुब परो भं कई गुणा लृत्रद्ध शोने फक वॊबालना फढ़जाती शं । धन तेयव ऩूजा भुशूता

प्रदोऴ कार 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट का शोता शं । अऩने ळशय के वूमाास्त वभम अलसध वे रेकय अगरे 2 घण्टे 24 सभनट

फक वभम अलसध को प्रदोऴ कार भाना जाता शं । अरग- अरग ळशयं भं प्रदोऴ कार के सनधाायण का आधाय वूमोस्त वभम के अनुवाय सनधाायीत कयना िाफशमे। धनतेयव के फदन प्रदोऴकार भं दीऩदान ल रक्ष्भी ऩूजन कयना ळुब यशता शै ।

इव लऴा 1 नलम्फय 2013 (धनतेयव) को बायतीम वभम अनुवाय नई फदल्री भं वॊध्मा वूमाास्त के फाद वाॊम 05 फज कय 32 सभसनट वे आयम्ब शोकय यात के 07 फजकय 56 सभनट तक का वभम प्रदोऴ कार यशे गा। इव वभमा अलसध भं वाॊम

06.21:06 वे रेकय यात 08.17:31 के भध्म स्स्थय रग्न (लृऴब) यशे गा, मश वॊमोग प्रदोऴ भुशुता वभम भं शोने के कायण घय-ऩरयलाय भं स्थामी रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शै ।

1 नलम्फय 2013 को प्रदोऴ कार भं बी स्स्थय रग्न (लृऴब यासळ) यशे गा, रक्ष्भी ऩूजन शे तु स्स्थय रग्न का वभम

वफवे उतभ भाना जाता शं । धन तेयव के फदन प्रदोऴ कार ल स्स्थय रग्न दोनं का वॊमोग वॊध्मा 06.21:06 फजे वे रेकय यािी 07:56:00 फजे तक का वभम यशे गा स्जववे भुशुता की ळुबता भं लृत्रद्ध शोती शं । िौघाफडमा भुशूता

राब भुशूता वुफश 07:30 वे 09:00 तक

अभृत भुशूता वुफश 09:00 वे 10:30 तक

ळुब भुशूता दोऩशय 12:00वे 01:30 तक

िर भुशूता वॊध्मा 04:30 वे 06:00 तक

राब भुशूता यात 09:00 वे 10:30 तक

ळुब भशूता का वभम धन तेयव की ऩूजा के सरमे त्रलळेऴ ळुब यशे गा। राब भुशूता ऩूजन कयने वे प्राद्ऱ शोने लारे राबं भं लृत्रद्ध शोती शं । ळुब कार भुशूता फक ळुबता वे धन, स्लास्थम ल आमु भं लृत्रद्ध शोती शं । वफवे असधक ळुब अभृत कार भं ऩूजा कयने का शोता शं ।

नोट: उऩयोक्त लस्णात वूमाास्त का वभम सनयधायण नई फदल्री के अषाॊळ ये खाॊळ के अनुवाय आधुसनक ऩद्धसत वे फकमा गमा शं । इव त्रलऴम भं त्रलसबन्न भत एलॊ वूमाास्त सात कयने का तयीका सबन्न शोने के कायण वूमाास्त वभम का सनयधायण सबन्न शो वकता शं । वूमाास्त वभम का सनयधायण स्थासनम वूमाास्त के अनुवाय फश कयना उसित शोगा।

27

नलम्फय 2013

दीऩालरी ऩूजन भुशूता (3-नलम्फय-2013)

 सिॊतन जोळी भाॊ रक्ष्भी फक कृ ऩा प्राद्ऱ कयने शे तु एलॊ उनका स्थामी सनलाव शो वके इव उद्दे श्म वे घय-दक ु ान-व्मलवासमक कामाारम

भं दीऩालरी के फदन रक्ष्भी ऩूजन शे तु फदन के वफवे ळुब भुशूता को सरमा जाता शं ।

इव लऴा दीऩालरी का ऩला यत्रललाय, 3 नलम्फय, 2013 भं कासताक भाव फक अभालस्मा वूमोदम कारीन नषि स्लाती

ऩयन्तु प्रदोऴकार भं त्रलळाखा नषि का कार यशे गा, वौबाग्म मोग भं तथा िन्दभा का भ्रभण तुरा यासळ भं यशे गा। दीऩालरी के फदन अभालस्मा सतसथ, प्रदोऴ कार, ळुब रग्न ल िौघा़फडमा भुशूता त्रलळेऴ का अत्मासधक भशत्ल शोता शं ।

इव लऴा दीऩालरी का ऩला यत्रललाय, 3 नलम्फय, 2013 भं कासताक भाव फक अभालस्मा वूमोदम कारीन नषि स्लाती

यशे गा, आमुष्भान मोग भं तथा िन्दभा का भ्रभण तुरा यासळ भं यशे गा। दीऩालरी के फदन अभालस्मा सतसथ, प्रदोऴ कार, ळुब रग्न ल िौघा़फडमा भुशूता त्रलळेऴ का अत्मासधक भशत्ल शोता शं ।

प्रदोऴ कार 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट का शोता शं । अऩने ळशय के वूमाास्त वभम अलसध वे रेकय अगरे 2 घण्टे 24

सभनट फक वभम अलसध को प्रदोऴ कार भाना जाता शं । अरग- अरग ळशयं भं प्रदोऴ कार के सनधाायण का आधाय वूमोस्त वभम के अनुवाय सनधाायीत कयना िाफशमे।

दीऩालरी प्रदोऴ कार भुशूता अऩने ळशय के वूमाास्त वभम वे 2 घन्टे 24 सभनट तक का वभम ळुब भुशूता वभम के

सरमे प्रमोग फकमा जाता शं . इवे प्रदोऴ कार वभम कशा जाता शं । इव लऴा 3 नलम्फय 2013 (दीऩालरी) को बायतीम वभम अनुवाय नई फदल्री भं वूमाास्त वॊध्मा 05 फज कय 30 सभसनट ऩय शोगा। वॊध्मा 05 फज कय 30 सभसनट वे आयम्ब शोकय यात के 07 फजकय 54 सभनट तक का वभम प्रदोऴ कार यशे गा।

3 नलम्फय 2013 को वाॊम 06.13:14 वे रेकय यात 08.13:14 के भध्म स्स्थय रग्न (लृऴब) यशे गा, मश वॊमोग प्रदोऴ

भुशुता वभम भं शोने के कायण घय-ऩरयलाय भं स्थामी रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शै । प्रदोऴ कार ल स्स्थय रग्न दोनं का वॊमोग

वॊध्मा 06.13:14 फजे वे रेकय यािी 07:54:00 फजे तक का वभम यशे गा स्जववे भुशुता की ळुबता भं लृत्रद्ध शोती शं । प्रदोऴ कार के दौयान वॊध्मा 06:00 फजे वे 09:00 फजे तक क्रभळ् ळुब औय अभृत िौघफडमा शोने वे भुशुता की ळुबता भं लृत्रद्ध शोती शं ।

स्जवभं त्रलळेऴ रूऩ वे श्री गणेळऩूजन, श्री भशारक्ष्भी ऩूजन, कुफेय ऩूजन, व्माऩारयक खातं का ऩूजन, दीऩदान एलॊ इव

वभम के अॊतगात अऩने वेलकं को उऩशाय दे ना ळुब यशता शं ।

इव भुशूता वभम भं अऩने ऩरयलाय के फडे वदस्मं एलॊ सभि लगा वे आळीलााद रेना एलॊ उन्शं सभठाईमाॊ, लस्त्र ल उऩशाय

आफद दे ना बी ळुब यशता शं । त्रलद्रानो के भत वे इव भुशूता भं ऩरयलाय के फडे वदस्मं एलॊ सभि लगा वे प्राद्ऱ शोने लारा आळीलााद ळुब परप्रद सवद्ध शोता शं । इव भुशूता वभम भं भॊफदय इत्माफद धभास्थरो ऩय दान इत्माफद कयना बी त्रलळेऴ राब दामश एलॊ कल्माणकायी शोता शं ।

दीऩालरी िौघफडमाॊ भुशूता

दीऩालरी िौघ़फडमा भुशूता वभम को घय ल ऩरयलाय भं रक्ष्भी ऩूजन कयने के सरमे ळुब भाना जाता शं । श्रीभशारक्ष्भी ऩूजन एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कासताक कृ ष्ण अभालस्मा भं प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भं स्स्थय रग्न वभम भं कयना ळुब शोता शै रक्ष्भी ऩूजन, दीऩ प्रजलस्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भुशूता वभम शी त्रलळेऴतमा ळुब भाना गमा शं । रक्ष्भी ऩूजा भुशूता दीऩालारी के फदन

नलम्फय 2013

28

 िर भुशूता वुफश भं 07:30 वे 09:00 तक

 ळुब भुशूता वाॊम भं 06:00 वे 07:30 तक

 अभृत भुशूता फदन भं 10:30 वे 12:00 तक

 िर भुशूता यात भं 09:00 वे 10:30 तक

 राब भुशूता वुफश भं 09:00 वे 10:30 तक  ळुब भुशूता दोऩशय भं 01:30 वे 03:00 तक

 अभृत भुशूता यात भं 07:30 वे 09:00 तक

नोट: उऩयोक्त लस्णात वूमाास्त का वभम सनयधायण नई फदल्री के अषाॊळ ये खाॊळ के अनुवाय आधुसनक ऩद्धसत वे फकमा गमा शं । इव त्रलऴम भं त्रलसबन्न भत एलॊ वूमाास्त सात कयने का तयीका सबन्न शोने के कायण वूमाास्त वभम का सनयधायण सबन्न शो वकता शं । वूमाास्त वभम का सनयधायण स्थासनम वूमाास्त के अनुवाय फश कयना उसित शोगा।

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री ु ब

भॊि सवद्ध भारा

शत्था जोडी- Rs- 550, 730, 1450, 1900, 2800

स्पफटक भारा- Rs- 190, 280, 460, 730, DC 1050, 1250

सवमाय सवॊगी- Rs- 730, 1250, 1450, 2800

वपेद िॊदन भारा - Rs- 280, 460, 640

त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450

यक्त (रार) िॊदन - Rs- 100, 190, 280

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

भोती भारा- Rs- 280, 460, 730, 1250, 1450 & Above

दस्षणालतॉ ळॊख- Rs- 280, 550, 750, 1250,

त्रलधुत भारा - Rs- 100, 190

भोसत ळॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900

ऩुि जीला भारा - Rs- 280, 460

भामा जार- Rs- 251, 551, 751

कभर गट्टे की भारा - Rs- 210, 280

इन्र जार- Rs- 251, 551, 751, 1050

शल्दी भारा - Rs- 150, 280

धन लृत्रद्ध शकीक वेट Rs-251(कारी शल्दी के वाथ Rs-550)

तुरवी भारा - Rs- 100, 190, 280, 370

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above

ऩीरी कौफिमाॊ: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 190 280, 460, 730

शकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181

शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 190 280, 460, 730

रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111

भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above

नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-111

ऩायद भारा Rs- 730, 1050, 1900, 2800 & Above

कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

लैजमॊती भारा Rs- 100,190

गोभती िक्र Small & Medium 11 नॊग-75, 101, 151, 201,

रुराष भारा: 100, 190, 280, 460, 730, 1050, 1450

गोभती िक्र Very Rare Big Size : 1 नॊग- 51 वे 1100

भूल्म भं अॊतय छोटे वे फिे आकाय के कायण शं ।

(असत दर ा फिे आकाय भं 5 ग्राभ वे 41 ग्राभ भं उऩरब्ध) ु ब

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नलम्फय 2013

धन प्रासद्ऱ का अिूक उऩाम स्पफटक श्रीमॊि का ऩूजन 

सिॊतन जोळी

आज के बौसतक मुग भं अथा (धन) जीलन फक भुख्म आलश्मक्ताओॊ भं वे एक शै । धनाढ्म व्मत्रक्तओॊ की जीलनळैरी को दे खकय प्रबात्रलत शोते शुले वाधायण व्मफक की बी काभना शोती शं , फक उवके ऩाव बी इतना धन शो फक लश अऩने जीलन भं वभस्त बौसतक वुखो को बोग ने भं वभथा शं। एवी स्स्थभं भेशनत, ऩरयश्रभ वे कभाई कयके धन अस्जात कयने के फजाम कुछ रोग अल्ऩ वभम भं ज्मादा कभाने फक भानसवकता के कायण कबी-कबी गरत तयीकं अऩनाते शं । स्जवके पर स्लरुऩ एवे रोग धन का लास्तत्रलक वुख बोगने वे लॊसित यश जाते शं औय योग, तनाल, भानसवक अळाॊसत जेवी अन्म वभस्माओॊ वे ग्रस्त शो जाते शं । जशाॊ गरत तयीकं वे कभामे शुले धन के कायण वभाज एवे रोगो को शीन बाल

वे दे खते शं । जफफक भेशनत, ऩरयश्रभ वे काभामे शुले धन वे स्लमॊ का आत्भत्रलद्वाव फढता शं एलॊ वभाज भं प्रसतद्षा औय भान वम्भान बी वयरता वे प्राद्ऱ शो जाता शं ।

जो व्मत्रक्त धासभाक त्रलिाय धायाओॊ वे जुडे शो लश इद्वय भं त्रलद्वाय यखते शुले स्लमॊ फक

भेशनत, ऩरयश्रभ के फर ऩय कभामे शुले धन को फश वच्िा वुख भानते शं । धभा भं आस्था एलॊ त्रलद्वाव यखने लारे व्मत्रक्त के सरमे भेशनत, ऩरयश्रभ कयने के उऩयाॊत अऩनी आसथाक स्स्थभं उन्नसत एलॊ रक्ष्भी को स्स्थय कयने शे तु, श्री मॊि के ऩूजन का उऩाम अऩनाकय जीलन भं फकवी बी वुख वे लॊसित नशीॊ यश वकते, उन्शं अऩने जीलन भं कबी धन का अबाल नशीॊ यशता। उनके वभस्त कामा वुिारु रुऩ वे िरते शं । रक्ष्भी कृ ऩा प्रासद्ऱ के

सरए श्रीमॊि का वयर ऩूजन त्रलधान स्जवे अऩना कय वाधायण व्मत्रक्त त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । इव भं जया बी वॊळम नशीॊ शं ।

श्रीमॊि का ऩूजन यॊ क वे याजा फनाने लारा एलॊ व्मत्रक्त फक दरयरता को दयू कयने लारा शं । 

अऩने ऩूजा स्थान भं प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि को ऩूजन के सरमे स्थात्रऩत कयं । (प्राण-प्रसतत्रद्षत श्रीमॊि फकवी बी मोग्म त्रलद्रान ब्राह्मण मा मोग्म जानकाय वे सवद्ध कयलारे)



श्री मॊि को प्रत्मेक ळुक्रलाय को दध ु , दशी, ळशद, घी औय ळक्कय (गुि) अथाात ऩॊिाभृत फनाकय स्नान कयामे।



स्नान के ऩद्ळमात उवे रार कऩडे वे ऩोछ दं ।



श्री मॊि को फकवी िाॊदी मा ताॊफे फक प्रेट भं स्थाऩीत कयं ।



श्री मॊि के नीिे 5 रुऩमे मा 10 रुऩमे का नोट यखदं । (5,10 रुऩमे का सवक्का नशीॊ)



श्री मॊि स्थात्रऩत कयने लारी प्रेट भं श्रीमॊि ऩय स्पफटक फक भारा को िायं ओय घुभाते शुले स्थात्रऩत कयं ।



श्री मॊि के उऩय भौरी का टु कडा 3-5 फाय घुभाते शुले अत्रऩत ा कयं ।



श्री मॊि के उऩय वुखा अद्श गॊध सछडकं।



मफद वॊबल शो तो रार ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं । (कभर, भॊदाय(जावूद) मा गुराफ शो तो उत्तभ)



धूऩ-दीऩ इत्मादी वे त्रलसधलत ऩूजन कयं ।



उऩयोक्त त्रलधन प्रसत ळुक्रलाय कयं एलॊ अन्म फदन केलर धूऩ-दीऩ कयं ।



फकवी एक रक्ष्भी भॊि का एक भारा भॊि जऩ कयं । श्रीवूक्त, अद्श रक्ष्भी स्तोि इत्मादी का ऩाठ कयं मफद ऩाठ कयने भं आऩ अवभथा शोतो फाजाय भं श्रीवूक्त, अद्श रक्ष्भी इत्मादी स्तोि फक केवेट वीडी सभरती शं उवका श्रलण कयं ।

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ऩूजा भं जाने-अनजाने शुई गरती के सरए रक्ष्भीजी का स्भयण कयते शुले षभा भाॊगकय वुख, वौबाग्म औय वभृत्रद्ध फक काभना कयं ।



प्रसत ळुक्रलाय उऩयोक्त ऩूजन कयने वे जीलन भं फकवी बी प्रकाय का आसथाक वॊकट नशीॊ आता।



मदी आसथाक वॊकट वे ऩये ळान शं तो श्री मॊि के ऩूजन वे वभस्त प्रकाय के आसथाक वॊकट धीये -धीये दयू शो जाते शं ।

नोट: श्री मॊि के के नीिे यखा शुला नोट प्रसत एक-दो भाव भं एक फाय फकवी दे ली भॊदीय भं बेट कय दं । (राब प्राद्ऱ शोने ऩय फदरे) 

प्रथन फाय यखा शुला नोट श्री मॊि के ऩूजन वे राब शोने के फाद शी फदरे। राब प्राद्ऱ शोना ळुरु शोने तक नोट को यखे यशं ।



राब प्राद्ऱ शोना ळुरु शोने के ऩद्ळमात प्रसत भाश भं एक फाये प्रसतऩदा(एकभ) को ऩुयाना नोट फदर कय नमे नोट यखं।



जेवे-जेवे राब प्राद्ऱ शोने रगे आऩ के अनुकूर कामा शो ने रगे तो नोट फक यकभ फढाते यशं । असधक राब प्राद्ऱ शोता शं ।

उदाशण: मफद ऩशरे 5 रुऩमे का नोट यखा शं तो उस्वे राब शोने के ऩद्ळमात नोट फदरते शुले 10 रुऩमे का नोट यखे। 10 रुऩमे का

नोट यखने वे राब शोने के ऩद्ळमात नोट फदरते शुले 20 रुऩमे का नोट यखे। इवी प्रकाय नोट को फदते यशं इस्वे असधक राब प्राद्ऱ शोता शं ।

असधक राब प्रासद्ऱ शे तु वाभान्म सनमभ: ऩूजन के फदन ब्रह्मिमा का ऩारन कयं । ऩूजन के फदन वुगॊसधत तेर, ऩयफ्मूभ, इि का प्रमोग कयने वे फिे। त्रफना प्माज-रशवून का ळाकाशायी बोजन ग्रशण कयं । ळुक्रलाय वपेद सभद्षान बोजन भं ग्रशण कयं ।

भॊि सवद्ध स्पफटक श्री मॊि "श्री मॊि" वफवे भशत्लऩूणा एलॊ ळत्रक्तळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त ळुब फ़रदमी मॊि शै । जो न केलर दव ू ये मन्िो वे असधक वे असधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय व्मत्रक्त के सरए पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त "श्री मॊि" स्जव व्मत्रक्त के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी सवद्ध शोता शै

उवके दळान भाि वे अन-सगनत राब एलॊ वुख की प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अफद्रतीम एलॊ अरश्म ळत्रक्त भनुष्म की वभस्त ळुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे वभथा शोसत शै । स्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय सनयाळा दयू शोकय लश भनुष्म अवफ़रता वे वफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौसतक वुखो फक प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि"

भनुष्म जीलन भं उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय वकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फस्न्धत ऩये ळासन भे न्मुनता आसत शै ल वुख-वभृत्रद्ध, ळाॊसत एलॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ शोती शै । >> >> >> >> >> >> >> >> >> >> Order Now

गुरुत्ल कामाारम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ वे 2250 Gram (2.25Kg) तक फक वाइज भे उप्रब्ध शै

.

भूल्म:- प्रसत ग्राभ Rs. 10.50 वे Rs.28.00

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नलम्फय 2013

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वद्ऱ श्री का िभत्कायी प्रमोग 

सिॊतन जोळी

दीऩालरी के फदन फशी-खाते के ऩूजन के वभम फशी-खाते भं उऩयोक्त क्रभभं रार यॊ ग की करभ म ऩेन वे श्री सरखे। ऩशरे एक फाय श्री सरखे, फपय दो फाय श्री श्री सरखे, फपय तीन फाय श्री श्री श्री, इव प्रकाय क्रभ को फढाते जाए आखीय भं वात फाय श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री सरखे, वद्ऱश्री के नीिे अऩने ईद्श का नाभ सरखे मा ॐ श्रीॊ रक्ष्भी दै व्मे नभ् सरखे। फपय धुऩदीऩ, ऩुष्ऩ आफद वे उवका ऩूजन कयं । उक्त प्रमोग कयने वे आनेलारा नमा लऴा व्मलवाम भं आसथाक रत्रद्श वे वुख, वभृत्रद्ध रेकय आमेगा औय अत्मासधक राबदामक यशे गा। स्जन रोगो के ऩाव रक्ष्भी (धन) स्स्थय नशीॊ यशता। रक्ष्भी आने वे ऩूला जाने को तत्ऩय शोती शं । उन्शं अऩनी जेफ भं मा भनीऩवा भं एक स्पेद कागज ऩय उऩयोक्त तयीके वे श्री सरख कय यखना िाफशए। वद्ऱ श्री सरखने वे रक्ष्भी रम्फे वभम तक स्स्थय यशने के मोग फनते शं लश नमे स्रोत वे धन राब के बी प्रफर मोग फनते शं । (अद्शगॊध की स्माशी फनाकय अनाय की करभ वे सरखना असत उत्तभ यशता शं ।) 

श्री

श्री

श्री

श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री ॐ श्रीॊ रक्ष्भी दै व्मे नभ्

उक्त तयीके वे वद्ऱ श्री को अऩनी अरभायी, गल्रा (कैळ फोक्ळ) मा धन यखने के स्थान ऩय कुभकुभ मा अद्शगॊध वे अऩने दाशीने

शाथ की अनासभका उॊ गरी वे सरखने ऩय बी मश अत्मासधक राबप्रद यशता शं । 

उक्त तयीके वे वद्ऱ श्री को िाॊफद मा वोने के ऩत्तय ऩय मॊि स्लरुऩ बी फनामा वकता शं । ताॊफे िाॊदी के ऩत्तय भं फनाते वभम ध्मान यखे की ऩत्तय की वतश ऩय श्री उऩय की ओय उबयी शुई शो, नीिे की ओय खुदी शुई न शं।

रक्ष्भी मॊि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भशारक्ष्भमै फीज मॊि

लैबल रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (भॊि यफशत)

भशारक्ष्भी फीवा मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत)

रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि

श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै

श्री मॊि (फीवा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीवा मॊि

श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)

श्री मॊि श्री वूक्त मॊि

रक्ष्भी फीवा मॊि

अॊकात्भक फीवा मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

रक्ष्भी गणेळ मॊि

ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

मॊि के त्रलऴम भं असधक शे तु वॊऩका कयं ।

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नलम्फय 2013

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रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु त्रलसबन्न भॊि सवद्ध कलि  याज याजेद्वयी कलि Raj Rajeshwari Kawach

सिॊतन जोळी

स्लणााकऴाण बैयल कलि Swarnakarshan Bhairav Kawach

श्री याज याजेद्वयी कलि को धायण कयने वे व्मत्रक्त

फशन्द ू धभा भं बैयल जी को बगलान सळल के द्रादळ

की वुख वभृत्रद्ध, धन, ऐद्वमा, भान-वम्भान, वौबाग्म

स्लरूऩ के रुऩ भं ऩूजा जाता शं । बैयलजी को भुख्म रुऩ वे

आफद को प्राद्ऱ कयने की काभनाएॊ ळीघ्र ऩूणा शोने रगती

तीन स्लरुऩ फटु क बैयल, भशाकार बैयल औय स्लणााकऴाण

शं । याज याजेद्वयी कलि याजकामा अथाात वयकाय वे जुिे

बैयल के रुऩ भं जाना जाता शं । त्रलद्रानं ने स्लणााकऴाण-

कामं भं त्रलळेऴ वपरता प्रदान कयने लार शं । याज

बैयल को धन-धान्म औय वम्ऩत्रत्त के दे लता भाना शं ।

याजेद्वयी कलि के प्रबाल वे धायण कताा के वकर प्रकाय

धभाग्रॊथं भं उल्रेख सभरता शं की स्जव भनुष्म की

के याज कामा वयरता वे ऩूणा शो वकते शं । वयकायी

आसथाक स्स्थती फदन-प्रसतफदन खयाफ शोती जा यशी शो, उव

त्रलबाग एलॊ वाभास्जक कामा कयने लारं को याज याजेद्वयी

ऩय कजा का फोझ फढ़ता जा यशा शो, वभस्मा के वभाधान

कलि के प्रबाल वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं ।

शे तु व्मत्रक्त को कोई यास्ता न फदखाई दे यशा शो, व्मत्रक्त

भूल्म भाि: 11000

वुलणा रक्ष्भी कलि Suvarn Lakshmi Kawach

को वबी प्रकाय के ऩूजा ऩाठ, भॊि, मॊि, तॊि, मस, शलन, वाधना आफद वे कोई त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ न शो यशी शो,

तफ स्लणााकऴाण बैयल जी का भॊि, मॊि, वाधना इत्माफद वुलणा

रक्ष्भी

को

धायण

कलि

कयने वे धन-वॊऩत्रत्त, यत्न-आबूऴण की

लृत्रद्ध

वुलणा

आफद शोती

रक्ष्भी

शं । कलि

को धायण कयने वे धायणकताा को वुलणा वे वॊफॊसधत कामं भं त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती

शं ।

त्रलसबन्न

स्त्रोत वे आसथाक राब सभरने के मोग फनते शं । वुलणा रक्ष्भी कलि के प्रबाल वे धायणकताा की वुलणा वे वॊफॊसधत वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शं । भूल्म भाि: 4600

का आश्रम रेना िाफशए। जो व्मत्रक्त स्लणााकऴाण बैयल की वाधना, भॊि जऩ आफद को कयने भं अवभथा शो लश रोग स्लणााकऴाण बैयल कलि को धायण कय त्रलळेऴा राब प्राद्ऱ कय वकते शं । स्लणााकऴाण बैयल कलि को धन प्रासद्ऱ के सरए अिूक औय अत्मॊत प्रबालळारी भाना जाता शं । स्लणााकऴाण बैयल कलि को धायण कयने वे मश भनुष्म की वबी प्रकाय की आसथाक वभस्माओॊ को वभाद्ऱ कयने भं वभथा शं । स्जवभं जया बी वॊदेश नशीॊ शं । इव करमुग भं स्जव प्रकाय भृत्मु बम के सनलायण शे तु भशाभृत्मुॊजम

कलि

अभोघ

शं

उवी

प्रकाय

आसथाक

वभस्माओॊ के वभाधान शे तु स्लणााकऴाण बैयल कलि अभोघ भाना गमा शं । धासभाक भान्मताओॊ के अनुवाय ऐवा भाना

जाता शं

की बैयलजी की ऩूजा-उऩावना

श्रीगणेळ, त्रलष्णु, िॊरभा, कुफेय आफद दे लताओॊ ने बी फक थी, बैयल उऩावना के प्रबाल वे बगलान त्रलष्णु रक्ष्भीऩसत फने थे, त्रलसबन्न अप्वयाओॊ को वौबाग्म सभरने का

33

नलम्फय 2013

उल्रेख धभाग्रॊथो भं सभरता शं । मफश कायण शं की

प्रकाय के बमं का सनलायण शो जाता शं औय जीलन ऩयभ

स्लणााकऴाण बैयल कलि आसथाक वभस्माओॊ के वभाधान

वुखी शो जाता शं ।

शे तु अत्मॊत राबप्रद शं । इव कलि को धायण कयने वे वबी प्रकाय वे आसथाक राब की प्रासद्ऱ शोने रगती शं । भूल्म भाि: 4600

त्रलष्णु फीवा कलि Vishnu Visha Kawach

भूल्म भाि: 1900

कुफेय फीवा कलि Kuber Visha Kawach

आज

शय

व्मत्रक्त की इच्छा त्रलष्णु फीवा कलि

शोती शं की उवके

को धन, मळ, वपरता

ऩाव अऩाय धन-

औय

वॊऩत्रत्त शो। उवके

उन्नसत

की

प्रासद्ऱ

शे तु उत्तभ भाना जाता शं ।

ऩाव

त्रलष्णु

फीवा

कलि

को

शय

श्री

त्रलष्णु

को

भौजुद

बगलान

दसु नमा

का

शो,

उवे

ऐळो-आयाभ

प्रवन्न कयने औय उनका

कबी फकवी िीज

आसळलााद प्राद्ऱ कयने के

की कभी न शो।

सरए धायण फकमा जाता

आजके

शं ।

बौसतक

फशन्द ू

धभाग्रॊथं

लस्णात

शं

की

बगलान

त्रलष्णु

भं जशाॉ

सनलाव

कयते शं , उव स्थान ऩय भाॉ

भशारक्ष्भी

का

इव मुग

दे लताओॊ

के

कोऴाध्मष जी

का

भं

श्री

कुफेय कुफेय

बी

फीवा कलि भनुष्म की वभस्त बौसतक काभनाओॊ को

सनलाव शोता शं । स्जव बक्त ऩय बगलान त्रलष्णु प्रवन्न

ऩूणा कयने भं वभथा शं । कुफेय फीवा कलि के प्रबाल वे

शोते, कृ ऩा कयते शं , उव बक्त ऩय दे ली भशारक्ष्भी बी

धायण कताा ऩय मषयाज कुफेय प्रवन्न शो कय उवे अतुर

स्लत् प्रवन्न शोती शं औय अऩनी कृ ऩा ल आळीलााद दे ती

वम्ऩत्रत्त का लयदान दे ते शं । कुफेय फीवा कलि के प्रबाल

शं । त्रलष्णु फीवा कलि को धायण कयने वे व्मत्रक्त को

वे धायण कताा के सरए अषम धन कोऴ की प्रासद्ऱ एलॊ

कामं भं सवत्रद्ध ल वपरता की प्रासद्ऱ, स्लास्थ्म औय

आम लृत्रद्ध के नमे-नमे स्त्रोत फनने रगते शं । ऐवा

वाॊवारयक वुखं भं लृत्रद्ध शोती शं ।

ळास्त्रोक्त लिन शं की स्लणा राब, यत्न राब, ऩैतक ृ वम्ऩत्ती

त्रलद्रानं का अनुबल यशा शं की श्री त्रलष्णु फीवा कलि को धायण कयने वे ळीघ्र शी धायणकताा के घय-

एलॊ गिे शुए धन वे राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने लारे

व्मत्रक्त के सरमे कुफेय फीवा कलि धायण कयना अत्मन्त

ऩरयलाय भं वुख-वभृत्रद्ध-ऐद्वमा भं लृत्रद्ध शोने रगती शं ।

राब दामक शो वकता शं । कुफेय फीवा कलि को धायण

वकायात्भक ऊजाा का वॊिाय शोता शं । त्रलष्णु फीवा कलि

उवका धन वॊिम शोने रगता शं । धन-वॊऩत्रत्त एलॊ ऐद्वमा

के प्रबाल वे उवके रुके शुले कामा वॊऩन्न शोने रगते शं ।

की प्रासद्ऱ शे तु कुफेय फीवा कलि वलाश्रद्ष े भाध्मभ शं ।

त्रलष्णु

फीवा

कलि

को

धायण

कयने

वे

व्मत्रक्त

भं

कामाषेि भं वुधाय शोने रगता शं । ळिु, योग आफद नाना

कयने वे व्मत्रक्त को एकासधक स्त्रोि वे धन का प्राद्ऱ शोकय

भूल्म भाि: 1900

नलम्फय 2013

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आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि Akashmik Dhan Prapti Kawach आकस्स्भक

धन

प्रासद्ऱ

कलि

प्रासद्ऱ कलि वे त्रलसबन्न स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शं । अऩने

नाभ

के

अनुवाय शी भनुष्म को आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ शे तु परप्रद शं इव कलि को धायण कयने वे वाधक को अप्रत्मासळत

भूल्म भाि: 1050

अद्श रक्ष्भी कलि Asht Lakshmi Kawach

धन राब प्राद्ऱ शोता शं । िाशे लश धन राब व्मलवाम वे

अद्श रक्ष्भी कलि को धायण कयने वे व्मत्रक्त ऩय

शो, नौकयी वे शो, धन-वॊऩत्रत्त इत्माफद फकवी बी भाध्मभ

वदा भाॊ भशा रक्ष्भी की कृ ऩा एलॊ आळीलााद फना यशता

वे मश राब प्राद्ऱ शो वकता शं । शभाये लऴं के अनुवॊधान

शं । स्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-

एलॊ अनुबलं वे शभने आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि को

धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-

धायण कयने वे ळेमय ट्रे फडॊ ग, वोने-िाॊदी के व्माऩाय

वॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय

इत्माफद वॊफॊसधत षेि वे जुडे रोगो को त्रलळेऴ रुऩ वे

(८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का स्लत् अळीलााद प्राद्ऱ

आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ शोते दे खा शं । आकस्स्भक धन

शोता शं ।

भूल्म भाि: 1250

अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि ल

उल्रेस्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोक्त

त्रलसध-त्रलधान वे त्रलद्रान ब्राह्मणो द्राया वला राख भशाभृत्मुॊजम भॊि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात कलि अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं । अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि कलि फनलाने शे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि दस्षणा भाि: 10900

कलि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं ।

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नलम्फय 2013

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इव दीऩालरी ऩय स्लमॊ सवद्ध कयं रक्ष्भी भॊि

 सिॊतन जोळी भॊि :

1. ॐ श्री भशारक्ष्म्मै नभ्। (Om Shree Mahalakshmai Namah)

2. श्रीॊ ह्रीॊ श्रीॊ कभरे कभरारमे। (Shreem Hreem Shreem Kamale Kamalalaye)

3. श्रीॊ ह्रीॊ क्रीॊ ऐॊ कभरलासवन्मै स्लाशा । (Shreem Hreem Kleem Aim Kamalavasinyai Swaha) 4. ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै नभ्। (Hreem Shreem Kleem Mahalakshmai Namah) 5. ॐ श्रीॊ सश्रमै नभ्। (Om Shreem Shriyai Namah)

6. ॐ ह्री श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ भशारक्ष्भी भभ गृशे धनॊ ऩूयम ऩूयम सिॊतामै दयू म दयू म स्लाशा । (Om Hreem Shreem Kreem Shreem Kreem Kleem Shreem Mahalakshmi Mam Gruhe Dhanam Pooraya Pooraya Chintayai Dooraya Dooraya Swaha)

7. धन राब एलॊ वभृत्रद्ध भॊि

ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्रीॊ त्रिबुलन भशारक्ष्म्मै अस्भाॊक दारयद्र्म नाळम प्रिुय धन दे फश दे फश क्रीॊ ह्रीॊ श्रीॊ ॐ । (Om Shreem Hreem Kleem Tribhuvan Mahalakshmai Asmank Daridray Nashay Prachur Dhan Dehi Dehi Kleem Hreem Shreem Om)

8. अषम धन प्रासद्ऱ भॊि

ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्रीॊ ऐॊ वं ॐ ह्रीॊ क ए ई र ह्रीॊ श व क श र ह्रीॊ वकर ह्रीॊ वं ऐॊ क्रीॊ ह्रीॊ श्री ॐ । (Om Shreem Hreem Kleem Aim Soum Om Hreem Ka Ae Ee La Hreem Ha Sa Ka Ha La Hreem Sakal Hreem Soum Aim Kleem Hreem Shreem Om) कैवे कयं भॊि जाऩ :धनतेयव मा दीऩालरी के फदन वॊकल्ऩ रेकय प्रात्कार स्नान कयके ऩूला मा उत्तय फदळा फक औय भुख

कयके रक्ष्भी फक भूसता

मा सिि की ऩॊिोऩिाय मा दषोऩिाय मा ऴोड्ऴोऩिाय वे ऩूजा कयं । ळुद्ध-ऩत्रलि आवन ग्रशण कय स्पफटक फक भारा वे भॊि का जाऩ १,५,७,११ भारा जाऩ ऩूणा कय अऩने कामा उद्दे श्म फक ऩूसता शे तु भाॊ रक्ष्भी वे प्राथना कयं ।

जऩ

स्जतना

असधक

शो

वके

असधकस्म असधकॊ परभ ्। उतना

अच्छा

शै ।

मफद

भॊि

असधक

फाय

जाऩ

कय

वकं

तो

श्रेद्ष।

प्रसतफदन स्नान इत्माफदवे ळुद्ध शोकय उऩयोक्त फकवी एक रक्ष्भी भॊि का जाऩ 108 दाने फक भारा वे कभ वे कभ एक भारा जाऩ अलश्म कयना िाफशए। उऩयोक्त भॊि के त्रलसध-त्रलधान के अनुवाय जाऩ कयने वे भाॊ रक्ष्भी फक कृ ऩा वे व्मत्रक्त को धन की प्रासद्ऱ शोती शै औय सनधानता का सनलायण शोता शै ।

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नलम्फय 2013

वला कामा सवत्रद्ध कलि स्जव व्मत्रक्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के फादबी उवे भनोलाॊसछत वपरतामे एलॊ

फकमे गमे कामा भं सवत्रद्ध (राब) धायण कयना िाफशमे।

प्राद्ऱ नशीॊ शोती, उव व्मत्रक्त को वला कामा सवत्रद्ध कलि अलश्म

कलि के प्रभुख राब: वला कामा सवत्रद्ध कलि के द्राया वुख वभृत्रद्ध औय नल ग्रशं के

नकायात्भक प्रबाल को ळाॊत कय धायण कयता व्मत्रक्त के जीलन वे वला प्रकाय के द:ु ख-दारयर का नाळ शो कय वुख-वौबाग्म एलॊ उन्नसत प्रासद्ऱ शोकय जीलन भे वसब प्रकाय के ळुब कामा सवद्ध शोते

शं । स्जवे धायण कयने वे व्मत्रक्त मफद व्मलवाम कयता शोतो कायोफाय भे लृत्रद्ध शोसत शं औय मफद नौकयी कयता शोतो उवभे उन्नसत शोती शं ।

 वला कामा सवत्रद्ध कलि के वाथ भं वलाजन लळीकयण कलि के सभरे शोने की लजश वे धायण कताा की फात का दव ू ये व्मत्रक्तओ ऩय प्रबाल फना यशता शं ।

 वला कामा सवत्रद्ध कलि के वाथ भं अद्श रक्ष्भी कलि के सभरे शोने की लजश वे व्मत्रक्त ऩय वदा

भाॊ भशा रक्ष्भी की कृ ऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शं । स्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का अळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।

 वला कामा सवत्रद्ध कलि के वाथ भं तॊि यषा कलि के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू शोती शं , वाथ शी नकायात्भक ळत्रक्तमो का कोइ कुप्रबाल धायण कताा व्मत्रक्त ऩय नशीॊ शोता। इव कलि के प्रबाल वे इऴाा-द्रे ऴ यखने लारे व्मत्रक्तओ द्राया शोने लारे दद्श ु प्रबालो वे यषा शोती शं ।

 वला कामा सवत्रद्ध कलि के वाथ भं ळिु त्रलजम कलि के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊसधत

वभस्त ऩये ळासनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शं । कलि के प्रबाल वे ळिु धायण कताा व्मत्रक्त का िाशकय कुछ नशी त्रफगाि वकते।

अन्म कलि के फाये भे असधक जानकायी के सरमे कामाारम भं वॊऩका कये : फकवी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को वला कामा सवत्रद्ध कलि दे ने नशी दे ना का अॊसतभ सनणाम शभाये ऩाव वुयस्षत शं ।

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नलम्फय 2013

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दीऩालरी ऩूजन का भशत्ल औय वॊऩूणा ळास्त्रोक्त रक्ष्भी ऩूजन

 स्लस्स्तक.ऎन.जोळी, ऩॊ.श्री बगलानदाव त्रिलेदी जी, वॊदीऩ ळभाा दीऩोत्वल अथाात दीऩालरी ऩला को ऩुयातन कार वे शी बायतलऴा भं ज्मोसतऩला के रुऩ भं भनामा जाता शं । फडे ़-फडे ़ भशानगयं वे रेकय छोटे वे छोटे गालं भं बी धनी वे रेकय गयीफ वे गयीफ व्मत्रक्त की िौखट बी इव ऩालन ऩला के अलवय ऩय दीऩक की ऩॊत्रक्तमं के जगभगा उठती शं । दीऩालरी के फदन अभालस्मा शोने के कायण इव

फदन वकर रोक भं िायं ओय अॊधकाय पैरा शोता शं , रेफकन भनुष्म को अॊधकाय ऩवॊद नशीॊ शं , इव सरए लशॉ उववे भुकाफरा कयने के उद्दे श्म वे अऩने घय-दक ु ान आफद

स्थानं ऩय दीऩं की ऩॊत्रक्तमं भं वजाकय अॊधेये को दयू बगाने का वाथाक प्रमाव कयता शं ।

ऩौयास्णक भान्मताओॊ के अनुवाय ऩुयातन कार भं दीऩालरी ऩला को "रोकोत्वल" के रुऩ भं भनामा जाता था। रेफकन आज दीऩालरी ऩला की भुख्मत् दो प्रभुख त्रलळेऴता

दे खने

को

सभरती

शं ।

एक

शं ,

दीऩं

की

जगभगाशट वे अॊधकायको दयू कयना औय दव ू यी शै , लैबल एलॊ वुख-वभृत्रद्ध की दे ली भाॉ भशारक्ष्भी के ऩूजन का आमोजन। धासभाक भान्मताओॊ के अनुवाय दीऩालरी के फदन घय-दक ु ान आफद स्थानं के अराला अन्म वालाजसनक स्थानं ऩय बी दीऩकं की ऩॊत्रक्तमाॉ यखने का त्रलधान शं ।

एवी भान्मता शं की श्राद्ध ऩष वे रेकय कासताक भाव की अभालस्मा तक त्रऩतयं को ऩुन् अऩने रोक भं रोटना शोता शं । ऩरयलाय के रोग त्रऩतयं का आह्वान कयते शं , उनका ऩूजन कय दीऩं वे उनका ऩुन् लाऩव जाने लारा अॊसधमाया भागा प्रकासळत कयके उन्शं अगरे लऴा तक के सरए त्रलदाई दे ते शं । दीऩालरी के वॊफॊध भं बत्रलष्मऩुयाण भं उल्रेख शं की

लस्त्र-ऩुष्ऩै् ळोसबतव्मा क्रम-त्रलक्रम-बूभम्।

अथाात ्: आज के फदन धनऩसत कुफेय का बी ऩूजन शोता शं । फशन्द ू धभाळास्त्रं के अनुवाय कुफेय धनऩसत शं ।

एवा भानाजाता शं की आज के फदन शी दे ली रक्ष्भी का जन्भ शुला था।

ळास्त्रं भं दे ली भशारक्ष्भी फक उत्ऩत्रत्त वे वॊफॊसधत त्रलसबन्न भत शं त्रलसबन्न धभा ळास्त्रो भं रक्ष्भी फक उत्ऩत्रत्त के त्रलऴम भं अनेक कथाएॊ उल्रेस्खत शं । उन प्रािीन कथाओॊ भं वभुर भॊथन के दौयान भाॊ भशारक्ष्भी फक उत्ऩत्रत्त भानी जाती शं । त्रलसबन्न ग्रॊथो भं रक्ष्भी एलॊ वभुर भॊथन फक कथाओॊ भं अॊतय दे खने को सभरता शं । ऩयॊ तु भूरत् वफ कथाओॊ भं अॊतय शोने के उऩयाॊत बी असधकतय वभान शं । प्रजाऩत्म कल्ऩ के अनुवाय: बगलान ब्रह्मा ने रुर रूऩ को शी स्लमॊबु भनु औय स्त्री रूऩ भं वतरूऩा को प्रकट फकमा औय उवके फाद त्रप्रमव्रत उत्तानऩाद, प्रवूसत औय आकूसत नाभ फक वॊतानं को जन्भ फदमा। फपय आकूसत का त्रललाश रुसि वे औय प्रवूसत का त्रललाश दष वे फकमा गमा। दष ने प्रवूसत वे 24 कन्माओॊ को जन्भ फदमा। इवके नाभ श्रद्धा, रक्ष्भी, ऩुत्रद्श, धुसत, तुत्रद्श, भेधा, फक्रमा, फुत्रद्ध, रज्जा, लऩु, ळास्न्त, ऋत्रद्ध, औय कीसता इत्मादी शं । त्रलष्णु ऩुयाण के अनुवाय: एक फाय घूभते शुए दल ु ाावा ने अऩरूऩा त्रलद्याधयी के

ऩाव एक फशुत वुन्दय भारा दे खी। लश वुगस्न्धत भारा थी। ऋत्रऴ ने उव भारा को अऩने जटाओॊ ऩय धायण

कयने के सरए भाॊगा औय प्राद्ऱ कय सरमा। दल ु ाावा ने वोिा

फक मश भारा प्रेभ के कायण, उवे प्राद्ऱ कय ले काभातुय शो उठे शं , ले अऩने काभ के आलेग को योकने के सरए इधय-उधय घूभते-घूभते स्लगा रोक ऩशुॊिे। लशाॊ उन्शंने

अऩने सवय वे भारा शटाकय इन्र को दे दी। इन्र ने उव भारा को ऐयालत के गरे भं डार फदमा औय ऐयालत वे

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लश भारा धयती ऩय सगय गई औय ऩैयं वे कुिर गई।

उन वफको एकि यखकय दे लताओॊ ने ऩुन: फिे लेग

दल ु ाावा ने जफ मश दे खा फक उवकी भारा की मश दग ु सा त

वे वभुर भॊथन आयम्ब फकमा। इव फाय के भॊथन वे यत्नं

का ळाऩ फदमा। जफ इन्र ने मश वुना तो बमबीत शोकय

वभान ऩयभ कास्न्तभान था। लश अऩने प्रकाळ वे तीनं

शुई तो लश क्रोसधत शुए औय उन्शंने इन्र को श्रीशीन शोने

भं वफवे उत्तभ यत्न कौस्तुब प्रकट शुआ, जो वूमभ ा ण्डर के

ऋत्रऴ के ऩाव आमे ऩय उनका ळाऩ रौट नशीॊ वकता था।

रोकं को प्रकासळत कय यशा था। दे लताओॊ ने सिॊताभस्ण

इवी ळाऩ के कायण अवुयं ने इन्र औय दे लताओॊ को

को आगे यखकय कौस्तुब का दळान फकमा औय उवे

स्लगा वे फाशय सनकार फदमा। दे लता ब्रह्मा जी की ळयण भं

बगलान त्रलष्णु की वेला भं बंट कय फदमा। तदनन्तय,

गमे औय उनवे अऩने कद्श के त्रलऴम भं कशा।

सिन्ताभस्ण को भध्म भं यखकय दे लताओॊ औय दै त्मं ने

औय उनवे वायी फात कशी तफ त्रलष्णु ने दे लताओॊ को

फढ़े -िढ़े थे औय फाय-फाय गजाना कय यशे थे। अफ की फाय

दानल वे वुरश कयके वभुर भॊथन कयने की वराश दी

उवे भथे जाते शुए वभुर वे उच्िै:श्रला नाभक अद्व प्रकट

ब्रह्मा जी दे लताओॊ को रेकय त्रलष्णु के ऩाव गमे

औय स्लमॊ बी वशामता का आद्वावन फदमा। उन्शंने फतामा फक वभुर भॊथन वे उन्शं रक्ष्भी औय अभृत ऩुन् प्राद्ऱ शोगा। अभृत ऩीकय ले अजय औय अभय शो जाएॊगे। दे लताओॊ ने बगलान त्रलष्णु की फात वुनकय वभुर भॊथन का आमोजन फकमा। उन्शंने अनेक औऴसधमाॊ एकत्रित की औय वभुर भं डारी। फपय भॊथन फकमा गमा। भॊथन के सरमे जाते शुए वभुर के िायं ओय फिे

जोय की आलाज उठ यशी थी। इव फाय के भॊथन वे दे लकामं की सवत्रद्ध के सरमे वाषात ् वुयसब काभधेनु प्रकट शुईं। उन्शं कारे, द्वेत, ऩीरे, शये तथा रार यॊ ग की वैकिं

ऩुन: वभुर को भथना आयम्ब फकमा। ले वबी फर भं

शुआ। लश वभस्त अद्वजासत भं एक अद्भत ु यत्न था। उवके फाद गज जासत भं यत्न बूत ऐयालत प्रकट शुआ। उवके वाथ द्वेतलणा के िौवठ शाथी औय थे। ऐयालत के िाय

दाॉत फाशय सनकरे शुए थे औय भस्तक वे भद की धाया फश यशी थी। इन वफको बी भध्म भं स्थात्रऩत कयके ले वफ ऩुन: वभुर भथने रगे। उव वभम उव वभुर वे भफदया, बाॉग, काकिासवॊगी, रशवुन, गाजय,

अत्मसधक

उन्भादकायक धतूय तथा ऩुष्कय आफद फशुत-वी लस्तुएॉ

प्रकट शुईं। इन वफको बी वभुर के फकनाये एक स्थान ऩय

यख फदमा गमा। तत्ऩद्ळात ले श्रेद्ष दे लता औय दानल ऩुन:

गौएॉ घेये शुए थीॊ। उव वभम ऋत्रऴमं ने फिे शऴा भं बयकय

ऩशरे की शी बाॉसत वभुर-भॊथन कयने रगे। अफ की फाय

दे लताओॊ औय दै त्मं वे काभधेनु के सरमे मािन की औय

वभुर वे वम्ऩूणा दळं फदळाओॊ भं फदव्म प्रकाळ व्माद्ऱ शो

कशा आऩ वफ रोग सभरकय सबन्न-सबन्न गोिलारे

गमा उव फदव्म प्रकाळ वे दे ली भशारक्ष्भी प्रकट शुईं।

ब्राह्मणं को काभधेनु वफशत इन वम्ऩूणा गौओॊ का दान

इवसरए रक्ष्भी को वभुर की ऩुिी के रूऩ भं जाना जाता शै ।

अलश्म कयं । ऋत्रऴमं के मािना कयने ऩय दे लताओॊ औय

भशारक्ष्भी ने दे लता, दानल, भानल वम्ऩूणा प्रास्णमं

दै त्मं ने बगलान ् ळॊकय की प्रवन्नता के सरमे ले वफ

की ओय दृत्रद्शऩात फकमा। भाता भशारक्ष्भी की कृ ऩा-दृत्रद्श

गौएॉ दान कय दीॊ तथा मस कभं भं बरी-बाॉसत भन को

ऩाकय वम्ऩूणा दे लता उवी वभम ऩुन् श्रीवम्ऩन्न शो गमे।

रगाने लारे उन ऩयभ भॊगरभम भशात्भा ऋत्रऴमं ने उन

ले तत्कार याज्मासधकायी के ळुब रषणं वे वम्ऩन्न

गौओॊ का दान स्लीकाय फकमा। तत्ऩद्ळात वफ रोग फिे

फदखामी दे ने रगे।

जोळ भं आकय षीयवागय को भथने रगे। तफ वभुर वे कल्ऩलृष, ऩारयजात, आभ का लृष औय वन्तान- मे िाय फदव्म लृष प्रकट शुए।

रक्ष्भी की उत्ऩत्रत्त वृत्रद्श यिना के त्रलऴम भं सान प्राद्ऱ कयते शुले

बीष्भ ने ऩुरस्त्म ऋत्रऴ वे प्रद्ल फकमा ऋत्रऴ श्रेद्ष, रक्ष्भी की उत्ऩत्रत्त के त्रलऴम भं आऩ भुझे त्रलस्ताय वे फताइए।

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क्मंफक इव त्रलऴम भं कथा अनेक शं । मश वुनकय ऩुरस्त्म ऋत्रऴ फोरे फक भशत्रऴा बृगु फक ऩत्नी ख्मासत के

कयं । कुछ त्रलद्रानो का भत शं की सवॊदयू वे मफद रक्ष्भीजी

का फीज भॊि अॊफकत कयना असत राबप्रद शोता शं ।

गबा वे एक त्रिरोकवुन्दयी कन्मा उत्ऩन्न शुई। लश

क्मोकी, प्राम् घयं एलॊ व्मलवामीक स्थानं ऩय ॐ, श्री,

नाभ रक्ष्भी यखा गमा।

दे खा शी शोगा! रक्ष्भी ऩूजन के वभम घय के वबी

वभस्त ळुब रषणं वे वुळोसबत थी। इवसरए उवका ऩौयास्णक

कथा

औय

भान्मताओॊ

के

अनुवाय

स्लस्स्तक, ळुब-राब एलॊ रयत्रद्ध-सवत्रद्ध सरखा शुला वबी ने

वदस्मं को वाथ सभरकय ऩूणा श्रद्धा वे दे ली भशारक्ष्भी

रक्ष्भी, िन्रभा आफद वबी यत्न की उत्ऩत्रत्त वभुर भॊथन

का ऩूजन कयना िाफशए।

के दौयान शुई थी, रेफकन वभुर-भॊथन की सनस्द्ळत सतसथ

दे ली भशारक्ष्भी की ऩूजा िाशे आऩ स्लमॊ कययशे शो मा

शं की बगलान श्रीयाभ ने आज शी के फदन याज्मायोशण

त्रलधान वे कयं । जल्दी-जल्दी ऩूजा खत्भ कयने का त्रलधान

उत्वल भनामा था औय तफ वे वभग्र अमोध्मा नगयी

ळास्त्रोक्त भत वे बी लस्जात शं । क्मोकी केलर लऴा भं एक

दीऩं के प्रकाळ वे जगभगा उठी। (बत्रलष्म ऩुयाण)

फाय शी वशी रेफकन ऩूणा त्रलसध-त्रलधान वे शी दे ली रक्ष्भी

का लणान धभाळास्त्रं भं नशीॊ शं । इव सरमे एवी भान्मता

फकवी त्रलद्रान ऩॊफडत वे कयला यशे शो, ऩूजा ऩूणा त्रलसध-

दीऩालरी के फदन घय के वबी वदस्मको प्रात्

की ऩूजा कयनी िाफशए।

उठकय

आफद

मफद आऩने ऩशरे वे कोई रक्ष्भी मॊि जैवे  श्री मॊि

व्मलवामीक स्थानं की वाप-वपाई कयके उवे ळुद्ध जरवे

(रक्ष्भी मॊि)  श्री मॊि (भॊि यफशत) श्री मॊि (वॊऩूणा

धो रेना िाफशए। व्मलवामीक स्थान ऩय नमे लस्त्र, गादी

भॊि वफशत) श्री मॊि (फीवा मॊि) श्री मॊि श्री

आफद वे ऩुयाने कलय आफद शटाकय नमे रगादे (मफद नमे

वूक्त मॊि श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम) श्री रषभी कुफेय

रेने का वाभथ्मा न शो तो उवे आगे वे धो कय स्लच्छ

धनाकऴाण

कय वुखारे), व्मलवामे वे वॊफॊसधत नमे फशी-खाता आफद

भशारक्ष्भमै

को स्थात्रऩत कयना िाफशमे। त्रलद्रानो के भतानुवाय कैळ

रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि रक्ष्भी दाता फीवा

फॉक्व, फशी-खाता, तुरा, रेखनी, आफद का कुॊकुभ वे

मॊि

स्लस्स्तक फनाकय ऩूजन कयना िाफशए उव ऩय शल्दी का

कनक धाया मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रद्ध

घोर फनाकय छीॊटे रगाने िाफशमे। ळास्त्रोक्त त्रलधान वे

दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि) श्री श्री मॊि (रसरता

रक्ष्भी ऩूजन केलर स्स्थय रग्न भं की वॊऩन्न कयना

भशात्रिऩुय

िाफशए। दीऩालरी के फदन भं प्राम् वाॊम कार भं ऩूजन

अॊकात्भक फीवा मॊि ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन

शे तु स्स्थय रग्न भं लृऴब रग्न एलॊ यािी कार भं सवॊश

मॊि धनदा मॊि शो एलॊ मफद आऩके ऩाव कोई जैन

रग्न शोता शं । इव सरए उक्त रग्नं भं शी भाॉ रक्ष्भी का

मॊि शं जैवे

ऩूजन वला श्रेद्ष भाना जाता शं ।

मॊि

जल्दी

प्रपुस्ल्रत

भन

वे

घय,

दक ु ान

मॊि

आकस्स्भक फीज

रक्ष्भी

वुन्दमै

श्री

मॊि

फीवा

प्रासद्ऱ फीवा

भशारक्ष्भी

मॊि

श्री

धन

गणेळ

रक्ष्भी

भशारक्ष्भमं

श्री

मॊि मॊि मॊि

भशामॊि)

श्री ऩद्मालती मॊि श्री ऩद्मालती फीवा ऩाद्वाऩद्मालती

ह्रंकाय

मॊि

ऩद्मालती

दीऩालरी के फदन प्रात् स्नानाफद सनत्म कभा वे

व्माऩाय लृत्रद्ध मॊि श्री मॊि श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय

सनलृत्त शोकय एक सभट्टी के ऩाि भं सवॊदयू को घी के

व्माऩाय लधाक मॊि श्री रक्ष्भीकय मॊि रक्ष्भी

वाथ सभराकय उवका रेऩ फनारे, फपय उववे अऩने ऩूजा

प्रासद्ऱ मॊि शो तो आऩ उव मॊि को स्थात्रऩत कय उवका

स्थान, घय के भुख्म द्राय मा व्मलवामीक स्थान ऩय ॐ,

धूऩ-दीऩ-नैलेद्य आफद वे ऩूजन कय वकते शं । मफद आऩके

श्रीॊ, श्री, स्लस्स्तक, ळुब-राब, रयत्रद्ध-सवत्रद्ध आफद अऩनी

ऩाव कोई बी रक्ष्भी मॊि उऩल्फध नशीॊ शो, तो आऩ

श्रद्धा एलॊ त्रलद्वाव वे भाॊगसरक सिन्श मा ळब्दं को अॊफकत

गुरुत्ल कामाारम द्राया प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ

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लताभान वभम भं भॊि सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत मॊि प्राद्ऱ कयने भं अवभथा शो तो, आऩ वद्ऱश्री मॊि का सनभााण कयरं, औय जफ आऩका वाभथ्मा शो जामे तफ आऩ अऩनी आलश्मक्ता के अनुवाय रक्ष्भी मॊि प्राद्ऱ कय वकते शं ।

दे ली ऩूजन शे तु ऩूजन शे तु ऩूला मा उत्तय फदळा श्रेद्ष शोती शं । इव

सरए उत्तय मा ऩूला दे ळा की औय भुख कयके वफवे ऩशरे शाथ

भं जर रेकय आिभन, ऩत्रलिीधायण, भाजान ल प्राणामाभ कयके ऩूजन वाभग्री एलॊ स्लमॊ के ऊऩय इव भॊि का उच्िायण कयते शुले जर सछिकं।

त्रलळेऴ नोट: 

ऩत्रलि कयण:-

मफद आऩके ऩाव ऩशरे वे असबभॊत्रित मा प्राण-

ॐ अऩत्रलि् ऩत्रलिं ला वलाालस्थाॊ गतोऽत्रऩ ला।

प्रसतत्रद्षत मॊि उऩरब्ध शो तो उवकी केलर धूऩ-दीऩ वे शी ऩूजा कयं , उव मॊि की ऩुन् प्राण-प्रसतद्षा मा उवे असबभॊत्रित कयलाने की आलश्मक्ता नशीॊ शोती। 

गुरुत्ल कामाारम द्राया उऩल्फध कयलामे गमे वबी मॊि ऩूणत ा ् ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त शोते शं , शभाये मशाॊ वे उऩरब्ध कयलामे गमे मॊि ऩूणत ा ् अखॊफडत एलॊ ळुद्ध धातु भं सनसभात शोते शं ।



रक्ष्भी ऩूजन के वभम प्राण-प्रसतत्रद्षत मॊिं को भाॉ रक्ष्भी की प्रसतभा मा सिि के वभीऩ स्थात्रऩत कय उवका ऩूजन फकमा जा वकता शं । रेफकन मॊि की अरगवे ऩूजा मा प्राण-प्रसतद्षा, भॊि जऩ इत्माफद नशीॊ कयना िाफशमे।

म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्याभ्मन्तय् ळुसि्॥

अथाात ्: भनुष्म अऩत्रलि शो मा ऩत्रलि मानी लश िाशे फकवी बी

दळा भं शो, जो कभर जैवे आॊखो लारे बगलान श्री त्रलष्णु का

स्भयण कयता शं लश फाशय औय बीतय वबी ओय वे ळुद्ध शो जाता शं ।

आवन ळुत्रद्ध औय स्लस्स्त-ऩाठ कय कयते शुले शाथ भं जरअषत आफद रेकय ऩूजन का वॊकल्ऩ कयं । वॊकल्ऩ:ॐ

त्रलष्णु्

वॊऩण ू ा ऩूजन त्रलधान फदमा जा यशा शं ।

भावे

कासताकभावे

कृ ष्णऩषे

ऩुण्मामाभभालास्मामाॊ सतथौ लावये ............(लाय का नाभ रे), (अऩने गोि का उच्िायण कयं ) गोिोत्ऩन्न: (अऩने नाभ का

उच्िायण के वाथ भं अशॊ रगामे) जोळीअशॊ (जैवे ळभााअशॊ , लभााअशॊ ,

वबी ऩाठको के भागादळान शे तु श्री रक्ष्भी जी का

भावोत्तभं

काभनामा

ऩाऩसनलृत्रत्त

गुद्ऱाअशॊ

इत्माफद)

सातासात ऩूलक ा ॊ

भशारक्ष्भीऩूजनॊ

श्रुसतस्भृसत

कासमकलासिक

स्स्थयरक्ष्भीप्राद्ऱमे

कुफेयादीनाॊ

ि

गौयीगणऩत्माफदऩूजनॊ ि करयष्मे।

ऩूजनॊ

ऩुयाणोक्त

भानसवक

परप्रासद्ऱ

वकर

श्रीभशारक्ष्भीप्रीत्मथं

करयष्मे।

तदड्त्लेन

रक्ष्भी ऩूजा:

अथाात ्: शे बगलान ् त्रलष्णु आज कासताक भाव, कृ ष्ण ऩष की

ऩूजन वाभग्री:

रं) को भं... (अऩना नाभ) भेये त्रऩता (अऩने त्रऩता का नाभ

ऩुण्म अभालस्मा अभुख लाय (ऩूजन के फदन के लाय का नाभ

योरी, भौरी, रंग, ऩान, वुऩायी, धूऩ, कऩूया , अगयफत्ती, अषत (वाफुत िालर), गुि, धसनमा, ऋतुपर, जौ, गेशूॉ, टू फ, ऩुष्ऩ, ऩुष्ऩभारा, िन्दन, सवन्दयू , दीऩक, रूई, प्रवाद, नारयमर, वलोऴसध, ऩॊियत्न, मसोऩलीत, ऩॊिाभृत, ळुद्ध जर, खीर, भजीठ,

रं) स्जनका भं ऩुि शूॊ अऩने ऩुण्मं के कायण जो सात-असात राब को प्राद्ऱ कयने के सरए, स्स्थय रक्ष्भी प्राद्ऱ कयने के सरमे भं मश रक्ष्भी ऩूजन कय यशा शूॉ ।

वपेद लस्त्र, रार लस्त्र, पुरेर, रक्ष्भी जील एलॊ गणेळ जी का

उक्त वॊकल्ऩ को ऩढ़कय जर, अषत आफद को गणेळजी के

इरामिी, भासिव, दस्षणा शे तु नकदी, िॉॊदी के सवक्के,

गणेळ ऩूजन वे ऩशरे नमी प्रसतभा को त्रलसधलत प्राण-प्रसतद्षा

सिि

मा

ऩाना,

िौकी

(फाजौट),

करळ,

घी,

कभरऩुष्ऩ,

फशीखाता, करभ तथा दलात इत्माफद आलश्मक वाभग्रीमाॊ।

वभीऩ छोि दे । फपय गणेळजी का ऩूजन कयं । कयं ।

नलम्फय 2013

41

मे बूता त्रलनकताायस्ते नद्शन्तु सळलासमा।'

प्रसतद्षा:प्रसतद्षा शे तु फामं शाथ भं अषत रेकय इव भॊि का उिायण

कयते शुए दाफशने शाथ वे उन अषतं को गणेळजी की प्रसतभा ऩय िढा़ते जामे..

ॐ भनो जूसतजुऴ ा ताभाज्मस्म फृशस्ऩसतमाससभभॊ तनोत्लरयद्शॊ मस

इव भॊि वे दळं फदळाओॊ भं त्रऩरा वयवं सछटके स्जवेव वभस्त बूत प्रेत फाधाओॊ का सनलायण शोता शै स्लस्ती लािन:-

वसभभॊ दधातु।

त्रलद्वे दे लाव इश भादमन्ताभोम्प्रसतद्ष।।

ॐ अस्मै प्राणा: प्रसतद्षन्तु अस्मै प्राणा: षयन्तु ि। अस्मै दे लत्लभिाामै भाभशे सत ि कद्ळन।।

उक्त त्रलसधवे प्रसतद्षा कय श्रीगणेळजी का ऴोडळोऩिाय ऩूजन कयं । तत्ऩद्ळमात ऴोडवभातृका (वोरश दे त्रलमं का) नलग्रश ल करळ

स्लस्स्त न इन्रो लृद्धश्रला: स्लस्स्त न: ऩूऴा त्रलद्वलेदा:।

स्लस्स्तनस्ता यषो अरयद्शनेसभ: स्लस्स्त नो फृशस्ऩसतादधात॥

इव के फाद श्री गणेळ जी के भॊगर ऩाठ कयना िाफशए जो की इव प्रकाय शै गणेळ जी का भॊगर ऩाठ:-

ऩूजन कयं । तत्ऩद्ळमात भुख्म ऩूजन के रुऩ भं दे ली बगलती भाॉ

वुभख ु द्ळैकदन्तद्ळ कत्रऩरो गजकणाक:।

भशारक्ष्भी का ऩूजन कयं ।

रम्फोदयद्ळ त्रलकटो त्रलघ्रनाळो त्रलनामक:॥ धूम्रकेतुगण ा ाध्मषो बारिन्रो गजानन:।

ऴोिळोऩिाय गणेळ ऩूजन

द्राद्रळैतासन नाभासन म: ऩठे च्छे णुमादत्रऩ॥

ऩत्रलि कयण:-

त्रलद्यायम्बे त्रललाशे ि प्रलेळे सनगाभे तथा।

वफवे ऩशरे ऩूजन वाभग्री ल गणेळ प्रसतभा मा सििका ऩत्रलि कयण कयं

अऩत्रलि् ऩत्रलिो ला वलाालस्थाॊ गतो त्रऩ ला।

म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्याभ्मन्तय् ळुसि्॥

इव भॊि वे ळयीय औय ऩूजन वाभग्री ऩय जर छीटं इवे अॊदय फाशय औय फशाय दोनं ळुद्ध शो जाता शै आिभन:-

ॐ केळलाम नभ: ॐ नायामण नभ: ॐ भध्लामे नभ:

आवान वुत्रद्ध:-

शस्तो प्रषल्म शसळाकेळम नभ :

वॊग्राभे वॊकटे िैल त्रलघ्रस्तस्म न जामते॥

एकाग्रसिन शोकय गणेळ का ध्मान कयना िाफशए श्री गणेळ का ध्मान कयं :गजाननॊ

त्ल ि धायम भा दे त्रल ऩत्रलि कुरू ि आवनभ॥्

वेत्रलतभ ्

कत्रऩत्थ

जम्फूपर

िारुबषणभ।् उभावुतभ ् ळोक त्रलनाळ कायकभ ् नभासभ त्रलघ्ननेद्वय

ऩाद ऩॊकजभ॥् ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् गणेळॊ ध्मामासभ भॊि का उच्िायण कयं । आह्वानॊ:इव भॊि वे श्री गणेळ का आशलान कये मा भन शी भन भं श्री गणेळ जी को ऩधायने के सरमे त्रलनसत कयं । शाथभं अषत रेकय आशलान कयं ।

ॐ ऩृथ्ली त्लमा धृता रोका दे त्रल त्ल त्रलद्गणुनाधृता्।

बूतगणाफद

आगच्छ बगलन्दे ल स्थाने िाि स्स्थयो बल

मालत्ऩूजाॊ करयष्मासभ तालत्लॊ वस्न्नधौ बल।। ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ्

गणेळॊ ध्मामासभ भॊि का उच्िायण कयके अषते डारदं .....

इव भॊि वे श्री गणेळ की भूसता मा प्रसतभा ऩय शल्दी मा

यषा भॊि:अऩक्राभन्तु बूतासन त्रऩळािा् वलातो फदळा। वलेऴाभलयोधेन ब्रह्मकभा वभायबे।

अऩवऩान्तु ते बूता् मे बूता् बूसभवॊस्स्थता्।

कुभकुभ वे यॊ गे िारल डारं। मफद प्रसतभा के प्रशरे वे प्राणप्रसतद्षा शो गई शं तो आलश्मक्ता नशीॊ शं तफ केलर वुऩायी ऩय शी िारल डारं।

नलम्फय 2013

42

स्भयण:-

ऩाद्यॊ:-

शाथभं ऩुष्ऩ रेकय श्री गणेळजी का स्भयण कयं । नभस्तस्भै गणेळाम वला त्रलध्न त्रलनासळने॥ कामाायॊबेऴु वलेऴु ऩूस्जतो म् वुयैयत्रऩ।

वुभख ु द्ळैक दॊ तद्ळ कत्रऩरो गजकणाक्॥

रॊफोदयद्ळ त्रलकटो त्रलघ्नननाळो त्रलनामक्।

धुम्रकेतुय ् गणाध्मषो बारिॊरो गजानन॥

द्रादळैतासन नाभासन म् ऩठे च्छृणु मादऽत्रऩ॥

उष्णोदकॊ सनभारॊ ि वला वौगन्ध वॊमत ु भ ्। ऩाद प्रषारनाथााम दत्तॊ ते प्रसतगृह्यताभ ्॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् ऩाद्यॊ वभऩामासभ॥ अघ्नमं:आिभनीभं जर, पूर, पर, िॊदन, अषत, दस्षणा इत्माफद शाथ भं यख कय सनम्न भॊि का उच्िायण कयं ...

अध्मा गृशाण दे लेळ गॊध ऩुष्ऩषतै् वश।

त्रलद्यायॊ बे त्रललाशे ि प्रलेळे सनगाभे तथा।

वॊग्राभे वॊकटे िैल त्रलघ्ननस्तस्म न जामते॥ ळुक्राॊफय धयॊ दे लॊ ळसळलणं ितुबज ुा भ ्।

प्रवन्न लदनॊ ध्मामेत ् वला त्रलघ्ननोऩळाॊतमे॥

जऩेद् गणऩसत स्तोिॊ ऴस्ड्बभाावे परॊ रबेत ्। वॊलत्ॊ वये ण सवत्रद्धॊ ि रबते नाि वॊळम्॥ लक्रतुड ॊ भशाकाम वूमक ा ोफट वभ प्रब।

सनत्रलघ्ना नॊ कुरु भे दे ल वला कामेऴु वलादा॥

असबस्प्वताथा सवद्धध्मथं ऩूस्जतो म् वुयावुयै्।

करुणा कुरु भं दे ल गृशाणाध्मै् नभोस्तुते॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् अघ्नमं वभऩामासभ भॊि का उच्िायण कयके अध्मा की वाभग्रीमा अत्रऩात कयदं ।

आिभन:-

वला तीथा वभामुक्तॊ वुगसॊ ध सनभार जरभ ्। आिम्मताॊ भमा दत्तॊ गृशीत्ला ऩयभेद्वयॊ ॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् आिभनॊ वभऩामासभ॥ स्नानॊ:-

गॊगा ि मभुना ये ला तुग ॊ बरा वयस्लसत।

वला त्रलघ्नन शयस्तस्भै गणासधऩतमे नभ्॥

त्रलघ्ननेद्वयाम लयदाम वुयत्रप्रमाम रॊफोदयाम वकराम जगस्त्धताम। नागाननाम श्रुसतमस त्रलबुत्रऴताम गौयीवुताम गणनाथ नभो नभस्ते॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् गणेळॊ स्भयासभ भॊि का उच्िायण कयके ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं

ऴोडळोऩिाय गणऩतीऩूजन:-

अस्मै प्राण् प्रसतद्षन्तु अस्मै प्राणा् षयन्तु ि। अस्मै दे लतभिीमा भाभशे सत ि कद्ळन॥

आवनॊ:आवन वभत्रऩात कयं । मफद ऩशरे वे लस्त्र त्रफछामा शुला शं तो उव स्थान ऩय शल्दी मा कुभकुभ वे यॊ गे अषत डारकय ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं ।

यम्मॊ वुळोबनॊ फदव्मॊ वला वौख्म कयॊ ळुबभ ्। आवनॊ ि भमादत्तॊ गृशाण ऩयभेद्वय॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् आवनॊ वभऩामासभ॥

मफद द्ऴोक ऩढने भं कफठनाई शो तो आवन वभऩाासभ श्री गॊ गणेळाम नभ् का उच्िायण कयते शुले गणेळ जी के ियण धोमे।

कालेयी वफशता नद्य् वद्य् स्नाथाभत्रऩत ा ा॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् स्नानॊ वभऩामासभ भॊि का उच्िायण कयते शुले स्नान कयामे।

ऩॊिाभृत स्नान:तत ऩद्ळमात ऩॊिाभृत वे क्रभळ् दध ू , दशी, घी, ळशद, ळक्कय वे स्नान कया कय ळुद्धजर मा गॊगाजर वे उक्त भॊि वे ऩुन् स्लच्छ कयरे। तत ऩद्ळमात ळुद्ध लस्त्र वे ऩोछ कय प्रसतत्रद्षत कयं । दध ू स्नान:-

काभधेनु वभुत्ऩनॊ वलेऴाॊ जीलन ऩयभ ्।

ऩालनॊ मस शे तद्ळ ु ऩम: स्नानाथाभत्रऩातभ ्॥

इव के स्थान ऩय ऩम् स्नानभ ् वभऩामासभ गॊ गणेळाम नभ् का उच्िायण कये तथा ऩम् के स्थान ऩय दध ू कशं , दशीॊ कशं , धृतभ ् कशं , भधु कशं , ळकाया कशं के स्नान कयामे।

ऩमवस्तु वभुद्भूतॊ भधुयाम्रॊ ळसळप्रबभ।्

दध्मानीतॊ भमा दे ल स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ॥् नलनीतवभुत्ऩन्नॊ वलावत ॊ ोऴकायकभ।्

घृतॊ तुभ्मॊ प्रदास्मासभ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ॥्

नलम्फय 2013

43

तरु ऩुष्ऩ वभुत्ऩन्नॊ वुस्लादु भधुयॊ भधु ।

तेज् ऩुत्रद्शकयॊ फदव्मॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ॥् इषुवायवभुद्भूताॊ ळकायाॊ ऩुत्रद्शदाॊ ळुबाभ।्

भराऩशारयकाॊ फदव्मॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ॥् ऩमो दसध धृत िैल भधु ि ळकायामुतभ ्।

लस्त्रॊ:-

भमा सनलेफदता बक्त्मा गृशाण ऩयभेद्वरय॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् अषतान ् वभऩामासभ॥

ऩुष्ऩ:-

ततऩद्ळमात ऩुष्ऩ भारा आफद िढामे।

भाल्मादीसन वुगन्धीसन भारत्मादीसन लै प्रबो।

ऩॊिाभृत भमानीतॊ वनानाथा प्रसतघृशमताभ॥

ऩॊिाभृत स्नान के फाद स्लच्छ कय के लस्त्र ऩशनामे मा वभत्रऩत ा कयं ।

वला बूऴाफदके वौम्मे रोकरज्जा सनलायणे ।

भमा नीतासन ऩुष्ऩास्ण गृशाण ऩयभेद्वय॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् ऩुष्ऩास्ण वभऩामासभ॥

दल ू ाा:-

ततऩद्ळमात दल ू ाा िढामे।

दल ु ाा कयान्वश रयतान भृतन्भॊगर प्रदान।

भमोऩऩाफदते तुभ्मॊ लाववी प्रसतगृशीताभ ् ॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् लस्त्रोऩलस्त्रे वभऩामासभ॥

आनी ताॊस्तल ऩूजाथा गृशाण ऩयभेद्वय॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् दल ू ांकुयान वभऩामासभ॥

आबूऴण:-

मसोऩलीत:ततऩद्ळमात सनम्न भॊि वे मसोऩलीत ऩशनामे

ततऩद्ळमात आबूऴण िढामे।

अरॊकायान्भशाफदव्मान्नानायतन त्रलसनसभातान।

नलसभस्तॊतसु बमुक्त त्रिगुणॊ दे लताभमॊ।

वऩफीतॊ भमा दत्तॊ गृशाण ऩयभेद्वयभ ्॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् मसोऩत्रलतॊ वभऩामासभ॥

गृशाण दे ल-दे लेळ प्रवीद ऩयभेद्वय॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् आबूऴण वभऩामासभ॥

इि:-

ततऩद्ळमात इि अथाात ् वुगसॊ धत तेर िढामे।

िॊदन:-

िम्ऩकाळो लकुरॊ भारती भोगयाफदसब्।

ततऩद्ळमात रार िॊदन िढामे।

श्रीखण्ड िन्दन फदव्मॊ केळयाफद वुभनीशयभ ्।

त्रलरेऩनॊ वुश्रद्ष िन्दनॊ प्रसतगृशमतभ ्॥ ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री कुॊकुॊभ:-

गणेळाम नभ् कुॊकुभॊ वभऩामासभ॥

ततऩद्ळमात कुॊकुॊभ अलीय-गुरार िढामे।

लासवतॊ स्स्नग्ध तावेरु तैरॊ िारु प्रगृशमातभ ्॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् तैरभ ् वभऩामासभ॥ धूऩ:-

ततऩद्ळमात धूऩ आफद जरामे।

लनस्ऩसत यवोद्भूतो गॊधाढ्मो गॊध उत्तभ्।

कुॊकुॊभ काभना फदव्मॊ काभना काभ वॊबलभ ्।

आध्नम वला दे लानाॊ धूऩोमॊ प्रसतगृह्यताभ ्॥

कुॊकुॊभ नासिातो दे ल गृशाण ऩयभेद्वयभ ्॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् कुॊकुभॊ वभऩामासभ॥

सवॊदयू :-

ततऩद्ळमात सवॊदयू िढामे।

दीऩ:-

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् धूऩॊ वभऩामासभ॥

ततऩद्ळमात दीऩ आफद जरामे।

आज्मेन लसताना मुक्तॊ लफिना ि प्रमोस्जतभ ् भमा।

सवॊदयू ॊ ळोबनॊ यक्तॊ वौबाग्मॊ वुखलधानभ ्। ळुबदॊ काभदॊ िैल सवॊदयू ॊ प्रसतगृशमताभ।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् सवॊदयू ॊ वभऩामासभ॥

अषत:-

ततऩद्ळमात शल्दी मा कुॊकुॊभ वे यॊ गे अषत िढामे।

अषताद्ळ वुयश्रेद्ष कुॊकुभाक्ता् वुळोसबता्।

दीऩॊ गृशाण दे लेळ िेरोक्म सतसभयाऩश॥।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् दीऩॊ दळामासभ॥

नैलेद्य:-

ततऩद्ळमात नैलेद्य अत्रऩत ा कयं ।

ळकाया खॊडखाद्यासन दसधषीय घृतासन ि।

आशायॊ बक्ष्मॊ बोज्मॊ ि गृशाण गणनामक।

नलम्फय 2013

44

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् नैलेद्यॊ सनलेदमासभ॥ ततऩद्ळमात नैलेद्य ऩय जर सछडके।

गॊ गणऩतमे नभ्

आयती:नीयाजन-आयती प्रगट कय उवभं िॊदन-ऩुष्ऩ रगामे कऩुय प्रज्लसरत कयं ।

िॊराफदत्मौ ि धयस्ण त्रलद्युदस्ग्न त्लभेल ि।

त्लभेल वला ज्मोसतत्रऴ आतॉक्मॊ प्रसतगृह्यताभ ्॥

ततऩद्ळमात इव भॊि का उच्िायण कयते शुले ऩाॊि फाय बोजन

कऩुया ऩूयेण भनोशये ण वुलणा ऩािान्तय वॊस्स्थतेन।

कयामे.....

ॐ प्राणाम नभ्। ॐ अऩानाम नभ्। ॐ व्मानाम नभ्। ॐ उदानाम नभ्। ॐ वभानाम नभ्।

प्रफदद्ऱबावा वशगतेन नीयाजनॊ ते ऩरयत कयोसभ।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् नीयाजनॊ वभऩामासभ।

ततऩद्ळमात इव भॊि का उच्िायण कयते शुले जर अत्रऩात कयं ।

॥श्री गणेळ आयसत॥

भध्मे ऩानीमॊ वभऩामासभ।

जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला

फपय वे उक्त भॊि का ऩाॊि फाय उच्िायण कयते शुले ऩाॊि फाय बोजन

जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला.

कयामे....

भाता जाकी ऩायलती त्रऩता भशादे ला॥ जम गणेळ.....

ततऩद्ळमात इव भॊि का उच्िायण कयते शुले तीन फाय जर अत्रऩात कयं ....

ॐ गणेळाम नभ् उत्तय ऩोऴणॊ वभऩामासभ।

ॐ गणेळाम नभ् शस्त प्रषारनॊ वभऩामासभ। ॐ गणेळाम नभ् भुख प्रषारनॊ वभऩामासभ।

एकदन्त दमालन्त िायबुजाधायी भाथे ऩय सतरक वोशे भूवे की वलायी॥ जम गणेळ..... ऩान िढ़े पर िढ़े औय िढ़े भेला रड्डु अन का बोग रगे वन्त कयं वेला॥ जम गणेळ..... अॊधे को आॉख दे त कोफढ़न को कामा

शाथ वे बोजन की गॊध दयू कयने शे तु िॊदनमुक्त ऩानी अत्रऩात कयं ।

फाॉझन को ऩुि दे त सनधान को भामा॥ जम गणेळ.....

ॐ गणेळाम नभ् कयोद्रतानाथे गॊधॊ वभऩामासभ.

भुख ळुत्रद्ध शे तु ऩान-वुऩायी इरामिी औय रलॊग अत्रऩत ा कयं ।

एरारलंग वॊमक्त ु ॊ ऩुगीपरॊ वभस्न्लतभ,् ताॊफर ु ॊ ि भमा दत्तॊ गृशाण गणनामक.

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् भुखलावॊ वभऩामासभ।

' वूय' श्माभ ळयण आए वपर कीजे वेला जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला॥ जम गणेळ..... आयती के िायो औय जर घुभामे फपय गणेळजी को आयती फदखामे खुद आयती रेकय शाथ धोरे।

फपय दोनो शाथकी अॊजसरभं ऩुष्ऩ रेकय ऩुष्ऩाॊजसर दं ।

दस्षणा:-

नाना वुगध ॊ ी ऩुष्ऩास्ण ऋतुकारोद्भलासन ि।

ततऩद्ळमात दस्षणा अत्रऩत ा कयं ।

फशयण्म गबा गबास्थॊ शे भफीजॊ त्रलबालवो।

अनॊत ऩूण्म परदभत् ळाॊसतॊ प्रमच्छ भे॥।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् दस्षणाॊ वभऩामासभ।

ऩुष्ऩाॊजसर प्रदानेन प्रवीद गणनामक।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् ऩुष्ऩाॊजसर वभऩामासभ। प्राथाना:

त्रलघ्ननेद्वयाम लयदाम वुयत्रप्रमाम रॊफोदयाम वकराम

प्रदस्षणा:-

ततऩद्ळमात प्रदस्षणा कयं ।

मासन कासन ि ऩाऩासन जन्भान्तय कृ तासन ि। तासन वलाास्ण नश्मन्तु प्रदस्षणा ऩदे ऩदे ।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् प्रदस्षणाॊ कयोसभ।

जगत्रद्धताम। नागाननाम श्रुसतमस त्रलबुत्रऴताम गौयीवुताम गणनाथ नभो नभस्ते। बक्तासतानाळन ऩयाम गणेद्वयाम वलेद्वयाम ळुबदाम

वुयेद्वयाम। त्रलद्याधयाम त्रलकटाम ि लाभनाम बत्रक्त प्रवन्न लयदाम नभो नभस्ते।

नलम्फय 2013

45

ऩुष्ऩ औय अषत वे कयं । अन्म कोद्षकं भं भॊि उच्िारयत कयते

नभस्काय:

शुए आह्वान कयं ।

रॊफोदय नभस्तुभ्मॊ वतत भोदक त्रप्रम।

सनत्रलघ्ना नॊ कुरु भे दे ल वला कामेऴु वलादा।

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् नभस्कायान ् वभऩामासभ।

भातृकाओॊ का आह्वान एलॊ स्थाऩना भॊि :इव भॊिं भं ऴोडळभातृकाओॊ का आह्वान कयं ..

त्रलळेऴ अध्मा:

ॐ गणऩतमे नभ्। गणऩसतभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥

आिभनी भं जर, िालर, पूर, पर, िॊदन दस्षणा आफद अध्मा भं

ॐ गौमै नभ्। गौयीभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१॥

रे

यष यष गणाध्मष यष िेरोक्म यषक।

ॐ ऩद्मामै नभ्। ॐ ऩद्मालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥२॥ ॐ ळच्मै नभ्। ळिीभालाशमासभ, स्थाऩमासभ॥३॥

बक्तनाभ बमॊकताा िाता बलबलाणालात ्॥

ॐ भेधामै नभ्। भेधाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥४॥

परेन पसरतॊ तोमॊ परेन पसरतॊ धनभ ्।

ॐ वात्रलत्र्मै नभ्। वात्रलिीभालाशमासभ स्थाऩमासभ ॥५॥

परास्मघ्नमं प्रदानेन ऩूणाा वन्तु भनोयथा्॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् त्रलळेऴाघ्नमं वभऩामासभ।

षभाऩन:

ॐ त्रलजमामै नभ्। त्रलजमाभालाशमाभ, स्थाऩमासभ ॥६॥ ॐ जमामै नभ्। जमाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥७॥ ॐ दे लवेनामै नभ्। दे लवेनाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥८॥

आह्वानॊ न जानासभ न जानासभ त्रलवजानभ ्।

ॐ स्लधामै नभ्। स्लधाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥९॥

ऩूजाॊ िैल न जानासभ षभस्ल गणनामक॥

ॐ सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळाम नभ् षभाऩनॊ वभऩामासभ॥ अनमा ऩूज्मा सवत्रद्धफुत्रद्ध वफशत श्री गणेळ् त्रप्रमताभ ्॥

ॐ स्लाशामै नभ्। स्लाशाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१०॥ ॐ भातृभ्मोनभ्। भातृ् आलाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥११॥ ॐ रोकभातृभ्मो नभ्। रोकभातृ् आलाशमासभ, स्थाऩमासभ॥१२॥

ऴोडळभातृका ऩूजन ऴोडळभातृकाओॊ की स्थाऩना शे तु पळा ऩय वोरश कोद्शकं का िौकोय भॊडर फनामे।

ॐ धृत्मै नभ्। धृसतभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१३॥ ॐ ऩुष्ट्मै नभ्। ऩुत्रद्शभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१४॥

ऩस्द्ळभ फदळा वे ऩूला फदळा की ओय क्रभळ् भातृकाओॊ की

ॐ तुष्ट्मै नभ्। तुत्रद्शभालाशमासभ, स्थाऩमासभ॥१५॥

ऩशरे कोद्षक भं गौयी का आह्वान कये । रेफकन गौयी के आह्वान

स्थाऩमासभ ॥१६॥

स्थाऩना कयं । प्रत्मेक कोद्षक भं यक्त अषत, जौ मा गेशूॉ यखं।

ॐ आत्भन् कुरदे लतामै नभ्। आत्भन् कुरदे ताभालाशमासभ,

वे ऩशरे बगलान गणेळ का आह्वान कयं । गणेळ का आह्वान

इव भॊि द्राया ऴोडळभातृकाओॊ का आह्वान, स्थाऩना कयं -

ॐ भनोजूसतजुऴ ा ताभाज्मस्मफृशस्ऩसतमाससभभन्तनी

ऩूला रोकभातय्

दे लवेना

भेधा

12

8

4

तुत्रद्श्

भातय्

जमा

ळिी

15

11

7

3

ऩुत्रद्श्

स्लाशा

त्रलजमा

ऩद्मा

14

10

6

2

धृसत्

स्लधा

वात्रलिी

गणेळ-गौयी

13

9

5

1

आत्भन् कुरदे लता

16

उ त्त य

ऩस्द्ळभ

त्लरयद्शॊमसठा वसभभॊदधातु॥ त्रलद्वेदेलाव इश भादमन्ताभोऽम्प्रसतद्ष॥

द स्ष ण

अषत छोिते शुए भातृका-भॊडर की प्रसतद्षा कयं ।

“ॐ गणेळवफशतगौमााफदऴोडळभातृकाभ्मो नभ्”

इव भॊि वे ऩॊिोऩिाय ऩूजन कयं । नैलेद्य भं गुड तथा घी का नेलद्य ै रगामे । प्राथाना :-

ॐ गणेळ वफशतगौमााफद ऴोडळभातृकाभ्मो नभ्।

अनमा ऩूजमा गणेळवफशत गौमााफदऴोडळभातय् प्रीमन्ताभ,् न भभ ।

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इव भॊि के वाथ अषत अत्रऩत ा कयने के फाद नभस्काय कयं औय फपय इव भॊि का उच्िायण कयं -

गौयी ऩद्मा ळिी भेधा वात्रलिी त्रलजमा जमा । दे लवेना स्लधा स्लाशा भातयो रोकभातय् ॥ धृसत् ऩुत्रद्शस्तथा तुत्रद्शयात्भन् कुरदे लता ।

गणेळेनासधका ह्येता लृद्धौ ऩूज्माद्ळ ऴोडळ् ॥

भातृकाऩूजन के ऩद्ळमात नलग्रश ऩूजन कयं ।

प्राथाना :जऩाकुवुभवॊकाळॊ काश्मऩेमॊ भशद्युसतभ ्।

तभोऽरयॊ वलाऩाऩघ्ननॊ प्रणतोऽस्स्भ फदलाकयभ ् ॥१॥ दसध ळॊख तुऴायाबॊ षीयोदाणाल वॊबलभ ्।

नभासभ ळसळनॊ वोभॊ ळम्बो् भुकुट बूऴणभ ्॥२॥ धयणी गबा वॊबत ू ॊ त्रलद्युत्कास्न्तवभप्रबभ ्।

कुभायॊ ळत्रक्त शस्तॊ ि भॊगरॊ प्रणभाम्मशभ ्॥३॥ त्रप्रमॊगक ु सरकाश्माभॊ रूऩेणाप्रसतभॊ फुधभ ्।

नलग्रश ऩूजन नलग्रश-ऩूजन के सरए नलग्रश फीवा मन्ि अथला

नलग्रश भॊडर की स्थाऩना रार लस्त्र ऩय अषत के ऊऩय कयं । ऩशरे ग्रशं का आह्वान कयके उनकी स्थाऩना की जाती शै । फाएॉ

शाथ भं अषत रेकय इव भॊि का उच्िायण कयते शुए दाएॉ शाथ वे अषत अत्रऩात कयते शुए ग्रशं का आह्वान कयं । प्राथाना एलॊ स्थाऩना भॊि :

ॐ ब्रह्मा भुयारयस्स्त्रऩुयान्तकायी बानु् ळळी बूसभवतो फुधश्ि । गुरुश्ि ळुक्र् ळसन याशुकेतल् वलेग्रशा् ळाॊसतकया बलन्तु ॥ वूम्ा ळौमाभथेन्दरु ु च्िऩदलीभ ् वन्भॊगरभ ् भॊगर्।

वद्बत्रु द्धभ ् ि फुधो गुरुद्ळ गुरुताभ ् ळुक्र वुखभ ् ळॊ ळसन् । याशुफााशुफरॊ कयोतु वततभ ् केतु् कुरस्मोन्नसतभ ्

सनत्मभ ् प्रीसतकया बलन्तु भभ ते वलेऽनकूरा ग्रशा् ॥

आह्वान :

इव भॊि वे नलग्रशं का आह्वान कयके उनका ऩूजन कयं :

अस्स्भन नलग्रशभॊडरे आलाफशता् वूमााफदनलग्रशा दे ला् वुप्रसतत्रद्षता लयदा बलन्तु ।

प्रसतद्षा :शाथ भं अषत रेकय इव भॊि वे का उच्िायण कय उवे नलग्रश भॊडर भं प्रसतद्षा के सरए अत्रऩात कयं ।

ॐ भनो जूसतजुऴ ा ताभाज्मस्म फृशस्ऩसतमाससभभॊ ततनोत्लरयद्शॊ मसॊ वसभभॊ दधातु।

त्रलद्वे दे लाव इश भादमन्ताभोऽम्प्रसतद्ष ॥ ऩूजन:तत्ऩद्ळात इव भॊि के वाथ नलग्रशं का ऩॊिोऩिाय ऩूजन कयं “गॊधऩुष्ऩधूऩदीऩनैलद्य े ाफदनी वभऩामाभी”

कशकय गॊध, ऩुष्ऩ,

धूऩ, दीऩ, नैलेद्य अत्रऩात कयं ।

वौम्मॊ वौम्मगुणोऩेतॊ तॊ फुधॊ प्रणभाम्मशभ ्॥४॥ दे लानाॊ ि ऋऴीणाॊ ि गुरुॊ काञ्िन वॊसनबभ ्।

फुत्रद्धबूतॊ त्रिरोकेळॊ तॊ नभासभ फृशस्ऩसतभ ्॥५॥ फशभ कुन्द भृणाराबॊ दै त्मानाॊ ऩयभॊ गुरुभ ्।

वला ळास्त्र प्रलक्तायॊ बागालॊ प्रणभाम्मशभ ्॥६॥ नीराॊजन वभाबावॊ यत्रलऩुिॊ मभाग्रजभ ्।

छामाभाताण्डवॊबत ू ॊ तॊ नभासभ ळनैद्ळयभ ्॥७॥ अधाकामॊ भशालीमं िन्राफदत्म त्रलभदा नभ ्।

सवॊफशका गबा वॊबत ू ॊ तॊ याशुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥८॥ ऩराळ ऩुष्ऩ वॊकाळॊ तायका ग्रश भस्तकभ ्।

यौरॊ यौरात्भकॊ घोयॊ तॊ केतुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥९॥

इसत व्माव भुखोद् गीतॊ म् ऩठे त ् वुवभाफशत्।

फदला ला मफद ला यािौ त्रलघ्नन ळास्न्त् बत्रलष्मसत॥१०॥ नय नायी नृऩाणाॊ ि बलेद् द्ु स्लप्न नाळनभ ्।

ऐद्वमं अतुरॊ तेऴाभ ् आयोग्मॊ ऩुत्रद्श लधानभ ्॥११॥ गृश नषिजा् ऩीडा स्तस्कयास्ग्न वभुद्भला्।

ता् वलाा् प्रळभॊ मास्न्त व्मावो ब्रू ते न वॊळम्॥१२॥ ॥ इसत श्रीव्माव त्रलयसितॊ नलग्रशस्तोिॊ वॊऩण ू भ ा ्॥

करळ ऩूजन(लरुण ऩूजन )

करळ स्थात्रऩत कयने शे तु रकिी की िौकी ऩय अद्शदर

कभर फनाकय उव ऩय धान्म(गेशूॉ) त्रफछा दं । करळ (करळ शे तु सभट्टी अथला ताॊफे का रोटा रं) ऩय योरी वे स्लास्स्तक

का सिन्श फनाकय रोटे ऩय तीन धागे लारी भौरी (नािाछडी़, कराला, ऩॊियॊ गी धागा ) रऩेटं ल धान्म ऩय करळ यखकय जर वे बय दं एलॊ उवभं िॊदन, दफ ू , ऩाॉि ऩत्ते (फयगद, गूरय,

ऩीऩर, आभ, ऩाकि अथला ऩान के ऩत्ते), कुळा एलॊ गौळारा

आफद की सभट्टी, वुऩायी, ऩॊियत्न (मथाळत्रक्त) ल रव्म छोि दं । नारयमर ऩय रार कऩिा रऩेटकय, िालर वे बये एक ऩूणा ऩाि

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को करळ ऩय स्थात्रऩत कय उव ऩय नारयमर यख दं । शाथ जोिकय करळ भं लरुण दे लता का आह्वान कयं :स्थाऩना :-

त्रलद्वे दे लाव इश भादमन्ताभोम्प्रसतद्ष।।

ॐ अस्मै प्राणा: प्रसतद्षन्तु अस्मै प्राणा: षयन्तु ि। अस्मै दे लत्लभिाामै भाभशे सत ि कद्ळन।।

करळ भं जर बयकय सनम्न भॊि का उच्िायण कयं :-

इत्माफद ळास्त्रोक्त भॊिं का उिायण कय प्राण-प्रसतद्षा कयं ।

ऋतवदन्मसव लरुणस्म ऋतवदन्भसव लरुणस्म ऋतवदनभा वीद॥

तत्ऩद्ळमात शाथ भं ऩुष्म रेकय इव भॊि का उच्िायण कयते शुले

ॐ लरुणस्मोत्तम्बनभसव लरुणस्म स्कम्बवजानी स्थो लरुणस्म।

आह्वान :-

ध्मान:रक्ष्भी दे ली का ध्मान कयं ..

मा वा ऩद्मावनस्था त्रलऩुरकफटतटी ऩद्मऩिामताषी,

ततऩद्ळमात वुऩायी औय ऩॊि यत्न आफद जर करळ भं डार दं । इवके फाद करळ ऩय िालर का ऩाि यखकय रार लस्त्र वे रऩेटा नारयमर यखना दे । अफ लरुण दे लता का स्भयण कयते शुए आह्वान कयं -

ॐ बूबल ुा ् स्ल् बो लरुण इशागच्छ, इशसतद्ष, स्थाऩमासभ ऩूजमासभ ि।

गम्बीयालतानासबस्तनबयनसभता ळुभ्रलस्त्रोत्तयीमा ।

मा रक्ष्भीफदा व्मरूऩैभस्ा णगणखसितै् स्नात्रऩता शे भकुम्बै्

वा सनत्मॊ ऩद्मशस्ता भभ लवतु गृशे वलाभाॊगल्ममुक्ता ॥ ॐ फशयण्मलणां शरयणॉ वुलणायजतस्त्रजाभ ् ।

ध्मान ल प्राथाना :ततऩद्ळमात करळ ऩय वफ दे लताओॊ का ध्मान कयं एलॊ िॊदन, अषत, धूऩ, दीऩ, नैलेद्य अत्रऩात कय ऩूजन कयं । इव भॊि का उच्िायण कयं :-

करळस्म भुखे त्रलष्णु् कॊठे रुर् वभासश्रत् । भूरे त्लस्म स्थतो ब्रह्मा भध्मे भातृगणा् स्भृता् ॥ कुषौ तु वागया् वले, वद्ऱद्रीऩा लवुध ॊ या् । अजुन ा ी गोभती िैल िॊरबागा वयस्लती ॥

कालेयी कृ ष्णलेणी ि गॊगा िैल भशानदी । ताद्ऱी गोदालयी िैल

भाशे न्री नभादा तथा ॥ नदाद्ळ त्रलत्रलधा जाता नद्य् वलाास्तथाऩया् । ऩृसथव्माॊ मान तीथाासन करळस्तासन तासन लै् ॥ वले वभुरा् वरयतस्तीथमाासन जरदा नदा् । आमान्तु भभ काभस्म दरु यतषमकायका् ॥ ॐ अऩाॊ ऩतमे लरुणाम नभ् । ॐ लरुणाद्यालाफशत दे लताभ्मो नभ्।

वभऩाण :"कृ तेन अनेन ऩूजनेन करळे लरुणाद्यालाफशतदे लता् प्रीमन्ताॊ न भभ।"

िन्राॊ फशयण्भमी रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ध्मानाथे ऩुष्ऩास्ण वभऩामासभ ।

(ध्मान के सरए शाथ भं सरमे शुले ऩुष्ऩ दे ली को अत्रऩात कयं ।)

आह्वान:-

तत्ऩद्ळमात शाथ भं ऩुष्म रेकय इव भॊि का उच्िायण कयते शुले रक्ष्भी दे ली का आह्वान कयं ..

वलारोकस्म जननीॊ वलावौख्मप्रदासमनीभ ् ।वलादेलभमीभीळाॊ दे लीभालाशमाम्मशभ ् ॥ ॐ ताॊ भ आ लश जातलेदो

रक्ष्भीभनऩगासभनीभ।् मस्माॊ फशयण्मॊ त्रलन्दे मॊ गाभद्वॊ ऩुरुऴानशभ ्॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भशारक्ष्भीभालाशमासभ, आलाशनाथे ऩुष्ऩास्ण वभऩामासभ ।

(आह्वान के सरए शाथ भं सरमे शुले ऩुष्ऩ दे ली को अत्रऩात कयं ।) आवन :तत्ऩद्ळमात शाथ भं कभर ऩुष्म मा अन्म रेकय इव भॊि का उच्िायण कयं ..

तद्ऱकाॊिनलणााबॊ भुक्ताभस्णत्रलयास्जतभ ् ।

रक्ष्भी ऩूजन

अभरॊ कभरॊ फदव्मभावनॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ अद्वऩूलां यथभध्माॊ शस्स्तनादप्रभोफदनीभ ् ।

ऩूजन वे ऩूला नमी रक्ष्भी प्रसतभा तथा रव्मरक्ष्भी की

सश्रमॊ दे लीभुऩह्वमे श्रीभाा दे ली जुऴताभ ् ॥

प्राणप्रसतद्षा कयं :प्रसतद्षा शे तु फामं शाथ भं अषत रेकय इव भॊि का उिायण

कयते शुए दाफशने शाथ वे उन अषतं को रक्ष्भीजी की प्रसतभा ऩय िढा़ते जामे..

ॐ भनो जूसतजुऴ ा ताभाज्मस्म फृशस्ऩसतमाससभभॊ तनोत्लरयद्शॊ मस वसभभॊ दधातु।

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आवनॊ वभऩामासभ ।

(आवन के सरए शाथ भं सरमे शुले ऩुष्ऩ दे ली को अत्रऩात कयं ।)

ऩाद्य :-

तत्ऩद्ळमात िन्दन ऩुष्ऩाफद मुक्त जर रेकय इव भॊि का उच्िायण कयं ..

नलम्फय 2013

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गॊगाफदतीथावम्बूतॊ गन्धऩुष्ऩाफदसबमुत ा भ् ।

ऩाद्यॊ ददाम्मशॊ दे त्रल गृशाणाळु नभोऽस्तुते ॥

ॐ काॊ वोस्स्भताॊ फशयण्मप्राकायाभारां ज्लरन्तीॊ तृद्ऱाॊ तऩामन्तीभ।् ऩद्मेस्स्थताॊ ऩद्मलणां तासभशोऩह्वमे सश्रमभ ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩादमो् ऩाद्यॊ वभऩामासभ ।

(ऩाद्य शे तु शाथ भं सरमे शुले िन्दन ऩुष्ऩफदमुक्त जर अत्रऩात कयं ।)

अघ्नमा :-

तत्ऩद्ळमात अद्शगन्धसभसश्रत जर रेकय इव भॊि का उच्िायण कयं ..

अद्शगन्धवभामुक्तॊ स्लणाऩािप्रऩूरयतभ ् ।

अघ्नमं गृशाण भद्दतॊ भशारस्क्ष्भ नभोऽस्तु ते ॥

(गाम के कच्िे दध ू वे स्नान कयामे, ऩुन् ळुद्ध जर वे स्नान कयामे।)

दसधस्नान :-

ऩमवस्तु वभुद्भूतॊ भधुयाम्रॊ ळसळप्रबभ ् । दध्मानीतॊ भमा दे त्रल

स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥ ॐ दसधक्राव्णो अकारयऴॊ स्जष्णोयद्वस्म लास्जन् वुयसब नो भुखा कयत्प्र ण आमूत्रऴ तारयऴत ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दसधस्नानॊ वभऩामासभ। दसधस्नानान्ते ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

(दशी वे स्नान कयामं, फपय ळुद्ध जर वे स्नान कयामं।) घृत स्नान :-

ॐ िन्राॊ प्रबावाॊ मळवा ज्लरन्तीॊ सश्रमॊ रोके दे लजुद्शाभुदायाभ ् ।

नलनीतवभुत्ऩन्नॊ वलावत ॊ ोऴकायकभ ् । घृतॊ तुभ्मॊ प्रदास्मासभ

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। शस्तमोयघ्नमं वभऩामासभ ।

लवाऩालन् त्रऩफतान्तरयषस्म शत्रलयसव स्लाशा । फदळ् प्रफदळ

ताॊ ऩद्मनीभीॊ ळयणॊ प्रऩद्येऽअरक्ष्भीभे नश्मताॊ त्लाॊ लृणे ॥

(अद्शगॊध सभसश्रत जर को दे ली के शाथं ऩय वभत्रऩात कयं ।) आिभन :तत्ऩद्ळमात आिभन के सरए जर रेकय इव भॊि का उच्िायण कयं ..

वलारोकस्म मा ळत्रक्तब्रह्मत्रलष्ण्लाफदसब् स्तुता । ददाम्मािभनभ ् तस्मै भशारक्ष्म्मै भनोशयभ ् ॥

ॐ आफदत्मलणे तऩवोऽसध जातो लनस्ऩसतस्तल लृषोऽथत्रफल्ल् । तस्म परासन तऩवा नुदन्तु भामा अन्तया माद्ळ फाह्या अरक्ष्भी्॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आिभनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।

(आिभन के सरए सरमे शुले जर को िढ़ामे।)

स्नान:-

तत्ऩद्ळमात स्नान के सरए जर रेकय इव भॊिका उच्िायण कयं ..

भन्दाफकन्मा् वभानीतैशेशभाम्बोरुशलासवतै्। स्नानॊ कुरुष्ल दे लेसळ वसररैद्ळ वुगस्न्धसब्॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। स्नानॊ वभऩामासभ।

(स्नानीम जर अत्रऩात कयं ।)

स्नानान्ते आिभनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।

स्नानके फाद 'ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्' फोरकय आिभन शे तु जर दं । दग्ु ध स्नान :

काभधेनव ु भुत्ऩन्नॊ वलेऴाॊ जीलनॊ ऩयभ ् । ऩालनॊ मसशे तद्ळ ु ऩम् स्नानाथाभत्रऩातभ ् ॥ ॐ ऩम् ऩृसथव्माॊ ऩम औऴधीऴु ऩमो

फदव्मन्तरयषे ऩमो धा् । ऩमस्लती् प्रफदळ् वन्तु भह्यभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, ऩम् स्नानॊ वभऩामासभ । ऩम् स्नानान्ते ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥ ॐ घृतॊ घृतऩालन् त्रऩफत लवाॊ

आफदळो त्रलफदळ उफद्दळो फदग्भ्म् स्लाशा ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।

घृतस्नानॊ वभऩामासभ । घृतस्नानान्ते ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ।

(घृत [घी] स्नान कयामं, फपय ळुद्ध जर वे स्नान कयामं।)

भधु स्नान :-

तरुऩुष्ऩवभुद्भूतॊ वुस्लादु भधुयॊ भधु । तेज् ऩुत्रद्शकयॊ फदव्मॊ

स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥ ॐ भधुलाता ऋतामते भधु षयस्न्त सवन्धल्। भाध्लीना् वन्त्लोऴधी् ॥ भधु नक्तभुतोऴवो

भधुभत्ऩासथालॎ घूॊ यज्। भधु द्यौयस्तु न् त्रऩता॥ भधुभान्नं लनस्ऩसतभेधुभाॉऽअस्तु वूम्ा । भाध्लीगाालो बलॊतु न् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भधुस्नानॊ वभऩामासभ। भधुस्नानन्ते ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

(ळशद स्नान कयामं, फपय ळुद्ध जर वे स्नान कयामं।) ळकाया स्नान :-

इषुवायवभुद्भूता ळकाया ऩुत्रद्शकारयका ।

भराऩशारयका फदव्मा स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ अऩा घूॊ यवभुद्रमवॎ वूमे वन्त घूॊ वभाफशतभ ् ।

अऩा घूॊ यवस्म मो यवस्तॊ लो गृह्राम्मुत्तभभुऩमाभगृशीतोऽवीन्राम त्ला जुद्शॊ गृह्राम्मेऴ ते मोसनरयन्राम त्ला जुद्शतभभ ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ् । ळकायास्नानॊ वभऩामासभ, ळकाया स्नानान्ते ऩुन् ळुद्धोदक स्नानॊ वभऩामासभ ।

(ळक्कय वे स्नान कयामं, फपय ळुद्ध जर वे स्नान कयामं।)

नलम्फय 2013

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ऩॊिाभृत स्नान :-

लस्त्र :-

दध ू , दशी, घी, ळकय एलॊ ळशद सभराकय ऩॊिाभृत फनाएॉ ल

फदव्माम्फयॊ नूतनॊ फश षौभॊ त्लसतभनोशयभ ् ।

ऩमो दसध घृतॊ िैल भधुळकायमास्न्लतभ ् ।

ॐ उऩैतु भाॊ दे लवख् कीसताद्ळ भस्णना वश ।

सनम्न भॊि वे स्नान कयाएॉ।

दीमभानॊ भमा दे त्रल गृशाण जगदस्म्फके ॥

ऩॊिाभृतॊ भमानीतॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥

प्रादब ूा ोऽस्स्भ याद्सेऽस्स्भन ् कीसताभत्रृ द्धॊ ददातु भे ॥ ु त

ऩॊिाभृतस्नानान्ते ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

आिभनीमॊ जरॊ ि वभऩामासभ ।

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩॊिाभृतस्नानॊ वभऩामासभ,

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। लस्त्रॊ वभऩामासभ,

(ऩॊिाभृत स्नान कयामं, फपय ळुद्ध जर वे स्नान कयामं।) गन्धोदक स्नान :-

(लस्त्र अत्रऩात कयं , आिभनीम जर अत्रऩात कयं ।)

उऩलस्त्र :-

भरमािरवम्बूतॊ िन्दनागरुवम्बलभ ् ।

कॊिुकीभुऩलस्त्रॊ ि नानायत्नै् वभस्न्लतभ ् ।

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। उऩलस्त्रॊ वभऩामासभ,

िन्दनॊ दे लदे लेसळ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥

गृशाण त्लॊ भमा दत्तॊ भॊगरे जगदीद्वरय ॥

(गॊध (िॊदन) मुक्त जर वे स्नान कयाएॉ।)

त्रलळेऴ:गन्धोदक

स्नान

के

ऩद्ळमात

श्रीवूक्त,

ऩुरुऴ

वूक्त

अथला

वशस्रनाभ आफद वे ऩुष्ऩािान मा जर असबऴेक कयके फपय ळुद्धोदक स्नान कयामे मफद ऩुष्ऩािान मा जर असबऴेक नशीॊ कयना शो तो वीधे ळुद्धोदक स्नान कयामे।)

असबऴेक शे तु ळुद्ध जर मा दग्ु ध वे श्रीवूक्त के ऩाठ के वभम

अखण्ड जरधाया वे स्नान अथाात असबऴक कयामे। अखण्ड

आिभनीमॊ जरॊ ि वभऩामासभ ।

(कॊिुकी,अॉसगमा आफद उऩलस्त्र िढ़ाएॉ,आिभन के सरए जर दं ।) भधुऩका :-

काॊस्म काॊस्मेन त्रऩफशतो दसधभध्लाज्मवॊमत ु ् । भधुऩको भमानीत् ऩूजाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भधुऩकं वभऩामासभ, आिभनीमॊ जरॊ ि वभऩामासभ ।

(काॊस्म ऩि भं स्स्थत भधुऩका (अथाात वोने िाॊदी के सवक्के

इत्माफद) अत्रऩात कयं )

जरधाया शे तु धातु की प्रसतभा मा रव्मरक्ष्भी श्रेद्ष यशती शं ।

मसोऩलीत :-

* सभट्टी की प्रसतभा शो तो अखण्ड जरधाया वे प्रसतभा

मसोऩत्रलत िढ़ाए, अन्मथा वीधे आबूऴण वे ऩूजन कयं

अखण्ड जरधाया असबऴेक अरग ऩाि भं कयना िाफशए।

षसतग्रस्त शो वकती शं । श्री वूक्त इव अॊक भं उऩरब्ध कयामा गमा शं ।

ळुद्धोदक स्नान :

भन्दाफकन्मास्तु मद्रारय वलाऩाऩशयॊ ळुबभ ् ।

तफददॊ कस्ल्ऩतॊ तुभ्मॊ स्नानाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ळुद्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।

(ळुद्धोदक स्नान के सरए गॊगाजर अथला ळुद्ध जर वे दे ली को स्नान कयामे। तदनॊतय प्रसतभा का अॊग-प्रोषण(ऩंछना) कयके उवे मथास्थान आवान ऩय स्थात्रऩत कयं ।) आिभन :तत्ऩद्ळात 'ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्' कशकय आिभनी वे जर अत्रऩात कयं ।

श्रीगणेळ, श्रीनायामण आफद दे लता को स्थात्रऩत फकमा शो तो ॐ तस्भादअकूला अजामॊत मे के िोबमादत् । गालोश मस्सये तस्भात्तस्भाज्जाता अजालम् ॥ ॐ मसोऩलीतॊ ऩयभॊ ऩत्रलिॊ प्रजाऩतमेत्वशजॊ ऩुयस्तात ् ॥ आमुष्मभग्र्मॊ प्रसतभुञ्ि ळुभ्रॊ

मसोऩलीतॊ फरभस्तुतज े ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, ॐ श्रीगणेळाम नभ्, ॐ बगलते लावुदेलाम नभ् । मसोऩलीतॊ वभऩामासभ ।

(श्रीगणेळ,

श्रीनायामण

आफद

आिभन के सरए जर दं ।)

दे लता

कोमसोऩत्रलत

िढ़ामे,

आबूऴण :-

यत्नकॊकणलैदम ा क्त ु ाशायाफदकासन ि । ू भ

वुप्रवन्नेन भनवा दत्तासन स्लीकुरुष्ल बो् ॥

ॐ षुस्त्ऩऩावाभराॊ ज्मेद्षाभ-अरक्ष्भीॊ नाळमाम्मशभ ् । ् अबूसतभवभृत्रद्धॊ ि वलां सनणुद ा भे गृशात ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नानात्रलधासन कुॊडरकटकादीसन आबूऴणासन वभऩामासभ । (आबूऴण वभत्रऩात कयं ।)

नलम्फय 2013

50

ॐ भनव् काभभाकूसतॊ लाि् वत्मभळीभफश । ऩळूनाॊ

गन्ध :श्रीखण्डॊ िन्दनॊ फदव्मॊ गन्धाढ्मॊ वुभनोशयभ ् ।

त्रलरेऩनॊ वुयश्रेद्षे िन्दनॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ गन्धद्रायाॊ दयु ाधऴांसनत्म ऩुद्शाॊ कयीत्रऴणीभ ् । ईद्वयीॊ वलाबत ू ानाॊ तासभशोऩ ह्वमे सश्रमभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धॊ वभऩामासभ ।

(अनासभका अॊगर ु ी वे केवय सभसश्रत िन्दन अत्रऩात कयं ।)

रूऩभन्नस्म भसम श्री् श्रमताॊ मळ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩुष्ऩॊ ऩुष्ऩभाराॊ ि वभऩामासभ ।

(उक्त भॊि का उिायण कय दे ली रक्ष्भी जी को ऩुष्ऩं वे ल ऩुष्ऩ भाराओॊ वे अरॊकृत कयं । रक्ष्भीजी का ऩूजन कभर के ऩुष्ऩ

वे श्रेद्ष भाना जाता शं ।)

दल ू ाा :-

त्रलष्ण्लाफदवलादेलानाॊ त्रप्रमाॊ वलावळ ु ोबनाभ ् ।

यक्त िन्दन :-

यक्तिन्दनवस्म्भश्रॊ ऩारयजातवभुद्भलभ ् ।

भमा दत्तॊ भशारस्क्ष्भ िन्दनॊ प्रसतगृह्यताभ ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। यक्तिन्दनॊ वभऩामासभ ।

(अनासभका अॊगर ु ी वे यक्त िॊदन िढ़ाएॉ।)

सवन्दयू :-

षीयवागय वम्बूते दल ू ां स्लीकुरू वलादा ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दल ू ांकुयान ् वभऩामासभ । अॊग ऩूजा :-

(दल ू ांकुय (अथाात ् दफ ू के अॊकुय) अत्रऩात कयं ।)

तदनॊतय भशारक्ष्भीजी के त्रलसबन्न अॊगं का कुॊकुभ एलॊ अषत

सवन्दयू ॊ यक्तलणं ि सवन्दयू सतरकत्रप्रमे ।

सभसश्रत ऩुष्ऩं वे दे ली का एक-एक नाभ रेते शुले अॊगऩूजन कयं

ॐ सवन्धोरयल प्राध्लने ळूघनावो लात प्रसभम् ऩतमस्न्त मह्वा् ।

ॐ िॊिरामै नभ्, जानुनी ऩूजमासभ। (जानु प्रदे ळ ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं )

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। सवन्दयू ॊ वभऩामासभ ।

ॐ कात्मामन्मै नभ्,नासबॊ ऩूजमासभ। (नासब ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं )

बक्त्मा दत्तॊ भमा दे त्रल सवन्दयू ॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ िऩरामै नभ्, ऩादौ ऩूजमासभ। (ऩैयं ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं )

घृतस्म धाया अरुऴो न लाजी काद्षा सबन्दन्नूसभासब् त्रऩन्लभान्॥

ॐ कभरामै नभ्,कफटॊ ऩूजमासभ। (कभय ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं )

(दे ली रक्ष्भी को सवन्दयू िढ़ाएॉ।)

कुॊकुभ :-

ॐ जगन्भािे नभ्, जठयॊ ऩूजमासभ। (जठय ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं ) ॐ त्रलद्वलल्रबामै नभ्, लष्स्थरभ ् ऩूजमासभ । (लषस्थर ऩय

कुॊकुभॊ काभदॊ फदव्मॊ कुॊकुभॊ काभरूत्रऩणभ ् ।

ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं )

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, कुॊकुभॊ वभऩामासभ ।

ॐ ऩद्माननामै नभ्, भुखॊ ऩूजमासभ। (भुख ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं )

अखण्डकाभवौबाग्मॊ कुॊकुभॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥

(कुॊकुभ अत्रऩात कयं ।)

ऩुष्ऩवाय :-

तैरासन ि वुगन्धीसन रव्मास्ण त्रलत्रलधासन ि । भमा दत्तासन रेऩाथं गृशाण ऩयभेद्वरय ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। वुगस्न्धततैरॊ ऩुष्ऩवायॊ ि वभऩामासभ ।

(ऩुष्ऩवाय भं वुगस्न्धत तेर ल इि अत्रऩात कयं ।)

अषत :-

अषताद्ळ वुयश्रेद्षे कुॊकुभाक्ता् वुळोसबता् ।

भमा सनलेफदता बक्त्मा गृशाण ऩयभेद्वरय ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। अषतान ् वभऩामासभ । ऩुष्ऩ एलॊ ऩुष्ऩभारा :-

(कुॊकुभ वे यॊ गे शुए अषत अत्रऩात कयं ।)

भाल्मादीसन वुगन्धीसन भारत्मादीसन लै प्रबो । भमानीतासन ऩुष्ऩास्ण ऩूजाथं प्रसतगृह्यताभ ् ॥

ॐ कभरलासवन्मै नभ्,शस्तौ ऩूजमासभ। (शाथ ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं ) ॐ कभरऩिाक्ष्मै नभ्, नेििमॊ ऩूजमासभ।(तीनं नेि ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩत ा कयं ) ॐ सश्रमै नभ्, सळय् ऩूजमासभ । (सवय ऩय ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं )

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, वलांङ्गॊ ऩूजमासभ । (दे ली के वभस्त अॊग के ऩूजन शे तु ऩुष्ऩ अत्रऩात कयं ) अद्शसवत्रद्धऩूजन :इवके ऩद्ळात दस्षणालता अथाात ् घिी की फदळा भं आठं

फदळाओॊ भं लस्णात आठं सवत्रद्धमं का ऩूजन कुॊकुभ एलॊ अषत वे दे ली भशारक्ष्भी का ऩूजन कयं -

1 ॐ अस्णम्ने नभ् (ऩूला फदळा भं), 2 ॐ भफशम्ने नभ्

(आग्नेम कोण भं), 3 ॐ गरयम्णे नभ् (दस्षण फदळा भं), 4 ॐ रसघम्ने नभ् (नैऋत्म कोण भं), 5 ॐ प्राप्त्मै नभ्

(ऩस्द्ळभ फदळा भं), 6 ॐ प्रकाम्मै नभ् (लामव्म कोण भं), 7 ॐ ईसळतामै नभ् (उत्तय फदळा भं), 8 ॐ लसळतामै नभ्(ईळान कोण भं) |

नलम्फय 2013

51

अद्शरक्ष्भी ऩूजन :-

आिभन :-

ळीतरॊ सनभारॊ तोमॊ कऩूया े ण वुलासवतभ ् ।

इवके ऩद्ळात दस्षणालता अथाात ् घिी की फदळा भं आठं फदळाओॊ भं लस्णात आठं अद्श रस्क्ष्भमं का ऩूजन कयं ।

(1) ॐ आद्यरक्ष्म्मै नभ् (2) ॐ त्रलद्यारक्ष्म्मै नभ् (3) ॐ वौबाग्मरक्ष्म्मै नभ् (4) ॐ अभृतरक्ष्म्मै नभ्

(5) ॐ काभरक्ष्म्मै नभ् (6) ॐ वत्मरक्ष्म्मै नभ् (7) ॐ बोगरक्ष्म्मै नभ् (8) ॐ मोगरक्ष्म्मै नभ् धूऩ :-

लनस्ऩसतयवोद्भूतो गन्धाढ्म् वुभनोशय् ।

आघ्रेम् वलादेलानाॊ धूऩोऽमॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥ ॐ कद्दा भेन प्रजा बूता भसम वॊबल कदा भ।

सश्रमॊ लावम भं कुरे भातयॊ ऩद्मभासरनीभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। धूऩभाघ्राऩमासभ ।

आिम्मताॊ जरॊ ह्येतत ् प्रवीद ऩयभेद्वरय ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आिभनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।

(आिभन के सरए जर दं ।)

ऋतुपर :-

परेन पसरतॊ वलं िैरोक्मॊ वियाियभ ् ।

तस्भात ् परप्रदानेन ऩूणाा् वन्तु भनोयथा् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। अखण्डऋतुपरॊ वभऩामासभ, आिभनीमॊ जरॊ ि वभऩामासभ ।

(ऋतुपर अत्रऩात कयं तथा आिभन के सरए जर दं ।) ताम्फूर एलॊ ऩूगीपर :-

ऩूगीपरॊ भशफद्दव्मॊ नागलल्रीदरैमत ुा भ ् ।

(दोनं शाथं वे रक्ष्भीजीको धूऩ आघ्रात्रऩत कयं ।)

दीऩ :-

एरािूणााफदवॊमक्त ु ॊ ताम्फूरॊ प्रसतगृह्यताभ ् ॥

काऩाावलसतावम ॊ क्त ु ॊ घृतमुक्तॊ भनोशयभ ् ।

ॐ आरां म् करयणीॊ मत्रद्शॊ वुलणां शे भभासरनीभ ् ।

ॐ आऩ् वृजन्तु स्स्नग्धासन सिक्रीत लव भे गृशे।

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भुखलावाथे ताम्फूरॊ वभऩामासभ ।

तभोनाळकयॊ दीऩॊ गृशाण ऩयभेद्वरय ॥

सन ि दे लीॊ भातयॊ सश्रमॊ लावम भे कुरे ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दीऩॊ दळामासभ ।

(रक्ष्भीजीको दीऩक फदखाकय शाथ धो रं।)

नैलेद्य (वार की धानी वफशत ऩॊिसभद्षान्न ल वूखे भेले) :

नैलेद्यॊ गृह्यताॊदेत्रल बक्ष्मबोज्मवभस्न्लतभ ् ।

ऴड्यवैयस्न्लतॊ फदव्मॊ रस्क्ष्भ दे त्रल नभोऽस्तु ते ॥

ॐ आरां ऩुष्करयणीॊ ऩुत्रद्शॊ त्रऩग ॊ राॊ ऩद्मभासरनीभ ् ॥ िन्राॊ फशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नैलेद्यॊ सनलेदमासभ,

भध्मे ऩानीमभ,् उत्तयाऩोऽळनाथाभ ् शस्तप्रषारनाथं भुखप्रषारनाथं ि जरॊ वभऩामासभ ।

( रक्ष्भीजी को नैलद्य े सनलेफदत कय ऩानीम जर एलॊ

शस्तप्रषारन के सरए जर अत्रऩात कयं ।)

वूमां फशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥

(रलॊग, इरामिी ल ऩूगीपर(वुऩायी) यखकय ताम्फूर(ऩान)

अत्रऩात कयं ।)

दस्षणा :-

फशयण्मगबागबास्थॊ शे भफीजॊ त्रलबालवो् ।

अनन्तऩुण्मपरद्धभत् ळास्न्त प्रमच्छ भे ॥

ॐ ताॊ भ आ लश जातलेदो रक्ष्भीभनऩगासभनीभ ् ।

मस्माॊ फशयण्मॊ प्रबूतॊ गालो दास्मोऽद्वान ् त्रलन्दे मॊ ऩुरुऴानशभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दस्षणाॊ वभऩामासभ ।

(अऩनी श्रद्धा अनुवाय रक्ष्भीजी को दस्षणा िढ़ामे।)

नीयाजन (आयती) :-

िषुदं वलारोकानाॊ सतसभयस्म सनलायणभ ् ।

आसताक्म कस्ल्ऩतॊ बक्त्मा गृशाण ऩयभेद्वरय ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नीयाजनॊ वभऩामासभ ।

(आयती कयं तथा जर छोिं ल शाथ धोरे।)

प्रदस्षणा :-

कयोद्रतान :-

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ् मश कशकय कयोद्रतान के सरए शाथं भं िन्दन उऩरेत्रऩत कयं ।

मासन कासन ि ऩाऩासन जन्भान्तयकृ तासन ि । तासन वलाास्ण नश्मन्तु प्रदस्षणाॊऩदे ऩदे ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। प्रदस्षणाॊ वभऩामासभ ।

नलम्फय 2013

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(प्रदस्षणा कयं ।) प्राथाना :शाथ जोिकय प्राथना कयं :

वुयवुयंराफदफकयीटभौत्रक्तकैमुक्त ा भ वदा मत्तल ऩादऩॊकॊजभ ् ।

मा गसतस्त्लत्प्रऩन्नानॊ वा भे बूमात ् त्लदिानात ् ॥

ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। प्राथानाऩूलक ा ॊ नभस्कायान ् वभऩामासभ । वभऩाण :-

(दे ली को प्राथाना कयते शुए नभस्काय कयं ।)

ऩयालयॊ ऩातु लयॊ वुभग ॊ रभ ् नभासभ बक्त्मास्खरकाभसवद्धमे ॥

ऩूजन के अॊतभं "कृ तेनानेन ऩूजनेन बगलती भशारक्ष्भी दे ली

वुऩस्ू जता प्रवन्ना स्मान्भशारस्क्ष्भ ! नभोऽस्तु ते ॥

ऩूजन कभा दे ली भशारक्ष्भी को वभत्रऩात कयते शुले शाथ भं जर

बलासन त्लॊ भशारक्ष्भी् वलाकाभप्रदासमनी । नभस्ते वलादेलानाॊ लयदावी शरयत्रप्रमे ।

प्रीमताभ ् न भभ।" इव भॊि का उच्िायण कयते शुले वभस्त रेकय छोि दं ।

भशारक्ष्भी कलि नायामण उलाि

ऩद्मा भाॊ दस्षणे ऩातु नैऋात्माॊ श्रीशरयत्रप्रमा॥१०॥

वला वम्ऩत्प्रदस्मास्म कलिस्म प्रजाऩसत्।

ऩद्मारमा ऩस्द्ळभे भाॊ लामव्माॊ ऩातु श्री् स्लमभ ्।

ऋत्रऴश्छन्दद्ळ फृशती दे ली ऩद्मारमा स्लमभ ्॥१॥

उत्तये कभरा ऩातु ऐळान्माॊ सवन्धुकन्मका॥११॥

धभााथक ा ाभभोषेऴु त्रलसनमोग् प्रकीसतात्।

नायामणेळी ऩातूध्लाभधो त्रलष्णुत्रप्रमालतु।

ऩुण्मफीजॊ ि भशताॊ कलिॊ ऩयभाद्भत ु भ ्॥२॥

वॊततॊ वलात् ऩातु त्रलष्णुप्राणासधका भभ॥१२॥

ॐ ह्रीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा भे ऩातु भस्तकभ ्।

इसत ते कसथतॊ लत्व वलाभन्िौघत्रलग्रशभ ्।

श्रीॊ भे ऩातु कऩारॊ ि रोिने श्रीॊ सश्रमै नभ्॥३॥

वलैद्वमाप्रदॊ नाभ कलिॊ ऩयभाद्भत ु भ ्॥१३॥

ॐ श्रीॊ सश्रमै स्लाशे सत ि कणामुग्भॊ वदालतु।

वुलणाऩलातॊ दत्त्ला भेरुतुल्मॊ फद्रजातमे।

ॐ श्रीॊ ह्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा भे ऩातु

मत ् परॊ रबते धभॉ कलिेन ततोऽसधकभ ्॥१४॥

नासवकाभ ्॥४॥

गुरुभभ्मच्मा त्रलसधलत ् कलिॊ धायमेत ् तु म्।

ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै ि स्लाशा दन्तॊ वदालतु।

कण्ठे ला दस्षणे लाशौ व श्रीभान ् प्रसतजन्भसन॥१५॥

ॐ श्रीॊ कृ ष्णत्रप्रमामै ि दन्तयन्रॊ वदालतु॥५॥

अस्स्त रक्ष्भीगृश ा े तस्म सनद्ळरा ळतऩूरुऴभ ्।

ॐ श्रीॊ नायामणेळामै भभ कण्ठॊ वदालतु।

दे लेन्रै द्ळावुयेन्रै द्ळ वोऽिध्मो सनस्द्ळतॊ बलेत ्॥१६॥

ॐ श्रीॊ केळलकान्तामै भभ स्कन्धॊ वदालतु॥६॥

व वलाऩुण्मलान ् धीभान ् वलामसेऴु दीस्षत्।

ॐ श्रीॊ ऩद्मसनलासवन्मै स्लाशा नासबॊ वदालतु।

व स्नात् वलातीथेऴु मस्मेदॊ कलिॊ गरे॥१७॥

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ वॊवायभािे भभ लष् वदालतु॥७॥

मस्भै कस्भै न दातव्मॊ रोबभोशबमैयत्रऩ।

ॐ श्रीॊ श्रीॊ कृ ष्णकान्तामै स्लाशा ऩृद्षॊ वदालतु।

गुरुबक्ताम सळष्माम ळयणाम प्रकाळमेत ्॥१८॥

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ सश्रमै स्लाशा भभ शस्तौ वदालतु॥८॥

इदॊ कलिभसात्ला जऩेल्रक्ष्भीॊ जगत्प्वूभ ्।

ॐ श्रीॊ सनलावकान्तामै भभ ऩादौ वदालतु।

कोफटवॊख्मॊ प्रजद्ऱोऽत्रऩ न भन्ि् वोत्रद्धदामक्॥१९॥

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ सश्रमै स्लाशा वलांगॊ भे वदालतु॥९॥

(गणऩसतखण्ड ३८।६४-८२)

प्राच्माॊ ऩातु भशारक्ष्भीयाग्नेय्माॊ कभरारमा।

नलम्फय 2013

53

तीन दर ा वाभग्रीमं वे शोगा रक्ष्भी का सिस्थामी सनलाव… ु ब

 सिॊतन जोळी शत्था जोडी् शत्था जोिी प्रकृ सत की अनभोर दे नं भं वे एक शं , शत्था जोिी असत दर ु ाब लस्तु भानी जासत शं क्मोकी मश आवानी वे प्राद्ऱ नशीॊ शोती, शत्था जोिी एक त्रलरुऩा

नाभक ऩौधे की फकवी-फकवी जि भं ऩामी जाता शं , वबी जिं भं नशीॊ ऩामी जाती। शत्थाजोिी का आकाय शभाये दोनं शाथं के वभान शोता शं , शत्थाजोिी भं दोनो शाथ नीॊिे वे आऩव भं जुडे़ शुले प्रसतत शं कई-कई शत्थाजोिी

का उऩयी बाग बी आऩवे भं जुिा शोता शै , औय उवके उऩयी बाग भं ऩाॊि-ऩाॊि अॊगुरीमं के वभान आकृ सतमा फदखाई दे ती शं इव कायण इवे शत्थाजोिी के नाभ वे जाना जाता शं । स्जव प्रकाय शत्था जोिी दे खने भं अन्म दर ा ु ब

सिज-लस्तुओॊ की तुरनाभं अद्भत ु एलॊ फेजोि प्रसतत शोती शं ठीक उवी प्रकाय एक प्राभास्णक एलॊ असबभॊत्रित मा

प्राण-प्रसतत्रद्षत शत्था जोिी के आद्ळमाजनक प्रबालं की तुरना फकवी औय सिज-लस्तुओॊ वे नशीॊ शो वकती शं । इवीसरमे तो कई वदीॊमं वे भॊि, तॊि आफद त्रलद्या भं शत्थाजोडी अऩना एक भशत्लऩूणा स्थान यखती शै । शत्थाजोडी त्रलसबन्न ताॊत्रिक प्रमोगं भं काभ आती शं , जानकाय त्रलद्रानं का कथन शं की एक सवद्ध शत्थाजोिी

को केलर अऩने वाथ यखने भाि वे शी छोटे -फडे ़ अनेक वॊकटं का स्लत् शी सनलायण शो जाता शं । शत्था जोिी को अऩने ऩाव यखने वे आकस्स्भक दघ ा ना आफद का ु ट बम नशीॊ वताता। एवा भाना जाता शं की स्जव भनुष्म

के ऩाव भं शत्था जोिी शोती शं उवके उऩय कोई टोने टोटके, ताॊत्रिक प्रमोग आफद का प्रबाल नशीॊ शोता शं !  जानकायं के भतानुवाय शत्थाजोिी का प्रासद्ऱ स्थान भुख्मत् बायत, ऩाफकस्तान, ईयान, इयाक, फ्राॊव, जभानी, एसळमाई भशाद्रीऩ के सनकटतभ षेिं भं ऩाई जाती शै ।

 शत्थाजोिी

का

त्रलळेऴ

प्रमोग

ताॊत्रिको

द्धाया

तॊि

फक्रमाओॊ भं फकमा जाता शै , शत्थाजोडी ळीर प्रबाली एलॊ िभत्कायी लस्तु शोने की कायण शी त्रलसबन्न तॊि ळास्त्र भं शत्थाजोिी के अनेक उऩमोग फतामे गमे शै ।  त्रलद्रानं का कथन शं की स्जव भनुष्म के ऩाव अवरी सवद्ध शत्थाजोिी शोती शै , उवका बाग्म फदन दोगुनीयात िौगुनी तेजी वे िभकता दे खने सभरता शं !

 एवी भान्मता शं की स्जव व्मत्रक्त के ऩाव शत्थाजोिी शोती शं उवके स्खराप फकमे गमे वबी झुठे आयोऩ, ऴिमॊि, टोने-टोटके, ताॊत्रिक कभा इत्माफद सनष्पर शो जाते शं , फडे ़ वे फडे ़ ळिु का प्रबाल उवके वभष स्षण शो जाता शं औय फडे ़ वे फडे ़ ताॊत्रिकं की तॊि फकमा मे सनष्पर शो जाते शं । कुछ जानकायं का तो मशाॊ तक कशना शं मफद कुछ त्रलळेऴ भॊिं वे सवद्ध फक गई शत्थाजोिी को मफद व्मत्रक्त अऩने ऩाव यखता शं तो उवका फडे ़ वे फिा ळिु बी उवके आगे नतभस्त्क शो जाता शं ।  मफद फकवी व्मत्रक्त के उऩय उवके त्रलयोसध मा ळिुओॊ ने झुठे आयोऩ रगाकय कोटा -किशयी, भुकदभं इत्माफद भं पॊवा फदमा शो तो शत्थाजोिी के प्रबाल वे उवे भुकदभे भं त्रलजम की प्रासद्ऱ शोती शं औय उवके ळिु लळीबूत शो जाते शं ।  शत्थाजोिी को ऩाव यखने वे याजकीम अथाात वयकायी कामो वे जुडे़ छोटे -फडे ़ वबी असधकायी व्मक्ती के लळीबूत शो जाते शं । मफद कोई वयकायी असधकायी त्रफना फकवी कायण आऩको अनामाव शी अऩने ऩद ल वत्ता का पामदा उठाकय आऩको ऩये ळान कय यशा शो मा कद्श दे यशे शो, तो इव भं जयाबीॊ वॊदेश नशीॊ शं फक शत्थाजोिी आऩके सरमे याभफाण औऴसध के रुऩ भं वात्रफत शो वकती शं ! क्मोफक शत्थाजोिी एक अनुबूत एलॊ फदव्म लस्तु शं ।

नलम्फय 2013

54

 सवद्ध की शुई शाथाजोडी को िाॊदी मा स्टीर की फडब्फी

भं रंग, इरामिी ल सवन्दयू के वाथ शी फडब्फी को फॊध कय के यखना िाफशए। दै सनक ऩूजन के वभम उव फडब्फी को खोरकय, धूऩ-दीऩ फदखाकय उवे फॊधकय दे ना िाफशए।

 शाथाजोिी घय भं शोने वे ऩसत-ऩत्नी भं आऩवी प्रेभ फढ़ता शं ल दाॊऩत्म वुख भं लृत्रद्ध शोती शं । जीलन के प्रत्मेक षेि भं वपरता शे तु शाथाजोिी अिूक उऩाम

सवद्ध शो वकती शै । स्जव घय भं ऩूणा त्रलसध-त्रलधान वे असबभॊत्रित मा सवद्ध की गई शाथाजोिी का ऩूजन शोता शै , उव घय के वदस्म वबी प्रकाय की ऩये ळानीमं वे वुयस्षत यशते शं , ऩरयलाय की आसथाक स्स्थती फदन प्रसतफदन

उन्नत

शोती जाती

शं

औय

व्मत्रक्त

श्री

वम्ऩन्न फना यशता शै ।  सवद्ध शाथाजोिी को कोई बी व्मत्रक्त िाशं लश स्त्री शो मा ऩुरूऴ िाशे फकवी धभा मा लणा का शो लश वयरता वे ऩूजन कय वकते शं । शाथाजोिी का ऩूजन कयने लारे व्मत्रक्तमं का व्मत्रक्तत्ल एलॊ प्रबाल अन्म व्मत्रक्त की अऩेषा सनस्द्ळत रुऩ वे अत्मासधक प्रबालळारी शोता शं । शाथाजोिी के त्रलळेऴ प्रमोगं वे ऩूजन कताा व्मत्रक्त भं त्रलरषण वम्भोशन ळत्रक्त जाग्रत शो वकती शं !  सवद्ध शाथाजोिी व्मत्रक्त को बूत-प्रेत, भायण-उच्िाटन, काभण-टू भण इत्माफद उऩरलं वे यषा शोती शं । व्मत्रक्त की धन-वॊऩत्रत्त भं सनस्द्ळत रुऩ वे लृत्रद्ध शोने रगती शं । शत्थाजोडी का त्रलसधलत ऩूजन कयने वे लाणी के दोऴ औय योग नद्श शोते शं । शत्थाजोडी को सतजोयी भं यखने वे व्मलवाम स्लत् फढने रगता शं ।  कुछ त्रलद्रानं का तो मशाॊ तक कथन शं की शाथाजोिी के सनमसभत ऩूजन एलॊ दळान वे व्मत्रक्त का वोमा बाग्म जाग जाता शं , औय उवके त्रफगडे ़ कामा जल्द शी फनने रगते शै । इवकी ळत्रक्त को फढ़ाने के सरए शाथाजोिी के वाथ भं सवमायसवॊगी औय त्रफल्रीनार को एक वाथ यखना िाफशए।

सवॊमाय सवॊगी् सवॊमाय सवॊगी को सवमाय सवॊघी, गीदडसवॊगी बी कशते शं । जम्फुक अथाात लन्म-ऩळु सवमाय के सवय ऩय एक प्रकाय की गाॊठ शोती शं उवे शी सवॊमाय सवॊगी कशा जाता शै । शाराॊकी मश गाॊठ शय सवमाय के सवय ऩय नशीॊ शोती फकवी-फकवी सवमाय के सवय ऩय शी ऩाई जाती शं । मश फादाभी यॊ ग की भुरामभ फारं वे ढॊ की शोती शं , इवके फीि भं एक छोटा वा वीॊग उऩय की औय उठा शुला शोता शं । कुछ जानकायं का कथन शं की लन्म-जासत के रोग

इव तयश के सवमाय को खोजते शं उवे ढू ॊ ढकय उवे भायकय सवमाय सवॊगी प्राद्ऱ कयते शं , रेफकन कुछ लन्म-जासत के रोग केलर भये शुले सवमाय के सवय वे शी सवॊगी सनकारते शै । रेफकन कुछ रोगं का भानना शं की जीत्रलत सवमाय के सवय वे सवमाय सवॊगी सनकार रेते शं औय कुछ अॊतयार के फाद उवके सवय ऩय ऩय ऩुन् सवमाय सवॊगी सनकर आती शं , इन दोनं भत भं त्रलयोधाबाव दे खने को सभरता शं । रेफकन सवॊमाय सवॊगी त्रलळेऴ रुऩ वे ऩळु तॊि ळास्त्र भं फशुउऩमोगी लस्तु भानी जाती शं । क्मोकी सवमायसवॊगी की गाठं

को तॊि ळास्त्र भं अदब ु ुत ळत्रक्तळारी एलॊ

प्रबालळारी भाना जाता शै ।

 एक असबभॊत्रित मा सवद्ध फक शुई सवमाय सवॊगी वे

वम्भोशन, लळीकयण, धन-वॊऩत्रत्त की प्रासद्ऱ एलॊ लृत्रद्ध कयने लारी त्रलरषण ळत्रक्त शोती शं ।

 मफद मश फकवी प्रकाय वे मश दर ा लस्तु प्राद्ऱ शो ु ब जामे तो उवे फकवी जानकाय मा त्रलद्रान वे सवद्ध कयलारे। सवमाय सवॊगी सवद्र शोने ऩय इवे िाॊदी मा स्टीर की फडब्फी भं सवॊदयू बयकय यखदे । सवमाय सवॊगी के त्रलऴम भं त्रलद्रानो का भत शं की स्जव भनुष्म के ऩाय भं सवमाय सवॊगी शोती शै उवे बत्रलष्म भं घफटत शोने लारी दघ ा ना अथला ळुब घटनाओॊ की ऩूला ु ट वूिना स्लप्न भं प्राद्ऱ शोती शै । रेफकन अनुबल भं

आमा शं की मश बत्रलष्म वूिन स्लप्न वबी को नशीॊ आते शं फकवी-फकवी व्मत्रक्त को शी आते शं ।

नलम्फय 2013

55

 स्जव घय भं सवमाय सवॊगी का ऩूजन शोता शं उव घय

प्रकाय वे लश दोऴऩूणा शो तो अवरी शोने के फालजुद

भं भं वदं ल दे ली भशारक्ष्भी का लाव यशता शं , वभाज

उवके फार नशीॊ फढ़ते। अत् सवमायसवॊगी का िमन

भं उवके भान-वम्भान भं लृत्रद्ध शोती शं उवका नाभ

ऩूणा वालधानी के वाथ कयं ।

औय मळ ियं फदळाओॊ भं गूॊजता शं । शस्तजोिी के

 सवमायसवॊगी के फार कबी काटने नशीॊ िाफशमे नाशीॊ

वभान शी सवमाय सवॊगी वे बी व्मत्रक्त के छोटे -फडे ़

उववे फकवी प्रकाय

वकर त्रलघ्नन एलॊ वॊकटं का नाळ शोता शं , एलॊ व्मत्रक्त

सवमायसवॊगी के फार काटने, जरने षसतग्रस्त शोने वे

के उऩय शोने लारे बूत-प्रेत, जाद-ू टोना आदी प्रबालं वे

उवका ळुब प्रबाल वभाद्ऱ शोने रगता शं ।

यषा शोती शं औय लाद-त्रललाद इत्माफद भं त्रलजमश्री की प्रासद्ऱ शोती शं ।

 कुछ त्रलद्रानो का कथन शं की सवमाय सवॊगी के ऩूजन एलॊ दळान भाि वे व्मत्रक्त को जीलन भं रक्ष्भी की अऩाय कृ ऩा शो शोती। व्मत्रक्त के घय भं धनलऴाा शोने वभान व्मलवाम-नौकयी इत्माफद वे आसथाक राब की प्रासद्ऱ शोती शं । सवमाय सवॊगी को व्मलामीक स्थान ऩय यखने भाि वे शी फॊध व्मलवाम के ऩुन् ळुरु शोने के मोग

फनने

रगते

शं , भौजुदा

व्मलवामे

भं

फदन

प्रसतफदन उन्नत्रत्त शोती यशती शं । अथाात रक्ष्भी फढ़ने के वाथ-वाथ स्थाई रक्ष्भी का सनलाव शोता शं ।  सवमाय सवॊगी वे आकस्स्भक दघ ा ना औय अवाध्म ु ट योग वे बी वुयषा शोती शै । ऩरयलाय भं योग-ळोक का नाळ शोता शं , वबी वदस्मं को वतामु की प्रासद्ऱ शोती शं औय ऩायीलारयक जीलन वुखभम फना यशता शै । क्मोफक सवमाय सवॊगी ळयीय के वुयषा कलि का काभ कयती शै । व्मत्रक्त को जाने-अॊजाने वकर बमं वे ळीघ्र भुत्रक्त सभरती शै । सवमाय सवॊगी के त्रलळेऴ प्रमोगं वे कुभागा ऩय गमे ऩयस्त्री-ऩयऩुरुऴ के जार भं पॊवे फकवी बी उम्र के स्त्री-ऩुरुऴ को वुधाया जा वकता शं ।  सवमाय सवॊगी को सवॊदयू भं यखना िाफशए, सवमायसवॊगी को सवॊदयू भं यखने वे उवके फार धीये -धीये फढ़ते शं । एवी रोक भान्मता शं फक जैवे सवमायसवॊगी के फार

फढ़ते शं लैवे ऩरयलाय भं वुख-वभृत्रद्ध फढ़ने रगती शं । शय सवमायसवॊगी के फार फढ़ते शं , मशी उवकी ऩशिान शं , नकरी मा फनालटी सवमायसवॊगी के फार नशीॊ फढ़ते। मफद सवमायसवॊगी कशीॊ वी टू टी-पूटी शो मा फकवी

की छे ि-छाि कयनी िाफशए।

त्रफल्री की नार त्रफल्री जफ फच्िे को जन्भ दे ती शं , तो फच्िं के वाथ-वाथ एक स्झल्री जेवा तयर ऩदाथा फाशय सनकरता शं , स्जवे लश फच्िे दे ने के फाद तुयॊत खा जाती शं । कुछ जानकाय रोग मा लन्म-जाती के रोग इव त्रफल्री की नार को त्रफल्री के खने वे ऩशरे शी लशाॊ वे शटा रेते शं । फपव उवे धूऩ भं वुखा कय उवे त्रलळेऴ प्रमोजनो वे घी एलॊ सवॊदयू द्राया रेऩन फकमा जाता शं । त्रफल्री की इव स्झल्री को नार कशा जाता शं । जो त्रलळेऴ ताॊत्रिक प्रमोगं भं फशुउऩमोगी सवद्ध शोती शं ।

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री ु ब शत्था जोडी- Rs- 550, 730, 1450, 1900, 2800 सवमाय सवॊगी- Rs- 730, 1250, 1450, 2800 त्रफल्री नार- Rs- 370, 550, 730, 1250, 1450 कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450, दस्षणालतॉ ळॊख- Rs- 280, 550, 750, 1250, भोसत ळॊख- Rs- 550, 750, 1250, 1900 भामा जार- Rs- 251, 551, 751 इन्र जार- Rs- 251, 551, 751, 1050 धन लृत्रद्ध शकीक वेट Rs-251(कारी

शल्दी के वाथ Rs-550)

घोडे की नार- Rs.351, 551, 751

GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- [email protected], [email protected]

नलम्फय 2013

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त्रलळेऴ उऩाम:

ऩूजा-ऩाठ

प्राद्ऱ शो जामे तो उवे फकवी िाॊदी मा स्टीर की फिब्फी

ज्मोसतऴी मा फकवी अऩने सभि-रयश्तेदायकं फदखाना शो तो

के ऩूजा स्थान, सतजोयी मा कैव फोक्वॎ इत्माफद भं यख

शाथाजोिी को अऩने ऩूजा स्थान भं यखने वे ऩूला मा

दं । प्रसतफदन उवे धूऩ-अगयफत्रत्त फदखा कय फिब्फी को

उवका ऩूजन कयने वे ऩशरे फदखारं , ऩूजन के ऩद्ळमात

फॊध कय दं । उक्त त्रलसध वे ऩूजन कयने ऩय व्मत्रक्त को शोती

एलॊ

की

मफद शाथाजोडी को आऩ अऩने ऩयीसित फकवी त्रलद्रान,

 फपव उवे अऩने घय-दक ु ान-व्मलवामीक स्थान इत्माफद

प्रासद्ऱ

त्रलसध-त्रलधान

*** त्रलळेऴ भॊतव्म: त्रलद्रानं के अनुबल भं आमा शं की

भे सवॊदयू बयकय यख दं ।

की

त्रलळेऴ

धूऩ-अगयफत्रत्त कयने की आलश्मक्ता शं ।

त्रफल्री की नार मफद फकवी भनुष्म को वौबाग्म वे

वुख-वौबाग्म

फकवी

आलश्मक्ता नशीॊ शोती शं । फदन भं एक फाय शी केलर

 भॊि सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत शत्था जोिी, सवमाय सवॊगी औय

सनयॊ तय

मा

नशीॊ फदखानी िाफशए उवे फकवी गोऩनीम स्थान ऩय

भाॉ

यखदे ना िाफशए, जशाॊ वे लश फकवी ऩरयसित-अऩरयसित मा

भशारक्ष्भी का सनलाव शोता शं । मश एक अनुबूत

छोटे फच्िे इत्माफद के शाथ भं न रगे। असबभॊत्रित मा

प्रमोग शं , इव प्रमोग वे शभं स्लमॊ एलॊ शभाये वाथ जुिे

अऩने ऩूजा स्थान भं यखी शुई शाथाजोिी को जो आऩको

अनेको फॊधु-फशनं को इव उऩाम वे त्रलळेऴ राब की

पा़मदा कय यशी शो एवी शाथाजोिी को घयके अराला

प्रासद्ऱ शोती आमी शं । क्मोफक इव उऩाम भं दर ा ु ब

अन्म फकवी फशाय के व्मत्रक्त को नशीॊ फदखानी िाफशए,

वाभग्रीमं को एक फाय असबभॊत्रित मा प्राण-प्रसतत्रद्षत

अन्मथा उवके ळुब प्रबाल भं कभीॊ आने रगती शं ।

शो जाने ऩय व्मत्रक्त को फकवी प्रकाय के भॊि जाऩ,

श्री कनकधाया स्तोि अॊगशये

ऩुरकबूऴण

भॊगरदे लतामा:॥1॥

भाश्रमन्ती

सश्रमॊ फदळतु वागय वम्बलामा:॥2॥

बृगाॊगनैल

भुकुराबयणॊ

तभारभ।

अॊगीकृ तास्खर

त्रलबूसतयऩाॊगरीरा

भाॊगल्मदास्तु

भभ

भुग्ध्मा भुशुत्रलादधती लदनै भुयायै : प्रेभिऩाप्रस्णफशतासन गतागतासन। भारा दृळोभाधुकय त्रलभशोत्ऩरे मा वा भै त्रलद्वाभये न्रऩदत्रलभ्रभदानदषभानन्द शे तु यसधकॊ भधुत्रलफद्रऴोत्रऩ।

षणभीषणाद्धा सभन्दोलयोदय वशोदयसभस्न्दयाम:॥3॥

ईऴस्न्नऴीदतु भसम

आभीसरताषभसधगम्म भुदा भुकुन्दभानन्दकन्दभ सनभेऴभनॊगतन्िभ ्। आकेकय स्स्थत कनी

सनकऩक्ष्भ नेिॊ बूत्मै बलेन्भभ बुजॊगयामाॊगनामा:॥4॥ फाह्यन्तये भधुस्जत: सश्रतकौस्तुबै मा शायालरील शरयनीरभमी त्रलबासत। काभप्रदा बगलतो त्रऩ कटाषभारा कल्माण बालशतु भे कभरारमामा:॥5॥ काराम्फुदासररसरतोयसव कैटबाये धाायाधये स्पुयसत मा तफडदॊ गनेल ्। भातु: वभस्त जगताॊ भशनीम भूसताबरास्ण भे फदळतु बागालनन्दनामा:॥6॥ भन्थय

भीषणाद्धा

भन्दारवॊ

ि

प्राद्ऱॊ ऩदॊ प्रथभत: फकर मत्प्रबालान्भाॊगल्म बास्ज: भधुभामसन भन्भथेन। भध्माऩतेत फदश

भकयारमकन्मकामा:॥7॥

दद्याद

दष्ु कभाधभाभऩनीम सियाम दयू ॊ नायामण प्रणसमनी नमनाम्फुलाश:॥8॥ प्रशूद्शकभरोदय दीसद्ऱ रयद्शाॊ ऩुत्रद्श कृ ऴीद्श भभ ऩुष्कय त्रलद्शयामा:॥9॥ प्ररम केसरऴु वॊस्स्थतामै तस्मै

दमानुऩलनो

रत्रलणाम्फुधायाभ

स्स्भबफकॊिन

त्रलशॊ ग

सळळौ

त्रलऴण्ण।

इद्शा त्रलसळद्शभतमो त्रऩ मथा ममारा दृद्शमा त्रित्रलद्शऩऩदॊ वुरबॊ रबॊते। दृत्रद्श: गीदे लतैसत गरुिध्लज बासभनीसत ळाकम्बयीसत ळसळळेखय लल्रबेसत। वृत्रद्श स्स्थसत

नभस्स्त्र बुलनैक गुयोस्तरूण्मै ॥10॥ श्रुत्मै नभोस्तु ळुबकभापर प्रवूत्मै यत्मै नभोस्तु यभणीम गुणाणालामै। ळक्तमै

नभोस्तु ळतऩाि सनकेतानामै ऩुद्शमै नभोस्तु ऩुरूऴोत्तभ लल्रबामै ॥11॥ नभोस्तु नारीक सनबाननामै नभोस्तु दग्ु धौदसध जन्भ बूत्मै । नभोस्तु वोभाभृत वोदयामै नभोस्तु नायामण लल्रबामै ॥12॥ दरु यता शयणाद्यतासन भाभेल लिनाॊगभानवॊवत्लाॊ

भातय

सनळॊ

करमन्तु

भुयारयरृदमेद्वयीॊ

बजे

॥14॥

वम्ऩतकयास्ण वकरेस्न्रम नन्दासन वाम्राज्मदान त्रलबलासन वयोरूशास्ष। त्ल द्रॊ दनासन

नान्मभ ्

॥13॥

वयसवजसनरमे

मत्कटाषवभुऩावना

वयोज

शस्ते

त्रलसध:

वेलकस्म

धलरभाॊळुकगन्धभाल्मळोबे।

कराथा बगलसत

वम्ऩद:। शरयलल्रबे

वॊतनोसत भनोसे

त्रिबुलनबूसतकरय प्रवीद भह्यभ ् ॥15॥ दस्ग्धस्स्तसभ:कनकुॊबभुखा ल वृत्रद्शस्ललााफशनी त्रलभरिारू जर प्रुताॊगीभ। प्रातनाभासभ जगताॊ जननीभळेऴ रोकासधनाथ गृफशणी भभृतास्ब्धऩुिीभ ् ॥16॥ कभरे कभराषलल्रबे त्लॊ करुणाऩूयतयाॊ गतैयऩािॊ गै:। अलरोकम भाभ फकॊिनानाॊ प्रथभॊ ऩािभकृ त्रिभॊ दमामा : ॥17॥ स्तुलस्न्त मे स्तुसतसबय बूसभयन्लशॊ िमीभमीॊ त्रिबुलनभातयॊ यभाभ ्। ॥18॥इसत श्री कनकधाया स्तोिॊ वम्ऩूणभ ा

गुणासधका गुरुतयबाग्मबासगनो बलस्न्त ते फुधबात्रलतामा:

नलम्फय 2013

57

िभत्कायी रक्ष्भी मॊि वे दयू शोगी आसथाक वभस्माएॊ

 श्रेमा.ऐव.जोळी श्री मॊि

औय भनुष्म के सरए नलीन आम के स्रोत फनते शं ।

"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩूणा एलॊ ळत्रक्तळारी मॊि शै । श्री मॊि की भफशभा वे वामद शी कोई व्मत्रक्त असात शोगा क्मोफक "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त ळुब फ़रदमी मॊि शै । श्री मॊि धनप्रासद्ऱ शे तु न केलर दव ू ये मन्िो वे असधक वे असधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय व्मत्रक्त के सरए पामदे भॊद

वात्रफत शोता शै । ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त "श्री मॊि" स्जव व्मत्रक्त के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फ़रदामी सवद्ध शोता शै उवके दळान भाि वे अन-सगनत राब एलॊ वुख की प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अफद्रतीम एलॊ अरश्म ळत्रक्त भनुष्म की वभस्त ळुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे वभथा शोसत शै । स्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय सनयाळा दयू शोकय लश भनुष्म अवफ़रता वे वफ़रता फक औय सनयन्तय गसत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौसतक वुखो फक प्रासद्ऱ शोसत शै । "श्री मॊि" भनुष्म जीलन भं उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा

एलॊ

नकायात्भक

उजाा

को

दयू

कय

वकायत्भक उजाा का सनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थात्रऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फस्न्धत

ऩये ळासन भे न्मुनता आसत शै ल वुख-वभृत्रद्ध, ळाॊसत एलॊ ऐद्वमा फक प्रसद्ऱ शोती शै । स्पफटक का श्री मॊि वलाश्रद्ष े भाना जाता शं ।

रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि श्रीमॊि को वभस्त प्रकाय के श्रीमॊिं भं वलाश्रद्ष े भाना गमा शै औय कुफेय मॊि को दे लताओॊ भं धन के दे लता कुफेय जी का वफवे प्रबालळारी मॊि भाना जाता शं इव मॊि के ऩूजन वे अषम धन कोऴ की प्रासद्ऱ शोती शं

प्रसतफदन रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि का ऩूजन एलॊ दळान कयने वे व्मत्रक्त को जीलन भं धन औय ऐद्वमा की कबी बी कभी नशीॊ शोती शै । त्रलद्रानं ने अऩने अनुबलं भं ऩामा शं की जो भनुष्म अऩने गृशस्थ जीलन भं धन, लैबल, ऐद्वमा, वुख-वभृत्रद्ध, व्माऩाय भं वपरता, त्रलदे ळ राब, याजनीसत भं वपरता, नौकयी भं ऩदौस्न्न्त आफद की काभना यखता शं तो उवके सरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि वलाश्रऴ े मॊि शं । भनुष्म को रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि के ऩूजन वे जीलन के वबी षेि भं वुखवभृत्रद्ध एलॊ वौबाग्म की प्राद्ऱ शोने रगती शै । मफद फकवी व्मत्रक्त को व्माऩाय भं मफद व्माऩाय भं ऩूणा ऩरयश्रभ एलॊ रगने वे कामा कयने ऩय बी असधक राब की प्रासद्ऱ नशीॊ शो यशी शो, व्माऩाय भॊदा िर यशा शो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय शासन शो यशी शो तो उवे रक्ष्भीकुफेय

धन

आकऴाण

मॊि

को

अलश्म

अऩने

व्मलवामीक स्थान ऩय स्थात्रऩत कयना िाफशए। स्जववे व्माऩाय भं फाय-फाय शोने लारे घाटे मा नुकवान वे ळीघ्र शी राब प्राद्ऱ शोने के मोग फनने रगते शं । ।

गणेळ रक्ष्भी मॊि प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-

दक ु ान-ओफपव-पैक्टयी

भं

ऩूजन

स्थान, गल्रा

मा

अरभायी भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । मॊि के प्रबाल वे बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतद्षा एलॊ व्माऩय भं लृत्रद्ध शोती शं एलॊ आसथाक स्स्थभं वुधाय शोता शं । गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने वे बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त आळीलााद प्राद्ऱ शोता शं । श्री गणेळ रक्ष्भी मॊि के सनमसभत ऩूजन एलॊ दळान वे व्मत्रक्त के वकर त्रलध्नं एलॊ द्ु ख दरयरताका नाळ शोता शं ।

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स्जव प्रकाय बगलान गणेळ के नाभ स्भयण औय

ऐळो-आयाभ भौजुद शो, उवे कबी फकवी िीज की कभी न

दळान भाि वे व्मत्रक्त के वकर त्रलघ्ननं, वॊकट, आफद

शो। एवे रोगो के सरमे कुफेय मॊि एक प्रकाय वे िभत्कायी

फाधाओॊ का स्लत् शी नाळ शोता शं , उवी प्रकाय दे ली

मॊि शै कुफेय मॊि। कुफेय मॊि के ऩूजन वे स्लणा राब, यत्न

रक्ष्भी के स्भयण औय दळान भाि वे व्मत्रक्त का दब ु ााग्म

राब, ऩैतक ृ वम्ऩत्ती एलॊ गिे शुए धन वे राब प्रासद्ऱ फक

का स्लत् शी नाळ शोता शं । गणेळ रक्ष्भी मॊि के ऩूजन

वपरता दामक शोता शं । एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । कुफेय

वे ऩरयलाय भं वुख-ळाॊसत एलॊ वभृत्रद्ध का आगभन शोने

मॊि के ऩूजन वे एकासधक स्त्रोि वे धन का प्राद्ऱ शोकय

रगता शं मफश कायण शं गणेळ रक्ष्भी मॊि की भफशभा

धन वॊिम शोता शं । कुफेय मॊि धन असधऩसत धनेळ कुफेय

वौबाग्म भं फदर जाता शं उवके वभस्त दख ु ् दरयरता

अऩयॊ ऩाय शं ।

काभना कयने लारे व्मत्रक्त के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त

का मॊि शै , इव सरमे कुफेय मॊि के प्रबाल वे मषयाज कुफेय प्रवन्न शोकय अतुर वम्ऩत्रत्त का लयदान दे ते शं ।

कनकधाया मॊि

धभा ळास्त्रं भं लस्णात शं रॊकासधऩसत यालण ने

आज के बौसतक मुग भं शय व्मत्रक्त असतळीघ्र वभृद्ध फनना िाशता शं । कनकधाया मॊि फक ऩूजा अिाना कयने वे व्मत्रक्त के जन्भं जन्भ के ऋण औय दरयरता वे ळीघ्र भुत्रक्त सभरती शं । मॊि के प्रबाल वे व्माऩाय भं उन्नसत शोती शं , फेयोजगाय को योजगाय प्रासद्ऱ शोती शं ।

बगलान भशादे ल वे कुफेय मॊि प्राद्ऱ कय उवका त्रलसधत्रलधान वे ऩूजन फकमा था, मशी कायण शं की यालण नं दे लासधयाज कुफेय को प्रळन्न कय सरमा था स्जवके कायण शी उवका याज्म ऩूणा रुऩ वे वभृद्ध औय लैबलळारी था। कुफेय मॊि के प्रताऩ वे शी यालणने ऩूयी रॊका वोने की

कनकधाया मॊि अत्मॊत दर ा मॊिो भं वे एक मॊि शं स्जवे ु ब

फनाई थी। इव सरए धन-वॊऩत्रत्तकी काभना कयने लारे

शं ।

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु उयोक्त मॊि के अराला अन्म मॊि बी

भाॊ रक्ष्भी फक प्रासद्ऱ शे तु अिूक प्रबाला ळारी भाना गमा कनकधाया मॊि को त्रलद्रानो ने स्लमॊसवद्ध तथा वबी

भनुष्म को कुफेय मॊि का ऩूजन अलश्म कयना िाफशए।

प्रकाय के ऐद्वमा प्रदान कयने भं वभथा भाना शं ।

त्रलळेऴ प्रबालळारी शोते शं । स्जव मॊिं का मशाॊ वभालेळ

कुफेय मॊि

मा लश कभ प्रबाली शं एवा त्रफल्कुर नशीॊ शं , केलर मशाॊ

आज के दौय भं शय व्मत्रक्त की िाशता फक उवके ऩाव अऩाय धन-वॊऩत्रत्त शो। उवके ऩाय दसु नमा का शय

नशीॊ फकमा गमा शं अत् उवकी भशत्लता का कभ शोना वभम के अबाल भं एलॊ ऩाठको के ळीघ्र भागादळान शे तु केलर अनुबूत मॊिं का वभालेळ फकमा गमा शं ।

क्मा आऩ फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शं ? आऩके ऩाव अऩनी वभस्माओॊ वे छुटकाया ऩाने शे तु ऩूजा-अिाना, वाधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का वभम नशीॊ शं ? अफ आऩ अऩनी वभस्माओॊ वे फीना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा-अिाना, त्रलसध-त्रलधान के आऩको अऩने कामा भं वपरता प्राद्ऱ कय वके एलॊ आऩको अऩने जीलन के वभस्त वुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ शो वके इव सरमे गुरुत्ल कामाारत द्राया शभाया उद्दे श्म ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त त्रलसबन्न प्रकाय के मन्ि- कलि एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोिाने का शै ।

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नलम्फय 2013

धन लऴााने लारी वात दर ा रक्ष्भी वाधनाएॊ ु ब

 सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी, ऩॊ.श्री बगलानदाव त्रिलेदी जी, धन लऴाा का अथा मशाॊ आवभान वे धन की फारयळ शोना नशीॊ शं । धन लऴाा का अथा मशाॊ जीलन वे धन अबाल को दयू कयना भाि शं । अत् फुत्रद्धजीली ऩाठकं वे सनलेदन शं की अऩनी फुत्रद्ध त्रललेक वे इव अथा के गूढ़ यशस्म को वभझने का प्रमाव कयं । वच्िे धन की प्रासद्ऱ भनुष्म को केलर ऩुरुऴाथा औय ऩूणा ऩरयश्रभ वे शी वॊबल शं ।

त्रलद्रानं के भतानुवाय की त्रफना ऩरयश्रभ वे प्राद्ऱ धन स्स्थय नशीॊ यशता। धन की प्रासद्ऱ फकवी िभत्काय वे नशीॊ शोती, धन की प्रासद्ऱ केलर ऩरयश्रभ वे शोती शं । ळास्त्रोक्त लस्णात उऩामं वे भनुऴ द्राया फकमे गमे ऩरयश्रभ के पर भं लृत्रद्ध वॊबल शं । इन उऩामं का भुख्म उद्दे श्म भनुष्म को शोने लारे राब की प्रासद्ऱ भं आने लारे त्रलघ्नन-फाधा एलॊ रुकालटं को दयू कयना एलॊ राब के पर भं लृत्रद्ध कयना शं ।

धन रक्ष्भी वाधना

वाधना शे तु वाभग्री:भारा: कभरगट्टे की मा स्पफटक की फदळा: उत्तय | आवन: ऩीरा | लस्त्र: ऩीरा प्रवाद: दध ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे

भॊि:–

ॐ श्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी आगच्छ आगच्छ भभभॊदे सतद्ष सतद्ष स्लाशा ||

Om Shreem Shreem Kleem Shreem Lakshmi Aagachchha Aagachchha Mamamande Tishtha Tishtha Swaha

त्रलसध:– 

मश वाधना फकवी बी ळुक्रलाय को ळुरू फक जा वकती शं , उक्त भॊि का 11 भारा जऩ 43 फदन तक कयने वे भॊि सवद्ध शोता शै , रेफकन मफद अषम तृतीमा, धन तेयव औय दीऩालरी आदी ळुब भुशूता शोत तो इवे 21 फदन कयके सवद्ध कय वकते शं ।



वाधना शे तु वॊध्मा 7 फजे वे यात 10 फजे तक का वभम श्रेद्ष शोता शं । मफद वभम के अनुकूरता नशो तो अऩनी वुत्रलधानुवाय वभम िून वकते शं ।



ऩूजन के वभम ळुद्ध घी का फदऩक जरामे जो वाधना ऩूणा शोने तक जरता यशे औय वुगॊसधत अगयलती जरामे यखे।



दे ली रक्ष्भी जी को बोग भं खीय मा घय भं फनी सभठाई का बोग रगामे।



श्री गणेळ जी औय अऩने गुरुदे ल का स्भयण कय वाधना भं वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयं ।



वाधना की वभासद्ऱ लारे फदन भॊि का 11 भारा अथाात(1188) फाय शलन कयं , शलन भं घी की आशुती दे । मफद फकवी कायण वे आशुसत दे ने भं अवभथा शो तो आशुसत की वॊख्मा वे दोगुना भॊिजाऩ वम्प्ऩन कय वकते शं ।



इव रक्ष्भी वाधना के प्रबाल वे व्मत्रक्त के ऩाव फकवी ना फकवी भाध्मभ वे धन आने रगता शं । मश वॊबल नशीॊ की इव वाधना के फाद बी व्मत्रक्त सनधान यशं ।

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आसथाक राब एलॊ कामासवत्रद्ध शे तु रक्ष्भी भॊि वाधना वाधना शे तु वाभग्री: भारा: स्पफटक की फदळा: उत्तय मा ऩूला आवन: ऩीरा लस्त्र: वफ़ेद प्रवाद: पर

भॊि:

ॐ ऐॊ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ शॊ वौ जगत्प्रवूत्मै नभ्।

Om Aim Hreem Shreem Kleem Ham Sou Jagatprasootyai Namah

त्रलसध: 

प्रात्कार स्नानइत्माफद वे सनलृत्त शोकय स्लच्छ लस्त्र धायण कय ऩीरे आवन ऩय फैठ जामे। रक्ष्भीजी के सिि मा भूसता को एक रकिी के िौकी ऩय यखदे ।



रक्ष्भीजी को धूऩ-दीऩ इत्माफद वे त्रलसधलत ऩूजन कयं , वाधन कार भं धूऩ-दीऩ िारु यखं। ऩीरे मा स्लेत पूर रक्ष्भीजी को अत्रऩत ा कयं । मफद वॊबल शो तो एक पर बी रक्ष्भीजी को अत्रऩात कयं ।



फपय उऩयोक्त भॊि की 10 मा 20 भारा जाऩ कयं । भॊि की सवत्रद्ध शे तु कुर 25000 जाऩ कयं ।



भॊि जाऩ ऩूणा शोने के ऩद्ळमात प्रसतफदन 1 भारा जऩ जये । इव वाधना को कयने वे वाधक को धनराब शोता शं औय इस्च्छत कामा भं वपरता प्राद्ऱ शोसत शं ( मफद अनुकूरता शोतो प्रसतफदन 1000, 3000 मा 5000 जाऩ बी कय वकते शं ।



जाऩ स्जतना असधक शोगा उतना असधक राब सभरेगा। भॊि सवत्रद्ध 25000 जाऩ ऩूणा शोने के ऩद्ळमात प्रसतफदन सनमभ वे एक सनस्द्ळत भािा भं शी जाऩ कयं , जऩ वॊख्मा को कभ मा असधक कयने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।



ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मतृसतमा आफद अफूझ भुशूता भुशूता ऩय असधक पर प्रासद्ऱ शे तु एलॊ भॊि के प्रबाल को फढ़ाने शे तु असधक भािा भं जऩ फकमा जा वकता शं , क्मोफक, प्रसतफदन फकमे जायशे भॊि जऩ फक अऩेषा इन अलवयं ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभं की वॊबालना नशीॊ शोती इव सरमे इन अलवयं ऩय जऩ असधक वॊख्मा भं फकमे जा वकते शं ।

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अनुबत ू भशारक्ष्भी भॊि वाधना वाधना शे तु वाभग्री: भारा: कभर गट्टे की मा स्पफटक की फदळा: उत्तय मा ऩूला आवन: ऩीरा लस्त्र: वफ़ेद प्रवाद: पर मा सभश्री

भॊि:

ॐ श्रीॊ ह्रीॊ श्रीॊ कभरे कभरारमे प्रवीद प्रवीद श्रीॊ ह्रीॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।

Om Shreem Hreem ShreeM Kamale Kamalalaye Praseeda Praseeda Shreem Hreem Om Mahalakshmyai Namah

त्रलसध:

कासताक ळुक्र प्रसतऩदा वे (मा ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मतृसतमा आफद फकवी ळुब भुशूत)ा वे भॊि जाऩ ळुरु कयं । औय एक भाव भं वला राख भॊि

जाऩ ऩूणा कयं । फपय उऩयोक्त भॊि की प्रसतफदन 1 भारा जऩ कयं । इव वाधना वे अत्मासधक धन राब शोने के मोग फनने रगते शं । रक्ष्भीजी को धूऩ -दीऩ इत्माफद वे त्रलसधलत ऩूजन कयं , वाधन के वभम भं धूऩ-दीऩ िारु यखं। वुगॊसधत पूर रक्ष्भीजी को अत्रऩत ा कयं । मफद वॊबल शो तो एक पर मा सभश्री बी रक्ष्भीजी को अत्रऩत ा कयं । भॊि जाऩ ऩूणा शोने वे ऩशरे शी वाधक को आसथाक राब सभरना ळुरु शो जाता शं , इव भं जया बी वॊदेश नशीॊ शं ।

भॊि सवद्ध भूॊगा गणेळ भूॊगा गणेळ को त्रलध्नेद्वय औय सवत्रद्ध त्रलनामक के रूऩ भं जाना जाता शं । इव के ऩूजन वे जीलन भं वुख वौबाग्म भं लृत्रद्ध शोती शं ।यक्त वॊिाय को वॊतुसरत कयता शं । भस्स्तष्क को तीव्रता प्रदान कय व्मत्रक्त को ितुय फनाता शं । फाय-फाय शोने लारे गबाऩात वे फिाल शोता शं । भूॊगा गणेळ वे फुखाय, नऩुॊवकता , वस्न्नऩात औय िेिक जेवे योग भं राब प्राद्ऱ शोता शं ।

भूल्म Rs: 550 वे Rs: 8200 तक

भॊगर मॊि वे ऋण भुत्रक्त भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रललादो को शर कयने के काभ भं राब दे ता शं , इव के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त शे तु भॊगर वाधना वे असत ळीर राब प्राद्ऱ शोता शं ।

त्रललाश आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए

भॊगर मॊि की ऩूजा कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन वे बाग्मोदम, ळयीय भं खून की कभी, गबाऩात वे फिाल, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, वूजन औय घाल, मौन ळत्रक्त भं लृत्रद्ध, ळिु त्रलजम, तॊि भॊि के दद्श ु प्रबा, बूत-प्रेत बम, लाशन दघ ा नाओॊ, शभरा, िोयी इत्मादी वे फिाल शोता शं । ु ट

भूल्म भाि Rs- 730

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ळीघ्र परदामी रक्ष्भी भॊि वाधना वाधना शे तु वाभग्री: भारा: स्पफटक की फदळा: उत्तय मा ऩूला आवन: ऩीरा लस्त्र: वफ़ेद

भॊि:

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भशारक्ष्भीॊ वला काभ प्रदे वला वौबाग्मदासमनी असबभॊि प्रमच्छ वला वलागते वुरुऩे वलादज ा त्रलभोसिनी ह्रीॊ व् स्लाशा। ु म

Om Hreem Shreem Lakshmi Mahalakshmim Sarv Kam Prade Sarv Soubhagyadaayinee Abhimantra Prayachchha Sarv Sarvagate Surupe Sarvdurjaya Vimochini Hreem Sah Swaha

त्रलसध: प्रसतफदन सनमसभत वभम ऩय भॊि जऩ कयं । रकिी की िौकी ऩय रक्ष्भीजी का सिि स्थात्रऩत कय उवका धूऩ -दीऩ इत्माफद वे त्रलसधलत ऩूजन कयं , वाधन के वभम भं धूऩ-दीऩ िारु यखं। वुगॊसधत पूर रक्ष्भीजी को अत्रऩत ा कयं । 20 फदन भं एक राख जाऩ ऩूणा कयं । जाऩ ऩूणा शोने के ऩद्ळमात प्रसतफदन 1 भारा जाऩ कयं । इव वाधना वे वाधन की आसथाक स्स्थसत भं वुधाय शोने रगता शं , औय उवे भाॉ रक्ष्भी की कृ ऩा वे वुख-वॊऩत्रत्त औय लैबल की प्रासद्ऱ शोती शं ।

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु कयं यासळ भॊि का जऩ भेऴ : ॐ ह्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भीनायामण नभ्।

लृऴब : ॐ गौऩारामै उत्तय ध्लजाम नभ्। सभथुन : ॐ क्रीॊ कृ ष्णामै नभ्।

कका : ॐ फशयण्मगबाामै अव्मक्त रूत्रऩणे नभ्। सवॊश : ॐ क्रीॊ ब्रह्मणे जगदाधायामै नभ्। कन्मा : ॐ नभो प्रीॊ ऩीताम्फयामै नभ्।

तुरा : ॐ तत्ल सनयॊ जनाम तायक याभामै नभ्। लृस्द्ळक : ॐ नायामणाम वुयसवॊशामै नभ्।

धनु : ॐ श्रीॊ दे लकीकृ ष्णाम ऊध्लाऴॊतामै नभ्। भकय : ॐ श्रीॊ लत्वरामै नभ्।

कुॊब : श्रीॊ उऩेन्रामै अच्मुताम नभ्।

भीन : ॐ क्रीॊ उद्‍धत ृ ाम उद्धारयणे नभ्। यासळ भॊि के जाऩ कयने वे वबी प्रकाय के कामा भं ळीघ्र वपरता प्राद्ऱ शोती शं । यासळ भॊि के जाऩ वे व्मत्रक्त शय प्रकाय के वॊकट वे वुयस्षत यशता शं । व्मत्रक्त आसथाक रूऩ वे ऩूणा वॊऩन्न शो जाता शं ।

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सिॊता भस्ण रक्ष्भी वाधना वाधना शे तु वाभग्री: भारा: स्पफटक की फदळा: ऩस्द्ळभ आवन: ऩीरा लस्त्र: वफ़ेद प्रवाद: दध ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे

भॊि:

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भभ ग्रशभ ् धनऩूय सिॊता दयू दयू वलाशा ! Om Hreem Shreem Shreem, Shreem, Shreem Shreem Shreem Shreem Lakshmi Mam Graham Dhanpur Chinta Door Door Swaha

त्रलसध: 

श्री गणेळ जी औय अऩने गुरुदे ल का स्भयण कय वाधना भं वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयं । ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मतृसतमा आफद अफूझ भुशूता भं दे ली रक्ष्भी का धूऩ-फदऩ आफद वे ऩूजन कय इव भॊि को 108 फाय जऩ कयके सवद्ध कय रे।



फपय जफ कोई भशत्लऩूणा व्मलवामीक कामा कयना शो तो तफ उक्त भॊि का ऩुन् 108 फाय जऩ कयके कामा स्थर ऩय जाने वे व्माऩाय आफद भशत्लऩूणा कामं भं फढो़तयी एलॊ अत्मासधक राब की प्रासद्ऱ शोती शं ।



रक्ष्भी प्रासद्ऱ के एकासधक स्तोि फनने रगंगे औय मफद कोई फे योजगाय शो व्मत्रक्त को आभदनी का कोई वाधन नजय नशीॊ आ यशा शो तो बी इव भॊि को सवद्ध कय वकता शं औय सवद्ध कयने के ऩद्ळमात 11 फदन 108 फाय जऩ कयने वे व्मत्रक्त को उत्तभ योजगाय की प्रासद्ऱ के मोग फनने रगते शै ।



मफद ऩरयलाय भं कोई न कोई कभी यशती शं मा घय की प्रगसत मा उन्नसत के भागा प्रवस्त नशीॊ शो ऩायशे शो मा अत्मासधक कजा वय ऩय िढ़ गमा शो तो बी इव भॊि को सवद्ध कय वकते शं ।



मफद अफूझ भुशूता के आने वे ऩशरे इव भॊि को सवद्ध कयने की आलश्मक्ता मा इच्छा शो तो इव भॊि का जाऩ 11 फदन तक 108 लाय शय योज जऩने वे बी भॊि सवद्ध शोता शै ।

आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ शे तु परप्रद शं इव कलि को धायण कयने वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्राद्ऱ शोता शं । िाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो, धनवॊऩत्रत्त इत्माफद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्राद्ऱ शो वकता शं । शभाये लऴं के अनुवॊधान एलॊ अनुबलं वे शभने आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि को धायण कयने वे ळेमय ट्रे फडॊ ग, वोने-िाॊदी के व्माऩाय इत्माफद वॊफॊसधत षेि वे जुडे रोगो को त्रलळेऴ रुऩ वे आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ शोते दे खा शं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ कलि वे त्रलसबन्न स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शं ।

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ऋत्रद्ध-सवत्रद्ध प्रद ऩद्मालती वाधना वाधना शे तु वाभग्री: केवय, मॊि: भॊिसवद्ध प्राणप्रसतत्रद्षत श्री मॊि भारा: कभर गट्टे की मा स्पफटक की फदळा: उत्तय आवन: वफ़ेद लस्त्र: वफ़ेद

भॊि:

ॐ ऩद्मालती ऩद्मनेिे रक्ष्भीदासमनी वला कामा सवत्रद्ध करय करय ॐ ह्रीॊ श्रीॊ ऩद्मालत्मै नभ्।

Om Padmavati Padmanetre Lakshmidayinee Sarv Karya Siddhi Kari Kari Om Hreem Shreem Padmavatyai Namah

त्रलसध: फकवी बी फुधलाय वे भॊि जाऩ प्रायॊ ब कयं । रकिी की िौकी ऩय वपेद लस्त त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवद्ध प्राणप्रसतत्रद्षत श्री मॊि को स्थात्रऩत कयं । मॊि को ळुद्ध जर वे स्नान कयाके, उवऩय केवय रगामे, उवका धूऩ-दीऩ इत्माफद वे त्रलसधलत ऩूजन कयं , वाधन के वभम भं धूऩ-दीऩ िारु यखं। उक्त भॊि का 5 मा 11 फदनं भं वला राख जऩ कयने वे भॊि सवद्ध शो जाता शं । भॊि जाऩ ऩूणा शोने ऩय कुॊलायी कन्माओॊ को बोजन कयामे, मथा ळत्रक्त वाभथ्मा के अनुवाय बेट भं लस्त्र इत्माफद दं । फपय उव मॊि को अगरे फदन अऩने व्मलवामेक प्रसतद्षान मा सतजोयी, कैळ फोक्व मा ऩूजा स्थान भं स्थात्रऩत कयदे इववे व्मलवामे भेभ त्रलत्रद्ध शोती शं , वभाज भं िायं औय वाधन का मध कीसता ियं औय पैरने रगती शं । वाधन फदन प्रसत-फदन वभृद्ध शोता जाता शं । जफ तक मॊि वाधन के ऩाव यशे गा तफ-तफ उवे जीलन भं फकवी सिज की कभी नशीॊ शोगी।

वुलणा रक्ष्भी कलि वुलणा रक्ष्भी कलि को धायण कयने वे धन-वॊऩत्रत्त, यत्न-आबूऴण आफद की लृत्रद्ध शोती शं । वुलणा रक्ष्भी कलि को धायण कयने वे धायणकताा को वुलणा वे वॊफॊसधत कामं भं त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोती शं । त्रलसबन्न स्त्रोत वे आसथाक राब सभरने के मोग फनते शं । वुलणा रक्ष्भी कलि के प्रबाल वे धायणकताा की वुलणा वे वॊफॊसधत वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शं ।

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नलम्फय 2013

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु घॊटाकणा भशात्रलय वाधना वाधना शे तु वाभग्री: केवय, िॊदन, लावकेऩ, गुराफ पूर मॊि: श्री घॊटाकणा भशात्रलय मॊि अथला घॊटाकणा भशात्रलय ऩताका मॊि(मफद मॊि की वाभथ्माता न शो तो घॊटाकणा भशात्रलय जी का सिि स्थात्रऩत कयरं।) भारा: भूॊगे की फदळा: उत्तय आवन: ऩीरा लस्त्र: रार ऩीताॊफय

भॊि:

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ठॊ ॐ घण्टाकणा भशालीय रक्ष्भी ऩूयम ऩूयम वुख वौबाग्म कुरु कुरु स्लाशा।

Om Hreem Shreem Kleem Thah Om Ghantakarna Mahaveer Lakshmi Pooray Pooray Sukha Soubhagya Kuru Kuru Swaha

त्रलसध: मश वाधना मफद दीऩालरी भं धन िमोदळी वे आयॊ ब की जामे तो श्रेद्ष शं मफद अन्म कार भं ळुरु कयनी ऩडे ़तो फकवी बी गुरुलाय वे इवे आयॊ ब कय वकते शं । धन िमोदळी (धनतेयव) के फदन उक्त भॊि की 40 भारा, रुऩ ितुदाळी (अथाात नयकशया ितुदाळी, नयका िौदव, कारी ितुदाळी, काऱीिौदव,) को 42, दीऩालरी के फदन 43, भारा जाऩ कयं । मफद अन्म फदन वे आयॊ ब कय यशे शो तो गुरुलाय को 40, ळुक्र लाय को 42 औय ळसनलाय को 43 भारा भॊि जऩ कयं । रकिी की िौकी ऩय वपेद लस्त त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवद्ध प्राणप्रसतत्रद्षत श्री घॊटाकणा भशात्रलय मॊि मा सिि को स्थात्रऩत कयं । ळुद्ध िॊदन औय केवय का वुखा सभश्रण

(लावकेऩ) सछिके, मफद मश रव्म अप्राद्ऱ शो तो अद्शगॊध

सछिके(नोट:रव्म केलर वुखा सछिके श्री घॊटाकणा भशात्रलय के ऩूजन भं जर सभसश्रत घोर का प्रमोग न कयं ।), उवका धूऩ-दीऩ (ळुद्ध िॊदन धूऩ का प्रमोग श्रेद्ष)इत्माफद वे त्रलसधलत ऩूजन कयं , वाधन के वभम भं धूऩ-दीऩ िारू यखं। वुगॊसधत दे ळी रार गुराफ पूर के प्राद्ऱ शो जामे तो रगामे अन्मथा ऩीरा, वपेद, गुराफी यॊ ग का गुराफ बी रागा वकते शं ।

फपय श्री घॊटाकणा भशात्रलय के उऩयोक्त भॊि का ऩूणा श्रद्ध एलॊ सनद्षा वे जाऩ कयं । वाधना ऩूणा शोने ऩय श्री घॊटाकणा भशात्रलय प्रवन्न शोते शं ळीर शी वाधक को रक्ष्भी की प्रासद्ऱ के मोग फनने रगते शं । वाधना वॊऩन्न शोने ऩय प्रसतफदन उक्त भॊि फक 1 भारा जऩ कयं । त्रलळेऴ नोट:

श्री घॊटाकणा भशात्रलय का ऩूजन कयने लारे वाधको शे तु भावॊ -भफदया, कुवॊग इत्माफद सनऴेध शं । अत् भाॊव-

भछरी, ळयाफ इत्माफद का वेलन कयने लारे व्मत्रक्त कृ प्मा मश प्रमोग न कयं । अन्मथा श्री घॊटाकणा भशात्रलय के प्रकोऩ वे वाधना का प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं । श्री घॊटाकणा भशात्रलय इव कसरमुग भं ळीघ्र प्रवन्न शोने लारे वाषात दे ल शं , इव भे जयाबी वॊदेश नशीॊ शं । इव वाधना के ऩद्ळमात भावॊ -भफदया, ऩयस्त्री-ऩुरुऴ इत्माफदका वेलन कयने ऩय वाधन द्राया सवद्ध फकमा गमा भॊि प्रबाल शीन शो जाता शं ।

नलम्फय 2013

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स्स्थय रक्ष्भी के सरए कयं इन वात दर ा वाभग्रीमं के उऩाम ु ब

 सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी यक्त गुॊजा गुॊजा एक दर ा लनस्ऩसत का फीज शं । तॊि ळास्त्र ु ब

भं मश एक दर ा एलॊ अत्मन्त प्रबालळारी लस्तु भानी ु ब जाती शै । गुॊजा प्राम् वपदे , रार ल कारं यगॊ के फीज स्लरुऩ भं ऩामी जाती शं । त्रलसबन्न तॊि फक्रमाओॊ भं गुॊजा फीज के वाथ-वाथ गुॊजा के जि का बी त्रलळेऴ रुऩ वे प्रमोग फकमा जाता शं । गुॊजा फीजं का प्रमोग त्रलसबन्न कामा उद्दे श्म की ऩूसता शे तु फकमा जाता शं । रार गुॊजा का प्रमोग त्रलळेऴ रुऩ वे रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे फकमा जाता शं । रार गुॊजा ऩय एक कारे यॊ ग का छोटा त्रफॊद ू शोता शं । एवा भाना जाता शं

की यक्त गुॊजा वे घय भं वुख-वभृत्रद्ध की लृत्रद्ध तो शोती शी शं वाथ शी वाथ भं भाॊ भशारक्ष्भी की कृ ऩा बी घय ऩय फनी यशती शं ।  दीऩालरी के फदन यक्त गुॊजा के इक्कीव मा ग्मायश दानं को गॊगा जर वे ऩत्रलि कयके ऩूजा स्थान यखदे ना िाफशए। ऩूजा के ऩद्ळमात गुॊजा के दानं को अऩनी सतजोयी, कैळफोक्व, गल्रे भं रार कऩिे भं फाॊधकय वे फदनं फदन ऩरयलाय की आसथाक वभृत्रद्ध फढ़ती शं ।

 भॊि द्राया सवद्ध यक्त गुॊजा के इक्कीव मा ग्मायश दानं को अऩने व्मलवाम मा ओफपव भं योकि यखने के वाथ भं यखने वे धन की कबी कभी नशीॊ शोती औय कैळ फोक्व कबी खारी नशीॊ यशता, रक्ष्भी जी का आसळलााद फना यशता शं ।  मफद भॊि सवद्ध फक शुई यक्त गुॊजा की भारा को कोई

व्मत्रक्त गरे भं धायण कताा शं तो लश वलाजन लळीकय के वभान प्रबालळारी शोती शं । यक्त गुॊजा की भारा को केलर प्रमोग के वभम मा फकवी भशत्ल ऩूणा कामा मा व्मत्रक्त वे सभरते वभम शी धायण कयं , अनालश्म

शोने ऩय उवे उताय कय अऩने ऩूजा वथान भं यखदं ।  फकवी भशत्लऩूणा कामा उद्दे श्म की ऩूसता शे तु भॊि सवद्ध यक्त गुॊजा के इक्कीव दानं को अऩने वाथ रेकय घय वे फाशय सनकरे, कामा उद्दे श्म ऩूणा शोने ऩय उवे फशते जर भं प्रलाफशत कय दं ।

नाग केळय नाग केवय असत ऩत्रलि एलॊ उराब लनस्ऩसतमं भं वे एक भानी जाती शं । इवे नागकेद्वय के नाभ वे बी जाना जाता शं । धासभाक भान्मताओॊ भं नाग केळय का स्थान प्रभुख लस्तुओॊ अग्रस्त शं । तॊि गॊथं भं नाग केळय के त्रलसबन्न प्रमोगं का लणान सभरता शं । धनप्रासद्ऱ एलॊ वुख-वभृत्रद्ध शे तु बी नाग केळय का उऩमोग फकमा जाता शं ।  िाॊदी (मफद उऩल्फध नशं को अन्म धातु ) की एक छोटी वी फडब्फी भं नागकेळय को ळशद के वाथ सभराकय ढ़क्कन रगाकय उवे फॊद कयदं । दीऩालरी की यात्रि भं उवे ऩूजन के फाद भं सतजोयी भं यखदे । अगरी दीलारी को उव फडब्फी को खोर कय नागकेळय औय ळशद को फदर दं । एकफाय फडब्फी यखदे ने के फाद उवे खोरे नशीॊ उवे फॊध शी यशने दे ।  धन-वभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ शे तु एक नत्रलन ऩीरे लस्त्र भं नागकेळय, वाफुत शल्दी, वुऩायी, एक ताॊफे का सवक्का, एक ऩाॊि मा दव का सवक्का, अषत को एक वाथ कय के उवको कऩडे ़ भं फाॊध दं । फपव उवे धूऩ-दीऩ वे ऩूजन कयके अऩनी सतजोयी भं यखकय प्रसतफदन ऩूजन के वभम उवे धूऩ दं तो धनराब शोने रगेगा।  दीऩालरी की यात मा अन्म फकवी ळुब भुशूता भं

नागकेळय औय ऩाॊि सवक्कं को रेकय उवे ऩूजा स्थान ऩय यखदे फपय ऩूजन की वभासद्ऱ के फाद उवे एक ऩीरे कऩडे ़ भं फाॊध कय अऩने व्मलवामीक प्रसतद्षान के

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गल्रे, सतजोयी आफद धन यखने लारे स्थान ऩय यख

त्रलद्रानं के भतानुवाय सवद्ध गोभसत िक्र वे त्रलसबन्न

दं । इव प्रमोग वे व्मत्रक्त को कबी धन की कभी नशीॊ

भनोकाभनाएॊ वयरता वे ऩूणा की जावकती शं ।

यशे गी।

 दीऩालरी की यात को ऩाॊि भॊि सवद्ध गोभसत िक्र को

 धन प्रासद्ऱ के सरए के सरए वोभलाय मुक्त ऩूस्णाभा के

स्थात्रऩत कयके उवका वाषात रक्ष्भी रुऩ भं ऩूजन

फदन सळलभॊफदय भं सळलसरॊग का कच्िे, दघ ू , दशी, ळशद

कयने वे उवका त्रलसधलत ऩूजन कयने वे व्मत्रक्त को

सळलसरग का गॊगाजर वे असबऴेक कयं । तत्ऩद्ळमात

 दीऩालरी के फदन 11 गोभती िक्र औय 11 ऩीरी

िीनी औय घी अथाात ऩॊिाभृत वे असबऴेक कयं । फपय ऩाॊि

त्रफल्लऩिं

के

वाथ

भं

ऩाॊि

नागकेळय

जीलन भं सनयॊ तय धन की प्रासद्ऱ शोती यशती शं ।

को

कोफडमं दोनं को को एक ऩीरे कऩडे ऩय यख यखकय

ऩूस्णाभा तक सनमसभत रुऩ वे कयं । अॊसतक फदन िढा़ए

भारा कयके उवे कऩडे ़ भं फाॊधकय अऩने सतजोयी भं

गमे नागकेळय एलॊ त्रफल्लऩिं भं वे एक त्रफल्लऩि एलॊ

स्थात्रऩत कयने वे धन राब की प्रासद्ऱ शोती शं ।

सळलसरॊग ऩय अत्रऩत ा कयं । मश फक्रमा प्रसतफदन अरगी

थोडा़ नागकेळय घय लाऩव रे आमे उवे अऩनी सतजोयी भं यखदं । इव प्रमोग वे अत्मासधक धनराब की प्रासद्ऱ शोती शं ।

गोभसत िक्र गोभसत िक्र वभुर वे प्राद्ऱ शोने लारी दर ा ु ब

लस्तुओॊ भं वे एक शं । क्मोफक मश आवानी वे प्राद्ऱ नशीॊ शोता मश एक वपेद यॊ गका गोराकाय फदखने भं वीऩ वे

सभरता-जुरता प्रसतत शोता शं । शाराॊकी कई गोभसत िक्र ऩूणत ा ् वपेद नशीॊ शोती उवके उऩय गेशुलं औय कारे यॊ ग की ऩरती धायीमा शोती शं , जफ मश धायीमा घीव मा उवे

ऩोसरव फकमा जाता शं तफ मश वपेद यॊ ग का नजय आने रगता शं । इव के उऩय िक्र जैवे आकृ सतमा कृ दयसत औय ऩय ऩाई जाती शं इव सरए इवे गोभसत िक्र कशते शं । धासभाक भान्मता के अनुवाय वभुर वे प्राद्ऱ शोने लारे वबी लस्तुमे प्राम् रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु ऩूजन भं प्रमुक्त शोती शं । गोभसत िक्र बी वभुर वे प्राद्ऱ शोता शं औय रक्ष्भी की त्रप्रम लस्तु शोने वे रक्ष्भी ऩूजन भं इवका त्रलळेऴ भशत्ल शं । ऩुयातन कार वे शी गोभसत िक्र को रक्ष्भी प्रासद्ऱ के अरागा अन्म तॊि प्रमोगो एलॊ काभना ऩूसता शे तु बी इवका त्रलळेऴ रुऩ वे प्रमोग फकमा जाता शं । क्मोफक

कय ऩूजन कयं । फपय "ऐॊ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ" भॊि का ऩाॊि

ऩीरी कौफिमाॊ ऩौयास्णक कार वे शी कौफिमं को वौबाग्म कायक भानी जाती शं । दे ळ एलॊ त्रलदे ळ की त्रलसबन्न वभ्मताओॊ एलॊ प्राॊतो भं कौफिमं के त्रलसबन्न छोट-फडे प्रमोग शोते आमे शं । ऩूयातन कार भं जन सवक्को का िरन नशीॊ था तफ रोग कौफिमं का नगद्दी के रुऩ भं प्रमोग कयते थे। रोग कौफिमं का आदान-प्रदान कयके सिज-िस्तु खरयदते औय फेिते शं । धासभाक भान्मता के अनुवाय वभुर वे प्राद्ऱ शोने लारे वबी लस्तुमे प्राम् रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु ऩूजन भं प्रमुक्त शोती शं । कौफिमाॊ बी वभुर वे प्राद्ऱ शोता शं औय ऩीरी कौफिमाॊ रक्ष्भी की असत त्रप्रम लस्तु शोने वे रक्ष्भी ऩूजन भं इवका त्रलळेऴ भशत्ल शं ।

 दीऩालरी की यात भं 11 ऩीरी कौफिमं ऩूजा स्थान भं यखदं ऩूजन की वभासद्ऱ ऩय उवे अऩने सतजोयी भं गशने इत्माफद के वाथ भं यखदं तो ऩरयलाय भं गशने-जेलयात की लृत्रद्ध शोने रगती शं । अगरे लऴा ऩुन्

दीऩालरी

ऩूजन

के

वभम

कौफिमं

को

फदरदे ।  दीऩालरी की यात भं 11 ऩीरी कौफिमं को अऩने घय मा व्मलवामीक स्थान भं सतजोयी भं यखने वे व्माऩाय औय धन की भं लृत्रद्ध शोती शं ।

नलम्फय 2013

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शकीक

 स्जव बी घय भं रघु श्रीपर शोता शं लशाॊ वुखशकीक एक प्रकाय का उऩयत्न शं , स्जवका उऩमोग

त्रलसबन्न तॊि प्रमोग एलॊ धनप्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ रुऩ वे फकमा जाता शं । मश एक अत्मॊत प्रबालळारी ऩत्थय भाना जाता शं । शकीक के प्रबालं के त्रलऴम कुछ जानकाय त्रलद्रानो का अनुबल शं की शकीक को मफद कोई व्मत्रक्त धायण नशीॊ कयके केलर अऩने वाथ यखता शं तो बी लश अऩना िभत्कायी प्रबाल फदखा शी दे ता शं ।  दीऩालरी के फदन ऩूजान के वभम 21 शकीक को स्थाऩीत कयदे ऩूजन के ऩद्ळमात उवे दीऩालरी के फदन शी जभीन भं गाढ़दे ने वे व्मत्रक्त को सनयॊ तय धन राब शोता यशता शं ।  भनोकाभना ऩूसता शे तु ग्मायश शकीक ऩत्थय को अऩने

वॊऩन्नता औय लैबल का लाव शोता शं ।  मफद रघु श्रीपर को व्मलवामीक स्थान ऩय यखने वे व्माऩाय भं फदन प्रसत फदन उन्नसत शोती यशती शं ।  त्रलद्रानो का कथन शं की मफद फकवी व्मत्रक्त को वौबाग्म वे 11 रघु श्रीपर प्राद्ऱ शो जामे तो उवके जन्भं-जन्भ की दरयरता का अॊत शो जाता शं औय मफद फकवी व्मत्रक्त के घय भं 1 रघु श्रीपर का ऩूजन शोता शं लशाॊ वे दख ु ्, दरयरता कोवो दयू यशती शं ।

कारी शल्दी

स्जव प्रकाय वे शल्दी ऩीरे यॊ गी को शोती शं । उवी प्रकाय एक दर ा जाती की कारे यॊ गकी शल्दी बी ऩाई ु ब जाती शं । कारी शल्दी को कृ ष्ण शरयरा के नाभ वे जाना

ऩूजा स्थान ऩय यख कय अरगरे फदन उवे भॊफदय भं

जाता शं । कारी शल्दी की वुगॊध कऩूय वे सभरती-जुरती

िढाने वे भनोकाभना ळीघ्र ऩूणा शोती शं ।

शोती शं । कारी शल्दी को भुख्मत् तॊि फक्रमाओॊ एलॊ

 दीऩालरी के फदन शकीक भारा वे रक्ष्भी भॊि का एक भारा जऩ कयके। भारा को धायण कयने वे दे ली रक्ष्भी की शभंळा कृ ऩारत्रद्श फनी यशती शं । भॊि: "ॐ ह्रीॊ ह्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी लावुदेलाम नभ्।"  रक्ष्भी जी के सिि को 27 शकीक ऩत्थय के उऩय

रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु एक दर ु ाब औऴसध भानते शं ।

 स्जव बलन भं भॊि सवद्ध कारी शल्दी का ऩूजन कयने वे बलन भं धन-वौबाग्म की स्लत् लृत्रद्ध शोने रगती शं ।  दीऩालरी के फदन मा अन्म फकवी ळुब भुशूता भं कारी शल्दी को धूऩ-दीऩ आफद वे ऩूजन कय के अऩनी

स्थात्रऩत कयने वे व्मत्रक्त को सनस्द्ळत रुऩ वे आसथाक

सतजोयी मा धन यखने लारे स्थान ऩय यखने वे धन

राब प्राद्ऱ शोता शं ।

का कबी अबाल नशीॊ यशता शं ।

रघु श्रीपर रघु श्रीपर एक प्रकाय का छोटे

स्लरुऩ का

नारयमर शोता शं । स्जवके ऊऩय नारयमर के वभान शी जटाएॊ शोती शं जो कयीफ एक ईि स्जतना फडा़ शोता शं । रघु श्रीपर को नारयमर का रघुरुऩ भाना जाता शं । रघु श्रीपर का प्रमोग त्रलळेऴ रुऩ वे रक्ष्भी प्रासद्ऱ शे तु फकमा जाता शं । क्मोफक रघु श्रीपर भाॊ भशारक्ष्भी का मश त्रप्रम पर भानाजाता शं औय एवी भान्मता शं की स्जवके ऩाव रघु श्रीपर शोता शं दे ली रक्ष्भी सनस्द्ळत रुऩ वे उव ऩय कृ ऩा कयती शं । रघु श्रीपर के ऩूजन वे भाॊ रक्ष्भी स्खॊिी िरी आती शं ।

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री ु ब यक्त गुॊजा : 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 गोभसत िक्र: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 ऩीरी कौफिमाॊ: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 शकीक: 11 नॊग-Rs-111, 21 नॊग Rs-181 रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-111, 11 नॊग-Rs-1111 नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-111 कारी शल्दी:- 370, 550, 750, 1250, 1450,

GURUTVA KARYALAY Call Us: 91 + 9338213418, 91 + 9238328785, Email Us:- [email protected], [email protected]

नलम्फय 2013

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कजा वे शोना शं भुक्त तो कबी न रे भॊगर लाय को कजा

 सिॊतन जोळी आज के आधुसनक मुग भं ऋण असभय-भध्मभ-

अथाात् धन के रेनदे न शे तु भॊगरलाय औय फुधलाय ब़डे

गयील शय लगा फक शं । आज ज्मादातय व्मत्रक्त कजा के

भशत्ल ऩूणा शं । भॊगरलाय को उधाय रेना अळुब शोता शं

भक्कि जार भं उरझा शुआ शं ।

तथा फुधलाय को उधाय दे ना अळुब शोता शं ।

आज कोई व्मत्रक्त धन

उधाय दे कय योते शुले सभरता शं तो कोई धन रेकय ऩछता ते शुले आवानी वे सभरता शं । 10-20 रयस्तेदय-सभि-वाशुकाय को ढे यं सभन्नतं

बयतीम ज्मोसतऴ भं कजा के रेन-दे न वे वॊफॊधी इन वभस्माओॊ वे दयू यशने के उऩाम फतरामे शं । ज्मोसतऴ के त्रलळेऴ सनमभो को अऩना कय जीलन भं कजा वे वॊफॊसधत वभस्माओॊ को अऩने अनुकूर फनामा जा वकता शं , व्मलवाम वे जुडे रोगो को व्मलवाम वे वॊफॊसधत रेनदे न तो योज कयने ऩडते शं । एवे रोग मफद ज्मोसतऴ के सवद्धाॊतो को अऩना ने धन वे वॊफॊसधतत रेनदे न अच्छा शोता शं । रेनदे न के फडे

बुगतान शे तु

वभम अलसध को ध्मान भं यखते शुले असग्रभ एलॊ ऩद्ळमात बुगतान फकमा जामे तो

त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं ।

जामदाद

त्रललादो

नशीॊ

रेना िाफशमे।

को

शर

आलश्मकता प़ड जामे तो फुधलाय को कजा नशीॊ

दे ना िाफशमे फुधलाय को

फदमे गमे कजा को प्राद्ऱ कयने भं

कयने के काभ भं राब दे ता शं ,

कफठनाई आती शं ।

भुत्रक्त शे तु भॊगर वाधना वे असत

सनमभ शं जो वयरता वे माद यखा जा

इव के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण

ळीर राब प्राद्ऱ शोता शं । आफद

भं

भॊगरी

त्रललाश

जातकं

के

कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन वे बाग्मोदम, ळयीय भं खून की कभी, गबाऩात वे फिाल,

फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, वूजन औय घाल, मौन ळत्रक्त भं लृत्रद्ध, ळिु त्रलजम, तॊि भॊि के दद्श ु प्रबा, बूत-

प्रेत बम, लाशन दघ ा नाओॊ, शभरा, ु ट िोयी इत्मादी वे फिाल शोता शं ।

रेन-दे न शे तु भुख्म सनमभ शं । ऋणे बौभे न ग्रशीमात, न दे मभ ् फुधलावये ।

के

कजा

ब़डी कफठनाई आती शं । कजा दे ने फक

भॊगर मॊि को जभीन-

गमा शं गरी-गरी उधाय दे ने के सरमे

कबी

भॊगरलाय को सरमे उधाय को िुकाने भं

वे ऋण भुत्रक्त

कयनी शोती थीॊ ऩय अफ वभम फदर

यशते शं ।

को

भॊगर मॊि

लऴा ऩशरे फकवी वे कजाा रेने के सरए

फंक लारे रोन/क्रेफडट काडा दे ते फपयते

कजा रेने फक आलश्मकता प़ड जामे तो भॊगरलाय

ऋणच्छे दनभ ् बौभे कुमाात,् वॊिमे वोभ नॊदने॥

भूल्म भाि Rs- 730

मश ज्मोसतऴ का एक वयर वकता शं औय दै सनक जीलन भं उऩमोग फकमा जा वकता शं । ज्मोसतऴ भत वे भॊगरलाय ऋण िुकाने के सरए श्रेद्ष शं । फुधलाय धन वॊिम(वेत्रलॊग) के वला श्रेद्ष फदन शं । फुधलाय को फंक भं धन जभा कयना, फफ़क्व फडऩोजीट इत्माफद शे तु श्रेद्ष शं । मफद कजा रेने फक जरूयत शोतो भॊगरलाय, वूमा वॊक्राॊसत का फदन, लृत्रद्ध मोग, स्जव यत्रललाय को शस्त नषि शो, इन वॊमोग ऩय िाशे फकतनी शी ब़डी जरूयत शो इन फदनं भं ऋण कबी नशीॊ रेना िाफशमे,

ऋण रेना अगरे फदन

ऩय टार दं । मफद कजा दे ने फक जरूयत शोतो फुधलाय, कृ त्रत्तका, योफशणी, आराा, आद्ऴेऴा,

उत्तयापाल्गुनी, उत्तयाऴाढ़ा, उत्तयाबारऩद नषिं भं, बरा, व्मसतऩात औय अभालस्मा के वॊमोग ऩय फदमा गमा धन

नलम्फय 2013

70

कबी लाऩव प्राद्ऱ नशीॊ शोता मा धन प्राद्ऱ कयने भं

इन सनमभं को अऩनाकय वाधायण व्मत्रक्त बी अवाधायण

अत्मासधक कफठनाईमा आती शं । , धन प्रासद्ऱ शे तु कोटा -

राब प्राद्ऱ कय वकता शं ।

केळ, झग़डे इत्माफदके उऩयाॊत बी धान प्राद्ऱ नशीॊ शोता।

मफद

धन

का

कशीॊ

सनलेळ

(जभीन-जामदाद,

शभने अऩने अनुबलो भं इव वॊमोग ऩय धन रेने औय

ळेयभाकेट, इन्स्मोयं व, वोना, िाॊफद, त्रलदे ळी भुरा, इत्मादी)

धन दे ने लारे दोनो को ऩये ळानीमाॊ झेरते दे खा गमा शं ।

भं कयना शो तो भॊगरलाय औय फुधलाय के असतरयक्त अन्म

इव वॊमोग ऩय धन रेने लारे का धन फटकता नशीॊ एलॊ

लायं का िुनाल कयं । इवके असतरयक्त ऩुनलावु-स्लासत-

उस्की आसथाक स्स्थती धन िुकाने रामक नशीॊ यशजाती।

भृगसळया-ये लती-सििा-अनुयाधा-त्रलळाखा-ऩुष्म-श्रलण-धसनद्षा-

उवे कजा िुकाने शे तु औय कजा रेने फक नौफत आन ऩिती

ळतसबऴा औय अस्द्वनी नषिं भं फकमा गमा सनलेळ ळुब

फशुत छोटे -ब़डे त्रललादं वे आवानी वे फिा जा वकता शं ।

कयना उत्तभ शोता शं । सनलेळ कयने वे ऩूला मश दे ख रे फक

बी स्जवका रेनदे न अच्छा शोता शं , उवका वभाज भं

गमा ऩूॊस्ज सनलेळ धन को फढ़ाता शं ।

शं । इन सवद्धाॊतं को अऩना कय जीलन भं अऩनाने वे क्मोफक आज के वभम भं त्रलऴभ ऩरयस्स्थसतमं भं

अच्छा प्रबाल फन जाता शं ।

यशता शं । सनलेळ िय (भेऴ-कका-तुरा-भकय) रग्नो भं रग्न वे 8लं बाल भं कोई ग्रश न शो, इव वभम भं फकमा

भॊि सवद्ध भॊगर गणेळ

भूॊगा गणेळ को त्रलध्नेद्वय औय सवत्रद्ध त्रलनामक के रूऩ भं जाना जाता शं । इव सरमे भूॊगा गणेळ ऩूजन के सरए अत्मॊत राबकायी शं । गणेळ जो त्रलध्न नाळ एलॊ ळीघ्र पर फक प्रासद्ऱ शे तु त्रलळेऴ राबदामी शं । भूॊगा गणेळ घय एलॊ व्मलवाम भं ऩूजन शे तु स्थात्रऩत कयने वे गणेळजी का आळीलााद ळीघ्र प्राद्ऱ शोता शं । क्मोफक रार यॊ ग औय रार भूॊगे को ऩत्रलि भाना गमा शं । रार भूॊगा ळायीरयक औय भानसवक ळत्रक्तमं का त्रलकाव कयने शे तु त्रलळेऴ वशामक शं । फशॊ वक प्रलृत्रत्त औय गुस्वे को सनमॊत्रित कयने शे तु बी भूॊगा गणेळ फक ऩूजा राब प्रद शं । एवी रोकभान्मता शं फक भॊगर गणेळ को स्थात्रऩत कयने वे बगलान गणेळ फक कृ ऩा ळत्रक्त िोयी, रूट, आग, अकस्भात वे त्रलळेऴ वुयषा प्राद्ऱ शोती शं , स्जस्वे घय भं मा दक ु ान भं उन्नती एलॊ वुयषा शे तु भूॊगा गणेळ स्थात्रऩत फकमा जावकता शं ।

प्राण प्रसतत्रद्षत भूॊगा गणेळ फक स्थाऩना वे बाग्मोदम, ळयीय भं खून की कभी, गबाऩात वे फिाल, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, वूजन औय घाल, मौन ळत्रक्त भं लृत्रद्ध, ळिु त्रलजम, तॊि भॊि के दद्श ा नाओॊ, शभरा, ु प्रबा, बूत-प्रेत बम, लाशन दघ ु ट िोय, तूपान, आग, त्रफजरी वे फिाल शोता शं । एलॊ जन्भ कुॊडरी भं भॊगर ग्रश के ऩीफित शोने ऩय सभरने लारे शासनकय प्रबालं वे भुत्रक्त सभरती शं । जो व्मत्रक्त उऩयोक्त राब प्राद्ऱ कयना िाशते शं उनके सरमे भॊि सवद्ध भूॊगा गणेळ अत्मसधक पामदे भॊद शं । भूॊगा गणेळ फक सनमसभत रूऩ वे ऩूजा कयने वे मश अत्मसधक प्रबालळारी शोता शं एलॊ इवके ळुब प्रबाल वे वुख वौबाग्म फक प्रासद्ऱ शोकय जीलन के वाये वॊकटो का स्लत् सनलायण शोजाता शं ।

Rs.550 वे Rs.8200 तक

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 Our Website:- www.gurutvakaryalay.com and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/ Email Us:- [email protected], [email protected]

नलम्फय 2013

71

रक्ष्भी-गणेळ के ऩूजन वे धन, वुख औय वौबाग्म की प्रासद्ऱ शोती शं

 सिॊतन जोळी बायतीम

धासभाक

एलॊ

वॊस्कृ सतक

भान्मता

के

ब्रह्मलैलता ऩुयाण भं शी एक अन्म प्रवॊगान्तगात भाता

अनुवाय रक्ष्भीजी के वाथ श्री त्रलष्णु फक ऩूजा शोनी

ऩालाती ने गणेळ भफशभा का फखान कयते शुए ऩयळुयाभ वे

िाफशए। फकन्तुॊ दीऩालरी ऩूजन भं भाॊ रक्ष्भी के वाथ गणेळजी फक ऩूजा क्मं फक जाती शं । धन फक दे ली रक्ष्भी शं जो धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा प्रदान कयती शं । रेफकन त्रफना फुत्रद्ध के धन, वभृत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा व्मथा शं । इवके ऩीछे भुख्म कायण शं की बगलान श्री गणेळ वभस्त त्रलघ्ननं को टारने लारे शं , दमा एलॊ कृ ऩा के भशावागय शं , एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩसत वफ प्रकाय वे मोग्म शं । वभस्त त्रलघ्नन फाधाओॊ को दयू कयने लारे गणेळ त्रलनामक शं । अत् फुत्रद्ध फक

कशा –

त्लफद्रधॊ रषकोफटॊ ि शन्तुॊ ळक्तो गणेद्वय्। स्जतेस्न्रमाणाॊ प्रलयो नफश शस्न्त ि भस्षकाभ ्।। तेजवा कृ ष्णतुल्मोऽमॊ कृ ष्णाॊद्ळ गणेद्वय्। दे लाद्ळान्मे कृ ष्णकरा् ऩूजास्म ऩुयतस्तत्।। (ब्रह्मलैलताऩु., गणऩसतख., 44। 26-27) बालाथा: स्जतेस्न्रम ऩुरूऴं भं श्रेद्ष गणेळ तुभभं जैवे

प्रासद्ऱ के सरमे फुत्रद्ध औय त्रललेक

भाय

के असधऩसत दे लता गणेळ का

ऩूजन

त्रलधान

कयने

शं ।

का

ळत्रक्त

शै ;

ऩयन्तु तुभने भक्खी ऩय

उत्ऩन्न गणेळ

वभस्त

श्रीकृ ष्ण

सवत्रद्धमाॉ बगलान गणेळ

शुआ

लश

तेज

भं

के

शी

वभान शै । अन्म दे लता

भं लाव कयती शं । इव सरमे रक्ष्भीजी के वाथ

की

को

श्रीकृ ष्ण के अॊळ वे

लारे दे लता भाना गमा क्मोफक

डारने

जन्तुओॊ

बी शाथ नशीॊ उठामा।

गणेळजी

वभस्त सवत्रद्धमं को दे ने शै ।

राखं-कयोिं

श्रीकृ ष्ण

भं श्री

वलाऩूज्मद्ळ मोगीन्रो बल लत्वेत्मुलाि तभ ्।। (गणऩसतखॊ. 13। 2) बालाथा: „वुयश्रेद्ष! भंने वफवे ऩशरे तुम्शायी ऩूजा फक शै , अत् लत्व! तुभ वलाऩूज्म तथा मोगीन्र शो जाओ।‟

शं ।

सरॊगऩुयाण के अनुवाय (105। 15-27)

ब्रह्मलैलताऩुयाण भं उल्रेख शं

वलााग्रे तल ऩूजा ि भमा दत्ता वुयोत्तभ।

कराएॉ

इवीवे इवकी अग्रऩूजा शोती शै ।

गणेळजी फक आयाधना आलश्मक शं । बगलान ् त्रलष्णु ने स्लमॊ गणेळ जी को लयदान फदमा फक

की

सळल ने अऩने ऩुि को आळीलााद फदमा फक जो तुम्शायी ऩूजा फकमे त्रफना ऩूजा ऩाठ, अनुद्षान इत्माफद ळुब कभं का अनुद्षान कये गा, उवका भॊगर बी अभॊगर भं ऩरयणत शो जामेगा। जो रोग पर की काभना वे ब्रह्मा, त्रलष्णु, इन्र अथला अन्म दे लताओॊ की बी ऩूजा कयं गे, फकन्तु तुम्शायी ऩूजा नशीॊ कयं गे, उन्शं तुभ त्रलघ्ननं द्राया फाधा ऩशुॉिाओगे।

नलम्फय 2013

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इव वबी कायण वे भाॊ रक्ष्भी के वाथ भं गणेळजी का

जी फक ऩूजा नशीॊ कये गा लयन उनकी सनॊदा कये गा भं उनवे

ऩूजन कयने का त्रलधान शं । रक्ष्भी प्रासद्ऱ के फाद भं उवे स्स्थय

कोवं दयू यशूॉगी । जफ बी भेयी ऩूजा शोगी उवके वाथ फशॊ

कयने शे तु फुत्रद्ध फक आलश्मकता शोती शं ।

गणेळ फक बी ऩूजा अलश्म शोगी।

रक्ष्भी के वाथ गणेळ के ऩूजन वे

अन्म कथा:

वॊफॊध भं अनेकं कथाएॊ प्रिसरत शं ।

प्रासिन कार भं एक वॊन्मावी

कुछ रोकत्रप्रम कथाएॊ मशा प्रस्तुत शं ।

ने दे ली रक्ष्भी को किी तऩस्मा द्राया

ळास्त्रोक्त कथा:

प्रवन्न कय के वभस्त वुख वुत्रलधा वे

त्रलष्णु धाभ भं बगलान त्रलष्णु एलॊ

जीलन व्मतीत कयने का लयदान भाॊगा।

भाता रक्ष्भी त्रलयाजभान शोकय आऩव भं

रक्ष्भी तथास्तु कश कय अॊतध्माान शो

लातााराऩ कय यशे थे, फात-फात भं अशॊ के कायण रक्ष्भी जी फोर उठे फक भं वबी रोक भं वफ वे असधक ऩूजनीम एलॊ वफवे श्रेद्ष शुॊ। रक्ष्भी जी को इव प्रकाय

अऩनी अशॊ वे स्लमॊ फक प्रळॊवा कयते दे ख बगलान त्रलष्णु जी को अच्छा नशीॊ रगा। उनका अशॊ दयू कयने के सरए उन्शंने

कशा तुभ वला वॊऩन शोते शुए बी आज तक

भाॉ का वुख प्राद्ऱ नशीॊ कय ऩाई। इव फात को वुन कय रक्ष्भीजी को फशुत द्ु खी शोगई

औय लो अऩनी ऩीिा

वुनाॊने के

सरमे भाता ऩालाती के ऩाव गमीॊ औय उनवे त्रलनती

फक लो अऩने

ऩुि

कासताकेम

औय गणेळजी भं वे फकवे एक ऩुि को उनशं दत्तक ऩुि के रूऩ भं प्रदान कय दं । रक्ष्भीजी फक ऩीडा दे ख कय ऩालातीजी ने गणेळ जी को रक्ष्भीजी को दत्तक ऩुि के रूऩ भं दे ने का स्लीकाय कय सरमा। ऩालातीजी वे गणेळ जी को ऩुि के रूऩ ऩाकय रक्ष्भीजी नं शत्रऴात शोते शुले कशाॊ भं अऩनी वबी सवत्रद्धमाॊ, वुख अऩने

ऩुि गणेळ जी को प्रदान कयती शूॉ। इव

भॊि सवद्ध ऩन्ना गणेळ

गमीॊ। लयदान प्रासद्ऱ के फाद वॊन्मावी लशाॊ के याजदयफाय भं जाकय याजा के

बगलान श्री गणेळ फुत्रद्ध औय सळषा के

ऩाव ऩशुॊि कय एक झटके भं याजभुकुट

शं । ऩन्ना गणेळ फुध के वकायात्भक

कामा दे ख कय याजा का िेशया गुस्वे वे

प्रबाल को कभ

फक याजभुकुट वे एक त्रफच्छू फाशय

कायक ग्रश फुध के असधऩसत दे लता

को नीिे सगया फदमा। वॊन्मावी का मश

प्रबाल को फठाता शं एलॊ नकायात्भक

रार शो उठा। उवी षण याजा ने दे खा

कयता शं ।. ऩन्न

गणेळ के प्रबाल वे व्माऩाय औय धन भं लृत्रद्ध भं लृत्रद्ध शोती शं । फच्िो फक ऩढाई शे तु बी त्रलळेऴ पर प्रद शं

ऩन्ना गणेळ इव के प्रबाल वे फच्िे फक

फुत्रद्ध

कूळाग्र

शोकय

उवके

आत्भत्रलद्वाव भं बी त्रलळेऴ लृत्रद्ध शोती शं । भानसवक अळाॊसत को कभ कयने भं

भदद कयता शं , व्मत्रक्त द्राया अलळोत्रऴत शयी त्रलफकयण ळाॊती प्रदान कयती शं ,

व्मत्रक्त के ळायीय के तॊि को सनमॊत्रित कयती

शं ।

स्जगय,

पेपिे , जीब,

भस्स्तष्क औय तॊत्रिका तॊि इत्माफद योग

भं वशामक शोते शं । कीभती ऩत्थय भयगज के फने शोते शं ।

Rs.550 वे Rs.8200 तक

के वाथ वाथ भं भेयी ऩुिी के वभान त्रप्रम रयस्ध्ध औय सवस्ध्ध जो के ब्रह्मा जी फक ऩुत्रिमाॉ शं , उनवे गणेळजी का त्रललाश कयने का लिन दे ती शूॉ । मफद वम्ऩूणा त्रिरोकं भं जो व्मत्रक्त, श्री गणेळ

सनकर यशा शं । मश दे ख याजा के भन भं वॊन्मावी के प्रसत श्रद्धा बाल जाग गमा, याजाने वॊन्मावी को अऩना भॊिी फनने के सरए आग्रश फकमा। वॊन्मावी तो मशी िाशते थे। वॊन्मावी ने तुयॊत याजा का प्रस्ताल स्लीकाय कय सरमा। वॊन्मावी के ऩयाभळा वे याज कामा वुिारु रुऩ वे िरने रगा। एक

फदन

वॊन्मावी

याजदयफाय भं उऩस्स्थत वफको

ने फाशय

सनकर जाने को कशा। वॊन्मावी ऩय त्रलद्वाव यखते शुए याजा एलॊ अन्म वफ दयफायी लशाॊ वे सनकर कय एक भैदान

भं ऩशुॊि गमे औय तफ याजभशर फक दीलायं ढश गमीॊ। मश रश्म दे ख कय

याजा फक आस्था वॊन्मावी ऩय ऐवी जभी, फक वभस्त याजकामा उव वॊन्मावी के आदे ळ ऩय शोने रगा। वभम के

73

नलम्फय 2013

वाथ वॊन्मावी को स्लमॊ ऩय घभॊड शोने रगा। याजभशर के

का घभॊड उतय गमा। वॊन्मावीने ऩुन् दे ली रक्ष्भी फक

बीतय बगलान गणेळ फक एक भूसता स्थात्रऩत थी। घभॊड

आयाधना ळुरू कय दी। रक्ष्भी ने स्लप्न भं उवे दळान दे ते

भं िूय वॊन्मावी ने वेलकं को गणेळ भूसता लशाॊ वे शटाने

शुए फतामा, फक तुम्शायी एवी दद ु ा ळा गणेळ जी का अऩभान

का आदे ळ फदमा, क्मंफक उवके त्रलिाय भं लश भूसता

कयने फक लजश वे शुई शं । गणेळ फुत्रद्ध के दे लता शं , अत् उनको नायाज कयने वे तुम्शायी फुत्रद्ध भ्रद्श शो गमी शं । अफ

याजऩरयवय फक ळोबा त्रफगाि यशी थी। अगरे फदन वॊन्मावी ने याजा वे कशा फक लश

वॊन्मावी ने ऩद्ळाताऩ कयते शुए गणेळ बगलान वे षभा

को वॊन्मावी ऩय अगाध त्रलद्वाव था। इवसरए, दयफारयमं

कय फदमा औय ऩुन् भॊिी ऩद ऩय फशार कय फदमा।

ऩयॊ तु उवभं वे कोई नाग नशीॊ सनकरा। मश दे ख कय याजा

कयला फदमा तथा उनके वाथ-वाथ रक्ष्भी फक ऩूजा ळुरू

पौयन अऩनी ऩोळाक उताय दं , क्मंफक उवभं नाग शै । याजा

भाॊगी। अगरे फदन याजा ने स्लमॊ लशाॊ ऩशुॊि कय उवे भुक्त

फक ऩयलाश न कयते शुए, उन्शोनं अऩनी ऩोळाक उताय दी,

वॊन्मावी ने गणेळ फक भूसता को ऩूला स्थान ऩय स्थात्रऩत

को वॊन्मावी ऩय फशुत गुस्वा आमा औय उवे कैद भं यखने का आदे ळ दे फदमा।

फक, ताफक धन एलॊ फुत्रद्ध दोनं वाथ-वाथ यशं । भाना जाता

कैफदमं फक बाॊसत कुछ फदन गुजायने ऩय वॊन्मावी

शं , तबी वे दीलारी ऩय दे ली रक्ष्भी के वाथ गणेळ जी का ऩूजन कयने फक प्रथा आयॊ ब शुई।

दीऩालरी वे जुडी रक्ष्भी कथा बायतीम वॊस्कृ सत भं दीऩालरी के त्मोशाय फक फिी रोक त्रप्रम कथा प्रिसरत शं ।

कथा: एक फाय कासताक भाव की अभालव को रक्ष्भीजी ऩृथ्ली भ्रभण ऩय सनकरीॊ। अभालव फक कारी छामा के कायण ऩृथ्ली के िायं ओय अॊधकाय व्माद्ऱ था। स्जव कायण दे ली रक्ष्भी यास्ता बूर गईं। रक्ष्भी जी नी सनद्ळम फकमा फक यात्रि का प्रशय ले भृत्मुरोक भं व्मतीत कय रंगी औय वूमोदम के ऩद्ळात ऩुन् फैकुॊठधाभ रौट जाएॉगी, ऩयॊ तु रक्ष्भी जी ने ऩामा फक ऩृथ्ली ऩय वबी रोग अऩने-अऩने घयं भं द्राय फॊद कय वो यशे शं । तबी अॊधकाय वे बये ऩृथ्ली रोक भं उन्शं एक द्राय खुरा फदखा स्जवभं एक

दीऩक फक ज्मोसत फटभफटभा यशी थी। रक्ष्भी जी उव प्रकाळ फक ओय ऩशुॊि कय लशाॉ उन्शंने एक लृद्ध भफशरा को ियखा िराते दे खा। लृद्ध भफशरा वे यात्रि त्रलश्राभ की अनुभसत भाॉग कय रक्ष्भी जी फुफढ़मा की कुफटमा भं रुकीॊ।

लृ ्द्ध भफशरा ने रक्ष्भी जी को त्रलश्राभ के सरमे त्रफस्तय प्रदान कय ऩुन: अऩने कामा भं व्मस्त शो गई। ियखा

िराते-

िराते लृद्धा ् की आॉख रग गई। दव ू ये फदन उठने ऩय लृद्ध भफशरा ने ऩामा फक असतसथ भफशरा लशाॊ वे जा िुकी शं रेफकन कुफटमा के स्थान ऩय त्रलळारभशर खिा था। स्जवभं िायं ओय धन-धान्म, यत्न-जेलयात इत्माफद त्रफखये शुए थे। एवी भान्मता शं फक तबी वे कासताक अभालव (दीऩालरी)फक यात को दीऩ जराने की प्रथा िरी आयशी शं । दीऩालरी के

यािी कार भं रोग द्राय खोरकय रक्ष्भीदे ली के आगभन फक प्रतीषा कयने फक ऩयॊ ऩया िरी आयशी शं ।

क्मोकी रोगो का तत्ऩमा मश शं फक भाॉ रक्ष्भी दे ली स्जव प्रकाय उव लृद्धा ऩय प्रवन्न शुईं उवी प्रकाय वफ ऩय प्रवन्न शं।

कथा वाय: दीऩालरी फक यात भाि दीऩ जराने औय द्राय खुरे यखने वे रक्ष्भी जी घय भं सनलाव नशीॊ कयती!

रक्ष्भी जी त्रलश्राभ कयती शं । क्मंफक दे ली रक्ष्भी तो िॊिर शं । लश एक स्थान ऩय अस्स्थय नशीॊ यशती। अऩना आसळऴ दे कय िरीजाती शं । स्जवके पर स्लरुऩ आने लारे लऴा बल भं भाॊ रक्ष्भी के बक्त को फकवी प्रकाय के द्ु ख, दरयरता एलॊ आसथाक वॊकट का वाभना नशीॊ कयना ऩडता।

***

नलम्फय 2013

74

जफ इन्र भाॊ रक्ष्भी को स्लगा रोक रे गए।

 याकेळ ऩॊडा एक फाय की फात शै , याजा फसर वभम त्रफताने के सरए एकान्त स्थान ऩय गधे का लेळ रेकय सछऩे शुए थे। दे लयाज इन्र उनवे सभरने के सरए जगश-जगश उन्शं ढू ॉ ढ यशे थे। एक फदन इन्र ने उन्शं खोज सनकारा औय उनके सछऩने का कायण जानकय उन्शं कार का भशत्ल फताकय उन्शं तत्लसान का फोध कयामा। तबी याजा फसर के ळयीय वे एक फदव्म तेज लारी स्त्री सनकरी। उवे दे खकय इन्र ने ऩूछा दै त्मयाज! मश स्त्री कौन शै ? मश दे ली, भानुष्म अथला आवुयी ळत्रक्त भं वे कौनवी ळत्रक्त शै ?” याजा फसर फोरे-“दे लयाज! मे दे ली तीनं ळत्रक्तमं भं वे कोई नशीॊ शं ।

आऩ स्लमॊ इनवे ऩूछ रं। इन्र के ऩूछने ऩय ले ळत्रक्त फोरीॊ दे लेन्र! भुझे न तो दै त्मयाज फसर जानते शं

जशाॉ वत्म एलॊ धभा के अनुवाय कामा शोते शं, व्रत औय दान दे ने के कामा शोते शं। अवुय वत्मलादी थे, ब्राह्मणं की यषा कयते थे, ऩशरे इस्न्रमं को लळ भं कय वकते थे, अफ इनके मे गुण नद्श शोते जा यशे शं । अवुय अफ तऩ-उऩलाव नशीॊ कयते, मस, शलन, दान आफद वे इनका कोई वॊफॊध ळेऴ नशीॊ शै । ऩशरे मे योगी, स्स्त्रमं, लृद्धं, दफ ा ं की यषा कयते ु र

थे, गुरुजन का आदय कयते थे, रोगं को षभादान दे ते थे। रेफकन अफ अशॊ काय, भोश, रोब, क्रोध, आरस्म, अत्रललेक, काभ आफद ने इनके ळयीय भं जगश फना री शै । मे रोग ऩळु तो ऩार रेते शं रेफकन उन्शं िाया नशीॊ स्खराते, उनका ऩूया दध ू सनकार रेते शं औय ऩळुओॊ के फच्िे बूख वे िीत्कायते शुए भय जाते शं ।

औय न शी तुभ मा कोई अन्म दे लगण। ऩृथ्ली रोक ऩय

मे अऩने फच्िं का रारन-ऩारन कयना बूरते जा

रोग भुझे आफदकार वे अनेक नाभं वे ऩुकायते शं । श्री,

यशे शं । इनभं आऩवी बाईिाया वभाद्ऱ शो गमा शै । रूट,

रक्ष्भी आफद भेये नाभ शं । इन्र फोरे दे ली! आऩ इतने

खवोट, शत्मा, व्मसबिाय, करश, स्स्त्रमं की ऩसतव्रता नद्श

वभम वे याजा फसर के ऩाव शं रेफकन ऐवा क्मा कायण

कयना शी इनका धभा शो गमा शै । वूमोदम के फाद तक

शै फक आऩ याजा फसर को छोिकय भेयी ओय आ यशी शं ? रक्ष्भी फोरीॊ दे लेन्र! भुझे भेये स्थान वे कोई बी शटा मा फडगा नशीॊ वकता शै । भं वबी के ऩाव कार के अनुवाय आती-जाती यशती शूॉ। जैवा कार का प्रबाल शोता शै भं उतने शी वभम तक उवके ऩाव यशती शूॉ। भं वभम के अनुवाय एक को छोिकय दव ू ये के ऩाव सनलाव कयती शूॉ।”

वोने के कायण स्नान-ध्मान वे मे त्रलभुख शोते जा यशे शं । इवसरए भेया भन इनवे उिट गमा। दे लताओॊ का भन अफ धभा भं आवक्त शो यशा शै । इवसरए अफ भं इन्शं छोिकय दे लताओॊ के ऩाव सनलाव करूॉगी। भेये वाथ श्रद्धा, आळा, षभा, जमा, ळास्न्त, वॊतसत, धृसत औय त्रलजसत मे आठं दे त्रलमाॉ बी सनलाव कयं गी।

दे लेन्र! अफ आऩको सात शो गमा शोगा फक भंने इन्र फोरे दे ली! आऩ अवुयं के मशाॉ सनलाव क्मं

नशीॊ कयतीॊ?” रक्ष्भी फोरीॊ दे लेन्र! भेया सनलाव लशीॊ शोता शै

इन्शं क्मं छोिा शै । वाथ शी आऩको इनके अलगुणं का बी सान शो गमा शोगा।” तफ इन्र ने रक्ष्भी को प्रणाभ फकमा औय उन्शं आदय वफशत स्लगा रे गए।

नलम्फय 2013

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धन प्रासद्ऱ औय वुख वभृत्रद्ध के सरमे लास्तु सवद्धाॊत

 सिॊतन जोळी आज के बौसतक मुग भं शय कामा धन के उऩय

वटाकय एवे यखे फक उवका भुख उत्तय फक तयप यशे मा

प्रत्मष मा अप्रत्मष रुऩवे सनबाय कयता शं इव सरमे

आऩका भुख अरभायी खोरते मा फॊध कयते वभम

प्रत्मेक व्मत्रक्त फक मशी इच्छा शोती शं फक उवके ऩाव

दस्षण फदळा फक औय यशं । उत्तय फक औय खुरने लारी

अऩाय

अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भं यखे गमे धन एलॊ आबूऴण

धन

दौरत एलॊ

जीलन

उऩमोगी

वायी

वुख

वुत्रलधाए उप्रब्ध शो जो एक वभृद्ध

फक सनयॊ तय लृत्रद्ध शोती यशती शं ।

व्मत्रक्त के ऩाव भं शोती शं , एलॊ उवकी

ऩूला - ऩूला

फढती जाए।

यखने वे उवभं फढ़ोतयी शोती यशती

वभृत्रद्ध एलॊ उन्नसत फदन प्रसतफदन

फक

औय

खुरने

लारी

अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भं धन

आऩ अऩने घय भं धन एलॊ

शै ।

रेफकन

उत्तय

को

वला

श्रेद्ष

फशुभूल्म आबूऴण, जलाशयात इत्माफद

भानागमा शं ।

फक वुयषा शे तु अरभायी मा कैळ

दस्षण - दस्षण फक औय खुरने लारी

फोक्व यखते शं , स्जस्वे धन वुयस्षत

अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भं धन

यशे औय उवभे फढ़त शोती यशं । इवके

यखने वे धन एलॊ आबूऴण जो शं

सरमे लास्तु वे वॊफॊसधत धन वॊिम

उवभे भं कभी आजासत शं क्मोफक

शे तु कुछ उऩाम।

एवी स्स्थसत भे अरभायी मा कैळ

लास्तु के अनुवाय धन एलॊ

फोक्व शोने वे आभदनी वे खिाा

फशु भूल्म वाभग्री को उत्तय फदळा भं

असधक शोता शं एलॊ वॊिम फकमे गमे

यखे। उत्तय फदळा भं कुफेय का लाव

धन भं बी कभी आजाती शं । एलॊ

शोता शं । एलॊ कुफेय धन के दे लता शं एलॊ

व्मत्रक्त ऩय कजा िढ जाता शं ।

उत्तय फदळा ऩय उनका प्रबाल यशता शं । इव सरमे अऩने

ऩस्द्ळभ - ऩस्द्ळभ फक औय खुरने लारी अरभायी एलॊ कैळ

व्मलवाम स्थान मा घय भं धन को वुयस्षत यखने शे तु

फोक्व भं धन एलॊ आबूऴण यखने वे उव घय भे धन

उत्तय फदळा का िुनाल कयं ।

कडी भेशनत वे कबी कबाय प्राद्ऱ शोता शं एलॊ फटक ऩाता

उत्तय - व्मलवाम स्थान मा घय भं अरभायी को उत्तय

शं , अन्म था अन्म वॊफॊसध मा सभि लगा वे वशामता वे

फदळा के कभये भं उवे दस्षण फदळा की दीलाय वे

प्राद्ऱ शोने लारा धन बी फटकता नशीॊ शं ।

धन लृत्रद्ध फडब्फी धन लृत्रद्ध फडब्फी को अऩनी अरभायी, कैळ फोक्व, ऩूजा स्थान भं यखने वे धन लृत्रद्ध शोती शं स्जवभं कारी शल्दी, रार- ऩीरा-वपेद रक्ष्भी कायक शकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पफटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3 वपेद कौडी, गोभती िक्र, वपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊ र जार, भामा जार, इत्मादी दर ा लस्तुओॊ को ळुब भशुता भं तेजस्ली ु ब भॊि द्राया असबभॊत्रित फकम जाता शं ।

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76

नलम्फय 2013

दे लउठनी एकादळी की ऩौयास्णक व्रत कथा

 स्लस्स्तक.ऎन.जोळी दे लउठनी एकादळी फक व्रत कथा फक ऩौयास्णक कथा के अनुवाय फकवी एक याजा के याज्म भं वबी रोग एकादळी का व्रत यखते थे। एकादळी के फदन याज्म फक प्रजा तथा नौकय-िाकयं वे रेकय ऩळुओॊ तक बोजन भं अन्न नशीॊ फदमा जाता था। एक फदन दव ू ये याज्म का एक व्मत्रक्त याजा के ऩाव आकय फोरा- भशायाज! कृ ऩा कयके भुझे आऩके मशाॊ काभ ऩय यख रं। तफ याजा ने उव व्मत्रक्त के वाभने एक ळता यखी फक तुम्शं योज खाने को वफ कुछ सभरेगा, ऩय एकादळी को बोजन भं अन्न नशीॊ सभरेगा। उव व्मत्रक्त ने नौकयी फक रारि भं उव वभम याजा को शाॉ कय दी, ऩय एकादळी के फदन जफ उवे पराशाय का वाभान फदमा गमा तो लश याजा के वाभने जाकय सगि-सगिाने रगा भशायाज! पराशाय वे भेया ऩेट नशीॊ बये गा। भं बूखा शी भय जाऊॉगा। कृ प्मा भुझे बोजन भं अन्न दे दो। याजा ने उवे ळता माद फदराई, ऩय लश अन्न छोिने को याजी नशीॊ शुआ, तफ याजा ने उवे बोजन भं अन्न फक वाभग्री आफद फदए। लश अऩनी फदनिमाा के अनुवाय नदी फकनाये ऩशुॉिा औय स्नान कय बोजन ऩकाने रगा। जफ बोजन फन गमा तो लश बगलान को फुराने रगा आओ बगलान! बोजन तैमाय शं । फुराने ऩय ऩीताम्फय धायण फकए बगलान ितुबज ुा रूऩ भं आ ऩशुॉिे तथा प्रेभ वे उवके वाथ बोजन कयने रगे। बोजनाफद कयके बगलान अॊतधाान शो गए तथा लश अऩने काभ ऩय िरा गमा। ऩॊरश फदन फाद अगरी एकादळी को लश याजा वे कशने रगा फक भशायाज, भुझे दग ु ुना वाभान दीस्जए। उव फदन तो भं बूखा शी यश गमा। याजा ने कायण ऩूछा तो उवने फतामा फक शभाये वाथ बगलान बी खाते शं । इवीसरए शभ दोनं के सरए मे वाभान ऩूया नशीॊ शोता। मश वुनकय याजा को फिा आद्ळमा शुआ। याजा फोरे भं नशीॊ भान वकता फक तुम्शाये वाथ बगलान बी खाते शं । भं तो इतना व्रत यखता शूॉ, ऩूजा कयता शूॉ, ऩय बगलान ने भुझे कबी दळान नशीॊ फदए। याजा फक फात वुनकय लश फोरा- भशायाज! मफद त्रलद्वाव न शो तो वाथ िरकय दे ख रं। याजा एक ऩेि के ऩीछे सछऩकय फैठ गमा। उव व्मत्रक्त ने बोजन फनामा तथा बगलान को ळाभ तक ऩुकायता यशा, ऩयॊ तु बगलान न आए। अॊत भं उवने कशा- शे बगलान! मफद आऩ नशीॊ आए तो भं नदी भं कूदकय प्राण त्माग दॉ ग ू ा। रेफकन बगलान नशीॊ आए, तफ लश प्राण त्मागने के उद्दे श्म वे नदी फक तयप फढ़ा। प्राण त्मागने का उवका दृढ़ इयादा जान ळीघ्र शी बगलान ने प्रकट शोकय उवे योक सरमा औय वाथ फैठकय बोजन कयने रगे। खा-ऩीकय ले उवे अऩने त्रलभान भं त्रफठाकय अऩने धाभ रे गए। मश दे ख याजा ने वोिा फक व्रत-उऩलाव वे तफ तक कोई पामदा नशीॊ शोता, जफ तक भन ळुद्ध न शो। इववे याजा को सान सभरा। लश बी भन वे व्रत-उऩलाव कयने रगा औय अॊत भं स्लगा को प्राद्ऱ शुआ।

नलम्फय 2013

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दव ू यी कथा

एक याजा था। उवके याज्म भं प्रजा वुखी थी। एकादळी को कोई बी अन्न नशीॊ फेिता था। वबी पराशाय कयते थे। एक फाय

बगलान ने याजा फक ऩयीषा रेनी िाशी। बगलान ने एक वुॊदयी का रूऩ धायण फकमा तथा विक ऩय फैठ गए। तबी याजा उधय वे सनकरा औय वुॊदयी को दे ख िफकत यश गमा। उवने ऩूछा- शे वुॊदयी! तुभ कौन शो औय इव तयश मशाॉ क्मं फैठी शो? तफ वुॊदय स्त्री फने बगलान फोरे- भं सनयासश्रता शूॉ। नगय भं भेया कोई जाना-ऩशिाना नशीॊ शं , फकववे वशामता भाॉगू? याजा

उवके रूऩ ऩय भोफशत शो गमा था। लश फोरा- तुभ भेये भशर भं िरकय भेयी यानी फनकय यशो।

वुॊदयी फोरी- भं तुम्शायी फात भानूॉगी, ऩय तुम्शं याज्म का असधकाय भुझे वंऩना शोगा। याज्म ऩय भेया ऩूणा असधकाय शोगा। भं जो बी फनाऊॉगी, तुम्शं खाना शोगा। याजा उवके रूऩ ऩय भोफशत था, अत् उवने उवकी वबी ळतं स्लीकाय कय रीॊ। अगरे फदन

एकादळी थी। यानी ने शुक्भ फदमा फक फाजायं भं अन्म फदनं फक तयश अन्न फेिा जाए। उवने घय भं भाॊव-भछरी आफद ऩकलाए तथा ऩयोवकय याजा वे खाने के सरए कशा। मश दे खकय याजा फोरा-यानी! आज एकादळी शं । भं तो केलर पराशाय शी करूॉगा। तफ यानी ने

ळता फक माद फदराई औय फोरी- मा तो खाना खाओ, नशीॊ तो भं फिे याजकुभाय का सवय काट रूॉगी। याजा ने अऩनी स्स्थसत फिी यानी वे कशी तो फिी यानी फोरी- भशायाज! धभा न छोिं , फिे याजकुभाय का सवय दे दं । ऩुि तो फपय सभर जाएगा, ऩय धभा नशीॊ सभरेगा। इवी दौयान फिा याजकुभाय खेरकय आ गमा। भाॉ फक आॉखं भं आॉवू दे खकय लश योने का कायण ऩूछने रगा तो भाॉ ने उवे वायी लस्तुस्स्थसत फता दी। तफ लश फोरा- भं सवय दे ने के सरए तैमाय शूॉ। त्रऩताजी के धभा फक यषा शोगी, जरूय शोगी।

याजा द्ु खी भन वे याजकुभाय का सवय दे ने को तैमाय शुआ तो यानी के रूऩ वे बगलान त्रलष्णु ने प्रकट शोकय अवरी फात

फताई- याजन! तुभ इव कफठन ऩयीषा भं ऩाव शुए। बगलान ने प्रवन्न भन वे याजा वे लय भाॉगने को कशा तो याजा फोरा- आऩका

फदमा वफ कुछ शं । शभाया उद्धाय कयं । उवी वभम लशाॉ एक त्रलभान उतया। याजा ने अऩना याज्म ऩुि को वंऩ फदमा औय त्रलभान भं फैठकय लैकुॊठ धाभ को िरा गमा।

श्री शनुभान मॊि ळास्त्रं भं उल्रेख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमद ा े ल ने ब्रह्मा जी के आदे ळ ऩय शनुभान जी को अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा सान दॉ ग ू ा। स्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लक्ता शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं दयू शोती शं , इव मॊि भं

अद्भत ु ळत्रक्त वभाफशत शोने के कायण व्मत्रक्त की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यक्त दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा, नऩुॊवकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रक्त

को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रद्ध प्रदान कयने भं वषभ शं । श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं ।

भूल्म Rs- 730 वे 10900 तक

GURUTVA KARYALAY Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected], Our Web: www.gurutvakaryalay.com http://gk.yolasite.com/ www.gurutvakaryalay.blogspot.com/

नलम्फय 2013

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दीऩालरी को क्मं जराते शं दीऩ जाने धासभाक भशत्ल

 सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी शोना अवॊबल वा प्रसतत शोता शं । इवी कायण बायसतम वभ्मताओॊ भं अस्ग्न को दे ल कशा गमा शं । अस्ग्न को दे लता भनकय उवका ऩूजन फकमा जाता शं । क्मोफक एवा भाना जाता शं , फक मफद अस्ग्न दे ल क्रोसधत शोजामे तो फिे -फिे भशरं ल ऊॊिे-ऊॊिे बलनं को धूरभं उडादे औय याख फनादे । इव सरमे प्रकाळ का ऩूजन कय उन्शं ळाॊत यखने का प्रमाव फकमा जाता शं । शभाये प्रभुख धभा ग्रॊथो भं एक ऋग्लेद का वला प्रथभ भॊि शी प्रकाळ वे ळुरू शोता शै । भॊि:

प्रकाळभीरे ऩुयोफशतॊ मसस्म दे लभृस्त्लजभ ्। प्रकाळ, तेज ऊजाा के कुदयसत स्त्रोत शं । ऊजाा के त्रफना

भानल जीलन का कोई अस्स्तत्ल नशीॊ शं । वभग्र ब्रह्माॊड भं

प्रकाळ ऊजाा का प्रभुख स्त्रोत एक भाि वूमा शं , उव के अराला कोई औय प्रभुख स्त्रोत का अस्स्तत्ल नशीॊ शं । मशी कायण शं फक आज वूमा के तेज वे शी शभाया जीलन वुिारु रुऩ वे प्रकाळभान शं । लामु भॊडर भं व्माद्ऱ लामुकण (धूर) औय फादर इत्माफद वबी भं अऩनी िुम्फकीम ळत्रक्त शोती शं स्जवके कायण वफ एक दव ू ये की ओय आकत्रऴात शोते यशते शं । इवी आकत्रऴात शोने के कायण कण एक दव ू ये वे ऩाव

आते औय दयू शोते यशते शं , स्जवके फर के कायण फश ऊजाा उत्ऩन्न शोती शं । इस्वे उत्ऩन्न शोने लारी उजाा को फश प्रकाळ कशा जाता शं । प्रकाळ का शभाये जीलन भं फशुत भशत्ल शं , इव भशत्ल

वे शय व्मत्रक्त बरी बासत लाफकप शं । शभायी बायसतम वॊस्कृ सत

के धासभाक कामाक्रभ भं बी अस्ग्न का त्रलळेऴ भशत्ल शं । एलॊ अस्ग्न प्रकाळ का प्रसतक शं जो मस, शलन, त्रललाश, वॊस्काय जेवे अन्म धासभाक कभाकाॊडो भं त्रफना अस्ग्न के त्रफना वॊऩन्न

शोतायॊ यत्नधातभभ ्॥ बालाथा:- वलाप्रथभ आयाधन फकए जाने लारे, मस को प्रकासळत कयने लारे, ऋतुओॊ के अनुवाय मस वम्ऩाफदत कयने लारे, दे लताओॊ का आह्वान कयने लारे तथा धन प्रदान कयने लारं भं वलाश्रद्ष े अस्ग्न दे लता की भं स्तुसत कयता शूॊ। अनाफदकार वे भनुष्म का वफवे फिा ळिु अॊधकाय रुऩी असानता यशी शं । इव सरमे ऩुयातन कारवे फश अॊधकाय को दयू कयने लारा प्रकाळ भनुष्म का वफवे फिा सभि यशा शै ।

क्मोफक प्रकाळ शभं दे खने की ळत्रक्त दे ता शं । लामुभॊडर भं लस्तु फक वशी ऩशिान कयने के सरमे प्रकाळ आलश्मक शै । उऩसनऴद भं इवी सरमे अॊधकाय वे ज्मोसत की ओय जाने की काभना की गई शै ।

अवतो भा वद्गभम

तभवो भाॊ ज्मोसतगाभम भृत्मोभाा अभृतॊ गभम

नलम्फय 2013

79

ळास्त्रो भं अस्ग्न के तीन रूऩं लणान फकमा गमा शं ।

ऩृथ्ली ऩय अस्ग्न, अन्तरयष भं त्रलद्युत औय आकाळ भं वूम।ा प्रकाळ के उद्दगभ के त्रलऴम भं कशा गमा शै फक कार के वॊघऴा-भॊथन वे उवका जन्भ शुआ। वूमा फक

अस्ग्न अॊधकाय को सभटाता शै , अवुयी ळत्रक्त को डयाता, प्रकाळ का आह्वान कयता, सिय मुला औय प्रािीन ऩुयोफशत शै । ऋग्लेद के अनुवाय भशात्रऴा बृगु ऋत्रऴ ने अस्ग्न की खोज की।

अस्ग्न के सरमे ऋग्लेद भं कशा गमा शं । अस्ग्नभीऱे ऩुयोफशतॊ (ऋग्लेद) ऋग्लेद

इॊ र ज्मोसत् अभृतॊ भतेऴु वूमांळ वॊबलो दीऩ्

अथाात: वूमा के अॊळ वे दीऩ की उत्ऩत्रत्त शुई।

दीऩ जीलन की ऩत्रलिता, बत्रक्त, अिाना औय आळीलााद स्लरुऩ भाना जाता शं । वूमा के अॊळ वे उत्ऩन्न ऩृथ्ली की अस्ग्न को स्जव ऩाि भं स्थात्रऩत फकमा गमा उवे आज दीऩक के रूऩ भं शभाये घयं भं ऩूजा जाता शै ।

ळुबभ कयोसत करमाणभ ् आयोग्मभ ् धन वम्ऩदा ळिुफुस्ध्द त्रलनाळाम दीऩज्मोसत नभस्तुते ।।

अथाात: शभे ळुब, वुन्दय औय कल्माणकायी, आयोग्म औय वॊऩदा को दे ने लारे शे दीऩक फक ज्मोसत, शभाये ळिं फक फुत्रद्ध के त्रलनाळ के सरए शभ तुम्शं नभस्काय कयते शं । ऩूयातन कार भं दीऩ का ऩाि स्पफटक, ऩाऴाण मा वीऩ का शोता था। कारान्तय भं सभट्टी को गढने औय ऩकाने के आत्रलष्काय के वाथ दीऩ सभट्टी का फनने रगा। प्रािीन कार वे धसनकं द्राया फिे करात्भक फदमं का

प्रमोग फकमा जाता था, जो ऩत्थय, धातु, कीभती यत्नं, वोने औय िाॊदी के शोते थे। मे छोटे फिे वबी आकायं के थे। वभम के वाथ वाथ दीऩ स्तॊब बी प्रिरन भं आए। याभामण भं उल्रेख सभरता शं फक जफ शनुभान रॊका ऩशुॉिे तो उन्शं वुनशये दीऩं को दे ख कय भ्रभ शुआ फक कशीॊ ले स्लगा भं तो नशीॊ आ गए। उन्शं लशाॊ ऩीरे औय जरते शुए स्लणादीऩ फदखाई फदए।

बायतीम ळास्त्रो भे उल्रेख सभरता शै , फक अस्ग्न का वॊफॊध भनुष्म के जन्भ वे रेकय भयण तक शोता शं । मशी कायण शं शभायी वॊस्कृ सत भं त्रलसबन्न व्रत-त्मोशाय इत्माफद भं दीऩ क भशत्ल शं । दीऩलरी बी शभाये प्रभुख त्मौशायो भं वे एक शै , स्जव भं उजाा के प्रसतक के रुऩ भं दीऩक जराने फक ऩयॊ ऩया शं । शभाये ळास्त्रं भं दीऩज्मोसत फक भफशभा का त्रलस्तृत लणान फकमा गमा शं । ळास्त्रं भं दीऩज्मोसत को ऩाऩनाळक, ळिुओॊ फक लृत्रद्ध योकने लारी, आमु एलॊ आयोग्म प्रदान कयने लारी शं ।

दीऩो ज्मोसत् ऩयभ ् ब्रह्म दीऩो ज्मोसतजानादा न्। दीऩो शयतु भं ऩाऩभ ् वाध्मदीऩ नभोऽस्तु ते।।

ळुबभ ् कयोतु कल्माणभ ् आयोग्मभ ् वुखवम्ऩदभ ्। ळिुफुत्रद्धत्रलनाळभ ् ि दीऩज्मोसतनाभोऽस्तु ते।।

नलम्फय 2013

80

 

भान्मता शं फक मफद घय भं दीऩक की रौ ऩूला

ऩाऩ-ताऩ का शयण शोता शै , ळिुफुत्रद्ध का ळभन शोता शै

फदळा की ओय शो, तो आमु फक लृत्रद्ध कयती शं ।

औय ऩुण्मभम, वुखभम जीलन की लृत्रद्ध शोती शै ।

दीऩक की रौ ऩस्द्ळभ फदळा की ओय शो, तो द्ु ख की लृत्रद्ध कयती शं ।



दीऩक की रौ उत्तय फदळा की ओय शो, तो स्लास्थ्म औय प्रवन्नता फक लृत्रद्ध कयती शं ।



दीऩक की रौ दस्षण फदळा की ओय शो, तो शासन कयती शं ।

मफद घय भं आऩ दीऩक जरामं तो उवे आऩके घयके उत्तय अथला ऩूला कोने भं शोना िाफशए। दीऩज्मोसत के प्रबाल वे

ऩुरूऴोत्तभ भशात्त्म्म भं दीऩक फक ज्मोसत के सरमे कशा गमा शं ।

रूषैरक्ष् ा भी त्रलनाळ्स्मात द्वैतेयन्नषमो बलेत ्

असत यक्तेऴु मुध्दासन भृत्मु्कृ ष्ण सळखीऴु ि।। अथाात: कोयी ळुष्क (रूखी) ज्मोसत रक्ष्भी का नाळ, द्वेतज्मोसत अन्नषम, असत रार ज्मोसत मुद्ध औय कारी ज्मोसत भृत्मु की द्योतक शोती शं ।

॥श्री वूक्त॥ ॐ फशयण्म-लणां शरयणीॊ, वुलणा-यजत-स्त्रजाभ ्। िन्राॊ फशयण्मभमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भ आलश॥ ताॊ भ आलश जात-लेदो, रक्ष्भीभनऩ-गासभनीभ ्। मस्माॊ फशयण्मॊ त्रलन्दे मॊ, गाभद्वॊ ऩुरूऴानशभ ्॥ अद्वऩूलां यथ-भध्माॊ, शस्स्त-नाद-प्रभोफदनीभ ्। सश्रमॊ दे लीभुऩह्वमे, श्रीभाा दे ली जुऴताभ ्॥ काॊवोऽस्स्भ ताॊ फशयण्म-प्राकायाभाराा ज्लरन्तीॊ तृद्ऱाॊ तऩामन्तीॊ। ऩद्मे स्स्थताॊ ऩद्म-लणां तासभशोऩह्वमे सश्रमभ ्॥ िन्राॊ प्रबावाॊ मळवा ज्लरन्तीॊ सश्रमॊ रोके दे ल-जुद्शाभुदायाभ ्। ताॊ ऩद्म-नेसभॊ ळयणभशॊ प्रऩद्ये अरक्ष्भीभे नश्मताॊ त्लाॊ लृणोसभ॥ आफदत्म-लणे तऩवोऽसधजातो लनस्ऩसतस्तल लृषोऽष त्रफल्ल्। तस्म परासन तऩवा नुदन्तु भामान्तयामाद्ळ फाह्या अरक्ष्भी्॥ उऩैतु भाॊ दै ल-वख्, कीसताद्ळ भस्णना वश। प्रादब ूा ोऽस्स्भ याद्सेऽस्स्भन ्, कीसतं लृत्रद्धॊ ददातु भे॥ ु त षुत ्-त्रऩऩावाऽभरा ज्मेद्षा, अरक्ष्भीनााळमाम्मशभ ्। अबूसतभवभृत्रद्धॊ ि, वलाान ् सनणुद ा भे गृशात ्॥ गन्ध-द्रायाॊ दयु ाधऴां, सनत्म-ऩुद्शाॊ कयीत्रऴणीभ ्। ईद्वयीॊ वला-बूतानाॊ, तासभशोऩह्वमे सश्रमभ ्॥ भनव् काभभाकूसतॊ, लाि् वत्मभळीभफश। ऩळूनाॊ रूऩभन्नस्म, भसम श्री् श्रमताॊ मळ्॥ कदा भेन प्रजा-बूता, भसम वम्भ्रभ-कदा भ। सश्रमॊ लावम भे कुरे, भातयॊ ऩद्म-भासरनीभ ्॥ आऩ् वृजन्तु स्स्नग्धासन, सिक्रीत लव भे गृशे। सनि-दे ली भातयॊ सश्रमॊ लावम भे कुरे॥ आरां ऩुष्करयणीॊ ऩुत्रद्शॊ, वुलणां शे भ-भासरनीभ ्। वूमां फशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥ आरां म् करयणीॊ मत्रद्शॊ, त्रऩॊगराॊ ऩद्म-भासरनीभ ्। िन्राॊ फशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥ ताॊ भ आलश जात-लेदो रक्ष्भीभनऩ-गासभनीभ ्। मस्माॊ फशयण्मॊ प्रबूतॊ गालो दास्मोऽद्वान ् त्रलन्दे मॊ ऩुरूऴानशभ ्॥ म् ळुसि् प्रमतो बूत्ला, जुशुमादाज्मभन्लशभ ्। सश्रम् ऩॊि-दळिं ि, श्री-काभ् वततॊ जऩेत ्॥

नलम्फय 2013

81

भॊि सवद्ध ऩायद प्रसतभा ऩायद श्री मॊि

21 Gram वे 5.250 Kg तक

ऩायद रक्ष्भी गणेळ

100 Gram

ऩायद रक्ष्भी नायामण

ऩायद रक्ष्भी नायामण

121 Gram

100 Gram

उऩरब्ध ऩायद सळलसरॊग

ऩायद सळलसरॊग+नॊफद

21 Gram वे 5.250 Kg तक

101 Gram वे 5.250 Kg

उऩरब्ध

तक उऩरब्ध

ऩायद दग ु ाा

82 Gram ऩायद शनुभान 2

100 Gram

ऩायद सळलजी

ऩायद कारी

75 Gram

37 Gram

ऩायद दग ु ाा

ऩायद वयस्लती

ऩायद वयस्लती

100 Gram

50 Gram

225 Gram

ऩायद शनुभान 3

125 Gram

ऩायद शनुभान 1

100 Gram

ऩायद कुफेय

100 Gram

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ज्मोसतऴ, यत्न व्मलवाम, ऩूजा-ऩाठ इत्माफद षेि वे जुडे़ फॊध/ु फशन के सरमे शभायं त्रलळेऴ मॊि, कलि, यत्न, रुराष ल अन्म दर ु ब वाभग्रीमं ऩय त्रलळेऴ वुत्रफधाएॊ उऩरब्ध शं । असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

नलम्फय 2013

82

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नलम्फय 2013

83

धनिमोदळी ऩय मभ को कये दीऩदान शोगा अकारभृत्मु यषण ?

 सिॊतन जोळी धनिमोदळी के फदन फकमे जाने लारे कभा भं एक भशत्त्लऩूणा कभा मभ के सनसभत्त फकमा जाने लारा दीऩदान शं । फशन्द ू धभा ळास्त्र भं सनणामसवन्धु के अॊतगात

सनणामाभृत औय स्कन्दऩुयाण उल्रेख शं फक कासताक कृ ष्ण

िमोदळी की वॊध्मा प्रदोऴ कार के वभाम घय वे फाशय मभ के सनसभत्त दीऩदान कयने वे ऩरयलाय भं अकारभृत्मु का बम दयू शोता शं ।

ळास्त्रंक्त भत के अनुवाय मभदे लता बगलान वूमा

औय भाता वॊसा के ऩुि शं । लैलस्लत भनु, अस्द्वनीकुभाय एलॊ यै लॊत उनके बाई शं तथा मभुना उनकी फशन शै । मभदे ल की वौतेरी भाॉ छामा वे ळसन, तऩती, त्रलत्रद्श, वालस्णा भनु आफद 10 वौतेरे बाई -फशन बी शं । ऩौयास्णक भान्मता के अनुवाय मभ ळसन ग्रश के असधदे लता शं । मभदे लता प्रत्मेक प्राणी के ळुब-अळुब कभं के अनुवाय पर दे ने का कामा कयते शं । इवी कायण उन्शं मभदे लता को धभायाज

कशा गमा शं । क्मोफक अऩने

कताव्म के प्रसत मभदे ल िुफट यफशत कामा व्मलस्था की स्थाऩना कयते शं । मभदे ल का अऩना अरग वे एक रोक शं , स्जवे उनके नाभ वे शी मभरोक कशा जाता शं । ऋग्लेद भं उल्रेख शै फक मभरोक भं सनयन्तय अनद्वय अथाात ् स्जवका नाळ न शो ऐवी ज्मोसत जगभगाती यशती शं । मभरोक अनद्वय शं औय मभरोक भं कोई भयता नशीॊ शं । मभदे लताके स्लरुऩ का लणान कयते शुले ग्रॊथकायो ने सरखा

शं । मभ की आॉखं रार शं , उनके शाथ भं ऩाळ यशता शं । इनका ळयीय नीरा शै औय मे दे खने भं उग्र शं । बंवा इनकी वलायी शं । मे वाषात ् कार शं । मभदीऩदान:

मभदीऩदान के त्रलऴम भं स्कन्दऩुयाण भं कशा गमा शै फक कासताक के कृ ष्णऩष भं िमोदळी के प्रदोऴकार भं मभयाज

के सनसभत्त दीऩ औय नैलेद्य वभत्रऩात कयने ऩय अकार भृत्मु का नाळ शोता शं । मश स्लमॊ मभयाज का कथन था। मभदीऩदान केलर प्रदोऴकार भं कयने का त्रलधान शं । मभदीऩदान के सरए सभट्टी का एक फिा दीऩक रेकय उवे उवे स्लच्छ जर वे धो रेना िाफशए। फपय स्लच्छ रुई रेकय दो रम्फी फत्रत्तमॉॊ फना रं। फत्रत्तमाॊ इतनी रम्फी फनामे की दीऩक वे उवके दोनं औय के छोय सनकरे शुए शो। फत्रत्तमॉॊ को दीऩक भं

एक-दव ू ये ऩय इव प्रकाय यखं फक दीऩक के फाशय फत्रत्तमं

के िाय भुॉश फदखाई दं । अफ दीऩक को सतर के तेर वे

बय दं औय वाथ शी उवभं एक छुटकी कारे सतर बी डार दं । प्रदोऴकार भं इव प्रकाय त्रलसध वे तैमाय फकए गए दीऩक का योरी, अषत एलॊ ऩुष्ऩ वे ऩूजन कयना िाफशए।

84

नलम्फय 2013

तत ऩद्ळात ् घय के भुख्म द्राय ऩय फाशय थोिी वी खीर,

ॐ मभदे लाम नभ्। नभस्कायॊ वभऩामासभ॥

यखना िाफशए।

तत ऩद्ळमात ऩुष्ऩ दीऩक के ऩाव यख दं औय ऩुन् शाथ

िालर अथला गेशूॉ वे ढे यी फनाकय उवके ऊऩय दीऩक को दीऩक को ढे यी ऩय स्थात्रऩत कयने वे ऩूला उवे

भं नैलेद्यॊ के रुऩ भं एक फताळा रं तथा सनम्नसरस्खत

प्रज्लसरत कय रं औय दस्षण फदळा की ओय दे खते शुए

भन्ि का उच्िायण कयते शुए उवे दीऩक के वभीऩ शी यख

खीर, िालर, गेशूॉ आफद की ढे यी के ऊऩय यख दं ।

ॐ मभदे लाम नभ्। नैलेद्यॊ सनलेदमासभ॥

इव भन्ि का उच्िायण कयते शुए िायभुॉश के दीऩक को

दं ।

भृत्मुना ऩाळदण्डाभ्माॊ कारेन ि भमा वश।

तत ऩद्ळमात शाथ भं थोिा वा जर रेकय आिभन के

िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज ा ् प्रीमतासभसत॥

सनसभत्त सनम्नसरस्खत भन्ि का उच्िायण कयते शुए दीऩक

अथाात ्: िमोदळी को दीऩदान कयने वे भृत्मु, ऩाळ, दण्ड, कार औय रक्ष्भी के वाथ वूमन ा ॊदन मभ प्रवन्न शं।

उक्त भन्ि के उच्िायण के ऩद्ळात ् शाथ भं ऩुष्ऩ रेकय

सनम्नसरस्खत भन्ि का उच्िायण कयते शुए मभदे ल को दस्षण फदळा भं नभस्काय कयं ।

के वभीऩ जर को छोिे ।

ॐ मभदे लाम नभ्। आिभनाथे जरॊ वभऩामासभ॥ तत ऩद्ळमात ऩुन् मभदे ल को ॐ मभदे लाम नभ्। भन्ि का उिायण कयते शुए दस्षण फदळा भं नभस्काय कयं ।

अवरी 1 भुखी वे 14 भुखी रुराष गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩण ू ा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ अवरी 1 भुखी वे 14 भुखी तक के रुराष उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़ फॊध/ ु फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळेऴ भूल्म ऩय यत्न, उऩयत्न मॊि, रुराष ल अन्म दर ा वाभग्रीमाॊ एलॊ अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं । रुराष के त्रलऴम भं असधक ु ब जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।

त्रलळेऴ मॊि

शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने-िाॊफद-ताम्फे भं आऩकी आलश्मक्ता के अनुळाय फकवी बी बाऴा/धभा के मॊिो को आऩकी आलश्मक फडजाईन के अनुळाय २२ गेज ळुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळेऴ वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।

असधक जानकायी के सरए कामाारम भं वॊऩका कयं ।

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नलम्फय 2013

85

मभदीऩदान के ऩीछे छुऩा गूढ़ आध्मास्त्भक यशस्म

 सिॊतन जोळी ळास्त्रंक्त भत के अनुवाय धनिमोदळी के फकमे जाने

रोकलासवमं का कल्माण शोगा। कासताक कृ ष्ण िमोदळी को

धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान क्मं फकमा जाता शं

सनम्नसरस्खत भन्ि वे उत्तभ दीऩ दे ता शं , लश अऩभृत्मु शोने

लारे कभो भं मभदीऩदान को त्रलळेऴ प्रभुखता दी जाती शं । रेफकन

इव के ऩीछे छुऩी धासभाक भान्मता वे कभ रोग शी ऩयीसित शंगे!

फशन्द ू धभा भं फकमे जाने लारी प्रत्मेक व्रत-तमोशाय,

प्रसतलऴा प्रदोऴकार

भं

जो अऩने

घय के

दयलाजे

ऩय

ऩय बी मशॉॊ रे आने के मोग्म नशीॊ शै ।

भृत्मुना ऩाश्दण्डाभ्माॊ कारेन ि भमा वश। िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज ा ् प्रीमतासभसत॥

उत्वल, ऩूजन त्रलसध-त्रलधान, इत्माफद के ऩीछे कोई न कोई

उवके फाद वे शी अऩभृत्मु अथाात ् अवाभसमक भृत्मु वे

धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान कयना बी इवी प्रकाय ऩौयास्णक

दीऩदान एलॊ नैलेद्य वभत्रऩात कयने का कभा प्रसतलऴा फकमा

ऩौयास्णक

कथा

अलश्म

जुिी

शोती

शं



इवी

प्रकाय

कथा वे जुिा शुआ शं । स्कन्दऩुयाण भं लैष्णलखण्ड के अन्तगात

कासताक

भाव

भशात्म्म

भं

इववे

ऩौयास्णक कथा का वॊस्षद्ऱ उल्रेख फकमा गमा शं ।

वम्फस्न्धत

ऩौयास्णक कथा के अनुवाय एक फाय मभदत ू फारकं

एलॊ मुलाओॊ के प्राण शयते वभम ऩये ळान शो उठे । मभदत ू को फिा द्ु ख शुआ फक ले फारकं एलॊ मुलाओॊ के प्राण शयने का

कामा कयते शं , ऩयन्तु मभदत ू कयते बी क्मा? उनका कामा शी प्राण शयना शी शं । मभदत ू अऩने कताव्म वे ले कैवे त्रलभुख शोते?

मभदत ू के सरए एक औय कताव्मसनद्षा का प्रद्ल था,

दव ु यी ओय स्जन फारक एलॊ मुलाओॊ का प्राण शयकय राते थे ,

उनके ऩरयजनं के द्ु ख एलॊ त्रलराऩ को दे खकय स्लमॊ को शोने लारे भानसवक क्रेळ का प्रद्ल था। ऐवी स्स्थसत भं जफ मभदत ू फशुत फदन तक यशने रगे, तो त्रललळ शोकय ले अऩने

स्लाभी मभयाज के ऩाव ऩशुॉिे औय कशा फक भशायाज आऩके आदे ळ के अनुवाय शभ प्रसतफदन लृद्ध, फारक एलॊ मुला

व्मत्रक्तमं के प्राण शयकय राते शं , ऩयन्तु जो अऩभृत्मु के सळकाय शोते शं , उन फारक एलॊ मुलाओॊ के प्राण शयते वभम

शभं भानसवक क्रेळ शोता शं । उवका कायण मश शै फक उनके ऩरयजन अत्मासधक त्रलराऩ कयते शं औय स्जववे शभं

फशुत असधक द्ु ख शोता शं । क्मा फारक एलॊ मुलाओॊ को अवाभसमक भृत्मु वे छुटकाया नशीॊ सभर वकता शै ?

मभदत ू के भुख वे इतना वुनकय धभायाज फोरे

दत ू गण तुभने फशुत अच्छा प्रद्ल फकमा शं । इववे भृत्मु

फिने के उऩाम के रूऩ भं धनिमोदळी ऩय मभ के सनसभत्त जाता शं ।

मभयाज की वबा: मभयाज की वबा का लणान कयते शुए ग्रॊथ कायं ने सरखा शं फक दे लरोक की िाय प्रभुख वबाओॊ भं वे

एक शै मभवबा । इव वबा का सनभााण त्रलद्वकभाा जी ने

फकमा था। मभवबा अत्मन्त त्रलळार वबा शै , इवकी 100

मोजन रम्फाई एलॊ 100 मोजन िौिाई शै । इव प्रकाय मश

लगााकाय शै । मभवबा का ताऩक्रभ अत्मन्त वुशालना अथाात ् न तो असधक ळीतर शै औय न शी असधक गभा शै । मभवबा वबी के भन को अत्मन्त आनन्द दे ने लारी शै । मभवबा भं न ळोक, न फुढ़ाऩा शै , न बूख शै , न प्माव शै औय न शी मभवबा भं कोई अत्रप्रम लस्तु शं । इव प्रकाय मभवबा

द्ु ख, कद्श एलॊ ऩीिा के कयणं का अबाल यशता शं । मभवबा

भं दीनता, थकालट अथला प्रसतकूरता नाभभाि को बी नशी शै । मभवबा भं वदै ल ऩत्रित वुगन्ध लारी ऩुष्ऩ भाराएॉ एलॊ अन्म कई यम्म लस्तुएॉ त्रलद्यभान यशती शं । मभवबा भं अनेक याजा, ऋत्रऴा औय ब्रह्मत्रऴा मभदे ल की उऩावना कयते यशते शं । ममासत, नशुळ, ऩुरु, कातालीमा, अरयद्शनेभी, कृ सत, सनसभ, भान्धाता, प्रतदान, सळत्रल आफद याजा भृत्मु के उयान्त मशाॊ फैठकय धभायाज की उऩावना कयते शं । कठोय तऩस्मा कयने लारे, उत्तभ व्रत का ऩारन कयने लारे वत्मलादी, ळान्त, वॊन्मावी तथा अऩने ऩुण्मकभा वे ळुध्द एलॊ ऩत्रलि भशाऩुरुऴं का शी मभवबा भं प्रलेळ शोता शं ।

नलम्फय 2013

86

ळास्त्रोक्त त्रलधान वे दीऩालरी ऩूजन

 आरोक ळभाा शभाये धभाळास्त्रो भं कासताक भाव भं दीऩ दान का त्रलळेऴ भशत्ल फतामा गमा शै । दीऩालरी भं दीऩदान का त्रलळेऴ भशत्ल फतामा शं ।

दे लताओॊ तथा दानलं द्राया नभस्काय फक गई वला

दे लस्लरूत्रऩणी भाता। आऩको फाय-फाय नभस्काय शं । आऩ भेये द्राया फदमे शुए इव अघ्नमा को स्लीकाय कयो।

श्रीऩुष्कयऩुयाण के अनुवाय:

इव फदन ऩूजन के फाद गाम को उिद के फिे स्खरा कय प्राथाना

तुरामाभ ् सतरतैरेन वामॊकारे वभागते।

आकाळदीऩभ ् मो दद्यान्भावभेकभ ् शरयभ ् प्रसत। भशतीभ ् सश्रमभाप्नोसत रूऩवौबाग्मवम्ऩदभ ्।।

अथाात: जो व्मत्रक्त कासताक भाव भं वॊध्मा

अथाात: वभुर-भॊथन के वभम षीय वागय वे उत्ऩन्न

वभम

बगलान

श्री

शरय(त्रलष्णु) के नाभ वे सतर के तेर का दीऩ जराता शं , उवे अतुर

रक्ष्भी, रूऩ, वौबाग्म औय वॊऩत्रत्त

कयने का त्रलधान शं ।

वुयसब त्लॊ जगन्भातदे ली त्रलष्णुऩदे स्स्थता। वलादेलभमे ग्रावॊ भमा दत्तसभभॊ ग्रव।। तत् वलाभमे दे त्रल वलादेलैयरङ्कृ ते।

भातभाभासबरात्रऴतॊ वपरॊ कुरु नस्न्दनी।।

अथाात: शे जगदम्फे, शे स्लगा लासवनी दे ली, शे वला दे लभमी, भेये द्राया अत्रऩत ा इव अन्न को ग्रशण कयो। शे वभस्त दे लताओॊ द्राया अरॊकृत भाता नॊफदनी भेया भनोयथ ऩूणा कयो।

फक प्रासद्ऱ शोती शं ।

इवके फाद याि के वभम इद्श, ब्राह्मण,

दे लत्रऴा नायदजी के अनुवाय दीऩालरी ऩला

द्रादळी,

िमोदळी,

गौ, घय के लृद्धजनं फक आयती उतायने

ितुदाळी,

का त्रलधान शं ।

अभालस्मा औय प्रसतऩदा तक 5 फदन

भनाना िाफशए। दीऩालरी ऩला प्रत्मेक फदन अरग-अरग प्रकाय फक ऩूजा का त्रलधान शं ।

गोलत्व द्रादळी कासताक भाव फक द्रादळी को गोलत्व द्रादळी के फदन दध ू दे ने लारी गाम को उवके फछिे वफशत स्नान कयाकय लस्त्र ओढ़ा

कय गरे भं ऩुष्ऩभारा ऩशनाना, उवके वीॊग भॉढ़ाना, िॊदन का सतरक कयना तथा ताॉफे के ऩाि भं वुगन्ध, अषत, ऩुष्ऩ, सतर औय जर का सभश्रण कय सनम्न भॊि वे गौ के ियणं का प्रषारन कयना िाफशए।

षीयोदाणालवम्बूते वुयावुयनभस्कृ ते।

वलादेलभमे भातगृश ा ाणाघ्नमं नभो नभ्।।

िमोदळी (धनतेयव)

कासताक कृ ष्ण िमोदळी को धनतेयव के रुऩ भं भनामा जाता शं । ळास्त्रो भं उल्रेख सभरता शं फक बगलान धन्लॊतयी ने वभुर-भॊथन के दौयान प्रकट शोकय द्ु खी जनं के योगसनलायणाथा आमुलद े का प्राकट्म फकमा था।

धनतेयव के फदन वॊध्मा के वभम घय औय आॊगन भं शाथ भं जरता शुआ दीऩ रेकय सनिे फदमे भॊि वे बगलान मभयाज फक प्रवन्नता शे तु इव भॊि के वाथ दीऩदान कयने का त्रलधान शं ।

भृत्मुना ऩाळदण्डाभ्माॊ कारेन श्माभमा वश। िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज ा ् प्रीमताॊ भभ।।

अथाात: िमोदळी के फदन दीऩदान वे ऩाळ औय दॊ डधायी भृत्मु तथा कार के असधऩसत दे ल बगलान मभ, दे ली श्माभावफशत भुझ ऩय प्रवन्न शं।

नलम्फय 2013

87

नयक ितुदाळी

कयने वे अन्म फदनं की अऩेषा कई गुना असधक राब प्राद्ऱ

कासताक कृ ष्ण ितुदाळी को नयक ितुदाळी के रुऩ भं भनामा जाता शं । इव फदन ितुभख ुा ी दीऩ का दान कयने का त्रलधान शं । भान्मता शं , दीऩ दान वे नयक बम वे भुत्रक्त सभरती शं ! नयक

ितुदाळी फक यात को एक िाय भुख (िाय फत्ती) लारा दीऩ जराकय सनिे फदमे भॊि वे दीऩदान कयने का त्रलधान शं ।

दत्तो दीऩद्ळतुदाश्माॊ नयकप्रीतमे भमा।

शोता शं । दीऩालरी के फदन ऩशरे वे शी स्लच्छ फकमे गृश को वुवस्ज्जत कय बगलान नायामण के वाथ भाॊ रक्ष्भी फक भूसता मा सिि फक स्थाऩना कय उनका त्रलसधलत ऩूजन कयने का त्रलधान शं ।

प्रसतऩदा

कासताक ळुक्र प्रसतऩदा को अन्नकूट फदलव के रुऩ भं भनामा

ितुलसा तावभामुक्त् वलाऩाऩाऩनुत्तमे।।

जाता शं । इव फदन गाम को वजाकय, उनकी ऩूजा कयके सनिे

के सरए एलॊ वभस्त ऩाऩं के त्रलनाळ के सरए भं िाय भुख

रक्ष्भीमाा रोकऩारानाॊ धेनुरूऩेण वॊस्स्थता।

आज ितुदाळी के फदन नयक के असबभानी दे लता फक प्रवन्नता लारा िौभुखा दीऩ अत्रऩत ा कयता शूॉ।

फदमे भॊि उच्िायण कयने का त्रलधान शं ।

घृतॊ लशसत मसाथे भभ ऩाऩॊ व्मऩोशतु।।

अथाात: धेनुरूऩ भं स्स्थत जो रोकऩारं फक वाषात रक्ष्भी शं

दीऩालरी

कासताक अभालस्मा को दीऩालरी के रुऩ भं भनामा जाता शं । इव फदन प्रात् उठकय स्नानाफद वे सनलृत्त शोकय जऩ-तऩ

तथा जो मस के सरए घी दे ती शं , लश गाम भाता भेये ऩाऩं का नाळ कये ।

अभोद्य भशाभृत्मुॊजम कलि अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि ल

उल्रेस्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलद्रान

ब्राह्मणो द्राया वला राख भशाभृत्मुज ॊ म भॊि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात कलि अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि कलि फनलाने शे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम

कलि

दस्षणा भाि: 10900

कलि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं ।

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नलम्फय 2013

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दीऩालरी के फदन कैवे कयं फशीखाता तुरा ऩूजन?

 सिॊतन जोळी फशन्द ू धभा भं ऩॊिभशा ऩला दीऩालरी ऩय व्मलवाम

कामा वे जुडे रोग गणेळ ऩूजन, रक्ष्भी ऩूजन, कुफेय

ऩूजन, आफद ऩूजनो के वाथ-वाथ अऩने व्मलवाम वे जुडे फशवाफ-फकताफ यखने शे तु शय लऴा दीऩालरी ऩय फशी-खाता, तुरा (तयाजू), रेखनी (करभ) आफदका ऩूजन बी कयते शं ।

वलाप्रथभ व्मलवामीक स्थान के भुख्मद्राय के दोनं

ओय की फदलाय ऩय सवन्दयू वे ळुब-राब औय ॐ औय स्लस्स्तक

के सिि अॊफकत कयं । ऩद्ळमात इन ळुब सििं

का योरी, ऩुष्ऩ आफद वे ऩूजन कयं । ऩूजन के वभम ॐ दे शरीत्रलनामकाम नभ्। भॊि जा

तदऩ ु यान्त योरी, ऩुष्ऩ आफद वे ॐ रेखनीस्थामै दे व्मै

नभ्। का उच्िायण कयते शुए ऩूजन कयं । भन्ि फोरते

शुए ऩूजन कयं । ऩूजन के ऩद्ळमात सनम्नसरस्खत भन्ि वे शाथ जोिकय प्राथाना कये ।

ळास्त्राणाॊ व्मलशायाणाॊ त्रलद्यानाभाप्नुमाद्यत्।

अतस्त्लाॊ ऩूजसमष्मासभ भभ शस्ते स्स्थया बल॥

फशीखाता ऩूजन्

दीऩालरी के फदन व्मलवाम वे जुडे रोग नए फशीखातं का ळुबायम्ब कयते शं । ऩूजन शे तु नए फशीखाते रेकय उन्शं ळुद्ध जर के छीॊटे दे कय ऩत्रलि कय रं। फशीखातं को रार लस्त्र त्रफछाकय तथा उव ऩय अषत एलॊ

उच्िायण कयं ।

ऩुष्ऩ डारकय स्थात्रऩत कयं । फशीखाते के

अफ क्रभळ दलात अथाात (Inkstand),

प्रथभ ऩृद्ष ऩय वलाप्रथभ उऩय रार

फशीखाता, तुरा (तयाजू) आफद का

करभ मा ऩेन वे श्री गणेळाम नभ्।

ऩूजन कयना िाफशए।

सरखे ऩद्ळमात स्लस्स्तक का सिि

दलात

का

ऩूजन:

दलात

को

िॊदन अथला योरी वे फनाएॉ। ऩद्ळमात

भशाकारी का रूऩ भाना जाता शं ।

अऩने इद्श दे ली-दे लता का नाभ सरख

वलाप्रथभ नई स्माशीमुक्त दलात को

वकते शं । मफद फशी खातो ऩय वद्ऱ श्री

ळुद्ध जर के छीटं दे कय ऩत्रलि कय रे, उवके फाद उवके भुख ऩय भौरी फॉॊध दं । दलात को िौकी ऩय थोिे वे ऩुष्ऩ औय अषत

सरखा जाए तो बी आने लारे लऴा बय के सरमे आसथाक रत्रद्श वे राबदामक यशता शं । (वद्ऱ श्री सरखने की त्रलसध गुरुत्ल ज्मोसतऴ

डारकय स्थात्रऩत कय दं । दलात का योरी, ऩुष्ऩ आफद वे

भासवक ऩत्रिका भं ऩृद्ष वॊख्मा ऩय दी गई शं ।

भशाकारी के भन्ि ॐ श्रीभशारक्ष्भै नभ्। का उच्िायण

ऩद्ळमात फशीखाते का योरी, ऩुष्ऩ आफद वे त्रलसधलत ऩूजन

कयते शुए ऩूजन कयं । ऩूजन के ऩद्ळमात इव प्रकाय प्राथाना कये ।

कासरके त्लॊ जगन्भातभासवरूऩेण लतावे।

उत्ऩन्ना त्लॊ ि रोकानाॊ व्मलशायप्रसवद्धमे॥

रेखनी ऩूजन्

दीऩालरी के फदन नमी रेखनी मा ऩेन को ळुद्ध जर वे

कयना िाफशए। ऩूजन के वभम ॐ श्रीवयस्लत्मै नभ् भन्ि का उच्िायण कयं । तुरा का ऩूजन् वलाप्रथभ तयाजू को ळुद्ध कय रेना िाफशए। तदऩ ु यान्त उव ऩय योरी वे स्लस्स्तक का सिि फनाएॉ। उव ऩय भौरी

धोकय तथा उव ऩय भौरी फॉॊधकय रक्ष्भीऩूजन की िौकी

फॉॊध दं तथा ॐ तुरासधद्षातृदेलतामै नभ्। उच्िायण कयते

ऩय कुछ अषत एलॊ ऩुष्ऩ डारकय स्थात्रऩत कय दं ।

शुए योरी, ऩुष्ऩ आफद वे तयाजू का ऩूजन कयं ।

नलम्फय 2013

89

रक्ष्भी प्रासद्ऱ का अभोघ वाधन दस्षणालता ळॊख

 सिॊतन जोळी, स्लस्स्तक.ऎन.जोळी, ऩॊ.श्री बगलानदाव त्रिलेदी जी, वुख-वभृत्रद्ध, धन-वॊऩत्रत्त, रयत्रद्ध-सवत्रद्ध एलॊ ऐद्वमा की प्रासद्ऱ के सरए शभाये धभा ळास्त्रं भे दस्षणालता ळॊख का अत्मासधक भशत्ल फतामा गमा शं । दस्षणालता ळॊख का भुख दामीॊ औय वे खुरा शोता शं ।

 स्जव स्थान ऩय ळॊखनाद शोता शं लशाॊ रक्ष्भी का स्स्थय सनलाव शोता शं ।  त्रलद्रानं का भत शं की स्जव घय भं दस्षणालता ळॊख का ऩूजन शोता शं उव घय भं वलादा भाॊगसरक कामा

ळास्त्रोक्त भान्मता शं की स्जव घय भं त्रलसध-त्रलधान

वॊऩन्न शोते शं , उव घय भं भाॊगसरक कामं के दौयान

वे दस्षणालता ळॊख का ऩूजन शोता शं , उव घय भं धन,

फकवी प्रकाय का त्रलघ्नन-फाधाएॊ, त्रलरॊफ मा अळुब नशीॊ

वुख, वभृत्रद्ध, मळ-फकसता की लृत्रद्ध शोती शं । उव घय भं रक्ष्भी स्स्थत शोती शं ।

शोता शं ।

 ळॊख के ऩीछे के फशस्वे को वोने वे जिलाना उत्तभ शोता शं ।

अवरी नकरी ऩशिान के सरए ळॊख को ऩाॊि फदन

 दस्षणालता ळॊख को ऩूजा स्थान भं स्थात्रऩत कय के

औय ऩाॊि यात तक ठॊ डे ऩानी भं यखे, मफद नकरी ळॊख

प्रसतफदन स्नानाफद के ऩद्ळमात स्लच्छ लस्त्र धायण कय

शोगा तो टू ट जामेगा। इव प्रकाय अवरी नकरी की ऩयख

प्रसतफदन ऩूजन कयं ।

कयके ळॊख का ऩूजन भं प्रमोग कयं ।

 ऩूला फदळा भं फशनेलारी नदी भं स्नान कय नदी के

दशीॊ मा दे ळी घी के वभान यॊ ग लारा ळॊख उत्तभ

जर को दस्षणालता ळॊख भं बय कय अऩने भस्तक

शोता शं , धूसभर मा धुएॊ जैवे यॊ ग लारे ळॊख को ळॊस्खणी

ऩय उव जर की धाय सगयाने वे वबी प्रकाय के ऩाऩं

(अथाात स्त्री जाती का ळॊख) कशाॊ जाता शं ।

का नाळ शोता शं ।

 2.5 तोरा अथाात िीव ग्राभ वे असधक लजन का ळॊख ऩूजन शे तु उत्तभ वभझे औय 2 तोरा मा उस्वे कभ लजन के ळॊख को वाधायण वभझे।  ळास्त्रं भं ळॊख को त्रलष्णु स्लरुऩ भाना गमा शं , ळॊख भं बगलान त्रलष्णु का लाव शोता शं । इव सरए जशाॊ दस्षणालता ळॊख शोता शं लशाॊ बगलान त्रलष्णु का लाव शोता शं जशाॊ बगलान त्रलष्णु का लाव शोता शं लशाॉ भाॉ रक्ष्भी सनलाव कयती शं । स्जववे जशाॉ भाॉ रक्ष्भी सनलाव कयती लशाॉ योग, दोऴ, द्ु ख, दरयरता आफद घयभं यश नशीॊ वकतं।  ळॊख को रस्क्ष्भ प्रासद्ऱ का उत्तभ वाधन भाना गमा शं ।  स्जवके घय भं दस्षणालता ळॊख शोता शं उवके आमुष्म, कीसता तथा धन की लृत्रद्ध शोती शं । जो ळॊख के जर को भस्तक ऩय सछिकता शं उवके घयभं रक्ष्भी स्स्थय शोती शं ।

 स्जव स्त्री को वॊतान नशीॊ शो यशी शो, वॊतान जीत्रलत न यशती शो, भृत वॊतान का जन्भ शो यशा शो ऐवी स्त्री को दस्षणालता ळॊख का ऩूजन कयके स्जव गाम के फछ़डे जीत्रलत शो ऐवी गाम का दध ू ळॊख भं बय रं। 108 फाय भॊि फोर कय ळॊख का दध ू को प्रवाद के रुऩ भं वेलन कयं । मश प्रमोग दध ू के फदरे घी (थोिा गयभ कयरे) का इस्तेभार कय वकते शं , इव प्रमोग वे स्त्रीको वॊतान शोने की वॊबालनाएॊ फढ़ वकती शं ।  जो रोग नदी मा तीथा तक नशीॊ जा वकते ऐवे रोग दस्षणालता ळॊख भं नदी मा तीथा का जर के छीॊटे अऩने भस्तक ऩय सछडकने, तथा अऩने त्रऩतृओॊ का नाभ रेकय ळॊख वे तऩाण कयने वे उवके वबी ऩाऩ नद्श शो जाते शं , तथा त्रऩतृओॊ का उद्धाय शोता शं , उनको वद्दगसत प्राद्ऱ शोती शं ।

नलम्फय 2013

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 त्रलद्रानं का कथन शं की दस्षणालता ळॊख भं जर बय कय उववे बगलान त्रलष्णु का ऩूजन कयने वे उवके वात जन्भ के ऩाऩं का नाळ शोता शं ।  जो दस्षणालता ळॊख के जर वे स्नान कयता शं उवे वबी तीथं के स्नान का पर सभरता शं ।  स्जव स्थान ऩय दस्षणालता ळॊख शोता शं लशाॊ बूत-प्रेत आफद वबी प्रकाय के उऩरलं वे यषा शोती शं ।  ळास्त्रं भं ळॊख को वूमा िॊरभाॊ के वभान फदव्म गुणं वे मुक्त फतामा गमा शं ।  धासभाक भान्मता शं की तीनं रोक भं स्जतने तीथा शं लश वफ बगलान त्रलष्णु की आसा वे ळॊख भं सनलाव कयते शं । ळॊख के दळान वे ऩाऩं का नाळ शोता शं ।

ळॊख ध्लसन एलॊ ळॊख जर के त्रलळेऴ राब:

आज तोऩ के गोरे मा फभ के ळोय का जो अवय शोता शं लशीॊ अवय प्रािीन कार भं ळॊख ध्लसन वे शोता था। ळॊख ध्लसन वे ळिुओॊ की वेना का भनोफर टू ट जाता शं । मफद जॊगर भं जशाॊ ळॊख ध्लसन शोती शं लशाॊ वे ळेय-फाध जैवे फशॊ वक ऩळु आने की फशम्भत नशीॊ कयते। जशयी जीलजॊतु बी लशाॊ वे दयू यशते शं ।

कुछ जानकायं का भानना शं की योग कायक ळूक्ष्भ

जीलाणु मा त्रलऴाणु शला भं शोते शं स्जवे लामयव कशते शं , जशाॊ प्रसतफदन प्रात् एलॊ वॊध्मा ळॊख ध्लसन शोती शं , लशाॊ जीलाणु मा त्रलऴाणु अथाात लामयव का उऩरल पैरता नशीॊ शं ।  दस्षणालतॉ ळॊख को धन के बॊडाय भं यखने वे धन की लृत्रद्ध, अन्न-बॊडाय भं यखने वे अन्न की लृत्रद्ध, लस्त्र के बॊडाय भं यखने वे लस्त्र की लृत्रद्ध, अध्ममन ल ऩूजन कष भं यखने वे सान की लृत्रद्ध, ळमन कष भं यखने वे वुख-ळाॊसत की लृत्रद्ध शोती शं ।  दस्षणालतॉ ळॊख भं ळुद्ध जर बयकय व्मत्रक्त, लस्तु, बूसभ-बलन आफद ऩय सछिकने वे दब ु ााग्म, असबळाऩ, असबिाय, ग्रशं की अळुबता इत्माफद वभाद्ऱ शो जाती शं ।

 त्रलद्रानं कथन शं की ब्रह्म शत्मा, गो शत्मा जैवे भशाऩातकं वे भुत्रक्त ऩाने के सरए दस्षणालतॉ ळॊख के जर को वॊफॊसधत व्मत्रक्त ऩय सछिकने वे उवे ऩाऩं वे भुत्रक्त सभरती शं ।  दस्षणालतॉ ळॊख का जर जाद-ू टोना, नज़य, काभणटू भण जैवे असबिाय लारे कभं के दष्ु प्रबालं को नद्श कयने भं वभथा शं ।

दस्षणालता ळॊख के प्रकाय: ळास्त्रं भं दस्षणालता ळॊख के दं बेद फतामे शं : दस्षणालता ऩुरुऴ ळॊख औय दस्षणालता स्त्री ळॊख। छोटे आकायं लारे कभ लजन के दस्षणालता ळॊख को स्त्री दस्षणालता ळॊख कशाॊ जाता शं , धुध ॊ रे यॊ ग लारे ळॊखं को बी स्त्री दस्षणालता ळॊख भाना जाता शं । लणा के अनुवाय दस्षणालता ळॊख िाय प्रकाय के फतामे गमे शं । 1- ब्राह्मण दस्षणालता ळॊख:

जो ळॊख शये मा वपेद यॊ ग का शो, छूने ऩय उवकी वतश कोभर भशवूव शो, ळॊख लजन भं शल्का शो उव ळॊख को ब्राह्मण दस्षणालता ळॊख कशाॊ गमा शं । 2- षत्रिम दस्षणालता ळॊख: जो ळॊख शल्का यक्त लणा शो, ळॊख के अॊळ को अरग कयने

लारी कुछ ये खाएॊ फनी शो, ळॊख की ध्लसन ककाळ शो उव ळॊख को षत्रिम दस्षणालता ळॊख कशाॊ गमा शं । 3- लैश्म दस्षणालता ळॊख: जो ळॊख भोटा शो, ळॊख के शय अॊळ ऩय ये खा शो तथा लश ऩीरे यॊ ग की शो उव ळॊख को लैश्म दस्षणालता ळॊख कशाॊ गमा शं । 4- ळुर दस्षणालता ळॊख: जो ळॊख कठोय शो, ळॊख का आकाय टे िा भेिा शो, लजन भं बायी शो, ळॊख की ध्लसन ककाळ, यॊ ग थोडा कारा शो उव ळॊख को ळुर दस्षणालता ळॊख कशाॊ गमा शं ।

दस्षणालता ळॊख के भुख्म तीन गुण भाने गमे शं । 1- आकाय भं गोराकाय शो, 2- ळॊख की वतश भुरामभ शो तथा 3- सनभार शो

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मफद ऐवा ळॊख फकवी कायण वे टू ट जामे तो टू टे शुले बाग को वोने की लयख मा वोने के ऩत्तय वे उवे ढॊ क दे ना िाफशए।

अशॊ करयष्मे।

अथाात: आजके अभुक लऴा, अभुक भाव, अभुक ऩष, अभुक सतसथ, अभुक लाय को भेये कामा की सवत्रद्ध के सरए वुलणा, गाम, दाव, लाशन आफद वभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरए

दस्षणालसता ळॊख की ऩूजन त्रलसध:

भं श्री दस्षणालतॉ ळॊख जा ऩूजन कय यशा शूॊ।

प्रात् स्नान आफद वे सनलृत्त शो कय, स्लच्छ कऩिे ऩशन

(उक्त भॊि उिायण कय ळॊखका जर ऩािे भं छोि दे )

कय, प्रथभ दध ू वे फपय ळुद्ध जर वे ळॊख को स्नान

ऩूजन भॊि:

को वोने मा िाॊदी के ऩि वे भढ़ना िाफशए (अथाात ळॊख

श्रीदस्षणालता ळॊखम ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीकयाम ऩूज्माम

कयामे। फपव स्लच्छ रार लस्त्र वे उवे ऩोछे । फपय ळॊख की उऩयी वतश को वोने मा िाॊदी के ऩि का आलयण रगाकय ढ़क दे ना िाफशए), मफद वोने िाॊदी का ऩि रगाना वॊबल न शो तो वोने मा िाॊदी की लयक (लयख, लका, लखा, ऩणा, ऩन्नी Foil आफद नाभं वे जाना जाता शं ) बी िढ़ा वकते शं । फपय ळॊख का अद्श रव्मं वे ऴोडळोऩिाय ऩूजन कयं ।

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थाप्ममोसनसध जाताम नभ्।

उक्त भि का उच्िायण कयते शुले ळॊख को अद्श रव्म ल

वुगॊसधत इि िढ़ाएॊ। िाॊदी के फयतन भं दध ू भं िीनी, केवय, फादाभ, इरामिी सभरा कय नैलेद्य तैमाय कयं । वॊबल शो तो वाथ भं पर बी यखं। कऩूय वे आयती कयं ।

ळॊख का ऩूजन

ध्मान भॊि:

वॊकल्ऩ

शाथ भं आिभनी भं रज रेकय नीिे दे मे भॊि वे वॊकल्ऩ कयं (जशाॊ अभुक के स्थान ऩय वॊफॊसधत लऴा, भाव आफद का उच्िायण कयं ।)

ॐ अिाद्य अभुक लऴे अभुक भावे अभुक ऩषे

अभुक सतथौ अभुख लायवे ळुब नषि कयण मोग

रग्ने भभ सवद्धमथे फशयण्म गोदावा लाशना फश

वभृत्रद्ध प्राप्त्मथे श्री दस्षणालतॉ ळॊखस्म ऩूजनभ ्

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थाप्म ऩमोसनसध

जाताम रक्ष्भी वशोदयाम सिस्न्तभाथा वॊऩादकाम श्री श्रीदस्षणालता ळॊखाम श्री कयाम, ऩूज्माम क्रीॊ श्रीॊ

ह्रीॊ



नभ्

प्रळस्मान्गोऩान्गवॊमत ु ाम

वलााबयण

कल्ऩलृषाम

बूत्रऴताम

स्स्थताम

काभधेनु सिन्ताभस्णनल सनसधरूऩाम ितुदाळ यत्न ऩरयलृत्ताम अद्शादळ भशासवत्रद्ध वफशताम श्रीरक्ष्भी

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री ु ब शत्था जोडी- Rs- 550

घोडे की नार- Rs.351

भामा जार- Rs- 251

त्रफल्री नार- Rs- 370

भोसत ळॊख-Rs- 550 वे 1450

धन लृत्रद्ध शकीक वेट Rs-251

सवमाय सवॊगी- Rs- 730

दस्षणालतॉ ळॊख-Rs-550-2100 इन्र जार- Rs- 251

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दे लता

कृ ष्णदे ल

श्री

ऋत्रद्ध-सवत्रद्ध तथा वुख-वभृत्रद्ध की प्रासद्ऱ के सरए शे तु मश

ध्मान भॊि आलाशन अथाात ् स्तुसत भॊि शै । इवके असतरयक्त

दोऴ यफशत दस्षणालतॉ ळॊख का उऩयोक्त त्रलसध वे ऩूजन

ळॊखभशासनधमे नभ्।

कयतर

रसरताम

फीज भॊि अथला ऩाॊि जन्म गामिी ळॊख भॊि का ग्मायश भारा जऩ कयना बी आलश्मक शै ।

प्रमोग अत्मॊत राब प्रद शं । कयना अत्मॊत राबप्रद शोता शं । ळॊख का ऩूजन फदन के प्रथभ प्रशय भं कयने वे याज्म ऩष वे वम्भान की प्रासद्ऱ शोती शं ।

जऩ भॊि:

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दस्षण ळॊखसनधमे वभुर प्रबलाम नभ्।

ळॊख का ऩूजन फदन के फद्रतीम प्रशय भं कयने वे धन, वॊऩत्रत्त ल रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं एलॊ फुत्रद्ध का त्रलकाव शोता शं ।

फीज भॊि:

ॐ ह्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दस्षणभुखाम ळॊखसनधमे वभुरप्रबलाम नभ्।

ळॊख का ऩूजन फदन के तृतीम प्रशय भं कयने वे वभाज भं मळ, कीसता एलॊ फुत्रद्ध की लृत्रद्ध शोती शं । ळॊख का ऩूजन फदन के ितुथा प्रशय भं कयने वे वॊतान की

ळॊख का ळाफय भॊि:

प्रासद्ऱ एलॊ लृत्रद्ध शोती शं ।

ॐ दस्षणालते ळॊखाम भभ ् गृश धनलऴाा कुरु कुरु नभ्॥

त्रलळेऴ: फदन औय यािी के िाय-िाय प्रशय शोते शं , कुर आठ प्रशय का एक फदन शोता शं । अथाात एक प्रशय तीन

ळॊख गामिी भॊि:

ॐ ऩान्िजन्माम त्रलद्मशे । ऩालभानाम धीभफश। तन्न ळॊख् प्रिोदमात ्।

घॊटे का शोता शै । वूमोदम के वभम वे प्रथन प्रशय की गणना कयनी िाफशए। वूमोदम वभम भं 3 घॊटे का वभम जोिने ऩय दव ू या प्रशय प्रायॊ ब शोगा ऐवे तीन-तीन घॊटे

प्रसतफदन उक्त फकवी एक भॊि का ळॊख के वम्भुख फैठकय

जोडकय क्रभळ् तीवया औय िौथा प्रशय जान वकते शं ।

1, 3, 5, 7, 11 भाराएॊ जऩ कयना िाफशए। जऩ की वभासद्ऱ ऩय जर को आकाळ की ओय सछिके।

***

सळषा वे वॊफॊसधत वभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनालश्मक रूऩ वे फाधा-त्रलघ्नन मा रुकालटे शो यशी शं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एलॊ भेशनत का उसित पर नशीॊ सभर यशा? अऩने रडके-रडकी की कॊु डरी का

त्रलस्तृत अध्ममन अलश्म कयलारे औय उनके त्रलद्या अध्ममन भं आनेलारी रुकालट एलॊ दोऴो के कायण एलॊ उन दोऴं के सनलायण के उऩामो के फाय भं त्रलस्ताय वे जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

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अद्शरक्ष्भी स्तोि

नलम्फय 2013

दे लकृ त रक्ष्भी स्तोिभ ्

वुभनवलॊफदत वुॊदरय भाधत्रल िॊर वशोदरय शे भभमे ।

षभस्ल बगलॊत्मल षभाळीरे ऩयात्ऩये ।

भुसनगण लॊफदत भोषप्रदासमसन भॊजुऱबात्रऴस्ण लेदनुते ॥

ळुद्धवत्त्लस्लरूऩे ि कोऩाफदऩरयलस्जाते॥

ऩॊकजलासवसन दे लवुऩूस्जत वदगुणलत्रऴास्ण ळाॊसतमुते ।

उऩभे वलावाध्लीनाॊ दे लीनाॊ दे लऩूस्जते।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन आफदरस्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥1॥

त्लमा त्रलना जगत्वलं भृततुल्मॊ ि सनष्परभ ्॥

षीयवभुदबल भॊगररूत्रऩस्ण भॊिसनलासवसन भॊिनुते ॥

यावेद्वमासध दे ली त्लॊ त्लत्करा् वलामोत्रऴत्॥

भॊगरदासमसन अॊफुजलासवसन दे लगणासश्रत ऩादमुते ।

कैरावे ऩालाती त्लॊ ि षीयोदे सवन्धुकन्मका।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन धान्मरस्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥2॥

स्लगे ि स्लगारक्ष्भीस्त्लॊ भत्मारक्ष्भीद्ळ बूतरे॥

जमलय लस्णासन लैष्णत्रलबागात्रल भॊिस्लरूत्रऩस्ण भॊिभमे ।

लैकुॊठे ि भशारक्ष्भीदे लदे ली वयस्लती।

वुयगण ऩूस्जत ळीघ्र परप्रद सानत्रलकासवसन ळास्त्रनुते ॥

गॊगा ि तुरवी त्लॊ ि वात्रलिी ब्रह्मारोकत्॥

बलबमशारयस्ण ऩाऩत्रलभोिसन वाधुजनासश्रत ऩादमुते ।

कृ ष्णप्राणासधदे ली त्लॊ गोरोके यासधका स्लमभ ्।

असमकसर कल्भऴनासळसन कासभसन लैफदकरूत्रऩस्ण लेदभमे ।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन धैमर ा स्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥3॥

वलावॊऩत्स्लरूऩा त्लॊ वलेऴाॊ वलारूत्रऩणी।

यावे यावेद्वयी त्लॊ ि लृॊदालन लने- लने॥

जम जम दग ु सा तनासळसन कासभसन वलापरप्रद ळास्त्रभमे ।

कृ ष्णा त्रप्रमा त्लॊ बाॊडीये िॊरा िॊदनकानने।

यथगज तुयग ऩदाफदवभानुत ऩरयजनभॊफडत रोकनुते ॥

त्रलयजा िॊऩकलने ळतळृॊगे ि वुॊदयी॥

शरय-शय ब्रह्म वुऩूस्जत वेत्रलत ताऩसनलारयस्ण ऩादमुते ।

ऩद्मालती ऩद्मलने भारती भारतीलने।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन श्री गजरस्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥4॥

कुॊददॊ ती कुॊदलने वुळीरा केतकीलने॥

गुणगणलारयसध रोकफशतैत्रऴस्ण वद्ऱस्लयलय गाननुते ॥

याजरक्ष्भी याजगेशे गृशरक्ष्भीगृशे गृशे॥

असम खगलाफशसन भोफशसन िफक्रस्ण याग त्रललसधासन सानभमे । वकर वुयावुय दे ल भुनीद्वय भानललॊफदत ऩादमुते ।

कदॊ फभारा त्लॊ दे ली कदॊ फकाननेऽत्रऩ ि। इत्मुक्त्ला दे लता् वलाा भुनमो भनलस्तथा।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन वॊतानरस्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥5॥

रूरूदन ा लदना् ळुष्ककॊठोद्ष तारुका्॥ ु म्र

अनुफदनभसिात कुकुॊभधूवय बूत्रऴतलासवत लाद्यनुते ॥

म् ऩठे त्प्रातरूत्थाम व लै वलै रबेद् रुलभ ्॥

जम कभरावसन वदगसतदासमसन सान त्रलकासवसन गानभमे ।

इसत रक्ष्भीस्तलॊ ऩुण्मॊ वलादेलै् कृ तॊ ळुबभ ्।

कनक धया स्तुसत लैबल लॊफदत ळॊकय दे सळक भान्म ऩते।

अबामो रबते बामां त्रलनीताॊ वुवुताॊ वतीभ ्।

प्रणत वुयेद्वरय बायसत बागात्रल ळोकत्रलनासळसन यत्नभमे ।

ऩुिऩौिलतीॊ ळुद्धाॊ कुरजाॊ कोभराॊ लयाभ ्।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन त्रलजमरस्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥6॥

वुळीराॊ वुॊदयीॊ यम्माभसतवुत्रप्रमलाफदनीभ ्॥

भस्णभम बूत्रऴत कणात्रलबूऴण ळाॊसतवभालृत शास्मभुखे ॥

अऩुिो रबते ऩुिॊ लैष्णलॊ सियजीत्रलनभ ्॥

नलसनसध दासमसन कसरभरशारयस्ण काम्म परप्रद शस्तमुते ।

ऩयभैद्वमामुक्तॊ ि त्रलद्यालॊतॊ मळस्स्लनभ ्।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन त्रलद्यारस्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥7॥

भ्रद्शयाज्मो रबेराज्मॊ भ्रद्शश्रीराबते सश्रमभ ्॥

घुभघुभ घुॊघुभ घुॊघुभ घुॊघुभ ळॊखसननाद वुलाद्यनुते ॥

कीसताशीनो रबेत्कीसतं प्रसतद्षाॊ ि रबेद् रुलभ ्॥

सधसभ सधसभ सधभ ् सधसभ सधॊसधसभ सधॊसधसभ दॊ द ा मे । ु सु ब ्नाद वुऩूणभ

शतफॊधर ु ब ा ेद्बॊधुॊ धनभ्रद्शो धनॊ रबेत ्।

लेदऩुयाणेसत शाव वुऩूस्जत लैफदकभागा प्रदळामुते ।

वलाभॊगरदॊ स्तोिॊ ळोकवॊताऩनाळनभ ्।

जम जम शे भधुवूदन कासभसन श्री धनरस्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥8॥

शऴाानॊदकयॊ ळद्वद्धभा भोषवुरृत्प्रदभ ्॥

॥ इसत श्रीदे लकृ त रक्ष्भीस्तोिॊ वॊऩूणभ ा ्॥

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ऋणभोिक भॊगर स्तोि

॥ रक्ष्भी स्तुसत-ऩाठ ॥

श्रीगणेळाम नभ्

ऩद्मानने ऩसद्मसन ऩद्म-शस्ते ऩद्म-त्रप्रमे ऩद्म-दरामतास्ष।

भङ्गरो बूसभऩुिद्ळ ऋणशताा धनप्रद्।

ऩद्मानने ऩद्म-उरु, ऩद्माषी ऩद्म-वम्बले।

स्स्थयावनो भशाकम् वलाकभात्रलयोधक् ॥१॥ रोफशतो रोफशताषद्ळ वाभगानाॊ कृ ऩाकय्। धयात्भज् कुजो बौभो बूसतदो बूसभनन्दन्॥२॥ अङ्गायको मभद्ळैल वलायोगाऩशायक्। व्रुद्शे् कतााऽऩशताा ि वलाकाभपरप्रद्॥३॥ एतासन कुजनाभसन सनत्मॊ म् श्रद्धमा ऩठे त ्। ऋणॊ न जामते तस्म धनॊ ळीघ्रभलाप्नुमात ्॥४॥ धयणीगबावम्बूतॊ त्रलद्युत्कास्न्तवभप्रबभ ्। कुभायॊ ळत्रक्तशस्तॊ ि भङ्गरॊ प्रणभाम्मशभ ्॥५॥ स्तोिभङ्गायकस्मैतत्ऩठनीमॊ वदा नृसब्। न तेऴाॊ बौभजा ऩीडा स्लल्ऩाऽत्रऩ बलसत क्लसित ्॥६॥ अङ्गायक भशाबाग बगलन्बक्तलत्वर। त्लाॊ नभासभ भभाळेऴभृणभाळु त्रलनाळम॥७॥ ऋणयोगाफददारयरमॊ मे िान्मे ह्यऩभृत्मल्। बमक्रेळभनस्ताऩा नश्मन्तु भभ वलादा॥८॥ असतलक्ि दयु ायाध्मा बोगभुक्त स्जतात्भन्। तुद्शो ददासव वाम्राज्मॊ रुश्टो शयसव तत्ख्ळणात ्॥९॥ त्रलरयॊ सिळक्रत्रलष्णूनाॊ भनुष्माणाॊ तु का कथा। तेन त्लॊ वलावत्त्लेन ग्रशयाजो भशाफर्॥१०॥ ऩुिान्दे फश धनॊ दे फश त्लाभस्स्भ ळयणॊ गत्। ऋणदारयरमद्ु खेन ळिूणाॊ ि बमात्तत्॥११॥ एसबद्राादळसब् द्ऴोकैमा् स्तौसत ि धयावुतभ ्। भशसतॊ सश्रमभाप्नोसत ह्यऩयो धनदो मुला॥१२॥ ॥इसत श्री ऋणभोिक भङ्गरस्तोिभ ् वम्ऩूनभ ा ्॥

त्रलद्वे-त्रप्रमे त्रलष्णु-भनोनुकूरे, त्लत ्-ऩाद-ऩद्मॊ भसम वस्न्नधत्स्ल॥ त्लन्भा बजस्ल ऩद्मास्ष, मेन वौख्मॊ रबाम्मशभ ्॥ अद्व-दासम ि गो-दासम, धनदामै भशा-धने। धनॊ भे जुऴताॊ दे त्रल, वला-काभाॊद्ळ दे फश भे॥ ऩुि-ऩौि-धन-धान्मॊ, शस्त्मद्वाफद-गले यथभ ्।

प्रजानाॊ बलसत भात्, अमुष्भन्तॊ कयोतु भाभ ्॥ धनभस्ग्नधानॊ लामुधन ा ॊ वूमो धनॊ लवु्। धनसभन्रा लृशस्ऩसतलारुणो धनभद्लुते॥ लैनतेम वोभॊ त्रऩफ, वोभॊ त्रऩफतु लृिशा। वोभॊ धनस्म वोसभनो, भह्मॊ ददातु वोसभसन॥ न क्रोधो न ि भात्वमं, न रोबो नाळुबा भती्। बलन्ती कृ त-ऩुण्मानाॊ, बक्तानाॊ श्री-वूक्तॊ जऩेत ्॥

त्रलसध्उक्त भशा-भन्ि के तीन ऩाठ सनत्म कये । „ऩाठ‟ के फाद कभर के द्वेत पूर, सतर, भधु, घी, ळक्कय, फेर-गूदा सभराकय फेर की रकिी वे सनत्म १०८ फाय शलन कये । ऐवा ६८ फदन कये । इववे भन-लास्ञ्छत धन प्राद्ऱ शोता शै । शलन-भन्ि्- “ॐ श्रीॊ ह्रीॊ भशा-रक्ष्म्मै वलााबीद्श सवत्रद्धदामै स्लाशा।”

द्रादळ भशा मॊि वबी प्रकाय वे बाग्म लृत्रद्ध एलॊ वुख वभृत्रद्ध शे तु वला श्रेद्ष मॊि, शभाये 30 लऴोके अनुबलो द्राया सनसभात

भूल्म: Rs- 2350 वे 10900 तक

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श्री रक्ष्भी िारीवा ॥ दोशा ॥

रुऩ फदर तशॊ वेला कीन्शा ॥

प्रसतफदन ऩाठ कयै भन भाशीॊ ।

भातु रक्ष्भी करय कृ ऩ, कयो ह्र्दम भं

स्लॊम त्रलष्णु जफ नय तनु धाया ।

लाव ॥

रीन्शे उ अलधऩुयी अलताया ॥

उन वभ कोई जग भं कशुॊ नाशी ॥

भनोकाभना सवद्ध करय, ऩुयलशु भेयी

तफ तुभ प्रगट जनकऩुय भाशीॊ ।

आव ॥

वेला फकमो ह्र्दम ऩुरकाशीॊ ॥

करय त्रलद्वाव कयं व्रत नेभा ।

॥वोयठा ॥

अऩनामा तोफश अन्तमााभी ।

शोम सवद्ध उऩजै उय प्रेभा ॥

मशी भोय अयदाव,शाथ जोड त्रलनती

त्रलद्व त्रलफदत त्रिबुलन की स्लाभी ॥

जम जम जम रक्ष्भी बालानी ।

वफत्रलसध कयौ वुलाव, जम जनसन

कशॊ तक भफशभा कशौ फखानी ॥

तुम्शयो तेज प्रफर जग भाशी ।

जगदॊ त्रफका ॥

भन क्रभ लिन कयै वेलकाई ।

सवॊधु वुता भं वुसभयं तोशी ।

भन इस्च्छत लाॊसछत पर ऩाई ॥

तुभ वभ कोउ दमारु कशुॊ नाफशॊ ॥

सान फुत्रद्ध त्रलद्या दो भोशी ॥

तस्ज छ्र कऩट औय ितुयाई ।

वॊकट काफट बत्रक्त भोफश दीजै ॥

तुभ वभान नफशॊ कोई उऩकायी ।

ऩूजफशॊ त्रलत्रलध बाॊसत भन राई ॥

बूर िूक करय षभा शभायी ।

वफ त्रलसध ऩुयलशु आव शभायी ॥

औय शार भं कशं फुझाई ।

दळान दीजै दळा सनशायी ॥

जम जम जगत जनसन जगदम्फा ।

जो मश ऩाठ कयै भन राई ॥

त्रफन दळान व्माकुर असधकायी ।

वफकी तुभ शी शो अलरम्फा ॥

ताको कोई कद्श न शोई ।

तुभ शी शो घट घट की लावी ।

भन इस्च्छत ऩालै पर वोई ॥

तुभफश अषत द्ु ख वशते बायी ॥

त्रलनती मशी शभायी खावी ॥

िाफश िाफश जम द्ु ख सनलारयस्ण ।

वफ जानत शो अऩने भन भं ॥

त्रित्रलध ताऩ बल फॊधन शारयस्ण ॥

रुऩ ितुबुज ा कयके धायण ।

दीनन की तुभ शो फशतकायी ॥

जो मश िारीवा ऩढै ऩढालै ।

त्रलनलं सनत्म तुभफशॊ भशायानी ।

ध्मान रगाकय वुनै वुनालै ॥

कद्श भोय अफ कयशु सनलायण ॥

कृ ऩा कयौ जग जनसन बलानी ॥

ताको कोई न योग वतालै ।

सान फुत्रद्ध भोफश नफशॊ असधकाई ॥

केफश त्रलसध स्तुसत कयं सतशायी ।

ऩुि आफद धन वम्ऩसत ऩालै ॥

॥ दोशा ॥

वुसध रीजै अऩयाध त्रफवायी ॥

ऩुिशीन अरु वॊऩसत शीना ।

कृ ऩा दृत्रद्श सितलो भभ ओयी ।

अॊध फसधय कोढी असत दीना ।

िाफश िाफश दख ु शारयणी,शयो लेसग वफ

जगजननी त्रलनती वुन भोयी ॥

त्रलप्र फोराम कै ऩाठ कयालै ।

जमसत जमसत जम रक्ष्भी, कयो ळिु

सान फुत्रद्ध जम वुख की दाता ।

ळॊका फदर भं कबी न रालै ॥

का नाळ ॥

वॊकट शयो शभायी भाता ॥

ऩाठ कयालै फदन िारीवा ।

याभदाव धरय ध्मान सनत, त्रलनम

षीयसवॊधु जफ त्रलष्णु भथामो ।

ता ऩय कृ ऩा कयं जो गौयीवा ॥

कयत कय जोय ।

िौदश यत्न सवॊधु भं ऩामो ॥

वुख वम्ऩसत फशुत वी ऩालै ।

भातु रक्ष्भी दाव ऩय, कयशु दमा की

कॊरु ।

जगजननी जम सवॊधु कुभायी ।

िौदश यत्न भं तुभ वुखदावी । वेला फकमो प्रबु फसन दावी ॥ जफ जफ जन्भ जशाॊ प्रबु रीन्शा ।

तुभ वभ प्रफर ळत्रक्त नफशॊ आनी ।

कभी नशीॊ काशू की आलै ॥ फायश भाव कयं जो ऩूजा ।

तेफश वभ धन्म औय नफशॊ दज ू ा ॥

फशुत्रलसध क्मा भं कयं फडाई । रेम ऩयीषा ध्मान रगाई ॥

वफ भं व्मात्रऩत शो गुण खानी ॥

भोफश अनाथ की वुसध अफ रीजै ।

नफशॊ भोफशॊ सान फुत्रद्ध शै तन भं ।

केफश प्रकाय भं कयं फडाई ।

िाव।

कोय ॥

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शभाये त्रलळेऴ मॊि व्माऩाय लृत्रद्ध मॊि: शभाये अनुबलं के अनुवाय मश मॊि व्माऩाय लृत्रद्ध एलॊ ऩरयलाय भं वुख वभृत्रद्ध शे तु त्रलळेऴ प्रबालळारी शं ।

बूसभराब मॊि: बूसभ, बलन, खेती वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुिे रोगं के सरए बूसभराब मॊि त्रलळेऴ राबकायी सवद्ध शुला शं ।

तॊि यषा मॊि: फकवी ळिु द्राया फकमे गमे भॊि-तॊि आफद के प्रबाल को दयू कयने एलॊ बूत, प्रेत नज़य आफद फुयी ळत्रक्तमं वे यषा शे तु त्रलळेऴ प्रबालळारी शं ।

आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि: अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ शे तु परप्रद शं इव मॊि के ऩूजन वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्राद्ऱ शोता शं । िाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो, धन-वॊऩत्रत्त इत्माफद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्राद्ऱ शो वकता शं । शभाये लऴं के अनुवॊधान एलॊ अनुबलं वे शभने आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि वे ळेमय ट्रे फडॊ ग, वोने-िाॊदी के व्माऩाय इत्माफद वॊफॊसधत षेि वे जुडे रोगो को त्रलळेऴ रुऩ वे आकस्स्भक धन राब प्राद्ऱ शोते दे खा शं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि वे त्रलसबन्न स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शं ।

ऩदौन्नसत मॊि: ऩदौन्नसत मॊि नौकयी ऩैवा रोगो के सरए राबप्रद शं । स्जन रोगं को अत्मासधक ऩरयश्रभ एलॊ श्रेद्ष कामा कयने ऩय बी नौकयी भं उन्नसत अथाात प्रभोळन नशीॊ सभर यशा शो उनके सरए मश त्रलळेऴ राबप्रद शो वकता शं ।

यत्नेद्वयी मॊि: यत्नेद्वयी मॊि शीये -जलाशयात, यत्न ऩत्थय, वोना-िाॊदी, ज्लैरयी वे वॊफॊसधत व्मलवाम वे जुडे रोगं के सरए असधक प्रबाली शं । ळेय फाजाय भं वोने-िाॊदी जैवी फशुभूल्म धातुओॊ भं सनलेळ कयने लारे रोगं के सरए बी त्रलळेऴ राबदाम शं ।

बूसभ प्रासद्ऱ मॊि: जो रोग खेती, व्मलवाम मा सनलाव स्थान शे तु उत्तभ बूसभ आफद प्राद्ऱ कयना िाशते शं , रेफकन उव कामा भं कोई ना कोई अििन मा फाधा-त्रलघ्नन आते यशते शो स्जव कायण कामा ऩूणा नशीॊ शो यशा शो, तो उनके सरए बूसभ प्रासद्ऱ मॊि उत्तभ परप्रद शो वकता शं ।

गृश प्रासद्ऱ मॊि: जो रोग स्लमॊ का घय, दक ु ान, ओफपव, पैक्टयी आफद के सरए बलन प्राद्ऱ कयना िाशते शं । मथाथा प्रमावो के उऩयाॊत बी उनकी असबराऴा ऩूणा नशीॊ शो ऩायशी शो उनके सरए गृश प्रासद्ऱ मॊि त्रलळेऴ उऩमोगी सवद्ध शो वकता शं ।

कैराव धन यषा मॊि: कैराव धन यषा मॊि धन लृत्रद्ध एलॊ वुख वभृत्रद्ध शे तु त्रलळेऴ परदाम शं । आसथाक राब एलॊ वुख वभृत्रद्ध शे तु 19 दर ा रक्ष्भी मॊि ु ब

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त्रलसबन्न रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भशारक्ष्भमै फीज मॊि

कनक धाया मॊि

श्री मॊि (भॊि यफशत)

भशारक्ष्भी फीवा मॊि

लैबल रक्ष्भी मॊि

श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वफशत)

रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि

श्री श्री मॊि

श्री मॊि (फीवा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीवा मॊि

अॊकात्भक फीवा मॊि

श्री मॊि श्री वूक्त मॊि

रक्ष्भी फीवा मॊि

ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

रक्ष्भी गणेळ मॊि

धनदा मॊि

(भशान सवत्रद्ध दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)

(रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि )

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वलासवत्रद्धदामक भुफरका इव भुफरका भं भूॊगे को ळुब भुशूता भं त्रिधातु (वुलणा+यजत+ताॊफ)ं भं जिला कय उवे ळास्त्रोक्त त्रलसधत्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया वलासवत्रद्धदामक फनाने शे तु प्राण-प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त फकमा जाता शं । इव भुफरका को फकवी बी लगा के व्मत्रक्त शाथ की फकवी बी उॊ गरी भं धायण कय वकते शं ।

मशॊ भुफरका कबी फकवी बी स्स्थती भं अऩत्रलि नशीॊ शोती। इव सरए कबी भुफरका को उतायने की आलश्मक्ता नशीॊ शं । इवे धायण कयने वे व्मत्रक्त की वभस्माओॊ का वभाधान शोने रगता शं । धायणकताा को जीलन भं वपरता प्रासद्ऱ एलॊ उन्नसत के नमे भागा प्रवस्त शोते यशते शं औय जीलन भं वबी प्रकाय की सवत्रद्धमाॊ बी ळीर प्राद्ऱ शोती शं ।

भूल्म भाि- 6400/- >> Order Now

(नोट: इव भुफरका को धायण कयने वे भॊगर ग्रश का कोई फुया प्रबाल वाधक ऩय नशीॊ शोता शं ।)

वलासवत्रद्धदामक भुफरका के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।

ऩसत-ऩत्नी भं करश सनलायण शे तु मफद ऩरयलायं भं वुख-वुत्रलधा के वभस्त वाधान शोते शुए बी छोटी-छोटी फातो भं ऩसत-ऩत्नी के त्रफि भे करश शोता यशता शं ,

तो घय के स्जतने वदस्म शो उन वफके नाभ वे गुरुत्ल कामाारत द्राया ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त लळीकयण कलि एलॊ गृश करश नाळक फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं त्रफना फकवी ऩूजा, त्रलसधत्रलधान वे आऩ त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ भॊि सवद्ध ऩसत लळीकयण मा ऩत्नी लळीकयण एलॊ गृश करश नाळक फडब्फी फनलाना िाशते शं , तो वॊऩका आऩ कय वकते शं ।

100 वे असधक जैन मॊि शभाये मशाॊ जैन धभा के वबी प्रभुख, दर ा एलॊ ळीघ्र प्रबालळारी मॊि ताम्र ऩि, ु ब सवरलय (िाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे उऩरब्ध शं ।

शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय (िाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । इवके

अराला आऩकी आलश्मकता अनुवाय आऩके द्राया प्राद्ऱ (सिि, मॊि, फिज़ाईन) के अनुरुऩ मॊि बी फनलाए

जाते शै . गुरुत्ल कामाारम द्राया उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊफडत एलॊ 22 गेज ळुद्ध कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 टि ळुद्ध सवरलय (िाॊदी) एलॊ 22 केये ट गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै । मॊि के त्रलऴम भे असधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयं ।

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द्रादळ भशा मॊि मॊि को असत प्रासिन एलॊ दर ा मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान ु ब द्राया फनामा गमा शं ।

 ऩयभ दर ा लळीकयण मॊि, ु ब

 वशस्त्राषी रक्ष्भी आफद्ध मॊि

 भनोलाॊसछत कामा सवत्रद्ध मॊि

 ऩूणा ऩौरुऴ प्रासद्ऱ काभदे ल मॊि

 बाग्मोदम मॊि

 याज्म फाधा सनलृत्रत्त मॊि  गृशस्थ वुख मॊि

 ळीघ्र त्रललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि

 आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ मॊि  योग सनलृत्रत्त मॊि

 वाधना सवत्रद्ध मॊि  ळिु दभन मॊि

उऩयोक्त वबी मॊिो को द्रादळ भशा मॊि के रुऩ भं ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवद्ध ऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत एलॊ िैतन्म मुक्त फकमे जाते शं । स्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩूजा अिानात्रलसध त्रलधान त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं ।

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 क्मा आऩके फच्िे कुवॊगती के सळकाय शं ?  क्मा आऩके फच्िे आऩका कशना नशीॊ भान यशे शं ?  क्मा आऩके फच्िे घय भं अळाॊसत ऩैदा कय यशे शं ? घय ऩरयलाय भं ळाॊसत एलॊ फच्िे को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच्िे के नाभ वे गुरुत्ल कामाारत द्राया ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे भॊि सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त लळीकयण कलि एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भं स्थात्रऩत कय अल्ऩ ऩूजा, त्रलसध-त्रलधान वे आऩ त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ कय वकते शं । मफद आऩ तो आऩ भॊि सवद्ध लळीकयण कलि एलॊ एव.एन.फडब्फी फनलाना िाशते शं , तो वॊऩका इव कय वकते शं ।

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वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि

ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळसन की कायक धातु ळुद्ध स्टीर(रोशे ) भं फनामा गमा शं । स्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्राद्ऱ शोता शं । मफद जन्भ कॊु डरी भं

ळसन प्रसतकूर शोने ऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं अवपरता प्राद्ऱ शोती शै , कबी व्मलवाम भं घटा, नौकयी भं ऩये ळानी, लाशन दघ ा ना, गृश क्रेळ आफद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै ऐवी स्स्थसतमं भं ु ट

प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रश ऩीिा सनलायक ळसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने वे अनेक राब सभरते शं । मफद ळसन की ढै ़मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे अलश्म ऩूजना िाफशए। ळसनमॊि के ऩूजन भाि वे व्मत्रक्त को भृत्मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे वभम

के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्रक्त के सरमे ळसन मॊि असधक राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आफद

के रोगं को ऩदौन्नसत बी ळसन द्राया शी सभरती शै अत् मश मॊि असत उऩमोगी मॊि शै स्जवके द्राया ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।

भूल्म: 1050 वे 8200 >> Order Now

वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत

ळसन तैसतवा मॊि

ळसनग्रश वे वॊफॊसधत ऩीडा के सनलायण शे तु त्रलळेऴ राबकायी मॊि। भूल्म: 550 वे 8200 >> Order Now

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103

नलम्फय 2013

नलयत्न जफित श्री मॊि

ळास्त्र लिन के अनुवाय ळुद्ध वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नलयत्न जिला ने ऩय मश नलयत्न जफित श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त को एवा आबाव शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं । नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायणकयने लारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं ।

गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे

तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे अभृत वे उत्तभ कोई औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते शं । Rs: 2350, 2800, 3250, 3700, 4600, 5500 वे 10,900 तक

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असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

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104

नलम्फय 2013

भॊि सवद्ध लाशन दघ ा ना नाळक भारुसत मॊि ु ट

ऩौयास्णक ग्रॊथो भं उल्रेख शं की भशाबायत के मुद्ध के वभम अजुन ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुसत ध्लज एलॊ भारुसत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुद्ध के दौयान शज़ायं-राखं प्रकाय के आग्नेम अस्त्र-

ळस्त्रं का प्रशाय शोने के फाद बी अजुन ा का यथ जया बी षसतग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृ ष्ण भारुसत मॊि के इव अद्भत ा नाग्रस्त कैवे शो ु यशस्म को जानते थे फक स्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुसत नॊदन कयते शं, लश दघ ु ट वकता शं । लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे, सनफाासधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय त्रलजम ऩतका रशयाता शुआ ऩशुॊिेगा। इवी सरमे श्री कृ ष्ण नं अजुन ा के यथ ऩय श्री भारुसत मॊि को अॊफकत कयलामा था।

स्जन रोगं के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्माफद लाशन फाय-फाय दघ ा ना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन को ु ट

नुषान शो यशा शं! उन्शं शानी एलॊ दघ ा ना वे यषा के उद्दे श्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवद्ध श्री भारुसत मॊि अलश्म ु ट

रगाना िाफशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोफटं ग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शं उनको श्रीभारुसत मॊि को अऩने लाशन भं अलश्म स्थात्रऩत कयना िाफशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडं रोगं का अनुबल यशा शं की श्री भारुसत मॊि को स्थात्रऩत कयने वे उनके लाशन असधक फदन तक अनालश्मक खिो वे एलॊ दघ ा नाओॊ वे वुयस्षत यशे शं । शभाया स्लमॊका एलॊ अन्म ु ट त्रलद्रानो का अनुबल यशा शं , की स्जन रोगं ने श्री भारुसत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शं , उन रोगं के लाशन फडी वे

फडी दघ ा नाओॊ वे वुयस्षत यशते शं । उनके लाशनो को कोई त्रलळेऴ नुक्ळान इत्माफद नशीॊ शोता शं औय नाशीॊ अनालश्मक ु ट रुऩ वे उवभं खयाफी आसत शं ।

लास्तु प्रमोग भं भारुसत मॊि: मश भारुसत नॊदन श्री शनुभान जी का मॊि शै । मफद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा उव ऩय कोई लाद-त्रललाद शो, तो इच्छा के अनुरूऩ लशॉ जभीन उसित भूल्म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुसत मॊि का प्रमोग फकमा जा वकता शं । इव भारुसत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा त्रललादभुक्त शो जाएगी। इव सरमे मश मॊि दोशयी ळत्रक्त वे मुक्त शै ।

भारुसत मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं । भूल्म Rs- 255 वे 10900 तक

श्री शनुभान मॊि

ळास्त्रं भं उल्रेख शं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमद ा े ल ने ब्रह्मा जी के आदे ळ ऩय शनुभान

जी को अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भं शनुभान को वबी ळास्त्र का ऩूणा

सान दॉ ग ू ा। स्जववे मश तीनोरोक भं वला श्रेद्ष लक्ता शंगे तथा ळास्त्र त्रलद्या भं इन्शं भशायत शासवर शोगी औय इनके वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴं की त्रलसबन्न फीभारयमं

दयू शोती शं , इव मॊि भं अद्भत ु ळत्रक्त वभाफशत शोने के कायण व्मत्रक्त की स्लप्न दोऴ, धातु योग, यक्त दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा,

नऩुॊवकता इत्माफद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भं अत्मन्त राबकायी शं । अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुद्श कयता शं । श्री शनुभान मॊि व्मत्रक्त को वॊकट, लाद-त्रललाद, बूत-प्रेत, द्यूत फक्रमा, त्रलऴबम, िोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्माफद वे वॊकटो वे यषा कयता शं औय सवत्रद्ध प्रदान कयने भं वषभ शं । श्री शनुभान मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भं वॊऩका कयं । भूल्म Rs- 730 वे 10900 तक

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नलम्फय 2013

105

त्रलसबन्न दे लताओॊ के मॊि गणेळ मॊि

भशाभृत्मुज ॊ म मॊि

याभ यषा मॊि याज

गणेळ मॊि (वॊऩण ू ा फीज भॊि वफशत)

भशाभृत्मुज ॊ म कलि मॊि

याभ मॊि

गणेळ सवद्ध मॊि

भशाभृत्मुज ॊ म ऩूजन मॊि

द्रादळाषय त्रलष्णु भॊि ऩूजन मॊि

एकाषय गणऩसत मॊि

भशाभृत्मुॊजम मुक्त सळल खप्ऩय भाशा सळल मॊि

त्रलष्णु फीवा मॊि

शरयरा गणेळ मॊि

सळल ऩॊिाषयी मॊि

गरुड ऩूजन मॊि

कुफेय मॊि

सळल मॊि

सिॊताभणी मॊि याज

श्री द्रादळाषयी रुर ऩूजन मॊि

अफद्रतीम वलाकाम्म सवत्रद्ध सळल मॊि

सिॊताभणी मॊि

दत्तािम मॊि

नृसवॊश ऩूजन मॊि

स्लणााकऴाणा बैयल मॊि

दत्त मॊि

ऩॊिदे ल मॊि

शनुभान ऩूजन मॊि

आऩदद्ध ु ायण फटु क बैयल मॊि

वॊतान गोऩार मॊि

शनुभान मॊि

फटु क मॊि

श्री कृ ष्ण अद्शाषयी भॊि ऩूजन मॊि

वॊकट भोिन मॊि

व्मॊकटे ळ मॊि

कृ ष्ण फीवा मॊि

लीय वाधन ऩूजन मॊि

कातालीमााजन ुा ऩूजन मॊि

वला काभ प्रद बैयल मॊि

दस्षणाभूसता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩूसता एलॊ कद्श सनलायण शे तु त्रलळेऴ मॊि व्माऩाय लृत्रद्ध कायक मॊि

अभृत तत्ल वॊजीलनी कामा कल्ऩ मॊि

िम ताऩंवे भुत्रक्त दाता फीवा मॊि

व्माऩाय लृत्रद्ध मॊि

त्रलजमयाज ऩॊिदळी मॊि

भधुभेश सनलायक मॊि

व्माऩाय लधाक मॊि

त्रलद्यामळ त्रलबूसत याज वम्भान प्रद सवद्ध फीवा मॊि

ज्लय सनलायण मॊि

व्माऩायोन्नसत कायी सवद्ध मॊि

वम्भान दामक मॊि

योग कद्श दरयरता नाळक मॊि

बाग्म लधाक मॊि

वुख ळाॊसत दामक मॊि

योग सनलायक मॊि

स्लस्स्तक मॊि

फारा मॊि

तनाल भुक्त फीवा मॊि

वला कामा फीवा मॊि

फारा यषा मॊि

त्रलद्युत भानव मॊि

कामा सवत्रद्ध मॊि

गबा स्तम्बन मॊि

गृश करश नाळक मॊि

वुख वभृत्रद्ध मॊि

ऩुि प्रासद्ऱ मॊि

करेळ शयण फत्रत्तवा मॊि

वला रयत्रद्ध सवत्रद्ध प्रद मॊि

प्रवूता बम नाळक मॊि

लळीकयण मॊि

वला वुख दामक ऩंवफठमा मॊि

प्रवल-कद्शनाळक ऩॊिदळी मॊि

भोफशसन लळीकयण मॊि

ऋत्रद्ध सवत्रद्ध दाता मॊि

ळाॊसत गोऩार मॊि

कणा त्रऩळािनी लळीकयण मॊि

वला सवत्रद्ध मॊि

त्रिळूर फीळा मॊि

लाताारी स्तम्बन मॊि

वाफय सवत्रद्ध मॊि

ऩॊिदळी मॊि (फीवा मॊि मुक्त िायं प्रकायके)

लास्तु मॊि

ळाफयी मॊि

फेकायी सनलायण मॊि

श्री भत्स्म मॊि

सवद्धाश्रभ मॊि

ऴोडळी मॊि

ज्मोसतऴ तॊि सान त्रलसान प्रद सवद्ध फीवा मॊि

अडवफठमा मॊि

लाशन दघ ा ना नाळक मॊि ु ट

ब्रह्माण्ड वाफय सवत्रद्ध मॊि

अस्वीमा मॊि

बूतादी व्मासधशयण मॊि

कुण्डसरनी सवत्रद्ध मॊि

ऋत्रद्ध कायक मॊि

कद्श सनलायक सवत्रद्ध फीवा मॊि

क्रास्न्त औय श्रीलधाक िंतीवा मॊि

भन लाॊसछत कन्मा प्रासद्ऱ मॊि

बम नाळक मॊि

श्री षेभ कल्माणी सवत्रद्ध भशा मॊि

त्रललाशकय मॊि

स्लप्न बम सनलायक मॊि

प्रेत-फाधा नाळक मॊि

नलम्फय 2013

106

सान दाता भशा मॊि

रग्न त्रलघ्नन सनलायक मॊि

कुदृत्रद्श नाळक मॊि

कामा कल्ऩ मॊि

रग्न मोग मॊि

श्री ळिु ऩयाबल मॊि

दीधाामु अभृत तत्ल वॊजीलनी मॊि

दरयरता त्रलनाळक मॊि

ळिु दभनाणाल ऩूजन मॊि

भॊि सवद्ध त्रलळेऴ दै ली मॊि वूसि आद्य ळत्रक्त दग ु ाा फीवा मॊि (अॊफाजी फीवा मॊि)

वयस्लती मॊि

भशान ळत्रक्त दग ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि)

वद्ऱवती भशामॊि(वॊऩण ू ा फीज भॊि वफशत)

नल दग ु ाा मॊि

कारी मॊि

नलाणा मॊि (िाभुड ॊ ा मॊि)

श्भळान कारी ऩूजन मॊि

नलाणा फीवा मॊि

दस्षण कारी ऩूजन मॊि

िाभुड ॊ ा फीवा मॊि ( नलग्रश मुक्त)

वॊकट भोसिनी कासरका सवत्रद्ध मॊि

त्रिळूर फीवा मॊि

खोफडमाय मॊि

फगरा भुखी मॊि

खोफडमाय फीवा मॊि

फगरा भुखी ऩूजन मॊि

अन्नऩूणाा ऩूजा मॊि

याज याजेद्वयी लाॊछा कल्ऩरता मॊि

एकाॊषी श्रीपर मॊि

भॊि सवद्ध त्रलळेऴ रक्ष्भी मॊि वूसि श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि)

भशारक्ष्भमै फीज मॊि

श्री मॊि (भॊि यफशत)

भशारक्ष्भी फीवा मॊि

श्री मॊि (वॊऩण ू ा भॊि वफशत)

रक्ष्भी दामक सवद्ध फीवा मॊि

श्री मॊि (फीवा मॊि)

रक्ष्भी दाता फीवा मॊि

श्री मॊि श्री वूक्त मॊि

रक्ष्भी गणेळ मॊि

श्री मॊि (कुभा ऩृद्षीम)

ज्मेद्षा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि

रक्ष्भी फीवा मॊि

कनक धाया मॊि

श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमं श्री भशामॊि)

लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सवत्रद्ध दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)

अॊकात्भक फीवा मॊि ताम्र ऩि ऩय वुलणा ऩोरीव (Gold Plated) वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव (Silver Plated)

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200

ताम्र ऩि ऩय (Copper)

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400

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नलम्फय 2013

107

यासळ यत्न भेऴ यासळ:

भूग ॊ ा

लृऴब यासळ:

शीया

Red Coral

Diamond (Special)

(Special) 5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

सभथुन यासळ:

कका यासळ:

सवॊश यासळ:

कन्मा यासळ:

Green Emerald

Naturel Pearl (Special)

Ruby (Old Berma) (Special)

Green Emerald

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

भोती

5.25" 6.25" 7.25" 8.25" 9.25" 10.25"

Rs. 910 Rs. 1250 Rs. 1450 Rs. 1900 Rs. 2300 Rs. 2800

भाणेक

2.25" 3.25" 4.25" 5.25" 6.25"

Rs. Rs. Rs. Rs. Rs.

12500 15500 28000 46000 82000

ऩन्ना

(Special) 5.25" Rs. 9100 6.25" Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 8.25" Rs. 19000 9.25" Rs. 23000 10.25" Rs. 28000

** All Weight In Rati

All Diamond are Full White Colour.

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

तुरा यासळ:

लृस्द्ळक यासळ:

धनु यासळ:

कॊु ब यासळ:

भीन यासळ:

शीया

भूग ॊ ा

ऩुखयाज

भकय यासळ:

नीरभ

नीरभ

Diamond (Special)

Red Coral

Y.Sapphire

B.Sapphire

B.Sapphire

Y.Sapphire

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

(Special)

10 cent 20 cent 30 cent 40 cent 50 cent

Rs. 4100 Rs. 8200 Rs. 12500 Rs. 18500 Rs. 23500

All Diamond are Full White Colour.

5.25" Rs. 1050 6.25" Rs. 1250 7.25" Rs. 1450 8.25" Rs. 1800 9.25" Rs. 2100 10.25" Rs. 2800 ** All Weight In Rati

ऩुखयाज

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

5.25" Rs. 30000 6.25" Rs. 37000 7.25" Rs. 55000 8.25" Rs. 73000 9.25" Rs. 91000 10.25" Rs.108000

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

** All Weight In Rati

* उऩमोक्त लजन औय भूल्म वे असधक औय कभ लजन औय भूल्म के यत्न एलॊ उऩयत्न बी शभाये मशा व्माऩायी भूल्म ऩय उप्रब्ध शं ।

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नलम्फय 2013

108

भॊि सवद्ध रूराष Rudraksh List एकभुखी रूराष (नेऩार)

Rate In Indian Rupee

Rudraksh List

750 to 1900 नौ भुखी रूराष (नेऩार)

Rate In Indian Rupee 1550 to 2800

दो भुखी रूराष (नेऩार)

55 to 280 दव भुखी रूराष (नेऩार)

1550 to 2800

तीन भुखी रूराष (नेऩार)

55 to 280 ग्मायश भुखी रूराष (नेऩार)

2100 to 3250

िाय भुखी रूराष (नेऩार)

25 to 190 फायश भुखी रूराष (नेऩार)

3250 to 4600

ऩॊि भुखी रूराष (नेऩार)

25 to 190 तेयश भुखी रूराष (नेऩार)

5500 to 7300

छश भुखी रूराष (नेऩार)

25 to 190 िौदश भुखी रूराष (नेऩार)

वात भुखी रूराष (नेऩार) आठ भुखी रूराष (नेऩार)

150 to 450 गौयीळॊकय रूराष (नेऩार) 1250 to 2350 गणेळ रुराष (नेऩार)

14500 to 19000 3700 to 14500 450 to 1450

* भूल्म भं अॊतय रुराष के आकाय औय गुणलत्ता के अनुवाय अरग-अरग शोते शं । उऩयोक्त भूल्म छोटे वे फिे आकाय के अनुरुऩ दळाामे गमे शं । कबी-कबी वॊबात्रलत शं की छोटे आकाय के उत्तभ गुणलत्ता लारे रुराष असधक भूल्म भं प्राद्ऱ शो वकते शं । त्रलळेऴ वूिना: फाजाय की स्स्थसत के अनुवाय, रूराष भूल्म, फदन-फ-फदन फदरते यशते शै , स्जव कायण शभायी भूल्म वूिी भं बी

फाजाय की स्स्थसत के अनुवाय ऩरयलतान शोते यशते शं , कृ प्मा रुराष के सरए अऩना बुगतान बेजने वे

ऩशरे रुराष के नमी भूल्म वूिी शे तु शभ वे वॊऩका कयं ।

रुराष के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

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GURUTVA KARYALAY, 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785 Mail Us: [email protected], [email protected],

भॊि सवद्ध दर ा वाभग्री ु ब शत्था जोडी- Rs- 550

घोडे की नार- Rs.351

भामा जार- Rs- 251

त्रफल्री नार- Rs- 370

भोसत ळॊख-Rs- 550 वे 1450

धन लृत्रद्ध शकीक वेट Rs-251

सवमाय सवॊगी- Rs- 730

दस्षणालतॉ ळॊख-Rs-550-2100 इन्र जार- Rs- 251

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नलम्फय 2013

109

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि फकवी बी व्मत्रक्त का जीलन तफ आवान फन जाता शं जफ उवके िायं औय का भाशोर उवके अनुरुऩ उवके लळ भं शं। जफ कोई व्मत्रक्त का आकऴाण दव ु यो के उऩय एक िुम्फकीम प्रबाल डारता शं , तफ

रोग उवकी वशामता एलॊ

वेला शे तु तत्ऩय शोते शै औय उवके प्राम् वबी कामा त्रफना असधक कद्श ल ऩये ळानी वे वॊऩन्न शो जाते शं । आज के बौसतकता लाफद मुग भं शय व्मत्रक्त के सरमे दव ॊ कत्ल को कामभ ू यो को अऩनी औय खीिने शे तु एक प्रबालळासर िुफ

यखना असत आलश्मक शो जाता शं । आऩका आकऴाण औय व्मत्रक्तत्ल आऩके िायो ओय वे रोगं को आकत्रऴात कये इव सरमे वयर उऩाम शं , श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि। क्मोफक बगलान श्री कृ ष्ण एक अरौफकल एलॊ फदलम िुॊफकीम व्मत्रक्तत्ल के धनी थे। इवी कायण वे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि के ऩूजन एलॊ दळान वे आकऴाक व्मत्रक्तत्ल प्राद्ऱ शोता शं । श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि के वाथ व्मत्रक्तको दृढ़ इच्छा ळत्रक्त एलॊ उजाा प्राद्ऱ शोती शं , स्जस्वे व्मत्रक्त शभेळा एक बीड भं शभेळा आकऴाण का कंर यशता शं । मफद फकवी व्मत्रक्त को अऩनी प्रसतबा ल आत्भत्रलद्वाव के स्तय भं लृत्रद्ध, अऩने सभिो ल ऩरयलायजनो के त्रफि भं रयश्तो भं वुधाय कयने की ईच्छा शोती शं उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि का ऩूजन एक वयर ल वुरब भाध्मभ वात्रफत शो वकता शं । श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि ऩय अॊफकत ळत्रक्तळारी त्रलळेऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ

श्रीकृ ष्ण फीवा कलि श्रीकृ ष्ण

फीवा

कलि

को

केलर

त्रलळेऴ ळुब भुशुता भं सनभााण फकमा जाता शं । कलि को त्रलद्रान कभाकाॊडी

ब्राशभणं द्राया ळुब भुशुता भं ळास्त्रोक्त

अॊको वे व्मत्रक्त को अद्धद्भत ु आॊतरयक ळत्रक्तमाॊ प्राद्ऱ शोती शं जो व्मत्रक्त को

त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि के ऩूजन ल सनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान

मुक्त कयके सनभााण फकमा जाता शं ।

वफवे आगे एलॊ वबी षेिो भं अग्रस्णम फनाने भं वशामक सवद्ध शोती शं ।

श्रीकृ ष्ण का आळीलााद प्राद्ऱ कय वभाज भं स्लमॊ का अफद्रतीम स्थान स्थात्रऩत कयं । श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि अरौफकक ब्रह्माॊडीम उजाा का वॊिाय कयता शं , जो एक प्राकृ त्रत्त भाध्मभ वे व्मत्रक्त के बीतय वद्दबालना, वभृत्रद्ध, वपरता, उत्तभ स्लास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्रक्तळारी भाध्मभ शं !  

श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि के ऩूजन वे व्मत्रक्त के वाभास्जक भान-वम्भान ल

स्जव के पर स्लरुऩ धायण कयता व्मत्रक्त को ळीघ्र ऩूणा राब प्राद्ऱ शोता शं । कलि को गरे भं धायण कयने वे लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता शं । गरे भं धायण कयने वे कलि

ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रद्ध शोती शं ।

शभेळा रृदम के ऩाव यशता शं स्जस्वे

कंफरत कयने वे व्मत्रक्त फक िेतना ळत्रक्त जाग्रत शोकय ळीघ्र उच्ि स्तय

एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शं ।

त्रलद्रानो के भतानुवाय श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग को प्राद्ऱशोती शं ।



द्राया सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म

व्मत्रक्त ऩय उवका राब असत तीव्र भूरम भाि: 1900 >>Order Now

जो ऩुरुऴं औय भफशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना िाशते शं औय उन्शं अऩनी औय आकत्रऴात कयना िाशते शं । उनके सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि उत्तभ उऩाम सवद्ध शो वकता शं ।



ऩसत-ऩत्नी भं आऩवी प्रभ की लृत्रद्ध औय वुखी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृ ष्ण फीवा मॊि राबदामी शोता शं ।

भूल्म:- Rs. 730 वे Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध >> Order Now

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नलम्फय 2013

110

याभ यषा मॊि याभ यषा मॊि वबी बम, फाधाओॊ वे भुत्रक्त ल कामो भं वपरता प्रासद्ऱ शे तु उत्तभ मॊि शं । स्जवके प्रमोग वे धन राब शोता शं ल व्मत्रक्त का वलांगी त्रलकाय शोकय उवे वुख-वभृत्रद्ध, भानवम्भान की प्रासद्ऱ शोती शं । याभ यषा मॊि वबी प्रकाय के अळुब प्रबाल को दयू कय व्मत्रक्त को जीलन की वबी प्रकाय की कफठनाइमं वे यषा कयता शं । त्रलद्रानो के भत वे जो व्मत्रक्त बगलान याभ के बक्त शं मा श्री शनुभानजी के बक्त शं उन्शं अऩने सनलाव स्थान, व्मलवामीक स्थान ऩय याभ यषा मॊि को अलश्म स्थाऩीत कयना िाफशमे स्जववे आने लारे वॊकटो वे यषा शो उनका जीलन वुखभम व्मतीत शो वके एलॊ उनकी वभस्त आफद बौसतक ल आध्मास्त्भक भनोकाभनाएॊ ऩूणा शो वके।

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ताम्र ऩि ऩय वुलणा ऩोरीव

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव

ताम्र ऩि ऩय

(Gold Plated)

(Silver Plated)

(Copper)

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 370 640 1090 1650 2800 5100 8200

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 255 460 730 1090 1900 3250 6400

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नलम्फय 2013

जैन धभाके त्रलसळद्श मॊिो की वूिी श्री िौफीव तीथंकयका भशान प्रबात्रलत िभत्कायी मॊि

श्री एकाषी नारयमेय मॊि

श्री िोफीव तीथंकय मॊि

वलातो बर मॊि

कल्ऩलृष मॊि

वला वॊऩत्रत्तकय मॊि

सिॊताभणी ऩाद्वानाथ मॊि

वलाकामा-वला भनोकाभना सवत्रद्धअ मॊि (१३० वलातोबर मॊि)

सिॊताभणी मॊि (ऩंवफठमा मॊि)

ऋत्रऴ भॊडर मॊि

सिॊताभणी िक्र मॊि

जगदलल्रब कय मॊि

श्री िक्रेद्वयी मॊि

ऋत्रद्ध सवत्रद्ध भनोकाभना भान वम्भान प्रासद्ऱ मॊि

श्री घॊटाकणा भशालीय मॊि

ऋत्रद्ध सवत्रद्ध वभृत्रद्ध दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि

श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि

त्रलऴभ त्रलऴ सनग्रश कय मॊि

श्री ऩद्मालती मॊि

षुरो ऩरल सननााळन मॊि

श्री ऩद्मालती फीवा मॊि

फृशच्िक्र मॊि

श्री ऩाद्वाऩद्मालती ह्रंकाय मॊि

लॊध्मा ळब्दाऩश मॊि

ऩद्मालती व्माऩाय लृत्रद्ध मॊि

भृतलत्वा दोऴ सनलायण मॊि

श्री धयणेन्र ऩद्मालती मॊि

काॊक लॊध्मादोऴ सनलायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ ध्मान मॊि

फारग्रश ऩीडा सनलायण मॊि

श्री ऩाद्वानाथ प्रबुका मॊि

रधुदेल कुर मॊि

बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ वे ४४ तक)

नलगाथात्भक उलवग्गशयॊ स्तोिका त्रलसळद्श मॊि

भस्णबर मॊि

उलवग्गशयॊ मॊि

श्री मॊि

श्री ऩॊि भॊगर भशाश्रृत स्कॊध मॊि

श्री रक्ष्भी प्रासद्ऱ औय व्माऩाय लधाक मॊि

ह्रीॊकाय भम फीज भॊि

श्री रक्ष्भीकय मॊि

लधाभान त्रलद्या ऩट्ट मॊि

रक्ष्भी प्रासद्ऱ मॊि

त्रलद्या मॊि

भशात्रलजम मॊि

वौबाग्मकय मॊि

त्रलजमयाज मॊि

डाफकनी, ळाफकनी, बम सनलायक मॊि

त्रलजम ऩतका मॊि

बूताफद सनग्रश कय मॊि

त्रलजम मॊि

ज्लय सनग्रश कय मॊि

सवद्धिक्र भशामॊि

ळाफकनी सनग्रश कय मॊि

दस्षण भुखाम ळॊख मॊि

आऩत्रत्त सनलायण मॊि

दस्षण भुखाम मॊि

ळिुभख ु स्तॊबन मॊि

(अनुबल सवद्ध वॊऩण ू ा श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि)

मॊि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं ।

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नलम्फय 2013

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घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्ध भशामॊि को स्थाऩीत

कयने वे वाधक की वला भनोकाभनाएॊ ऩूणा शोती शं । वला प्रकाय के योग बूत-प्रेत आफद उऩरल वे यषण शोता शं । जशयीरे औय फशॊ वक प्राणीॊ वे वॊफसॊ धत बम दयू शोते शं । अस्ग्न बम, िोयबम आफद दयू शोते शं ।

दद्श ु ल अवुयी ळत्रक्तमं वे उत्ऩन्न शोने लारे बम

वे मॊि के प्रबाल वे दयू शो जाते शं ।

मॊि के ऩूजन वे वाधक को धन, वुख, वभृत्रद्ध,

ऎद्वमा, वॊतत्रत्त-वॊऩत्रत्त आफद की प्रासद्ऱ शोती शं । वाधक की वबी प्रकाय की वास्त्लक इच्छाओॊ की ऩूसता शोती शं ।

मफद फकवी ऩरयलाय मा ऩरयलाय के वदस्मो ऩय

लळीकयण, भायण,

उच्िाटन इत्माफद जाद-ू टोने लारे

प्रमोग फकमे गमं शोतो इव मॊि के प्रबाल वे स्लत् नद्श शो जाते शं औय बत्रलष्म भं मफद कोई प्रमोग कयता शं तो यषण शोता शं ।

कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका

मॊि वे जुडे अद्धद्भत ु अनुबल यशे शं । मफद घय भं श्री

घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि स्थात्रऩत फकमा शं औय मफद

कोई इऴाा, रोब, भोश मा ळिुतालळ मफद अनुसित कभा

कयके फकवी बी उद्दे श्म वे वाधक को ऩये ळान कयने का प्रमाव कयता शं तो मॊि के प्रबाल वे वॊऩण ू ा ऩरयलाय का यषण तो शोता शी शं , कबी-कबी ळिु के द्राया फकमा गमा अनुसित कभा ळिु ऩय शी उऩय उरट लाय शोते दे खा शं ।

भूल्म:- Rs. 1650 वे Rs. 10900 तक उप्रब्द्ध >> Order Now

वॊऩका कयं । GURUTVA KARYALAY Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Email Us:- [email protected], [email protected]

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नलम्फय 2013

113

अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलि अभोद्य् भशाभृत्मुज ॊ म कलि ल उल्रेस्खत अन्म वाभग्रीमं को ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलद्रान ब्राह्मणो द्राया वला राख भशाभृत्मुॊजम भॊि जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्राया सनसभात फकमा जाता शं इव सरए कलि अत्मॊत प्रबालळारी शोता शं ।

अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि कलि फनलाने शे तु: अऩना नाभ, त्रऩता-भाता का नाभ, गोि, एक नमा पोटो बेजे

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अभोद्य् भशाभृत्मुॊजम कलि दस्षणा भाि: 10900

याळी यत्न एलॊ उऩयत्न त्रलळेऴ मॊि शभायं मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने-िाॊफदताम्फे भं आऩकी आलश्मक्ता के अनुवाय फकवी बी बाऴा/धभा के मॊिो को आऩकी

आलश्मक फडजाईन के अनुवाय २२ गेज वबी वाईज एलॊ भूल्म ल क्लासरफट के

अवरी नलयत्न एलॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध शं ।

ळुद्ध ताम्फे भं अखॊफडत फनाने की त्रलळेऴ वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।

शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के यत्न एलॊ उऩयत्न व्माऩायी भूल्म ऩय उऩरब्ध शं । ज्मोसतऴ कामा वे जुडे़

फधु/फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे त्रलळेऴ भूल्म ऩय यत्न ल अन्म वाभग्रीमा ल अन्म वुत्रलधाएॊ उऩरब्ध शं ।

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नलम्फय 2013

भासवक यासळ पर

 सिॊतन जोळी भेऴ: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : कामाषेि भं वशमोगी एलॊ वशकभॉमं वे आऩको त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शो वकता शं । अऩने खाने- ऩीने का त्रलळेऴ ध्मान यखे अन्मथा स्लास्थ्म वॊफॊसधत वभस्माएॊ खिी शो वकती शं । दयू स्थ स्थानं वे व्मलवामीक कामं वे धन राब प्राद्ऱ शोगा। आऩके वाभस्जक भान

वम्भान एलॊ प्रसतद्षा भं लृत्रद्ध शोगी। आऩके वॊफॊसध एलॊ सभि आऩके कामा की वयाशना कये गं। जीलन वाथी वे वशमोग प्राद्ऱ शोगा। 16 वे 30 नलम्फय 2013 : उच्िासधकायी आऩ ऩय प्रवन्न यशे गं ऩदौन्नसत वॊबॊल शं । आऩके भशत्लऩूणा कामा एलॊ मोजनाएॊ वपर शोगी। अऩनी वेशत का त्रलळेऴ ध्मान यखं प्रकृ सत भं फदराल वे आऩका स्लास्थ्म नयभ यश वकता शं । भाता-त्रऩता की वेला वे त्रलळेऴ राब की प्रासद्ऱ शोगी। स्थान ऩरयलतान की मोजना शासनकायक शो वकती शं । थोडे वभम के सरमे ऩरयलतान को स्स्थगीत कयने का प्रमाव कये ।

लृऴब: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : उच्िासधकारयमं वे राब प्राद्ऱ शोगा। ऩदौन्नसत मा नमा व्मलवाम मा नौकयी प्राद्ऱ शो वकती शं मा आऩके कामा षेि भं नमे फदराल शो वकते शं । इव दौयान खिा आलश्मक्ता वे असधक शो वकता शं खिा ऩय सनमॊिण कयने का प्रमाव कयं । इद्श सभिं के वशमोग वे नमे सभि फन वकते शं । प्रेभ वॊफॊसधत भाभरो भं बी वपरता प्राद्ऱ कय वकते शं । अत्रललाश शं तो त्रललाश शोने के मोग फन यशे शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : अत्मसधक ऩरयश्रभ औय भेशनत वे आऩ वपरता प्राद्ऱ कय वकते शं । आसथाक भाभरं भं वभम उताय-िढ़ाल लारा शो वकता शं । वशकभॉ एलॊ उच्िासधकायी वे वभस्मा शो वकती शं । ऩरयलाय के वदस्मं का स्लास्थ्म आऩको सिॊसतत कय वकता शं । लाणी एलॊ क्रोध ऩय सनमॊिण यखे अन्मथा आऩके फने फनामे कामा त्रफगड वकते शं । सभिं ऩय अॊधात्रलद्वाव कयने के कायण भानसवक सिॊता फढ वकते शं ।

सभथुन: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम भं फदराल का त्रलिाय कय वकते शं । इव अलसध भं आऩके उऩय कामा के दफालं के िरते वुस्ती का अवय दे खने को सभर वकता शं । धासभाक मािा मा दयू स्थ स्थानो की मािा शोने के मोग शं । प्रसतमोसगता भूरक कामो भं अऩनी छाऩ छोडने भं वपरता प्राद्ऱ कयं गे। स्लास्थ्म वुख भं लृत्रद्ध शोगी। जीलन वाथी के वाथ आऩके रयश्तं भं प्रेभ फढ़े गा। 16 वे 30 नलम्फय 2013 : व्मलवाम भं धन प्रासद्ऱ के नमे भागा प्राद्ऱ शो वकते शं । िर-अिर वॊऩत्रत्त मा फकवी घये रू भाभरं भं फदराल शो वकता शं । लाशन वे वालधान यशे आकस्स्भक दघ ा ना शो वकती शं । वाभास्जक भान-वम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रद्ध ु ट

शोगी। व्मलवासमक मािा राबदामक सवद्ध शोगी। इद्श सभिं एलॊ ऩरयलाय के रोगं का ऩूणा वशमोग एलॊ प्रेभ प्राद्ऱ शोगा।

115

नलम्फय 2013

कका: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : धन वॊफॊधी ऩूयानी वभस्माओॊ का वभाधान वॊबल शं । प्रसतमोसगता के कामो भं फुत्रद्धभानी ल ितुयता वे ळीघ्र राब औय वपरता प्राद्ऱ कयं गे। व्मलवासमक मािा भं वपरता प्राद्ऱ शो वकती शं । नौकयी-व्मलवाम भं उस्म्भद वे कभ धन राब की प्रासद्ऱ शो वकती शं । आऩकी भशत्ल ऩूणा व्मलवासमक मािा स्थसगत शो वकती। त्रलयोधी एलॊ ळिु ऩष वे ऩये ळानी शो वकती शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : नमा व्मलवाम मा नौकयी प्राद्ऱ शो वकती शं मा आऩके कामा षेि भं नमे फदराल शो वकते शं । स्लास्थ्म वुख भं लृत्रद्ध शोगी। कुछ रुकालटो के फाद भं व्मलवाम भं धन राब प्राद्ऱ शोगा। आऩको भानसवक अस्स्थयता का अनुबल शो वकता शं । आत्भ त्रलद्वाव वे आगे फढते यशने का प्रमाव कयं । ळिुओॊ ऩय आऩका प्रबाल यशे गा। आऩके त्रलयोधी एलॊ ळिु ऩष ऩयास्त शंगे।

सवॊश: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम भं उन्नसत ल आमके नए स्त्रोत सभरने के मोग शं । बौसतक वुखवुत्रलधा के वाधन फढने के मोग शं ।नए रोगं वे सभिता स्थात्रऩत शो वकती शं जो कामाषेि के सरए राबप्रद शो वकती शं । आऩका वाभस्जक भान-वम्भान फढे गा। स्जववे ळिु एलॊ त्रलयोधी ऩष ऩयास्त शंगे। लाशन वालधानी वे िरामे मा लाशन वे वालधान यशे आकस्स्भक दघ ा ना शो वकती शं । ु ट 16 वे 30 नलम्फय 2013 : एकासधक स्त्रोत वे आम शो वकती शं । अऩने इद्शसभिं वे आऩको वाझेदायी का प्रस्ताल सभर वकता शं । इद्श सभिं ल ऩरयजनो वे वे धन राब प्रासद्ऱ के मोग शं । जीलन वाथी का ऩूणा वुख एलॊ वशममोग प्राद्ऱ शोगा एलॊ ळुब वभािाय की प्रासद्ऱ बी वॊबल शं । अऩनी वेशत का त्रलळेऴ रुऩ वे खमार यखं राऩयलाशी रॊफे वभम के सरए आऩको योग ग्रस्त कय वकती शं ।

कन्मा: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम वे जुडे कामा वे वॊफसॊ धत मािाएॊ राबदामक यशे गी। आसथाक भाभरं के सरए वभम उत्तभ यशे गा। भशत्ल के कामो के सरमे आऩको कजा रेना ऩड वकता शं जो राब प्रद सवद्ध शो वकता शं । वॊतान ऩष कभजोय शोने के मोग शं । प्रेभ वॊफॊसधत भाभरो भं थोडे प्रमावो वे वपरता सभर वकती शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : नए व्मलवामीक रयश्तं के सरए उत्तभ मोग शं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग प्रफर शं । स्जववे आऩकी आसथाक स्स्थसत भं वुधाय शोगा। असधक भािा भं धन खिा के शोने के मोग बी फन यशे शं । ऩरयजनो वे व्मलशाय कूळर यशं । अऩनी लाणी एलॊ क्रोध ऩय सनमॊिण यखे अन्मथा रयश्ते त्रफगड वकते शं । जीलन वाथी वे ऩूणा वशमोग की प्रासद्ऱ शोगी।

116

नलम्फय 2013

तुरा: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम भं फकमे गमे प्रमावो वे ऩूणा वपरता प्राद्ऱ शोगी। वाभास्जक भानवम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रद्ध शोगी। फडे ़-फुजुगो वे उसित व्मलशाय फनाए यखं अन्मथा रयश्ते त्रफगि वकते शं औय ऩरयलाय का भाशौर तनालऩूणा शो वकता शं । आऩका खानऩान उत्तभ यशे गा। जीलन वाथी वे रयश्तो भं भधुयता आएगी। 16 वे 30 नलम्फय 2013 : नमे रोगो की सभिता वे कामाषेि भं त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोने के मोग शं । ऩरयलाय औय रयश्तेदायं वे राब प्राद्ऱ शो वकते शं । असधक खिा कयने के प्रलृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमाव कयं शं । आऩकी रुसि इद्श आयाधना भं असधक शो वकती शं । अत्रललाश शं तो त्रललाश शोने के मोग फन यशे शं । प्रकृ सत भं फदराल वे आऩका स्लास्थ्म नयभ यश वकता शं ।

लृस्द्ळक: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम के भशत्लऩूणा जोस्खभ बये कामा कयने वे फिे। बूसभ-बलन वे वॊफॊसधत भाभरो भं सिॊता यश वकती शं । अऩने त्रलयोधी एलॊ ळिु ऩष वे वालधान यशं आऩ ऩय झूठे आयोऩ रग वकते शं । जीलन वाथी के वाथ लैिारयक भतबेद वॊबल शं । धासभाक मािा मा दयू स्थ स्थानो की मािा शोने के मोग शं । ऩरयलाय के फकवी वदस्म का स्लास्थ्म कभजोय शो वकता शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : अनालश्मक आऩके स्लबाल भं सििसििा ऩन आवकता शं । अनालश्मक सिन्ता वे भुक्त शोकय अऩने कामा ऩय ध्मान रगाना उसित शोगा। बाई-फशनो का स्जद्दी स्लबाल वे ऩरयलाय भं भानसवक अळाॊसत का भाशोर शो वकता शं । ऋण के रेन-दे ने वे फिने का प्रमाव कयं अन्मथा धन की ऩुन् प्रासद्ऱ-बुगतान भं त्रलरॊफ शो वकता शं । जीलन वाथी के वाथ आऩके रयश्तं भं कुछ खटाव आ वकती शं ।

धनु: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : भानसवक अस्स्थताय कामो भं भशत्लऩूणा सनणाम रेने भं त्रलरॊफ कय वकती शं । अऩने रुके शुए कामो को कुळरता वे ऩूया कयने का प्रमाव कये । अर-अिर वॊऩत्रत्त भं ऩूॊस्ज सनलेळ धन बत्रलष्म के सरए राबदामक सवद्ध शोगा। ऩरयलाय भं खुसळमो का भाशोर यशे गा। प्रेभ वॊफॊसधत भाभरो भं असतरयक्त वालधानी फयते अन्मथा त्रललाद शो वकते शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : नौकयी-व्मलवाम भं अत्मसधक ऩरयश्रभ एलॊ भेशनत के उऩयाॊत फशुत भुस्श्कर वे धन राब प्राद्ऱ कय वकते शं । आऩको भानसवक अस्स्थयता का अनुबल शो वकता शं । आऩको ळुब वभािाय प्राद्ऱ शो वकमे शं । त्रलयोधी एलॊ ळिु ऩष वे ऩये ळानी शो वकती शं । भौवभ के फदराल वे स्लास्थ्म सिॊता का त्रलऴम शो वकता शं । जीलन वाथी के वाथ भं त्रलिायं भं भतबेद वॊबल शं ।

117

नलम्फय 2013

भकय: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : ऩूॊस्ज सनलेळ वे वॊफॊसधत कामो भं त्रलळेऴ वपरता प्राद्ऱ कय वकते शं । आऩको रॊफे वभम वे रुका शुला बुगतान प्राद्ऱ शो वकता शं । बूसभ-बलन के क्रम त्रलक्रम वे धन राब शोगा। अऩनी असधक खिा कयने की प्रलृत्रत्त ऩय सनमॊिण कयने का प्रमाव कयं । ऩरयलाय भं खुसळमो का भाशोर यशे गा औय ऩरयलाय भं फकवी नमे वदस्म की लृत्रद्ध शोने के मोग फन यशे शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : आऩके भशत्लऩूणा कामो भं अनालश्म त्रलरॊफ शो वकता शं । कमाषेि भं स्थान ऩरयलतान की वोि यशे शं तो ऩरयणाभ अनुकूर नशीॊ सभरंगे शं । दाॊऩत्म जीलन भं थोडी वभवाएॊ शोने ऩय वुझ-फुझ वे वुरझाने का प्रमाव कयं । व्मवनो वे दयू यशे । अऩने प्रमावो वे ऩरयलाय की वुख -ळास्न्त फनामे यखने का प्रमाव कयं । भनोनुकूर जीलन वाथी की प्रासद्ऱ शे तु वभम उसित नशीॊ शं ।

कॊु ब: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : आऩको रॊफे वभम वे रुका शुला बुगतान प्राद्ऱ शो वकता शं । इव अलसध भं िर-अिर वॊऩत्रत्त भं ऩूॊस्ज सनलेळ कयना आऩके सरए त्रलळेऴ रुऩ वे पामदे भॊद शो वकता शं । ळिु एलॊ त्रलयोधी ऩष आऩका नाभ औय प्रसतद्षा को दत्रू ऴत कयने का प्रमाव कय वकते शं । अऩने खाने- ऩीने का ध्मान यखे अन्मथा आऩका का स्लास्थ्म नयभ शो वकता शं । जीलनवाथी वे वॊफॊधो भं भधुयता आएगी। 16 वे 30 नलम्फय 2013 : एकासधक स्त्रोत वे धन प्रासद्ऱ के मोग फन यशे शं । मफद आऩ नौकयी भं शं तो ऩदौन्नसत शो वकती शं मा नई नौकयी प्राद्ऱ शो वकती शं , व्मलवाम भं शं तो उन्नती की भागा प्रवस्त शंगे। लाशन वालधानी वे िरामे। सभि एलॊ ऩरयलाय के रोगो का वशमोग प्राद्ऱ शोगा। स्लास्थ्म के प्रसत विेत यशे राऩयलाशी नुक्ळान दे वशकती शं । जीलन वाथी का ऩूणा वशमोग प्राद्ऱ शोगा।

भीन: 1 वे 15 नलम्फय 2013 : आऩको कामा षेि भं नमे अलवय प्राद्ऱ अशो वकते शं । आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ के मोग फन यशे शं । व्मलवासमक मािा भं वपरता प्राद्ऱ शो वकती शं । आऩके बौसतक वुख-वाधनो भं लृत्रद्ध शोगी। ऩरयलाय भं भाॊगसरक कामा वॊऩन्न शोने के अच्छे मोग शं । खान-ऩान का त्रलळेऴ ध्मान यखं अन्मथा ऩूयाने योगो के कायण रॊफे वभम के सरए कद्श वॊबल शं । 16 वे 30 नलम्फय 2013 : नौकयी, व्मलास्म भं आकस्स्भक धनप्रासद्ऱ शोने के ळुब वॊकेत शं , स्जस्वे आसथाक स्स्थसत भं वुधाय शोगा। व्मलवासमक मािा राबदामक सवद्ध शोगी। भशत्लऩूणा कामो को कयने भं आऩ वपर शंगे। वाभास्जक भान-वम्भान औय ऩद-प्रसतद्षा भं लृत्रद्ध शोगी। नमे रोगो की सभिता वे राब प्राद्ऱ कय वकते शं । जीलन वाथी वे वशमोग प्राद्ऱ शोगा। ळुब वभािाय प्राद्ऱ शो वकते शं ।

नलम्फय 2013

118

नलम्फय 2013 भासवक‍ऩॊिाॊग फद

लाय

भाश

ऩष

सतसथ

वभासद्ऱ

नषि

वभासद्ऱ मोग

वभासद्ऱ

कयण

वभासद्ऱ

िॊर

यासळ

वभासद्ऱ

1

ळुक्र

कासताक

कृ ष्ण िमोदळी

21:34:57

शस्त

25:05:53

लैधसृ त

10:28:23

गय

10:00:16

कन्मा

-

2

ळसन

कासताक

कृ ष्ण ितुदाळी

20:13:10

सििा

24:20:40

त्रलऴकुॊब

08:28:10

त्रलत्रद्श

08:58:10

कन्मा

12:47:00

3

यत्रल

कासताक

कृ ष्ण अभालस्मा 18:19:32 स्लाती

23:02:39

आमुष्भान 27:08:17 ितुष्ऩाद 07:21:24 तुरा

-

4

वोभ

कासताक

ळुक्र प्रसतऩदा

16:01:31

त्रलळाखा

21:24:01

वौबाग्म

23:58:42

फल

16:01:31

तुरा

15:50:00

5

भॊगर कासताक

ळुक्र फद्रतीमा

13:26:38

अनुयाधा

19:28:30

ळोबन

20:37:53

कौरल

13:26:38

लृस्द्ळक

-

6

फुध

कासताक

ळुक्र तृतीमा

10:42:23

जेद्षा

17:27:23

असतगॊड

17:10:30

गय

10:42:23

लृस्द्ळक

17:27:00

7

गुरु

कासताक

ळुक्र ितुथॉ

07:55:19

भूर

15:25:19

वुकभाा

13:43:08

त्रलत्रद्श

07:55:19

धनु

-

8

ळुक्र

कासताक

ळुक्र ऩॊिभी

26:42:57

ऩूलााऴाढ़

13:29:50

धृसत

10:21:24

कौरल

15:56:05

धनु

19:03:00

9

ळसन

कासताक

ळुक्र ऴद्षी

24:27:47

उत्तयाऴाढ़

11:48:24

ळूर

07:09:02

गय

13:32:28

भकय

-

10 यत्रल

कासताक

ळुक्र वद्ऱभी

22:33:14

श्रलण

10:23:52

लृत्रद्ध

25:30:25

त्रलत्रद्श

11:27:37

भकय

21:50:00

11 वोभ

कासताक

ळुक्र नलभी

21:01:12

धसनद्षा

09:21:49

रुल

23:07:46

फारल

09:44:19

कुॊब

-

12 भॊगर कासताक

ळुक्र दळभी

19:53:32

ळतसबऴा

08:41:21

व्माघात

21:03:51

तैसतर

08:23:32

कुॊब

26:29:00

13 फुध

कासताक

ळुक्र एकादळी

19:11:11

ऩूलााबारऩद

08:27:08

शऴाण

19:20:34

लस्णज

07:29:56

भीन

-

14 गुरु

कासताक

ळुक्र द्रादळी

18:56:02

उत्तयाबारऩद

08:37:17

लज्र

17:56:58

फल

07:00:43

भीन

-

15 ळुक्र

कासताक

ळुक्र िमोदळी

19:07:08

ये लसत

09:12:46

सवत्रद्ध

16:54:57

कौरल

06:57:46

भीन

09:13:00

16 ळसन

कासताक

ळुक्र ितुदाळी

19:42:37

अस्द्वनी

10:13:33

व्मसतऩात 16:11:41 गय

07:21:59

भेऴ

-

17 यत्रल

कासताक

ळुक्र ऩूस्णाभा

20:45:17

बयणी

11:40:36

लरयमान

15:49:58

त्रलत्रद्श

08:11:32

भेऴ

18:06:00

18 वोभ

भागाळीऴा

कृ ष्ण प्रसतऩदा

22:14:12

कृ सतका

13:31:04

ऩरयग्रश

15:46:04

फारल

09:27:19

लृऴ

-

19 भॊगर भागाळीऴा

कृ ष्ण फद्रतीमा

24:06:33

योफशस्ण

15:45:00

सळल

16:00:56

तैसतर

11:07:30

लृऴ

29:00:00

20 फुध

कृ ष्ण तृतीमा

26:19:32

भृगसळया

18:20:29

सवद्ध

16:31:44

लस्णज

13:10:10

सभथुन

-

भागाळीऴा

नलम्फय 2013

119

21 गुरु

भागाळीऴा

कृ ष्ण ितुथॉ

28:45:39

आरा

21:10:02

वाध्म

17:15:39

फल

15:30:39

सभथुन

-

22 ळुक्र

भागाळीऴा

कृ ष्ण ऩॊिभी

31:19:16

ऩुनलावु

24:09:53

ळुब

18:07:04

कौरल

18:02:23

सभथुन

17:24:00

23 ळसन

भागाळीऴा

कृ ष्ण ऩॊिभी

07:19:07

ऩुष्म

27:07:52

ळुक्र

18:58:30

तैसतर

07:19:07

कका

-

24 यत्रल

भागाळीऴा

कृ ष्ण ऴद्षी

09:48:03

आद्ऴेऴा

29:52:44

ब्रह्म

19:44:18

लस्णज

09:48:03

कका

29:52:00

25 वोभ

भागाळीऴा

कृ ष्ण वद्ऱभी

12:01:01

भघा

32:13:13

इन्र

20:13:13

फल

12:01:01

सवॊश

-

26 भॊगर भागाळीऴा

कृ ष्ण अद्शभी

13:45:53

भघा

08:13:04

लैधसृ त

20:17:45

कौरल

13:45:53

सवॊश

-

27 फुध

भागाळीऴा

कृ ष्ण नलभी

14:51:22

ऩूलाापाल्गुनी 09:58:52 त्रलऴकुॊब

19:52:18

गय

14:51:22

सवॊश

16:19:00

28 गुरु

भागाळीऴा

कृ ष्ण दळभी

15:12:46

उत्तयापाल्गुनी 11:02:28 प्रीसत

18:51:13

त्रलत्रद्श

15:12:46

कन्मा

-

29 ळुक्र

भागाळीऴा

कृ ष्ण एकादळी

14:44:30

शस्त

11:18:15

आमुष्भान 17:12:37 फारल

14:44:30

कन्मा

23:09:00

30 ळसन

भागाळीऴा

कृ ष्ण द्रादळी

13:29:20

सििा

10:48:05

वौबाग्म

13:29:20

तुरा

-

14:55:35

तैसतर

ळसन ऩीिा सनलायक वॊऩूणा प्राणप्रसतत्रद्षत 22 गेज ळुद्ध स्टीर भं सनसभात अखॊफडत ऩौरुऴाकाय ळसन मॊि ऩुरुऴाकाय ळसन मॊि (स्टीर भं) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळसन की कायक धातु ळुद्ध स्टीर(रोशे ) भं फनामा गमा शं । स्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्राद्ऱ शोता शं । मफद जन्भ कुॊडरी भं ळसन प्रसतकूर शोने ऩय व्मत्रक्त को अनेक कामं भं अवपरता प्राद्ऱ शोती शै , कबी व्मलवाम भं घटा, नौकयी भं ऩये ळानी, लाशन दघ ा ना, गृश क्रेळ आफद ु ट

ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै ऐवी स्स्थसतमं भं प्राणप्रसतत्रद्षत ग्रश ऩीिा सनलायक ळसन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थाऩना कयने वे अनेक राब सभरते शं । मफद ळसन की ढै ़मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे अलश्म ऩूजना िाफशए। ळसनमॊि के ऩूजन भाि वे व्मत्रक्त को भृत्मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा , फात योग तथा रम्फे वभम के वबी

प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्रक्त के सरमे ळसन मॊि असधक राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आफद के रोगं को ऩदौन्नसत बी ळसन द्राया शी सभरती शै अत् मश मॊि असत उऩमोगी मॊि शै स्जवके द्राया ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।

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नलम्फय 2013

120

नलम्फय-2013 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय फद

लाय

भाश

ऩष

सतसथ

वभासद्ऱ

प्रभुख व्रत-त्मोशाय प्रदोऴ व्रत, धनतेयव, धनलॊतयी जमन्ती, काभेद्वयी जमन्ती,

1

ळुक्र

कासताक

कृ ष्ण

िमोदळी

21:34:57

भासवक सळलयात्रि व्रत, रूऩितुदाळी, गोत्रियािव्रत प्रायॊ ब, मभऩॊिकदीऩदान 5 फदन तक

2

ळसन

कासताक

कृ ष्ण

ितुदाळी

नयकशया ितुदाळी, कारी ितुद ा ळी, नयका िौदव, श्रीशनुभान जमॊती, 20:13:10

मभ-तऩाण, धूभालती जमॊती (तास्न्िक ऩॊिाॊगानुवाय) दीऩालरी दीऩोत्वल, श्रीगणेळ-रक्ष्भी-कुफेय का ऩूजन, कभरा भशात्रलद्या जमॊती, स्नान-दान-श्राद्ध शे तु उत्तभ कासताकी अभालस्मा,

3

यत्रल

कासताक

कृ ष्ण

अभालस्मा

18:19:32

श्रीगौयी केदाय व्रत (द.बा.), श्रीभशालीय स्लाभी सनलााण फदलव (जैन), स्लाभी याभतीथा की जन्भसतसथ एलॊ ऩुण्मसतसथ, दमानन्द स्भृसतफदलव, कारयात्रि-वुखयात्रि, कारी ऩूजा (ऩ.फॊ)

4

वोभ

कासताक

ळुक्र

प्रसतऩदा

अन्नकूट, गोलधान ऩूजा, भशालीय सनलााण वम्लत 2540 प्रायॊ ब 16:01:31

(जैन) नलीन िन्र-दळान, बइमा दज ू -टीका, मभफद्रतीमा-स्नान (भथुया),

5

भॊगर

कासताक

ळुक्र

फद्रतीमा

13:26:38

सििगुद्ऱ-ऩूजन, दलात ऩूजा (त्रफशाय), त्रलद्वकभाा-ऩूजन, मभऩॊिक वभाद्ऱ लयदत्रलनामक ितुथॉ व्रत (िॊ.अस्त या.08:03 फजे), त्रलद्वासभि

6

फुध

कासताक

ळुक्र

तृतीमा

10:42:23

जमन्ती, वूमऴ ा द्षी व्रतायॊ ब, 3 फदन की छठ ऩूजा ळुरू-नशाम खाम (त्रफशाय औय झायखण्ड), वौबाग्म राब ऩॊिभी, राब ऩाॊिभ, ऩाण्डल ऩॊिभी, सान ऩॊिभी

7

गुरु

कासताक

ळुक्र

ितुथॉ

07:55:19

8

ळुक्र

कासताक

ळुक्र

ऩॊिभी

26:42:57

(जैन), वूमऴ ा द्षी व्रत-छठ ऩूजा का दव ू या फदन (खयना) स्कन्दऴद्षी व्रत, वूमऴ ा द्षी व्रत प्रसतशाय ऴद्षी (सभसथराॊिर), डारा

121

नलम्फय 2013

छठ (काळी), छठ ऩूजा का प्रभुख फदन-व्रत वामॊकार वूमाास्त के वभम वूमद ा े ल को प्रथभ अध्मा, व्मसतऩात भशाऩात प्रात: 10:27 वे वामॊ 7:35 फजे तक, उदीमभान वूमा को फद्रतीम अध्मादान, छठव्रत का ऩायण, वाभाऩूजा 9

ळसन

कासताक

ळुक्र

ऴद्षी

24:27:47

10

यत्रल

कासताक

ळुक्र

वद्ऱभी

22:33:14

ळुरू (सभसथराॊिर), जगद्धािी ऩूजा 3 फदन (ऩ.फॊगार),

गोऩाद्शभी (ब्रज), गोऩाराद्शभी श्रीदग ु ााद्शभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााद्शभी व्रत, अषमनलभी व्रत, आॉलरा नलभी ऩूजा, कूष्भाण्ड नलभी,

11

वोभ

कासताक

ळुक्र

नलभी

वत्ममुगाफद सतसथ, श्रीशॊ व बगलान एलॊ वनकाफद जमॊती, वलेद्वय 21:01:12

प्रबु का प्राकट्मोत्वल (सनम्फाका), अमोध्मा-ऩरयक्रभा, त्रलष्णुत्रियाि 3 फदन

12

13

14

भॊगर

फुध

गुरु

कासताक

कासताक

कासताक

ळुक्र

ळुक्र

ळुक्र

दळभी

एकादळी

द्रादळी

19:53:32

आळा दळभी, कॊव-लध रीरा (भथुया), श्रीशरय प्रफोसधनी एकादळी व्रत, दे लोत्थान उत्वल, िातुभााव सनमभ

19:11:11

वभाद्ऱ, बीष्भऩॊिक 5 फदन, तुरवी त्रललाशोत्वल प्रायॊ ब दाभोदय द्रादळी, श्माभफाफा द्रादळी, गरुि द्रादळी (ओिीवा), भत्स्म

18:56:02

द्रादळी, फार फदलव, प्रदोऴ व्रत, लैकुण्ठ ितुदाळी व्रत का उऩलाव, भशासनळीथकार भं

15

ळुक्र

कासताक

ळुक्र

िमोदळी

19:07:08

भशात्रलष्णु-ऩूजन, त्रलद्याऩसत स्भृसतफदलव (सभसथराॊिर), त्रफयवा भुण्डा जमन्ती (झायखण्ड) सवद्धलट मािा (उज्जसमनी), िौभावी िौदव (जैन), वूमा की

16

ळसन

कासताक

ळुक्र

ितुदाळी

19:42:37

लृस्द्ळक-वॊक्रास्न्त फदन 11:49 फजे, ऩुण्मकार वूमोदम वे फदन 11:49 फजे तक

122

नलम्फय 2013

स्नान-दान-व्रत शे तु उत्तभ कासताकी ऩूस्णाभा, त्रिऩुयारय ऩूस्णाभा, दे ल17

यत्रल

कासताक

ळुक्र

ऩूस्णाभा

दीऩालरी, श्रीसनम्फाकाािामा 5110 लीॊ जमन्ती, याव ऩूस्णाभा, तुरवी 20:45:17

त्रललाशोत्वल ऩूण,ा वाभा-त्रलवजान (सभसथराॊिर), कासताकेम-दळान, कासताक-स्नान ऩूण,ा ऩुष्कय भेरा

18

वोभ

भागाळीऴा

कृ ष्ण

प्रसतऩदा

22:14:12

योफशणी व्रत (जैन), यानी रक्ष्भीफाई जमन्ती, इस्न्दया गाॉधी

19

भॊगर

भागाळीऴा

कृ ष्ण

फद्रतीमा

24:06:33

20

फुध

भागाळीऴा

कृ ष्ण

तृतीमा

26:19:32

21

गुरु

भागाळीऴा

कृ ष्ण

ितुथॉ

गोऩभाव प्रायम्ब, कात्मामनी भासवक ऩूजा ळुरू

जमन्ती वौबाग्मवुन्दयी व्रत वॊकद्शी श्रीगणेळ ितुथॉ व्रत (िॊ.उदम या.08:24 फजे), भशाभना

28:45:39

ऩुण्मसतसथ वूमा वामन धनु भं प्रात: 9:18 फजे, लीड ऩॊिभी-भनवादे ली ळमन

22

ळुक्र

भागाळीऴा

कृ ष्ण

ऩॊिभी

31:19:16

एलॊ त्रलऴशया ऩूजा (सभसथराॊिर), अन्नऩूणाा भाता का 16 फदलवीम व्रत प्रायॊ ब

23

ळसन

भागाळीऴा

कृ ष्ण

ऩॊिभी

07:19:07

-

24

यत्रल

भागाळीऴा

कृ ष्ण

ऴद्षी

09:48:03

बानु-वद्ऱभी ऩला, श्री गुरु तेगफशादयु फसरदान फदलव (सवख)

25

वोभ

भागाळीऴा

कृ ष्ण

वद्ऱभी

12:01:01

श्रीकारबैयलाद्शभी व्रत (काराद्शभी), बैयलनाथ जमन्ती भशोत्वल

26

भॊगर

भागाळीऴा

कृ ष्ण

अद्शभी

13:45:53

प्रथभाद्शभी (ओिीवा), आतार-ऩातार वलायी (उज्जसमनी)

27

फुध

भागाळीऴा

कृ ष्ण

नलभी

14:51:22

-

28

गुरु

भागाळीऴा

कृ ष्ण

दळभी

15:12:46

भशालीयस्लाभी दीषा कल्माणक (जैन) उत्ऩन्ना एकादळी व्रत, लैतयणी एकादळी, आणॊदी मािा प्रा.

29

ळुक्र

भागाळीऴा

कृ ष्ण

एकादळी

14:44:30

30

ळसन

भागाळीऴा

कृ ष्ण

द्रादळी

13:29:20

(भशा.) ळसन-प्रदोऴ व्रत

नलम्फय 2013

123

गणेळ रक्ष्भी मॊि प्राण-प्रसतत्रद्षत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-दक ु ान-ओफपव-पैक्टयी भं ऩूजन स्थान, गल्रा मा अरभायी भं स्थात्रऩत कयने व्माऩाय भं त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । मॊि के प्रबाल वे बाग्म भं उन्नसत, भान-प्रसतद्षा एलॊ

व्माऩाय भं लृत्रद्ध शोती

शं एलॊ आसथाक स्स्थभं वुधाय शोता शं । गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थात्रऩत कयने वे बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का

Rs.730 वे Rs.10900 तक

वॊमुक्त आळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।

भॊगर मॊि वे ऋण भुत्रक्त भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रललादो को शर कयने के काभ भं राब दे ता शं , इव के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त शे तु भॊगर वाधना वे असत ळीर राब प्राद्ऱ शोता शं ।

त्रललाश आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर

मॊि की ऩूजा कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं । प्राण प्रसतत्रद्षत भॊगर मॊि के ऩूजन वे बाग्मोदम, ळयीय भं खून की कभी, गबाऩात वे फिाल, फुखाय, िेिक, ऩागरऩन, वूजन औय घाल, मौन ळत्रक्त भं लृत्रद्ध, ळिु त्रलजम, तॊि भॊि के दद्श ु प्रबा,

भूल्म भाि Rs- 730

बूत-प्रेत बम, लाशन दघ ा नाओॊ, शभरा, िोयी इत्मादी वे फिाल शोता शं । ु ट

कुफेय मॊि कुफेय मॊि के ऩूजन वे स्लणा राब, यत्न राब, ऩैतक ृ वम्ऩत्ती एलॊ गिे शुए धन वे राब प्रासद्ऱ फक काभना कयने लारे

व्मत्रक्त के सरमे कुफेय मॊि अत्मन्त वपरता दामक शोता शं । एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । कुफेय मॊि के ऩूजन वे एकासधक स्त्रोि वे धन का प्राद्ऱ शोकय धन वॊिम शोता शं ।

ताम्र ऩि ऩय वुलणा ऩोरीव

ताम्र ऩि ऩय यजत ऩोरीव

ताम्र ऩि ऩय

(Gold Plated)

(Silver Plated)

(Copper)

वाईज 1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

भूल्म 460 820 1650 2350 3600 6400 10800

वाईज

भूल्म

वाईज

भूल्म

1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

370 640 1090 1650 2800 5100 8200

1” X 1” 2” X 2” 3” X 3” 4” X 4” 6” X 6” 9” X 9” 12” X12”

255 460 730 1090 1900 3250 6400

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124

नलम्फय 2013

नलयत्न जफित श्री मॊि ळास्त्र लिन के अनुवाय ळुद्ध वुलणा मा यजत भं सनसभात श्री मॊि के िायं औय मफद नलयत्न जिला ने ऩय मश नलयत्न जफित श्री मॊि कशराता शं । वबी यत्नो को उवके सनस्द्ळत स्थान ऩय जि कय रॉकेट के रूऩ भं धायण कयने वे व्मत्रक्त को अनॊत एद्वमा एलॊ रक्ष्भी की प्रासद्ऱ शोती शं । व्मत्रक्त को एवा आबाव शोता शं जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शं । नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशं की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्रक्त ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शं । गरे भं शोने के कायण मॊि ऩत्रलि यशता शं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शं , लश गॊगा जर के वभान ऩत्रलि शोता शं । इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदासम कशजाता शं । जैवे अभृत वे उत्तभ कोई

औऴसध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रासद्ऱ के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भं नशीॊ शं एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । इव प्रकाय के नलयत्न जफित श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्राया ळुब भुशूता भं प्राण प्रसतत्रद्षत कयके फनालाए जाते शं ।

अद्श रक्ष्भी कलि अद्श रक्ष्भी कलि को धायण कयने वे व्मत्रक्त ऩय वदा भाॊ भशा रक्ष्भी की कृ ऩा एलॊ आळीलााद फना

यशता शं । स्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अद्श रुऩ (१)-आफद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)-त्रलजम रक्ष्भी, (७)-त्रलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का स्लत् अळीलााद प्राद्ऱ शोता शं ।

भूल्म भाि: Rs-1250

भॊि सवद्ध व्माऩाय लृत्रद्ध कलि व्माऩाय लृत्रद्ध कलि व्माऩाय भं ळीघ्र उन्नसत के सरए उत्तभ शं । िाशं कोई बी व्माऩाय शो अगय उवभं राब के स्थान ऩय फाय-फाय शासन शो यशी शं । फकवी प्रकाय वे व्माऩाय भं फाय-फाय फाधाएॊ उत्ऩन्न शो यशी शो! तो वॊऩण ू ा प्राण प्रसतत्रद्षत

भॊि सवद्ध ऩूणा िैतन्म मुक्त व्माऩाय लृत्रद्ध मॊि को व्मऩाय स्थान मा घय भं स्थात्रऩत कयने वे ळीघ्र शी व्माऩाय भं लृत्रद्ध

भूल्म भाि: Rs.730 & 1050

एलॊ सनतन्तय राब प्राद्ऱ शोता शं ।

भॊगर मॊि (त्रिकोण) भॊगर मॊि को जभीन-जामदाद के त्रललादो को शर कयने के काभ भं राब दे ता शं , इव के असतरयक्त व्मत्रक्त को ऋण भुत्रक्त शे तु भॊगर वाधना वे असत ळीर राब प्राद्ऱ शोता शं । त्रललाश आफद भं भॊगरी जातकं के कल्माण के सरए भॊगर मॊि की ऩूजा कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं ।

भूल्म भाि Rs- 730 >> Order Now

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125

नलम्फय 2013

त्रललाश वॊफॊसधत वभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी फक आऩकी ळादी भं अनालश्मक रूऩ वे त्रलरम्फ शो यशा शं मा उनके लैलाफशक जीलन भं खुसळमाॊ कभ शोती जायशी शं औय वभस्मा असधक फढती जायशी शं । एवी स्स्थती शोने ऩय अऩने रडके-रडकी फक कुॊडरी का अध्ममन अलश्म कयलारे औय उनके लैलाफशक वुख को कभ कयने लारे दोऴं के सनलायण के उऩामो के फाय भं त्रलस्ताय वे जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

सळषा वे वॊफॊसधत वभस्मा क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भं अनालश्मक रूऩ वे फाधा-त्रलघ्नन मा रुकालटे शो यशी शं ? फच्िो को अऩने ऩूणा ऩरयश्रभ एलॊ भेशनत का उसित पर नशीॊ सभर यशा? अऩने रडके-रडकी की कुॊडरी का त्रलस्तृत अध्ममन अलश्म कयलारे औय उनके त्रलद्या अध्ममन भं आनेलारी रुकालट एलॊ दोऴो के कायण एलॊ उन दोऴं के सनलायण के उऩामो के फाय भं त्रलस्ताय वे जनकायी प्राद्ऱ कयं ।

क्मा आऩ फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शं ? आऩके ऩाव अऩनी वभस्माओॊ वे छुटकाया ऩाने शे तु ऩूजा-अिाना, वाधना, भॊि जाऩ इत्माफद कयने का वभम नशीॊ शं ? अफ आऩ अऩनी वभस्माओॊ वे फीना फकवी त्रलळेऴ ऩूजा-अिाना, त्रलसध-त्रलधान के आऩको अऩने कामा भं वपरता प्राद्ऱ कय वके एलॊ आऩको अऩने जीलन के वभस्त वुखो को प्राद्ऱ कयने का भागा प्राद्ऱ शो वके इव सरमे गुरुत्ल कामाारत द्राया शभाया उद्दे श्म ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त त्रलसबन्न प्रकाय के मन्ि- कलि एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोिाने का शं ।

ज्मोसतऴ वॊफॊसधत त्रलळेऴ ऩयाभळा ज्मोसत त्रलसान, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु एलॊ आध्मास्त्भक सान वं वॊफॊसधत त्रलऴमं भं शभाये 30 लऴो वे असधक लऴा के अनुबलं के वाथ ज्मोसतव वे जुडे नमे-नमे वॊळोधन के आधाय ऩय आऩ अऩनी शय वभस्मा के वयर वभाधान प्राद्ऱ कय वकते शं । >> Order Now

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ओनेक्व जो व्मत्रक्त ऩन्ना धायण कयने भे अवभथा शो उन्शं फुध ग्रश के उऩयत्न ओनेक्व को धायण कयना िाफशए। उच्ि सळषा प्रासद्ऱ शे तु औय स्भयण ळत्रक्त के त्रलकाव शे तु ओनेक्व यत्न की अॊगूठी को दामं शाथ की वफवे छोटी

उॊ गरी मा रॉकेट फनला कय गरे भं धायण कयं । ओनेक्व यत्न धायण कयने वे त्रलद्या-फुत्रद्ध की प्रासद्ऱ शो शोकय स्भयण

ळत्रक्त का त्रलकाव शोता शं ।

>> Order Now

नलम्फय 2013

126

नलम्फय 2013 -त्रलळेऴ मोग कामा सवत्रद्ध मोग 2/3

दे य यात 12:19 वे यातबय

19

फदन 1:30 वे यातबय

4

यात्रि 9:23 वे यातबय

20

वूमोदम वे वामॊ 6:19 तक

9

फदन 11:47 वे यातबय

21

यात्रि 9:10 वे 22 नलम्फय को यात 12:08 तक

14

प्रात: 8:36 वे 16 नलम्फय को वूमोदम तक

30

प्रात: 10:47 वे वामॊ 7:01 तक

त्रिऩुष्कय (तीनगुना पर) मोग वूमोदम वे फदन 11:47 तक

9

फद्रऩुष्कय मोग 19

फदन 3:44 वे यात्रि 12:05 तक

30

वूमोदम वे प्रात: 10:47 तक

त्रलघ्ननकायक बरा 1

यात्रि 9:33 वे 2 नलम्फय को प्रात: 8:53 तक

16

वामॊ 7:42 वे 17 नलम्फय को प्रात: 8:13 तक

6

यात्रि 9:17 वे 7 नलम्फय को प्रात: 7:54 तक

20

फदन 1:11 वे दे य यात 2:18 तक

9

यात्रि 12:26 वे 10 नलम्फय को फदन 11:29 तक

24

प्रात: 9:47 वे यात्रि 10:53 तक

13

प्रात: 7:32 वे वामॊ 7:11 तक

27/28

दे य यात 3:01 वे 28 नलम्फय दोऩशय 3:11 तक

मोग पर :  कामा सवत्रद्ध मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे सनस्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शोती शं , एवा ळास्त्रोक्त लिन शं ।  त्रिऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शं । एवा ळास्त्रोक्त लिन शं । 

फद्रऩुष्कय मोग भं फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शं । एवा ळास्त्रोक्त लिन शं ।

 ळास्त्रोक्त भत वे त्रलघ्ननकायक बरा मा बरा मोग भं ळुब कामा कयना लस्जात शं ।

दै सनक ळुब एलॊ अळुब वभम सान तासरका गुसरक कार (ळुब)

मभ कार (अळुब)

याशु कार (अळुब)

यत्रललाय

03:00 वे 04:30

12:00 वे 01:30

04:30 वे 06:00

भॊगरलाय

12:00 वे 01:30

09:00 वे 10:30

03:00 वे 04:30

06:00 वे 07:30

01:30 वे 03:00

01:30 वे 03:00

09:00 वे 10:30

लाय

वोभलाय फुधलाय गुरुलाय

ळुक्रलाय

ळसनलाय

वभम अलसध

01:30 वे 03:00 10:30 वे 12:00 09:00 वे 10:30 07:30 वे 09:00

06:00 वे 07:30

वभम अलसध

10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00 03:00 वे 04:30

वभम अलसध

07:30 वे 09:00 12:00 वे 01:30

10:30 वे 12:00

नलम्फय 2013

127

फदन के िौघफडमे वभम

यत्रललाय

वोभलाय

भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय

ळुक्रलाय

ळसनलाय

06:00 वे 07:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

कार

07:30 वे 09:00

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

09:00 वे 10:30

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

10:30 वे 12:00

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

12:00 वे 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

01:30 वे 03:00

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

03:00 वे 04:30

योग

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

04:30 वे 06:00

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

कार

यात के िौघफडमे वभम

यत्रललाय

वोभलाय

भॊगरलाय

फुधलाय गुरुलाय

ळुक्रलाय

ळसनलाय

06:00 वे 07:30

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

09:00 वे 10:30

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

10:30 वे 12:00

योग

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

12:00 वे 01:30

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

01:30 वे 03:00

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

03:00 वे 04:30

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

कार

04:30 वे 06:00

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

अभृत

योग

राब

07:30 वे 09:00

अभृत

योग

राब

ळुब

िर

कार

उद्रे ग

ळास्त्रोक्त भत के अनुवाय मफद फकवी बी कामा का प्रायॊ ब ळुब भुशूता मा ळुब वभम ऩय फकमा जामे तो कामा भं वपरता

प्राद्ऱ शोने फक वॊबालना ज्मादा प्रफर शो जाती शं । इव सरमे दै सनक ळुब वभम िौघफिमा दे खकय प्राद्ऱ फकमा जा वकता शं ।

नोट: प्राम् फदन औय यात्रि के िौघफिमे फक सगनती क्रभळ् वूमोदम औय वूमाास्त वे फक जाती शं । प्रत्मेक िौघफिमे फक अलसध 1

घॊटा 30 सभसनट अथाात डे ढ़ घॊटा शोती शं । वभम के अनुवाय िौघफिमे को ळुबाळुब तीन बागं भं फाॊटा जाता शं , जो क्रभळ् ळुब, भध्मभ औय अळुब शं ।

* शय कामा के सरमे ळुब/अभृत/राब का

िौघफडमे के स्लाभी ग्रश

ळुब िौघफडमा

भध्मभ िौघफडमा

अळुब िौघफिमा

िौघफडमा स्लाभी ग्रश

िौघफडमा स्लाभी ग्रश

िौघफडमा

स्लाभी ग्रश

ळुब

गुरु

िय

उद्बे ग

वूमा

अभृत

िॊरभा

कार

ळसन

राब

फुध

योग

भॊगर

ळुक्र

िौघफिमा उत्तभ भाना जाता शं ।

* शय कामा के सरमे िर/कार/योग/उद्रे ग का िौघफिमा उसित नशीॊ भाना जाता।

नलम्फय 2013

128

फदन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक लाय

1.घॊ

2.घॊ

3.घॊ

4.घॊ

5.घॊ

6.घॊ

7.घॊ

8.घॊ

9.घॊ

यत्रललाय

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

वोभलाय

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

भॊगरलाय

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

फुधलाय

फुध

िॊर

ळसन

गुरु भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

गुरुलाय

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

ळुक्रलाय

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

ळसनलाय

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

िॊर

िॊर फुध

10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यात फक शोया – वूमाास्त वे वूमोदम तक यत्रललाय

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

वोभलाय

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

भॊगरलाय

ळसन

गुरु

भॊगर

फुधलाय

वूमा

ळुक्र

फुध

गुरुलाय

िॊर

ळसन

गुरु

ळुक्रलाय

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

गुरु भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळसन

गुरु

भॊगर

वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसनलाय

फुध

िॊर

ळसन

गुरु भॊगर वूमा

ळुक्र

फुध

िॊर

ळसन

गुरु

भॊगर

िॊर

िॊर

शोया भुशूता को कामा सवत्रद्ध के सरए ऩूणा परदामक एलॊ अिूक भाना जाता शं , फदन-यात के २४ घॊटं भं ळुब-अळुब वभम को वभम वे ऩूला सात कय अऩने कामा सवत्रद्ध के सरए प्रमोग कयना िाफशमे।

त्रलद्रानो के भत वे इस्च्छत कामा सवत्रद्ध के सरए ग्रश वे वॊफॊसधत शोया का िुनाल कयने वे त्रलळेऴ राब प्राद्ऱ शोता शं ।

 वूमा फक शोया वयकायी कामो के सरमे उत्तभ शोती शं ।  िॊरभा फक शोया वबी कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।  भॊगर फक शोया कोटा -किेयी के कामं के सरमे उत्तभ शोती शं ।  फुध फक शोया त्रलद्या-फुत्रद्ध अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शं ।  गुरु फक शोया धासभाक कामा एलॊ त्रललाश के सरमे उत्तभ शोती शं ।  ळुक्र फक शोया मािा के सरमे उत्तभ शोती शं ।  ळसन फक शोया धन-रव्म वॊफॊसधत कामा के सरमे उत्तभ शोती शं ।

नलम्फय 2013

129

ग्रश िरन नलम्फय -2013 Day 1

Sun

Mon

Ma

06:14:42

05:12:54

04:15:42

2

06:15:42

05:26:24

3

06:16:43

4

Me

Jup

Ven

Sat

Rah

Ket

Ua

Nep

Plu

06:16:33

02:26:23

08:01:40

06:19:31

06:13:42

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11:15:23

10:08:34

08:15:22

04:16:16

06:15:16

02:26:24

08:02:40

06:19:38

06:13:42

00:13:42

11:15:21

10:08:33

08:15:23

06:10:15

04:16:51

06:13:59

02:26:25

08:03:40

06:19:46

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00:13:42

11:15:19

10:08:33

08:15:24

06:17:43

06:24:25

04:17:25

06:12:46

02:26:26

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06:19:53

06:13:42

00:13:42

11:15:17

10:08:33

08:15:26

5

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07:08:49

04:18:00

06:11:39

02:26:27

08:05:38

06:20:00

06:13:42

00:13:42

11:15:15

10:08:32

08:15:27

6

06:19:43

07:23:21

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08:06:36

06:20:07

06:13:41

00:13:41

11:15:13

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08:15:28

7

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08:07:55

04:19:08

06:09:51

02:26:27

08:07:34

06:20:14

06:13:41

00:13:41

11:15:12

10:08:32

08:15:30

8

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08:22:27

04:19:43

06:09:12

02:26:27

08:08:31

06:20:22

06:13:40

00:13:40

11:15:10

10:08:32

08:15:31

9

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09:06:50

04:20:17

06:08:45

02:26:27

08:09:28

06:20:29

06:13:39

00:13:39

11:15:08

10:08:31

08:15:32

10

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09:21:02

04:20:51

06:08:30

02:26:26

08:10:24

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00:13:39

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11

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10:05:01

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06:08:26

02:26:25

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12

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04:21:58

06:08:33

02:26:25

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06:13:40

00:13:40

11:15:03

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13

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11:02:14

04:22:32

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08:13:10

06:20:58

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10:08:31

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14

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11:15:30

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11:15:00

10:08:31

08:15:40

15

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11:28:32

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00:13:43

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16

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17

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00:23:58

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06:11:29

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06:21:26

06:13:43

00:13:43

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10:08:31

08:15:45

18

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20

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08:19:15

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06:13:37

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21

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06:15:48

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06:13:33

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00:13:27

11:14:40

10:08:36

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130

नलम्फय 2013

वला योगनाळक मॊि/कलि भनुष्म अऩने जीलन के त्रलसबन्न वभम ऩय फकवी ना फकवी वाध्म मा अवाध्म योग वे ग्रस्त शोता शं । उसित उऩिाय वे ज्मादातय वाध्म योगो वे तो भुत्रक्त सभर जाती शं , रेफकन कबी-कबी वाध्म योग शोकय बी अवाध्म शोजाते शं , मा कोइ अवाध्म योग वे ग्रसवत शोजाते शं । शजायो राखो रुऩमे खिा कयने ऩय बी असधक राब प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता। डॉक्टय द्राया फदजाने लारी दलाईमा अल्ऩ वभम के सरमे कायगय वात्रफत शोती शं , एवी स्स्थती भं राब प्रासद्ऱ के सरमे व्मत्रक्त एक डॉक्टय वे दव ू ये डॉक्टय के िक्कय रगाने को फाध्म शो जाता शं । बायतीम ऋऴीमोने अऩने मोग वाधना के प्रताऩ वे योग ळाॊसत शे तु त्रलसबन्न आमुलये औऴधो के असतरयक्त मॊि, भॊि एलॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भं कय भानल जीलन को राब प्रदान कयने का वाथाक प्रमाव शजायो लऴा ऩूला फकमा था। फुत्रद्धजीलो के भत वे जो व्मत्रक्त जीलनबय अऩनी फदनिमाा ऩय सनमभ, वॊमभ यख कय आशाय ग्रशण कयता शं , एवे व्मत्रक्त को त्रलसबन्न योग वे ग्रसवत शोने की वॊबालना कभ शोती शं । रेफकन आज के फदरते मुग भं एवे व्मत्रक्त बी बमॊकय योग वे ग्रस्त शोते फदख जाते शं । क्मोफक वभग्र वॊवाय कार के अधीन शं । एलॊ भृत्मु सनस्द्ळत शं स्जवे त्रलधाता के अराला औय कोई टार नशीॊ वकता, रेफकन योग शोने फक स्स्थती भं व्मत्रक्त योग दयू कयने का प्रमाव तो अलश्म कय वकता शं । इव सरमे मॊि भॊि एलॊ तॊि के कुळर जानकाय वे मोग्म भागादळान रेकय व्मत्रक्त योगो वे भुत्रक्त ऩाने का मा उवके प्रबालो को कभ कयने का प्रमाव बी अलश्म कय वकता शं । ज्मोसतऴ त्रलद्या के कुळर जानकय बी कार ऩुरुऴकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यशस्म को उजागय कय वकते शं । ज्मोसतऴ ळास्त्र के भाध्मभ वे योग के भूरको ऩकडने भे वशमोग सभरता शं , जशा आधुसनक सिफकत्वा ळास्त्र अषभ शोजाता शं लशा ज्मोसतऴ ळास्त्र द्राया योग के भूर(जि) को ऩकड कय उवका सनदान कयना राबदामक एलॊ उऩामोगी सवद्ध शोता शं । शय व्मत्रक्त भं रार यॊ गकी कोसळकाए ऩाइ जाती शं , स्जवका सनमभीत त्रलकाव क्रभ फद्ध तयीके वे शोता यशता शं । जफ इन कोसळकाओ के क्रभ भं ऩरयलतान शोता शै मा त्रलखॊफडन शोता शं तफ व्मत्रक्त के ळयीय भं स्लास्थ्म वॊफॊधी त्रलकायो उत्ऩन्न शोते शं । एलॊ इन कोसळकाओ का वॊफॊ ध नल ग्रशो के वाथ शोता शं । स्जस्वे योगो के शोने के कायण व्मत्रक्त के जन्भाॊग वे दळा-भशादळा एलॊ ग्रशो फक गोिय स्स्थती वे प्राद्ऱ शोता शं । वला योग सनलायण कलि एलॊ भशाभृत्मुॊजम मॊि के भाध्मभ वे व्मत्रक्त के जन्भाॊग भं स्स्थत कभजोय एलॊ ऩीफडत ग्रशो के अळुब प्रबाल को कभ कयने का कामा वयरता ऩूलक ा फकमा जावकता शं । जेवे शय व्मत्रक्त को ब्रह्माॊड फक उजाा एलॊ ऩृथ्ली का गुरुत्लाकऴाण फर प्रबालीत कताा शं फठक उवी प्रकाय कलि एलॊ मॊि के भाध्मभ वे ब्रह्माॊड फक उजाा के वकायात्भक प्रबाल वे व्मत्रक्त को वकायात्भक उजाा प्राद्ऱ शोती शं स्जस्वे योग के प्रबाल को कभ कय योग भुक्त कयने शे तु वशामता सभरती शं । योग सनलायण शे तु भशाभृत्मुॊजम भॊि एलॊ मॊि का फडा भशत्ल शं । स्जस्वे फशन्द ू वॊस्कृ सत का प्राम् शय व्मत्रक्त भशाभृत्मुॊजम भॊि वे ऩरयसित शं ।

131

नलम्फय 2013

कलि के राब :  एवा ळास्त्रोक्त लिन शं स्जव घय भं भशाभृत्मुॊजम मॊि स्थात्रऩत शोता शं लशा सनलाव कताा शो नाना प्रकाय फक आसध-व्मासध-उऩासध वे यषा शोती शं ।  ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त वला योग सनलायण कलि फकवी बी उम्र एलॊ जासत धभा के रोग िाशे स्त्री शो मा ऩुरुऴ धायण कय वकते शं ।  जन्भाॊगभं अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रसतकूरता वे योग उतऩन्न शोते शं ।  कुछ योग वॊक्रभण वे शोते शं एलॊ कुछ योग खान-ऩान फक असनमसभतता औय अळुद्धतावे उत्ऩन्न शोते शं । कलि एलॊ मॊि द्राया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नद्श कय, स्लास्थ्म राब औय ळायीरयक यषण प्राद्ऱ कयने शे तु वला योगनाळक कलि एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शं ।

 आज के बौसतकता लादी आधुसनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शं , स्जवका उऩिाय ओऩये ळन औय दलावे बी कफठन शो जाता शं । कुछ योग एवे शोते शं स्जवे फताने भं रोग फशिफकिाते शं ळयभ अनुबल कयते शं एवे योगो को योकने शे तु एलॊ उवके उऩिाय शे तु वला योगनाळक कलि एलॊ मॊि राबादासम सवद्ध शोता शं ।  प्रत्मेक व्मत्रक्त फक जेवे-जेवे आमु फढती शं लैवे-लवै उवके ळयीय फक ऊजाा कभ शोती जाती शं । स्जवके वाथ अनेक प्रकाय के त्रलकाय ऩैदा शोने रगते शं एवी स्स्थती भं उऩिाय शे तु वलायोगनाळक कलि एलॊ मॊि परप्रद शोता शं ।  स्जव घय भं त्रऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक फश नषिभे जन्भ रेते शं , तफ उवकी भाता के सरमे असधक कद्शदामक स्स्थती शोती शं । उऩिाय शे तु भशाभृत्मुॊजम मॊि परप्रद शोता शं ।  स्जव व्मत्रक्त का जन्भ ऩरयसध मोगभे शोता शं उन्शे शोने लारे भृत्मु तुल्म कद्श एलॊ शोने लारे योग, सिॊता भं उऩिाय शे तु वला योगनाळक कलि एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शं । नोट:- ऩूणा प्राण प्रसतत्रद्षत एलॊ ऩूणा िैतन्म मुक्त वला योग सनलायण कलि एलॊ मॊि के फाये भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । >> Order Now

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Our Goal  Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door step.

नलम्फय 2013

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भॊि सवद्ध कलि

भॊि सवद्ध कलि को त्रलळेऴ प्रमोजन भं उऩमोग के सरए औय ळीघ्र प्रबाल ळारी फनाने के सरए तेजस्ली भॊिो द्राया ळुब भशूता भं ळुब फदन को तैमाय फकमे जाते शै । अरग-अरग कलि तैमाय कयने केसरए अरग-अरग तयश के भॊिो का प्रमोग फकमा जाता शै ।

 क्मं िुने भॊि सवद्ध कलि?  उऩमोग भं आवान कोई प्रसतफन्ध नशीॊ  कोई त्रलळेऴ सनसत-सनमभ नशीॊ  कोई फुया प्रबाल नशीॊ

भॊि सवद्ध कलि वूसि अभोघ भशाभृत्मुॊजम कलि

10900

श्रात्रऩत मोग सनलायण कलि

1900

तॊि यषा

730

याज याजेद्वयी कलि

11000

* वला जन लळीकयण

1450

ळिु त्रलजम

730

वला कामा सवत्रद्ध कलि

4600

सवत्रद्ध त्रलनामक कलि

1450

त्रललाश फाधा सनलायण

730

श्री घॊटाकणा भशालीय वला सवत्रद्धप्रद कलि

6400

वकर वम्भान प्रासद्ऱ कलि

1450

व्माऩय लृत्रद्ध

730

वकर सवत्रद्ध प्रद गामिी कलि

6400

आकऴाण लृत्रद्ध कलि

1450

वला योग सनलायण

730

दव भशा त्रलद्या कलि

6400

लळीकयण नाळक कलि

1450

योजगाय लृत्रद्ध

730

नलदग ु ाा ळत्रक्त कलि

6400

प्रीसत नाळक कलि

1450

भस्स्तष्क ऩृत्रद्श लधाक

640

यवामन सवत्रद्ध कलि

6400

िॊडार मोग सनलायण कलि

1450

काभना ऩूसता

640

ऩॊिदे ल ळत्रक्त कलि

6400

ग्रशण मोग सनलायण कलि

1450

त्रलयोध नाळक

640

वुलणा रक्ष्भी कलि

4600

अद्श रक्ष्भी

1250

त्रलघ्नन फाधा सनलायण

550

स्लणााकऴाण बैयल कलि

4600

भाॊगसरक मोग सनलायण कलि

1250

नज़य यषा

550

3250

वॊतान प्रासद्ऱ

1250

योजगाय प्रासद्ऱ

550

कारवऩा ळाॊसत कलि

2800

स्ऩे- व्माऩय लृत्रद्ध

1050

460

इद्श सवत्रद्ध कलि

2800

कामा सवत्रद्ध

दब ु ााग्म नाळक

1050

* लळीकयण (2-3 व्मत्रक्तके सरए)

ऩयदे ळ गभन औय राब प्रासद्ऱ कलि

2350

आकस्स्भक धन प्रासद्ऱ

1050

* ऩत्नी लळीकयण

640

श्रीदग ु ाा फीवा कलि

1900

स्लस्स्तक फीवा कलि

1050

* ऩसत लळीकयण

640

अद्श त्रलनामक कलि

1900

शॊ व फीवा कलि

1050

वयस्लती (कषा +10 के सरए)

550

त्रलष्णु फीवा कलि

1900

स्लप्न बम सनलायण कलि

1050

वयस्लती (कषा 10 तकके सरए)

460

याभबर फीवा कलि

1900

नलग्रश ळाॊसत

910

* लळीकयण ( 1 व्मत्रक्त के सरए)

640

कुफेय फीवा कलि

1900

बूसभ राब

910

सवद्ध वूमा कलि

550

गरुड फीवा कलि

1900

काभ दे ल

910

सवद्ध िॊर कलि

550

सवॊश फीवा कलि

1900

ऩदं उन्नसत

910

सवद्ध भॊगर कलि

550

नलााण फीवा कलि

1900

ऋण भुत्रक्त

910

सवद्ध फुध कलि

550

वॊकट भोसिनी कासरका सवत्रद्ध कलि

1900

वुदळान फीवा कलि

910

सवद्ध गुरु कलि

550

याभ यषा कलि

1900

भशा वुदळान कलि

910

सवद्ध ळुक्र कलि

550

शनुभान कलि

1900

त्रिळूर फीवा कलि

910

सवद्ध ळसन कलि

550

बैयल यषा कलि

1900

धन प्रासद्ऱ

820

सवद्ध याशु कलि

550

*त्रलरषण वकर याज लळीकयण कलि

ळसन वािे वाती औय ढ़ै मा कद्श सनलायण कलि

1900

1050

सवद्ध केतु कलि

550

उऩयोक्त कलि के अराला अन्म वभस्मा त्रलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उद्दे श्म ऩूसता शे तु कलि का सनभााण फकमा जाता शं । कलि के त्रलऴम भं असधक जानकायी शे तु वॊऩका कयं । *कलि भाि ळुब कामा मा उद्दे श्म के सरमे

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नलम्फय 2013

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GURUTVA KARYALAY YANTRA LIST

EFFECTS

Our Splecial Yantra 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

12 – YANTRA SET VYAPAR VRUDDHI YANTRA BHOOMI LABHA YANTRA TANTRA RAKSHA YANTRA AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA PADOUNNATI YANTRA RATNE SHWARI YANTRA BHUMI PRAPTI YANTRA GRUH PRAPTI YANTRA KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA

For all Family Troubles For Business Development For Farming Benefits For Protection Evil Sprite For Unexpected Wealth Benefits For Getting Promotion For Benefits of Gems & Jewellery For Land Obtained For Ready Made House -

Shastrokt Yantra 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42

AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) BHAGYA VARDHAK YANTRA BHAY NASHAK YANTRA CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA DARIDRA VINASHAK YANTRA DHANDA POOJAN YANTRA DHANDA YAKSHANI YANTRA GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) GARBHA STAMBHAN YANTRA GAYATRI BISHA YANTRA HANUMAN YANTRA JWAR NIVARAN YANTRA JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA YANTRA KALI YANTRA KALPVRUKSHA YANTRA KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) KANAK DHARA YANTRA KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA KARYA SHIDDHI YANTRA  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA KRISHNA BISHA YANTRA KUBER YANTRA LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA LAKSHAMI GANESH YANTRA MAHA MRUTYUNJAY YANTRA MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA NAVDURGA YANTRA

Blessing of Durga Win over Enemies Blessing of Bagala Mukhi For Good Luck For Fear Ending Blessing of Chamunda & Navgraha Blessing of Chhinnamasta For Poverty Ending For Good Wealth For Good Wealth Blessing of Lord Ganesh For Pregnancy Protection Blessing of Gayatri Blessing of Lord Hanuman For Fewer Ending For Astrology & Spritual Knowlage Blessing of Kali For Fullfill your all Ambition Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga Blessing of Maha Lakshami For Successes in work For Successes in all work Blessing of Lord Krishna Blessing of Kuber (Good wealth) For Obstaele Of marriage Blessing of Lakshami & Ganesh For Good Health Blessing of Shiva For Fullfill your all Ambition For Marriage with choice able Girl Blessing of Durga

134

YANTRA LIST

43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64

नलम्फय 2013

EFFECTS

NAVGRAHA SHANTI YANTRA NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA  SURYA YANTRA  CHANDRA YANTRA  MANGAL YANTRA  BUDHA YANTRA  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA)  SUKRA YANTRA  SHANI YANTRA (COPER & STEEL)  RAHU YANTRA  KETU YANTRA PITRU DOSH NIVARAN YANTRA PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA RAM YANTRA RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA SANKAT MOCHAN YANTRA SANTAN GOPAL YANTRA SANTAN PRAPTI YANTRA SARASWATI YANTRA SHIV YANTRA

For good effect of 9 Planets For good effect of 9 Planets Good effect of Sun Good effect of Moon Good effect of Mars Good effect of Mercury Good effect of Jyupiter Good effect of Venus Good effect of Saturn Good effect of Rahu Good effect of Ketu For Ancestor Fault Ending For Pregnancy Pain Ending For Benefits of State & Central Gov Blessing of Ram Blessing of Riddhi-Siddhi For Disease- Pain- Poverty Ending For Trouble Ending Blessing Lorg Krishana For child acquisition For child acquisition Blessing of Sawaswati (For Study & Education) Blessing of Shiv Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & 65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth 66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA For Bad Dreams Ending 67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Vehicle Accident Ending 68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All 69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending 70 For Education- Fame- state Award Winning 71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan) 72 VISHNU BISHA YANTRA Attraction For office Purpose 73 VASI KARAN YANTRA Attraction For Female  MOHINI VASI KARAN YANTRA 74 Attraction For Husband  PATI VASI KARAN YANTRA 75 Attraction For Wife  PATNI VASI KARAN YANTRA 76 Attraction For Marriage Purpose  VIVAH VASHI KARAN YANTRA 77 Yantra Available @:- Rs- 255, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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GURUTVA KARYALAY NAME OF GEM STONE

GENERAL

Emerald (ऩन्ना) Yellow Sapphire (ऩुखयाज) Blue Sapphire (नीरभ) White Sapphire (वफ़ेद ऩुखयाज) Bangkok Black Blue(फंकोक नीरभ) Ruby (भास्णक) Ruby Berma (फभाा भास्णक) Speenal (नयभ भास्णक/रारडी) Pearl (भोसत) Red Coral (4 यसत तक) (रार भूॊगा) Red Coral (4 यसत वे उऩय)( रार भूॊगा) White Coral (वफ़ेद भूॊगा) Cat’s Eye (रशवुसनमा) Cat’s Eye Orissa (उफडवा रशवुसनमा) Gomed (गोभेद) Gomed CLN (सवरोनी गोभेद) Zarakan (जयकन) Aquamarine (फेरुज) Lolite (नीरी) Turquoise (फफ़योजा) Golden Topaz (वुनशरा) Real Topaz (उफडवा ऩुखयाज/टोऩज) Blue Topaz (नीरा टोऩज) White Topaz (वफ़ेद टोऩज) Amethyst (कटे रा) Opal (उऩर) Garnet (गायनेट) Tourmaline (तुभर ा ीन) Star Ruby (वुमक ा ान्त भस्ण) Black Star (कारा स्टाय) Green Onyx (ओनेक्व) Real Onyx (ओनेक्व) Lapis (राजलात) Moon Stone (िन्रकान्त भस्ण) Rock Crystal (स्फ़फटक) Kidney Stone (दाना फफ़यॊ गी) Tiger Eye (टाइगय स्टोन) Jade (भयगि) Sun Stone (वन सवताया) Diamond (.05 to .20 Cent )

(शीया)

MEDIUM FINE

200.00 550.00 550.00 550.00 100.00 100.00 5500.00 300.00 30.00 75.00 120.00 20.00 25.00 460.00 15.00 300.00 350.00 210.00 50.00 15.00 15.00 60.00 60.00 60.00 20.00 30.00 30.00 120.00 45.00 15.00 09.00 60.00 15.00 12.00 09.00 09.00 03.00 12.00 12.00 50.00

500.00 1200.00 1200.00 1200.00 150.00 190.00 6400.00 600.00 60.00 90.00 150.00 28.00 45.00 640.00 27.00 410.00 450.00 320.00 120.00 30.00 30.00 120.00 90.00 90.00 30.00 45.00 45.00 140.00 75.00 30.00 12.00 90.00 25.00 21.00 12.00 11.00 05.00 19.00 19.00 100.00

(Per Cent )

(Per Cent )

FINE

SUPER FINE

1200.00 1900.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 1900.00 2800.00 200.00 500.00 370.00 730.00 8200.00 10000.00 1200.00 2100.00 90.00 120.00 12.00 180.00 190.00 280.00 42.00 51.00 90.00 120.00 1050.00 2800.00 60.00 90.00 640.00 1800.00 550.00 640.00 410.00 550.00 230.00 390.00 45.00 60.00 45.00 60.00 280.00 460.00 120.00 280.00 120.00 240.00 45.00 60.00 90.00 120.00 90.00 120.00 190.00 300.00 90.00 120.00 45.00 60.00 15.00 19.00 120.00 190.00 30.00 45.00 30.00 45.00 15.00 30.00 15.00 19.00 10.00 15.00 23.00 27.00 23.00 27.00 200.00 370.00 (PerCent )

(Per Cent)

SPECIAL

2800.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 4600.00 & above 1000.00 & above 1900.00 & above 21000.00 & above 3200.00 & above 280.00 & above 280.00 & above 550.00 & above 90.00 & above 190.00 & above 5500.00 & above 120.00 & above 2800.00 & above 910.00 & above 730.00 & above 500.00 & above 90.00 & above 90.00 & above 640.00 & above 460.00 & above 410.00& above 120.00 & above 190.00 & above 190.00 & above 730.00 & above 190.00 & above 100.00 & above 25.00 & above 280.00 & above 55.00 & above 100.00 & above 45.00 & above 21.00 & above 21.00 & above 45.00 & above 45.00 & above 460.00 & above (Per Cent )

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Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus

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नलम्फय 2013

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual Science in the modern context, across the world. Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man. exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

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How Does it work Phone/Chat Consultation This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of consideration. Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a confirmation whether the time is available for consultation or not.  We send you a Phone Number at the designated time of the appointment  We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment  You would need to refer your Booking number before the chat is initiated  Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.  Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications  We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.  For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat is recommended  Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate. All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T. Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be answered right away. BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

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नलम्फय 2013

वूिना  ऩत्रिका भं प्रकासळत वबी रेख ऩत्रिका के असधकायं के वाथ शी आयस्षत शं ।  रेख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामाारम मा वॊऩादक बी इन त्रलिायो वे वशभत शं।  नास्स्तक/ अत्रलद्वावु व्मत्रक्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शं ।  ऩत्रिका भं प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख मशाॊ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ मा फकवी बी स्थान मा घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शं ।  प्रकासळत रेख ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण मफद फकवी के रेख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तत्रलक जीलन वे भेर शोता शं तो मश भाि एक वॊमोग शं ।  प्रकासळत वबी रेख बायसतम आध्मास्त्भक ळास्त्रं वे प्रेरयत शोकय सरमे जाते शं । इव कायण इन त्रलऴमो फक वत्मता अथला प्राभास्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं ।  अन्म रेखको द्राया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभास्णकता एलॊ प्रबाल फक स्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शं । औय नाशीॊ रेखक के ऩते फठकाने के फाये भं जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शं ।  ज्मोसतऴ, अॊक ज्मोसतऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मास्त्भक सान ऩय आधारयत रेखो भं ऩाठक का अऩना त्रलद्वाव शोना आलश्मक शं । फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन त्रलऴमो भं त्रलद्वाव कयने ना कयने का अॊसतभ सनणाम स्लमॊ का शोगा।  ऩाठक द्राया फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शं । शभ फकवी बी व्मत्रक्त त्रलळेऴ द्राया प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी स्जन्भेदायी नफशॊ रेते शं ।  मश स्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्रक्त फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन त्रलऴमो भं नैसतक भानदॊ डं, वाभास्जक, कानूनी सनमभं के स्खराप कोई व्मत्रक्त मफद नीजी स्लाथा ऩूसता शे तु प्रमोग कताा शं अथला प्रमोग के कयने भे िुफट शोने ऩय प्रसतकूर ऩरयणाभ वॊबल शं ।  शभाये द्राया ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग ु ण ऩय प्रमोग फकमे शं स्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्राया सनस्द्ळत वपरता प्राद्ऱ शुई शं ।  ऩाठकं फक भाॊग ऩय एक फश रेखका ऩून् प्रकाळन कयने का असधकाय यखता शं । ऩाठकं को एक रेख के ऩून् प्रकाळन वे राब प्राद्ऱ शो वकता शं ।  असधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भं वॊऩका कय वकते शं । (वबी त्रललादो केसरमे केलर बुलनेद्वय न्मामारम शी भान्म शोगा।)

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नलम्फय 2013

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गुरुत्ल ज्मोसतऴ ऩत्रिका नलम्फय -2013 वॊऩादक

सिॊतन जोळी वॊऩका गुरुत्ल ज्मोसतऴ त्रलबाग

गुरुत्ल कामाारम

92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA पोन

91+9338213418, 91+9238328785 ईभेर

[email protected], [email protected], लेफ

www.gurutvakaryalay.com www.gurutvajyotish.com http://gk.yolasite.com/ www.gurutvakaryalay.blogspot.com

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नलम्फय 2013

शभाया उद्दे श्म त्रप्रम आस्त्भम फॊध/ु फफशन जम गुरुदे ल जशाॉ आधुसनक त्रलसान वभाद्ऱ शो जाता शं । लशाॊ आध्मास्त्भक सान प्रायॊ ब शो जाता शं , बौसतकता का आलयण ओढे व्मत्रक्त जीलन भं शताळा औय सनयाळा भं फॊध जाता शं , औय उवे अऩने जीलन भं गसतळीर शोने के सरए भागा प्राद्ऱ नशीॊ शो ऩाता क्मोफक बालनाए फश बलवागय शं , स्जवभे भनुष्म की वपरता औय अवपरता सनफशत शं । उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेद्षकय वपरता शं । वपरता को प्राद्ऱ कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ असधकाय शं । ईवी सरमे शभायी ळुब काभना वदै ल आऩ के वाथ शं । आऩ अऩने कामा-उद्दे श्म एलॊ अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर ा भॊि ळत्रक्त वे ऩूणा प्राण-प्रसतत्रद्षत सिज लस्तु का शभंळा ु ब प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे शभाया उद्दे श्म मशीॊ शे की ळास्त्रोक्त त्रलसध-त्रलधान वे त्रलसळद्श तेजस्ली भॊिो द्राया सवद्ध प्राण-प्रसतत्रद्षत ऩूणा िैतन्म मुक्त वबी प्रकाय के मन्ि- कलि एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशोिाने का शं ।

वूमा की फकयणे उव घय भं प्रलेळ कयाऩाती शं । जीव घय के स्खिकी दयलाजे खुरे शं।

GURUTVA KARYALAY 92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) Call Us - 9338213418, 9238328785

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NOV 2013

नलम्फय 2013

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नलम्फय 2013-त्रलळेऴ मोग 126 शभाया उद्देश्म 139. Page 3 of 140. GURUTVA JYOTISH Nov-2013.pdf. GURUTVA JYOTISH Nov-2013.pdf. Open.

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